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मुख्य वृक्षों का धार्मिक एवं ज्योतिषीय महत्व, पूजन विधि, एवं संबंधित ग्रंथों में उल्लेख Religious and Astrological Significance of Major Trees, Worship Method, and

 

 


📜 पवित्र ग्रंथों में वृक्षों का महत्व 📜

भारतीय सनातन संस्कृति में वृक्षों का विशेष स्थान रहा है, जिसका उल्लेख वेदों, उपनिषदों, पुराणों एवं अन्य ग्रंथों में मिलता है। वृक्षों को देवतुल्य माना गया है, और उनकी पूजा-अर्चना करने से जीवन के कष्ट दूर होते हैं। यहाँ विभिन्न ग्रंथों में उल्लिखित वृक्षों के महत्व के कुछ प्रमाण दिए जा रहे हैं—


🌳 वेदों में वृक्षों का महत्व 🌳

1. ऋग्वेद (Rigveda)

🔹 ऋग्वेद 10.97.5
📜 "वनस्पतिं वनस्पते शतवल्शोऽसि, शतस्याक्षस्य धारय:।"
👉 अर्थ: हे वनस्पति! तू सैकड़ों शाखाओं वाला है, तू सौ आंखों की तरह (सर्वदर्शी) है, हमें आरोग्य प्रदान कर।

2. अथर्ववेद (Atharvaveda)

🔹 अथर्ववेद 5.4.3
📜 "अश्वत्थो देवसदनं चैत्यमलमलम्, तस्मिन्यः शरणं ब्रूते स मुक्तो भवति द्विजः॥"
👉 अर्थ: पीपल देवताओं का निवास स्थान है, जो इसकी शरण में आता है, वह मोक्ष प्राप्त करता है।


📖 पुराणों में वृक्षों का महत्व 📖

1. स्कंद पुराण (Skanda Purana)

🔹 स्कंद पुराण, काशी खंड
📜 "अश्वत्थमेकं पिचुमन्दमेकं, न्यग्रोधमेकं दशतुल्यवृक्षम्।"
👉 अर्थ: एक पीपल का वृक्ष, एक नीम का वृक्ष और एक वट वृक्ष दस सामान्य वृक्षों के बराबर पुण्य देने वाले हैं।

2. पद्म पुराण (Padma Purana)

🔹 पद्म पुराण, सृष्टि खंड
📜 "यस्य तुलसीं गृहे नित्यं पूज्यते सदा। तस्य गृहे न जायन्ते दरिद्रव्याधिपीडिताः॥"
👉 अर्थ: जिस घर में प्रतिदिन तुलसी की पूजा होती है, वहाँ दरिद्रता और रोग नहीं आते।

3. विष्णु पुराण (Vishnu Purana)

🔹 विष्णु पुराण 3.8.15
📜 "वृक्षाणां पतयः सर्वे पूज्याः पूजाविधानतः। यः पूजयति धर्मात्मा स याति परमां गतिम्॥"
👉 अर्थ: समस्त वृक्ष पूजनीय हैं, जो व्यक्ति श्रद्धापूर्वक उनकी पूजा करता है, वह परमगति को प्राप्त होता है।


📚 महाभारत और रामायण में वृक्षों का वर्णन 📚

1. महाभारत (Mahabharata)

🔹 महाभारत, वनपर्व
📜 "शमी शमयते पापं शमी शत्रुविनाशिनी। अर्जुनस्य धनुर्धारि रामस्य प्रियदर्शिनी॥"
👉 अर्थ: शमी वृक्ष पापों को शांत करता है, शत्रुओं का नाश करता है। अर्जुन और श्रीराम को प्रिय है।

2. रामायण (Ramayana)

🔹 रामायण, अरण्यकांड
📜 "वनं तत् शोभते राजन् पुष्पितैः विविधैः द्रुमैः।"
👉 अर्थ: हे राजन! यह वन विभिन्न प्रकार के पुष्पित वृक्षों से सुशोभित है।

मुख्य वृक्षों का धार्मिक एवं ज्योतिषीय महत्व, पूजन विधि, एवं संबंधित ग्रंथों में उल्लेख
Religious and Astrological Significance of Major Trees, Worship Method, and References in Scriptures1. पीपल (Ficus Religiosa)

📜 संबंधित ग्रंथ:

  • स्कंद पुराणपीपल को भगवान विष्णु का निवास स्थान माना गया है।
  • विष्णु पुराणयह वृक्ष देवगुरु बृहस्पति से संबंधित है।
  • गरुड़ पुराणपीपल जल अर्पण से पितृ दोष निवारण होता है।

🛕 पूजन दिन: शनिवार और अमावस्या
🌕 पूजन महीना: वैशाख, कार्तिक
🪔
दीपक: तिल के तेल का
📍 दिशा: उत्तर-पूर्व
🕉 मंत्र: "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय"

लाभ: पितृ दोष निवारण, शनि ग्रह शांति, मानसिक शांति


2. बरगद (Ficus Benghalensis)

📜 संबंधित ग्रंथ:

  • महाभारतइस वृक्ष को दीर्घायु और संतान सुख का प्रतीक बताया गया है।
  • स्कंद पुराणवट सावित्री व्रत में पूजन अनिवार्य।
  • पद्म पुराणबरगद का पूजन अक्षय पुण्य देने वाला बताया गया है।

🛕 पूजन दिन: वट सावित्री पूर्णिमा
🌕 पूजन महीना: ज्येष्ठ (मई-जून)
🪔
दीपक: घी का
📍 दिशा: पूर्व
🕉 मंत्र: "ॐ वटाय नमः"

लाभ: संतान सुख, दीर्घायु, सौभाग्य वृद्धि


3. नीम (Azadirachta Indica)

📜 संबंधित ग्रंथ:

  • अथर्ववेदनीम को आरोग्य प्रदायक बताया गया है।
  • आयुर्वेद ग्रंथ चरक संहितारोग नाशक और वात-पित्त दोष दूर करने वाला।
  • स्कंद पुराणनीम की पूजा रोग निवारण के लिए की जाती है।

🛕 पूजन दिन: रविवार
🌕 पूजन महीना: चैत्र (मार्च-अप्रैल)
🪔
दीपक: तिल के तेल का
📍 दिशा: पूर्व
🕉 मंत्र: "ॐ नमः शिवाय"

लाभ: रोग नाश, शुद्ध पर्यावरण, मंगल दोष निवारण


4. तुलसी (Ocimum Sanctum)

📜 संबंधित ग्रंथ:

  • पद्म पुराणतुलसी को मोक्षदायिनी बताया गया है।
  • विष्णु पुराणभगवान विष्णु को तुलसी अत्यंत प्रिय है।
  • गरुड़ पुराणतुलसी पत्र से भगवान को जल अर्पण करने से पाप नाश होता है।

🛕 पूजन दिन: एकादशी, कार्तिक मास में प्रतिदिन
🌕 पूजन महीना: कार्तिक (अक्टूबर-नवंबर)
🪔
दीपक: तिल के तेल या घी का
📍 दिशा: उत्तर-पूर्व
🕉 मंत्र: "ॐ तुलस्यै नमः"

लाभ: मोक्ष प्राप्ति, ग्रह शांति, सकारात्मक ऊर्जा


5. बेल (Aegle Marmelos)

📜 संबंधित ग्रंथ:

  • शिव पुराणबेलपत्र भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है।
  • अथर्ववेदयह स्वास्थ्यवर्धक एवं रोगनाशक है।

🛕 पूजन दिन: सोमवार
🌕 पूजन महीना: श्रावण (जुलाई-अगस्त)
🪔
दीपक: घी का
📍 दिशा: उत्तर
🕉 मंत्र: "ॐ नमः शिवाय"

लाभ: शिव कृपा, रोग नाश, मानसिक शांति


6. शमी (Prosopis Cineraria)

📜 संबंधित ग्रंथ:

  • महाभारतअर्जुन ने अपने शस्त्र शमी वृक्ष में छुपाए थे।
  • रामायणविजय प्राप्ति के लिए शमी पूजन का वर्णन।

🛕 पूजन दिन: विजयादशमी
🌕 पूजन महीना: आश्विन (सितंबर-अक्टूबर)
🪔
दीपक: सरसों के तेल का
📍 दिशा: पूर्व
🕉 मंत्र: "ॐ शं शनैश्चराय नमः"

लाभ: शनि दोष निवारण, विजय प्राप्ति


7. आम (Mangifera Indica)

📜 संबंधित ग्रंथ:

  • वेदों में उल्लेखआम के पत्ते शुभ एवं पूजन में आवश्यक।
  • रामायणभगवान राम के वनवास में आम वृक्ष का उल्लेख।

🛕 पूजन दिन: गुरुवार
🌕 पूजन महीना: वैशाख (अप्रैल-मई)
🪔
दीपक: घी का
📍 दिशा: पूर्व
🕉 मंत्र: "ॐ ब्रह्माय नमः"

लाभ: बुध ग्रह शांति, संतान सुख, घर में सुख-शांति


8. कदंब (Neolamarckia Cadamba)

📜 संबंधित ग्रंथ:

  • श्रीमद्भागवत पुराणभगवान श्रीकृष्ण की लीला इस वृक्ष से जुड़ी है।
  • स्कंद पुराणयह शुभता का प्रतीक माना गया है।

🛕 पूजन दिन: सोमवार
🌕 पूजन महीना: श्रावण (जुलाई-अगस्त)
🪔
दीपक: तिल के तेल का
📍 दिशा: उत्तर-पूर्व
🕉 मंत्र: "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय"

लाभ: बुध दोष निवारण, व्यापार वृद्धि, विद्या प्राप्ति


9. चंपा (Plumeria)

📜 संबंधित ग्रंथ:

  • देवी भागवतचंपा पुष्प मां लक्ष्मी को अत्यंत प्रिय है।
  • स्कंद पुराणसौभाग्य एवं वैवाहिक सुख के लिए उपयोगी।

🛕 पूजन दिन: शुक्रवार
🌕 पूजन महीना: श्रावण (जुलाई-अगस्त)
🪔
दीपक: घी का
📍 दिशा: उत्तर
🕉 मंत्र: "ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः"

लाभ: शुक्र दोष निवारण, सौभाग्य, सुख-शांति


10. आक (Calotropis)

📜 संबंधित ग्रंथ:

  • शिव पुराणआक के पुष्प भगवान शिव को अर्पित करने से विशेष फल मिलता है।
  • अथर्ववेदआक का पौधा नकारात्मक ऊर्जा नष्ट करता है।

🛕 पूजन दिन: सोमवार
🌕 पूजन महीना: श्रावण (जुलाई-अगस्त)
🪔
दीपक: तिल के तेल का
📍 दिशा: उत्तर
🕉 मंत्र: "ॐ नमः शिवाय"

लाभ: रोग निवारण, शत्रु बाधा नाश 11. अशोक (Saraca Asoca)

📜 संबंधित ग्रंथ:

  • रामायणदेवी सीता अशोक वाटिका में थीं।
  • स्कंद पुराणअशोक वृक्ष को शोक नाशक बताया गया है।
  • अथर्ववेदइसे मानसिक शांति प्रदान करने वाला वृक्ष माना गया है।

🛕 पूजन दिन: मंगलवार एवं चैत्र नवरात्रि
🌕 पूजन महीना: चैत्र (मार्च-अप्रैल)
🪔
दीपक: तिल के तेल का
📍 दिशा: पूर्व
🕉 मंत्र:
"
ॐ ह्रीं दुर्गायै नमः"

लाभ:

  • शोक एवं मानसिक तनाव नाश
  • वैवाहिक जीवन में सुख
  • मंगल दोष निवारण

12. नागकेसर (Mesua Ferrea)

📜 संबंधित ग्रंथ:

  • महाभारतइस वृक्ष के फूल अत्यंत शुभ माने गए हैं।
  • पद्म पुराणलक्ष्मी पूजन में उपयोगी।

🛕 पूजन दिन: शुक्रवार
🌕 पूजन महीना: श्रावण (जुलाई-अगस्त)
🪔
दीपक: घी का
📍 दिशा: उत्तर
🕉 मंत्र:
"
ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः"

लाभ:

  • धन-वैभव की वृद्धि
  • शुक्र ग्रह दोष निवारण

13. पारिजात (Nyctanthes Arbor-Tristis)

📜 संबंधित ग्रंथ:

  • भागवत पुराणइसे स्वर्ग से प्राप्त दिव्य वृक्ष माना गया है।
  • महाभारतभगवान श्रीकृष्ण ने इसे इंद्र से प्राप्त किया था।

🛕 पूजन दिन: बृहस्पतिवार
🌕 पूजन महीना: श्रावण (जुलाई-अगस्त)
🪔
दीपक: घी का
📍 दिशा: उत्तर-पूर्व
🕉 मंत्र:
"
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय"

लाभ:

  • बृहस्पति दोष निवारण
  • आध्यात्मिक उन्नति

14. केला (Musa)

📜 संबंधित ग्रंथ:

  • विष्णु पुराणभगवान विष्णु को अर्पित होता है।
  • स्कंद पुराणगुरुवार को पूजन करने से गुरु ग्रह शांत होते हैं।

🛕 पूजन दिन: गुरुवार
🌕 पूजन महीना: श्रावण (जुलाई-अगस्त)
🪔
दीपक: घी का
📍 दिशा: उत्तर-पूर्व
🕉 मंत्र:
"
ॐ बृं बृहस्पतये नमः"

लाभ:

  • बृहस्पति दोष निवारण
  • सुख-समृद्धि वृद्धि

15. अनार (Punica Granatum)

📜 संबंधित ग्रंथ:

  • अथर्ववेदइसे रोग नाशक एवं स्वास्थ्यवर्धक बताया गया है।
  • स्कंद पुराणशक्ति पूजन में अनार के फूल अर्पित होते हैं।

🛕 पूजन दिन: मंगलवार
🌕 पूजन महीना: चैत्र (मार्च-अप्रैल)
🪔
दीपक: तिल के तेल का
📍 दिशा: पूर्व
🕉 मंत्र:
"
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे"

लाभ:

  • मंगल दोष निवारण
  • रोग एवं नकारात्मक ऊर्जा नाश

16. लोध्र (Symplocos Racemosa)

📜 संबंधित ग्रंथ:

  • अथर्ववेदइसे सौंदर्य वर्धक बताया गया है।
  • आयुर्वेद ग्रंथ चरक संहितात्वचा रोगों के लिए लाभकारी।

🛕 पूजन दिन: शुक्रवार
🌕 पूजन महीना: श्रावण (जुलाई-अगस्त)
🪔
दीपक: घी का
📍 दिशा: उत्तर
🕉 मंत्र:
"
ॐ श्रीं सौंदर्याय नमः"

लाभ:

  • शुक्र ग्रह शांति
  • सौंदर्य एवं आकर्षण वृद्धि

17. अर्जुन (Terminalia Arjuna)

📜 संबंधित ग्रंथ:

  • महाभारतअर्जुन इस वृक्ष के नाम पर ही प्रसिद्ध हुए।
  • अथर्ववेदहृदय रोग नाशक।

🛕 पूजन दिन: सोमवार
🌕 पूजन महीना: वैशाख (अप्रैल-मई)
🪔
दीपक: घी का
📍 दिशा: पूर्व
🕉 मंत्र:
"
ॐ नमः शिवाय"

लाभ:

  • हृदय रोग निवारण
  • साहस एवं आत्मविश्वास वृद्धि

18. गुड़हल (Hibiscus)

📜 संबंधित ग्रंथ:

  • देवी भागवत पुराणमाँ काली को अर्पित किया जाता है।
  • स्कंद पुराणशक्ति पूजा में विशेष महत्व।

🛕 पूजन दिन: शनिवार
🌕 पूजन महीना: आश्विन (सितंबर-अक्टूबर)
🪔
दीपक: तिल के तेल का
📍 दिशा: दक्षिण
🕉 मंत्र:
"
ॐ क्रीं कालीकायै नमः"

लाभ:

  • शनि ग्रह शांति
  • शत्रु नाश

19. शाल (Shorea Robusta)

📜 संबंधित ग्रंथ:

  • रामायणश्रीराम ने शाल वन में समय बिताया था।
  • महाभारतशाल वृक्ष को बल एवं धैर्य का प्रतीक माना गया है।

🛕 पूजन दिन: मंगलवार
🌕 पूजन महीना: माघ (जनवरी-फरवरी)
🪔
दीपक: तिल के तेल का
📍 दिशा: पूर्व
🕉 मंत्र:
"
ॐ रामाय नमः"

लाभ:

  • मंगल दोष निवारण
  • साहस एवं आत्मविश्वास वृद्धि

20. कचनार (Bauhinia Variegata)

📜 संबंधित ग्रंथ:

  • अथर्ववेदरोग निवारण के लिए उपयोगी।
  • स्कंद पुराणइसे महादेव का प्रिय वृक्ष बताया गया है।

🛕 पूजन दिन: सोमवार
🌕 पूजन महीना: फाल्गुन (फरवरी-मार्च)
🪔
दीपक: घी का
📍 दिशा: उत्तर
🕉 मंत्र:
"
ॐ नमः शिवाय"

लाभ:

  • रोग एवं नकारात्मक ऊर्जा नाश
  • आध्यात्मिक उन्नति

📚 प्राचीन ग्रंथ जहां वृक्षों का उल्लेख मिलता है:

  1. ऋग्वेदवृक्षों का आध्यात्मिक महत्व
  2. यजुर्वेदविभिन्न वृक्षों की औषधीय एवं पूजन विधियां
  3. अथर्ववेदवृक्षों के रोगनाशक गुण
  4. स्कंद पुराणवृक्षों की पूजा से जुड़े नियम
  5. विष्णु पुराणधार्मिक अनुष्ठानों में वृक्षों का उपयोग

1 पीपल (Ficus Religiosa)

📖 संबंधित ग्रंथ:
यजुर्वेदपीपल को 'वृक्षों का राजा' कहा गया है।
अथर्ववेदइसे सभी रोगों का नाश करने वाला बताया गया है।
स्कंद पुराणपीपल की जड़ में ब्रह्मा, तने में विष्णु, और पत्तों में शिव का वास माना गया है।
विष्णु पुराणइसे अश्वत्थ वृक्ष कहा गया है, जिसमें भगवान विष्णु स्वयं निवास करते हैं।

🛕 पूजन दिन: शनिवार एवं अमावस्या
🌕 पूजन महीना: कार्तिक (अक्टूबर-नवंबर)
🪔
दीपक: तिल के तेल का
📍 दिशा: पूर्व
🕉 मंत्र:
"
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय"

लाभ:

  • शनि दोष निवारण
  • वंश वृद्धि एवं संतान सुख
  • धन, समृद्धि, एवं मानसिक शांति

2️ वट वृक्ष (Ficus Benghalensis)

📖 संबंधित ग्रंथ:
यजुर्वेदइसे दीर्घायु प्रदान करने वाला वृक्ष माना गया है।
अथर्ववेदवट वृक्ष की छाल औषधीय गुणों से भरपूर होती है।
स्कंद पुराणइसे वट सावित्री व्रत में पूजनीय माना गया है।
विष्णु पुराणभगवान विष्णु इसे 'अखण्ड ऊर्जा का प्रतीक' कहते हैं।

🛕 पूजन दिन: वट सावित्री व्रत (ज्येष्ठ पूर्णिमा)
🌕 पूजन महीना: ज्येष्ठ (मई-जून)
🪔
दीपक: तिल के तेल का
📍 दिशा: उत्तर-पूर्व
🕉 मंत्र:
"
ॐ वटाय नमः"

लाभ:

  • वैवाहिक जीवन में सुख
  • लंबी आयु एवं उत्तम स्वास्थ्य
  • गुरु ग्रह दोष निवारण

3️ बेल (Aegle Marmelos)

📖 संबंधित ग्रंथ:
यजुर्वेदबेलपत्र को भगवान शिव के प्रिय पत्रों में से एक बताया गया है।
अथर्ववेदइसका फल एवं पत्तियां पाचन और त्वचा रोगों में लाभकारी हैं।
स्कंद पुराणबेलपत्र से शिवलिंग का अभिषेक करने का महत्व बताया गया है।
विष्णु पुराणइसे पवित्र एवं मोक्षदायक माना गया है।

🛕 पूजन दिन: सोमवार
🌕 पूजन महीना: श्रावण (जुलाई-अगस्त)
🪔
दीपक: घी का
📍 दिशा: उत्तर
🕉 मंत्र:
"
ॐ नमः शिवाय"

लाभ:

  • शिव कृपा प्राप्ति
  • मानसिक शांति एवं मोक्ष
  • त्वचा रोग एवं पाचन शक्ति सुधार

4️ आम (Mangifera Indica)

📖 संबंधित ग्रंथ:
यजुर्वेदआम के पत्तों से यज्ञ एवं हवन किया जाता है।
अथर्ववेदइसे जीवनी शक्ति बढ़ाने वाला बताया गया है।
स्कंद पुराणइसे शुभता एवं समृद्धि का प्रतीक माना गया है।
विष्णु पुराणआम के फल को भगवान विष्णु को अर्पित करने की परंपरा है।

🛕 पूजन दिन: रविवार
🌕 पूजन महीना: चैत्र (मार्च-अप्रैल)
🪔
दीपक: घी का
📍 दिशा: पूर्व
🕉 मंत्र:
"
ॐ श्रीं विष्णवे नमः"

लाभ:

  • ग्रह दोष निवारण
  • संतान सुख
  • स्वास्थ्य एवं समृद्धि

5️ तुलसी (Ocimum Sanctum)

📖 संबंधित ग्रंथ:
यजुर्वेदतुलसी को स्वास्थ्य वर्धक बताया गया है।
अथर्ववेदइसे संक्रामक रोगों को रोकने वाला औषधीय पौधा माना गया है।
स्कंद पुराणतुलसी विवाह का महत्व बताया गया है।
विष्णु पुराणतुलसी को भगवान विष्णु की प्रिय देवी माना गया है।

🛕 पूजन दिन: एकादशी एवं कार्तिक मास
🌕 पूजन महीना: कार्तिक (अक्टूबर-नवंबर)
🪔
दीपक: घी का
📍 दिशा: उत्तर-पूर्व
🕉 मंत्र:
"
ॐ तुलस्यै नमः"

लाभ:

  • घर में पवित्रता एवं सकारात्मक ऊर्जा
  • रोगों से रक्षा
  • पाप नाश एवं मोक्ष प्राप्ति

6️ कदंब (Neolamarckia Cadamba)

📖 संबंधित ग्रंथ:
यजुर्वेदकदंब वृक्ष का छाया में बैठना मानसिक शांति देता है।
अथर्ववेदइसे सुगंधित एवं औषधीय गुणों से युक्त बताया गया है।
स्कंद पुराणभगवान कृष्ण की लीलाओं का प्रमुख वृक्ष है।
विष्णु पुराणभगवान श्रीकृष्ण का प्रिय वृक्ष बताया गया है।

🛕 पूजन दिन: बुधवार
🌕 पूजन महीना: भाद्रपद (अगस्त-सितंबर)
🪔
दीपक: घी का
📍 दिशा: पश्चिम
🕉 मंत्र:
"
ॐ गोविंदाय नमः"

लाभ:

  • बुध ग्रह दोष निवारण
  • संतान सुख एवं बुद्धि वृद्धि
  • आध्यात्मिक उन्नति

 


📚 प्राचीन ग्रंथ जहां वृक्षों का उल्लेख मिलता है:

  1. ऋग्वेदवृक्षों का आध्यात्मिक महत्व
  2. यजुर्वेदविभिन्न वृक्षों की औषधीय एवं पूजन विधियां
  3. अथर्ववेदवृक्षों के रोगनाशक गुण
  4. स्कंद पुराणवृक्षों की पूजा से जुड़े नियम
  5. विष्णु पुराणधार्मिक अनुष्ठानों में वृक्षों का उपयोग

 




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दुर्गा जी   के अभिषेक पदार्थ विपत्तियों   के विनाशक एक रहस्य | दुर्गा जी को अपनी समस्या समाधान केलिए क्या अर्पण करना चाहिए ? अभिषेक किस पदार्थ से करने पर हम किस मनोकामना को पूर्ण कर सकते हैं एवं आपत्ति विपत्ति से सुरक्षा कवच निर्माण कर सकते हैं | दुर्गा जी को अर्पित सामग्री का विशेष महत्व होता है | दुर्गा जी का अभिषेक या दुर्गा की मूर्ति पर किस पदार्थ को अर्पण करने के क्या लाभ होते हैं | दुर्गा जी शक्ति की देवी हैं शीघ्र पूजा या पूजा सामग्री अर्पण करने के शुभ अशुभ फल प्रदान करती हैं | 1- दुर्गा जी को सुगंधित द्रव्य अर्थात ऐसे पदार्थ ऐसे पुष्प जिनमें सुगंध हो उनको अर्पित करने से पारिवारिक सुख शांति एवं मनोबल में वृद्धि होती है | 2- दूध से दुर्गा जी का अभिषेक करने पर कार्यों में सफलता एवं मन में प्रसन्नता बढ़ती है | 3- दही से दुर्गा जी की पूजा करने पर विघ्नों का नाश होता है | परेशानियों में कमी होती है | संभावित आपत्तियों का अवरोध होता है | संकट से व्यक्ति बाहर निकल पाता है | 4- घी के द्वारा अभिषेक करने पर सर्वसामान्य सुख एवं दांपत्य सुख में वृद्धि होती...

श्राद्ध:जानने योग्य महत्वपूर्ण बातें |

श्राद्ध क्या है ? “ श्रद्धया यत कृतं तात श्राद्धं | “ अर्थात श्रद्धा से किया जाने वाला कर्म श्राद्ध है | अपने माता पिता एवं पूर्वजो की प्रसन्नता के लिए एवं उनके ऋण से मुक्ति की विधि है | श्राद्ध क्यों करना चाहिए   ? पितृ ऋण से मुक्ति के लिए श्राद्ध किया जाना अति आवश्यक है | श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम ? यदि मानव योनी में समर्थ होते हुए भी हम अपने जन्मदाता के लिए कुछ नहीं करते हैं या जिन पूर्वज के हम अंश ( रक्त , जींस ) है , यदि उनका स्मरण या उनके निमित्त दान आदि नहीं करते हैं , तो उनकी आत्मा   को कष्ट होता है , वे रुष्ट होकर , अपने अंश्जो वंशजों को श्राप देते हैं | जो पीढ़ी दर पीढ़ी संतान में मंद बुद्धि से लेकर सभी प्रकार की प्रगति अवरुद्ध कर देते हैं | ज्योतिष में इस प्रकार के अनेक शाप योग हैं |   कब , क्यों श्राद्ध किया जाना आवश्यक होता है   ? यदि हम   96  अवसर पर   श्राद्ध   नहीं कर सकते हैं तो कम से कम मित्रों के लिए पिता माता की वार्षिक तिथि पर यह अश्वनी मास जिसे क्वांर का माह    भी कहा ज...

श्राद्ध रहस्य प्रश्न शंका समाधान ,श्राद्ध : जानने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य -कब,क्यों श्राद्ध करे?

संतान को विकलांगता, अल्पायु से बचाइए श्राद्ध - पितरों से वरदान लीजिये पंडित विजेंद्र कुमार तिवारी jyotish9999@gmail.com , 9424446706   श्राद्ध : जानने  योग्य   महत्वपूर्ण तथ्य -कब,क्यों श्राद्ध करे?  श्राद्ध से जुड़े हर सवाल का जवाब | पितृ दोष शांति? राहू, सर्प दोष शांति? श्रद्धा से श्राद्ध करिए  श्राद्ध कब करे? किसको भोजन हेतु बुलाएँ? पितृ दोष, राहू, सर्प दोष शांति? तर्पण? श्राद्ध क्या है? श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम क्या संभावित है? श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम क्या संभावित है? श्राद्ध की प्रक्रिया जटिल एवं सबके सामर्थ्य की नहीं है, कोई उपाय ? श्राद्ध कब से प्रारंभ होता है ? प्रथम श्राद्ध किसका होता है ? श्राद्ध, कृष्ण पक्ष में ही क्यों किया जाता है श्राद्ध किन२ शहरों में  किया जा सकता है ? क्या गया श्राद्ध सर्वोपरि है ? तिथि अमावस्या क्या है ?श्राद्द कार्य ,में इसका महत्व क्यों? कितने प्रकार के   श्राद्ध होते   हैं वर्ष में   कितने अवसर श्राद्ध के होते हैं? कब  श्राद्ध किया जाना...

गणेश विसृजन मुहूर्त आवश्यक मन्त्र एवं विधि

28 सितंबर गणेश विसर्जन मुहूर्त आवश्यक मन्त्र एवं विधि किसी भी कार्य को पूर्णता प्रदान करने के लिए जिस प्रकार उसका प्रारंभ किया जाता है समापन भी किया जाना उद्देश्य होता है। गणेश जी की स्थापना पार्थिव पार्थिव (मिटटीएवं जल   तत्व निर्मित)     स्वरूप में करने के पश्चात दिनांक 23 को उस पार्थिव स्वरूप का विसर्जन किया जाना ज्योतिष के आधार पर सुयोग है। किसी कार्य करने के पश्चात उसके परिणाम शुभ , सुखद , हर्षद एवं सफलता प्रदायक हो यह एक सामान्य उद्देश्य होता है।किसी भी प्रकार की बाधा व्यवधान या अनिश्ट ना हो। ज्योतिष के आधार पर लग्न को श्रेष्ठता प्रदान की गई है | होरा मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ माना गया है।     गणेश जी का संबंध बुधवार दिन अथवा बुद्धि से ज्ञान से जुड़ा हुआ है। विद्यार्थियों प्रतियोगियों एवं बुद्धि एवं ज्ञान में रूचि है , ऐसे लोगों के लिए बुध की होरा श्रेष्ठ होगी तथा उच्च पद , गरिमा , गुरुता , बड़प्पन , ज्ञान , निर्णय दक्षता में वृद्धि के लिए गुरु की हो रहा श्रेष्ठ होगी | इसके साथ ही जल में विसर्जन कार्य होता है अतः चंद्र की होरा सामा...

गणेश भगवान - पूजा मंत्र, आरती एवं विधि

सिद्धिविनायक विघ्नेश्वर गणेश भगवान की आरती। आरती  जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।  माता जा की पार्वती ,पिता महादेवा । एकदंत दयावंत चार भुजा धारी।   मस्तक सिंदूर सोहे मूसे की सवारी | जय गणेश जय गणेश देवा।  अंधन को आँख  देत, कोढ़िन को काया । बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया । जय गणेश जय गणेश देवा।   हार चढ़े फूल चढ़े ओर चढ़े मेवा । लड्डूअन का  भोग लगे संत करें सेवा।   जय गणेश जय गणेश देवा।   दीनन की लाज रखो ,शम्भू पत्र वारो।   मनोरथ को पूरा करो।  जाए बलिहारी।   जय गणेश जय गणेश देवा। आहुति मंत्र -  ॐ अंगारकाय नमः श्री 108 आहूतियां देना विशेष शुभ होता है इसमें शुद्ध घी ही दुर्वा एवं काले तिल का विशेष महत्व है। अग्नि पुराण के अनुसार गायत्री-      मंत्र ओम महोत काय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो दंती प्रचोदयात्। गणेश पूजन की सामग्री एक चौकिया पाटे  का प्रयोग करें । लाल वस्त्र या नारंगी वस्त्र उसपर बिछाएं। चावलों से 8पत्ती वाला कमल पुष्प स्वरूप बनाएं। गणेश पूजा में नार...

श्राद्ध रहस्य - श्राद्ध क्यों करे ? कब श्राद्ध नहीं करे ? पिंड रहित श्राद्ध ?

श्राद्ध रहस्य - क्यों करे , न करे ? पिंड रहित , महालय ? किसी भी कर्म का पूर्ण फल विधि सहित करने पर ही मिलता है | * श्राद्ध में गाय का ही दूध प्रयोग करे |( विष्णु पुराण ) | श्राद्ध भोजन में तिल अवश्य प्रयोग करे | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि - श्राद्ध अपरिहार्य - अश्वनी माह के कृष्ण पक्ष तक पितर अत्यंत अपेक्षा से कष्ट की   स्थिति में जल , तिल की अपनी संतान से , प्रतिदिन आशा रखते है | अन्यथा दुखी होकर श्राप देकर चले जाते हैं | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि इसको नहीं करने से पीढ़ी दर पीढ़ी संतान मंद बुद्धि , दिव्यांगता .मानसिक रोग होते है | हेमाद्रि ग्रन्थ - आषाढ़ माह पूर्णिमा से /कन्या के सूर्य के समय एक दिन भी श्राद्ध कोई करता है तो , पितर एक वर्ष तक संतुष्ट/तृप्त रहते हैं | ( भद्र कृष्ण दूज को भरणी नक्षत्र , तृतीया को कृत्तिका नक्षत्र   या षष्ठी को रोहणी नक्षत्र या व्यतिपात मंगलवार को हो ये पिता को प्रिय योग है इस दिन व्रत , सूर्य पूजा , गौ दान गौ -दान श्रेष्ठ | - श्राद्ध का गया तुल्य फल- पितृपक्ष में मघा सूर्य की अष्टमी य त्रयोदशी को मघा नक्षत्र पर चंद्र ...

विवाह बाधा और परीक्षा में सफलता के लिए दुर्गा पूजा

विवाह में विलंब विवाह के लिए कात्यायनी पूजन । 10 oct - 18 oct विवाह में विलंब - षष्ठी - कात्यायनी पूजन । वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए - दुर्गतिहारणी मां कात्यायनी की शरण लीजिये | प्रतिपदा के दिन कलश स्थापना के समय , संकल्प में अपना नाम गोत्र स्थान बोलने के पश्चात् अपने विवाह की याचना , प्रार्थना कीजिये | वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए प्रति दिन प्रातः सूर्योदय से प्रथम घंटे में या दोपहर ११ . ४० से १२ . ४० बजे के मध्य , कात्ययानी देवी का मन्त्र जाप करिये | १०८बार | उत्तर दिशा में मुँह हो , लाल वस्त्र हो जाप के समय | दीपक मौली या कलावे की वर्तिका हो | वर्तिका उत्तर दिशा की और हो | गाय का शुद्ध घी श्रेष्ठ अथवा तिल ( बाधा नाशक + महुआ ( सौभाग्य ) तैल मिला कर प्रयोग करे मां भागवती की कृपा से पूर्वजन्म जनितआपके दुर्योग एवं   व्यवधान समाप्त हो एवं   आपकी मनोकामना पूरी हो ऐसी शुभ कामना सहित || षष्ठी के दिन विशेष रूप से कात्यायनी के मन्त्र का २८ आहुति / १०८ आहुति हवन कर...

कलश पर नारियल रखने की शास्त्रोक्त विधि क्या है जानिए

हमे श्रद्धा विश्वास समर्पित प्रयास करने के बाद भी वांछित परिणाम नहीं मिलते हैं , क्योकि हिन्दू धर्म श्रेष्ठ कोटी का विज्ञान सम्मत है ।इसकी प्रक्रिया , विधि या तकनीक का पालन अनुसरण परमावश्यक है । नारियल का अधिकाधिक प्रयोग पुजा अर्चना मे होता है।नारियल रखने की विधि सुविधा की दृष्टि से प्रचलित होगई॥ मेरे ज्ञान  मे कलश मे उल्टा सीधा नारियल फसाकर रखने की विधि का प्रमाण अब तक नहीं आया | यदि कोई सुविज्ञ जानकारी रखते हो तो स्वागत है । नारियल को मोटा भाग पूजा करने वाले की ओर होना चाहिए। कलश पर नारियल रखने की प्रमाणिक विधि क्या है ? अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए , उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै प्राची मुखं वित्त्नाश्नाय , तस्माच्छुभम सम्मुख नारिकेलम अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए कलश पर - नारियल का बड़ा हिस्सा नीचे मुख कर रखा जाए ( पतला हिस्सा पूछ वाला कलश के उपरी भाग पर रखा जाए ) तो उसे शत्रुओं की वृद्धि होती है * ( कार्य सफलता में बाधाएं आती है संघर्ष , अपयश , चिंता , हानि , सहज हैशत्रु या विरोधी तन , मन धन सर्व दृष्टि से घातक होते है ) उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै कलश ...