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सौभाग्य,धन,ऋण मुक्ति, सुयोग्य वर -अश्वनी माह -शरद / रास पूनम 24 अक्टूबर 2018

  सौ भाग्य , धन , ऋण मुक्ति , सुयोग्य वर -अश्वनी माह -शरद / रास पूनम   24 अक्टूबर 2018                                                          पंडित विजेंद्र कुमार तिवारी "ज्योतिष शिरोमणि " jyotish9999@gmail.com पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ-23अक्टूबर रात्रि 10:36 ; समाप्ति-24अक्टूबर रात्रि -10: 14 24 अक्टूबर को शरद पूर्णिम क्यो ?- “ अश्वनी पौर्णमासी परा ग्राह्या |” दो दिन पूर्णिमा होने पर दूसरे दिन की पूर्णिमा को शारद पूर्णिमा कहा गया है | प्रदोष कालीन पूर्णिमा होना अनिवार्य है , जो कि 24 अक्टूबर   को है | कोजागर पूर्णिमा क्यों - ?" को जाग्रत" कौन जाग रहा है ? अश्वनी मास की पूर्णिमा को रात्रि जागरण किए जाने का उल्लेख लिंग पुराण में है रात्रि जागरण से एवं चंद्र पूजा से ईश्वर की प्राप्ति होती है | इसे कोजागरी व्रत भी कहते हैं , क्योंकि इस रात्रि में जागरण करना एवं पूजा करना लक्ष्मी की श्रेष्ठ माना गया है। पुराण के अनुसार एरावत हाथी पर स्थित इंद्र , धन की देवी लक्ष्मी का चांदनी रात मे

दुर्गा देवी - मनोकामनापूरक भोग सामग्री ?2018

·         उत्तर दक्षिण की ओर मुंह वाली दुर्गा मूर्ति शुभ एवं कल्याण देने वाली होती हैं । ·         पूर्व की ओर मुंह वाली दुर्गा की मूर्ति विजय एवं समृद्धि प्रदान करती है। ·         पश्चिम की ओर मुख वाली दुर्गा प्रत्येक दृष्टि से उत्तम मानी गई है । ·         तथा उत्तर की ओर दुर्गा की मूर्ति का मुह स्थापना हेतू वर्जित है। ·          ·         आप अपने घर में चित्र या दुर्गा की मूर्ति रखें तो उपरोक्त के अनुसार ही रखना उचित होगा। दुर्गा देवी  -  अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लि ए कौनसी सामग्री अर्पित करना चाहिए ?   यह जानकारी जनहित में श्री दुर्गा सप्तशती सर्वस्वम ग्रंथ से संकलित है | ·         सुख शांति के लिए सुगंधित सेंट इतर स्प्रे अर्पित करें । ·         पुष्टि पुष्टि के लिए दूध अर्पित करें । ·         विघ्न-विनाश के लिए दही अर्पण करें । ·         सुख सौभाग्य प्राप्ति के लिए घी , आर्थिक लाभ के लिए शहद और शक्कर । ·         धन और बचत के लिए गन्ने का रस ।आयु वृद्धि एवं स्वास्थ्य के लिए फलों का रस ।शत्रु ·         बाधा नष्ट करने के लिए सरसों का ते

मुहूर्त्त - द्वारपूजा एवं भद्रा , राहूकाल में दुर्गा पूजा : आपत्ति-विपत्ति दूर करे|

            भद्रा एवं राहूकाल में दुर्गा पूजा   : आपत्ति-विपत्ति दूर करे | भद्रा में दुर्गा जी के पूजा का विशेष महत्व है। स्मृति समुच्य ग्रंथ में लेख है ' भौमेति प्रशस्ता ' अर्थात मंगलवार को सप्तमी होना अति उत्तम है। 16 अक्टूबर को मंगलवार का दिन सप्तमी तिथि को है। देवी पूजा भद्रा के समय 16 अक्टूबर को अवश्य करें। 10:19-23.34 भद्रा समय | देवी की पूजा भद्रा में होना श्रेष्ठ परिणाम प्रद माना गया है। देवी पुराण में उल्लेख है - देवी कहती हैं ' " मैं भद्रा रूप हूं , भद्रा मेरा स्वरूप है , हम दोनों में कुछ अंतर नहीं है , भद्रा काल मे पूजा करने पर , मैं सब सिद्धि को देने वाली होंउगी । " अहम भद्रा , च भद्राहं नावयोरतरं क्वचित।सर्व सिद्धिं प्रदास्यामी भद्रायां अर्चिता । निर्णय अमृत ग्रंथ - भद्रा को छोड़कर जो महाष्टमी को मेरी पूजा करता है ।उसने मेरा अपमान किया है ।उसको पूजा का फल नहीं मिलेगा ।("विष्टीं त्यक्त्वा महाअष्टंयाम मं  पूजां करोति य:। तस्य पूजा फल्