जानिये किस मास में
कौनसे देव की पूजा होती है विशेष फलदायी |
मासा अनुसार देवपूजन
: Worship of God as per
month
★ माघ मास में सूर्य पूजन(surya puja) का विशेष विधान है | भविष्य पुराण आदि में वर्णन आता है | आरोग्यप्राप्ति हेतु बोले, माघ मास आया तो
सूर्य उपासना करों |
★ फाल्गुन मास आया तो होली (holi
puja) का पूजनकिया जाता है.. बच्चों की सुरक्षा हेतु |
★ चैत्र मास आता है चैत्र मास में ब्रम्हा(brahma ji ki puja), दिक्पाल आदि का पूजन कियाजाता है ताकि वर्षभर हमारे घर में सुख-शांति रहें |
★ वैशाख मास भगवान माधव (krishna
puja)का पूजन किया जाता है ताकि, मरने के बाद वैकुंठलोक की प्राप्ति हो | ॐ नमो भगवते वासुदेवाय… |
★ जेष्ठ मास में यमराज (yamraj
ki puja)की पूजा की जाती है ताकि, वटसावित्री का व्रत
सुहागन देवियाँ करती है | यमराज की पूजा की जाती है ताकि, सौभाग्य की प्राप्ति हो, दुर्भाग्य दूर हो |
★ श्रावण मास में दीर्घायु की प्राप्ति हो,
श्रावण मास में शिवजी(shiv
ji ki puja) की पूजाकी जाती है | अकाल मृत्यु हरणं सर्व व्याधि
विनाशनम् |
इसे भी पढ़े :मनोकामना पूर्ति के 80 शास्त्रीय उपाय | Manokamna
Purti ke Upay
★ भाद्रपद मास में गणपति की पूजा (ganpati ji ki pooja)करते है की, निर्विध्नता की प्राप्ति हेतु |
★ आश्विन मास के कृष्ण पक्ष में फिर पितृ पूजन(pitru pooja) करते है की, वंश वृद्धि हेतु | और अश्विन मास के शुक्ल पक्ष में माँ दुर्गा(durga puja) की पूजा होती है की, शत्रुओं पर विजय प्राप्ति हेतु नवरात्रियों में |
★ कार्तिक मास में लक्ष्मी पूजा (laxmi pooja)की जाती है, सम्पति बढ़ाने हेतु
|
★ मार्गशीर्ष मास में विश्वदेवताओं का पूजन किया जाता
है कि जो गुजर गये उनके आत्मा शांति हेतु ताकि उनको शांति मिले | जीवनकाल में तो
बिचारेशांति न लें पाये और चीजों में उनकी शांति दिखती रही पर मिली नहीं | तो मार्गशीर्ष मास
में विश्व देवताओं के पूजन करते है भटकते जीवों के सद्गति हेतु |
★ आषाढ़ मास में गुरुदेव (guru
pooja)का पूजन करते है अपने कल्याण हेतु और गुरुदेव कापूजन करते है तो फिर
बाकी सब देवी-देवताओं की पूजा से जो फल मिलता है वोफल सद्गुरु की पूजा से भी
प्राप्त ही सकता है, शिष्य की भावना पक्की हो की – सर्वदेवो मयो गुरु | सभी देवों का वास
मेरे गुरुदेव में हैं | तोअन्य देवताओं की पूजा से अलग-अलग मास में अलग-अलग देव की पूजा से
अलग-अलग फल मिलता है पर उसमें द्वैत बना रहता है और फल जो मिलता है वो छुपने वाला
होता है | पर गुरुदेव की पूजा-उपासना से ये फल भी मिल जाते है और
धीरे-धीरे द्वैत मिटता जाता है | अद्वैत में स्थिति
होती जाती है |
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें