ग्रह अनिष्ट फल के उपाय
सात प्रमुख ग्रह हैं,जिनका जीवन में
समन्वित रूप से जीवित एवं प्राणहीन वास्तु पर भी प्रभाव होता है |ग्रहों के कारण
ही अमूल्य रत्न/ पत्थर भी भिविन्न रंग रूप के होते हैं | दिन विशेष परग्र
विशेष का स्वामित्व एवं प्रभाव होता है | आर्ष ऋषियों ने
ग्रह के शुभ फल
प्राप्त एवं अशुभ अनिष्ट फल कम करने के लिए उपाय सृजित किये |यह उपाय व्यक्ति या धर्म परक नहीं ,वरन उच्च कोटि के “अन्तरिक्ष एवं स्वर” ज्ञान-विज्ञान
पर आधारित हैं -
प्रात: 05 मिनट ये
उपाय करने से अनिष्ट प्रभाव में कमी एवं सफलता में वृद्धि होती है|
रविवार -
सुख,सौभाग्य वृद्धिके लिए –
स्नान जल मे कनेर पुष्प ,केसर,खस,इलायची
मिला कर स्नान करे |
-सूर्य देव को जल अर्पण करे |
मंत्र -खखोलकाय नमः |
- बाधा
मुक्ति के लिए दान-
गुड,लाल,वस्त्र,पुष्पतांबा नारंगी वस्तु,लाल चन्दन कनेर लाल पुष्प |
दान -लाल गाय ,सूर्य मंदिर10 वर्ष तक के बच्चे,विष्णु,कृष्ण मंदिर मे दे सकते है||
3- दिन दोष आपत्ति निराककरण के
लिए घर से प्रस्थान पूर्व क्या खाएं–
(What
to take Before
Departure from Home for
Redressal of Day Blame Objection -)
–रसाल,आम,घी,पान मे से कोई भी पदार्थ |
सफलता के लिए –
आज के मंत्र-
सूर्य देव का गायत्री पंचपाद मंत्र-
ओम सप्त तुरंगाय विद्महे सहस्त्र किरणाय धीमहि
तन्नो सूर्यः प्रचोदयात् ।|आपो ज्योति रस अमृतम |परो रजसे सावादोंम |
प्रत्येक
गायत्री मन्त्र के बाद अवश्य पठनीय -
आपो ज्योति रस अमृतम | परो
रजसे सावदोम |
सूर्य गायत्री
मन्त्र -
1 सूर्य ॐ भूर्भुवः स्वः तत
सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ॥ आपो ज्योति रस अमृतम | परो रजसे सावदोम |
2 ॐ आदित्याय विद्महे सहस्रकिरणाय धीमहि
तन्नो भानुः प्रचोदयात् ॥
3 ॐ प्रभाकराय विद्महे दिवाकराय धीमहि
तन्नः सूर्यः प्रचोदयात् ॥
4 ॐ अश्वध्वजाय विद्महे पाशहस्ताय धीमहि
तन्नः सूर्यः प्रचोदयात् ॥
5 ॐ भास्कराय विद्महे महद्द्युतिकराय
धीमहि तन्न आदित्यः प्रचोदयात् ॥
6 ॐ आदित्याय विद्महे सहस्रकराय धीमहि
तन्नः सूर्यः प्रचोदयात् ॥
7 ॐ भास्कराय विद्महे महातेजाय धीमहि
तन्नः सूर्यः प्रचोदयात् ॥
8 ॐ भास्कराय विद्महे महाद्द्युतिकराय
धीमहि तन्नः सूर्यः प्रचोदयात् ॥
ॐ
ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः ॥
जैन मंत्र-
’ ऊँ ह्रीं
अर्हं सूर्य ग्रहारिष्ट निवारक।
श्री पद्म प्रभु जिनेन्द्राय नमः सर्वशांतिं कुरू कुरू
स्वाहा।
मम (अपना नाम) दुष्टग्रहरोगकष्टनिवारणं सर्वशांतिं कुरू कुरू हूँ फट्
स्वाहा।
1- ग्रहाणामाआदिरात्यो
लोकरक्षणकारक:।
विषमस्थानसम्भूतां पीडां हरतु मे रवि: ।।
ग्रहों में
प्रथम परिगणितअदिति के पुत्र तथा विश्व की रक्षा करने वाले,
भगवान सूर्य विषम स्थानजनित मेरी पीड़ा का हरण
करें ।। ब्रह्माण्डपुराण
2- ॐ आ कृष्णेन
रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यं च। हिरण्ययेन सविता रथेना देवो याति भुवनानि
पश्यन् (यजु. 33। 4334। 31)
शाबर मन्त्र – (श्रद्धा आवश्यकशुद्धता
सामान्य)
ll ओम गुरूजी दीत दीत महादीत।दूत सिमरू दसो द्वार। घट मे राखे घेघट
पार तो गुरू पावूं दीतवार। दीतवार कश्यप गोत्र,रक्त वर्ण जाप
सात हजार कलिंग देश मध्य स्थान वर्तुलाकार मंडल १२ अंगुल सिंह राशि के गुरू को
नमस्कार।सत फिरे तो वाचा फिरे,पीन फूल वासना सिंहासनधरेतो
इतरो काम दीतवार जी महाराज करेओम फट् स्वाहा
__________________________________________________________
सोमवार -अनिष्ट
नाशक एवं सफलता के उपाय-
-
आरोग्य सुख,सौभाग्य वृद्धि के लिए –
1-स्नान जल मे नदी या तीर्थ जल,पंचगव्य ,
दूध सफेद चंदन ,गोमूत्र,मिला कर स्नान करे ||
2--बाधा मुक्ति
के लिए दान-
दान –चावल,श्वेत पुष्प।जल दान –किसी भी कन्या
को या सफ़ेद गाय,शिव मंदिर मे करे |
-3- दिन दोष आपत्ति निराकरण के
लिएघर से प्रस्थान पूर्व क्या खाएं–
(What to take Before
Departure from Home for Redressal of Day Blame Objection -)
खीरया दूध चावल ,दूध |
4-दिन दोष उपाय- दर्पण मे मिरर मे मुह देख कर प्रस्थान
करे |
सफलता
के लिए
–
आज केमंत्र-
चंद्र देव एवं शिव की
पूजा करे |
मंत्र -ॐ चंद्रमसे नमः |
चन्द्र्देव का
गायत्री मंत्र-
ओमअमृतअंगायविद्महेकलारूपायधीमहितन्नोसोमःप्रचोद्यात्।|
(गायत्री मन्त्र पश्चात् गृहस्थ को आवश्यक है बोलना
-)
आपो ज्योति रस अमृतम |परो रजसे
सावदोम |
1चन्द्र ॐ क्षीरपुत्राय विद्महे महाकालाय
धीमहि तन्नश्चन्द्रः प्रचोदयात् ॥
2ॐ
क्षीरपुत्राय विद्महे अमृतत्वाय धीमहि तन्नश्चन्द्रः प्रचोदयात् ॥
3 ॐ निशाकराय विद्महे कलानाथाय धीमहि तन्नः सोमः प्रचोदयात् ॥
जैन धर्म का मंत्र-
ऊँ
नमोर्हते भवते श्रीमते चन्द्रप्रभु तीर्थंकराय
विजय
यक्षज्वाला-मालिनीयक्षीसहिताय
ऊँ आं क्रौं ह्रीं ह्यः
सोममहाग्रह! ममदुष्टग्रहरोगकष्टनिवारणं
सर्वशांतिं
कुरू कुरू हूँ फट् स्वाहा।
ॐ
ह्रीं सोमग्रह अरिष्टनिवारक-श्री चन्द्र प्रभु जिनेन्द्राय नम:
सर्वशांतिं
कुरुकुरु स्वाहा।मम (अपना नाम ) दुष्ट
ग्रह रोग कष्ट
निवारणं सर्व शांतिं कुरू कुरू हूँ फट्
स्वाहा।
Bestचंद्रमा-सोमवार(ब्रह्माण्डपुराण)
रोहिणीश: सुधामूर्ति: सुधागात्र: सुधाशन:।
विषमस्थानसम्भूतां पीडां हरतु मे विधु:
अर्थ-दक्ष कन्या रूपा देवी रोहिणी के स्वामीअमृतमय स्वरूप
वालेअमतरूपी शरीर वाले तथा अमृत का पान कराने वाले चंद्रदेव
विषम स्थानजनित मेरी पीड़ादूर करें ।।
चन्द्र- ॐ इमं देवा
असपत्नं सुवध्यं महते क्षत्राय महते ज्यैष्ठ्याय महते
जानराज्यायेन्द्रस्येन्द्रियाय। इमममुष्य पुत्रममुष्ये पुत्रमस्यै विश एष वोऽमी
राजा सोमोऽस्माकं ब्राह्मणानां राजा।।(यजु. 10। 18)
___________________________________________________________________________
मंगलवार उपाय
1-सुख,सौभाग्य वृद्धि के लिए –
जटामांसी ,मौलश्री लाल पुष्पजल मे मिला कर स्नान करे ||
2-दान-गुड,मसूरतांबा ,लाल चन्दन युवा पुरुष,
रक्षक,कनेर लाल पुष्प |
3-दान किसे दे – युवा अवश्यक -लाल बैल,युवा लड़का,कष्ट्रीय,
सुरक्षा कर्मी,चौकीदार को दे||
4- 3- दिन दोष
आपत्ति निराककरण के लिएघर से प्रस्थान पूर्व क्या खाएं–
(What
to take Before
Departure from Home for
Redressal of Day Blame Objection -)
––कांजी |
मंगल ग्रह गायत्री मंत्र पंचपाद-
(गायत्री मन्त्र पश्चात् गृहस्थ को आवश्यक है बोलना
-)
आपो ज्योति रस अमृतम |परो रजसे
सावदोम |
1 अङ्गारक, भौम, मङ्गल, कुज
ॐ वीरध्वजाय विद्महे विघ्नहस्ताय धीमहि तन्नो भौमः प्रचोदयात् ॥
2 ॐ अङ्गारकाय विद्महे भूमिपालाय धीमहि तन्नः कुजः प्रचोदयात् ॥
3
ॐ चित्रिपुत्राय विद्महे लोहिताङ्गाय
धीमहि तन्नो भौमः प्रचोदयात् ॥
4 ॐ अङ्गारकाय विद्महे शक्तिहस्ताय धीमहि तन्नो भौमः प्रचोदयात्
॥
ओम अंगारकाय विद्महे
शक्ति हस्ताय धीमहि तन्नो भौम्य प्रचोदयात्
आपो ज्योति रसोंमृतम ,परो रजसे
सावदोम |
केतु
ॐ
अश्वध्वजाय विद्महे शूलहस्ताय धीमहि तन्नः केतुः प्रचोदयात् ॥
ॐ
चित्रवर्णाय विद्महे सर्परूपाय धीमहि तन्नः केतुः प्रचोदयात् ॥
ॐ
गदाहस्ताय विद्महे अमृतेशाय धीमहि तन्नः केतुः प्रचोदयात् ॥
ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः|
जैन धर्म मंत्र-
ॐ ह्रीं णमो सिद्धाणं ।
ॐ ह्रीं मंगल ग्रहारिष्ट निवारक श्री वासु
पूज्यजिनेन्द्राय नम।
सर्व शांतिं कुरु कुरु स्वाहा।
मम (..अपना नाम ) दुष्ट
ग्रह रोग कष्ट निवारणं सर्व शांतिं कुरू कुरू हूँ फट् स्वाहा।
मंगल––शीघ्र फलदायी
भूमिपुत्रो
महातेजा जगतां भयकृत् सदा।
वृष्टि कृद्
वृष्टि हर्ता च पीडां हरतु में कुज: ।।
अर्थ-भूमि के
पुत्र महान् तेजस्वी ,जगत् को भय प्रदान करने वाले, वृष्टि करने वाले
तथा वृष्टि
का हरण करने वाले मंगल (ग्रहजन्य) मेरी पीड़ा
का हरण करें ।। ब्रह्माण्डपुराण
वेद मन्त्र भौम-
ॐ
अग्निमूर्धा दिव: ककुत्पति: पृथिव्या अयम्।
अपां रेतां सि जिन्वति।। (यजु. 3।12)
शाबर मन्त्र –
(श्रद्धा आवश्यकशुद्धता सामान्य)
ll ओम गुरूजी मंगलवार मन कर बन्दा,जन्ममरण का
कट जावे फन्दा।
जन्म मरण का भागे कार,तो गुरू पावूं मंगलवार। मंगलवार भारद्वाज गोत्र,रक्त वर्ण दस हजार जाप अवन्तिदेश।दक्षिण स्थान त्रिकोण मंडल तीन अंगुल,वृश्चिक मेष राशि के गुरू को नमस्कार।सत फिरे तो वाचा फिरे।पान फूल वासना
सिंहासन धरै।तो इतरो काम मंगलवार जी महाराज करे। ओम फट् स्वाहा ll
________________________________________________________
बुधवार –अनिष्ट नाशक एवं सफलता के उपाय-
सौभाग्य वृद्धिके लिए
1-स्नान जल मे नदी या तीर्थ जल,चावल,मोती शहद,
जायफल ,पिपरामुल ,नदी या तीर्थ जल;मिलाकर स्नान करे ||
2- बाधा मुक्ति के लिए दान- मूंग ,हरा वस्त्र ,हरीचूड़ी,पालक ,फल कपूर|
दान -कन्या,व्यापारीकिन्नरको दे |
3- दिन
दोष आपत्ति निराककरण के लिएघर से प्रस्थान पूर्व क्या खाएं–
(What to
take Before Departure from Home for
Redressal of Day Blame Objection -)
मूंग ,तिल,धनिया ,दूध मे से कोई पदार्थ || जिनका बुध अनुकूल हो वे दही Curd अवश्य ले सकते हैं |
तनाव ,परेशानी रोकने एवं सफलता के लिए मंत्र-
बुध ग्रह का गायत्री मंत्र-
(गायत्री मन्त्र पश्चात् गृहस्थ को आवश्यक है बोलना
-)
आपो ज्योति रस अमृतम | परो रजसे
सावदोम |
ओम
सौम्यरूपाय विद्महे बाणेशाय धीमहि
तन्नो
बुध प्रचोदयात् ।|आपो
ज्योति रस अमृतम |परो रजसे साव दोम |
1 बुध ॐ गजध्वजाय विद्महे सुखहस्ताय धीमहि
तन्नो बुधः प्रचोदयात् ॥
2
ॐ चन्द्रपुत्राय विद्महे रोहिणी प्रियाय
धीमहि तन्नो बुधः प्रचोदयात् ॥
3
ॐ सौम्यरूपाय विद्महे वाणेशाय धीमहि
तन्नो बुधः प्रचोदयात्
ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः ॥
जैन धर्म मंत्र-
श्री विमलनाथ या श्री मल्लिनाथ भगवान का स्मरण करे-
ॐ ह्रीं णमो उवज्झायाणं |
ॐ ह्रीं बुधग्रह अरिष्टनिवारक-श्री मल्लिनाथजिनेन्द्राय नम:
सर्वशांतिं कुरुकुरु स्वाहा।
मम (.अपना नाम.) दुष्टग्रहरोगकष्टनिवारणं
सर्वशांतिं कुरू कुरू हूँ फट् स्वाहा।
बुध
–बुधवार
अशुभ ग्रह
से सुरक्षा का मंत्र - ब्रह्माण्डपुराणोक्त
उत्पातरूपो
जगतां चन्द्रपुत्रो महाद्युति:।
सूर्यप्रियकरो
विद्वान् पीडां हरतु मे बुध:
।।
जगत्
में उत्पात करने वालेमहान द्युति से संपन्नसूर्य का प्रिय करने वाले
विद्वान
तथा चन्द्रमा के पुत्र बुध मेरी पीड़ा का निवारण करें ।। ब्रह्माण्डपुराण
बुध- ॐ
उद्बुध्यस्वाग्ने प्रति जागृहि त्वमिष्टापूर्ते सं सृजेधामयं च। अस्मिन्त्सधस्थे
अध्युत्तरस्मिन् विश्वे देवा यशमानश्च सीदत।। (यजु.
15।54)
शाबर मन्त्र –
(श्रद्धा आवश्यकशुद्धता सामान्य)
ll ओम गुरूजीबुधवार बुध लेकर जूंझे।पॉंच पचीस ले घट में चढ़े। निसाण
घुरावे।आवागमन मेंकदे नआवे।।बुध करो शुद्ध,घर सगत पाणी भरे,। बुधवार अत्रि गोत्र,पीत वरण चार हजार जाप मगहद देश,ईशान कोण स्थान।बाणाकार मंडल ४ अंगुल।कन्या मिथुन राशि के गुरूको
नमस्कार।।सत फिरे तो वाचाफिरे।। पान फूल वासना सिंहासन धरै।तो इतरो काम बुधवार जी
महाराज करे।। ओम फट् स्वाहा ll
__________________________________________________________ गुरुवार
के अनिष्ट नाशक एवं सफलता के उपाय-
1--सौभाग्य सफलता वृद्धिके लिए
ग्रह गुरु के दोष
शांति के लिए-
स्नान जल मे मिला नदी या तीर्थ जल,-चमेली पुष्प ,सफेद के अभाव मे
पीली सरसों ,गूलर ,मुलेठी ,मिला कर स्नान
करे |
2-बाधा मुक्ति के
लिए दान-
पीला अनाज ,चना,शकरपीले पुष्प .हल्दी,केसर|
पीला वस्त्र पीला फल
पपीता केला आदि दान करे|
3-दान किसको दे -
गुरु,ज्ञानी पुरुष,ब्राह्मण या ज्ञान,शिक्षा कर्म करने वाले को या
शिक्षण संस्था,शिक्षक,विष्णु,कृष्ण,राम मंदिर मेदानकरना चाहिए |
गुरु ग्रह का गायत्री
मंत्र-
(गायत्री मन्त्र पश्चात् गृहस्थ को आवश्यक है बोलना
-)
आपो ज्योति रस अमृतम |परो रजसे
सावदोम |
1 गुरु ॐ वृषभध्वजाय विद्महे क्रुनिहस्ताय
धीमहि तन्नो गुरुः प्रचोदयात् ॥
2 ॐ सुराचार्याय विद्महे सुरश्रेष्ठाय
धीमहि तन्नो गुरुः प्रचोदयात् ॥
ओम अंगिरसाय विद्महे दिव्यदेवताय
धीमहि
तन्नो जीवः प्रचोदयात ।|आपो ज्योति रस अमृतम |परो रजसे साव दोम |
पौराणिक मंत्र -108 बारॐ ग्रां ग्रीं
ग्रौं सः गुरूवे नमः ॥
जैन मंत्र-
ॐ ह्रीं णमो आयरियाणं ।
ॐ ह्रीं गुरु ग्रहारिष्ट निवारकश्री महावीर
जिनेन्द्राय नम
सर्वशांतिं कुरु कुरु स्वाहा।मम (.अपना
नाम ) दुष्टग्रहरोग
कष्टनिवारणं सर्वशांतिं कुरू कुरू हूँ फट्
स्वाहा।
बृहस्पति–गुरुवारको
शीघ्र फलदायी
देवमन्त्री
विशालाक्ष: सदा लोकहिते रत:।
अनेकशिष्यसम्पूर्ण: पीडां हरतु मे गुरु: ।।
सर्वदा लोक कल्याण में निरत रहने वालेदेवताओं के मंत्रीविशाल नेत्रों वाले
तथा अनेक
शिष्यों से युक्त बृहस्पति मेरी पीड़ा को दूर करें ।। ब्रह्माण्डपुराण
गुरु- ॐ बृहस्पते
अति यदर्यो अर्हाद् द्युमद्विभाति क्रतुमज्जनेषु। यद्दीदयच्छवस ऋतुप्रजात तदस्मासु
द्रविणं धेहि चित्रम्।। (यजु. 26।3)
शाबर मन्त्र –
(श्रद्धा आवश्यकशुद्धता सामान्य)
ll ओम गुरूजी बृहस्पतिवार मनमें बसे।पांचो इन्द्रिय बस मे करे।
सो निशि घर उग्या भाण। ध्यावो बृहस्पतिवार गंगा का
है सिनान।
बृहस्पतिवार अंगिरा गोत्र,पीत वरण उन्नीस हजार जाप सिन्धुदेश उत्तरस्थानचतुर्थ
मंडल ६ अंगुल।धनु मीन राशि केगुरू को नमस्कार।सत फिरे तो वाचा फिरे।
पान फूल वासना सिहासन धरे तो इतरो काम
बृहस्पतिवारजी महाराज करे।
ओम फट् स्वाहा ll
3- दिन दोष आपत्ति निराकरण के
लिएघर से प्रस्थान पूर्व क्या खाएं–
(What
to take Before
Departure from Home for
Redressal of Day Blame Objection -)
––दही curd,जीरा |
_________________________________________________________ शुक्रवार -शुक्र ग्रह हेतु -
अनिष्ट
नाशक एवं सफलता के उपाय-
जैन मंत्र-
श्री सुविधिनाथ भगवान या श्री पुष्पदंत भगवान ।
ॐ ह्रीं शुक्र ग्रहारिष्ट निवारक-श्री पुष्पदन्त नाथ जिनेन्द्राय नम:
सर्व शांतिं कुरु कुरु स्वाहा।|
मम (अपना नाम) दुष्टग्रहरोगकष्टनिवारणं सर्वशांतिं कुरू कुरू हूँ फट्
स्वाहा।
बाधा मुक्ति के लिए दान- चावल ,चांदी मिश्री ,सफेद पुष्प,
1-दही ,सफेद वस्त्रसफेद चंदनसुगंधित द्रव्यदान करे ||
शुक्र
गायत्री मंत्र-
(गायत्री मन्त्र पश्चात् गृहस्थ को आवश्यक है बोलना
-)
आपो ज्योति रस अमृतम |परो रजसे
सावदोम |
ओम
भृगुजाय विद्महे दिव्यदेहाय धीमहि
तन्नो शुक्रः प्रचोदयात् ।|आपो ज्योति रस अमृतम |परो रजसे सावादोंम |
1 शुक्र ॐ अश्वध्वजाय विद्महे धनुर्हस्ताय
धीमहि तन्नः शुक्रः प्रचोदयात् ॥
2 ॐ रजदाभाय विद्महे भृगुसुताय धीमहि
तन्नः शुक्रः प्रचोदयात् ॥
3 ॐ भृगुसुताय विद्महे दिव्यदेहाय धीमहि
तन्नः शुक्रः प्रचोदयात् ॥
पौराणिक
मंत्र -108 बारॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः ॥
शुक्र –शुक्रवार-
ब्रह्माण्डपुराण
दैत्यमन्त्री
गुरुस्तेषां प्राणदश्च महामति:।
प्रभु: ताराग्रहाणां
च पीडां हरतु मे भृगु: ।।
दैत्यों के मंत्री और गुरु तथा उन्हें जीवनदान देने वालेतारा ग्रहों के
स्वामी
महान्
बुद्धिसंपन्न शुक्र मेरी पीड़ा को दूर करें ।। ब्रह्माण्डपुराण
शुक्र- ॐ
अन्नात्परिस्त्रुतो रसं ब्रह्मणा व्यपित्क्षत्रं पय: सोमं
प्रजापति:। ऋतेन सत्यमिन्द्रियं विपानं शुक्रमन्धस इन्द्रस्येन्द्रियमिदं
पयोऽमृतं मधु।। (यजु. 19।75)
शाबर मन्त्र – (श्रद्धा आवश्यकशुद्धता
सामान्य)
ओम गुरू जी शुक्रवार शुक्राचार।मन धरो धीर। कोई नर नारी वीर।नौ
नाड़ी बहत्तर कोठा की रक्षा करे।शुक्रवार भार्गव गोत्रश्वेत वर्ण सोलह हजार जाप,भोजकट देशपूर्व स्थानपंचकोण मंडल ९ अंगुल वृष तुला राशि के गुरू को
नमस्कार।
सत फिरे तो वाचा फिरे।पान फूल वासना सिंहासन धरे। तो इतरो काम
शुक्रवार जी महाराज करे। ओम फट् स्वाहा ll
2-दान किसे दे - सफ़ेद
गाय कन्या या देवी मंदिर मे दान करे ||
-3- दिन दोष आपत्ति निराककरण के लिएघर से प्रस्थान पूर्व
क्या खाएं–
(What to take Before Departure from Home
forRedressal of Day Blame Objection -)
कच्चा दूध ,जौ barley|
*यदि जन्म कुंडली मे शुक्र अच्छा हो उनको दही अवश्य उपयोग
करना चाहिए |
__________________________________________________________
शनिवार - शनि ग्रहअनिष्ट
नाशक एवं सफलता के उपाय-
-सुख,सौभाग्य वृद्धिके लिए –
स्नान जल मे काले तिलमिला कर स्नान करे ||
-पीपल वृक्ष की जड़
के समीप तिल तैल का दीपक लगाए |
दीपक वर्तिका लाल,नारंगी या अनेक रंग की हो (श्वेतनहीं)|
दीपक की बत्ती की
दिशा उत्तर श्रेष्ठ,पूर्व दिशा उत्तम |
मंत्र बोले-
ॐपिप्पलाद
,गाढ़ी,कौशिक ऋषये नमः | मन्त्र जाप |
विष्णवे नम:,हनुमतेनम:|| सर्ववांछाम पूरयपूरय च सर्व सिद्धिम
देहि में नमK
शमी वृक्ष पर जल
अर्पण करे |
पीपल
वृक्ष में मिश्री मिश्रित दूध से अर्घ्य देने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
पीपल
के नीचे सायंकालीन समय में एक चतुर्मुख दीपक अर्पण।
बाधा मुक्ति के
लिए दान-
उड़द ,तिल,काला,वस्त्र,,नीले पुष्प,लोभान,करे |
दान -काली गाय,वृद्ध,सेवक,को दे सकते है||
3- दिन दोष आपत्ति निराकरण के
लिएघर से प्रस्थान पूर्व क्या खाएं–
(What to take Before
Departure from Home forRedresses of Day Blame Objection -)
तिल,भात ,उड़द,अदरख मे से कोई या सभी पदार्थ उपयोग
करना चाहिए |
जिन का शनि ठीक न
हो वे उड़द प्रयोग न करे |
शनिग्रह के दोष
शांति के लिए- सफलता के लिए -आज के मंत्र-
जैन धर्म मंत्र-
णमो लोए सव्वसाहूणं|
शनि का गायत्री मंत्र-
-(गायत्री मन्त्र पश्चात् गृहस्थ को आवश्यक है बोलना
-)
आपो ज्योति रस अमृतम |परो रजसे
सावदोम |
त्रिपद मंत्र की तुलना मे श्रेष्ठ पंच पाद
गायत्री मंत्र प्रयोग करे -
ॐ सूर्य पुत्राय विद्महे ,मृत्यु
रुपाय धीमहि ,तन्नो सौरिः प्रचोदयात् ॥
आपो ज्योति रस अमृतम |परो रजसे सावादोंम |
या
ऊॅ भगभवाय विद्महे मृत्युरूपाय धीमहि तन्नौ शनिः
प्रचोदयात् ।
।|आपो ज्योति रस अमृतम | आपो ज्योति रस अमृतम |
शनीश्वर, शनैश्चर, शनी ॐ काकध्वजाय विद्महे खड्गहस्ताय
धीमहि तन्नो मन्दः प्रचोदयात् ॥
2 ॐ शनैश्चराय विद्महे सूर्यपुत्राय धीमहि
तन्नो मन्दः प्रचोदयात् ॥
3 ॐ सूर्यपुत्राय विद्महे मृत्युरूपाय धीमहि तन्नः सौरिः
प्रचोदयात् ॥
*राहू
1 राहु ॐ नाकध्वजाय विद्महे पद्महस्ताय धीमहि तन्नो राहुः
प्रचोदयात् ॥
2ॐ शिरोरूपाय विद्महे अमृतेशाय धीमहि
तन्नो राहुः प्रचोदयात् ॥
ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः॥108बार
शनि –
ब्रह्माण्डपुराण-03बार
सूर्यपुत्रो
दीर्घदेहा विशालाक्ष:शिवप्रिय:। मन्दचार: प्रसन्नात्मा
पीडां हरतु मे शनि: ।।
(हे सूर्य के पुत्रदीर्घ देह विशाल नेत्रोंमंद गति से चलने वाले,भगवान्
शिव के प्रिय
तथा प्रसन्न आत्मा शनि मेरी पीड़ा को दूर करें ।। )
शनि- ॐ शं नो
देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये। शं योरभि स्त्रवन्तु न:।। (यजु. 36।12)
शाबर मन्त्र –
(श्रद्धा आवश्यकशुद्धता सामान्य)
llओम गुरूजी थावर वार।थावर आसन थरहरो। पॉंच तत्व की विद्या करो पॉंच
तत्व का साधो करो विचार।तो गुरू पावूं थावर वार शनिवार कश्यप गोत्र कृष्ण वर्ण
तेईस हजार जाप सोरठ देश पश्चिम स्थान धनुषाकार मंडल,तीन
अंगुल़,मकर कुम्भ राशि के गुरू को नमस्कार।सत फिरे तो वाचा
फिरे,पान फूल वासना सिंहासन धरे।तो इतरो काम थावर जी महाराज
करे। ओम फट् स्वाहा ll
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