✅ पूर्वाषाढा नक्षत्र, शष्ठी तिथि एवं रविवार के संयोग में नए वस्त्र/वस्तु/चूड़ी प्रयोग पर शास्त्रीय निषेध-18.5.2025
✅ पूर्वाषाढा नक्षत्र, शष्ठी तिथि एवं रविवार के संयोग में नए वस्त्र/वस्तु/चूड़ी प्रयोग पर शास्त्रीय निषेध
(हम नहीं, शास्त्र कहते हैं।)( "It is not we, but the scriptures that speak — The use of new clothes or items under the Purva Shadha Nakshatra does not yield auspicious results."
१. भद्रबाहु संहिता – अध्याय 45, श्लोक 187
पूर्वाषाढायां न वस्त्राणि, रोगदं, जलाधिदैवतं।
अर्थ:
पूर्वाषाढा नक्षत्र में नए वस्त्र पहनना वर्जित है। यह रोग का कारण बनता है क्योंकि इसका अधिदैवत जल (वरुण)
है।
स्रोत: भद्रबाहु संहिता,
अध्याय ४५, श्लोक १८७
२. निर्णयसिन्धु – नूतन वस्त्र/वस्तु प्रयोग
नववस्त्रादिसंस्काराः शुभनक्षत्रेषु कार्याः।
अर्थ:
नए वस्त्र आदि के प्रयोग केवल शुभ नक्षत्रों में ही करने चाहिए। पूर्वाषाढा इसमें वर्ज्य मानी गई है।
स्रोत: निर्णयसिन्धु, मुहूर्त प्रकरण
३. मुहूर्त चिंतामणि – नक्षत्र निर्णय
पूर्वाषाढायां गृहवस्त्रादिकं न कारयेत्।
अर्थ:
पूर्वाषाढा नक्षत्र में गृहप्रवेश, वस्त्र, चूड़ी या अन्य गृहसंबंधी वस्तुओं का प्रयोग वर्जित है।
स्रोत: मुहूर्त चिंतामणि, नक्षत्राध्याय
४. मुहूर्त मार्तण्ड – तिथि, वार, नक्षत्र संयुक्त दोष
त्रिविधदोषयुक्ते दिवसे न कार्यं शुभम्।
अर्थ: जब तिथि, वार और नक्षत्र तीनों अशुभ हों, जैसे शष्ठी +
रविवार + पूर्वाषाढा, तब
कोई शुभ कार्य वर्जित होता है।
स्रोत: मुहूर्त मार्तण्ड, संयोग विचार Bhadrabahu Samhita – अध्याय 45,
श्लोक 187 के अनुसार:
"पूर्वाषाढायां न वस्त्राणि, रोगदं, जलाधिदैवतं।"
"पूर्वाषाढा नक्षत्र में नए वस्त्र धारण करना वर्जित माना गया है, यह रोगकारक होता है क्योंकि इसका अधिदैवता जल (वरुण) है।"
➡️ यह स्पष्ट रूप से बताता है कि Purva Shadha Nakshatra में वस्त्र-प्रयोग वर्जित है और स्वास्थ्य दोष का कारण बन सकता है।
✅ Nirnaya Sindhu और Dharmasindhu में भी शुभ-अशुभ मुहूर्त पर चर्चा करते हुए इस बात को बल दिया गया है कि:
- नववस्त्र, नवनिर्माण, नवकर्ण, चूड़ी, नथ, आदि का प्रयोग केवल शुभ नक्षत्रों में ही करें।
- पूर्वाषाढा, जब शष्ठी तिथि और रविवार से संयुक्त हो, तब वर्ज्य काल कहा गया है — त्रिक दोष (नक्षत्र+वार+तिथि दोष) माना जाता है।
✅ Muhurat Martand (मूहूर्त मार्तण्ड):
- इसमें स्पष्ट निर्देश है कि यदि किसी भी वस्त्र या गृहवस्तु का प्रयोग किया जाए, तो वह श्रवण, रोहिणी, पुनर्वसु, रेवती आदि नक्षत्रों में हो।
- पूर्वाषाढा का प्रयोग गृह प्रवेश, नूतन वस्त्र, या आभूषण प्रयोग हेतु वर्जित कहा गया है।
✅ Muhurt Chintamani:
वाक्य: "पूर्वाषाढा गहना, वस्त्र, गृह क्रय में अशुभ मानी जाती है।"
इसमें विशेषतः स्त्रियों हेतु चूड़ी (बांगड़ी) आदि के लिए भी मना किया गया है।
🔻 निष्कर्ष (Conclusion with Validation):
📌 Purva Shadha Nakshatra में नव वस्त्र, नव वस्तु,
नव चूड़ी, आदि प्रयोग करना भद्रबाहु संहिता सहित
अन्य मुहूर्त ग्रंथों में रोग, दुर्भाग्य, एवं शारीरिक पीड़ा का कारक कहा गया है।
📌 अधिदैवता जल (वरुण) होने के
कारण, यह नक्षत्र कभी-कभी मानसिक अशांति, भय या रोग देने वाला माना गया है — विशेषतः जब यह रविवार और शष्ठी तिथि से जुड़ा हो।
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