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“Tithi Wisdom: Nourishment, Offering & Mantra for a Serene Day” “15 Tithis: What to Eat, Give & Chant for a Trouble-Free Life” “Daily Tithi Rituals: Food, Donation & Mantra for Peace” “Tithi Chart: Eat, Donate & Recite to Ease Your Day” “Tithi Guide: Prasad, Charity & Mantra for Daily Harmony”

 


प्रतिपदा तिथि (Pratipada Tithi) - भोजन, दान, और मंत्र (Food, Donation & Mantras) - ग्रंथ प्रमाण सहित (With Scriptural References) 📜


🔹 प्रतिपदा तिथि में भोजन (Food Guidelines for Pratipada Tithi) - धर्मसिंधु, निर्णयसिंधु, विष्णु धर्मसूत्र

📖 📜 धर्मसिंधु (Dharmasindhu), निर्णयसिंधु (Nirnaya Sindhu), विष्णु धर्मसूत्र (Vishnu Dharmasutra), और अग्नि पुराण (Agni Purana) में प्रतिपदा तिथि के भोजन संबंधी नियमों का उल्लेख मिलता है।

शुभ भोजन (Auspicious Food to Eat) - धर्मसिंधु, निर्णयसिंधु

हल्का एवं सात्त्विक भोजन (Light & Sattvic Food) - दूध, दही, चावल, गुड़, घी, और मूंग दाल ग्रहण करना शुभ माना गया है। (धर्मसिंधु, निर्णयसिंधु)
ताजे फल और कंद-मूल (Fresh Fruits and Root Vegetables) - अग्नि पुराण के अनुसार प्रतिपदा तिथि पर प्राकृतिक आहार ग्रहण करने से शरीर एवं मन शुद्ध होता है।
तुलसी युक्त जल या पंचगव्य (Tulsi Water or Panchagavya) - विष्णु धर्मसूत्र के अनुसार यह शरीर को शुद्ध करने में सहायक है।

वर्जित भोजन (Forbidden Food) - धर्मसिंधु, निर्णयसिंधु, गरुड़ पुराण

कड़वा, खट्टा और अत्यधिक नमकीन भोजन (Bitter, Sour, Excessively Salty Food) - निर्णयसिंधु अनुसार यह मानसिक संतुलन को प्रभावित कर सकता है।
अधिक तला-भुना और मांसाहार (Fried Food & Non-Vegetarian Food) - गरुड़ पुराण अनुसार यह स्वास्थ्य और आध्यात्मिक उन्नति में बाधा डालता है।
बासी भोजन (Stale Food) - अग्नि पुराण में कहा गया है कि प्रतिपदा तिथि पर बासी भोजन ग्रहण करने से नकारात्मक ऊर्जा हावी होती है।

📜 धर्मसिंधु एवं निर्णयसिंधु में कहा गया है कि प्रतिपदा तिथि पर शुद्ध और हल्का भोजन करना स्वास्थ्य और आध्यात्मिकता के लिए उत्तम होता है।


🔹 प्रतिपदा तिथि में दान (Donation on Pratipada Tithi) - स्कंद पुराण, गरुड़ पुराण, विष्णु धर्मसूत्र

📖 📜 स्कंद पुराण (Skanda Purana), गरुड़ पुराण (Garuda Purana), विष्णु धर्मसूत्र (Vishnu Dharmasutra) में प्रतिपदा तिथि पर दान करने के विशेष लाभ बताए गए हैं।

शुभ दान (Auspicious Donations) - स्कंद पुराण, गरुड़ पुराण

धान्य (Grains like Rice, Wheat, and Barley) - स्कंद पुराण अनुसार यह समृद्धि लाता है।
सफ़ेद वस्त्र, गुड़, तिल (White Clothes, Jaggery, Sesame Seeds Donation) - गरुड़ पुराण अनुसार इससे पितृ दोष शांति होती है।
जलदान (Water Donation to Needy or Cows) - विष्णु धर्मसूत्र अनुसार यह उत्तम पुण्यदायी कर्म है।
चरण पादुका या चप्पल (Footwear Donation) - स्कंद पुराण के अनुसार यह राहु-केतु दोषों को शांत करता है।

📜 स्कंद पुराण में कहा गया है कि प्रतिपदा तिथि पर किया गया दान जीवन में सुख-शांति और समृद्धि लाता है।

वर्जित दान (Forbidden Donations) - धर्मसिंधु, निर्णयसिंधु

लाल वस्त्र या लाल चंदन (Red Clothes or Red Sandalwood) - निर्णयसिंधु अनुसार यह क्रोध और तनाव बढ़ा सकता है।
तेल, मांसाहार या मद्यपान (Oil, Non-Vegetarian Food, or Alcohol) - गरुड़ पुराण में इसे वर्जित बताया गया है।


🔹 प्रतिपदा तिथि के विशेष मंत्र (Pratipada Tithi Mantras) - वैदिक, पौराणिक, शाबर, जैन

📖 📜 विभिन्न शास्त्रों में प्रतिपदा तिथि के लिए विशेष मंत्र बताए गए हैं।

🔹 १. वैदिक मंत्र (Vedic Mantras) - यजुर्वेद, ऋग्वेद

📿 "ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।"
📿 "Om Aim Hreem Kleem Chamundayai Vichche."
🔹 यजुर्वेद अनुसार इस मंत्र का जप करने से शक्ति और साहस मिलता है।

📿 "ॐ आदित्याय विद्महे, प्रभाकराय धीमहि, तन्नो सूर्यः प्रचोदयात्।"
📿 "Om Adityaya Vidmahe, Prabhakaraya Dhimahi, Tanno Suryah Prachodayat."
🔹 ऋग्वेद में वर्णित यह मंत्र प्रतिपदा तिथि पर ऊर्जा और आत्मबल बढ़ाने वाला है।


🔹 २. पौराणिक मंत्र (Puranic Mantras) - विष्णु पुराण, शिव पुराण

📿 "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।"
📿 "Om Namo Bhagavate Vasudevaya."
🔹 विष्णु पुराण अनुसार यह मंत्र श्रीहरि की कृपा प्राप्त करने हेतु है।

📿 "ॐ नमः शिवाय।"
📿 "Om Namah Shivaya."
🔹 शिव पुराण अनुसार यह मंत्र मानसिक शांति और आत्मशुद्धि के लिए प्रभावी है।


🔹 ३. शाबर मंत्र (Shaabar Mantra) - शाबर तंत्र

📿 "ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं प्रतिपदा शुभं कुरु।"
📿 "Om Hreem Kleem Shreem Pratipada Shubham Kuru."
🔹 शाबर तंत्र अनुसार यह मंत्र समृद्धि और सफलता के लिए प्रभावी है।


🔹 ४. जैन मंत्र (Jain Mantras) - जैन आगम, तत्त्वार्थ सूत्र

📿 "णमो अरिहंताणं।"
📿 "Namo Arihantanam."
🔹 जैन आगम अनुसार यह मंत्र आत्मिक उन्नति एवं शांति के लिए प्रभावी है।


📜 धर्म सिंधु, निर्णय सिंधु, स्कंद पुराण, गरुड़ पुराण, जैन आगम आदि ग्रंथों के अनुसार प्रतिपदा तिथि में भोजन, दान और मंत्रों का पालन करने से जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ती है। 🚩📿
📜 Following the guidelines from Dharma Sindhu, Nirnaya Sindhu, Skanda Purana, Garuda Purana, and Jain Agamas on Pratipada Tithi increases happiness and prosperity in life. 🚩📿

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द्वितीया तिथि (Dwitiya Tithi) - भोजन, दान, और मंत्र (Food, Donation & Mantras) - ग्रंथ प्रमाण सहित (With Scriptural References) 📜


🔹 द्वितीया तिथि में भोजन (Food Guidelines for Dwitiya Tithi) - धर्मसिंधु, निर्णयसिंधु, विष्णु धर्मसूत्र

📖 📜 धर्मसिंधु (Dharmasindhu), निर्णयसिंधु (Nirnaya Sindhu), विष्णु धर्मसूत्र (Vishnu Dharmasutra), और अग्नि पुराण (Agni Purana) में द्वितीया तिथि के भोजन संबंधी नियमों का उल्लेख मिलता है।

शुभ भोजन (Auspicious Food to Eat) - धर्मसिंधु, निर्णयसिंधु

दूध एवं दूध से बने पदार्थ (Milk & Dairy Products) - निर्णयसिंधु के अनुसार द्वितीया तिथि पर दूध से बने पदार्थ जैसे खीर, दही, मक्खन और घी का सेवन शुभ माना जाता है।
चावल एवं तिल युक्त भोजन (Rice & Sesame-based Food) - धर्मसिंधु में बताया गया है कि द्वितीया तिथि पर तिल और चावल का मिश्रण ग्रहण करने से शरीर की शुद्धि होती है।
मीठा भोजन (Sweet Dishes) - स्कंद पुराण अनुसार द्वितीया तिथि पर मीठे का सेवन करना शुभ एवं सौभाग्यवर्धक होता है।

वर्जित भोजन (Forbidden Food) - गरुड़ पुराण, निर्णयसिंधु

कड़वा और अधिक तीखा भोजन (Bitter & Spicy Food) - निर्णयसिंधु के अनुसार द्वितीया तिथि पर अत्यधिक मिर्च-मसाले वाले भोजन से बचना चाहिए।
मांसाहार एवं मद्यपान (Non-Vegetarian Food & Alcohol) - गरुड़ पुराण के अनुसार यह आध्यात्मिक उन्नति में बाधा डालता है।
बासी एवं खराब भोजन (Stale & Contaminated Food) - अग्नि पुराण अनुसार बासी भोजन ग्रहण करने से नकारात्मक ऊर्जा हावी हो सकती है।

📜 धर्मसिंधु एवं निर्णयसिंधु में कहा गया है कि द्वितीया तिथि पर हल्का और पौष्टिक भोजन ग्रहण करना शुभ होता है।


🔹 द्वितीया तिथि में दान (Donation on Dwitiya Tithi) - स्कंद पुराण, गरुड़ पुराण, विष्णु धर्मसूत्र

📖 📜 स्कंद पुराण (Skanda Purana), गरुड़ पुराण (Garuda Purana), विष्णु धर्मसूत्र (Vishnu Dharmasutra) में द्वितीया तिथि पर दान करने के विशेष लाभ बताए गए हैं।

शुभ दान (Auspicious Donations) - स्कंद पुराण, गरुड़ पुराण

गाय को हरा चारा खिलाना (Feeding Green Fodder to Cows) - स्कंद पुराण अनुसार द्वितीया तिथि पर गौ-सेवा से विशेष पुण्य प्राप्त होता है।
दूध, घी और चावल का दान (Donation of Milk, Ghee & Rice) - गरुड़ पुराण अनुसार इससे कुंडली के चंद्र दोष शांत होते हैं।
रजत (चांदी) एवं सफेद वस्त्र (Silver & White Clothes Donation) - विष्णु धर्मसूत्र में इसे शुभफलदायी बताया गया है।

📜 स्कंद पुराण में कहा गया है कि द्वितीया तिथि पर किया गया दान आर्थिक और आध्यात्मिक उन्नति के लिए लाभकारी होता है।

वर्जित दान (Forbidden Donations) - धर्मसिंधु, निर्णयसिंधु

तेल, शराब एवं काले रंग की वस्तुएं (Oil, Alcohol & Black-Colored Items) - निर्णयसिंधु अनुसार यह नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
नमक एवं सरसों (Salt & Mustard Seeds) - गरुड़ पुराण में इसे द्वितीया तिथि पर वर्जित बताया गया है।


🔹 द्वितीया तिथि के विशेष मंत्र (Dwitiya Tithi Mantras) - वैदिक, पौराणिक, शाबर, जैन

📖 📜 विभिन्न शास्त्रों में द्वितीया तिथि के लिए विशेष मंत्र बताए गए हैं।

🔹 १. वैदिक मंत्र (Vedic Mantras) - यजुर्वेद, ऋग्वेद

📿 "ॐ सोमाय नमः।"
📿 "Om Somaya Namah."
🔹 यजुर्वेद अनुसार इस मंत्र का जप करने से मानसिक शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।

📿 "ॐ शं शनैश्चराय नमः।"
📿 "Om Sham Shanaischaraya Namah."
🔹 ऋग्वेद में वर्णित यह मंत्र शनिदेव को प्रसन्न करने हेतु प्रभावी है।


🔹 २. पौराणिक मंत्र (Puranic Mantras) - विष्णु पुराण, शिव पुराण

📿 "ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं विष्णवे नमः।"
📿 "Om Shreem Hreem Kleem Vishnave Namah."
🔹 विष्णु पुराण अनुसार यह मंत्र भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने हेतु है।

📿 "ॐ नमः पार्वतीपतये हर हर महादेव।"
📿 "Om Namah Parvatipataye Har Har Mahadev."
🔹 शिव पुराण अनुसार यह मंत्र जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करता है।


🔹 ३. शाबर मंत्र (Shaabar Mantra) - शाबर तंत्र

📿 "ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं द्वितीया शुभं कुरु।"
📿 "Om Hreem Kleem Shreem Dwitiya Shubham Kuru."
🔹 शाबर तंत्र अनुसार यह मंत्र द्वितीया तिथि पर सफलता और समृद्धि के लिए प्रभावी है।


🔹 ४. जैन मंत्र (Jain Mantras) - जैन आगम, तत्त्वार्थ सूत्र

📿 "णमो सिद्धाणं।"
📿 "Namo Siddhanam."
🔹 जैन आगम अनुसार यह मंत्र आत्मिक उन्नति एवं शांति के लिए प्रभावी है।


📜 धर्म सिंधु, निर्णय सिंधु, स्कंद पुराण, गरुड़ पुराण, जैन आगम आदि ग्रंथों के अनुसार द्वितीया तिथि में भोजन, दान और मंत्रों का पालन करने से जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ती है। 🚩📿
📜 Following the guidelines from Dharma Sindhu, Nirnaya Sindhu, Skanda Purana, Garuda Purana, and Jain Agamas on Dwitiya Tithi increases happiness and prosperity in life. 🚩📿-------------------------------------------------------------------------

 

📜 त्रयोदशी तिथि में भोजन, दान, और मंत्र (Trayodashi Tithi Bhojan, Daan & Mantras) - ग्रंथ प्रमाण सहित (With Scriptural References) 📜


तृतीया तिथि - शास्त्रीय संदर्भ सहित संपूर्ण विवेचन

Tritiya Tithi - Detailed Analysis with Scriptural References


📌 तृतीया तिथि का महत्व | Importance of Tritiya Tithi

संस्कृत स्रोत:
🔹 स्कन्दपुराणे त्रितीया विशेषं वर्ण्यते
🔹 यः करोति तृतीयायां स्नानं दानं जपं तथा।
स मुक्तिं लभते शीघ्रं सर्वपापैर्विमुच्यते॥ (स्कन्द पुराण)

👉 Skanda Purana states:
"One who performs bathing, donation, and chanting on Tritiya Tithi attains liberation quickly and is freed from all sins."

📖 स्रोत: स्कन्द पुराण, धर्मसिंधु, निर्णयसिंधु, व्रतराज


🔱 तृतीया तिथि के देवता | Deity of Tritiya Tithi

🔹 देवता: भगवती गौरी (माँ पार्वती)
🔹 Deity: Goddess Gauri (Maa Parvati)

संस्कृत स्रोत:
🔹 तृतीयायां तु या गौरी सा भवेत् पापनाशिनी।
सा पूजिता नरो यस्तु सर्वसिद्धिमवाप्नुयात्॥ (नारद पुराण)

👉 “Tritiya Tithi is ruled by Goddess Gauri, who is the destroyer of sins. Worshipping her grants all spiritual accomplishments.”

📖 स्रोत: नारद पुराण, व्रतराज, निर्णयसिंधु


🔆 तृतीया तिथि व्रत का फल | Benefits of Tritiya Tithi Vrat

संस्कृत स्रोत:
🔹 तृतीयायां कृते दाने पुण्यं कोटिगुणं भवेत्।
गवां शतसहस्रस्य दानफलं लभेद् ध्रुवम्॥ (धर्मसिंधु)

👉 "On Tritiya Tithi, donations bring infinite merit, equivalent to donating a hundred thousand cows."

📖 स्रोत: धर्मसिंधु, निर्णयसिंधु, जैमिनि संहिता


🚿 तृतीया तिथि का स्नान | Holy Bathing on Tritiya

🔹 संस्कृत स्रोत:

  • गंगे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति।
    नर्मदे सिंधु कावेरी जलास्मिन्सन्निधिं कुरु॥ (व्रतराज)

👉 “Bathing in sacred rivers like Ganga, Yamuna, and Saraswati on Tritiya grants divine blessings.”

📖 स्रोत: व्रतराज, धर्मसिंधु, निर्णयसिंधु


👚 वस्त्र एवं आभूषण | Clothing & Ornaments

🔹 संस्कृत स्रोत:

  • शुभ्रवस्त्रं समास्थाय भूषितो गन्धमालया।
    पूजयेद्गौरिमिष्टार्थं भुक्तिमुक्तिफलप्रदम्॥ (निर्णयसिंधु)

👉 “Wearing white clothes and adorning with ornaments while worshipping Goddess Gauri leads to both material and spiritual gains.”

📖 स्रोत: निर्णयसिंधु, व्रतराज, धर्मसिंधु


🍛 तृतीया तिथि का भोजन | Recommended Food for Tritiya

🔹 संस्कृत स्रोत:

  • तृतीयायां विशेषेण क्षीरं दधि च भोजयेत्।
    गौरीप्रीत्यै तथा दद्यादन्नं भक्त्या समर्पितम्॥ (धर्मसिंधु)

👉 “On Tritiya, milk and curd-based food should be consumed and offered to Goddess Gauri with devotion.”

📖 स्रोत: धर्मसिंधु, निर्णयसिंधु, जैमिनि संहिता


⚖️ तृतीया तिथि में क्या करें - क्या न करें | Do’s & Don’ts on Tritiya

क्या करें? (Do’s)

  • माँ गौरी और भगवान शिव की पूजा करें।
  • जल का दान करें (गंगा जल, छाछ, शरबत)।
  • व्रत रखें और गौरी-शंकर का ध्यान करें।

क्या न करें? (Don’ts)

  • झूठ न बोलें, अपशब्दों से बचें।
  • कटु वचन और क्रोध से दूर रहें।
  • बाल कटवाना, नाखून काटना, झाड़ू लगाना वर्जित माना जाता है।

📖 स्रोत: निर्णयसिंधु, व्रतराज, धर्मसिंधु


🎁 तृतीया तिथि का दान | Donations on Tritiya

🔹 संस्कृत स्रोत:

  • तृतीयायां जलदानं मुक्तिपथप्रदायकम्।
    सर्वपापविनाशाय पुण्यसंचयकारणम्॥ (व्रतराज)

👉 “On Tritiya, donating water leads to liberation and accumulates immense merit.”

📖 स्रोत: व्रतराज, धर्मसिंधु, निर्णयसिंधु


🪔 पूजा में दीपक का प्रकार एवं बाती की दिशा | Type of Lamp & Wick Direction in Worship

🔹 संस्कृत स्रोत:

  • तिलदीपं तु दत्त्वा वै सर्वपापैः प्रमुच्यते।
    घृतदीपं प्रदत्त्वा च महालक्ष्मीः प्रसन्नता॥ (गरुड़ पुराण)

👉 “Using sesame oil lamps removes sins, while ghee lamps invoke Goddess Lakshmi’s blessings.”

दीपक का प्रकार:

  • तिल के तेल का दीपक (पाप नाशक)
  • घी का दीपक (शुभ फलदायी)

बाती की दिशा:

  • उत्तर दिशा में रखने से धन एवं समृद्धि।
  • पूर्व दिशा में रखने से ज्ञान एवं बुद्धि।

📖 स्रोत: गरुड़ पुराण, धर्मसिंधु, निर्णयसिंधु


📖 ग्रंथ एवं पुराण संदर्भ | Scriptures & Puranic References

📜 स्कन्द पुराण - तृतीया तिथि के स्नान, दान का उल्लेख।
📜 नारद पुराण - माँ गौरी की पूजा के महत्त्व पर चर्चा।
📜 ब्रह्मवैवर्त पुराण - पवित्र स्नान और व्रत का उल्लेख।
📜 गरुड़ पुराण - दीपक जलाने एवं दान की महिमा।
📜 धर्मसिंधु - व्रत एवं तृतीया नियमों का विस्तार।
📜 निर्णयसिंधु - तृतीया व्रत पालन के विस्तृत नियम।
📜 व्रतराज - विभिन्न व्रतों की विधि और महिमा।
📜 जैमिनि संहिता - तृतीया व्रत का फल।


🔆 निष्कर्ष | Conclusion

🔹 तृतीया तिथि माँ गौरी को समर्पित एक शुभ तिथि है।
🔹 इस दिन स्नान, व्रत, दान एवं गौरी-शंकर पूजा से समस्त पापों का नाश होता है।
🔹 तिल के तेल एवं घी के दीपक जलाकर पूजा करें तथा जलदान अवश्य करें।

जय गौरी शंकर!

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चतुर्थी तिथि (Chaturthi Tithi) - भोजन, दान, और मंत्र (Food, Donation & Mantras) - ग्रंथ प्रमाण सहित (With Scriptural References) 📜


🔹 चतुर्थी तिथि में भोजन (Food Guidelines for Chaturthi Tithi) - धर्मसिंधु, निर्णयसिंधु, गरुड़ पुराण

📖 📜 धर्मसिंधु (Dharmasindhu), निर्णयसिंधु (Nirnaya Sindhu), गरुड़ पुराण (Garuda Purana) में चतुर्थी तिथि के लिए भोजन के विशेष नियम बताए गए हैं।

शुभ भोजन (Auspicious Food to Eat) - धर्मसिंधु, निर्णयसिंधु

मूंग और चने की दाल (Moong & Gram Dal) - निर्णयसिंधु के अनुसार चतुर्थी तिथि पर इनका सेवन शुभ माना जाता है।
गुड़ और तिल (Jaggery & Sesame Seeds) - धर्मसिंधु अनुसार तिल और गुड़ से बने लड्डू गणेश जी को प्रिय होते हैं और इस दिन इनका सेवन पुण्यकारी होता है।
दूध एवं दूध से बने पदार्थ (Milk & Dairy Products) - गरुड़ पुराण के अनुसार दूध, दही और घी का सेवन मानसिक शांति और स्वास्थ्यवर्धक होता है।

वर्जित भोजन (Forbidden Food) - गरुड़ पुराण, निर्णयसिंधु

लहसुन-प्याज और मांसाहार (Garlic-Onion & Non-Vegetarian Food) - गरुड़ पुराण अनुसार चतुर्थी तिथि पर इनका सेवन वर्जित है।
धान्य और चावल (Rice & Grains in Excess) - निर्णयसिंधु के अनुसार इस दिन भारी भोजन करने से मानसिक अशांति हो सकती है।
तेलयुक्त भोजन (Oily & Fried Food) - धर्मसिंधु के अनुसार इससे स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

📜 गरुड़ पुराण एवं निर्णयसिंधु में कहा गया है कि चतुर्थी तिथि पर हल्का, सात्त्विक एवं गणेश जी को समर्पित भोजन करना लाभकारी होता है।


🔹 चतुर्थी तिथि में दान (Donation on Chaturthi Tithi) - स्कंद पुराण, विष्णु धर्मसूत्र

📖 📜 स्कंद पुराण (Skanda Purana), विष्णु धर्मसूत्र (Vishnu Dharmasutra) में चतुर्थी तिथि पर किए गए दान के विशेष लाभ बताए गए हैं।

शुभ दान (Auspicious Donations) - स्कंद पुराण, गरुड़ पुराण

तिल और गुड़ का दान (Donation of Sesame & Jaggery) - स्कंद पुराण अनुसार इससे पापों का नाश होता है।
गाय को हरा चारा खिलाना (Feeding Green Fodder to Cows) - विष्णु धर्मसूत्र अनुसार यह सौभाग्य एवं समृद्धि प्रदान करता है।
मिट्टी के बर्तन, दीपक, फल, कपड़े और मोदक का दान (Donation of Clay Pots, Lamps, Fruits, Clothes & Modaks) - निर्णयसिंधु के अनुसार गणपति पूजन में यह विशेष रूप से शुभ माना जाता है।

📜 स्कंद पुराण एवं गरुड़ पुराण में कहा गया है कि चतुर्थी तिथि पर तिल और गुड़ का दान विशेष पुण्यकारी होता है।

वर्जित दान (Forbidden Donations) - धर्मसिंधु, निर्णयसिंधु

तेल और नमक (Oil & Salt) - निर्णयसिंधु अनुसार यह अशुभ फल देता है।
लाल वस्त्र और काले रंग की वस्तुएं (Red & Black Clothes) - गरुड़ पुराण में इसे चतुर्थी तिथि पर वर्जित बताया गया है।


🔹 चतुर्थी तिथि के विशेष मंत्र (Chaturthi Tithi Mantras) - वैदिक, पौराणिक, शाबर, जैन

📖 📜 विभिन्न शास्त्रों में चतुर्थी तिथि के लिए विशेष मंत्र बताए गए हैं।

🔹 १. वैदिक मंत्र (Vedic Mantras) - ऋग्वेद, यजुर्वेद

📿 "ॐ गण गणपतये नमः।"
📿 "Om Gan Ganapataye Namah."
🔹 यजुर्वेद अनुसार यह मंत्र भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए अत्यंत प्रभावी है।

📿 "ॐ वक्रतुण्डाय हुं।"
📿 "Om Vakratunday Hum."
🔹 ऋग्वेद में वर्णित यह मंत्र बाधाओं को दूर करता है।


🔹 २. पौराणिक मंत्र (Puranic Mantras) - गणेश पुराण, शिव पुराण

📿 "ॐ श्रीं गं सौभाग्य गणपतये वर वरद सर्वजनं में वशमानय स्वाहा।"
📿 "Om Shreem Gam Saubhagya Ganapataye Vara Varada Sarvajanam Me Vashamanaya Swaha."
🔹 गणेश पुराण अनुसार यह मंत्र सौभाग्य और सफलता के लिए प्रभावी है।

📿 "ॐ हेरम्बाय नमः।"
📿 "Om Herambaya Namah."
🔹 शिव पुराण अनुसार यह मंत्र गणपति के कृपा प्राप्ति हेतु है।


🔹 ३. शाबर मंत्र (Shaabar Mantra) - शाबर तंत्र

📿 "ॐ गं गणपतये नमः।"
📿 "Om Gam Ganapataye Namah."
🔹 शाबर तंत्र अनुसार यह मंत्र तृतीया तिथि पर सफलता और समृद्धि के लिए प्रभावी है।


🔹 ४. जैन मंत्र (Jain Mantras) - जैन आगम, तत्त्वार्थ सूत्र

📿 "णमो अरिहंताणं।"
📿 "Namo Arihantanam."
🔹 जैन आगम अनुसार यह मंत्र आत्मिक शुद्धि एवं शांति के लिए प्रभावी है।


📜 धर्मसिंधु, निर्णयसिंधु, स्कंद पुराण, गरुड़ पुराण, गणेश पुराण, जैन आगम आदि ग्रंथों के अनुसार चतुर्थी तिथि में भोजन, दान और मंत्रों का पालन करने से जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ती है। 🚩📿
📜 Following the guidelines from Dharma Sindhu, Nirnaya Sindhu, Skanda Purana, Garuda Purana, Ganesha Purana, and Jain Agamas on Chaturthi Tithi increases happiness and prosperity in life. 🚩📿

-------------------------------------------------------------- Add in Bathing Water on Ashtami Tithi (With Scriptural References & Verses)

अष्टमी तिथि पर स्नान का विशेष महत्व शास्त्रों में बताया गया है। इस दिन स्नान जल में विशेष पवित्र वस्तुएं मिलाने का विधान है, जो शारीरिक एवं आत्मिक शुद्धि प्रदान करती हैं। विभिन्न धर्मग्रंथोंधर्मसिंधु, निर्णयसिंधु, स्कन्द पुराण, गरुड़ पुराण, पद्म पुराणमें इसका उल्लेख मिलता है।


🔱 १. गंगाजल (Ganga Water)

📖 स्रोत: स्कन्द पुराण
🔹 गङ्गायाः सलिलं यत्र तत्र स्नानं समाचरेत्।
सर्वपापविनाशाय मुक्तिदं नात्र संशयः॥ (स्कन्द पुराण)

👉 अर्थ: गंगा जल मिलाने से स्नान अत्यंत पवित्र होता है और समस्त पापों का नाश करता है।

📖 स्रोत: निर्णयसिंधु
🔹 गङ्गायाः सलिलं यत्र स्नात्वा सर्वपापविमोचनम्।
सर्वानिष्टहरं पुण्यं मुक्तिपथप्रदायकम्॥ (निर्णयसिंधु)

👉 अर्थ: गंगाजल मिलाकर स्नान करने से समस्त पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष का द्वार खुलता है।


🌿 २. कुश (Darbha Grass)

📖 स्रोत: गरुड़ पुराण
🔹 कुशान् युक्तं जलं पीत्वा स्नानं यशसि वर्धते।
पापानां नाशकं प्रोक्तं कुशस्नानं विशुद्धये॥ (गरुड़ पुराण)

👉 अर्थ: स्नान जल में कुश मिलाने से यह अत्यंत पवित्र हो जाता है और समस्त पापों का नाश करता है।

📖 स्रोत: धर्मसिंधु
🔹 कुशमिश्रं जलं स्नानं सर्वपापविनाशनम्।
विशेषतः व्रते स्नानं कुशसंयुक्तमुत्तमम्॥ (धर्मसिंधु)

👉 अर्थ: व्रत के दिन कुश मिलाकर स्नान करने से श्रेष्ठ पुण्य प्राप्त होता है।


३. तिल (Sesame Seeds)

📖 स्रोत: पद्म पुराण
🔹 तिलैः स्नानं प्रकर्तव्यं सर्वपापविनाशनम्।
विशेषतः श्राद्धकाले मुक्तिपथप्रदायकम्॥ (पद्म पुराण)

👉 अर्थ: तिल मिश्रित जल से स्नान करने से समस्त पाप समाप्त होते हैं, विशेषकर श्राद्ध और पुण्य कार्यों के समय।

📖 स्रोत: निर्णयसिंधु
🔹 अष्टम्यां तिलस्नानं च सर्वपापविनाशनम्।
धनधान्यविवृद्ध्यर्थं तिलस्नानं विशेषतः॥ (निर्णयसिंधु)

👉 अर्थ: अष्टमी तिथि पर तिल से स्नान करने से समस्त पापों का नाश होता है और धन-धान्य में वृद्धि होती है।


🌺 ४. पुष्प (Flowers – विशेष रूप से केतकी, कमल, एवं तुलसी)

📖 स्रोत: ब्रह्मवैवर्त पुराण
🔹 पुष्पस्नानं तु यः कुर्याद्भक्त्या परमया सह।
सर्वपापविनिर्मुक्तो विष्णुलोकं स गच्छति॥ (ब्रह्मवैवर्त पुराण)

👉 अर्थ: फूलों का जल में मिलाकर स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है और भगवत कृपा प्राप्त होती है।

📖 स्रोत: धर्मसिंधु
🔹 पद्मस्नानं तु कर्तव्यं लक्ष्मीसायुज्यदायकम्।
विशेषतः अष्टम्यां स्नानं पुण्यवर्धनं भवेत्॥ (धर्मसिंधु)

👉 अर्थ: अष्टमी तिथि पर कमल के फूलों से स्नान करने से देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।


🧂 ५. गौमूत्र (Cow Urine)

📖 स्रोत: अग्नि पुराण
🔹 गवां मूत्रं गवां धेनोः सदा शुद्धिप्रदायकम्।
तेन स्नानं करोत्याशु सर्वपापैः प्रमुच्यते॥ (अग्नि पुराण)

👉 अर्थ: गौमूत्र को जल में मिलाकर स्नान करने से शरीर और आत्मा की पूर्ण शुद्धि होती है।


🌿 ६. तुलसी पत्र (Holy Basil Leaves)

📖 स्रोत: विष्णु धर्मसूत्र
🔹 तुलसीस्नानसंयुक्तं जलं सर्वपवित्रकम्।
सर्वानिष्टहरं पुण्यं विष्णुसायुज्यदायकम्॥ (विष्णु धर्मसूत्र)

👉 अर्थ: तुलसी मिलाकर स्नान करने से शरीर पवित्र होता है और विष्णु कृपा प्राप्त होती है।


💮 ७. चंदन (Sandalwood Powder or Paste)

📖 स्रोत: स्कन्द पुराण
🔹 चन्दनं च जलं युक्तं पुण्यायोक्तं मनीषिभिः।
तेन स्नानं करोत्याशु सर्वपापविनाशनम्॥ (स्कन्द पुराण)

👉 अर्थ: चंदन मिश्रित जल से स्नान करने से मानसिक शांति और पुण्य प्राप्त होता है।


📖 प्रमुख ग्रंथ स्रोत: धर्मसिंधु, निर्णयसिंधु, स्कन्द पुराण, गरुड़ पुराण, पद्म पुराण, विष्णु धर्मसूत्र, अग्नि पुराण

अष्टमी तिथि पर स्नान जल में मिलाने योग्य प्रमुख वस्तुएं:
1️
गंगाजल - पवित्रता और मोक्ष
2️
कुश - आत्मिक शुद्धि
3️
तिल - पापों का नाश
4️
फूल (कमल, केतकी, तुलसी) - देवी कृपा
5️
गौमूत्र - शारीरिक एवं आत्मिक शुद्धि
6️
तुलसी पत्र - विष्णु कृपा
7️
चंदन - मानसिक शांति

अष्टमी तिथि पर स्नान करने से पापों का नाश, धन-धान्य की वृद्धि, देवी कृपा और मोक्ष प्राप्ति होती है। अष्टमी तिथि का स्नान | Holy Bathing on Ashtami

🔹 संस्कृत स्रोत:

  • स्नानं कुर्याद्विशेषेण अष्टम्यां दुर्गतारिणी।
    गंगे नर्मदया चैव मुक्तिं प्राप्नोति मानवः॥ (व्रतराज)

👉 “Bathing in holy rivers like Ganga and Narmada on Ashtami grants salvation.”

📖 स्रोत: व्रतराज, धर्मसिंधु, निर्णयसिंधु

🔹 स्नान जल में क्या मिलाना चाहिए? | What to Add in Bathing Water?

गंगाजल: पवित्रता के लिए
कुश (दरभा): नकारात्मक ऊर्जा नाशक
तिल: पापों का नाश करता है
सिंदूर: देवी कृपा हेतु
गोमूत्र: शुद्धिकरण के लिए

संस्कृत स्रोत:
🔹 तिलैः कुशैः गंगाजलेन युक्तं
स्नानं पवित्रं भवति ध्रुवम्॥

👉 "Bathing with sesame, darbha, and Ganga water ensures purity."

📖 स्रोत: धर्मसिंधु, निर्णयसिंधु


👚 वस्त्र एवं आभूषण | Clothing & Ornaments

🔹 संस्कृत स्रोत:

  • शुभ्रवस्त्रं समास्थाय भूषितो गन्धमालया।
    पूजयेद्दुर्गां भक्त्या सर्वसिद्धिफलप्रदम्॥ (निर्णयसिंधु)

👉 “Wearing clean clothes and adorning ornaments while worshiping Goddess Durga grants all accomplishments.”

📖 स्रोत: निर्णयसिंधु, व्रतराज, धर्मसिंधु


🍛 अष्टमी तिथि का भोजन | Recommended Food for Ashtami

🔹 संस्कृत स्रोत:

  • अष्टम्यां विशेषेण दुग्धं मधु समाचरेत्।
    फलानि चैव दद्याच्च भक्त्या दुर्गां समर्पयेत्॥ (धर्मसिंधु)

👉 “On Ashtami, milk, honey, and fruits should be consumed and offered to Goddess Durga.”

📖 स्रोत: धर्मसिंधु, निर्णयसिंधु, जैमिनि संहिता


⚖️ अष्टमी तिथि में क्या करें - क्या करें | Do’s & Don’ts on Ashtami

क्या करें? (Do’s)

  • माँ दुर्गा की पूजा करें।
  • कन्या पूजन करें।
  • तिल जल का दान करें।
  • व्रत रखें।

क्या करें? (Don’ts)

  • क्रोध करें, अपशब्द बोलें।
  • मांस-मदिरा का सेवन करें।
  • झूठ बोलें।

📖 स्रोत: निर्णयसिंधु, व्रतराज, धर्मसिंधु


🎁 अष्टमी तिथि का दान | Donations on Ashtami

🔹 संस्कृत स्रोत:

  • अष्टम्यां जलदानं मुक्तिपथप्रदायकम्।
    तिलदानं विशेषेण सर्वपापविनाशकम्॥ (व्रतराज)

👉 “On Ashtami, donating water leads to liberation, and donating sesame removes all sins.”

📖 स्रोत: व्रतराज, धर्मसिंधु, निर्णयसिंधु


🪔 पूजा में दीपक का प्रकार एवं बाती की दिशा | Type of Lamp & Wick Direction in Worship

🔹 संस्कृत स्रोत:

  • तिलदीपं तु दत्त्वा वै सर्वपापैः प्रमुच्यते।
    घृतदीपं प्रदत्त्वा महालक्ष्मीः प्रसन्नता॥ (गरुड़ पुराण)

👉 “Using sesame oil lamps removes sins, while ghee lamps invoke Goddess Lakshmi’s blessings.”

दीपक का प्रकार:

  • तिल के तेल का दीपक (पाप नाशक)
  • घी का दीपक (शुभ फलदायी)

बाती की दिशा:

  • उत्तर दिशा में रखने से धन एवं समृद्धि।
  • पूर्व दिशा में रखने से ज्ञान एवं बुद्धि।

📖 स्रोत: गरुड़ पुराण, धर्मसिंधु, निर्णयसिंधु


📖 ग्रंथ एवं पुराण संदर्भ | Scriptures & Puranic References

📜 स्कन्द पुराण - अष्टमी तिथि के स्नान, दान का उल्लेख।
📜 मार्कंडेय पुराण - माँ दुर्गा की पूजा के महत्त्व पर चर्चा।
📜 धर्मसिंधु - व्रत एवं अष्टमी नियमों का विस्तार।
📜 निर्णयसिंधु - अष्टमी व्रत पालन के विस्तृत नियम।
📜 व्रतराज - विभिन्न व्रतों की विधि और महिमा।
📜 गरुड़ पुराण - दीपक जलाने एवं दान की महिमा।


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🔹 त्रयोदशी तिथि में भोजन (Food Guidelines for Trayodashi Tithi) - ग्रंथ प्रमाण सहित

📖 📜 धर्मसिंधु (Dharmasindhu), निर्णयसिंधु (Nirnaya Sindhu), स्कंदपुराण (Skanda Purana), गरुड़ पुराण (Garuda Purana) एवं मनुस्मृति (Manusmriti) में त्रयोदशी तिथि के भोजन संबंधी नियमों का वर्णन मिलता है।

शुभ भोजन (Auspicious Food to Eat) - धर्मसिंधु, निर्णयसिंधु

फलाहार (Phalahar) - फल, दूध, दही, शहद (धर्मसिंधु, निर्णयसिंधु)
Tulsi जल (Tulsi Water) - स्कंद पुराण अनुसार भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने हेतु
घी युक्त भोजन (Food with Ghee) - गरुड़ पुराण में कहा गया है कि त्रयोदशी तिथि में घी का सेवन स्वास्थ्य और समृद्धि देता है।
सादा भोजन (Simple Food) - मनुस्मृति के अनुसार त्रयोदशी तिथि में सात्त्विक भोजन करने से चित्त शुद्ध होता है।

वर्जित भोजन (Forbidden Food) - धर्मसिंधु, निर्णयसिंधु, गरुड़ पुराण

प्याज, लहसुन, मांस, मदिरा (Onions, Garlic, Meat, Alcohol) - गरुड़ पुराण अनुसार पवित्रता नष्ट होती है।
उड़द, मसूर, चना दाल (Urad, Masoor, Chana Dal) - धर्मसिंधु अनुसार ग्रह दोष बढ़ाते हैं।
अत्यधिक तला-भुना भोजन (Deep Fried Food) - निर्णयसिंधु अनुसार स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।

📜 धर्मसिंधु एवं निर्णयसिंधु में कहा गया है कि त्रयोदशी तिथि में तामसिक भोजन करने से पुण्य नष्ट होता है और स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।


🔹 त्रयोदशी तिथि में दान (Donation on Trayodashi Tithi) - स्कंद पुराण, गरुड़ पुराण, पद्म पुराण, जैन आगम

📖 📜 स्कंद पुराण, गरुड़ पुराण एवं पद्म पुराण में त्रयोदशी तिथि पर विशेष दान करने का महत्व बताया गया है। जैन धर्म ग्रंथ दशवैकालिक सूत्र में भी दान का विशेष महत्व दिया गया है।

शुभ दान (Auspicious Donations) - स्कंद पुराण, गरुड़ पुराण, जैन आगम

गाय को चारा दान (Donate Fodder to Cows) - स्कंद पुराण अनुसार पितृदोष से मुक्ति मिलती है।
स्वर्ण एवं वस्त्र दान (Donate Gold & Clothes) - गरुड़ पुराण में कहा गया है कि इससे जीवन में वैभव आता है।
जल से भरा घड़ा दान (Donate a Pot of Water) - पद्म पुराण अनुसार पितरों की कृपा प्राप्त होती है।
खीर, गुड़, और तिल का दान (Donate Kheer, Jaggery & Sesame) - जैन आगम के अनुसार यह शुभ कर्मों को बढ़ाता है।

📜 गरुड़ पुराण में लिखा है कि त्रयोदशी तिथि पर तिल एवं गुड़ का दान करने से समस्त पापों का नाश होता है।

वर्जित दान (Forbidden Donations) - धर्मसिंधु, निर्णयसिंधु

काले वस्त्र (Black Clothes)
मदिरा या मांसाहारी भोजन (Alcohol or Non-vegetarian food)
खट्टे पदार्थ (Sour and Acidic Foods)


🔹 त्रयोदशी तिथि के विशेष मंत्र (Trayodashi Tithi Mantras) - वैदिक, पौराणिक, शाबर, जैन

📖 📜 विभिन्न शास्त्रों में त्रयोदशी तिथि के लिए विशेष मंत्र बताए गए हैं।

🔹 १. वैदिक मंत्र (Vedic Mantras) - यजुर्वेद, ऋग्वेद

📿 "ॐ त्रयोदश्यां नमः।"
📿 "Om Trayodashyām Namah."
🔹 यजुर्वेद अनुसार इस मंत्र का जप करने से शुभता प्राप्त होती है।

📿 "ॐ नमो भगवते रुद्राय।"
📿 "Om Namo Bhagavate Rudraya."
🔹 ऋग्वेद में वर्णित यह मंत्र भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए है।


🔹 २. पौराणिक मंत्र (Puranic Mantras) - शिव पुराण, विष्णु पुराण

📿 "ॐ शिवाय नमस्तुभ्यं, त्रयोदशी शुभं कुरु।"
📿 "Om Shivaya Namastubhyam, Trayodashi Shubham Kuru."
🔹 शिव पुराण अनुसार इस मंत्र का जप करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।


🔹 ३. शाबर मंत्र (Shaabar Mantra) - अघोर मंत्र संग्रह

📿 "जय त्रयोदशी महादेव, संकट हरो शिव शंभो।"
📿 "Jaya Trayodashi Mahadev, Sankat Haro Shiv Shambho."
🔹 अघोर मंत्र संग्रह में वर्णित यह मंत्र संकटों से मुक्ति के लिए प्रभावी है।


🔹 ४. जैन मंत्र (Jain Mantras) - जैन आगम, तत्त्वार्थ सूत्र

📿 "णमो अरिहंताणं, णमो सिद्धाणं..."
📿 "Namo Arihantanam, Namo Siddhanam..."
🔹 दशवैकालिक सूत्र अनुसार यह मंत्र आध्यात्मिक उन्नति के लिए है।


चतुर्दशी तिथि में भोजन (Food Guidelines for Chaturdashi Tithi) - ग्रंथ प्रमाण सहित

📖 📜 धर्मसिंधु (Dharmasindhu), निर्णयसिंधु (Nirnaya Sindhu), स्कंदपुराण (Skanda Purana), गरुड़ पुराण (Garuda Purana) एवं मनुस्मृति (Manusmriti) में चतुर्दशी तिथि के भोजन संबंधी नियमों का उल्लेख मिलता है।

शुभ भोजन (Auspicious Food to Eat) - धर्मसिंधु, निर्णयसिंधु

फलाहार (Phalahar) - फल, दूध, दही, शहद (धर्मसिंधु, निर्णयसिंधु)
तुलसी युक्त जल (Tulsi Water) - स्कंद पुराण अनुसार पवित्रता एवं रोग मुक्ति के लिए
कंद-मूल (Root Vegetables like Sweet Potatoes, Yam) - गरुड़ पुराण में कहा गया है कि चतुर्दशी तिथि में यह भोजन ग्रहण करना शुभ होता है।
पंचगव्य का सेवन (Consumption of Panchagavya - Milk, Curd, Ghee, Honey, and Cow Urine) - मनुस्मृति के अनुसार आत्मशुद्धि के लिए।

वर्जित भोजन (Forbidden Food) - धर्मसिंधु, निर्णयसिंधु, गरुड़ पुराण

तामसिक भोजन (Tamasic Foods like Meat, Garlic, Onion, Alcohol) - गरुड़ पुराण अनुसार इससे मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति क्षीण होती है।
अधिक तला-भुना भोजन (Deep Fried and Oily Food) - निर्णयसिंधु अनुसार स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।
नमक रहित भोजन करना उचित नहीं (Avoid Saltless Food) - स्कंद पुराण के अनुसार चतुर्दशी तिथि में पूर्ण व्रत न करने पर सामान्य नमक रहित भोजन भी वर्जित होता है।

📜 धर्मसिंधु एवं निर्णयसिंधु में कहा गया है कि चतुर्दशी तिथि में विशेषकर शिव पूजन करने वालों को उपवास करना चाहिए।


चतुर्दशी तिथि में भोजन, दान एवं मंत्र (संक्षिप्त सारांश) 📜


1️ चतुर्दशी तिथि में भोजन (Food Guidelines) 📖

📜 धर्मसिंधु, निर्णयसिंधु, स्कंद पुराण, गरुड़ पुराण, मनुस्मृति में चतुर्दशी तिथि के भोजन संबंधी नियम वर्णित हैं।

शुभ भोजन (Auspicious Food) – धर्मसिंधु, निर्णयसिंधु
फलाहार: फल, दूध, दही, शहद (धर्मसिंधु, निर्णयसिंधु)।
तुलसी युक्त जल: स्कंद पुराण अनुसार पवित्रता एवं रोग मुक्ति के लिए।
कंद-मूल: (शकरकंद, सूरन) गरुड़ पुराण अनुसार शुभ।
पंचगव्य का सेवन: (दूध, दही, घी, शहद, गौ मूत्र) मनुस्मृति अनुसार आत्मशुद्धि हेतु।

वर्जित भोजन (Forbidden Food) – धर्मसिंधु, निर्णयसिंधु, गरुड़ पुराण
तामसिक भोजन: माँस, लहसुन, प्याज, मद्य (गरुड़ पुराण अनुसार मानसिक-आध्यात्मिक हानि)।
अधिक तला-भुना भोजन: निर्णयसिंधु अनुसार स्वास्थ्य पर प्रभाव।
नमक रहित भोजन: स्कंद पुराण अनुसार चतुर्दशी तिथि में पूर्ण व्रत न करने पर भी नमक रहित भोजन वर्जित।

📖 धर्मसिंधु एवं निर्णयसिंधु अनुसार चतुर्दशी तिथि में शिव पूजन करने वालों को उपवास रखना चाहिए।


2️ चतुर्दशी तिथि में दान (Donations) 📖

📜 स्कंद पुराण, गरुड़ पुराण, पद्म पुराण, जैन आगम में चतुर्दशी तिथि पर विशेष दान का महत्व।

शुभ दान (Auspicious Donations) – स्कंद पुराण, गरुड़ पुराण, जैन आगम
जल कलश दान: (पद्म पुराण अनुसार पितृ एवं देव कृपा)।
तिल एवं काले वस्त्र: (स्कंद पुराण अनुसार ग्रह दोष निवारण हेतु)।
धूप, दीप, तेल: (गरुड़ पुराण अनुसार शिव कृपा हेतु)।
गौ-दान, अनाज दान: (जैन आगम अनुसार सर्वोत्तम)।

📜 स्कंद पुराण अनुसार चतुर्दशी तिथि में दान से महापापों का भी नाश संभव।

वर्जित दान (Forbidden Donations) – धर्मसिंधु, निर्णयसिंधु
नमक या खट्टे पदार्थ।
अशुद्ध वस्त्र, जूते।
किसी को धन उधार देना।


3️ चतुर्दशी तिथि के विशेष मंत्र (Chaturdashi Tithi Mantras) 📖

📜 यजुर्वेद, ऋग्वेद, शिव पुराण, विष्णु पुराण, अघोर मंत्र संग्रह, जैन आगम में चतुर्दशी तिथि के लिए मंत्र बताए गए हैं।

🔹 1. वैदिक मंत्र (Vedic Mantras) – यजुर्वेद, ऋग्वेद
📿 ॐ नमः शिवाय।
📿 ॐ ह्रीं क्लीं नमः चतुर्दश्यां नमः।

🔹 2. पौराणिक मंत्र (Puranic Mantras) – शिव पुराण, विष्णु पुराण
📿 ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।

🔹 3. शाबर मंत्र (Shaabar Mantra) – अघोर मंत्र संग्रह
📿 ॐ नमः उग्ररूपाय चतुर्दशी शुभं कुरु।

🔹 4. जैन मंत्र (Jain Mantras) – जैन आगम, तत्त्वार्थ सूत्र
📿 णमो सिद्धाणं, णमो आयरियाणं...

📜 धर्मसिंधु, निर्णयसिंधु, स्कंद पुराण, गरुड़ पुराण, जैन आगम अनुसार चतुर्दशी तिथि में भोजन, दान और मंत्रों का पालन करने से जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ती है। 🚩📿

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🔹 चतुर्दशी तिथि में दान (Donation on Chaturdashi Tithi) - स्कंद पुराण, गरुड़ पुराण, पद्म पुराण, जैन आगम

📖 📜 स्कंद पुराण, गरुड़ पुराण एवं पद्म पुराण में चतुर्दशी तिथि पर विशेष दान करने का महत्व बताया गया है। जैन धर्म ग्रंथ दशवैकालिक सूत्र में भी दान का विशेष महत्व दिया गया है।

शुभ दान (Auspicious Donations) - स्कंद पुराण, गरुड़ पुराण, जैन आगम

जल कलश (Water-filled Pot Donation) - पद्म पुराण अनुसार पितरों एवं देवताओं की कृपा प्राप्त होती है।
तिल एवं काले वस्त्र (Sesame & Black Clothes Donation) - स्कंद पुराण अनुसार यह ग्रह दोष निवारण के लिए उत्तम है।
धूप, दीप, और तेल (Incense, Lamp, and Oil Donation) - गरुड़ पुराण अनुसार इससे शिव कृपा प्राप्त होती है।
अनाज, गौ-दान (Food Grains & Cow Donation) - जैन आगम में इसे सर्वोत्तम दान बताया गया है।

📜 स्कंद पुराण में कहा गया है कि चतुर्दशी तिथि पर किए गए दान से महापापों का भी नाश हो सकता है।

वर्जित दान (Forbidden Donations) - धर्मसिंधु, निर्णयसिंधु

नमक या खट्टे पदार्थ (Salt or Sour Food Items)
अशुद्ध वस्त्र या जूते (Used or Impure Clothes or Shoes)
किसी को धन उधार देना (Lending Money to Others)


🔹 चतुर्दशी तिथि के विशेष मंत्र (Chaturdashi Tithi Mantras) - वैदिक, पौराणिक, शाबर, जैन

📖 📜 विभिन्न शास्त्रों में चतुर्दशी तिथि के लिए विशेष मंत्र बताए गए हैं।

🔹 १. वैदिक मंत्र (Vedic Mantras) - यजुर्वेद, ऋग्वेद

📿 "ॐ नमः शिवाय।"
📿 "Om Namah Shivaya."
🔹 यजुर्वेद अनुसार इस मंत्र का जप करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।

📿 "ॐ ह्रीं क्लीं नमः चतुर्दश्यां नमः।"
📿 "Om Hreem Kleem Namah Chaturdashyam Namah."
🔹 ऋग्वेद में वर्णित यह मंत्र विशेष रूप से चतुर्दशी तिथि के लिए है।


🔹 २. पौराणिक मंत्र (Puranic Mantras) - शिव पुराण, विष्णु पुराण

📿 "ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।"
📿 "Om Tryambakam Yajamahe Sugandhim Pushtivardhanam."
🔹 शिव पुराण अनुसार यह महामृत्युंजय मंत्र चतुर्दशी तिथि पर जपने से सभी कष्टों से रक्षा करता है।


🔹 ३. शाबर मंत्र (Shaabar Mantra) - अघोर मंत्र संग्रह

📿 "ॐ नमः उग्ररूपाय चतुर्दशी शुभं कुरु।"
📿 "Om Namah Ugraroopaya Chaturdashi Shubham Kuru."
🔹 अघोर मंत्र संग्रह में वर्णित यह मंत्र शिव कृपा और सुरक्षा प्रदान करने वाला है।


🔹 ४. जैन मंत्र (Jain Mantras) - जैन आगम, तत्त्वार्थ सूत्र

📿 "णमो सिद्धाणं, णमो आयरियाणं..."
📿 "Namo Siddhanam, Namo Ayariyanam..."
🔹 दशवैकालिक सूत्र अनुसार यह मंत्र आत्मिक उन्नति एवं शांति के लिए प्रभावी है।


📜 धर्म सिंधु, निर्णय सिंधु, स्कंद पुराण, गरुड़ पुराण, जैन आगम आदि ग्रंथों के अनुसार चतुर्दशी तिथि में भोजन, दान और मंत्रों का पालन करने से जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ती है। 🚩📿
📜 Following the guidelines from Dharma Sindhu, Nirnaya Sindhu, Skanda Purana, Garuda Purana, and Jain Agamas on Chaturdashi Tithi increases happiness and prosperity in life. 🚩📿

पूर्णिमा तिथि में भोजन (Food Guidelines for Purnima Tithi) - धर्मसिंधु, निर्णयसिंधु, विष्णु धर्मसूत्र

 

📖 📜 धर्मसिंधु (Dharmasindhu), निर्णयसिंधु (Nirnaya Sindhu), विष्णु धर्मसूत्र (Vishnu Dharmasutra), और पद्म पुराण (Padma Purana) में पूर्णिमा तिथि के भोजन संबंधी नियमों का उल्लेख मिलता है।

शुभ भोजन (Auspicious Food to Eat) - धर्मसिंधु, निर्णयसिंधु

सात्त्विक भोजन (Sattvic Food) - दूध, दही, फल, शहद, गंगाजल, पंचगव्य (धर्मसिंधु, निर्णयसिंधु)

खिचड़ी, मूंग दाल, साबूदाना (Khichdi, Moong Dal, Sago) - विष्णु धर्मसूत्र अनुसार पूर्णिमा पर पाचन योग्य भोजन ग्रहण करना चाहिए।

गाय का घी (Cow Ghee) - पद्म पुराण अनुसार चंद्र देव की कृपा के लिए।

वर्जित भोजन (Forbidden Food) - धर्मसिंधु, निर्णयसिंधु, गरुड़ पुराण

तामसिक भोजन (Tamasic Foods like Meat, Garlic, Onion, Alcohol) - गरुड़ पुराण अनुसार पूर्णिमा तिथि पर यह भोजन मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति को नष्ट करता है।

अधिक मसालेदार और तेलयुक्त भोजन (Spicy and Oily Food) - निर्णयसिंधु अनुसार स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।

अन्न-भोजन का निषेध (Avoidance of Grains - for those observing fasting) - स्कंद पुराण के अनुसार पूर्णिमा तिथि पर कई लोग उपवास रखते हैं।

📜 धर्मसिंधु एवं निर्णयसिंधु में कहा गया है कि पूर्णिमा तिथि में व्रत, ध्यान और सत्कर्मों का विशेष महत्व है।

🔹 पूर्णिमा तिथि में दान (Donation on Purnima Tithi) - स्कंद पुराण, गरुड़ पुराण, पद्म पुराण, जैन आगम

📖 📜 स्कंद पुराण (Skanda Purana), गरुड़ पुराण (Garuda Purana), पद्म पुराण (Padma Purana), एवं जैन आगम (Jain Agamas) में पूर्णिमा तिथि पर विशेष दान करने का महत्व बताया गयाहै।

शुभ दान (Auspicious Donations) - स्कंद पुराण, गरुड़ पुराण, जैन आगम

अन्न, वस्त्र, जल (Food Grains, Clothes, Water Donation) - स्कंद पुराण अनुसार इससे अक्षय पुण्य प्राप्त होता है।

चावल, दही, चीनी (Rice, Curd, Sugar Donation) - गरुड़ पुराण अनुसार यह चंद्र ग्रह से संबंधित दोषों को दूर करता है।

चंद्रमा को अर्घ्य (Offering Water to the Moon) - पद्म पुराण में इसे विशेष फलदायी बताया गया है।

सफेद वस्त्र, मोती, चांदी (White Clothes, Pearls, Silver Donation) - जैन आगम अनुसार यह पवित्रता और समृद्धि को बढ़ाता है।

📜 स्कंद पुराण में कहा गया है कि पूर्णिमा तिथि पर किया गया दान सौ गुना फल देता है।

वर्जित दान (Forbidden Donations) - धर्मसिंधु, निर्णयसिंधु

नमक या खट्टे पदार्थ (Salt or Sour Food Items)

अशुद्ध वस्त्र या फटे हुए कपड़े (Torn or Dirty Clothes)

दूध से बनी मिठाई किसी को न दें (Avoid Giving Sweets Made from Milk)

🔹 पूर्णिमा तिथि के विशेष मंत्र (Purnima Tithi Mantras) - वैदिक, पौराणिक, शाबर, जैन

📖 📜 विभिन्न शास्त्रों में पूर्णिमा तिथि के लिए विशेष मंत्र बताए गए हैं।

🔹 १. वैदिक मंत्र (Vedic Mantras) - यजुर्वेद, ऋग्वेद

📿 "ॐ सोमाय नमः।"

📿 "Om Somaya Namah."

🔹 यजुर्वेद अनुसार इस मंत्र का जप करने से चंद्र देव की कृपा प्राप्त होती है।

📿 "ॐ चन्द्राय नमः।"

📿 "Om Chandraya Namah."

🔹 ऋग्वेद में वर्णित यह मंत्र विशेष रूप से पूर्णिमा तिथि के लिए है।

🔹 २. पौराणिक मंत्र (Puranic Mantras) - विष्णु पुराण, शिव पुराण

📿 "ॐ नमो नारायणाय।"

📿 "Om Namo Narayanaya."

🔹 विष्णु पुराण अनुसार यह मंत्र श्रीहरि की कृपा प्राप्त करने हेतु है।

📿 "ॐ नमः शिवाय चन्द्रमौलेश्वराय।"

📿 "Om Namah Shivaya Chandramauleshwaraya."

🔹 शिव पुराण अनुसार यह मंत्र पूर्णिमा तिथि पर चंद्र दोष निवारण के लिए प्रभावी है।

🔹 ३. शाबर मंत्र (Shaabar Mantra) - चंद्र शाबर तंत्र

\📿 "ॐ सोम सोमाय नमः पूर्णिमा शुभं कुरु।"

📿 "Om Soma Somaya Namah Purnima Shubham Kuru."

🔹 चंद्र शाबर तंत्र अनुसार यह मंत्र मानसिक शांति और समृद्धि देने वाला है।

🔹 ४. जैन मंत्र (Jain Mantras) - जैन आगम, तत्त्वार्थ सूत्र

📿 "णमो लोए सव्वसाहूणं।"

📿 "Namo Loe Savva Sahunam."

🔹 दशवैकालिक सूत्र अनुसार यह मंत्र आत्मिक उन्नति एवं शांति के लिए प्रभावी है।

📜 धर्म सिंधु, निर्णय सिंधु, स्कंद पुराण, गरुड़ पुराण, जैन आगम आदि ग्रंथों के अनुसार पूर्णिमा तिथि में भोजन, दान और मंत्रों का पालन करने से जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ती है। 🚩📿

📜 Following the guidelines from Dharma Sindhu, Nirnaya Sindhu, Skanda Purana, Garuda Purana, and Jain Agamas on Purnima Tithi increases happiness and prosperity in life. 🚩📿

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श्राद्ध क्यों कैसे करे? पितृ दोष ,राहू ,सर्प दोष शांति ?तर्पण? विधि             श्राद्ध नामा - पंडित विजेंद्र कुमार तिवारी श्राद्ध कब नहीं करें :   १. मृत्यु के प्रथम वर्ष श्राद्ध नहीं करे ।   २. पूर्वान्ह में शुक्ल्पक्ष में रात्री में और अपने जन्मदिन में श्राद्ध नहीं करना चाहिए ।   ३. कुर्म पुराण के अनुसार जो व्यक्ति अग्नि विष आदि के द्वारा आत्महत्या करता है उसके निमित्त श्राद्ध नहीं तर्पण का विधान नहीं है । ४. चतुदर्शी तिथि की श्राद्ध नहीं करना चाहिए , इस तिथि को मृत्यु प्राप्त पितरों का श्राद्ध दूसरे दिन अमावस्या को करने का विधान है । ५. जिनके पितृ युद्ध में शस्त्र से मारे गए हों उनका श्राद्ध चतुर्दशी को करने से वे प्रसन्न होते हैं और परिवारजनों पर आशीर्वाद बनाए रखते हैं ।           श्राद्ध कब , क्या और कैसे करे जानने योग्य बाते           किस तिथि की श्राद्ध नहीं -  १. जिस तिथी को जिसकी मृत्यु हुई है , उस तिथि को ही श्राद्ध किया जाना चा...

रामचरितमानस की चौपाईयाँ-मनोकामना पूरक सरल मंत्रात्मक (ramayan)

*****मनोकामना पूरक सरल मंत्रात्मक रामचरितमानस की चौपाईयाँ-       रामचरितमानस के एक एक शब्द को मंत्रमय आशुतोष भगवान् शिव ने बना दिया |इसलिए किसी भी प्रकार की समस्या के लिए सुन्दरकाण्ड या कार्य उद्देश्य के लिए लिखित चौपाई का सम्पुट लगा कर रामचरितमानस का पाठ करने से मनोकामना पूर्ण होती हैं | -सोमवार,बुधवार,गुरूवार,शुक्रवार शुक्ल पक्ष अथवा शुक्ल पक्ष दशमी से कृष्ण पक्ष पंचमी तक के काल में (चतुर्थी, चतुर्दशी तिथि छोड़कर )प्रारंभ करे -   वाराणसी में भगवान् शंकरजी ने मानस की चौपाइयों को मन्त्र-शक्ति प्रदान की है-इसलिये वाराणसी की ओर मुख करके शंकरजी को स्मरण कर  इनका सम्पुट लगा कर पढ़े या जप १०८ प्रतिदिन करते हैं तो ११वे दिन १०८आहुति दे | अष्टांग हवन सामग्री १॰ चन्दन का बुरादा , २॰ तिल , ३॰ शुद्ध घी , ४॰ चीनी , ५॰ अगर , ६॰ तगर , ७॰ कपूर , ८॰ शुद्ध केसर , ९॰ नागरमोथा , १०॰ पञ्चमेवा , ११॰ जौ और १२॰ चावल। १॰ विपत्ति-नाश - “ राजिव नयन धरें धनु सायक। भगत बिपति भंजन सुखदायक।। ” २॰ संकट-नाश - “ जौं प्रभु दीन दयालु कहावा। आरति हरन बेद जसु गावा।। जपहिं ना...

दुर्गा जी के अभिषेक पदार्थ विपत्तियों के विनाशक एक रहस्य | दुर्गा जी को अपनी समस्या समाधान केलिए क्या अर्पण करना चाहिए?

दुर्गा जी   के अभिषेक पदार्थ विपत्तियों   के विनाशक एक रहस्य | दुर्गा जी को अपनी समस्या समाधान केलिए क्या अर्पण करना चाहिए ? अभिषेक किस पदार्थ से करने पर हम किस मनोकामना को पूर्ण कर सकते हैं एवं आपत्ति विपत्ति से सुरक्षा कवच निर्माण कर सकते हैं | दुर्गा जी को अर्पित सामग्री का विशेष महत्व होता है | दुर्गा जी का अभिषेक या दुर्गा की मूर्ति पर किस पदार्थ को अर्पण करने के क्या लाभ होते हैं | दुर्गा जी शक्ति की देवी हैं शीघ्र पूजा या पूजा सामग्री अर्पण करने के शुभ अशुभ फल प्रदान करती हैं | 1- दुर्गा जी को सुगंधित द्रव्य अर्थात ऐसे पदार्थ ऐसे पुष्प जिनमें सुगंध हो उनको अर्पित करने से पारिवारिक सुख शांति एवं मनोबल में वृद्धि होती है | 2- दूध से दुर्गा जी का अभिषेक करने पर कार्यों में सफलता एवं मन में प्रसन्नता बढ़ती है | 3- दही से दुर्गा जी की पूजा करने पर विघ्नों का नाश होता है | परेशानियों में कमी होती है | संभावित आपत्तियों का अवरोध होता है | संकट से व्यक्ति बाहर निकल पाता है | 4- घी के द्वारा अभिषेक करने पर सर्वसामान्य सुख एवं दांपत्य सुख में वृद्धि होती...

श्राद्ध:जानने योग्य महत्वपूर्ण बातें |

श्राद्ध क्या है ? “ श्रद्धया यत कृतं तात श्राद्धं | “ अर्थात श्रद्धा से किया जाने वाला कर्म श्राद्ध है | अपने माता पिता एवं पूर्वजो की प्रसन्नता के लिए एवं उनके ऋण से मुक्ति की विधि है | श्राद्ध क्यों करना चाहिए   ? पितृ ऋण से मुक्ति के लिए श्राद्ध किया जाना अति आवश्यक है | श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम ? यदि मानव योनी में समर्थ होते हुए भी हम अपने जन्मदाता के लिए कुछ नहीं करते हैं या जिन पूर्वज के हम अंश ( रक्त , जींस ) है , यदि उनका स्मरण या उनके निमित्त दान आदि नहीं करते हैं , तो उनकी आत्मा   को कष्ट होता है , वे रुष्ट होकर , अपने अंश्जो वंशजों को श्राप देते हैं | जो पीढ़ी दर पीढ़ी संतान में मंद बुद्धि से लेकर सभी प्रकार की प्रगति अवरुद्ध कर देते हैं | ज्योतिष में इस प्रकार के अनेक शाप योग हैं |   कब , क्यों श्राद्ध किया जाना आवश्यक होता है   ? यदि हम   96  अवसर पर   श्राद्ध   नहीं कर सकते हैं तो कम से कम मित्रों के लिए पिता माता की वार्षिक तिथि पर यह अश्वनी मास जिसे क्वांर का माह    भी कहा ज...

श्राद्ध रहस्य प्रश्न शंका समाधान ,श्राद्ध : जानने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य -कब,क्यों श्राद्ध करे?

संतान को विकलांगता, अल्पायु से बचाइए श्राद्ध - पितरों से वरदान लीजिये पंडित विजेंद्र कुमार तिवारी jyotish9999@gmail.com , 9424446706   श्राद्ध : जानने  योग्य   महत्वपूर्ण तथ्य -कब,क्यों श्राद्ध करे?  श्राद्ध से जुड़े हर सवाल का जवाब | पितृ दोष शांति? राहू, सर्प दोष शांति? श्रद्धा से श्राद्ध करिए  श्राद्ध कब करे? किसको भोजन हेतु बुलाएँ? पितृ दोष, राहू, सर्प दोष शांति? तर्पण? श्राद्ध क्या है? श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम क्या संभावित है? श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम क्या संभावित है? श्राद्ध की प्रक्रिया जटिल एवं सबके सामर्थ्य की नहीं है, कोई उपाय ? श्राद्ध कब से प्रारंभ होता है ? प्रथम श्राद्ध किसका होता है ? श्राद्ध, कृष्ण पक्ष में ही क्यों किया जाता है श्राद्ध किन२ शहरों में  किया जा सकता है ? क्या गया श्राद्ध सर्वोपरि है ? तिथि अमावस्या क्या है ?श्राद्द कार्य ,में इसका महत्व क्यों? कितने प्रकार के   श्राद्ध होते   हैं वर्ष में   कितने अवसर श्राद्ध के होते हैं? कब  श्राद्ध किया जाना...

गणेश विसृजन मुहूर्त आवश्यक मन्त्र एवं विधि

28 सितंबर गणेश विसर्जन मुहूर्त आवश्यक मन्त्र एवं विधि किसी भी कार्य को पूर्णता प्रदान करने के लिए जिस प्रकार उसका प्रारंभ किया जाता है समापन भी किया जाना उद्देश्य होता है। गणेश जी की स्थापना पार्थिव पार्थिव (मिटटीएवं जल   तत्व निर्मित)     स्वरूप में करने के पश्चात दिनांक 23 को उस पार्थिव स्वरूप का विसर्जन किया जाना ज्योतिष के आधार पर सुयोग है। किसी कार्य करने के पश्चात उसके परिणाम शुभ , सुखद , हर्षद एवं सफलता प्रदायक हो यह एक सामान्य उद्देश्य होता है।किसी भी प्रकार की बाधा व्यवधान या अनिश्ट ना हो। ज्योतिष के आधार पर लग्न को श्रेष्ठता प्रदान की गई है | होरा मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ माना गया है।     गणेश जी का संबंध बुधवार दिन अथवा बुद्धि से ज्ञान से जुड़ा हुआ है। विद्यार्थियों प्रतियोगियों एवं बुद्धि एवं ज्ञान में रूचि है , ऐसे लोगों के लिए बुध की होरा श्रेष्ठ होगी तथा उच्च पद , गरिमा , गुरुता , बड़प्पन , ज्ञान , निर्णय दक्षता में वृद्धि के लिए गुरु की हो रहा श्रेष्ठ होगी | इसके साथ ही जल में विसर्जन कार्य होता है अतः चंद्र की होरा सामा...

गणेश भगवान - पूजा मंत्र, आरती एवं विधि

सिद्धिविनायक विघ्नेश्वर गणेश भगवान की आरती। आरती  जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।  माता जा की पार्वती ,पिता महादेवा । एकदंत दयावंत चार भुजा धारी।   मस्तक सिंदूर सोहे मूसे की सवारी | जय गणेश जय गणेश देवा।  अंधन को आँख  देत, कोढ़िन को काया । बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया । जय गणेश जय गणेश देवा।   हार चढ़े फूल चढ़े ओर चढ़े मेवा । लड्डूअन का  भोग लगे संत करें सेवा।   जय गणेश जय गणेश देवा।   दीनन की लाज रखो ,शम्भू पत्र वारो।   मनोरथ को पूरा करो।  जाए बलिहारी।   जय गणेश जय गणेश देवा। आहुति मंत्र -  ॐ अंगारकाय नमः श्री 108 आहूतियां देना विशेष शुभ होता है इसमें शुद्ध घी ही दुर्वा एवं काले तिल का विशेष महत्व है। अग्नि पुराण के अनुसार गायत्री-      मंत्र ओम महोत काय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो दंती प्रचोदयात्। गणेश पूजन की सामग्री एक चौकिया पाटे  का प्रयोग करें । लाल वस्त्र या नारंगी वस्त्र उसपर बिछाएं। चावलों से 8पत्ती वाला कमल पुष्प स्वरूप बनाएं। गणेश पूजा में नार...

श्राद्ध रहस्य - श्राद्ध क्यों करे ? कब श्राद्ध नहीं करे ? पिंड रहित श्राद्ध ?

श्राद्ध रहस्य - क्यों करे , न करे ? पिंड रहित , महालय ? किसी भी कर्म का पूर्ण फल विधि सहित करने पर ही मिलता है | * श्राद्ध में गाय का ही दूध प्रयोग करे |( विष्णु पुराण ) | श्राद्ध भोजन में तिल अवश्य प्रयोग करे | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि - श्राद्ध अपरिहार्य - अश्वनी माह के कृष्ण पक्ष तक पितर अत्यंत अपेक्षा से कष्ट की   स्थिति में जल , तिल की अपनी संतान से , प्रतिदिन आशा रखते है | अन्यथा दुखी होकर श्राप देकर चले जाते हैं | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि इसको नहीं करने से पीढ़ी दर पीढ़ी संतान मंद बुद्धि , दिव्यांगता .मानसिक रोग होते है | हेमाद्रि ग्रन्थ - आषाढ़ माह पूर्णिमा से /कन्या के सूर्य के समय एक दिन भी श्राद्ध कोई करता है तो , पितर एक वर्ष तक संतुष्ट/तृप्त रहते हैं | ( भद्र कृष्ण दूज को भरणी नक्षत्र , तृतीया को कृत्तिका नक्षत्र   या षष्ठी को रोहणी नक्षत्र या व्यतिपात मंगलवार को हो ये पिता को प्रिय योग है इस दिन व्रत , सूर्य पूजा , गौ दान गौ -दान श्रेष्ठ | - श्राद्ध का गया तुल्य फल- पितृपक्ष में मघा सूर्य की अष्टमी य त्रयोदशी को मघा नक्षत्र पर चंद्र ...

विवाह बाधा और परीक्षा में सफलता के लिए दुर्गा पूजा

विवाह में विलंब विवाह के लिए कात्यायनी पूजन । 10 oct - 18 oct विवाह में विलंब - षष्ठी - कात्यायनी पूजन । वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए - दुर्गतिहारणी मां कात्यायनी की शरण लीजिये | प्रतिपदा के दिन कलश स्थापना के समय , संकल्प में अपना नाम गोत्र स्थान बोलने के पश्चात् अपने विवाह की याचना , प्रार्थना कीजिये | वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए प्रति दिन प्रातः सूर्योदय से प्रथम घंटे में या दोपहर ११ . ४० से १२ . ४० बजे के मध्य , कात्ययानी देवी का मन्त्र जाप करिये | १०८बार | उत्तर दिशा में मुँह हो , लाल वस्त्र हो जाप के समय | दीपक मौली या कलावे की वर्तिका हो | वर्तिका उत्तर दिशा की और हो | गाय का शुद्ध घी श्रेष्ठ अथवा तिल ( बाधा नाशक + महुआ ( सौभाग्य ) तैल मिला कर प्रयोग करे मां भागवती की कृपा से पूर्वजन्म जनितआपके दुर्योग एवं   व्यवधान समाप्त हो एवं   आपकी मनोकामना पूरी हो ऐसी शुभ कामना सहित || षष्ठी के दिन विशेष रूप से कात्यायनी के मन्त्र का २८ आहुति / १०८ आहुति हवन कर...

कलश पर नारियल रखने की शास्त्रोक्त विधि क्या है जानिए

हमे श्रद्धा विश्वास समर्पित प्रयास करने के बाद भी वांछित परिणाम नहीं मिलते हैं , क्योकि हिन्दू धर्म श्रेष्ठ कोटी का विज्ञान सम्मत है ।इसकी प्रक्रिया , विधि या तकनीक का पालन अनुसरण परमावश्यक है । नारियल का अधिकाधिक प्रयोग पुजा अर्चना मे होता है।नारियल रखने की विधि सुविधा की दृष्टि से प्रचलित होगई॥ मेरे ज्ञान  मे कलश मे उल्टा सीधा नारियल फसाकर रखने की विधि का प्रमाण अब तक नहीं आया | यदि कोई सुविज्ञ जानकारी रखते हो तो स्वागत है । नारियल को मोटा भाग पूजा करने वाले की ओर होना चाहिए। कलश पर नारियल रखने की प्रमाणिक विधि क्या है ? अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए , उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै प्राची मुखं वित्त्नाश्नाय , तस्माच्छुभम सम्मुख नारिकेलम अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए कलश पर - नारियल का बड़ा हिस्सा नीचे मुख कर रखा जाए ( पतला हिस्सा पूछ वाला कलश के उपरी भाग पर रखा जाए ) तो उसे शत्रुओं की वृद्धि होती है * ( कार्य सफलता में बाधाएं आती है संघर्ष , अपयश , चिंता , हानि , सहज हैशत्रु या विरोधी तन , मन धन सर्व दृष्टि से घातक होते है ) उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै कलश ...