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व्रत क्यों बनाएं, ग्रह दोष और व्रत, मासिक व्रत और उनके लाभ🌺 Vrat Kyo Banaye? (Why Observe Vrats?) –Fast-Festival Problem saving mystery

 

व्रत क्यों बनाएं, ग्रह दोष और व्रत, मासिक व्रत और उनके लाभ🌺 (Why Observe Vrats?) –  

 भारत के अर्ष ऋषियों को ज्ञात था कि ग्रह, नक्षत्र और तिथि के संयोग से अशुभ परिणाम उत्पन्न हो सकते हैं व्यक्तिगत जीवन में बाधाएँ और समाजिक या प्राकृतिक आपदाएँ।

The ancient sages of India were aware that the conjunctions of planets, constellations (nakshatras), and lunar dates (tithis) can lead to two types of inauspicious outcomes – obstacles in personal life and social or natural calamities.

🌼 व्रत क्यों बनाए हैं? / Why Are Vrats Observed?

व्रत मन की एकाग्रता, आत्मसंयम, और शुभ ग्रहीय प्रभाव को आकर्षित करने के लिए किए जाते हैं।
Vrats are undertaken for mental focus, self-discipline, and to attract positive planetary influences.

🌙 ग्रह दोष और व्रत / Planetary Defects and Vrats

यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में किसी ग्रह से पीड़ा हो रही हो, जैसे शनि की साढ़े साती, राहु-केतु की दशा,
तो विशेष व्रतों (शनिवार, मंगलवार, गुरुवार आदि) के माध्यम से ग्रह शांति पाई जा सकती है।
If a person suffers from planetary afflictions such as Shani Sade Sati or Rahu-Ketu dasha,
specific vrats (like Saturday, Tuesday, Thursday) can help bring peace and stability.

📅 मासिक व्रत / Monthly Vrats

हर महीने विशेष तिथियों पर व्रत होते हैंजैसे एकादशी, प्रदोष, पूर्णिमा, अमावस्या, संकष्टी।
Each month has specific vrat days – like Ekadashi, Pradosh, Purnima, Amavasya, Sankashti.

🌟 व्रतों के लाभ / Benefits of Vrats

व्रत करने से मानसिक शांति, स्वास्थ्य लाभ, पारिवारिक सुख, ग्रह दोष निवारण, व आर्थिक समृद्धि मिलती है।
Vrats bring mental peace, health benefits, family harmony, remedy for planetary defects, and financial well-being.

-अशुभ प्रभावों को नियंत्रित करने के लिए ऋषियों ने विशेष उपाय निर्धारित किए, जिनमें व्रत और पर्व प्रमुख हैं।
To control these negative influences, the sages prescribed specific remedies, with fasts (vratas) and festivals (parvas) being the most important among them.

ग्रह, तिथि और नक्षत्र के दोषों से उत्पन्न संकटों से बचने के लिए मासिक व्रत और पर्वों की व्यवस्था की गई, जिससे परोक्ष रूप से जीवन में सफलता और समृद्धि में वृद्धि हो।
To guard against adversities caused by planetary, lunar, and stellar defects, monthly fasts and festivals were instituted, which indirectly promote success and prosperity in life.

व्रत और पर्वों का उद्देश्य आपदा और विपत्ति का प्रबल प्रतिकार करना है, जिससे व्यक्ति व समाज दोनों सुरक्षित रहें।
The core purpose of these observances is to counter misfortunes and calamities powerfully, thereby safeguarding both individual and societal well-being.

जैसे महाशिवरात्रि प्रत्येक मास की चतुर्दशी को आती है, लेकिन यदि कोई प्रत्येक मास पालन न कर सके तो वर्ष में एक बार इस व्रत का पालन करने से भी आपदाओं पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
For example, Mahashivaratri occurs every month on the Chaturdashi, but even if one cannot observe it every month, performing this fast once a year can still help restrain disasters.

ऐसे अनेक पर्व और व्रत हैं जो मासिक रूप से मनाए जाते हैं और जिनका उद्देश्य ज्योतिषीय दोषों से रक्षा करना है।
There are many such festivals and fasts observed monthly, designed specifically to protect against astrological imbalances.

🌙 1. व्रतों से ग्रह दोषों का शमन (शिव धर्मोत्तर पुराण)

"ग्रहाणां च विनाशाय पापानां च क्षयाय च।
व्रतानि विविधानीह प्रायश्चित्तानि शोधनम्॥"
📖 शिव धर्मोत्तर पुराण, अध्याय 7

ग्रह दोषों के विनाश और पापों के क्षय हेतु विविध प्रकार के व्रत और प्रायश्चित्त शास्त्रों में बताए गए हैं।
Various vows (vratas) and penances have been prescribed in the scriptures for the removal of planetary afflictions and destruction of sins.


🔯 2. नक्षत्र दोष से रक्षा हेतु व्रत (स्कन्द पुराण)

"नक्षत्राणां च संयोगे दुष्टकाले च योगिनाम्।
व्रतेन शुद्धिर्भवति तस्मात् व्रतम् समाचरेत्॥"
📖 स्कन्द पुराण, वैष्णव खण्ड

जब नक्षत्रों का संयोग अशुभ समय में होता है, तो व्रत के द्वारा उनकी शुद्धि संभव है, इसलिए व्रत का आचरण अवश्य करें।
When the conjunctions of nakshatras occur during inauspicious periods, fasting purifies their effects; hence one should observe fasts.


📆 3. तिथि के दोष से बचाव हेतु व्रत (नारद पुराण)

"तिथिदोषो यदा प्राप्यं व्रतेनैव तु शुध्यति।
नित्यं व्रतम् समाचर्यं कल्याणं लभते नरः॥"
📖 नारद पुराण, पूर्व भाग
जब तिथियों में दोष उत्पन्न हो तो व्रत के द्वारा उसे शुद्ध किया जा सकता है। जो व्यक्ति नियमित व्रत करता है, वह कल्याण प्राप्त करता है।
When lunar days become inauspicious, they can be purified through fasts. He who observes fasts regularly attains welfare.


🔱 4. शिवरात्रि व्रत की विशेषता (शिव पुराण)

"मासि मासि च ये कुर्वन्ति रात्रौ च शिवपूजनम्।
वर्षे वर्षे च ये कुर्वन्ति ते लभन्ते परमं पदम्॥"
📖 शिव पुराण, विद्येश्वर संहिता

भावार्थ (Hindi):
जो लोग मासिक रूप से रात्रि में शिव की पूजा करते हैं, और कम से कम वर्ष में एक बार भी व्रत करते हैं, वे परम गति को प्राप्त करते हैं।
Those who worship Lord Shiva monthly at night, and at least once yearly through fasts, attain the supreme abode.



प्राचीन शास्त्रों में स्पष्ट है कि ग्रह, तिथि और नक्षत्र के अशुभ योगों से रक्षा हेतु व्रत व पर्वों की व्यवस्था की गई है।
The ancient scriptures clearly affirm that fasts and festivals were established as remedies against the inauspicious combinations of planets, lunar days, and constellations.


? 🌙 1. व्रतों से ग्रह दोषों का शमन (शिव धर्मोत्तर पुराण)

     "ग्रहाणां च विनाशाय पापानां च क्षयाय च।

    व्रतानि विविधानीह प्रायश्चित्तानि शोधनम्॥"

    📖 शिव धर्मोत्तर पुराण, अध्याय 7

ग्रह दोषों के विनाश और पापों के क्षय हेतु विविध प्रकार के व्रत और प्रायश्चित्त शास्त्रों में बताए गए हैं।

Various vows (vratas) and penances have been prescribed in the scriptures for the removal of planetary afflictions and destruction of sins.

🔯 2. नक्षत्र दोष से रक्षा हेतु व्रत (स्कन्द पुराण)

    "नक्षत्राणां च संयोगे दुष्टकाले च योगिनाम्।

    व्रतेन शुद्धिर्भवति तस्मात् व्रतम् समाचरेत्॥"

   📖 स्कन्द पुराण, वैष्णव खण्ड

जब नक्षत्रों का संयोग अशुभ समय में होता है, तो व्रत के द्वारा उनकी शुद्धि संभव है, इसलिए व्रत का आचरण अवश्य करें।

When the conjunctions of nakshatras occur during inauspicious periods, fasting purifies their effects; hence one should observe fasts.

📆 3. तिथि के दोष से बचाव हेतु व्रत (नारद पुराण)

    "तिथिदोषो यदा प्राप्यं व्रतेनैव तु शुध्यति।

    नित्यं व्रतम् समाचर्यं कल्याणं लभते नरः॥"📖 नारद पुराण, पूर्व भाग

जब तिथियों में दोष उत्पन्न हो तो व्रत के द्वारा उसे शुद्ध किया जा सकता है। जो व्यक्ति नियमित व्रत करता है, वह कल्याण प्राप्त करता है।

When lunar days become inauspicious, they can be purified through fasts. He who observes fasts regularly attains welfare.

🔱 4. शिवरात्रि व्रत की विशेषता (शिव पुराण)

    "मासि मासि च ये कुर्वन्ति रात्रौ च शिवपूजनम्।

    वर्षे वर्षे च ये कुर्वन्ति ते लभन्ते परमं पदम्॥"

    📖 शिव पुराण, विद्येश्वर संहिता

जो लोग मासिक रूप से रात्रि में शिव की पूजा करते हैं, और कम से कम वर्ष में एक बार भी व्रत करते हैं, वे परम गति को प्राप्त करते हैं।

Those who worship Lord Shiva monthly at night, and at least once yearly through fasts, attain the supreme abode.

प्राचीन शास्त्रों में स्पष्ट है कि ग्रह, तिथि और नक्षत्र के अशुभ योगों से रक्षा हेतु व्रत व पर्वों की व्यवस्था की गई है।:

The ancient scriptures clearly affirm that fasts and festivals were established as remedies against the inauspicious combinations of planets, lunar days, and constellations.

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-व्रत ग्रह दोषों के शमन, जीवन की उन्नति और मानसिक शांति के लिए प्रमाणित उपाय हैं।
These weekday fasts are scripturally proven remedies to pacify planetary
afflictions and uplift life.

- मासिक प्रमुख व्रतों की सूची प्रस्तुत कर रहा हूँ जो ग्रह, तिथि, नक्षत्र दोष का शमन करने वाले माने गए हैं, साथ में शास्त्रीय प्रमाण, लाभ, और ग्रह संबंध भी उल्लेख कर रहा 📜 प्रमुख मासिक व्रतों की सूची | Monthly Auspicious Vrats to Neutralize Planetary/Nakshatra/Tithi Afflictions

1. मासिक शिवरात्रि व्रत (Chaturdashi Krishna Paksha)📖 शिव पुराण प्रमाण:

    "चतुर्दश्यां निशायां च यः पूजयति शंकरम्।

    सर्वदोषविनिर्मुक्तः शिवलोकं स गच्छति॥"

    ग्रह दोष: चंद्र (Moon), राहु

    लाभ: मानसिक शांति, भय निवारण, चंद्र-राहु दोष शमन

    Monthly Shivaratri, observed on Krishna Chaturdashi, removes all planetary faults, especially related to Moon and Rahu.

2. एकादशी व्रत (11th Tithi, Shukla and Krishna Paksha)📖 पद्म पुराण प्रमाण:

    "एकादश्यां तु यो भक्त्या उपोष्य जनार्दनम्।

    पूजयेत् स तु धर्मात्मा विष्णुलोकं स गच्छति॥"

    ग्रह दोष: बुध (Mercury), शनि (Saturn)

    लाभ: बुद्धि शुद्धि, निर्णय क्षमता, पापों का क्षय

Both Ekadashis (twice a month) help in neutralizing Mercury and Saturn afflictions and grant spiritual elevation.

3. अमावस्या व्रत (No Moon Day Fasting)📖 स्कन्द पुराण:

    "अमावास्यायां स्नानं च व्रतं दानं च यः नरः।

    सर्वक्लेशविनिर्मुक्तः पितृलोकं स गच्छति॥"

    ग्रह दोष: सूर्य (Sun), पितृ दोष

    लाभ: पितृ शांति, सूर्य दोष शमन

: Observing fast and rituals on Amavasya reduces ancestral faults and pacifies solar afflictions.

4. पूर्णिमा व्रत (Full Moon Day Fasting)📖 नारद पुराण:

    "पूर्णमास्यां व्रतं कुर्यात् क्षीरान्नेन व्रतेन च।  

    यशस्वी च सुखी च स्यात् पापात् मुक्तो भवेद् ध्रुवम्॥"

    ग्रह दोष: चंद्र (Moon), मानसिक क्लेश

    लाभ: मनोबल, संतोष, शांति

    The Purnima fast removes mental tension and uplifts inner peace; strongly linked with Chandra dosha.

5. संकष्टी चतुर्थी (कृष्ण पक्ष चतुर्थी - गणेश व्रत)

📖 गणेश पुराण:   "चतुर्थ्यां यः करेन्नित्यं व्रतं संकष्ट नाशनम्।

 ग्रह पीडा निवृत्त्यर्थं विनायकं समर्चयेत्॥"

    ग्रह दोष: केतु, राहु

    लाभ: विघ्नों का नाश, राहु-केतु दोष शमन

This vrat especially removes obstacles and afflictions caused by Rahu and Ketu.

6. प्रदोष व्रत (Trayodashi Tithi – Evening Fast for Shiva)

📖 शिव पुराण: "प्रदोषे यः करेन्नित्यं पूजनं शंकरस्य च।

    संपूर्णफलदं तस्य भवेत् कर्मविनाशनम्॥"

    ग्रह दोष: शनि (Saturn), चंद्र

    लाभ: बाधा निवारण, चंद्र-शनि शांति

: This evening vrat on Trayodashi is powerful in removing bad karma and Saturn afflictions.

7. रविवार व्रत (Sunday Fasting for Surya)

📖 धर्मसिंधु-ग्रह दोष: सूर्य (Sun), आत्मबल की कमी

लाभ: आत्मविश्वास, नेतृत्व क्षमता

Sunday fast strengthens the Sun, removes ego-related karmas and boosts vitality.

8. शनिवार व्रत (Saturday Fasting for Shani Dev)

📖 स्कन्द पुराण-दोष: शनि (Saturn), कर्म-रुकावट

लाभ: कर्म सिद्धि, बाधा हरण

Fasting on Saturdays appeases Saturn, reduces delays, obstacles, and karmic bondage.

🟤 9. सोमवार व्रत (Somvar Vrat – For Lord Shiva & Moon)

यह व्रत चंद्र दोष, मानसिक तनाव, व बोलचाल की अशांति को शांत करता है।
This fast removes Moon-related afflictions, mental stress, and communication imbalance.

📖 शिवपुराण श्लोक:
"
सोमवारे यः उपोष्य रुद्रं पूजयते नरः।
सर्वकामसमृद्धिः स्यात् चंद्रदोषविनाशनम्॥"
Grantha: Shiva Purana – Rudra Samhita


🔴 10. मंगलवार व्रत (Mangalvar Vrat – For Hanuman & Mars)

यह व्रत मंगल दोष, क्रोध, दुर्घटना, रक्तदोष से रक्षा करता है।
This vrat helps in removing Mars afflictions like anger, accidents, and blood-related issues.

📖 हनुमान चालीसा श्लोक:
"
बजरंग बाण सम शत्रु संहारी।
मंगल दोष विनाशन कारी॥"
Grantha: Hanuman Chalisa (Tulsidas)


🟢 11. बुधवार व्रत (Budhvar Vrat – For Budh/Mercury & Vishnu)

यह व्रत बुद्धि, वाणी, तर्कशक्ति व व्यापार में वृद्धि करता है।: It enhances intellect, speech, reasoning power, and business success.

📖 विष्णु धर्मोत्तर श्लोक:
"
बुधवासरे विष्णोः पूजा बुद्धिवर्धनकारकः।
वाण्यां सिद्धिः लभेत् नित्यं वाग्दोषविनाशनम्॥"
Grantha: Vishnu Dharmottara


🟡 12. गुरुवार व्रत (Guruvar Vrat – For Jupiter/Brihaspati)

यह व्रत गुरु दोष, विवाह बाधा व संतान-प्राप्ति में सहायक है।
Helps remove Jupiter dosha, delays in marriage, and issues in progeny.

📖 बृहस्पति स्मृति श्लोक:
"
गुरौ दिने व्रतम् कुर्यात् सुवर्णवस्त्रसमर्पणम्।
गृहस्थार्थं, विवाहार्थं, संतानार्थं शुभं भवेत्॥"
Grantha: Brihaspati Smriti


13. शुक्रवार व्रत (Shukravar Vrat – For Venus/Lakshmi)

यह व्रत शुक्र दोष, आर्थिक परेशानी, दाम्पत्य कष्ट को हरता है।: This fast removes Venus afflictions like poverty, marital discord, and health issues.

📖 लक्ष्मी तंत्र श्लोक:
"
शुक्रवासरे लक्ष्मीपूजा दारिद्र्यनाशिनी सदा।
दाम्पत्यं सौख्यमायुष्यं च लभते नात्र संशयः॥"
Grantha: Lakshmi Tantra


- व्रतों की पूजन विधि, मूल मंत्र, और विशेष उपाय

सोमवार से शुक्रवार तक के व्रतों की पूजन विधि, मूल मंत्र, विशेष उपाय, तथा शास्त्रीय प्रमाण श्लोक दिए हैं-

🟤 1. सोमवार व्रत (Somvar Vrat – For Lord Shiva & Moon)

🔸 पूजन विधि | Puja Method
प्रातः स्नान कर शिवलिंग का गंगाजल, दूध से अभिषेक करें।
After morning bath, offer Gangajal and milk to the Shiva Linga.

🔸 मूल मंत्र | Main Mantra
ॐ नमः शिवाय।
Om Namah Shivaya.

🔸 विशेष उपाय | Special Remedy
कच्चा दूध, चावल, सफेद वस्त्र ब्राह्मण को दान करें।
Donate raw milk, rice, and white clothes to a Brahmin.

"सोमवारे रुद्रपूजा सर्वदोषविनाशिनी।
चंद्रदोषं हरेत् शीघ्रं शिवकृपां लभेन्नरः॥"
Granth: Shiva Mahapurana, Rudra Samhita


🔴 2. मंगलवार व्रत (Mangalvar Vrat – For Hanuman & Mars)

🔸 पूजन विधि | Puja Method
हनुमान जी को सिंदूर, चमेली का तेल, गुड़-चना चढ़ाएं।
Offer vermilion, jasmine oil, jaggery and gram to Hanuman ji.

🔸 मूल मंत्र | Main Mantra
ॐ हं हनुमते नमः।
Om Hum Hanumate Namah.

🔸 विशेष उपाय | Special Remedy
निर्बल को भोजन कराएं, रक्तदान करें, गाय को गुड़ खिलाएं।
Feed the poor, donate blood, offer jaggery to cows.

"मङ्गलदिने हनुमतः पूजनं बलवर्धनम्।
क्लेशदोषविनाशाय मङ्गलं कुरु मे प्रभो॥"
Granth: Hanumat Kavacham


🟢 3. बुधवार व्रत (Budhvar Vrat – For Budh/Mercury & Vishnu)

🔸 पूजन विधि | Puja Method
भगवान विष्णु को तुलसीदल, पीले फूल व नैवेद्य अर्पित करें।
Offer Tulsi leaves, yellow flowers and sweets to Lord Vishnu.

🔸 मूल मंत्र | Main Mantra
ॐ विष्णवे नमः।
Om Vishnave Namah.

🔸 विशेष उपाय | Special Remedy
हरे मूंग का दान करें, छात्रवृत्ति में सहायता करें।
Donate green gram, help students with education.

"बुधवासरे विष्णुपूजा बुद्धिवृद्धिकरं परम्।
व्यापाराय सफलं कर्म वाक्सिद्धिं च ददाति सः॥"
Granth: Vishnu Dharmottara Purana


🟡 4. गुरुवार व्रत (Guruvar Vrat – For Jupiter & Brihaspati Dev)

🔸 पूजन विधि | Puja Method
पीले कपड़े में चने की दाल, हल्दी व पीली मिठाई चढ़ाएं।
Offer yellow cloth, split gram, turmeric and yellow sweets.

🔸 मूल मंत्र | Main Mantra
ॐ बृं बृहस्पतये नमः।
Om Brim Brihaspataye Namah.

🔸 विशेष उपाय | Special Remedy
पीली चीज़ें दान करें, शिक्षक या गुरुओं की सेवा करें।
Donate yellow items, serve teachers or spiritual guides.

"गुरुदिने व्रतं कुर्यात् सुवर्णवस्त्रसमर्पणम्।
गृहस्थस्य विवाहार्थं पुत्रार्थं च शुभं भवेत्॥"
Granth: Brihaspati Smriti


🟠 5. शुक्रवार व्रत (Shukravar Vrat – For Venus & Lakshmi)

🔸 पूजन विधि | Puja Method
माँ लक्ष्मी को कमल फूल, दूध, सफेद मिठाई व सुगंध अर्पित करें।
Offer lotus flower, milk, white sweets and fragrance to Goddess Lakshmi.

🔸 मूल मंत्र | Main Mantra
ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः।
Om Shreem Mahalakshmyai Namah.

🔸 विशेष उपाय | Special Remedy
कन्याओं को वस्त्र व मिठाई दें, गृहलक्ष्मी की पूजा करें।
Offer sweets and clothes to young girls; honor the women of the house.

"शुक्रवासरे लक्ष्म्यर्चा दारिद्र्यं हरते ध्रुवम्।
दाम्पत्यं, धनं, सौख्यं च सौभाग्यं च वर्धते॥"
Granth: Lakshmi Tantra

6. शनिवार व्रत (Shanivar Vrat – For Shani Dev & Saturn)

🔸 पूजन विधि | Puja Method
-: पीपल वृक्ष पर तेल चढ़ाएं, शनि मंदिर में दीपक जलाएं।
- Offer oil to the Peepal tree and light a lamp in Shani temple.

🔸 मूल मंत्र | Main Mantra
- ॐ शं शनैश्चराय नमः।
-: Om Sham Shanaishcharaya Namah.

🔸 विशेष उपाय | Special Remedy
- काले तिल, कंबल, लोहा दान करें; अपंगों की सेवा करें।
- Donate black sesame, blanket, iron; serve the physically challenged.

📖 श्लोक प्रमाण | Scriptural Shloka
"
शनैश्चराय नमस्तुभ्यं नमः कालप्रदाय च।
नमः सौम्यरूपाय नमस्ते सर्वपापह॥"
Granth: Shani Mahatmya – Skanda Purana


🔴 7. रविवार व्रत (Ravivar Vrat – For Surya Dev & Sun)

🔸 पूजन विधि | Puja Method
हिंदी: प्रातः सूर्य को जल में लाल फूल, रोली डालकर अर्घ्य दें।
English: Offer water mixed with red flowers and vermilion to the Sun at sunrise.

🔸 मूल मंत्र | Main Mantra
- ॐ घृणिः सूर्याय नमः।
-: Om Ghrinih Suryaya Namah.

🔸 विशेष उपाय | Special Remedy
- लाल वस्त्र, गुड़, तांबा दान करें; आत्मविश्वास बढ़ता है।
- Donate red clothes, jaggery, and copper to enhance confidence.

📖 श्लोक प्रमाण | Scriptural Shloka
"
आदित्याय च सोमाय मङ्गलाय बुधाय च।
गुरु शुक्र शनिभ्यश्च राहवे केतवे नमः॥"
Granth: Aditya Hridayam – Valmiki Ramayana


नोट: ये सभी व्रत दैविक दोषों, ग्रह पीड़ा, मन की शुद्धि और आजीविका, विवाह, स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी माने गए हैं।
Each vrat is designed for planetary balance, mental clarity, and life success — as per authentic scriptural guidance

📘 🌞 सप्ताहिक व्रत सारिणी | Weekly Vrat Chart

🌞 सप्ताहिक व्रत सारिणी (Printable Weekly Vrat Calendar)

वार

देवता

व्रत लाभ

पूजन विधि उपाय

मंत्र

शास्त्र प्रमाण

सोमवार

शिवजी

स्वास्थ्य, विवाह, मन की शांति

जल बेलपत्र से अभिषेक करें, व्रत रखें

नमः शिवाय

शिवपुराण

मंगलवार

हनुमान जी / मंगल ग्रह

शौर्य, रोगनाश, ऋण मुक्ति

लाल फूल, गुड़, सिंदूर अर्पित करें

हं हनुमते नमः

हनुमान चालीसा, ब्रह्मांड पुराण

बुधवार

गणेश जी / बुध ग्रह

बुद्धि, व्यापार, संतान

दूर्वा, मोदक से पूजन करें

गं गणपतये नमः

गणेश पुराण

गुरुवार

बृहस्पति देव / विष्णु

ज्ञान, विवाह, समृद्धि

पीले वस्त्र, चना, हल्दी से पूजन

बृं बृहस्पतये नमः

बृहस्पति कवच

शुक्रवार

माँ लक्ष्मी / शुक्र

सौंदर्य, दांपत्य सुख, धन

सफेद चावल, खीर अर्पित करें

श्रीं महालक्ष्म्यै नमः

लक्ष्मी तंत्र, श्रीसूक्त

शनिवार

शनि देव / शनैश्चर

कर्म बाधा नाश, न्याय, रोग शांति

काले तिल, तेल चढ़ाएं, पीपल पूजन

शं शनैश्चराय नमः

स्कंद पुराणशनि महात्म्य

रविवार

सूर्य देव

आत्मबल, स्वास्थ्य, आत्मविश्वास

तांबे के लोटे से अर्घ्य दें

घृणिः सूर्याय नमः

आदित्य हृदय स्तोत्रवाल्मीकि रामायण

       नियम व विशेष संकेत | Rules & Tips

- व्रत में एक समय फलाहार करें, मन, वाणी, आचरण की पवित्रता रखें।

- During vrat, observe one-time fasting with fruits and maintain purity of speech, mind, and conduct.

- प्रत्येक व्रत पर सम्बंधित दान दें ग्रह के अनुसार रंग, अन्न, धातु, वस्त्र।

- Donate color-specific items, grains, metals, and clothes related to the planet of the day.

 

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दुर्गा जी के अभिषेक पदार्थ विपत्तियों के विनाशक एक रहस्य | दुर्गा जी को अपनी समस्या समाधान केलिए क्या अर्पण करना चाहिए?

दुर्गा जी   के अभिषेक पदार्थ विपत्तियों   के विनाशक एक रहस्य | दुर्गा जी को अपनी समस्या समाधान केलिए क्या अर्पण करना चाहिए ? अभिषेक किस पदार्थ से करने पर हम किस मनोकामना को पूर्ण कर सकते हैं एवं आपत्ति विपत्ति से सुरक्षा कवच निर्माण कर सकते हैं | दुर्गा जी को अर्पित सामग्री का विशेष महत्व होता है | दुर्गा जी का अभिषेक या दुर्गा की मूर्ति पर किस पदार्थ को अर्पण करने के क्या लाभ होते हैं | दुर्गा जी शक्ति की देवी हैं शीघ्र पूजा या पूजा सामग्री अर्पण करने के शुभ अशुभ फल प्रदान करती हैं | 1- दुर्गा जी को सुगंधित द्रव्य अर्थात ऐसे पदार्थ ऐसे पुष्प जिनमें सुगंध हो उनको अर्पित करने से पारिवारिक सुख शांति एवं मनोबल में वृद्धि होती है | 2- दूध से दुर्गा जी का अभिषेक करने पर कार्यों में सफलता एवं मन में प्रसन्नता बढ़ती है | 3- दही से दुर्गा जी की पूजा करने पर विघ्नों का नाश होता है | परेशानियों में कमी होती है | संभावित आपत्तियों का अवरोध होता है | संकट से व्यक्ति बाहर निकल पाता है | 4- घी के द्वारा अभिषेक करने पर सर्वसामान्य सुख एवं दांपत्य सुख में वृद्धि होती...

श्राद्ध:जानने योग्य महत्वपूर्ण बातें |

श्राद्ध क्या है ? “ श्रद्धया यत कृतं तात श्राद्धं | “ अर्थात श्रद्धा से किया जाने वाला कर्म श्राद्ध है | अपने माता पिता एवं पूर्वजो की प्रसन्नता के लिए एवं उनके ऋण से मुक्ति की विधि है | श्राद्ध क्यों करना चाहिए   ? पितृ ऋण से मुक्ति के लिए श्राद्ध किया जाना अति आवश्यक है | श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम ? यदि मानव योनी में समर्थ होते हुए भी हम अपने जन्मदाता के लिए कुछ नहीं करते हैं या जिन पूर्वज के हम अंश ( रक्त , जींस ) है , यदि उनका स्मरण या उनके निमित्त दान आदि नहीं करते हैं , तो उनकी आत्मा   को कष्ट होता है , वे रुष्ट होकर , अपने अंश्जो वंशजों को श्राप देते हैं | जो पीढ़ी दर पीढ़ी संतान में मंद बुद्धि से लेकर सभी प्रकार की प्रगति अवरुद्ध कर देते हैं | ज्योतिष में इस प्रकार के अनेक शाप योग हैं |   कब , क्यों श्राद्ध किया जाना आवश्यक होता है   ? यदि हम   96  अवसर पर   श्राद्ध   नहीं कर सकते हैं तो कम से कम मित्रों के लिए पिता माता की वार्षिक तिथि पर यह अश्वनी मास जिसे क्वांर का माह    भी कहा ज...

श्राद्ध रहस्य प्रश्न शंका समाधान ,श्राद्ध : जानने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य -कब,क्यों श्राद्ध करे?

संतान को विकलांगता, अल्पायु से बचाइए श्राद्ध - पितरों से वरदान लीजिये पंडित विजेंद्र कुमार तिवारी jyotish9999@gmail.com , 9424446706   श्राद्ध : जानने  योग्य   महत्वपूर्ण तथ्य -कब,क्यों श्राद्ध करे?  श्राद्ध से जुड़े हर सवाल का जवाब | पितृ दोष शांति? राहू, सर्प दोष शांति? श्रद्धा से श्राद्ध करिए  श्राद्ध कब करे? किसको भोजन हेतु बुलाएँ? पितृ दोष, राहू, सर्प दोष शांति? तर्पण? श्राद्ध क्या है? श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम क्या संभावित है? श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम क्या संभावित है? श्राद्ध की प्रक्रिया जटिल एवं सबके सामर्थ्य की नहीं है, कोई उपाय ? श्राद्ध कब से प्रारंभ होता है ? प्रथम श्राद्ध किसका होता है ? श्राद्ध, कृष्ण पक्ष में ही क्यों किया जाता है श्राद्ध किन२ शहरों में  किया जा सकता है ? क्या गया श्राद्ध सर्वोपरि है ? तिथि अमावस्या क्या है ?श्राद्द कार्य ,में इसका महत्व क्यों? कितने प्रकार के   श्राद्ध होते   हैं वर्ष में   कितने अवसर श्राद्ध के होते हैं? कब  श्राद्ध किया जाना...

गणेश विसृजन मुहूर्त आवश्यक मन्त्र एवं विधि

28 सितंबर गणेश विसर्जन मुहूर्त आवश्यक मन्त्र एवं विधि किसी भी कार्य को पूर्णता प्रदान करने के लिए जिस प्रकार उसका प्रारंभ किया जाता है समापन भी किया जाना उद्देश्य होता है। गणेश जी की स्थापना पार्थिव पार्थिव (मिटटीएवं जल   तत्व निर्मित)     स्वरूप में करने के पश्चात दिनांक 23 को उस पार्थिव स्वरूप का विसर्जन किया जाना ज्योतिष के आधार पर सुयोग है। किसी कार्य करने के पश्चात उसके परिणाम शुभ , सुखद , हर्षद एवं सफलता प्रदायक हो यह एक सामान्य उद्देश्य होता है।किसी भी प्रकार की बाधा व्यवधान या अनिश्ट ना हो। ज्योतिष के आधार पर लग्न को श्रेष्ठता प्रदान की गई है | होरा मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ माना गया है।     गणेश जी का संबंध बुधवार दिन अथवा बुद्धि से ज्ञान से जुड़ा हुआ है। विद्यार्थियों प्रतियोगियों एवं बुद्धि एवं ज्ञान में रूचि है , ऐसे लोगों के लिए बुध की होरा श्रेष्ठ होगी तथा उच्च पद , गरिमा , गुरुता , बड़प्पन , ज्ञान , निर्णय दक्षता में वृद्धि के लिए गुरु की हो रहा श्रेष्ठ होगी | इसके साथ ही जल में विसर्जन कार्य होता है अतः चंद्र की होरा सामा...

गणेश भगवान - पूजा मंत्र, आरती एवं विधि

सिद्धिविनायक विघ्नेश्वर गणेश भगवान की आरती। आरती  जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।  माता जा की पार्वती ,पिता महादेवा । एकदंत दयावंत चार भुजा धारी।   मस्तक सिंदूर सोहे मूसे की सवारी | जय गणेश जय गणेश देवा।  अंधन को आँख  देत, कोढ़िन को काया । बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया । जय गणेश जय गणेश देवा।   हार चढ़े फूल चढ़े ओर चढ़े मेवा । लड्डूअन का  भोग लगे संत करें सेवा।   जय गणेश जय गणेश देवा।   दीनन की लाज रखो ,शम्भू पत्र वारो।   मनोरथ को पूरा करो।  जाए बलिहारी।   जय गणेश जय गणेश देवा। आहुति मंत्र -  ॐ अंगारकाय नमः श्री 108 आहूतियां देना विशेष शुभ होता है इसमें शुद्ध घी ही दुर्वा एवं काले तिल का विशेष महत्व है। अग्नि पुराण के अनुसार गायत्री-      मंत्र ओम महोत काय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो दंती प्रचोदयात्। गणेश पूजन की सामग्री एक चौकिया पाटे  का प्रयोग करें । लाल वस्त्र या नारंगी वस्त्र उसपर बिछाएं। चावलों से 8पत्ती वाला कमल पुष्प स्वरूप बनाएं। गणेश पूजा में नार...

श्राद्ध रहस्य - श्राद्ध क्यों करे ? कब श्राद्ध नहीं करे ? पिंड रहित श्राद्ध ?

श्राद्ध रहस्य - क्यों करे , न करे ? पिंड रहित , महालय ? किसी भी कर्म का पूर्ण फल विधि सहित करने पर ही मिलता है | * श्राद्ध में गाय का ही दूध प्रयोग करे |( विष्णु पुराण ) | श्राद्ध भोजन में तिल अवश्य प्रयोग करे | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि - श्राद्ध अपरिहार्य - अश्वनी माह के कृष्ण पक्ष तक पितर अत्यंत अपेक्षा से कष्ट की   स्थिति में जल , तिल की अपनी संतान से , प्रतिदिन आशा रखते है | अन्यथा दुखी होकर श्राप देकर चले जाते हैं | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि इसको नहीं करने से पीढ़ी दर पीढ़ी संतान मंद बुद्धि , दिव्यांगता .मानसिक रोग होते है | हेमाद्रि ग्रन्थ - आषाढ़ माह पूर्णिमा से /कन्या के सूर्य के समय एक दिन भी श्राद्ध कोई करता है तो , पितर एक वर्ष तक संतुष्ट/तृप्त रहते हैं | ( भद्र कृष्ण दूज को भरणी नक्षत्र , तृतीया को कृत्तिका नक्षत्र   या षष्ठी को रोहणी नक्षत्र या व्यतिपात मंगलवार को हो ये पिता को प्रिय योग है इस दिन व्रत , सूर्य पूजा , गौ दान गौ -दान श्रेष्ठ | - श्राद्ध का गया तुल्य फल- पितृपक्ष में मघा सूर्य की अष्टमी य त्रयोदशी को मघा नक्षत्र पर चंद्र ...

विवाह बाधा और परीक्षा में सफलता के लिए दुर्गा पूजा

विवाह में विलंब विवाह के लिए कात्यायनी पूजन । 10 oct - 18 oct विवाह में विलंब - षष्ठी - कात्यायनी पूजन । वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए - दुर्गतिहारणी मां कात्यायनी की शरण लीजिये | प्रतिपदा के दिन कलश स्थापना के समय , संकल्प में अपना नाम गोत्र स्थान बोलने के पश्चात् अपने विवाह की याचना , प्रार्थना कीजिये | वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए प्रति दिन प्रातः सूर्योदय से प्रथम घंटे में या दोपहर ११ . ४० से १२ . ४० बजे के मध्य , कात्ययानी देवी का मन्त्र जाप करिये | १०८बार | उत्तर दिशा में मुँह हो , लाल वस्त्र हो जाप के समय | दीपक मौली या कलावे की वर्तिका हो | वर्तिका उत्तर दिशा की और हो | गाय का शुद्ध घी श्रेष्ठ अथवा तिल ( बाधा नाशक + महुआ ( सौभाग्य ) तैल मिला कर प्रयोग करे मां भागवती की कृपा से पूर्वजन्म जनितआपके दुर्योग एवं   व्यवधान समाप्त हो एवं   आपकी मनोकामना पूरी हो ऐसी शुभ कामना सहित || षष्ठी के दिन विशेष रूप से कात्यायनी के मन्त्र का २८ आहुति / १०८ आहुति हवन कर...

कलश पर नारियल रखने की शास्त्रोक्त विधि क्या है जानिए

हमे श्रद्धा विश्वास समर्पित प्रयास करने के बाद भी वांछित परिणाम नहीं मिलते हैं , क्योकि हिन्दू धर्म श्रेष्ठ कोटी का विज्ञान सम्मत है ।इसकी प्रक्रिया , विधि या तकनीक का पालन अनुसरण परमावश्यक है । नारियल का अधिकाधिक प्रयोग पुजा अर्चना मे होता है।नारियल रखने की विधि सुविधा की दृष्टि से प्रचलित होगई॥ मेरे ज्ञान  मे कलश मे उल्टा सीधा नारियल फसाकर रखने की विधि का प्रमाण अब तक नहीं आया | यदि कोई सुविज्ञ जानकारी रखते हो तो स्वागत है । नारियल को मोटा भाग पूजा करने वाले की ओर होना चाहिए। कलश पर नारियल रखने की प्रमाणिक विधि क्या है ? अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए , उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै प्राची मुखं वित्त्नाश्नाय , तस्माच्छुभम सम्मुख नारिकेलम अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए कलश पर - नारियल का बड़ा हिस्सा नीचे मुख कर रखा जाए ( पतला हिस्सा पूछ वाला कलश के उपरी भाग पर रखा जाए ) तो उसे शत्रुओं की वृद्धि होती है * ( कार्य सफलता में बाधाएं आती है संघर्ष , अपयश , चिंता , हानि , सहज हैशत्रु या विरोधी तन , मन धन सर्व दृष्टि से घातक होते है ) उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै कलश ...