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राशि –मंत्र

 

मेष राशि –

Ø ज्योतिर्लिंग मंत्र - ॐ रामेश्वराय नमः 

Ø राशी मंत्र –  ॐ नमः स्कन्दाय

Ø व्रत -

प्रतिपदा तिथि – ॐ विष्णवे नमः , ॐ सूर्याय नमः  

नवमी – ॐ रामाय नम 

Ø राशी- सूर्य एवं विष्णु मंत्र - ॐ घृणी अर्यमा आदित्य  ॐ विष्णवे नमः

Ø तृतीया-  ॐ रत्ये नम  

Ø एकादशी - ॐ अनगाय /कामदेवाय नमः

Ø * व्रत दान आदि हेतु

Ø - वैदिक माह वैशाख*

Ø प्रतिदिन मंत्र *

Ø गंधर्व  नारदाय नमः *राक्षस  प्रहेतये नमः *यक्ष  ऊर्जाये नमः

Ø *सर्प -कच्चानिराय नमः *अप्सरा - पुंजिकस्थलाये नमः

Ø * ऋषि - पुलह नमः * सूर्य-  अर्यमाये नमः

Ø  

 

वृषभ राशि –

Ø ज्योतिर्लिंग मंत्र – ॐ सोम् नाथाय नमः

Ø राशी मंत्र – ॐ गौर्ये नमः  *श्रीम नमः

Ø व्रत

प्रतिपदा तिथि – ॐ विष्णवे नमः , ॐ सूर्याय नमः 

नवमी – ॐ रामाय नम 

Ø राशी- सूर्य एवं विष्णु मंत्र - ॐ घृणी मित्र आदित्य  ॐ वासुदेवाय नमः

Ø तृतीया-  ॐ रत्ये नम  

Ø एकादशी - ॐ अनगाय /कामदेवाय नमः

  * व्रत दान आदि हेतु -  जेष्ठ महीना*

      प्रतिदिन मंत्र* गंधर्व  हा हा नमः

       *राक्षस-  पौरुषेय नमः * यक्ष - रथस्वानाय नमः *सर्प - तक्षकाय नमः

      *अप्सरा-  मेनकायै नमः * ऋषि-  अत्रियै नमः * सूर्य - मित्राय नमः

 

 

 

 

मिथुन –

Ø ज्योतिर्लिंग मंत्र – ॐ नागेश्व्रराय नमः

Ø राशी मंत्र – ॐ विष्णवे नमः   

Ø व्रत

अष्टमी- ॐ कृष्णाय नमः  अमावस्या – महा काल्यै नमः

Ø राशी - सूर्य एवं विष्णु मंत्र - ॐ घृणी वरुण आदित्य  ॐ केशवाय नमः

Ø चतुर्थी –ॐ गणपतये नम 

Ø पंचमी – श्रीम ह्रीं नम

Ø * व्रत दान आदि हेतु - वेदिक माह आशाढ* *

Ø प्रतिदिन मंत्र*

Ø गंधर्व -- हूहू नमः *राक्षस - शुकाय नमः * यक्ष - चित्ररसवानाय नमः

Ø  * सर्प - सहजन्ययै नमः *अप्सरा - रंभायै नमः

Ø *ऋषि-  वाशिष्ठाय नमः *अरुण-  सूर्याय नमः

Ø  

 

कर्क राशि –

Ø ज्योतिर्लिंग मंत्र – ॐ ओमकारेश्व्राय  नमः 

Ø राशी मंत्र – ॐ विष्णवे नमः ॐ गौर्यै नमः   

Ø व्रत

पंचमी –ॐ श्रीम नमः त्रयोदशी – ॐ ब्रह्स्पतये  नमः

Ø राशी - सूर्य एवं विष्णु मंत्र – ॐ घृणी इंद्र आदित्य  ॐ राधा कृष्णाय नमः|

Ø द्वितीया- ॐभुवनेश्वर्य्रै नम  

Ø दशमी – ॐ चामुंडाये नम   

Ø ** व्रत दान आदि हेतु - वैदिक माह  श्रवण नमः

Ø * प्रतिदिन मंत्र* 

Ø *गंधर्व  विश्वावसवे नमः * राक्षस  सर्यायै नमः *

Ø यक्ष  श्रोताय नमः *सर्प इला पुत्रय नमः * अप्सरा  परमिओचायै नमः *

Ø ऋषि  अंगिरसाय नमः *सूर्य  इन्द्राय नमः

 

 

 

 

 

सिंह राशि-

Ø ज्योतिर्लिंग मंत्र  ॐ धुश्नेश्व्राराय  नमः 

Ø राशी मंत्र – ॐ नमः शिवाय ॐ ब्रह्माय नमः

Ø व्रत

– पंचमी –ॐ श्रीम नमः  त्रयोदशी – ॐ ब्रह्स्पतये  नमः

Ø राशी - सूर्य एवं विष्णु मंत्र – ॐ घृणी विश्वस्वान आदित्य ॐ हरि हराय  बालमुकुंदाय नमः

Ø प्रतिपदा तिथि - ॐ विष्णवे नमः *सूर्याय नमः 

Ø नवमी – ॐ रामाय नम 

Ø राशि    वेदिक माह  भाद्रपद *

Ø प्रतिदिन मंत्र*

Ø *गंधर्व  उग्रसेनाय नमः *राक्षस  व्याघ्र नमः

Ø  *यक्ष  आसारण नमः * सर्प  शंखपालाय नमः

Ø *अप्सरा अनुमलोचायै नमः * ऋषि  भृगु नमः

Ø *  सूर्य विवस्वानाय नमः

 

      कन्या   -

Ø ज्योतिर्लिंग मंत्र  ॐ मल्लिकार्जुनाय नमः

Ø राशी मंत्र – ॐ विष्णवे नमः

Ø व्रत

तृतीया-  ॐ रत्ये नम    एकादशी - ॐ कामदेवाय नमः  

Ø राशी - सूर्य एवं विष्णु मंत्र –ॐ घृणी पूषा आदित्य ॐ ह्रीम पीताम्बराय परमात्मने नमः

Ø चतुर्थी –ॐ गणपतये नम  

Ø पंचमी – श्रीम ह्रीं नम

Ø * व्रत दान आदि हेतु - अश्वनी माह*

Ø * प्रतिदिन मंत्र*   गंधर्व सुरुचियै नमः * राक्षस धातायै नमः

Ø  * यक्ष सुषे नमः   *धनंजयाय स्वरप नमः * अप्सरा  घृताच्यै

Ø * ऋषि गौमाय नमः * आदित्य पूषायै नमः

 

 

 

    

 

 

 

 

तुला

Ø ज्योतिर्लिंग मंत्र  ॐ महाकालाय नमः

Ø राशी मंत्र – * ॐ गौर्ये नम * ॐ लक्ष्म्ये नमः     

Ø व्रत

षष्ठी –ॐ नागा राजाय नमः  चतुर्दशी – ॐ हिरणगर्भाय नम

Ø राशी - सूर्य एवं विष्णु मंत्र – ॐ घृणी पर्जन्य आदित्य  ओम श्री राम दशरथए नमः

Ø तृतीया-  ॐ रत्ये नम   

Ø एकादशी - ॐ अनगाय /कामदेवाय नमः 

Ø * व्रत दान आदि हेतु - कार्तिक माह

Ø * प्रतिदिन मंत्र*

Ø *वर्चायै गंधर्व *सर्प विश्वा राक्षस *सत्यजित्यै यक्ष

Ø *एरावताय सर्प * क्रतुर्वर्चायै अप्सरा

Ø *भारद्वाजाय  ऋषि *पर्जजन्याय सूर्य

Ø  

     व्रुश्चिक   -

Ø ज्योतिर्लिंग मंत्र  ॐ वैद्यनाथाय नमः

Ø राशी मंत्र – ॐ नमः स्कन्दाय   

Ø व्रत

षष्ठी –ॐ नागा राजाय नमः   चतुर्दशी – ॐ हिरणगर्भाय नम

Ø राशी - सूर्य एवं विष्णु मंत्र – ॐ घृणी अंशुमान आदित्य ॐ नारायणाय नमः ॐ नराय नमः

Ø तृतीया-  ॐ रत्ये नम   

Ø एकादशी - ॐ अनगाय /कामदेवाय नमः 

Ø  * व्रत दान आदि हेतु – ज्येष्ठ माह

Ø * प्रतिदिन मंत्र* 

Ø चित्रसेनाय गंधर्व *विद्युतचतुर्वे  राक्षस

Ø *तार्क्ष्य यक्ष* महाशंखाय सर्प*

Ø उर्वशयै अप्सरा *कश्यपाय ऋषि *अंशुमानाय  सूर्य

 

 

 

 

 

 

 

 

  धनु  -

Ø ज्योतिर्लिंग मंत्र  ॐ विश्वनाथाय नमः

Ø राशी मंत्र – ॐ साम्बशिवाय नमः    

Ø व्रत

चतुर्थी –ॐ गं गणपतये नमः  द्वादशी- ॐ विष्णवे नमः 

Ø राशी - सूर्य एवं विष्णु मंत्र – ॐ घृणी भग आदित्य ॐ ह्रीं श्रीम क्रीम धरण धराय नमः

Ø त्रयोदशी – ब्रह्स्पत्ये नम

Ø * व्रत दान आदि हेतु -  मृगशिरा माह *

Ø * प्रतिदिन मंत्र* 

Ø उरनाय गंधर्व *स्फूर्जायै राक्षस *आयु यक्ष

Ø *कर्कोटकाय सर्प *पूर्वा चित्त्यियै अप्सरा

Ø *अरिष्टनेमयै ऋषि * भगाय  सूर्य

Ø  

 

 

 

 

 

 

 

 

मकर   -

Ø ज्योतिर्लिंग मंत्र  भीमशंकराय नमः

Ø राशी मंत्र – ॐ नमो नारायणाय नमः 

Ø व्रत

द्वितीया- ॐभुवनेश्वर्य्रै नम  दशमी – ॐ चामुंडाये नम   

Ø राशी - सूर्य एवं विष्णु मंत्र – ॐ घृणि त्वष्टा आदित्य ॐ श्रीम वत्सलाय नमः

Ø * व्रत दान आदि हेतु - माघ  *

Ø * प्रतिदिन मंत्र*   

Ø धृतराष्ट्राय गंधर्व *रूचिकयै राक्षस *सत्यजितय  यक्ष

Ø  *कंबलाय सर्प * तिलोत्तमा अप्सरा

Ø *ब्रहमराटाय ऋषि *त्वष्टाय सूर्य

Ø  

 

Ø  

 

 

   

 

 

 

 

  कुम्भ –

Ø ज्योतिर्लिंग मंत्र  भीमशंकराय नमः

Ø राशी मंत्र – ॐ नमो नारायणाय नमः 

Ø व्रत

द्वितीया- ॐभुवनेश्वर्य्रै नम  दशमी – ॐ चामुंडाये नम   

Ø राशी - सूर्य एवं विष्णु मंत्र – ॐ घृणि त्वष्टा आदित्य ॐ श्रीम वत्सलाय नमः

Ø * व्रत दान आदि हेतु - फागुन *

Ø * प्रतिदिन मंत्र*

Ø सूर्यवर्चायै -गंधर्व *महाप्रेत नमः

Ø - राक्षस *सत्यजित्ये -यक्ष

Ø * अश्वतराय नमः

Ø --सर्प *रंभा नमः

Ø  -अप्सरा

Ø * विश्वामि नमः

Ø  -ऋषि   *विष्णवे नमः -सूर्य

Ø  

 

 

         मीन     

Ø ज्योतिर्लिंग ॐ त्रयम्बेकेश्वराय नमः

Ø राशी मंत्र – ॐ साम्ब शिवाय  

Ø व्रत

Ø व्रत-सप्तमी- ॐ सूर्याय नमः  पूर्णिमा- हरी ॐ तत्सत / ॐ जगन्नाथाय नमः

Ø राशी - सूर्य एवं विष्णु मंत्र – ओम घृणि धाता आदित्य  ॐ क्रीम रथांग चक्राय नमः    

** व्रत दान आदि हेतु - चैत्र माह *

प्रतिदिन मंत्र*

तुम्बुर्वे - गंधर्व *हेती - राक्षस *रथ कृति - यक्ष

 *वासुकयै -सर्प क्रितास्टालि -अप्सरा

 *पुलस्त्य -ऋषि *धातायै -सूर्य

 

 

 

 

 

 

 

1

Ø बाधा शमन पुत्र आनन्द सर्व सुख के लिए जब मघा नक्षत्र हो

मंत्र- पितृभेय  नमः पढ़े।

दान - तेल भरा बर्तन।

Ø विजय के लिए - जब पूर्वफाल्गुनी नक्षत्र हो

मंत्र- पूषायै नमः पढ़े।

दान एवं उपवास- मक्खन मिश्रित पदार्थ।

Ø सौभाग्य / विवाह व संपदा के लिए- जब उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र हो

मंत्र -पूषायै नमः पढ़े।

दान करे - भांग ।

Ø यश प्रसिद्धि प्राप्त-

सूर्य को पुष्प अर्पण एवं खखोल्काय नमः

                                  दान करे - घृत और दुग्ध युक्त साठी के चावल से बने भात दानं करे।

 

2

Ø धन संपदा के लिये उपाय जब हस्त नक्षत्र हो तो

मंत्र - सवित्रे  नम  वासुदेवाये नम

दाने करें - गंध पुष्प एवं ध्वजा पताका

3

Ø यश वृधि शक्ति एवं क्षमता वृधि के लिये उपाय जब स्वाति- नक्षत्र हो तो मत्र पढे –

मंत्र - वायवे नमः

दाने करें - प्रिय वस्तु का दान

Ø धन एवं सुख के लिये उपाय जब विषाखा नक्षत्र हो तो

मंत्र - इंद्राग्न्यिै नमः

 

 

4

Ø पूर्ण सुख  लक्ष्मी एवं आयु वृधि लिये उपाय जब अनुराधा नक्षत्र हो तो मंत्र पढे

मंत्र - मित्रदेवाय नमः

दाने करें - लाल पुष्प ओढ़ने का वस्त्र और अन्न्।

Ø ज्येष्ठा नक्षत्र हो तो मंत्र पढ़े

मंत्र - इंद्राय नमः

दान करें- शाक और मूली

5

 

Ø पितरों को तृप्त एवं मनोकामना पूर्ण सर्व सुख एवं कल्यण के लिये उपाय जब मूल नक्षत्र हो तो मंत्र पढ़े मंत्र - सर्वदेवेभ्य नम

मंत्र - सर्वपितृभ्ये नमः

दान करें - मूल-फल

Ø उच्च कुल में जन्म एवं चिंता कष्ट के लिये उपाय जब पूषा नक्षत्र हो तो मंत्र

मंत्र - अपदेवाय नमः और मंत्र से 11 आहूति दे

दान करें - दही भरा पात्र

 

 

 

 

 

 

 

 

6

Ø उपलब्धि प्राप्ति के लिये उपाय  जब उषा नक्षत्र हो तो मंत्र पढ़े

मंत्र -  नमः अद्भ्यो नम

Ø अर्पण करें पुष्प  श्वेत नीले पीले वस्तु घी और मक्खन   

दान करें - मानोवांछित भोग

Ø धन के लिये उपाय  जब श्रवण नक्षत्र हो तो मंत्र पढ़े –

मंत्र - विष्णवे नमः और पुष्प अर्पण करें

दान करें - मधु घी युक्त दूध ।

Ø यश/कीर्ति/ भय चिंता एवं मुक्त के लिए उपाय  जब घनिष्ठा नक्षत्र हो तो मंत्र पढ़े

मंत्र - वसुकये नमः गंध पुष्प अर्पण

दान करें - वस्त्र कंबल

7

Ø दीर्घायु  के लिए उपाय अनुराधा नक्षत्र के दिन या समय 

मंत्र पढ़े -ॐ मित्राय नमः

दान करें - इष्ट देवी -देव  को अर्पित करे- हवन- हवन-घी/ तिल/जो/चावल 

दान करे &घी 

खाए- फल नाश्ते में या घर से निकलते समय खाएं

 

Ø परिवार सुख के लिए उपाय  उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र के दिन या समय  -

 मंत्र पढ़े -ॐ अर्यमने नमः

 इष्ट देवी -देव  को अर्पित करे- सूर्य को जल अर्पण करे 

दान करे &अन्न / भोजन

 

*नाश्ते में या घर से निकलते समय खाएं  दही खिचड़ी

Ø सर्व इच्छा पूर्ति: के लिए उपाय उत्तराषाढ़ नक्षत्र के दिन या समय 

मंत्र पढ़े -ॐ अद्भ्यो नमः इष्ट देवी -देव  को अर्पित करे- पुष्प

दान करे &  भोजन सामग्री 

खाए- नाश्ते में या घर से निकलते समय खाएं  &  मूंग /खीर

स्वास्थ्य: के लिए उपाय  शतभिषा नक्षत्र के दिन या समय 

 मंत्र पढ़े &ॐ वरुणाय नमः  

इष्ट देवी -देव  को अर्पित करे- भोजन पात्र

दान करे &बर्तन  

नाश्ते में या घर से निकलते समय खाएं  & जो

8

Ø भोग विलास  समृद्धि  रोग नाष एवं कष्ट नाष के लिये उपायजब अश्वनि नक्षत्र हो तो

मंत्र पढ़े  - अश्वन्यै नमः  और लाल पुष्प अर्पण

9

Ø दुर्घटनासे सुरक्षा के लिए उपाय  भरणी नक्षत्र के दिन या समय 

मंत्र पढ़े -ॐ यमाय नमः

इष्ट देवी -देव  को अर्पित करे -कपूर  -दूध

दान करे - दूध

नाश्ते में या घर से निकलते समय खाएं -तिल

Ø विष या फ़ूड पायजन रक्षा के लिएश्लेषा नक्षत्र के दिन या समय

मंत्र पढ़े -ॐ सर्पेभ्यो नमः

 इष्ट देवी -देव  को अर्पित करे- दूध  

दान करे - गाय /बकरी

नाश्ते में या घर से निकलते समय खाएं – दही खिचड़ी

Ø यश/सफलता: के लिए उपाय  ज्येष्ठा नक्षत्र के दिन या सम

Ø  

Ø  

Ø  

Ø 10

 

Ø संकट मुक्ति  ज्ञान एवं आरोग्य के लिये उपाय जब रोहणी नक्षत्र हो तो

 

मंत्र -चंद्राय नमः और खीर अर्पण करें

दान करें- फल अन्न घी तथा पीने येग्य पदार्थ

मंत्र पढ़े -ॐ इन्द्राय नमः

इष्ट देवी -देव  को अर्पित करे- तिल

दान करे -तिल

नाश्ते में या घर से निकलते समय खाएं उरद / मांस

Ø प्रभाव सफलता विजय: के लिए उपाय रेवती नक्षत्र के दिन या समय

मंत्र पढ़े ॐ पूष्णे नमः

इष्ट देवी -देव  को अर्पित करे- श्वेत पुष्प

दान करे - बैल

नाश्ते में या घर से निकलते समय खाएं खिचड़ी

 

 

 

11

 

Ø रोग नाश के लिए उपाय  अश्वनी नक्षत्र के दिन या समय

मंत्र पढ़े -ॐ अश्वनी कुमारभ्यो नमः 

इष्ट देवी -देव  को अर्पित करे   -दीपक 

दान करे -भोजन 

नाश्ते में या घर से निकलते समय खाएं -उड़द  

Ø सुरक्षा के लिए उपाय पुनर्वसु नक्षत्र के दिन या समय   

मंत्र पढ़े -ॐ आदित्याय नमः

 -इष्ट देवी -देव  को अर्पित करे- दीपक प्रज्वलित करे 

दान'करे पीतल .पीले पुष्प

नाश्ते में या घर से निकलते समय -दूध

विजय: के लिए उपाय पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के दिन या समय

 मंत्र पढ़े- ॐ अजैकपदे नमः

इष्ट देवी -देव  को अर्पित करे- प्रकाश

दान करे- भोजन

नाश्ते में या घर से निकलते समय खाएं मछली चावल

 

 

 

 

 

12

Ø उत्तम कुल भय से मुक्ति विष एवं सर्प से सुरक्षा के लिये उपाय  जब अशलेषा नक्षत्र हो तो सर्पाय नमः  मंत्र पढ़े - सर्प और शिव जी पर दूध अर्पण करें

दान करें - चांदी अथवा बैल का

 

 

 

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28 सितंबर गणेश विसर्जन मुहूर्त आवश्यक मन्त्र एवं विधि किसी भी कार्य को पूर्णता प्रदान करने के लिए जिस प्रकार उसका प्रारंभ किया जाता है समापन भी किया जाना उद्देश्य होता है। गणेश जी की स्थापना पार्थिव पार्थिव (मिटटीएवं जल   तत्व निर्मित)     स्वरूप में करने के पश्चात दिनांक 23 को उस पार्थिव स्वरूप का विसर्जन किया जाना ज्योतिष के आधार पर सुयोग है। किसी कार्य करने के पश्चात उसके परिणाम शुभ , सुखद , हर्षद एवं सफलता प्रदायक हो यह एक सामान्य उद्देश्य होता है।किसी भी प्रकार की बाधा व्यवधान या अनिश्ट ना हो। ज्योतिष के आधार पर लग्न को श्रेष्ठता प्रदान की गई है | होरा मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ माना गया है।     गणेश जी का संबंध बुधवार दिन अथवा बुद्धि से ज्ञान से जुड़ा हुआ है। विद्यार्थियों प्रतियोगियों एवं बुद्धि एवं ज्ञान में रूचि है , ऐसे लोगों के लिए बुध की होरा श्रेष्ठ होगी तथा उच्च पद , गरिमा , गुरुता , बड़प्पन , ज्ञान , निर्णय दक्षता में वृद्धि के लिए गुरु की हो रहा श्रेष्ठ होगी | इसके साथ ही जल में विसर्जन कार्य होता है अतः चंद्र की होरा सामान्य रूप से सभी मंगल कार्यों क

गणेश भगवान - पूजा मंत्र, आरती एवं विधि

सिद्धिविनायक विघ्नेश्वर गणेश भगवान की आरती। आरती  जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।  माता जा की पार्वती ,पिता महादेवा । एकदंत दयावंत चार भुजा धारी।   मस्तक सिंदूर सोहे मूसे की सवारी | जय गणेश जय गणेश देवा।  अंधन को आँख  देत, कोढ़िन को काया । बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया । जय गणेश जय गणेश देवा।   हार चढ़े फूल चढ़े ओर चढ़े मेवा । लड्डूअन का  भोग लगे संत करें सेवा।   जय गणेश जय गणेश देवा।   दीनन की लाज रखो ,शम्भू पत्र वारो।   मनोरथ को पूरा करो।  जाए बलिहारी।   जय गणेश जय गणेश देवा। आहुति मंत्र -  ॐ अंगारकाय नमः श्री 108 आहूतियां देना विशेष शुभ होता है इसमें शुद्ध घी ही दुर्वा एवं काले तिल का विशेष महत्व है। अग्नि पुराण के अनुसार गायत्री-      मंत्र ओम महोत काय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो दंती प्रचोदयात्। गणेश पूजन की सामग्री एक चौकिया पाटे  का प्रयोग करें । लाल वस्त्र या नारंगी वस्त्र उसपर बिछाएं। चावलों से 8पत्ती वाला कमल पुष्प स्वरूप बनाएं। गणेश पूजा में नारंगी एवं लाल रंग के वस्त्र वस्तुओं का विशेष महत्व है। लाल पुष्प अक्षत रोली कलावा या मौली दूध द

श्राद्ध रहस्य - श्राद्ध क्यों करे ? कब श्राद्ध नहीं करे ? पिंड रहित श्राद्ध ?

श्राद्ध रहस्य - क्यों करे , न करे ? पिंड रहित , महालय ? किसी भी कर्म का पूर्ण फल विधि सहित करने पर ही मिलता है | * श्राद्ध में गाय का ही दूध प्रयोग करे |( विष्णु पुराण ) | श्राद्ध भोजन में तिल अवश्य प्रयोग करे | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि - श्राद्ध अपरिहार्य - अश्वनी माह के कृष्ण पक्ष तक पितर अत्यंत अपेक्षा से कष्ट की   स्थिति में जल , तिल की अपनी संतान से , प्रतिदिन आशा रखते है | अन्यथा दुखी होकर श्राप देकर चले जाते हैं | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि इसको नहीं करने से पीढ़ी दर पीढ़ी संतान मंद बुद्धि , दिव्यांगता .मानसिक रोग होते है | हेमाद्रि ग्रन्थ - आषाढ़ माह पूर्णिमा से /कन्या के सूर्य के समय एक दिन भी श्राद्ध कोई करता है तो , पितर एक वर्ष तक संतुष्ट/तृप्त रहते हैं | ( भद्र कृष्ण दूज को भरणी नक्षत्र , तृतीया को कृत्तिका नक्षत्र   या षष्ठी को रोहणी नक्षत्र या व्यतिपात मंगलवार को हो ये पिता को प्रिय योग है इस दिन व्रत , सूर्य पूजा , गौ दान गौ -दान श्रेष्ठ | - श्राद्ध का गया तुल्य फल- पितृपक्ष में मघा सूर्य की अष्टमी य त्रयोदशी को मघा नक्षत्र पर चंद्र हो | - क

विवाह बाधा और परीक्षा में सफलता के लिए दुर्गा पूजा

विवाह में विलंब विवाह के लिए कात्यायनी पूजन । 10 oct - 18 oct विवाह में विलंब - षष्ठी - कात्यायनी पूजन । वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए - दुर्गतिहारणी मां कात्यायनी की शरण लीजिये | प्रतिपदा के दिन कलश स्थापना के समय , संकल्प में अपना नाम गोत्र स्थान बोलने के पश्चात् अपने विवाह की याचना , प्रार्थना कीजिये | वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए प्रति दिन प्रातः सूर्योदय से प्रथम घंटे में या दोपहर ११ . ४० से १२ . ४० बजे के मध्य , कात्ययानी देवी का मन्त्र जाप करिये | १०८बार | उत्तर दिशा में मुँह हो , लाल वस्त्र हो जाप के समय | दीपक मौली या कलावे की वर्तिका हो | वर्तिका उत्तर दिशा की और हो | गाय का शुद्ध घी श्रेष्ठ अथवा तिल ( बाधा नाशक + महुआ ( सौभाग्य ) तैल मिला कर प्रयोग करे मां भागवती की कृपा से पूर्वजन्म जनितआपके दुर्योग एवं   व्यवधान समाप्त हो एवं   आपकी मनोकामना पूरी हो ऐसी शुभ कामना सहित || षष्ठी के दिन विशेष रूप से कात्यायनी के मन्त्र का २८ आहुति / १०८ आहुति हवन करिये | चंद्रहासोज्

कलश पर नारियल रखने की शास्त्रोक्त विधि क्या है जानिए

हमे श्रद्धा विश्वास समर्पित प्रयास करने के बाद भी वांछित परिणाम नहीं मिलते हैं , क्योकि हिन्दू धर्म श्रेष्ठ कोटी का विज्ञान सम्मत है ।इसकी प्रक्रिया , विधि या तकनीक का पालन अनुसरण परमावश्यक है । नारियल का अधिकाधिक प्रयोग पुजा अर्चना मे होता है।नारियल रखने की विधि सुविधा की दृष्टि से प्रचलित होगई॥ मेरे ज्ञान  मे कलश मे उल्टा सीधा नारियल फसाकर रखने की विधि का प्रमाण अब तक नहीं आया | यदि कोई सुविज्ञ जानकारी रखते हो तो स्वागत है । नारियल को मोटा भाग पूजा करने वाले की ओर होना चाहिए। कलश पर नारियल रखने की प्रमाणिक विधि क्या है ? अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए , उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै प्राची मुखं वित्त्नाश्नाय , तस्माच्छुभम सम्मुख नारिकेलम अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए कलश पर - नारियल का बड़ा हिस्सा नीचे मुख कर रखा जाए ( पतला हिस्सा पूछ वाला कलश के उपरी भाग पर रखा जाए ) तो उसे शत्रुओं की वृद्धि होती है * ( कार्य सफलता में बाधाएं आती है संघर्ष , अपयश , चिंता , हानि , सहज हैशत्रु या विरोधी तन , मन धन सर्व दृष्टि से घातक होते है ) उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै कलश पर -