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वस्त्र, आभूषण, चूड़ी के शुभ-अशुभ प्रयोग ( तिथि, वार, नक्षत्र अनुसार-)By Renowned Astrologer,Palmisr & vastu 9424446706;Jyotish9999@gmail.com;tiwaridixitastro@fgmail.com

 वस्त्र, आभूषण, चूड़ी के शुभ-अशुभ प्रयोग

( तिथि, वार, नक्षत्र अनुसार-)

यहाँ प्रमुख तिथि, वार, और नक्षत्र के अनुसार वस्त्र, आभूषण, चूड़ी के शुभ-अशुभ प्रयोग दिए गए हैं। यह सारांश शास्त्रीय ग्रंथों जैसे भद्रबाहु संहिता, मुहूर्त चिंतामणि, धर्मसिंधु आदि पर आधारित है।

- शुभ, - अशुभ, ⚠️ - शुभ 55%सावधानी से उपयोग करें।

तिथि

 दिन

नक्षत्र

वस्त्र रंग

आभूषण

चूड़ी

अमावस्या

मंगलवार

रोहिणी

लाल

सोना

लाल

पूर्णिमा

शुक्रवार

मृगशिरा

सफेद

चांदी

सफेद

द्वितीया

सोमवार

पुनर्वसू

हरा ⚠️

मणि ⚠️

हरी ⚠️

तृतीया

गुरुवार

पूर्वा फाल्गुनी

नीला

मोती

नीली

चतुर्थी

शनि

उत्तर फाल्गुनी

पीला

पन्ना

पीली

पंचमी

रविवार

हस्त

सुनहरा

मुक्ता

सुनहरा

षष्ठी

मंगलवार

चित्रा

लाल

लाल पत्थर

लाल

सप्तमी

बुध

स्वाति

सफ़ेद ⚠️

चांदी ⚠️

सफ़ेद ⚠️

अष्टमी

गुरुवार

विशाखा

नीला

नीला पत्थर

नीला

नवमी

शुक्रवार

अनुराधा

हरा

पन्ना

हरा

दशमी

शनिवार

ज्येष्ठा

काला

काला

काला

एकादशी

रविवार

मूल

काला

काला

काला

द्वादशी

सोमवार

पूर्वाषाढ़ा

नीला

नीला

नीला

त्रयोदशी

मंगलवार

उत्तराषाढ़ा

सफ़ेद

सफेद

सफेद

चतुर्दशी

बुध

श्रवण

हरा

हरा

हरा

पूर्णिमा

गुरुवार

धनिष्ठा

सुनहरा ⚠️

सुनहरा ⚠️

सुनहरा ⚠️

अमावस्या

शुक्रवार

शतभिषा

काला

काला

काला

प्रथमा

शनिवार

पूर्वा भाद्रपद

लाल

लाल

लाल

द्वितीया

रविवार

उत्तर भाद्रपद

सफेद

सफेद

सफेद

तृतीया

सोमवार

रेवती

नीला

नीला

नीला

🔶 0१. तिथि के आधार पर (Tithi-wise Use)100%

तिथि

वस्त्र

वास्तु

आभूषण

चूड़ी

प्रतिपदानवमी

दशमीद्वादशी

त्रयोदशीपूर्णिमा

अमावस्या

अष्टमी/चतुर्दशी

⚠️

⚠️

⚠️

   
0%
🔷1. वार के आधार पर (Weekday-wise Use)60% 🌟 वस्त्र, आभूषण, चूड़ी और वास्तु के शुभ-अशुभ प्रयोग ( = शुभ, = अशुभ, ⚠️ = मध्यम)55% शुभ


 

वार

वस्त्र

वास्तु

आभूषण

चूड़ी

रविवार

✅ (केसरिया/गेरुआ)

✅ (राजकीय वास्तु हेतु)

सोमवार

✅ (श्वेत/नीला)

✅ (चंद्र-शीतल कार्य हेतु)

मंगलवार

⚠️ (लाल/गेरुआ ठीक)

❌ (भूमि/नवगृह कार्य वर्ज्य)

⚠️ मंगलिक तो वर्ज्य

⚠️

बुधवार

✅ (हरा)

✅ (वाणिज्यिक वास्तु हेतु)

गुरुवार

✅ (पीला)

✅ (पूजनीय गृह हेतु श्रेष्ठ)

✅ (स्वर्णाभूषण श्रेष्ठ)

शुक्रवार

✅ (गुलाबी/सफेद)

✅ (सौंदर्य/स्त्रियों हेतु वास्तु शुभ)

✅ (रत्न, चूड़ी, बिंदी आदि)

शनिवार

⚠️ (नीला/काला)

❌ (नवगृह कार्य वर्ज्य)

⚠️

⚠️

🕉शास्त्रीय संकेतानुसार:

  • शुभ नक्षत्र: ️ — नये वस्त्र, गहने, चूड़ियाँ, वास्तु कार्य हेतु श्रेष्ठ
  • अशुभ नक्षत्र: इन कार्यों में वर्जना या निषेध
  • मध्यम नक्षत्र: ⚠️ — शुद्धि या विशेष प्रयोजन पर संभव

·    

     🌟 वस्त्र, आभूषण, चूड़ी और वास्तु के शुभ-अशुभ प्रयोग ( = शुभ, = अशुभ, ⚠️ = मध्यम /)55% शुभ

नक्षत्र

वस्त्र

आभूषण / चूड़ी          वास्तु


अश्विनी

भरणी

कृत्तिका

रोहिणी

मृगशिरा

आर्द्रा

पुनर्वसू

पुष्य

आश्लेषा

मघा

पूर्वा फाल्गुनी

उत्तर फाल्गुनी

हस्त

चित्रा

स्वाति

⚠️

⚠️

⚠️

विशाखा

अनुराधा

ज्येष्ठा

मूल

पूर्वाषाढ़ा

उत्तराषाढ़ा

श्रवण

धनिष्ठा

⚠️

⚠️

⚠️

शतभिषा

पूर्वा भाद्रपद

उत्तर भाद्रपद

रेवती

📜 श्लोक आधारित संकेत:

 "पुष्य रोहिण्यादिषु शुभं वस्त्रधारणम्।" "हस्ते चित्रायां च स्वर्णाभरणधारणे शुभम्।" "आर्द्राश्लेषामूलादिषु तन्निषेधः कथितः।"

(उपयुक्त ज्ञान मुहूर्त चिंतामणि, भद्रबाहु संहिता, ज्योतिष सार, धर्मसिन्धु आदि ग्रंथों से संकलित है

🔸 ३. नक्षत्र के आधार पर (Nakshatra-wise Use)

नक्षत्र वर्ग

नाम (उदाहरण)

वस्त्र

 वास्तु

आभूषण

चूड़ी

सौम्य

रोहिणी, पुष्य, श्रवण

मृदु

मृगशिरा, अनुराधा, रेवती

उग्रह/क्रूर

भरणी, कृत्तिका, अश्विनी

⚠️

⚠️

⚠️

⚠️

तीक्ष्ण/दारुण

अर्द्रा, मूल, अश्लेषा

🌟 27 नक्षत्रों में वस्त्र, आभूषण, चूड़ी, वास्तु प्रयोग के योग

नक्षत्र

वस्त्र

आभूषण / चूड़ी

वास्तु आरंभ

अश्विनी

शुभ

शुभ

शुभ

भरणी

वर्जित

वर्जित

वर्जित

कृत्तिका

अशुभ

वर्जित

वर्जित

रोहिणी

अति शुभ

चांदी/मोती शुभ

शुभ

मृगशिरा

शुभ

सफेद धातु

शुभ

आर्द्रा

निषेध

रक्तमणि वर्जित

अशुभ

पुनर्वसू

शुभ

शुभ

शुभ

पुष्य

अति शुभ

स्वर्ण/मोती विशेष शुभ

शुभतम

आश्लेषा

वर्जित

चूड़ी वर्जित

वर्जित

मघा

वर्जित

गहने निषेध

वास्तु निषेध

पूर्वा फाल्गुनी

शुभ

चूड़ी शुभ

शुभ

उत्तर फाल्गुनी

शुभ

रत्न धारण योग्य

शुभ

हस्त

शुभ

चांदी/सोना

शुभ

चित्रा

शुभ

नवरत्न संभव

शुभ

स्वाति

सावधानी

मध्यम

यात्रा हेतु श्रेष्ठ

विशाखा

शुभ

शुभ

शुभ

अनुराधा

शुभ

शुभ

शुभ

ज्येष्ठा

वर्जित

माणिक्य निषेध

वास्तु निषेध

मूल

निषेध

काले वस्त्र निषेध

वर्जित

पूर्वाषाढ़ा

वर्जित

चूड़ी निषेध

वर्जित

उत्तराषाढ़ा

शुभ

हल्के रत्न शुभ

शुभ

श्रवण

अति शुभ

मोती/स्वर्ण शुभ

शुभतम

धनिष्ठा

मध्यम

लाल वस्त्र सम्भव

यात्रा हेतु

शतभिषा

निषेध

गहरे रत्न वर्जित

अशुभ

पूर्वा भाद्रपद

वर्जित

लाल/काले रंग निषेध

वर्जित

उत्तर भाद्रपद

शुभ

सफेद धातु शुभ

शुभ

रेवती

शुभ

हल्के गहने शुभ

शुभ

तिथि, वार, नक्षत्र अनुसार वस्त्र, आभूषण, चूड़ी के शुभ-अशुभ प्रयोग

यह सारांश शास्त्रीय ग्रंथों जैसे भद्रबाहु संहिता, मुहूर्त चिंतामणि, धर्मसिंधु आदि पर आधारित है।
यहाँ प्रमुख तिथि, वार, और नक्षत्र के अनुसार वस्त्र, आभूषण, चूड़ी के शुभ-अशुभ प्रयोग दिए गए हैं।

✔️ - शुभ, ❌ - अशुभ, ⚠️ - सावधानी से उपयोग करें।


तिथि

वार (दिन)

नक्षत्र

वस्त्र (रंग/प्रकार)

आभूषण

चूड़ी

अमावस्या

मंगलवार

रोहिणी

लाल ✔️

सोना ✔️

लाल ✔️

पूर्णिमा

शुक्रवार

मृगशिरा

सफेद ✔️

चांदी ✔️

सफेद ✔️

द्वितीया

सोमवार

पुनर्वसू

हरा ⚠️

मणि ⚠️

हरी ⚠️

तृतीया

गुरुवार

पूर्वा फाल्गुनी

नीला ✔️

मोती ✔️

नीली ✔️

चतुर्थी

शनि

उत्तर फाल्गुनी

पीला ✔️

पन्ना ✔️

पीली ✔️

पंचमी

रविवार

हस्त

सुनहरा ✔️

मुक्ता ✔️

सुनहरा ✔️

षष्ठी

मंगलवार

चित्रा

लाल ✔️

लाल पत्थर ✔️

लाल ✔️

सप्तमी

बुध

स्वाति

सफ़ेद ⚠️

चांदी ⚠️

सफ़ेद ⚠️

अष्टमी

गुरुवार

विशाखा

नीला ✔️

नीला पत्थर ✔️

नीला ✔️

नवमी

शुक्रवार

अनुराधा

हरा ✔️

पन्ना ✔️

हरा ✔️

दशमी

शनिवार

ज्येष्ठा

काला

काला

काला

एकादशी

रविवार

मूल

काला

काला

काला

द्वादशी

सोमवार

पूर्वाषाढ़ा

नीला

नीला

नीला

त्रयोदशी

मंगलवार

उत्तराषाढ़ा

सफ़ेद ✔️

सफेद ✔️

सफेद ✔️

चतुर्दशी

बुध

श्रवण

हरा ✔️

हरा ✔️

हरा ✔️

पूर्णिमा

गुरुवार

धनिष्ठा

सुनहरा ⚠️

सुनहरा ⚠️

सुनहरा ⚠️

अमावस्या

शुक्रवार

शतभिषा

काला

काला

काला

प्रथमा

शनिवार

पूर्वा भाद्रपद

लाल

लाल

लाल

द्वितीया

रविवार

उत्तर भाद्रपद

सफेद ✔️

सफेद ✔️

सफेद ✔️

तृतीया

सोमवार

रेवती

नीला ✔️

नीला ✔️

नीला ✔️

 

🌟 27 नक्षत्रों का शुभ-शुभ वर्गीकरण

(🔹= पूर्ण शुभ, ⚠️= मध्यम/सावधानीपूर्वक, ❌= अशुभ)

क्रम

नक्षत्र

श्रेणी

प्रयोग निर्णय

1

अश्विनी

सौम्य

🔹 शुभ

2

भरणी

उग्र

अशुभ

3

कृत्तिका

उग्र

अशुभ

4

रोहिणी

मृदु/सौम्य

🔹 अति शुभ

5

मृगशिरा

मृदु

🔹 शुभ

6

आर्द्रा

तीक्ष्ण

अशुभ

7

पुनर्वसू

सौम्य

🔹 शुभ

8

पुष्य

सौम्य

🔹 अति शुभ (सर्वश्रेष्ठ)

9

आश्लेषा

दरुण

अशुभ

10

मघा

उग्र

अशुभ

11

पूर्वा फाल्गुनी

मृदु

🔹 शुभ

12

उत्तरा फाल्गुनी

मृदु

🔹 शुभ

13

हस्त

सौम्य

🔹 शुभ

14

चित्रा

मृदु

🔹 शुभ

15

स्वाति

चर

⚠️ मध्यम

16

विशाखा

सौम्य

🔹 शुभ

17

अनुराधा

मृदु

🔹 शुभ

18

ज्येष्ठा

तीक्ष्ण

अशुभ

19

मूल

तीक्ष्ण

अशुभ

20

पूर्वाषाढ़ा

उग्र

अशुभ

21

उत्तराषाढ़ा

सौम्य

🔹 शुभ

22

श्रवण

सौम्य

🔹 अति शुभ

23

धनिष्ठा

चर

⚠️ मध्यम

24

शतभिषा

दरुण

अशुभ

25

पूर्वा भाद्रपद

तीक्ष्ण

अशुभ

26

उत्तर भाद्रपद

सौम्य

🔹 शुभ

27

रेवती

मृदु

🔹 शुभ

 


 

 

 

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विवाह में विलंब विवाह के लिए कात्यायनी पूजन । 10 oct - 18 oct विवाह में विलंब - षष्ठी - कात्यायनी पूजन । वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए - दुर्गतिहारणी मां कात्यायनी की शरण लीजिये | प्रतिपदा के दिन कलश स्थापना के समय , संकल्प में अपना नाम गोत्र स्थान बोलने के पश्चात् अपने विवाह की याचना , प्रार्थना कीजिये | वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए प्रति दिन प्रातः सूर्योदय से प्रथम घंटे में या दोपहर ११ . ४० से १२ . ४० बजे के मध्य , कात्ययानी देवी का मन्त्र जाप करिये | १०८बार | उत्तर दिशा में मुँह हो , लाल वस्त्र हो जाप के समय | दीपक मौली या कलावे की वर्तिका हो | वर्तिका उत्तर दिशा की और हो | गाय का शुद्ध घी श्रेष्ठ अथवा तिल ( बाधा नाशक + महुआ ( सौभाग्य ) तैल मिला कर प्रयोग करे मां भागवती की कृपा से पूर्वजन्म जनितआपके दुर्योग एवं   व्यवधान समाप्त हो एवं   आपकी मनोकामना पूरी हो ऐसी शुभ कामना सहित || षष्ठी के दिन विशेष रूप से कात्यायनी के मन्त्र का २८ आहुति / १०८ आहुति हवन कर...

कलश पर नारियल रखने की शास्त्रोक्त विधि क्या है जानिए

हमे श्रद्धा विश्वास समर्पित प्रयास करने के बाद भी वांछित परिणाम नहीं मिलते हैं , क्योकि हिन्दू धर्म श्रेष्ठ कोटी का विज्ञान सम्मत है ।इसकी प्रक्रिया , विधि या तकनीक का पालन अनुसरण परमावश्यक है । नारियल का अधिकाधिक प्रयोग पुजा अर्चना मे होता है।नारियल रखने की विधि सुविधा की दृष्टि से प्रचलित होगई॥ मेरे ज्ञान  मे कलश मे उल्टा सीधा नारियल फसाकर रखने की विधि का प्रमाण अब तक नहीं आया | यदि कोई सुविज्ञ जानकारी रखते हो तो स्वागत है । नारियल को मोटा भाग पूजा करने वाले की ओर होना चाहिए। कलश पर नारियल रखने की प्रमाणिक विधि क्या है ? अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए , उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै प्राची मुखं वित्त्नाश्नाय , तस्माच्छुभम सम्मुख नारिकेलम अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए कलश पर - नारियल का बड़ा हिस्सा नीचे मुख कर रखा जाए ( पतला हिस्सा पूछ वाला कलश के उपरी भाग पर रखा जाए ) तो उसे शत्रुओं की वृद्धि होती है * ( कार्य सफलता में बाधाएं आती है संघर्ष , अपयश , चिंता , हानि , सहज हैशत्रु या विरोधी तन , मन धन सर्व दृष्टि से घातक होते है ) उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै कलश ...