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ग्रह दोष उपाय

 

शुक्र ग्रह दोष शांति

 शुक्र की दशा ,अन्तर्दशा, या शुक्र जन्म कुंडली में अशुभ स्थति में या वृष,तुला  राशी की दशा हो -भविष्य पूराण के अनुसार शुक्र वार को जब ज्येष्ठा नक्षत्र हो उस दिन से सात शुक्र वार तक शुक्र पूजा (मन्त्र,हवन,दान ) करने से अनिष्ट या दोषों में कमी होती है |

शनि ग्रह दोष शांति

 शनि की दशा, अन्तर्दशा, या शनि जन्म कुंडली में अशुभ स्थति में या वृष,तुला  राशी की दशा या साडेसाती,पनोती,dhaiyaहो );-भविष्य पूराण के अनुसार शनि वार को जब मूल नक्षत्र हो उस दिन से सात शनिवार तक शनि पूजा (मन्त्र,हवन,दान ) करने से अनिष्ट या दोषों में कमी होती है |शनिवार को पिप्पलाद ऋषये नम: | स्मरण करे 5 बार प्रातः,दोपहर,सायन समय| प्रातः पीपल का पत्ता अपने साथ रखे |

बुध ग्रह दोष शांति

 बुध की दशा ,अन्तर्दशा, या बुध जन्म कुंडली में अशुभ स्थति में या मिथुन.कन्या  राशी की दशा हो - भविष्य पूराण के अनुसार बुधवार को जब स्वाति नक्षत्र हो उस दिन से सात बुधवार तक बुध पूजा (मन्त्र,हवन,दान ) करने से अनिष्ट या दोषों में कमी होती है |

विभिन्न श्राप दोष शमन

अष्टम या द्वादश विभिन्न श्राप दोष शमन -अष्टम या द्वादश भाव में ग्रह (जन्म कुंडली ,नवमांश या षोडश वर्ग के जिस वर्ग में हो उस वर्ग के दोष समाप्ति के लिए ) होने पर

1-      मेष व् मीन लग्न- पितृ दोष शमन के लिए अमावस्या को अन्नदान करे |

2-      वृष लग्न - दोष शमन के लिए दुर्गा पूजा अष्टमी को करे |

3-      मिथुन लग्न - दोष शमन के लिए नदी या नदी जल से स्नान शनिवार को करे|

4-      कर्क लग्न - दोष शमन के लिए लक्ष्मी ,सरस्वती या किसी भी देवी की  पूजा बुधवार या अष्टमी  शुक्ल पक्ष  कन्या भोजन कराये या पका हुआ अन्न दान करे|

5-      सिंह एवं कुम्भ लग्न - दोष शमन के लिए शक्ति पूजा या गायत्री पूजा अष्टमी-नवमी को करे |

6-      कन्या लग्न - दोष शमन के लिए नव ग्रहों का दान या हवन पूर्णिमा को करे |

7-      तुला लग्न क्षेत्रपाल  दोष शमन के लिए क्षेत्रपाल पूजा गुरूवार या शनिवार को करे |

8-      वृश्चिक लग्न - दोष शमन के लिए कुलदेवी की पूजा या किसी भी देवी की पूजा एवं कन्यायों को गिफ्ट शुक्रवार या अष्टमी को करे |

9-      धनु लग्न - दोष शमन के लिए हनुमान या भैरव पूजा मंगल या शनिवार को करे |

10-  मकर लग्न - दोष शमन के लिए दुर्गा पूजा अष्टमी-नवमी  को करे

 

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श्री सूक्तं

 

ॐ हिरण्य वर्णां हरिणीं सुवर्ण रजत स्त्रजाम्।

चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आ वह। 1

 

ॐ तां म आ व ह जात वेदो लक्ष्मी मनप गामिनीम्

यस्यां हिरण्यं विन्देयं गामश्वं परुषानहम।। 2

 

ॐ अश्व पूर्वां रथ मध्यां हस्ति ना द्प्रमोदिनिम। 
                 
श्रियं देविमुप हवये श्रीर्मा देवी जुस्ताम।। 3

 

ॐ कां सोस्मितां हिरण्य प्रकाराम आर्द्रां ज्वलन्तीं तृप्तां तर्पयन्तीम्। 
                    
पद्मे स्थितां पदम वर्णां तामिहोप हवये श्रियम्।। 4

 

ॐ चन्द्रां प्रभासां यशसा ज्वलन्ती श्रियं लोके देवजुस्ताम उदराम्।

तां पद्मिनीमी शरणं प्रपद्ये अलक्ष्मीर्मे नश्यतां तवां वृणे | 5

 

ॐ आदित्य वर्णे तपसोधि जातो वनस्पतस्तव व्रक्षोथ बिल्वः।

तस्य फलानि तपसा नुदन्तु या अन्तरा याश्च बाह्य अलक्ष्मीः।।6

 

उपैतु मां देव सखः किर्तिश्च मणिना सह।

प्रादुरोअस्मिन राष्ट्रे अस्मिन् कीर्तिंम वृद्धिम ददातु मे|7

 

क्षुत्पि पासा मलां ज्येष्ठम लक्ष्मीं नाशयाम्यहम्।
                  
अभूतिम समृद्धि च सर्वां निर्गुद में गृहात्।।8

 

 

 

 

 

 

 

गन्ध द्वारां दुराधर्षां नित्या पुष्टां करीषिणीम्।

ईश्वरीं सर्व भूतानां तामिहोप हवये श्रियम्।।9

 

मनसः कामम आकूतिं वाचः सत्यम शीमहि।

पशुनां रूपमन्नस्य मयि श्रीः श्रयतां यशः।।10

 

कर्दमेन प्रजा भूता मयि संभव कर्दम।

श्रियम वासय मे कुले मातरं पद्म मालिनीम्।।11

 

आपः सृजन्तु स्निग्धानि चिक्लीत वस् मे गृहे।

नि च देवीं मातरं श्रियं वास्य मे कुले।।12

 

आद्रॉ  पुष्करिणीं  पुष्टिं पिंग्लाम  पदम मालिनीम्।

चन्द्रां  हिरण्मयीं लक्ष्मी जातवेदो म आ वह।। (13

 

आद्रां यः करिणीं यष्टिं सुवर्णां हेम मालिनीम्।

सूर्यां हिरण्मयीं लक्ष्मी जातवेदो म आ वह।। 14

 

तां म आवह जातवेदो लक्ष्मी मनप गामिनीम् 

यस्यां हिरण्यं प्रभूतं गावो दास्यो अश्र्वान् विन्देयं पुरुषानहम्।। 15

 

 

यः शुचिः प्रयतो भूत्वा जुहुया दाज्य मन्वहम्।

सूक्तं पञ्चदशर्च च श्रीकामः सततं जपेत्।। 16

 

 

जिसको लक्ष्मी कि कामना हो ,वह पवित्र होकर प्रतिदिन अग्नि में गौघृत  का हवन और साथ ही श्रीसूक्त कि पंद्रह ऋचाओं का प्रतिदिन पाठ करें।

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विवाह में विलंब विवाह के लिए कात्यायनी पूजन । 10 oct - 18 oct विवाह में विलंब - षष्ठी - कात्यायनी पूजन । वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए - दुर्गतिहारणी मां कात्यायनी की शरण लीजिये | प्रतिपदा के दिन कलश स्थापना के समय , संकल्प में अपना नाम गोत्र स्थान बोलने के पश्चात् अपने विवाह की याचना , प्रार्थना कीजिये | वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए प्रति दिन प्रातः सूर्योदय से प्रथम घंटे में या दोपहर ११ . ४० से १२ . ४० बजे के मध्य , कात्ययानी देवी का मन्त्र जाप करिये | १०८बार | उत्तर दिशा में मुँह हो , लाल वस्त्र हो जाप के समय | दीपक मौली या कलावे की वर्तिका हो | वर्तिका उत्तर दिशा की और हो | गाय का शुद्ध घी श्रेष्ठ अथवा तिल ( बाधा नाशक + महुआ ( सौभाग्य ) तैल मिला कर प्रयोग करे मां भागवती की कृपा से पूर्वजन्म जनितआपके दुर्योग एवं   व्यवधान समाप्त हो एवं   आपकी मनोकामना पूरी हो ऐसी शुभ कामना सहित || षष्ठी के दिन विशेष रूप से कात्यायनी के मन्त्र का २८ आहुति / १०८ आहुति हवन करिये | चंद्रहासोज्

कलश पर नारियल रखने की शास्त्रोक्त विधि क्या है जानिए

हमे श्रद्धा विश्वास समर्पित प्रयास करने के बाद भी वांछित परिणाम नहीं मिलते हैं , क्योकि हिन्दू धर्म श्रेष्ठ कोटी का विज्ञान सम्मत है ।इसकी प्रक्रिया , विधि या तकनीक का पालन अनुसरण परमावश्यक है । नारियल का अधिकाधिक प्रयोग पुजा अर्चना मे होता है।नारियल रखने की विधि सुविधा की दृष्टि से प्रचलित होगई॥ मेरे ज्ञान  मे कलश मे उल्टा सीधा नारियल फसाकर रखने की विधि का प्रमाण अब तक नहीं आया | यदि कोई सुविज्ञ जानकारी रखते हो तो स्वागत है । नारियल को मोटा भाग पूजा करने वाले की ओर होना चाहिए। कलश पर नारियल रखने की प्रमाणिक विधि क्या है ? अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए , उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै प्राची मुखं वित्त्नाश्नाय , तस्माच्छुभम सम्मुख नारिकेलम अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए कलश पर - नारियल का बड़ा हिस्सा नीचे मुख कर रखा जाए ( पतला हिस्सा पूछ वाला कलश के उपरी भाग पर रखा जाए ) तो उसे शत्रुओं की वृद्धि होती है * ( कार्य सफलता में बाधाएं आती है संघर्ष , अपयश , चिंता , हानि , सहज हैशत्रु या विरोधी तन , मन धन सर्व दृष्टि से घातक होते है ) उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै कलश पर -