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वस्त्र, आभूषण, चूड़ी और वास्तु के -तिथि,वार,27 नक्षत्रों में शुभ-अशुभ प्रयोग

 

 वस्त्र, आभूषण, चूड़ी के प्रथम प्रयोग हेतु शुभ रंग (वार लग्न अनुसार)

लग्न अनुसार वस्त्र, आभूषण, चूड़ी के प्रथम प्रयोग के शुभ सुझाव-100%

Lagn important duration 2hours ;

लग्न

वस्त्र रंग

आभूषण प्रकार

चूड़ी रंग

मेष

लाल, नारंगी

सोने के

लाल

वृष

सफेद, हल्के रंग

चांदी के

सफेद

मिथुन

पीला, हरा

मणि के

पीली

कर्क

सफेद, हल्के रंग

मोती के

सफेद

सिंह

केसरिया, लाल

सोने के

लाल

कन्या

पीला, हरा

 आभूषण

पीली

तुला

सफेद, गुलाबी

मोती के

गुलाबी

वृश्चिक

लाल, काला

सोने के

लाल

धनु

नीला, सफेद

मोती के

नीली

मकर

काला, नीला

चांदी के

नीली

कुम्भ

हल्के रंग, सफेद

मोती के

सफेद

मीन

नीला, हरा

 आभूषण

नीली


नोट: उपरोक्त जानकारी शास्त्रीय ज्योतिष, रंग चिकित्सा एवं परंपरागत मान्यताओं पर आधारित है। प्रत्येक सुझाव का शास्त्रीय ग्रंथ, श्लोक या अर्थ-प्रमाण आवश्यकतानुसार अलग से संकलित किया जा सकता है।

वार अनुसार शुभ रंग-

day 24 hours

सोमवार (Monday) – शुभ रंग: सफेद, मल्टीकलर (मिश्रित रंग)

मंगलवार (Tuesday) – शुभ रंग-RED,Brown वायलेट (Violet) जामुनी

बुधवार (Wednesday) – शुभ रंग: हरा (Green)Yellow

गुरुवार (Thursday) – शुभ रंग: पीला, केसरिया;Green

शुक्रवार (Friday) – शुभ रंग: सफेद, इंडिगो ;begni

शनिवार (Saturday) – शुभ रंग: नीला, काला,

 रविवार (Sunday) – शुभ रंग: बैंगनी (Purple)blue 

 

वार और लग्न अनुसार वस्त्र, आभूषण, चूड़ी प्रयोगशास्त्रीय प्रमाण सहित

वार अनुसार शुभ रंग (शास्त्रीय प्रमाण सहित)

सोमवार (Monday) – शुभ रंग: सफेद, मल्टीकलर
➡️
शास्त्रीय संदर्भ: चंद्रमा को प्रसन्न करने हेतु सफेद वस्त्र मोती का प्रयोग श्रेष्ठ माना गया है।

मंगलवार (Tuesday) – शुभ रंग: हरा, वायलेट
➡️
शास्त्रीय संदर्भ: मंगल ग्रह के लिए रक्तवर्ण (लाल) तथा हरे रंग के वस्त्र क्रियाशीलता में वृद्धि करते हैं।

बुधवार (Wednesday) – शुभ रंग: हरा
➡️
शास्त्रीय संदर्भ: बुध ग्रह के लिए हरे वस्त्र, पन्ना आदि प्रयोग शुभ कहे गए हैं।

गुरुवार (Thursday) – शुभ रंग: पीला, केसरिया
➡️
शास्त्रीय संदर्भ: गुरु ग्रह हेतु पीताम्बर, स्वर्णाभूषण का प्रयोग विद्या एवं धर्म हेतु शुभ।

शुक्रवार (Friday) – शुभ रंग: सफेद, इंडिगो
➡️
शास्त्रीय संदर्भ: शुक्र हेतु शुभ्रवस्त्र, चांदी, सुंदर वस्त्रों का प्रयोग विवाह ऐश्वर्य हेतु शुभ।

शनिवार (Saturday) – शुभ रंग: नीला, काला, जामुनी
➡️
शास्त्रीय संदर्भ: शनि हेतु श्यामवर्ण, नीलवर्ण वस्त्र, लोहे अथवा काले धातु के प्रयोग से दोषशमन होता है।

रविवार (Sunday) – शुभ रंग: बैंगनी
➡️
शास्त्रीय संदर्भ: सूर्योपासना हेतु रक्तवर्ण, नारंगी एवं बैंगनी वस्त्र आत्मबल वृद्धि करते हैं।

लग्न अनुसार वस्त्र, आभूषण, चूड़ीशास्त्रीय संदर्भ सहित

लग्न

वस्त्र रंग

आभूषण प्रकार

चूड़ी रंग

शास्त्रीय प्रमाण

मेष

लाल, नारंगी

सोने के आभूषण

लाल

मंगल स्वामी होने से तामसिक रंगों स्वर्ण प्रयोग शुभ।

वृष

सफेद, हल्के रंग

चांदी के आभूषण

सफेद

शुक्र स्वामीशांत, स्निग्ध रंग रजतधातु उपयुक्त।

मिथुन

पीला, हरा

मणि के आभूषण

पीली

बुध स्वामीमणि हरे पीले वस्त्र से वाक् शक्ति में वृद्धि।

कर्क

सफेद, हल्के रंग

मोती के आभूषण

सफेद

चंद्र स्वामीशांत रंग मोती से मन स्थिर रहता है।

सिंह

केसरिया, लाल

सोने के आभूषण

लाल

सूर्य स्वामीतेजस्विता हेतु सूर्य वर्ण सुवर्ण प्रयोग।

कन्या

पीला, हरा

सरल आभूषण

पीली

बुध स्वामीसरलता, अध्ययन में प्रबलता हेतु।

तुला

सफेद, गुलाबी

मोती के आभूषण

गुलाबी

शुक्र स्वामीप्रेम सौंदर्य वृद्धि हेतु रजस गुणयुक्त रंग।

वृश्चिक

लाल, काला

सोने के आभूषण

लाल

मंगल स्वामीतेजस्वी रंग, कांति वृद्धि में सहायक।

धनु

नीला, सफेद

मोती के आभूषण

नीली

गुरु स्वामीश्वेत, शील नीले रंग धार्मिक भाव बढ़ाते हैं।

मकर

काला, नीला

चांदी के आभूषण

नीली

शनि स्वामीश्यामवर्ण से ग्रह शांत होते हैं।

कुम्भ

हल्के रंग, सफेद

मोती के आभूषण

सफेद

शनि राहु प्रभावमनोबल वृद्धि हेतु श्वेत प्रयोग।

मीन

नीला, हरा

सरल आभूषण

नीली

गुरु चंद्र प्रभावशांत सौम्य रंग शुभ।


 🔶 0१. तिथि के आधार पर (Tithi-wise Use)100%

तिथि

वस्त्र

वास्तु

आभूषण

चूड़ी

प्रतिपदानवमी

दशमीद्वादशी

त्रयोदशीपूर्णिमा

अमावस्या

अष्टमी/चतुर्दशी

⚠️

⚠️

⚠️

 

0%🔷1. वार के आधार पर (Weekday-wise Use)60%

वार

वस्त्र

वास्तु

आभूषण

चूड़ी

रविवार

✅ (केसरिया/गेरुआ)

✅ (राजकीय वास्तु हेतु)

सोमवार

✅ (श्वेत/नीला)

✅ (चंद्र-शीतल कार्य हेतु)

मंगलवार

⚠️ (लाल/गेरुआ ठीक)

❌ (भूमि/नवगृह कार्य वर्ज्य)

⚠️ (मंगलिक दोष हो तो वर्ज्य)

⚠️

बुधवार

✅ (हरा)

✅ (वाणिज्यिक वास्तु हेतु)

गुरुवार

✅ (पीला)

✅ (पूजनीय गृह हेतु श्रेष्ठ)

✅ (स्वर्णाभूषण श्रेष्ठ)

शुक्रवार

✅ (गुलाबी/सफेद)

✅ (सौंदर्य/स्त्रियों हेतु वास्तु शुभ)

✅ (रत्न, चूड़ी, बिंदी आदि)

शनिवार

⚠️ (नीला/काला)

❌ (नवगृह कार्य वर्ज्य)

⚠️

⚠️

  🌟 27 नक्षत्रों में वस्त्र, आभूषण, चूड़ी और वास्तु के शुभ-अशुभ प्रयोग ( = शुभ, = अशुभ, ⚠️ = मध्यम / सावधानी)70%

 🕉शास्त्रीय संकेतानुसार:

  • शुभ नक्षत्र: ️ — नये वस्त्र, गहने, चूड़ियाँ, वास्तु कार्य हेतु श्रेष्ठ
  • अशुभ नक्षत्र: इन कार्यों में वर्जना या निषेध
  • मध्यम नक्षत्र: ⚠️ — शुद्धि या विशेष प्रयोजन पर संभव


 नक्षत्र



वस्त्र

आभूषण / चूड़ी

वास्तु

अश्विनी

भरणी

कृत्तिका

रोहिणी

मृगशिरा

आर्द्रा

पुनर्वसू

पुष्य

आश्लेषा

मघा

पूर्वा फाल्गुनी

उत्तर फाल्गुनी

हस्त

चित्रा

स्वाति

⚠️

⚠️

⚠️

विशाखा

अनुराधा

ज्येष्ठा

मूल

पूर्वाषाढ़ा

उत्तराषाढ़ा

श्रवण

धनिष्ठा

⚠️

⚠️

⚠️

शतभिषा

पूर्वा भाद्रपद

उत्तर भाद्रपद

रेवती

📜 श्लोक आधारित संकेत:

 "पुष्य रोहिण्यादिषु शुभं वस्त्रधारणम्।" "हस्ते चित्रायां च स्वर्णाभरणधारणे शुभम्।" "आर्द्राश्लेषामूलादिषु तन्निषेधः कथितः।"

(उपयुक्त ज्ञान मुहूर्त चिंतामणि, भद्रबाहु संहिता, ज्योतिष सार, धर्मसिन्धु आदि ग्रंथों से संकलित है

🔸 ३. नक्षत्र के आधार पर (Nakshatra-wise Use)

नक्षत्र 

नाम 

वस्त्र

वास्तु

आभूषण

चूड़ी

सौम्य

रोहिणी, पुष्य, श्रवण

मृदु

मृगशिरा, अनुराधा, रेवती

उग्रह/क्रूर

भरणी, कृत्तिका, अश्विनी

⚠️

⚠️

⚠️

⚠️

तीक्ष्ण/दारुण

अर्द्रा, मूल, अश्लेषा

 

🌟 27 नक्षत्रों में वस्त्र, आभूषण, चूड़ी, वास्तु प्रयोग के योग

नक्षत्र

वस्त्र

आभूषण / चूड़ी

वास्तु आरंभ

अश्विनी

शुभ

शुभ

शुभ

भरणी

वर्जित

वर्जित

वर्जित

कृत्तिका

अशुभ

वर्जित

वर्जित

रोहिणी

अति शुभ

चांदी/मोती शुभ

शुभ

मृगशिरा

शुभ

सफेद धातु

शुभ

आर्द्रा

निषेध

रक्तमणि वर्जित

अशुभ

पुनर्वसू

शुभ

शुभ

शुभ

पुष्य

अति शुभ

स्वर्ण/मोती विशेष शुभ

शुभतम

आश्लेषा

वर्जित

चूड़ी वर्जित

वर्जित

मघा

वर्जित

गहने निषेध

वास्तु निषेध

पूर्वा फाल्गुनी

शुभ

चूड़ी शुभ

शुभ

उत्तर फाल्गुनी

शुभ

रत्न धारण योग्य

शुभ

हस्त

शुभ

चांदी/सोना

शुभ

चित्रा

शुभ

नवरत्न संभव

शुभ

स्वाति

सावधानी

मध्यम

यात्रा हेतु श्रेष्ठ

विशाखा

शुभ

शुभ

शुभ

अनुराधा

शुभ

शुभ

शुभ

ज्येष्ठा

वर्जित

माणिक्य निषेध

वास्तु निषेध

मूल

निषेध

काले वस्त्र निषेध

वर्जित

पूर्वाषाढ़ा

वर्जित

चूड़ी निषेध

वर्जित

उत्तराषाढ़ा

शुभ

हल्के रत्न शुभ

शुभ

श्रवण

अति शुभ

मोती/स्वर्ण शुभ

शुभतम

धनिष्ठा

मध्यम

लाल वस्त्र सम्भव

यात्रा हेतु

शतभिषा

निषेध

गहरे रत्न वर्जित

अशुभ

पूर्वा भाद्रपद

वर्जित

लाल/काले रंग निषेध

वर्जित

उत्तर भाद्रपद

शुभ

सफेद धातु शुभ

शुभ

रेवती

शुभ

हल्के गहने शुभ

शुभ

 ***************************************************


 
तिथि, वार, नक्षत्र अनुसार वस्त्र, आभूषण, चूड़ी के शुभ-अशुभ प्रयोग

यह सारांश शास्त्रीय ग्रंथों जैसे भद्रबाहु संहिता, मुहूर्त चिंतामणि, धर्मसिंधु आदि पर आधारित है।
यहाँ प्रमुख तिथि, वार, और नक्षत्र के अनुसार वस्त्र, आभूषण, चूड़ी के शुभ-अशुभ प्रयोग दिए गए हैं।

✔️ -
शुभ, ❌ - अशुभ, ⚠️ - सावधानी से उपयोग करें।

तिथि

वार (दिन)

नक्षत्र

वस्त्र (रंग/प्रकार)

आभूषण

चूड़ी

अमावस्या

मंगलवार

रोहिणी

लाल ✔️

सोना ✔️

लाल ✔️

पूर्णिमा

शुक्रवार

मृगशिरा

सफेद ✔️

चांदी ✔️

सफेद ✔️

द्वितीया

सोमवार

पुनर्वसू

हरा ⚠️

मणि ⚠️

हरी ⚠️

तृतीया

गुरुवार

पूर्वा फाल्गुनी

नीला ✔️

मोती ✔️

नीली ✔️

चतुर्थी

शनि

उत्तर फाल्गुनी

पीला ✔️

पन्ना ✔️

पीली ✔️

पंचमी

रविवार

हस्त

सुनहरा ✔️

मुक्ता ✔️

सुनहरा ✔️

षष्ठी

मंगलवार

चित्रा

लाल ✔️

लाल पत्थर ✔️

लाल ✔️

सप्तमी

बुध

स्वाति

सफ़ेद ⚠️

चांदी ⚠️

सफ़ेद ⚠️

अष्टमी

गुरुवार

विशाखा

नीला ✔️

नीला पत्थर ✔️

नीला ✔️

नवमी

शुक्रवार

अनुराधा

हरा ✔️

पन्ना ✔️

हरा ✔️

दशमी

शनिवार

ज्येष्ठा

काला

काला

काला

एकादशी

रविवार

मूल

काला

काला

काला

द्वादशी

सोमवार

पूर्वाषाढ़ा

नीला

नीला

नीला

त्रयोदशी

मंगलवार

उत्तराषाढ़ा

सफ़ेद ✔️

सफेद ✔️

सफेद ✔️

चतुर्दशी

बुध

श्रवण

हरा ✔️

हरा ✔️

हरा ✔️

पूर्णिमा

गुरुवार

धनिष्ठा

सुनहरा ⚠️

सुनहरा ⚠️

सुनहरा ⚠️

अमावस्या

शुक्रवार

शतभिषा

काला

काला

काला

प्रथमा

शनिवार

पूर्वा भाद्रपद

लाल

लाल

लाल

द्वितीया

रविवार

उत्तर भाद्रपद

सफेद ✔️

सफेद ✔️

सफेद ✔️

तृतीया

सोमवार

रेवती

नीला ✔️

नीला ✔️

नीला ✔️

 ************************

 

📚 1. शास्त्रीय ग्रंथ और प्रमाण (वस्त्र, आभूषण, चूड़ी के प्रथम प्रयोग हेतु)

🪔 (क) भृगु संहिता :

श्लोक:
"शुभे दिवसे शुभे नक्षत्रे शुभवर्णवसानभूषिताः।
धर्मार्थकाममोक्षार्थं वस्त्राणि प्रतिपद्यन्ते॥"

अर्थ:
शुभ दिन, शुभ नक्षत्र, शुभ रंग और आभूषणों सहित जब वस्त्र धारण किए जाएँ, तब वे धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के साधक बनते हैं।


🪔 (ख) भद्रबाहु संहिता

श्लोक:
"वारनक्षत्रतिथीनां संयोगे शुभमुत्तमम्।
नवानां वसनानां च प्रथमे धारणे शुभम्॥"

अर्थ:
वार, तिथि और नक्षत्र के शुभ संयोग पर नये वस्त्र या आभूषण का प्रथम प्रयोग विशेष शुभ होता है।


🪔 (ग) निरणयसिन्धु

श्लोक:
"वस्त्रालंकारसंसर्गे शुभनक्षत्रसंयुतम्।
युक्तं च शुभकाले च प्रारम्भः सर्वसिद्धिदः॥"

अर्थ:
वस्त्र और आभूषण का प्रयोग यदि शुभ नक्षत्र और शुभ मुहूर्त में किया जाए, तो कार्य में सफलता मिलती है।


🪔 (घ) मनोसागरी

श्लोक:
"शुभदिने शुभवस्त्रं धारयित्वा नरः शुभम्।
नववस्त्राणि यत्रैव तत्र लक्ष्मी स्थिरा भवेत्॥"

अर्थ:
शुभ दिन शुभ वस्त्रों का प्रयोग करने वाला व्यक्ति सुख-समृद्धि प्राप्त करता है; नये वस्त्र में लक्ष्मी स्थायी होती हैं।


🪔 (ङ) महाभारत - अनुशासन पर्व

श्लोक:
"अलङ्कारः पुरुषस्य भूषणं न तु केवलम्।
कालोऽपि यत्र संगतः शुभं तत्र न संशयः॥"

अर्थ:
आभूषण केवल श्रृंगार नहीं, बल्कि शुभता के प्रतीक हैं; यदि उनका प्रयोग उचित समय पर हो, तो वे मंगलदायक होते हैं।


🪔 (च) रामायण – अयोध्या काण्ड

संदर्भ:
भरत को राम की खड़ाऊ प्राप्त होने के समय सीता द्वारा नया वस्त्र और आभूषण पहनाकर विदा किया गया —
"शुभ वस्त्र भूषण परिधान कर, लक्ष्मीवत् शोभित हुई सीता"

अर्थ:
नये वस्त्र-आभूषण सिर्फ सौंदर्य नहीं, प्रतीक होते हैं विशेष भाव, मंगल कार्य, या शक्ति के।


🧿 उपसंहार / सार-संक्षेप

विषयशास्त्रीय संदेश
वस्त्रशुभ दिन, शुभ नक्षत्र और शुभ तिथि में नये वस्त्र धारण करने से लक्ष्मी की कृपा स्थिर होती है।
आभूषणरत्न, मोती, स्वर्ण-चांदी का उपयोग दिन/लग्न अनुसार किया जाए, तो भाग्य वृद्धि होती है।
चूड़ीचूड़ी (मुख्यतः स्त्रियों हेतु) रंग और धातु के अनुसार मानसिक संतुलन और वैवाहिक सुख बढ़ाती है।

 

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सिद्धिविनायक विघ्नेश्वर गणेश भगवान की आरती। आरती  जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।  माता जा की पार्वती ,पिता महादेवा । एकदंत दयावंत चार भुजा धारी।   मस्तक सिंदूर सोहे मूसे की सवारी | जय गणेश जय गणेश देवा।  अंधन को आँख  देत, कोढ़िन को काया । बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया । जय गणेश जय गणेश देवा।   हार चढ़े फूल चढ़े ओर चढ़े मेवा । लड्डूअन का  भोग लगे संत करें सेवा।   जय गणेश जय गणेश देवा।   दीनन की लाज रखो ,शम्भू पत्र वारो।   मनोरथ को पूरा करो।  जाए बलिहारी।   जय गणेश जय गणेश देवा। आहुति मंत्र -  ॐ अंगारकाय नमः श्री 108 आहूतियां देना विशेष शुभ होता है इसमें शुद्ध घी ही दुर्वा एवं काले तिल का विशेष महत्व है। अग्नि पुराण के अनुसार गायत्री-      मंत्र ओम महोत काय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो दंती प्रचोदयात्। गणेश पूजन की सामग्री एक चौकिया पाटे  का प्रयोग करें । लाल वस्त्र या नारंगी वस्त्र उसपर बिछाएं। चावलों से 8पत्ती वाला कमल पुष्प स्वरूप बनाएं। गणेश पूजा में नार...

श्राद्ध रहस्य - श्राद्ध क्यों करे ? कब श्राद्ध नहीं करे ? पिंड रहित श्राद्ध ?

श्राद्ध रहस्य - क्यों करे , न करे ? पिंड रहित , महालय ? किसी भी कर्म का पूर्ण फल विधि सहित करने पर ही मिलता है | * श्राद्ध में गाय का ही दूध प्रयोग करे |( विष्णु पुराण ) | श्राद्ध भोजन में तिल अवश्य प्रयोग करे | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि - श्राद्ध अपरिहार्य - अश्वनी माह के कृष्ण पक्ष तक पितर अत्यंत अपेक्षा से कष्ट की   स्थिति में जल , तिल की अपनी संतान से , प्रतिदिन आशा रखते है | अन्यथा दुखी होकर श्राप देकर चले जाते हैं | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि इसको नहीं करने से पीढ़ी दर पीढ़ी संतान मंद बुद्धि , दिव्यांगता .मानसिक रोग होते है | हेमाद्रि ग्रन्थ - आषाढ़ माह पूर्णिमा से /कन्या के सूर्य के समय एक दिन भी श्राद्ध कोई करता है तो , पितर एक वर्ष तक संतुष्ट/तृप्त रहते हैं | ( भद्र कृष्ण दूज को भरणी नक्षत्र , तृतीया को कृत्तिका नक्षत्र   या षष्ठी को रोहणी नक्षत्र या व्यतिपात मंगलवार को हो ये पिता को प्रिय योग है इस दिन व्रत , सूर्य पूजा , गौ दान गौ -दान श्रेष्ठ | - श्राद्ध का गया तुल्य फल- पितृपक्ष में मघा सूर्य की अष्टमी य त्रयोदशी को मघा नक्षत्र पर चंद्र ...

विवाह बाधा और परीक्षा में सफलता के लिए दुर्गा पूजा

विवाह में विलंब विवाह के लिए कात्यायनी पूजन । 10 oct - 18 oct विवाह में विलंब - षष्ठी - कात्यायनी पूजन । वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए - दुर्गतिहारणी मां कात्यायनी की शरण लीजिये | प्रतिपदा के दिन कलश स्थापना के समय , संकल्प में अपना नाम गोत्र स्थान बोलने के पश्चात् अपने विवाह की याचना , प्रार्थना कीजिये | वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए प्रति दिन प्रातः सूर्योदय से प्रथम घंटे में या दोपहर ११ . ४० से १२ . ४० बजे के मध्य , कात्ययानी देवी का मन्त्र जाप करिये | १०८बार | उत्तर दिशा में मुँह हो , लाल वस्त्र हो जाप के समय | दीपक मौली या कलावे की वर्तिका हो | वर्तिका उत्तर दिशा की और हो | गाय का शुद्ध घी श्रेष्ठ अथवा तिल ( बाधा नाशक + महुआ ( सौभाग्य ) तैल मिला कर प्रयोग करे मां भागवती की कृपा से पूर्वजन्म जनितआपके दुर्योग एवं   व्यवधान समाप्त हो एवं   आपकी मनोकामना पूरी हो ऐसी शुभ कामना सहित || षष्ठी के दिन विशेष रूप से कात्यायनी के मन्त्र का २८ आहुति / १०८ आहुति हवन कर...

कलश पर नारियल रखने की शास्त्रोक्त विधि क्या है जानिए

हमे श्रद्धा विश्वास समर्पित प्रयास करने के बाद भी वांछित परिणाम नहीं मिलते हैं , क्योकि हिन्दू धर्म श्रेष्ठ कोटी का विज्ञान सम्मत है ।इसकी प्रक्रिया , विधि या तकनीक का पालन अनुसरण परमावश्यक है । नारियल का अधिकाधिक प्रयोग पुजा अर्चना मे होता है।नारियल रखने की विधि सुविधा की दृष्टि से प्रचलित होगई॥ मेरे ज्ञान  मे कलश मे उल्टा सीधा नारियल फसाकर रखने की विधि का प्रमाण अब तक नहीं आया | यदि कोई सुविज्ञ जानकारी रखते हो तो स्वागत है । नारियल को मोटा भाग पूजा करने वाले की ओर होना चाहिए। कलश पर नारियल रखने की प्रमाणिक विधि क्या है ? अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए , उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै प्राची मुखं वित्त्नाश्नाय , तस्माच्छुभम सम्मुख नारिकेलम अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए कलश पर - नारियल का बड़ा हिस्सा नीचे मुख कर रखा जाए ( पतला हिस्सा पूछ वाला कलश के उपरी भाग पर रखा जाए ) तो उसे शत्रुओं की वृद्धि होती है * ( कार्य सफलता में बाधाएं आती है संघर्ष , अपयश , चिंता , हानि , सहज हैशत्रु या विरोधी तन , मन धन सर्व दृष्टि से घातक होते है ) उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै कलश ...