श्राद्ध
पक्ष: कौवों के रूप में आते हैं पितर,भगवन श्री राम का वरदान ?
त्रेता काल में एक कौवे (देवराज इंद्र के पुत्र
जयंत) ने सीता देवी के पैर में चोंच मार
कर उनके पैर से रुधिर प्रवाह प्रारंभ कर दिया था |यह देखकर रुष्ट श्रीराम ने
अपने बाण से उस कौवे की आंख फोड़ दी थी। देवराज इंद्र के पुत्र जयंत ने अपना परिचय
देते हुए ( कौवे
केरूप में )पश्चाताप , खेद एवं क्षमा याचना
की ,मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने वरदान दिया -
” तुमको जो भोजन देगा उसके पितृ तृप्त होंगे।“ इस
घटना के पश्चात् से कौवों को भोजन खिलाने
का प्रचलन बढ़ गया।
-कौओं की विशेषता होती है –1-हमारी
तरह ही दुःख मनाता है ,जिस दिन किसी कौए की मृत्यु होती है उस दिन उसका कोई कौआ भोजन नहीं करता है
2-अकेले भोजन कभी
नहीं कर , किसी साथी के साथ ही भोजन ग्रहण करता है।एक से अधिक तीन पीढ़ी के पितरो
को भी हम आमंत्रित करते है |वे भी एक साथ ही शरद्ध भोजन ग्रहण करते हैं |
-अर्थात कौए को भोजन कराने से पितृ और कालसर्प दोष से भी मुक्ति मिलती है।
पौराणिक कथन के अनुसार
कौए पक्षी को अमृत का अंश मिल गया था| कौए पक्षी को देवपुत्र माना गया है। इसलिए इस की स्वाभाविक मृत्यु न
होकर आकस्मिक मृत्यु होती है।शास्त्रों में उल्लेखानुसार – कोई भी समर्थ आत्मा के शरीर में प्रवेश कर पृथ्वी लोक में विचरण कर सकती है। यमलोक में ही हमारे पितर लोक
हैं।कौआ यमराज का वाहक प्रतीक माना गया है |
यह भी कही कहीं उल्लेख है कि, जब शरीर से आत्मा
का विच्छेदन होता है . प्राण उत्सर्जित होते हैं, तो आत्मा कौवे का रूप ही धारण करती है। कौवे को पितर का आश्रम पक्षी माना गया है। अन्य अर्थ में पुण्यात्मा कौवे के रूप में जन्म लेकर गर्भमें
प्रवेश की प्रतीक्षा करती हैं।
इसलिए श्राद्ध पक्ष में मान्यता है कि पितृ
कौवों के रूप में अपने वंशजों के घर आते हैं | श्राद्ध के भोजन से तृप्त होते पितृ
कौए के रूप में आकर श्राद्ध का भोजन पिंड आदि ग्रहण करते हैं। श्राद्ध पक्ष में
कौओं को भोजन देना अर्थात अपने पितरों को भोजन द्वारा तृप्त करना है।
शास्त्रों में कौए एवं पीपल को पितृ प्रतीक
माना जाता है। इन पितर के 16 दिनों में कौए
को भोजन देकर पितर के प्रति श्रद्धा
ज्ञापित की जती है | पीपल तथा वट बृक्ष(सीता
जी के वरदान के अनुसार ) को पानी देकर पितरों को तृप्त किया जाता है। गाय (33कोटी
देवता शारीर में निवास) इसलिए देवात्माओं की तृप्ति के लिए भी गाय को भोजन दिया
जाता है |
आपके श्राद्ध का भोजन कौआ ग्रहण कर ले तो प्रमाण
मानिये कि पितर तृप्त और आपसे प्रसन्न हैं |अन्यथा पितर अतृप्त,रुष्ट (कौआ की संख्या बहुतायत के उपरांत भी )होने
की सम्भावना प्रबल है । पितर
स्वरूप होने के कर्ण इनको मारना अशुभ माना गया है |
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