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उत्तर दक्षिण की ओर मुंह वाली दुर्गा मूर्ति शुभ एवं
कल्याण देने वाली होती हैं ।
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पूर्व की ओर मुंह वाली दुर्गा की मूर्ति विजय एवं
समृद्धि प्रदान करती है।
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पश्चिम की ओर मुख वाली दुर्गा प्रत्येक दृष्टि से उत्तम
मानी गई है ।
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तथा उत्तर की ओर दुर्गा की मूर्ति का मुह स्थापना हेतू
वर्जित है।
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आप अपने घर में चित्र या दुर्गा की मूर्ति रखें तो
उपरोक्त के अनुसार ही रखना उचित होगा।
दुर्गा देवी - अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए
कौनसी सामग्री
अर्पित करना चाहिए? यह जानकारी जनहित में श्री दुर्गा
सप्तशती सर्वस्वम ग्रंथ से संकलित है|
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सुख शांति के लिए सुगंधित सेंट इतर स्प्रे अर्पित करें ।
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पुष्टि पुष्टि के लिए दूध अर्पित करें ।
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विघ्न-विनाश के लिए दही अर्पण करें ।
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सुख सौभाग्य प्राप्ति के लिए घी ,आर्थिक लाभ के लिए शहद और शक्कर ।
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धन और बचत के लिए गन्ने का रस ।आयु वृद्धि एवं स्वास्थ्य
के लिए फलों का रस ।शत्रु
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बाधा नष्ट करने के लिए सरसों का तेल ।
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राहु ग्रह के अनीषट से सुरक्षा के लिए तिल का तेल।
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सौंदर्य एवं दीर्घायु के लिए चमेली का तेल ।वर्तमान एवं
पूर्व जन्म के पाप नाश के लिए
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तीर्थों का जल एवं विरोधियों के अनिष्ट के लिए अरंडी का
तेल अर्पित करना चाहिए।
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दिनांक 10 अक्टूबर को देवी शैलपुत्री को शुद्ध घी अर्पित करने से
आरोग्य एवं स्वास्थ्य की
वृद्धि
होती है ।इस दिन ही द्वितीय तिथि होने के कारण ब्रह्मचारिणी देवी को शक्कर का भोग
लगाने से आयु में वृद्धि होती है एवं मार्केश योग नष्ट होता है|
- दिनांक 11 अक्टूबर को चंद्रघंटा देवी को खीर का भोग लगाने से दुख एवं मनो कष्ट मनो पीड़ा से मुक्ति प्राप्त होगी।
- · दिनांक 12 अक्टूबर को कूष्माण्डा देवी को खीर का भोग लगाने से मनो पीड़ा मनो कष्ट एवं दुखो से मुक्ति का उपाय है।
- · 13एवं 14 अक्टूबर को पंचमी तिथि होने के कारण स्कंदमाता देवी को केले का भोग चढ़ाने से शरीर मे कांति एवं स्वास्थ्य उत्तम रहेगा।
- · दिनांक 15 अक्टूबर को कात्यायनी देवी को शहद का भोग लगाने से जनप्रियता लोकप्रियता एवं आकर्षण शक्ति में वृद्धि होती है।
- · दिनांक 16 अक्टूबर को कालरात्रि नव दुर्गा के रूप को भोजन अर्पित करने से या उसका भोग लगाने से आकस्मिक कष्ट आपत्ति विपत्ति से सुरक्षा प्राप्त होती है।
- · दिनांक 17 अक्टूबर को महागौरी देवी को नारियल दान करने से संतान सुख एवं संतान बाधा से संबंधित मनोकामना पूर्ण होती है।
- · दिनांक 18 अक्टूबर को देवी के सिद्ध दात्री स्वरूप को तिल का भोग चढ़ाने से कल्याण होता है आकस्मिक मृत्यु यह नोनी घटनाओं से सुरक्षा प्रदान होती है
- · 16 अक्टूबर को द्वार पूजा का विशेष महत्व है क्योंकि सप्तमी तिथि है। सप्तमी को सरस्वती पूजा का विशेष महत्व है ।सप्तमी तिथि को भद्रा दोपहर में 10:19 से रात्रि 11:34 तक है।
- · भद्रा में दुर्गा जी के पूजा का विशेष महत्व है। स्मृति समुच्य ग्रंथ में लेख है 'भौमेति प्रशस्ता' अर्थात मंगलवार को सप्तमी होना अति उत्तम है। 16 अक्टूबर को मंगलवार का दिन सप्तमी तिथि को है।
- ज्योतिष शिरोमणि - पंडित विजेंद्र कुमार तिवारी
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