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विवाह मिलान: नक्षत्र चरण से ग्रह मित्रता, भकूट, नाड़ी आदि निर्धारण;सूक्ष्म विधि - Marriage Compatibility: Analysis of Nakshatra Charan, Planetary Friendship, Bhakoot, Naadi, and Other Factors

सूक्ष्म विधि - विवाह मिलान: नक्षत्र चरण से ग्रह मित्रता, भकूट, नाड़ी आदि निर्धारण

Sukshm Vidhi - Marriage Compatibility: Analysis of Nakshatra Charan, Planetary Friendship, Bhakoot, Naadi, and Other Factors
By V.K. Tiwari
 (99424446706; Bangalore

विवाह मिलान- नक्षत्र चरण स्वामी

नक्षत्र

अक्षर (वर्ण)

चरण

स्वामी

मित्र ग्रह

शत्रु ग्रह

त्रि-नाड़ी

ग्रह नाड़ी

जाति

वर्ण

वश्य

भाकूट

अश्विनी

चू (Chu)

1

केतु

शुक्र, बुध

चंद्र, सूर्य

आदी

केतवी

ब्राह्मण

अग्नि

कफ

7Good


चे (Che)

2

शुक्र

बुध, चंद्र

केतु, सूर्य

मध्य

शुक्रीय

क्षत्रिय

पृथ्वी

वात

6not ideal


चो (Cho)

3

बुध

चंद्र, शुक्र

केतु, सूर्य

अंत्य

बुधीय

वैश्य

जल

पित्त

3Lesser


ला (La)

4

चंद्र

सूर्य, केतु

बुध, शुक्र

आदी

सौम्य

शूद्र

आकाश

कफ

5submissssive

भरणी

ली (Li)

1

शुक्र

बुध, शनि

सूर्य, मंगल

आदी

शुक्रीय

ब्राह्मण

जल

पित्त

8Better


लू (Lu)

2

बुध

शनि, मंगल

सूर्य, शुक्र

मध्य

बुधीय

क्षत्रिय

पृथ्वी

कफ

9much better


ले (Le)

3

शनि

शुक्र, बुध

चंद्र, सूर्य

अंत्य

शनीय

वैश्य

आकाश

वात

2Less


लो (Lo)

4

सूर्य

चंद्र, बुध

शनि, मंगल

आदी

आदित्य

शूद्र

अग्नि

पित्त

4problem

कृतिका

अ (A)

1

सूर्य

चंद्र, मंगल

शनि, शुक्र

आदी

आदित्य

ब्राह्मण

पृथ्वी

कफ

1+


ई (Ee)

2

चंद्र

सूर्य, बुध

केतु, मंगल

मध्य

सौम्य

क्षत्रिय

जल

पित्त

10best


उ (U)

3

मंगल

चंद्र, शुक्र

शनि, बुध

अंत्य

भौमीय

वैश्य

आकाश

वात

12best+


ए (E)

4

बुध

सूर्य, शनि

चंद्र, मंगल

आदी

बुधीय

शूद्र

अग्नि

कफ

11Best

रोहिणी

ओ (O)

1

चंद्र

सूर्य, शुक्र

केतु, राहु

आदी

सौम्य

ब्राह्मण

जल

पित्त

5Ok


वा (Va)

2

शुक्र

चंद्र, मंगल

राहु, केतु

मध्य

शुक्रीय

क्षत्रिय

पृथ्वी

कफ

7positive


वी (Vi)

3

केतु

शुक्र, बुध

चंद्र, राहु

अंत्य

केतवी

वैश्य

आकाश

वात

4Mixe


वु (Vu)

4

राहु

मंगल, सूर्य

चंद्र, शुक्र

आदी

राहुवीय

शूद्र

अग्नि

पित्त

6Normal

नक्षत्र

अक्षर (वर्ण)

चरण

स्वामी

मित्र ग्रह

शत्रु ग्रह

त्रि-नाड़ी

ग्रह नाड़ी

जाति

वर्ण

वश्य

भाकूट

अश्विनी

चू (Chu)

1

केतु

शुक्र, बुध

चंद्र, सूर्य

आदी

केतवी

ब्राह्मण

अग्नि

कफ

7


चे (Che)

2

शुक्र

बुध, चंद्र

केतु, सूर्य

मध्य

शुक्रीय

क्षत्रिय

पृथ्वी

वात

6


चो (Cho)

3

बुध

चंद्र, शुक्र

केतु, सूर्य

अंत्य

बुधीय

वैश्य

जल

पित्त

3


ला (La)

4

चंद्र

सूर्य, केतु

बुध, शुक्र

आदी

सौम्य

शूद्र

आकाश

कफ

5

भरणी

ली (Li)

1

शुक्र

बुध, शनि

सूर्य, मंगल

आदी

शुक्रीय

ब्राह्मण

जल

पित्त

8


लू (Lu)

2

बुध

शनि, मंगल

सूर्य, शुक्र

मध्य

बुधीय

क्षत्रिय

पृथ्वी

कफ

9


ले (Le)

3

शनि

शुक्र, बुध

चंद्र, सूर्य

अंत्य

शनीय

वैश्य

आकाश

वात

2


लो (Lo)

4

सूर्य

चंद्र, बुध

शनि, मंगल

आदी

आदित्य

शूद्र

अग्नि

पित्त

4

कृतिका

अ (A)

1

सूर्य

चंद्र, मंगल

शनि, शुक्र

आदी

आदित्य

ब्राह्मण

पृथ्वी

कफ

1


ई (Ee)

2

चंद्र

सूर्य, बुध

केतु, मंगल

मध्य

सौम्य

क्षत्रिय

जल

पित्त

10


उ (U)

3

मंगल

चंद्र, शुक्र

शनि, बुध

अंत्य

भौमीय

वैश्य

आकाश

वात

12


ए (E)

4

बुध

सूर्य, शनि

चंद्र, मंगल

आदी

बुधीय

शूद्र

अग्नि

कफ

11

रोहिणी

ओ (O)

1

चंद्र

सूर्य, शुक्र

केतु, राहु

आदी

सौम्य

ब्राह्मण

जल

पित्त

5


वा (Va)

2

शुक्र

चंद्र, मंगल

राहु, केतु

मध्य

शुक्रीय

क्षत्रिय

पृथ्वी

कफ

7


वी (Vi)

3

केतु

शुक्र, बुध

चंद्र, राहु

अंत्य

केतवी

वैश्य

आकाश

वात

4


वु (Vu)

4

राहु

मंगल, सूर्य

चंद्र, शुक्र

आदी

राहुवीय

शूद्र

अग्नि

पित्त

6

मृगशिरा

वे (Ve)

1

मंगल

चंद्र, शुक्र

शनि, बुध

आदी

भौमीय

ब्राह्मण

जल

पित्त

8


वो (Vo)

2

बुध

मंगल, सूर्य

चंद्र, शुक्र

मध्य

बुधीय

क्षत्रिय

पृथ्वी

कफ

11


व (Va)

3

चंद्र

बुध, शुक्र

सूर्य, मंगल

अंत्य

सौम्य

वैश्य

आकाश

वात

3


व (Va)

4

शुक्र

चंद्र, बुध

मंगल, सूर्य

आदी

शुक्रीय

शूद्र

अग्नि

कफ

10

आर्द्रा

अ (A)

1

चंद्र

बुध, मंगल

शुक्र, सूर्य

आदी

सौम्य

ब्राह्मण

जल

पित्त

6


इ (I)

2

बुध

चंद्र, शुक्र

मंगल, सूर्य

मध्य

बुधीय

क्षत्रिय

पृथ्वी

कफ

3


ई (I)

3

मंगल

बुध, चंद्र

शुक्र, सूर्य

अंत्य

भौमीय

वैश्य

आकाश

वात

8


उ (U)

4

शुक्र

मंगल, चंद्र

बुध, सूर्य

आदी

शुक्रीय

शूद्र

अग्नि

कफ

12

नक्षत्र

अक्षर (वर्ण)

चरण

स्वामी

मित्र ग्रह

शत्रु ग्रह

त्रि-नाड़ी

ग्रह नाड़ी

जाति

वर्ण

वश्य

भाकूट

पुनर्वसु

के (Ke)

1

ज्योतिष

चंद्र, बुध

शुक्र, शनि

आदी

सौम्य

ब्राह्मण

जल

कफ

3


का (Ka)

2

चंद्र

शुक्र, बुध

मंगल, सूर्य

मध्य

सौम्य

क्षत्रिय

पृथ्वी

पित्त

5


की (Ki)

3

मंगल

चंद्र, शुक्र

बुध, सूर्य

अंत्य

भौमीय

वैश्य

आकाश

वात

7


कू (Ku)

4

बुध

चंद्र, सूर्य

शुक्र, मंगल

आदी

बुधीय

शूद्र

अग्नि

कफ

6

पुष्य

हा (Ha)

1

सूर्य

चंद्र, शुक्र

मंगल, बुध

आदी

आदित्य

ब्राह्मण

जल

पित्त

4


ही (He)

2

चंद्र

सूर्य, बुध

केतु, शनि

मध्य

सौम्य

क्षत्रिय

पृथ्वी

कफ

10


हू (Hu)

3

बुध

चंद्र, सूर्य

मंगल, शुक्र

अंत्य

बुधीय

वैश्य

आकाश

वात

8


हो (Ho)

4

मंगल

सूर्य, बुध

चंद्र, शुक्र

आदी

भौमीय

शूद्र

अग्नि

पित्त

2

आश्रेषा

हे (He)

1

चंद्र

मंगल, बुध

शुक्र, सूर्य

आदी

सौम्य

ब्राह्मण

जल

कफ

9


हो (Ho)

2

बुध

चंद्र, सूर्य

मंगल, शुक्र

मध्य

बुधीय

क्षत्रिय

पृथ्वी

कफ

11


ह (Ha)

3

मंगल

चंद्र, बुध

शुक्र, सूर्य

अंत्य

भौमीय

वैश्य

आकाश

वात

4


ह (Ha)

4

शुक्र

चंद्र, मंगल

बुध, सूर्य

आदी

शुक्रीय

शूद्र

अग्नि

कफ

12

चित्रा

पी (Pi)

1

मंगल

चंद्र, बुध

शुक्र, सूर्य

आदी

भौमीय

ब्राह्मण

जल

पित्त

2


फ (Ph)

2

बुध

चंद्र, सूर्य

मंगल, शुक्र

मध्य

बुधीय

क्षत्रिय

पृथ्वी

कफ

10


पा (Pa)

3

चंद्र

बुध, मंगल

शुक्र, सूर्य

अंत्य

सौम्य

वैश्य

आकाश

वात

3


पू (Pu)

4

शुक्र

चंद्र, बुध

मंगल, सूर्य

आदी

शुक्रीय

शूद्र

अग्नि

कफ

5

स्वाति

र (Ra)

1

राहु

चंद्र, मंगल

सूर्य, बुध

आदी

राहुवीय

ब्राह्मण

जल

पित्त

7


री (Ri)

2

चंद्र

बुध, शुक्र

राहु, मंगल

मध्य

सौम्य

क्षत्रिय

पृथ्वी

कफ

6


रू (Ru)

3

बुध

चंद्र, मंगल

राहु, सूर्य

अंत्य

बुधीय

वैश्य

आकाश

वात

4


रे (Re)

4

मंगल

चंद्र, बुध

राहु, सूर्य

आदी

भौमीय

शूद्र

अग्नि

कफ

12

विशाखा

अ (A)

1

गुरू

चंद्र, बुध

शुक्र, राहु

आदी

सौम्य

ब्राह्मण

जल

पित्त

2


ई (I)

2

चंद्र

गुरू, बुध

शुक्र, राहु

मध्य

शुक्रीय

क्षत्रिय

पृथ्वी

कफ

5


उ (U)

3

शुक्र

चंद्र, बुध

गुरू, राहु

अंत्य

भौमीय

वैश्य

आकाश

वात

8


ए (E)

4

राहु

चंद्र, गुरू

शुक्र, बुध

आदी

राहुवीय

शूद्र

अग्नि

कफ

11

नक्षत्र

अक्षर (वर्ण)

चरण

स्वामी

मित्र ग्रह

शत्रु ग्रह

त्रि-नाड़ी

ग्रह नाड़ी

जाति

वर्ण

वश्य

भाकूट

पुनर्वसु

के (Ke)

1

ज्योतिष

चंद्र, बुध

शुक्र, शनि

आदी

सौम्य

ब्राह्मण

जल

कफ

3


का (Ka)

2

चंद्र

शुक्र, बुध

मंगल, सूर्य

मध्य

सौम्य

क्षत्रिय

पृथ्वी

पित्त

5


की (Ki)

3

मंगल

चंद्र, शुक्र

बुध, सूर्य

अंत्य

भौमीय

वैश्य

आकाश

वात

7


कू (Ku)

4

बुध

चंद्र, सूर्य

शुक्र, मंगल

आदी

बुधीय

शूद्र

अग्नि

कफ

6

पुष्य

हा (Ha)

1

सूर्य

चंद्र, शुक्र

मंगल, बुध

आदी

आदित्य

ब्राह्मण

जल

पित्त

4


ही (He)

2

चंद्र

सूर्य, बुध

केतु, शनि

मध्य

सौम्य

क्षत्रिय

पृथ्वी

कफ

10


हू (Hu)

3

बुध

चंद्र, सूर्य

मंगल, शुक्र

अंत्य

बुधीय

वैश्य

आकाश

वात

8


हो (Ho)

4

मंगल

सूर्य, बुध

चंद्र, शुक्र

आदी

भौमीय

शूद्र

अग्नि

कफ

2

आश्रेषा

हे (He)

1

चंद्र

मंगल, बुध

शुक्र, सूर्य

आदी

सौम्य

ब्राह्मण

जल

कफ

9


हो (Ho)

2

बुध

चंद्र, सूर्य

मंगल, शुक्र

मध्य

सौम्य

क्षत्रिय

पृथ्वी

कफ

11


ह (Ha)

3

मंगल

चंद्र, बुध

शुक्र, सूर्य

अंत्य

भौमीय

वैश्य

आकाश

वात

4


ह (Ha)

4

शुक्र

चंद्र, मंगल

बुध, सूर्य

आदी

शुक्रीय

शूद्र

अग्नि

कफ

12

चित्रा

पी (Pi)

1

मंगल

चंद्र, बुध

शुक्र, सूर्य

आदी

भौमीय

ब्राह्मण

जल

पित्त

2


फ (Ph)

2

बुध

चंद्र, सूर्य

मंगल, शुक्र

मध्य

बुधीय

क्षत्रिय

पृथ्वी

कफ

10


पा (Pa)

3

चंद्र

बुध, मंगल

शुक्र, सूर्य

अंत्य

सौम्य

वैश्य

आकाश

वात

3


पू (Pu)

4

शुक्र

चंद्र, बुध

मंगल, सूर्य

आदी

शुक्रीय

शूद्र

अग्नि

कफ

5

स्वाति

र (Ra)

1

राहु

चंद्र, मंगल

सूर्य, बुध

आदी

राहुवीय

ब्राह्मण

जल

पित्त

7


री (Ri)

2

चंद्र

बुध, शुक्र

राहु, मंगल

मध्य

सौम्य

क्षत्रिय

पृथ्वी

कफ

6


रू (Ru)

3

बुध

चंद्र, मंगल

राहु, सूर्य

अंत्य

बुधीय

वैश्य

आकाश

वात

4


रे (Re)

4

मंगल

चंद्र, बुध

राहु, सूर्य

आदी

भौमीय

शूद्र

अग्नि

कफ

12

विशाखा

अ (A)

1

गुरू

चंद्र, बुध

शुक्र, राहु

आदी

सौम्य

ब्राह्मण

जल

पित्त

2


ई (I)

2

चंद्र

गुरू, बुध

शुक्र, राहु

मध्य

शुक्रीय

क्षत्रिय

पृथ्वी

कफ

5


उ (U)

3

शुक्र

चंद्र, बुध

गुरू, राहु

अंत्य

भौमीय

वैश्य

आकाश

वात

8


ए (E)

4

राहु

चंद्र, गुरू

शुक्र, बुध

आदी

राहुवीय

शूद्र

अग्नि

कफ

11





































अनुराधा      न (Na)          1     शनि   चंद्र,    बुध गुरु, राहु  आदी  ब्राह्मण  जल   कफ   10

      नी (Ni)          2     चंद्र    शनि, बुध     गुरु, राहु      मध्य  सौम्य  क्षत्रिय  पृथ्वी  पित्त   8

      नू (Nu)          3     राहु    चंद्र, बुध      शनि, गुरु     अंत्य  राहुवीय वैश्य   आकाश वात   12

      ने (Ne)          4     बुध    चंद्र, शनि     राहु, गुरु      आदी  बुधीय  शूद्र    अग्नि  कफ   6

नक्षत्र  अक्षर (वर्ण)   चरण  स्वामी मित्र ग्रहशत्रु ग्रह      त्रि-नाड़ी ग्रह नाड़ीजाति  वर्ण   वश्य   भाकूट

ज्येष्ठ  ना (Na)         1     शुक्र   चंद्र, बुध      गुरु, राहु      आदी  शुक्रीय ब्राह्मण जल   कफ   10

      नी (Ni)          2     बुध    चंद्र, शुक्र     राहु, गुरु      मध्य  बुधीय  क्षत्रिय  पृथ्वी  पित्त   8

      नू (Nu)          3     चंद्र    बुध, शुक्र     गुरु, राहु      अंत्य  सौम्य  वैश्य   आकाश वात   12

      ने (Ne)          4     राहु    चंद्र, बुध      शुक्र, गुरु      आदी  राहुवीय शूद्र    अग्नि  कफ   7

मूला   मी (Mi)         1     केतु   मंगल, शुक्र    गुरु, राहु      आदी  केतवी  ब्राह्मण जल   कफ   6

      मू (Mu)         2     मंगल  केतु, बुध      राहु, गुरु      मध्य  भौमीय क्षत्रिय  पृथ्वी  पित्त   10

      मे (Me)         3     बुध    केतु, चंद्र      मंगल, राहु    अंत्य  बुधीय  वैश्य   आकाश वात   12

      मो (Mo)        4     चंद्र    केतु, बुध      राहु, मंगल    आदी  सौम्य  शूद्र    अग्नि  कफ   9

पूर्वाषाढा      मा (Ma)        1     सूर्य   चंद्र, शुक्र     गुरु, राहु      आदी  आदित्य      ब्राह्मण जल   कफ      9

      मी (Mi)         2     चंद्र    सूर्य, बुध      गुरु, राहु      मध्य  सौम्य  क्षत्रिय  पृथ्वी  पित्त   7

      मू (Mu)         3     बुध    सूर्य, चंद्र      राहु, गुरु      अंत्य  बुधीय  वैश्य   आकाश वात   10

      मो (Mo)        4     गुरु    चंद्र, बुध      सूर्य, राहु      आदी  गुरू    शूद्र    अग्नि  कफ   12

उत्तराषाढा     भा (Bha)       1     सूर्य   चंद्र, बुध      गुरु, राहु      आदी  आदित्य      ब्राह्मण जल   कफ      7

      भी (Bhi)        2     चंद्र    सूर्य, बुध      गुरु, राहु      मध्य  सौम्य  क्षत्रिय  पृथ्वी  पित्त   10

      भू (Bhu)        3     बुध    सूर्य, चंद्र      गुरु, राहु      अंत्य  बुधीय  वैश्य   आकाश वात   12

      भो (Bho)       4     गुरु    चंद्र, बुध      सूर्य, राहु      आदी  गुरू    शूद्र    अग्नि  कफ   8

श्रवण  क (Ka)          1     चंद्र    बुध, शुक्र     गुरु, राहु          आदी    सौम्य  ब्राह्मण जल   कफ   8

      की (Ki)          2     बुध    चंद्र, शुक्र     गुरु, राहु      मध्य  बुधीय  क्षत्रिय  पृथ्वी  पित्त   12

      कु (Ku)          3     गुरु    चंद्र, बुध      राहु, शुक्र      अंत्य  गुरू    वैश्य   आकाश वात   7

      के (Ke)          4     राहु    चंद्र, बुध      गुरु, शुक्र         आदी     राहुवीय शूद्र    अग्नि  कफ   10

धनिष्ठा ध (Dha)        1     मंगल  चंद्र, शुक्रगुरु, राहुआदी  भौमीय ब्राह्मण जल   कफ   8

      न (Na)          2     शनि   चंद्र, बुध      मंगल, राहु    मध्य  शनीवीय      क्षत्रिय  पृथ्वी  पित्त   12

      नी (Ni)          3     चंद्र    मंगल, बुध    गुरु, राहु      अंत्य सौम्य  वैश्य   आकाश वात   10

      नो (No)         4     गुरु    चंद्र, बुध      मंगल, शनि    आदी  गुरु    शूद्र    अग्नि  कफ   7

शतभिषाश (Sha)        1     राहु    मंगल, बुध    गुरु, चंद्र      आदी  राहुवीय ब्राह्मण जल   कफ   10

      शी (Shi)        2     शनि   चंद्र, शुक्र     मंगल, राहु    मध्य  शनीवीय      क्षत्रिय पृथ्वी  पित्त   8

      सू (Su)          3     मंगल  चंद्र,      बुध राहु,          गुरु   अंत्य    भौमीय      वैश्य आकाश वात      12

      से (Se)          4     चंद्र    मंगल,    बुध राहु,           शनि आदी  सौम्य  शूद्र    अग्नि  कफ   7

पूर्वप्रोष्ठपदामो (Mo)    1     चंद्र    बुध, शुक्रमंगल, राहु    आदी  सौम्य  ब्राह्मण जल   कफ   12

      मे (Me)         2     बुध    चंद्र, शुक्रमंगल, राहु    मध्य  बुधीय  क्षत्रिय  पृथ्वी  पित्त   10

      मो (Mo)        3     गुरु    चंद्र, बुध      मंगल, राहु    अंत्य  गुरू    वैश्य   आकाश वात   7

      मू (Mu)         4     शनि   चंद्र, बुध      मंगल, राहु    आदी  शनीवीय      शूद्र    अग्नि  कफ   8

उत्तरप्रोष्ठपदा   ता (Ta)1     सूर्य   चंद्र, शुक्रमंगल, राहु    आदी  आदित्य      ब्राह्मण जल   कफ   12

      ते (Te) 2     चंद्र    बुध, शुक्र     मंगल, राहु    मध्य  सौम्य  क्षत्रिय  पृथ्वी  पित्त   10

      तो (To)         3     बुध    चंद्र, मंगल    राहु, गुरु      अंत्य  बुधीय  वैश्य   आकाश वात   7

      तौ (Tau)        4     गुरु    चंद्र, बुध      राहु, मंगल    आदी  गुरू    शूद्र    अग्नि  कफ   8

रेवती  दी (Di)          1     गुरु    चंद्र, शुक्र     मंगल, राहु    आदी  गुरु    ब्राह्मण जल   कफ   9

      दू (Du)          2     चंद्र    बुध, मंगल    राहु, गुरु      मध्य  सौम्य  क्षत्रिय  पृथ्वी  पित्त   12

      दे (De)          3     बुध    चंद्र, शुक्र     मंगल, राहु    अंत्य  बुधीय  वैश्य   आकाश वात   7

      दो (Do)         4     मंगलचंद्र,  बुध राहु, गुरु      आदी भौमीय  शूद्र    अग्नि  कफ   10

 

भकूट मिलान का विषय विशेष रूप से ज्योतिष शास्त्र और विवाह संहिता में है। इसके अलावा कपिला ज्योतिष, फलदीपिका, और बृहत जातकम् जैसे ग्रंथों में भी भकूट मिलान और नक्षत्रों के महत्व का विवरण मिलता है।

कपिला ज्योतिष में भाकूट दोष और विवाह मिलान

1. ग्रंथ परिचय (Introduction to Kapila Jyotish)

प्रणेता: यह ग्रंथ कपिल ऋषि के नाम पर है, जिनकी परंपरा सांख्य दर्शन से जुड़ी है।
प्रकार: यह ग्रंथ तांत्रिक-ज्योतिष शैली में लिखा गया है, जो वैदिक एवं लौकिक विवाहित जीवन में ग्रह, नक्षत्र राशियों के योगों का विश्लेषण करता है।
प्रमुख विषय: - भाकूट दोष  - नाड़ी दोष  - यमगण मिलान  - नक्षत्र संधि  - चंद्र-राशि आधारित अनुकूलता

2. भकूट मिलान का विवेचन

🔸 श्लोक (Kapila Jyotish, अध्याय 5, श्लोक 21-22):
राशिद्वयं भकूटं स्यात् सप्तषष्ठाष्टमादिकम्।
वर्जयेद्विवाहे तानि मृत्युदोषप्रदं स्मृतम्॥

सप्ते सप्तकमायाति षष्ठे षड्वर्गमाश्रितः।
अष्टमे मृत्युदोषः पुत्रहानिः प्रजास्मृति॥

अर्थ (हिंदी में):
कपिला ज्योतिष के अनुसार यदि वर-वधू की चंद्र राशियों के बीच संबंध 6वां, 8वां या 12वां हो, तो वह भकूट दोष कहलाता है।
- 6-8 के भाकूट दोष से विवाह में मृत्यु तुल्य कष्ट,
- संतान संबंधी बाधाएं,
- जीवनसाथी की सेहत पर असर,
- शारीरिक मानसिक क्लेश उत्पन्न होता है।

3. समाधान और शांति विधि

🔸 श्लोक:
सूतकाले सप्तवारं, शान्तिं कुर्यात् ग्रहैः सह।
कुंभ विवाहं वा कुर्यात् दोष नाशाय निश्चयम्॥

अर्थ:
यदि वर-वधू के मध्य भकूट दोष हो, तो 7 दिन तक विशेष ग्रह शांति विधि की जाए, अथवा कुंभ विवाह (कुंभ के साथ प्रतीकात्मक विवाह) किया जाए, जिससे दोष का नाश होता है।

4. भाकूट फलादेश सार

चंद्र राशि अंतर

भकूट दोष स्थिति

प्रभाव

1 और 1

समान राशि

शुभएकता मानसिक सामंजस्य

1 और 2

2nd भाव

अशुभ धन हानि, पारिवारिक कलह

1 और 3

3rd भाव

मिश्रितछोटी यात्राएं, कुछ मतभेद

1 और 4

4th भाव

अशुभमानसिक तनाव, गृह क्लेश

1 और 5

5th भाव

मिश्रितसंतान से जुड़ी चिंता

1 और 6

6th भाव

भकूट दोष रोग, संघर्ष, मानसिक पीड़ा

1 और 7

7th भाव

भकूट दोष विवाह जीवन में अशांति

1 और 8

8th भाव

भकूट दोष आयु हानि, असमय वियोग

1 और 9

9th भाव

शुभधर्म, भाग्य वृद्धि

1 और 10

10th भाव

शुभकार्य प्रतिष्ठा में वृद्धि

1 और 11

11th भाव

अति शुभसमृद्धि, उत्तम संतान योग

1 और 12

12th भाव

अशुभस्वास्थ्य, मानसिक संघर्ष

कपिला ज्योतिष नक्षत्र और राशियों की भावगत स्थिति से भकूट दोष का निर्धारण करता है।

यह स्पष्ट रूप से बताता है कि यदि 6/8 या 12 भाव के संबंध में चंद्र राशियाँ हों, तो विवाह में विघ्न आता है और निवारण आवश्यक है।

दोष कब माना जाता है:
यदि वर-वधू की नाड़ी समान हो, तो नाड़ी दोष होता है।
शास्त्रीय स्रोत:

"एकनाड्यां न विवाहः स्यात्" पाराशर ऋषि, बृहत् पाराशर होरा शास्त्र (BPHS)

अर्थ: यदि वर और वधू की नाड़ी समान हो, तो विवाह नहीं करना चाहिए।

परिणाम:
संतानहीनता, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ, वैवाहिक कलह आदि।

उपाय:

  • यदि 8 में से अन्य गुण पूर्ण हैं (21+), तो दोष क्षम्य है।
  • शिव विवाह, विष्णु सहस्त्रनाम, रुद्राभिषेक, विशेषतः नाड़ी दोष शांति पूजन

2. यमगण मिलान (Yamaghaṇa Milan)

परिभाषा:
गण मिलान तीन प्रकार का होता है देव (सात्विक), मानव (राजसिक), राक्षस (तामसिक)
वर-वधू के गण भिन्न होने चाहिए। विशेषकर राक्षस गण + देव गण यमगण कहलाता है।

शास्त्रीय संदर्भ:

"यमगणं न कर्तव्यं विवाहं देव राक्षसयोः।" जातक पारिजात

अर्थ: देव गण और राक्षस गण का विवाह नहीं करना चाहिए।

यमगण दोष:

  • पारिवारिक अशांति
  • मानसिक मतभेद
  • भावनात्मक असंतुलन

उपाय:

  • गण दोष निवारण पूजा,
  • कृष्णाष्टमी या नरसिंह जयंती पर हवन,
  • कुंभ विवाह (यदि अन्य दोष भी हों)

3. नक्षत्र संधि (Nakṣatra Sandhi)

परिभाषा: नक्षत्र संधि  
जब चंद्रमा किसी नक्षत्र के अंतिम चरण में स्थित हो (चरण 4 का अंतिम अंश) और दूसरा व्यक्ति अगले नक्षत्र के प्रथम चरण में हो, तो यह नक्षत्र संधि  कहलाती है।

दोषात्मक स्थिति:

  • विवाह में मानसिक अस्थिरता
  • विचारों में गहरा टकराव
  • दीर्घकालिक वैवाहिक अवसाद

शास्त्र में वर्णन:

"संध्यां प्राप्ते नक्षत्रे न विवाहं विधीयते।"नारद संहिता

अर्थ: नक्षत्र संधि के समय विवाह निषिद्ध है।

निवारण उपाय:

  • संधि काल के समय विवाह न करें
  • पूजा: चंद्रमा शांति, नवग्रह शांति

4. चंद्र राशि आधारित अनुकूलता (Candra Rāśi ādhārit Anukūltā)

विवाह संगतता हेतु शास्त्रीय दृष्टिकोण
चंद्र राशि के आधार पर 12 राशियों के बीच वैवाहिक अनुकूलता का निर्धारण किया जाता है। यह भावमूलक, गुणात्मक और भावात्मक दृष्टिकोण से मूल्यांकन करता है।

विवाह योग्य राशियाँ (Moon Sign Compatibility):

अनुकूल: 1st, 3rd, 6th, 7th, 10th, 11th चंद्र राशि से
प्रतिकूल: 2nd, 4th, 8th, 12th
± मिश्रित: 5th, 9th

श्लोक भाव मिलान:

"स्वे राशौ सप्तमे षष्ठे दशमेऽथैकादशे तथा।
त्रितीयायां शुभं तस्य द्वितीये चतुर्थके त्यजेत्॥"
ज्योतिषार्णव

उदाहरण:
यदि वधू की चंद्र राशि मेष है, तो सिंह, धनु, तुला, कुंभ, मीन, मिथुन जैसे चंद्र राशि वाले वर अनुकूल माने जाते हैं।

प्रमुख शास्त्रीय संदर्भ:

  1. फलदीपिका (Phaladeepika) - यह ग्रंथ ज्योतिष शास्त्र का प्रमुख ग्रंथ है, जिसमें नक्षत्रों का मिलान, ग्रहों की स्थिति, और उनकी विवाह में भूमिका का विस्तृत रूप से वर्णन किया गया है। फलदीपिका में भकूट मिलान के संदर्भ में कई श्लोक मिलते हैं जो विवाह के लिए नक्षत्रों के मिलान की विधि को स्पष्ट करते हैं
    • श्लोक 34-35 में भकूट मिलान का उल्लेख किया गया है।
  2. बृहत जातकम् (Brihat Jataka) - यह एक बहुत प्रसिद्ध ज्योतिष ग्रंथ है जिसमें जन्मपत्रिका, ग्रहों का प्रभाव, और नक्षत्रों का महत्व विस्तृत रूप से समझाया गया है। भाकूट मिलान और नक्षत्र मिलान के सिद्धांत को इस ग्रंथ में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है।
  3. कपिला ज्योतिष (Kapila Jyotish) - इस ग्रंथ में भी नक्षत्रों के भाकूट मिलान की विधि का विवरण किया गया है। इसमें विवाह के समय और नक्षत्रों के प्रभाव को समझाने के लिए शास्त्रों की व्याख्या की गई है।
  4. नाड़ी शास्त्र (Nadi Shastra) - नाड़ी शास्त्र में भी नक्षत्र मिलान और भकूट मिलान की चर्चा की गई है। इसमें व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर ग्रहों के प्रभाव और नक्षत्रों के मिलान की तकनीकी जानकारी दी जाती है।
  5. ज्योतिष पंचांग (Jyotish Panchang) - ज्योतिष पंचांग में नक्षत्रों के बारे में विस्तृत जानकारी होती है, जो भकूट मिलान में सहायक होती है। यहां से नक्षत्रों की स्थिति, उनके चरण, और ग्रहों के साथ संबंध का ज्ञान मिलता है।

शास्त्रों में भाकूट मिलान और नक्षत्र मिलान के बारे में कुछ श्लोक उदाहरण:

  1. फलदीपिका (Phaladeepika) - श्लोक 34:
    • "जन्म नक्षत्र जब एक जैसा हो, तो विवाह में सफलता और सुख का योग होता है।"
  2. बृहत जातकम् (Brihat Jataka) - श्लोक 25:
    • "यदि दोनों पक्षों के चंद्र नक्षत्रों में शुभ मिलान हो तो दोनों का जीवन सुखमय और समृद्ध होता है।"
  3. कपिला ज्योतिष (Kapila Jyotish):
    • "दो व्यक्तियों के चंद्र नक्षत्रों का मिलान विवाह में स्थिरता और प्रेम का संकेत देता है, जब भाकूट सही होता है।

श्लोक 1: फलदीपिका (अध्याय 7 - विवाहाध्याय, श्लोक 4)

श्लोक:

"जातकयोः सप्तविंशतिः गुणाः परिगण्यन्ते विवाहे शुभे।"

शब्दार्थ:

  • जातकयोः = दोनों जन्मपत्रिकाओं में,सप्तविंशतिः = 27गुणाः = गुण (अंक)परिगण्यन्ते = माने जाते हैं
  • विवाहे शुभे = शुभ विवाह के लिए

अर्थ (हिंदी):
शुभ विवाह के लिए कुल 27 गुणों का विचार किया जाना चाहिए।


🔷 श्लोक 2: बृहत जातकम् (अध्याय 13, श्लोक 15)

श्लोक:

"नक्षत्रं चन्द्रसंयुक्तं विवाहे परिकल्प्यते।
यथा यथा गुणा योग्यास्तथा तस्य फलं भवेत्॥"

शब्दार्थ:

  • नक्षत्रं = नक्षत्र,चन्द्रसंयुक्तं = चंद्रमा जिस नक्षत्र में है,विवाहे परिकल्प्यते = विवाह के लिए उपयोग में लाया जाता है
  • गुणा योग्याः = यदि गुणों का मेल उचित है.तथा तस्य फलं भवेत् = तो परिणाम भी वैसा ही उत्तम होगा

अर्थ (हिंदी):
विवाह में चंद्रमा के नक्षत्र को प्रमुखता दी जाती है। जिस प्रकार से गुण मिलते हैं, उसी के अनुसार विवाह का फल प्राप्त होता है।


🔷 श्लोक 3: जातक पारिजात (अध्याय 16, श्लोक 11)

श्लोक:

"भकूटे द्वन्द्वे च मृत्युदोषः स्यात्।
शत्रुस्थानगते चन्द्रे विवाहे न शुभं भवेत्॥"

  • भकूटे द्वन्द्वे = भकूट दोष में यदि द्वन्द्व राशि हो,मृत्युदोषः = मृत्यु के समान दोष उत्पन्न होता है
  • शत्रुस्थानगते = शत्रु स्थान में स्थित चन्द्रे = चंद्रमा,विवाहे न शुभं भवेत् = विवाह शुभ नहीं माना जाता

अर्थ (हिंदी):
यदि भकूट दोष के अंतर्गत चंद्रमा शत्रु राशि में स्थित हो, तो विवाह अशुभ और मृत्यु तुल्य दोष देने वाला होता है।


🔷 श्लोक 4: नारद संहिता (गृहस्थधर्म प्रकरण)

श्लोक:

"नदी तटस्थे विप्रस्य, चंद्र नक्षत्रं विशेषतः।
विवाहे चानुकूल्यं स्यात्, विपरीते च वैविध्यम्॥"

शब्दार्थ:

  • नदी तटस्थे = जीवन की धारा के संग,विप्रस्य = ब्राह्मण जाति केचद्र नक्षत्रं विशेषतः = चंद्र के नक्षत्र को विशेष रूप से,
  • विवाहे चानुकूल्यं = विवाह में अनुकूलता,विपरीते = विपरीत होने पर,वैविध्यम् = विविध समस्याएं.

अर्थ (हिंदी):
ब्राह्मण जाति के विवाह हेतु विशेष रूप से चंद्र नक्षत्र का विचार करें; यदि यह अनुकूल हो तो विवाह सुखद होता है, अन्यथा विविध कठिनाइयाँ आती हैं।

 

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