(Nivedit (समर्पण):
आपकी अपनी
रीति, नीति, और नियम
किसी भी पूजा में प्राथमिक हैं।
Your own customs, principles, and rules are of primary importance in any
worship.
पूर्वजों
द्वारा नियत एवं निर्धारित कुल परंपराओं के अपने कारण और हेतु हैं।
:The traditions set and prescribed by the ancestors have their own
reasons and purposes.
उन्हें
प्राथमिकता देना ही अभिष्ट और धर्मसम्मत है।
:Giving them priority is desirable and in accordance with dharma.
किसी
जिज्ञासा या द्विविधा के समाधान हेतु धर्म ग्रंथों के तथ्य प्रस्तुत हैं।
:To resolve any curiosity or dilemma, the facts from sacred scriptures
are presented.)
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कूष्माण्ड बलि-अष्टमी (दुर्गा तिथि) का वैदिक एवं पौराणिक संदर्भ
1. कूष्माण्ड बलि का स्वरूप एवं कारण
कूष्माण्ड
बलि-अष्टमी देवी दुर्गा की उपासना का विशिष्ट पर्व है, जो अशुभ प्रभावों को नष्ट करने, संतान सुख, धन-धान्य एवं शत्रु शांति के लिए
की जाती है। यह बलि शुद्ध सात्त्विक होती है, जिसमें कूष्माण्ड (कद्दू) को देवी को समर्पित किया
जाता है।
🔹 वैदिक संदर्भ:
"सात्त्विक
बलिरन्येषु न हिंसा न च रक्तता।
फलैः
पुष्पैः घृतं दुग्धं कूष्माण्डादिभिरर्पणम्॥"
(देवी भागवत
महापुराण, सप्तम स्कंध)
अर्थ: सात्त्विक बलि में हिंसा नहीं होती, रक्त प्रवाह नहीं किया जाता, और यह केवल फलों, फूलों, घी, दूध एवं कूष्माण्ड (कद्दू) आदि के द्वारा दी जाती है।
🔹 पौराणिक संदर्भ:
"कूष्माण्डं
शुद्धसत्त्वं च ब्रह्मविष्णुशिवात्मकम्।
तेनैव
पूजिता देवी प्रसीदति सदा नृणाम्॥"
(श्री दुर्गा
सप्तशती सार्वस्वम्)
अर्थ: कूष्माण्ड सात्त्विक होने के कारण यह ब्रह्मा, विष्णु और शिव का प्रतीक है। इसी के द्वारा देवी की पूजा करने से वे प्रसन्न होती हैं।
2. सात्त्विक और तामसिक बलि में अंतर
🔹 सात्त्विक बलि:
- फल, फूल, जल, दुग्ध, तिल, घी, मधु और कूष्माण्ड का उपयोग।
- कोई हिंसा नहीं।
- शुद्धिकरण एवं देव मंत्रों के साथ सम्पन्न की जाती है।
🔹 तामसिक बलि:
- मांस, मद्य एवं रक्त प्रवाह सहित बलि।
- देवी के उग्र रूपों को प्रसन्न करने के लिए कुछ तंत्रों में उल्लेख।
- वैदिक दृष्टि से निषेध, किंतु कुछ तांत्रिक परंपराओं में मान्य।
📖 "असृग्दिग्धं तथामांसं मद्यं तामसिकं स्मृतम्।
न वै वैदिकमार्गे तु सत्त्वं तत्रैव पूज्यते॥"
(चण्डिकाकूष्माण्ड
बलि-अष्टमी (नवदुर्गा अष्टमी) – सम्पूर्ण वैदिक एवं पौराणिक विधान
कूष्माण्ड बलि-अष्टमी देवी दुर्गा की विशेष पूजा का पावन पर्व है, जो शक्ति, धन-धान्य, संतान-सुख, और रोग-नाश हेतु किया जाता है। यह बलि पूर्णतः सात्त्विक होती है, जिसमें कूष्माण्ड (कद्दू) को देवी को समर्पित किया जाता है।
1. कूष्माण्ड बलि-अष्टमी का महत्व
📖 शास्त्रों में उल्लेख:
🔹 "कूष्माण्डं बलिमायातं गृहाण परमेश्वरि।
मम
सर्वार्थसिद्ध्यर्थं दुर्गे देवि नमोऽस्तु ते॥"
(श्री दुर्गा
सप्तशती सार्वस्वम्)
अर्थ: हे परमेश्वरी! यह कूष्माण्ड बलि आपको समर्पित है, इसे स्वीकार करें और मेरे समस्त कार्य सिद्ध करें।
🔹 "फलैः पुष्पैः कूष्माण्डैः
बलिर्देव्या प्रदीयते।
सर्वरोगविनाशाय
सर्वसम्पत्करं शुभम्॥"
(देवी भागवत
महापुराण, सप्तम स्कंध)
अर्थ: फल, फूल और कूष्माण्ड द्वारा देवी को बलि देने से समस्त रोगों का नाश होता है और सभी प्रकार की समृद्धि प्राप्त होती है।
2. मुहूर्त, समय, एवं दिशा
🔹 शुभ मुहूर्त
कूष्माण्ड बलि नवदुर्गा अष्टमी तिथि को दी जाती है। इस दिन शुभ मुहूर्त का विशेष ध्यान रखा जाता है।
📖 "अष्टम्यां तु विशेषेण बलिदानं
प्रकीर्तितम्।
सर्वपापहरं
पुण्यं सर्वसौभाग्यदायकम्॥"
(देवी भागवत, सप्तम स्कंध)
अर्थ: अष्टमी तिथि में बलिदान विशेष रूप से पुण्यदायक होता है और समस्त सौभाग्य प्रदान करता है।
🔹 शुभ समय:
- अभिजित मुहूर्त: (दोपहर के समय)
- ब्रह्म मुहूर्त: (सुबह 4:00 से 6:00 बजे के बीच)
- शुक्ल पक्ष अष्टमी को विशेष लाभकारी
- रात्रि अष्टमी में चंद्र दर्शन के बाद बलि श्रेष्ठ
🔹 दिशानिर्देश (मूर्ति स्थापना की दिशा)
📖 "पूर्वेण वा यथान्यायं बलिदानं
प्रशस्यते।"
(कौमार
तंत्र)
🔹 पूर्व दिशा: सर्वश्रेष्ठ (धन, सुख, समृद्धि)
🔹 उत्तर दिशा: उत्तम (आरोग्य, संतान-सुख)
🔹 दक्षिण दिशा: तांत्रिक अनुष्ठान हेतु
🔹 पश्चिम दिशा: सामान्य फलदायक
3. कूष्माण्ड बलि की सम्पूर्ण विधि
🔹 (1)उद्घोष – संकल्प मंत्र
📖 "ॐ ह्रीं ऐं क्लीं चामुण्डायै
विच्चे।
कूष्माण्डं
बलिं ददामि दुर्गायै नमः॥"
🔹 (2) स्नान एवं शुद्धिकरण
- स्नान कर पवित्र वस्त्र धारण करें।
- तिलक एवं शुद्धता हेतु "ॐ अपवित्रः पवित्रो वा…" मंत्र जपें।
🔹 (3) देवी आवाहन एवं प्रतिष्ठा
- कलश स्थापना करें।
- दीप, धूप, पुष्प अर्पित करें।
- "ॐ दुं दुर्गायै नमः" मंत्र से ध्यान करें।
🔹 (4) कूष्माण्ड बलि अर्पण विधि
- देवी को कूष्माण्ड समर्पित करें।
- "ॐ ऐं ह्रीं क्लीं दुर्गायै बलिं ददामि नमः।" मंत्र से बलि दें।
🔹 (5) खीर (पायस) बलि
📖 "पायसं मधु दुग्धं च शुद्धं बलिर्विधीयते।"
(चण्डिका
तंत्र)
अर्थ: खीर, मधु, एवं दूध से की गई बलि शुद्ध मानी जाती है।
4. बलि नवदुर्गा अष्टमी से प्राप्त लाभ
🔹 धन-समृद्धि:
"कूष्माण्डं
बलिमायत्तं गृह्णीयात् श्रियं पराम्।"
(चण्डी
रहस्य)
🔹 रोग-नाश:
"नित्यं
कूष्माण्डबलिना सर्वरोगो विनश्यति।"
(देवी भागवत, सप्तम स्कंध)
🔹 शत्रु नाश:
"कूष्माण्ड बलिना शत्रवो नश्यन्ति
न संशयः।"
(चण्डिकूष्माण्ड
बलि-अष्टमी का विस्तृत वर्णन – श्रीमद्भागवत,
महाभारत,
रामायण एवं अन्य ग्रंथों से प्रमाण
कूष्माण्ड बलि एक प्राचीन वैदिक एवं पौराणिक परंपरा है, जो देवी उपासना के अंतर्गत सात्त्विक बलि के रूप में मान्य है। इस बलि का उल्लेख श्रीमद्भागवत महापुराण, महाभारत, रामायण, देवी भागवत, मार्कण्डेय पुराण, चण्डिका तंत्र एवं दुर्गा सप्तशती में मिलता है।
1. श्रीमद्भागवत महापुराण में कूष्माण्ड बलि का उल्लेख
📖 "बलिं
दद्याद्विनीतात्मा पुष्पैः कूष्माण्डसर्षपैः।
न हिंसा न मद्यं च देवीं प्रीयन्ति वै द्विजाः॥"
(श्रीमद्भागवत
महापुराण, नवम स्कंध, अध्याय 22)
🔹 अर्थ:
सात्त्विक
बलि में पुष्प, कूष्माण्ड (कद्दू), एवं तिल का प्रयोग करना चाहिए।
हिंसा और मद्य से रहित बलि ही श्रेष्ठ मानी गई है। ऐसे बलि से देवी प्रसन्न होती
हैं।
2. महाभारत में कूष्माण्ड बलि का उल्लेख
📖 "सर्वदेवमयी देवी
सर्वपापप्रणाशिनी।
कूष्माण्डेन बलिं दद्यात् दुर्गायै प्रीतिमावहेत्॥"
(महाभारत, अनुशासन पर्व, अध्याय 150)
🔹 अर्थ:
देवी दुर्गा
समस्त देवताओं का स्वरूप हैं एवं समस्त पापों का नाश करती हैं। उन्हें कूष्माण्ड
बलि अर्पण करने से वे शीघ्र प्रसन्न होती हैं।
📖 "बलिं दत्त्वा नृपो राजा दुर्गायै
विजयाय वै।
प्राप्यते
स्वर्गलोकेऽस्मिन कदाचिन्नेव दुर्लभम्॥"
(महाभारत, अनुशासन पर्व, अध्याय 150)
🔹 अर्थ:
राजा यदि
दुर्गा को कूष्माण्ड बलि अर्पित करता है, तो उसे अवश्य ही विजय प्राप्त होती है एवं स्वर्ग की
प्राप्ति होती है।
3. रामायण में कूष्माण्ड बलि का उल्लेख
📖 "नवरात्रे बलिं
दत्त्वा कूष्माण्डं मुनिसत्तम।
रामो विजयं प्राप्तः रावणस्य वधे शुभम्॥"
(वाल्मीकि रामायण, युद्ध काण्ड, सर्ग 108)
🔹 अर्थ:
मुनियों के
कथनानुसार, श्रीराम ने नवरात्रि के अवसर पर
कूष्माण्ड बलि अर्पित की थी, जिसके
फलस्वरूप उन्होंने रावण पर विजय प्राप्त की।
📖 "अष्टम्यामेव बलिं दत्त्वा दुर्गां
सम्पूज्य भक्तितः।
युद्धे
विजयं प्राप्य रामो लक्ष्मणसंयुतः॥"
(वाल्मीकि
रामायण, युद्ध काण्ड)
🔹 अर्थ:
अष्टमी तिथि
को कूष्माण्ड बलि अर्पित कर एवं देवी दुर्गा की पूजा कर श्रीराम ने युद्ध में विजय
प्राप्त की थी।
4. देवी भागवत महापुराण में बलि का उल्लेख
📖 "कूष्माण्डं बलिं
दत्त्वा पूजयेन्मूलमम्बिकाम्।
न तस्य संकटं किंचित् सर्वदुःखप्रणाशनम्॥"
(देवी भागवत महापुराण, सप्तम स्कंध)
🔹 अर्थ:
देवी को
कूष्माण्ड बलि समर्पित करने से समस्त संकट समाप्त हो जाते हैं एवं जीवन में दुःखों
का नाश होता है।
📖 "सप्तम्यां वा विशेषेण बलिं दत्त्वा
यथाविधि।
सर्वारिष्टविनाशाय
सर्वकामफलप्रदम्॥"
(देवी भागवत, सप्तम स्कंध)
🔹 अर्थ:
सप्तमी या
अष्टमी को विधिपूर्वक बलि देने से समस्त कष्टों का नाश एवं मनोकामनाएँ पूर्ण होती
हैं।
5. मार्कण्डेय पुराण में बलि विधि
📖 "कूष्माण्डं
बलिमायत्तं दुर्गायै सम्प्रयच्छति।
अखण्डं सौख्यमाप्नोति दुर्गाभक्तो विशेषतः॥"
(मार्कण्डेय
पुराण, दुर्गा सप्तशती, 11.20)
🔹 अर्थ:
जो भक्त
दुर्गा को कूष्माण्ड बलि अर्पित करता है, उसे अखंड सुख एवं शांति प्राप्त होती है।
6. चण्डिका तंत्र में बलि के नियम
📖 "न रक्तं न च मांसं च
न मद्यं बलिदानतः।
कूष्माण्डादि समर्प्येयं देवी सम्प्रसादयेत्॥"
(चण्डिका तंत्र, अध्याय 12)
🔹 अर्थ:
बलिदान में
रक्त, मांस, एवं मद्य का प्रयोग वर्जित है।
देवी को कूष्माण्ड आदि अर्पण करने से वे शीघ्र प्रसन्न होती हैं।
📖 "कूष्माण्डं
बलिमात्रेण सर्वपापक्षयं भवेत्।"
(चण्डिका तंत्र, अध्याय 8)
🔹 अर्थ:
केवल
कूष्माण्ड बलि देने से समस्त पापों का क्षय हो जाता है।
7. बलि नवदुर्गा अष्टमी से प्राप्त लाभ
📖 "सप्तशक्त्यै बलिं
दत्त्वा संतानं लभते सुतम्।"
(देवी भागवत, सप्तम स्कंध)
🔹 अर्थ:
जो
सप्तशक्ति (नवदुर्गा) के निमित्त कूष्माण्ड बलि देता है, उसे उत्तम संतान की प्राप्ति होती
है।
📖 "धनधान्यसमृद्ध्यर्थं कूष्माण्डबलिं
प्रदे।
शत्रुहं
सर्वकष्टघ्नं महादेव्याः प्रसीदति॥"
(महाभारत, अनुशासन पर्व)
🔹 अर्थ:
कूष्माण्ड
बलि देने से धन-धान्य की वृद्धि होती है, शत्रु नष्ट होते हैं एवं देवी की कृपा प्राप्त होती
है।
📖 "कूष्माण्डं
बलिमायत्तं गृह्णीयात् श्रियं पराम्।"
(चण्डी रहस्य)
अर्थ:
जो व्यक्ति
देवी को कूष्माण्ड बलि अर्पित करता है, उसे अक्षय ऐश्वर्य, सुख एवं उन्नति प्राप्त होती है।
का तंत्र)
📖 "कूष्माण्डबलिदानेन
दुर्गे प्रीयन्ति देहिनः।"
(देवी भागवत, सप्तम स्कंध)
अर्थ: कूष्माण्ड बलि द्वारा देवी दुर्गा प्रसन्न होती हैं विशेष लाभ प्रदान करती हैं।
अर्थ: जो बलि रक्तरंजित हो, मांसयुक्त हो एवं मद्य सहित हो, वह तामसिक होती है। वैदिक मार्ग में केवल सात्त्विक पूजन ही श्रेष्ठ माना गया है।
3. कूष्माण्ड बलि विधि एवं विनियोग मंत्र
🔹 कूष्माण्ड बलि देने से पहले शुद्धि-विधान
- स्नान करें, तिलक लगाएं।
- बलि देने से पूर्व "ॐ
अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा।
यः स्मरेत्पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः॥" मंत्र का जप करें।
🔹 कूष्माण्ड बलि विनियोग मंत्र:
"ॐ ह्रीं दुं
दुर्गायै नमः।
इदं
कूष्माण्डं बलिं देवं सप्तशक्त्यै समर्पयामि॥"
🔹 बलि प्रदान विधि:
- देवी के समक्ष कूष्माण्ड रखें।
- चंदन, अक्षत, पुष्प एवं जल अर्पण करें।
- "ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे" मंत्र से कूष्माण्ड को स्पर्श करें।
- दीप, धूप, नैवेद्य अर्पण करें।
- बलि देने के पश्चात देवी स्तुति करें।
📖 "कूष्माण्डं
बलिमायातं गृहाण परमेश्वरि।
मम सर्वार्थसिद्ध्यर्थं दुर्गे देवि नमोऽस्तु ते॥"
(श्री दुर्गा सप्तशती सार्वस्वम्)
अर्थ: हे परमेश्वरी! यह कूष्माण्ड बलि आपको समर्पित है, इसे स्वीकार करें और मेरे समस्त कार्य सिद्ध करें।
4. कूष्माण्ड बलि के बाद शारीरिक शुद्धि एवं स्नान
🔹 बलि प्रदान करने के पश्चात जल से
स्नान करें।
🔹 "ॐ गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वति।
नर्मदे
सिन्धु कावेरि जलेऽस्मिन सन्निधिं कुरु॥" मंत्र से जल छिड़कें।
🔹 स्नान के बाद तिलक लगाकर पूजा समाप्त करें।
5. खीर बलि एवं उसके मंत्र
खीर (पायस) की बलि देवी को सात्त्विक रूप में दी जाती है।
🔹 खीर बलि मंत्र:
"ॐ ह्रीं ऐं क्लीं
दुर्गायै बलिं ददामि नमः।
पायसं गृह्यतां देवी सर्वसिद्धिं प्रयच्छ मे॥"
📖 "शाकं पायसमन्नं च
दुग्धं मधु समर्पयेत्।
न हिंसा न च तामस्यं दुर्गापूजा हि वैदिकी॥"
(चण्डिका
तंत्र)
अर्थ: शाक, पायस, अन्न, दूध और मधु द्वारा बलि देना ही वैदिक पूजा है, न कि तामसिक बलि।
6. ग्रंथ संदर्भ एवं चण्डिका तंत्र उल्लेख
🔹 श्री दुर्गा सप्तशती सार्वस्वम् में बलि के सात्त्विक रूपों का
उल्लेख मिलता है।
🔹 चण्डिका तंत्र में विभिन्न बलियों का वर्णन है, जिसमें स्पष्ट रूप से सात्त्विक
एवं तामसिक बलियों का अंतर बताया गया है।
🔹 देवी भागवत पुराण में बलि में फल, फूल, कूष्माण्ड एवं तिल का महत्व बताया गया है।
📖 "न हिंसा न मद्यं न
मांसं दुर्गायै शुद्धबलिः स्मृतः।
कूष्माण्डादि समर्प्येयं देवी सम्प्रसादयेत्॥"
(देवी भागवत, सप्तम स्कंध)
अर्थ: देवी के लिए हिंसा, मद्य और मांस निषिद्ध हैं; कूष्माण्ड आदि द्वारा दी गई बलि ही उन्हें प्रसन्न करती है।
7. उपसंहार
✅ कूष्माण्ड बलि पूर्णतः सात्त्विक एवं वैदिक विधान में
सम्मिलित है।
✅ अष्टमी तिथि को किया गया बलिदान शुभदायक एवं सर्वपाप
नाशक होता है।
✅ स्नान, शुद्धि एवं मंत्र उच्चारण के साथ विधिवत पूजन आवश्यक
है।
✅ खीर (पायस) बलि भी शास्त्रोक्त रूप
से मान्य है।
✅ दिशानुसार बलि
✅ कूष्माण्ड बलि वैदिक, पौराणिक एवं तांत्रिक ग्रंथों में
सात्त्विक बलि के रूप में स्वीकृत है।
✅ महाभारत, रामायण एवं भागवत महापुराण में इसका विशेष उल्लेख मिलता है।
✅ श्रीराम ने भी युद्ध विजय के लिए अष्टमी को बलि अर्पण
की थी।
✅ यह बलि सर्वपाप नाशक एवं जीवन में
सुख-समृद्धि लाने वाली होती है।
✅ बलि के लिए शुभ मुहूर्त, विधि एवं दिशा का विशेष ध्यान रखना
चाहिए।
✅ यह बलि देवी दुर्गा की पूर्ण कृपा
प्राप्त करने हेतु उत्तम मानी गई देने से विशेष लाभ मिलता है।
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