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दीपावली के पांच दिवस (पञ्च पर्वा) पूजा के श्रेष्ठ समय

            दीपावली के पांच दिवस (पञ्च पर्वा) पूजा के श्रेष्ठ समय                    (   jyotish9999@gmail.com ; 9424446706 ) स्मरणीय – * किसी भी कार्य की पूर्णता,सफलता  उस कार्य के प्रारंभ समय (जो प्रचलन में मुहूर्त कहलाता है,जबकि मुहूर्त का शाब्दिक अर्थ भिन्न है  )की श्रेष्ठता पर आधारित होती है | Ø   पूजा प्रदत्त समय में प्रारंभ करना  मुख्य तथ्य है |मुहूर्त के बाद ,कार्य पूर्ण होने से  कोई हानि नहीं |        क्योकि सही समय किया गया कार्य सभी विघ्न बाधाओं का शमन करता है | Ø   * तिथि,दिन,योग,करण,लग्न ,होरा,द्विघटी किसी कार्य के लिए श्रेष्ठ समय के निर्धारक बिंदु है | Ø   *चौघडिया का मुहूर्त में प्रयोग अवांछनीय है | (चौघडिया निर्माता ने स्वयं चौघडिया मुहूर्त के लिए कहा की जब यात्रा का कोई मुहूर्त नहीं हो तो निकृष्ट मुहर्त के रूप में इसका प्रयोग करे |) स्थिर लग्न   - स्थिर लग्न में कोई भी कार्य प्रारंभ करने से स्थायी परिणाम मिलते हैं | लक्ष्मी पूजा करने से धन ,गणेश पूजा से विघ्न नाश ,कुबेर पूजा सम्पदा,वस्त्र अलंकार प्रयोग से जब भी उन वस्त्रो या आभूषण पहने गे सफलता मिलेग

पापनाशक भगवन राम की स्तुति -

पापनाशक भगवन राम की स्तुति - श्री राम चन्द्र कृपाल भज मन हरण भाव भय दारुणं| नव कंज  लोचन कंज  मुख कंज पद  कंजारुणं | भये प्रगट कृपाला   दीनदयाला   कौसल्या हितकारी . हरषित महतारी   मुनि मन हारी   अद्भुत रूप बिचारी | लोचन अभिरामा तनु  घनस्यामा  निज आयुध भुज चारी . भूषन वनमाला  नयन बिसाला  सोभा सिन्धु खरारी | कह दुइ कर जोरी अस्तुति तोरी   केहि बिधि करौं अनंता | माया करुना सुख सागर सब गुन आगर   जेहि गावहिं श्रुति संता | . सो मम हित लागी जन अनुरागी   भयौ प्रकट श्रीकंता | गुन ग्यानातीत अमाना वेद पुरान भनंता | ब्रह्मांड निकाया निर्मित माया रोम रोम प्रति बेद कहै . मम उर सो बासी यह उपहासी सुनत धीर मति थिर न रहै | उपजा जब ग्याना  प्रभु मुसुकाना  चरित  बहुत बिधि कीन्ह चहै . कहि कथा सुहाई मातु बुझाई   जेहि प्रकार सुत प्रेम लहै | माता पुनि बोली सो मति डोली    तजहु तात यह रूपा . कीजे सिसुलीला अति प्रियसीला   यह सुख परम अनूपा | .. सुनि बचन सुजाना रोदन ठाना होइ बालक सुरभूपा . यह चरित जे गावहि हरिपद पावहि ते न परहिं भवकूपा |

*****मनोकामना पूरक सरल मंत्रात्मक रामचरितमानस की चौपाईयाँ-

*****मनोकामना पूरक सरल मंत्रात्मक रामचरितमानस की चौपाईयाँ-       रामचरितमानस के एक एक शब्द को मंत्रमय आशुतोष भगवान् शिव ने बना दिया |इसलिए किसी भी प्रकार की समस्या के लिए सुन्दरकाण्ड या कार्य उद्देश्य के लिए लिखित चौपाई का सम्पुट लगा कर रामचरितमानस का पाठ करने से मनोकामना पूर्ण होती हैं | -सोमवार,बुधवार,गुरूवार,शुक्रवार शुक्ल पक्ष अथवा शुक्ल पक्ष दशमी से कृष्ण पक्ष पंचमी तक के काल में (चतुर्थी, चतुर्दशी तिथि छोड़कर )प्रारंभ करे -   वाराणसी में भगवान् शंकरजी ने मानस की चौपाइयों को मन्त्र-शक्ति प्रदान की है-इसलिये वाराणसी की ओर मुख करके शंकरजी को स्मरण कर  इनका सम्पुट लगा कर पढ़े या जप १०८ प्रतिदिन करते हैं तो ११वे दिन १०८आहुति दे | अष्टांग हवन सामग्री १॰ चन्दन का बुरादा , २॰ तिल , ३॰ शुद्ध घी , ४॰ चीनी , ५॰ अगर , ६॰ तगर , ७॰ कपूर , ८॰ शुद्ध केसर , ९॰ नागरमोथा , १०॰ पञ्चमेवा , ११॰ जौ और १२॰ चावल। १॰ विपत्ति-नाश - “ राजिव नयन धरें धनु सायक। भगत बिपति भंजन सुखदायक।। ” २॰ संकट-नाश - “ जौं प्रभु दीन दयालु कहावा। आरति हरन बेद जसु गावा।। जपहिं नामु जन आरत भारी। मिटहिं कुसंकट होहि