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64 योगिनीयो के नाम सिद्ध मंत्र

 

आदिशक्ति काली ने  घोर नामक दैत्य के साथ युद्ध करते 64 अवतार लिए थे। भारत में चार प्रसिद्द  चौसठ योगिनी मंदिर -, जो दो उड़ीसा  और दो मध्य प्रदेश में हैं। मध्य प्रदेश के मुरैना में स्थित चौसठ योगिनी मंदिर सन १३२३ में निर्मित  सिद्ध सर्व प्राचीन  है।

64 योगिनीयो के नाम  

 

१. बहुरूपा, २. तारा, ३. नर्मदा, ४. यमुना, ५. शांति, ६. वारुणी, ७. क्षेमकरी, ८. ऐन्द्री, ९. वाराही, १०. रणवीरा, ११. वानरमुखी, १२. वैष्णवी, १३. कालरात्रि, १४. वैद्यरूपा, १५. चर्चिका, १६. बेताली, १७. छिनमास्तिका, १८. वृषभानना, १९. ज्वाला कामिनी, २०. घटवारा, २१. करकाली, २२. सरस्वती, २३. बिरूपा, २४. कौबेरी, २५. भालुका, २६. नारसिंही, २७. बिराजा, २८. विकटानन, २९. महालक्ष्मी, ३०. कौमारी,३१. महामाया, ३२. रति, ३३. करकरी, ३४. सर्पश्या, ३५. यक्षिणी, ३६. विनायकी, ३७. विन्द्यावालिनी, ३८. वीरकुमारी, ३९. माहेश्वरी, ४०. अम्बिका, ४१. कामायनी, ४२. घटाबारी, ४३. स्तुति, ४४. काली, ४५. उमा, ४६. नारायणी, ४७. समुद्रा, ४८. ब्राह्मी, ४९. ज्वालामुखी, ५०. आग्नेयी, ५१. अदिति, ५२. चन्द्रकांति, ५३. वायुबेगा, ५४. चामुंडा, ५५. मूर्ति, ५६. गंगा, ५७. धूमावती, ५८. गांधारी, ५९. सर्व मंगला, ६०. अजिता, ६१. सूर्य पुत्री, ६२. वायु वीणा, ६३. अघोरा, ६४. भद्रकाली ।

64 योगिनीयो- सिद्ध मंत्र ।

१. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री काली नित्य सिद्धमाता स्वाहा ।

२. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री कपलिनी नागलक्ष्मी स्वाहा ।

३. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री कुला देवी स्वर्णदेहा स्वाहा ।

४. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री कुरुकुल्ला रसनाथा स्वाहा

५. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री विरोधिनी विलासिनी स्वाहा ।

६. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री विप्रचित्ता रक्तप्रिया स्वाहा ।

७. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री उग्र रक्त भोग रूपा स्वाहा ।

८. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री उग्रप्रभा शुक्रनाथा स्वाहा ।

९. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री दीपा मुक्तिः रक्ता देहा स्वाहा ।

१०. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री नीला भुक्ति रक्त स्पर्शा स्वाहा ।

११. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री घना महा जगदम्बा स्वाहा ।

१२. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री बलाका काम सेविता स्वाहा ।

१३. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री मातृ देवी आत्मविद्या स्वाहा ।

१४. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री मुद्रा पूर्णा रजतकृपा स्वाहा ।

१५. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री मिता तंत्र कौला दीक्षा स्वाहा ।

१६. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री महाकाली सिद्धेश्वरी स्वाहा ।

१७. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री कामेश्वरी सर्वशक्ति स्वाहा

१८. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री भगमालिनी तारिणी स्वाहा

१९. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री नित्यकलींना तंत्रार्पिता स्वाहा ।

२०. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री भैरुण्ड तत्त्व उत्तमा स्वाहा ।

२१. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री वह्निवासिनी शासिनि स्वाहा ।

२२. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री महवज्रेश्वरी रक्त देवी स्वाहा ।

२३. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री शिवदूती आदि शक्ति स्वाहा ।

२४. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री त्वरिता ऊर्ध्वरेतादा स्वाहा ।

२५. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री कुलसुंदरी कामिनी स्वाहा ।

२६. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री नीलपताका सिद्धिदा स्वाहा ।

२७. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री नित्य जनन स्वरूपिणी स्वाहा ।

२८. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री विजया देवी वसुदा स्वाहा ।

२९. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री सर्वमङ्गला तन्त्रदा स्वाहा ।

३०. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री ज्वालामालिनी नागिनी स्वाहा ।

३१. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री चित्रा देवी रक्तपुजा स्वाहा ।

३२. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री ललिता कन्या शुक्रदा स्वाहा ।

३३. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री डाकिनी मदसालिनी स्वाहा ।

३४. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री राकिनी पापराशिनी स्वाहा ।

३५. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री लाकिनी सर्वतन्त्रेसी स्वाहा ।

३६. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री काकिनी नागनार्तिकी स्वाहा ।

३७. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री शाकिनी मित्ररूपिणी स्वाहा ।

३८. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री हाकिनी मनोहारिणी स्वाहा ।

३९. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री तारा योग रक्ता पूर्णा स्वाहा ।

४०. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री षोडशी लतिका देवी स्वाहा ।

४१. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री भुवनेश्वरी मंत्रिणी स्वाहा ।

४२. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री छिन्नमस्ता योनिवेगा स्वाहा ।

४३. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री भैरवी सत्य सुकरिणी स्वाहा ।

४४. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री धूमावती कुण्डलिनी स्वाहा ।

४५. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री बगलामुखी गुरु मूर्ति स्वाहा ।

४६. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री मातंगी कांटा युवती स्वाहा ।

४७. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री कमला शुक्ल संस्थिता स्वाहा ।

४८. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री प्रकृति ब्रह्मेन्द्री देवी स्वाहा ।

४९. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री गायत्री नित्यचित्रिणी स्वाहा ।

५०. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री मोहिनी माता योगिनी स्वाहा ।

५१. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री सरस्वती स्वर्गदेवी स्वाहा ।

५२. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री अन्नपूर्णी शिवसंगी स्वाहा ।

५३. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री नारसिंही वामदेवी स्वाहा ।

५४. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री गंगा योनि स्वरूपिणी स्वाहा ।

५५. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री अपराजिता समाप्तिदा स्वाहा ।

५६. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री चामुंडा परि अंगनाथा स्वाहा ।

५७. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री वाराही सत्येकाकिनी स्वाहा ।

५८. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री कौमारी क्रिया शक्तिनि स्वाहा ।

५९. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री इन्द्राणी मुक्ति नियन्त्रिणी स्वाहा ।

६०. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री ब्रह्माणी आनन्दा मूर्ती स्वाहा ।

६१. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री वैष्णवी सत्य रूपिणी स्वाहा ।

६२. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री माहेश्वरी पराशक्ति स्वाहा ।

६३. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री लक्ष्मीh मनोरमायोनि स्वाहा ।

६४. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री दुर्गा सच्चिदानंद स्वाहा।

चतुष्षष्टि-योगिनी नाम-स्तोत्रम्

 गजास्या सिंह-वक्त्रा च, गृध्रास्या काक-तुण्डिका । उष्ट्रा-स्याऽश्व-खर-ग्रीवा, वाराहास्या शिवानना ।। उलूकाक्षी घोर-रवा, मायूरी शरभानना । कोटराक्षी चाष्ट-वक्त्रा, कुब्जा च विकटानना ।। शुष्कोदरी ललज्जिह्वा, श्व-दंष्ट्रा वानरानना । ऋक्षाक्षी केकराक्षी च, बृहत्-तुण्डा सुराप्रिया ।। कपालहस्ता रक्ताक्षी च, शुकी श्येनी कपोतिका । पाशहस्ता दंडहस्ता, प्रचण्डा चण्डविक्रमा ।। शिशुघ्नी पाशहन्त्री च, काली रुधिर-पायिनी । वसापाना गर्भरक्षा, शवहस्ताऽऽन्त्रमालिका ।। ऋक्ष-केशी महा-कुक्षिर्नागास्या प्रेतपृष्ठका । दन्द-शूक-धरा क्रौञ्ची, मृग-श्रृंगा वृषानना ।। फाटितास्या धूम्रश्वासा, व्योमपादोर्ध्वदृष्टिका । तापिनी शोषिणी स्थूलघोणोष्ठा कोटरी तथा ।। विद्युल्लोला वलाकास्या, मार्जारी कटपूतना । अट्टहास्या च कामाक्षी, मृगाक्षी चेति ता मताः ।। ।।

 फल-श्रुति ।।

 चतुष्षष्टिस्तु योगिन्यः पूजिता नवरात्रके । दुष्ट-बाधां नाशयन्ति, गर्भ-बालादि-रक्षिकाः ।। न डाकिन्यो न शाकिन्यो, न कूष्माण्डा न राक्षसाः । तस्य पीड़ां प्रकुर्वन्ति, नामान्येतानि यः पठेत् ।। बलि-पूजोपहारैश्च, धूप-दीप-समर्पणैः । क्षिप्रं प्रसन्ना योगिन्यो, प्रयच्छेयुर्मनोरथान् ।। कृष्णा-चतुर्दशी-रात्रावुपवासी नरोत्तमः । प्रणवादि-चतुर्थ्यन्त-नामभिर्हवनं चरेत् ।। प्रत्येकं हवनं चासां, शतमष्टोत्तरं मतम् । स-सर्पिषा गुग्गुलुना, लघु-बदर-मानतः ।।

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