नवीन वस्त्र/आभूषण आदि के प्रयोग10.5.2025शनिवार, चतुर्दशी, चित्रा नक्षत्र
🔷 1. शनिवार और नवीन वस्त्र, आभूषण, श्रृंगार
📚 ग्रंथ: मुहूर्त चिंतामणि, धर्मसिंधु, कश्यप संहिता
❌ निषेध:
शनिवार को नव वस्त्र, आभूषण, चूड़ी, श्रृंगार या नये सौंदर्य उत्पादों का प्रयोग वर्जित माना गया है। ऐसा करना शनि के प्रभाव को उत्तेजित कर सकता है, जिससे रोग, आलस्य या अपव्यय होता है।
🕉️ श्लोक (मुहूर्त चिंतामणि):
"शनौ वासो न
धार्यः स्यात् न चाभरणभूषणम्।
न नूतनं
गृहे कार्यं शनैश्चरे दिने कथम्॥"
📖 अर्थ:
शनिवार को
नए वस्त्र, आभूषण, घर की सजावट
आदि शुभ नहीं माने जाते।
🔷 2. चतुर्दशी तिथि और चूड़ी/वस्त्र प्रयोग
📚 ग्रंथ: कालप्रदीप, शिवपुराण
❌ निषेध (चतुर्दशी):
चतुर्दशी को नव श्रृंगार, सौंदर्य प्रदर्शन, विवाह संबंधी या विलासिता के कार्य वर्जित हैं। यह तिथि वैराग्य, साधना व संयम के लिए श्रेष्ठ मानी जाती है।
"चतुर्दश्यां
व्रतान्येव भोगाद्यर्थं न कार्यकम्।
विरक्तवृत्तये
तिथिर्मुक्तिदा शिवपूजिता॥"
📖 अर्थ:
चतुर्दशी
तिथि में केवल व्रत और साधना करें, भोग-विलास या श्रृंगार कर्म न करें।
🔷 3. चित्रा नक्षत्र और वस्त्र/सज्जा प्रयोग
📚 ग्रंथ: जातक पारिजात, बृहत्संहिता, नक्षत्र माला
✅ स्वीकृत प्रयोग (चित्रा नक्षत्र):
चित्रा नक्षत्र में सौंदर्य, वास्तु-कलात्मक निर्माण, आभूषण डिजाइन, वस्त्र की कटिंग/सिलाई, चित्रांकन, डिजाइनिंग, चूड़ी निर्माण/खरीदारी शुभ मानी जाती है।
"चित्रा
रुचिरकर्मण्यां शोभायुक्तविवृद्धिदा।
सौंदर्यलाभ
कार्या स्यात् वस्त्ररत्नविभूषणैः॥"
📖 अर्थ: चित्रा नक्षत्र में सौंदर्य से संबंधित कार्य करने पर बढ़ोतरी होती है।
✅ सारांश (उपयोग ज्ञान)After 17:29 pm
घटक |
अनुशंसा |
प्रयोग |
शनिवार |
❌ नये वस्त्र, चूड़ी, आभूषण पहनना |
वर्जित |
चतुर्दशी |
❌ श्रृंगार, विलास, नव वस्त्र का प्रयोग |
वर्जित |
चित्रा नक्षत्र |
✅ वस्त्र, डिजाइन, चूड़ी, कला कार्य |
शुभ |
चतुर्दशी तिथि:
🔹 1. शिव पुराण (Shiva Purana)
"चतुर्दश्यां
निशामुख्यां यो मां सम्पूजयेत् नरः।
स याति परमं स्थानं मम सायुज्यमाप्नुयात्॥"
जो व्यक्ति
चतुर्दशी की रात्रि में मेरी पूजा करता है, वह परम स्थान प्राप्त करता है और शिव में लीन हो जाता
है।
🔹 2. मुहूर्त चिंतामणि (Muhurat Chintamani)"चतुर्दशी
तिथि क्रूरा एवं उग्रा तिथि मानी जाती है। इस तिथि के देवता भगवान शिवजी हैं।
इसीलिये चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव का ज्यादा- से-ज्यादा पूजन, अर्चन एवं
अभिषेक करना चाहिये।"
चतुर्दशी
तिथि को क्रूर और उग्र तिथि माना गया है। इस तिथि के देवता भगवान शिव हैं, अतः इस दिन
उनका अधिकाधिक पूजन, अर्चन और अभिषेक करना चाहिए।
🔹 3. मुहूर्त चिंतामणि (Muhurat Chintamani) – शुभाशुभ प्रकरणम्
श्लोक संख्या 36:
"चतुर्थी तिथि ... यह तिथि है तिथि
तो रंद्र संगत तिथि में कोई शुभ ..."
चतुर्थी तिथि को रंद्र
संगत तिथि माना गया है, जो शुभ कार्यों
के लिए उपयुक्त नहीं होती।✨ Chaturdashi Tithi – Scriptural Power & Purpose
"Scripture
Says... शास्त्रों
की वाणी"
🎥 (Perfect for Instagram Reels, YouTube Shorts, or
Carousel)
🔱 1. Shiva Purana | शिव पुराण
"चतुर्दश्यां निशामुख्यां यो मां
सम्पूजयेत् नरः।
स याति परमं
स्थानं मम सायुज्यमाप्नुयात्॥"
He who worships Lord Shiva on the night of Chaturdashi attains the supreme
abode and union with Shiva.
🌟 Impact / लाभ: Moksha, Peace, and Destruction of Negativity.
📖 2. Dharmasindhu | धर्मसिंधु
"प्रदोषव्रतं
चतुर्दश्यां यथाविधि कर्तव्यम्।"
Chaturdashi is best suited for observing the sacred Pradosh Vrat dedicated to
Lord Shiva.🌟 Impact / लाभ: Health, Harmony, and Fulfillment of Wishes.
📗 3. Muhurat Chintamani | मुहूर्त चिंतामणि
चतुर्दशी को
“क्रूरग्रह बाधा नाशिनी तिथि” कहा गया है।
Chaturdashi destroys malefic planetary effects when puja or remedies are done.🌟 Impact /
लाभ: Removes obstacles, ensures
success in Tantra, Sadhana, & Remedies.
📚 4. Narada Purana | नारद पुराण
"चतुर्दश्यां
शिवपूजा अनन्तफलप्रदा।"
Worship of Shiva on Chaturdashi gives infinite merit and divine protection.🌟 Impact /
लाभ: Divine Blessings, Grace &
Prosperity.
🔔 Use This Day For...
✅ शिव अभिषेक (Abhishekam)
✅ व्रत एवं
ध्यान (Fasting
& Meditation)
✅ तिल दान व
दीपदान (Sesame
& Lamp Donation)
"चतुर्दशी तिथिः क्रूरकार्येषु सिद्धिदा मता" इस श्लोक को विस्तार से समझते हैं:
🔷 मूल श्लोक:
"चतुर्दशी
तिथिः क्रूरकार्येषु सिद्धिदा मता।"
📚 स्रोत: मुहूर्त चिंतामणि, मुहूर्तगणपति, धर्मसिंधु
इत्यादि
📖 शब्दार्थ (Word Meaning):
- चतुर्दशी तिथिः — चंद्र मास की चौदहवीं तिथि (कृष्ण या शुक्ल पक्ष की)
- क्रूरकार्येषु — क्रूर/उग्र/दंडात्मक प्रकृति के कार्यों में
- सिद्धिदा — सफलता प्रदान करने वाली
- मता — मानी गई है (ज्योतिषियों और शास्त्रों द्वारा)
🔥 "क्रूरकार्य" (Krur Karya) की परिभाषा:
"क्रूर कार्य" वे कार्य होते हैं जो स्वभावतः उग्र, आक्रामक, कठोर, भययुक्त, या नियंत्रण हेतु होते हैं। ये कार्य मनोवैज्ञानिक रूप से तनावपूर्ण व प्रभावशाली होते हैं, जिनमें दया या सहानुभूति की अपेक्षा अनुशासन या भय प्रधान होता है। चतुर्दशी तिथि को “उग्रा व क्रूर तिथि” माना गया है, और कुछ विशेष कार्य इस दिन प्रारंभ करने से सफलता की संभावना अधिक मानी जाती है — विशेषकर वे कार्य जो तामसिक, दंडात्मक, या गुप्त प्रवृत्ति के होते हैं।
📜 ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार – चतुर्दशी पर आरंभ करने योग्य क्रूर कार्य
🔥 शास्त्रीय ग्रंथ: मुहूर्त चिंतामणि, कल्पद्रुम तंत्र, धर्मसिंधु, शिव पुराण आदि।
🗡️ उग्र/क्रूर कार्य जिनमें सफलता मिलती है:
कार्य |
उद्देश्य |
क्यों सफल मानी जाती है |
दंड देना (Punishment) |
अपराधी को दंड देना |
चतुर्दशी "दंड-तिथि" कहलाती है |
दुश्मन पर आक्रमण (Attack) |
शत्रु-नाश |
तिथि उग्रा है – क्रिया उग्रता से सिद्ध |
सैन्य/रणनीति आरंभ करना |
अभियान/प्रहार |
युद्ध, गुप्तचर कार्य शुभ माने गए |
वशीकरण/उच्चाटन तंत्र |
तांत्रिक प्रयोग |
चतुर्दशी तांत्रिक क्रियाओं की विशेष तिथि |
मुकदमा, विवाद प्रारंभ |
कानूनी आक्रमण |
विजय की संभावनाएँ अधिक होती हैं |
क्रूर निर्णय लेना |
जैसे नौकरी से निकालना, बहिष्कार |
तिथि में "वैरभाव" का गुण |
📚 शास्त्रीय दृष्टि से क्रूर कार्यों के उदाहरण:
कार्य |
शास्त्रीय वर्गीकरण |
ग्रंथीय सन्दर्भ |
🔨 दंड देना (Punishment) |
न्याय हेतु क्रूर कार्य |
धर्मसिंधु – चतुर्दशी में राजा अपराधी को दंड दे |
⚔️ शत्रु पर आक्रमण (Attack/War) |
उग्र कार्य |
महाभारत, कालप्रदीप – चतुर्दशी को युद्धारंभ |
🪬 तांत्रिक प्रयोग (Vashikaran, Uchatan, Maran) |
तामसिक क्रिया |
कौलज्ञाननिर्णय, रुद्रयामल तंत्र – चतुर्दशी तांत्रिक प्रयोग हेतु उपयुक्त |
⚖️ विवाद, मुकदमा प्रारंभ |
वैर कार्य |
मुहूर्त चिंतामणि – चतुर्दशी में शत्रु से निपटना श्रेष्ठ |
🚫 निष्कासन, बहिष्कार, कठोर निर्णय |
शासनात्मक कार्य |
राजधर्म – नियंत्रण हेतु चतुर्दशी तिथि उपयोगी |
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