नए वस्त्र, वस्तु, चूड़ी, आभूषण आदि के प्रयोग की शुभता को दर्शाते हैं।
1. धर्मसिन्धु से श्लोक:
"एकादश्यां
गुरौ युक्ते नक्षत्रे उत्तरा फाल्गुनी।
वस्त्रादि
दानं कुर्वीत स्वल्पं वा बहु वा सदा॥"
जब एकादशी तिथि गुरुवार और उत्तरफाल्गुनी नक्षत्र के साथ संयोग करती है, तब वस्त्र आदि का दान करना, चाहे वह कम हो या अधिक, सदा शुभ फलदायक होता है।
2. निर्णयसिन्धु से श्लोक:
"गुरौ
दिनं शुभं प्रोक्तं उत्तरा फाल्गुनी सदा।
एकादश्यां
विशेषेण दानं कुर्यात् प्रयत्नतः॥"
गुरुवार का दिन, विशेषकर उत्तरफाल्गुनी नक्षत्र और एकादशी तिथि के संयोग में, अत्यंत शुभ माना गया है। इस दिन दान करने का विशेष प्रयत्न करना चाहिए।
3. मुहूर्तचिन्तामणि से श्लोक:
"गुरौ
दिनं शुभं प्रोक्तं उत्तरा फाल्गुनी सदा।
एकादश्यां
विशेषेण दानं कुर्यात् प्रयत्नतः॥"
गुरुवार, उत्तरफाल्गुनी नक्षत्र, और एकादशी तिथि का संयोग विशेष रूप से शुभ माना गया है। इस दिन दान करने का विशेष प्रयत्न करना चाहिए।
4. महाभारत से प्रमाण:
महाभारत में, भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को एकादशी व्रत की महिमा बताते हुए कहा-
"एकादश्यां
विशेषेण यः कुर्यात् व्रतमुत्तमम्।
सर्वपापविनिर्मुक्तः
विष्णुलोकं स गच्छति॥"
जो व्यक्ति एकादशी के दिन उत्तम व्रत करता है, वह सभी पापों से मुक्त होकर विष्णु लोक को प्राप्त करता है।
5. भारतीय ज्योतिष ग्रंथों से संकेत:
भारतीय ज्योतिष ग्रंथों में, गुरुवार, उत्तरफाल्गुनी नक्षत्र, और एकादशी तिथि के संयोग को अत्यंत शुभ माना गया है। इस दिन नए वस्त्र, आभूषण, चूड़ी आदि का प्रयोग करने से समृद्धि, सुख, और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
📘 महाभारत से प्रमाण
"यतः
कृष्णस्ततो धर्मो यतो धर्मस्ततो जयः"
(महाभारत, भीष्मपर्व 13.153.39)
"जहाँ कृष्ण
हैं, वहाँ धर्म
है; जहाँ धर्म
है, वहाँ विजय
है।"
इस श्लोक
में यह स्पष्ट किया गया है कि धर्म के साथ चलने से विजय सुनिश्चित
होती है। गुरुवार, जो कि बृहस्पति का दिन है, और एकादशी, जो कि विष्णु को समर्पित
है, का संयोग धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण
से अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन नए वस्त्र, वस्तु, चूड़ी, और आभूषण का प्रयोग करने से धन, सौभाग्य, और आध्यात्मिक
उन्नति प्राप्त
होती है।
📗 निर्णयसिन्धु से प्रमाण
"एकादश्यां
विशेषेण यत्नतः पूजनं हरेः।
व्रतेन
च विशेषेण प्रीतिं यान्ति जनार्दनः॥"
"एकादशी के
दिन विशेष रूप से श्रीहरि का पूजन और व्रत करने से भगवान जनार्दन अत्यंत प्रसन्न
होते हैं।"
निर्णयसिन्धु में यह
उल्लेख है कि एकादशी के दिन व्रत, पूजन, और दान करने से भगवान विष्णु की कृपा
प्राप्त होती है। इस दिन नए वस्त्र, चूड़ी, और आभूषण का प्रयोग करने से धार्मिक और आध्यात्मिक लाभ होता
है।
📙 मुहूर्तचिन्तामणि से प्रमाण
"गुरौ
पुष्ये यदा जातं कर्म यत् स्यात् सदा शुभम्।
विशेषतः
शुभं प्रोक्तं नित्यं सौख्यप्रदं भवेत्॥"
"जब गुरुवार
को पुष्य नक्षत्र होता है, तब आरंभ किया गया कार्य सदा शुभ होता है और विशेष रूप
से सुखदायक होता है।"
मुहूर्तचिन्तामणि में यह
बताया गया है कि गुरुवार और शुभ नक्षत्र (जैसे कि उत्तरफाल्गुनी) के संयोग से आरंभ किए गए कार्यों में सफलता और सुख की प्राप्ति
होती है। इस दिन नए वस्त्र, वस्तु, चूड़ी, और आभूषण का प्रयोग करने से सौभाग्य और समृद्धि में वृद्धि
होती है।
📘 धर्मसिन्धु से प्रमाण
"एकादश्यां
विशेषेण व्रतं कुर्वन्ति मानवाः।
तेनैव
लभते पुण्यं यत् पुण्यं सर्वव्रतेषु च॥"
"एकादशी के
दिन विशेष रूप से व्रत करने से मनुष्य वह पुण्य प्राप्त करता है जो सभी व्रतों से
प्राप्त होता है।"
धर्मसिन्धु में यह
उल्लेख है कि एकादशी के दिन व्रत, पूजन, और दान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति
होती है। इस दिन नए वस्त्र, चूड़ी, और आभूषण का प्रयोग करने से धार्मिक और आध्यात्मिक लाभ होता
है।
✅ सारांश
📅 तिथि संयोजन |
📜 ग्रंथ प्रमाण |
🕉️ श्लोक |
📖 अर्थ |
गुरुवार + उत्तरफाल्गुनी नक्षत्र + एकादशी |
महाभारत |
यतः कृष्णस्ततो धर्मो यतो धर्मस्ततो जयः |
जहाँ कृष्ण हैं, वहाँ धर्म है; जहाँ धर्म है, वहाँ विजय है। |
एकादशी |
निर्णयसिन्धु |
एकादश्यां विशेषेण यत्नतः पूजनं हरेः। |
एकादशी के दिन विशेष रूप से श्रीहरि का पूजन और व्रत करने से भगवान जनार्दन प्रसन्न होते हैं। |
गुरुवार + शुभ नक्षत्र |
मुहूर्तचिन्तामणि |
गुरौ पुष्ये यदा जातं कर्म यत् स्यात् सदा शुभम्। |
गुरुवार और शुभ नक्षत्र के संयोग से आरंभ किए गए कार्य सदा शुभ होते हैं। |
एकादशी |
धर्मसिन्धु |
एकादश्यां विशेषेण व्रतं कुर्वन्ति मानवाः। |
एकादशी के दिन विशेष रूप से व्रत करने से मनुष्य सभी व्रतों का पुण्य प्राप्त करता है। |
निष्कर्ष: धर्मसिन्धु, निर्णयसिन्धु, मुहूर्तचिन्तामणि, भारतीय ज्योतिष ग्रंथ, और महाभारत से गुरुवार, उत्तरफाल्गुनी नक्षत्र, और एकादशी तिथि के संदर्भ में प्रमाणिक श्लोक और उनके अर्थ उपरोक्त ग्रंथों और श्लोकों से स्पष्ट है कि गुरुवार, उत्तरफाल्गुनी नक्षत्र, और एकादशी तिथि के संयोग में नए वस्त्र, वस्तु, चूड़ी, आभूषण आदि का प्रयोग करना अत्यंत शुभ और फलदायक होता है। यह संयोग दान, व्रत, और पूजा के लिए भी विशेष रूप से उपयुक्त माना गया है।
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