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Shivratri Monthly– Chaturdashi Tithi: Auspicious Timings, Puja Samagri, Vartika Color, Puja Vidhi, Deepak, and Bhog Items मासिक शिवरात्रि – चतुर्दशी तिथि: शुभ मुहूर्त, पूजा सामग्री, वर्तिका का रंग, पूजा विधि, दीपक, भोज्य पदार्थ-26.4.2025

 Monthly Shivratri – Chaturdashi Tithi: Auspicious Timings, Puja Samagri, Vartika Color, Puja Vidhi, Deepak, and Bhog Items
मासिक शिवरात्रि चतुर्दशी तिथि: शुभ मुहूर्त, पूजा सामग्री, वर्तिका का रंग, पूजा विधि, दीपक, भोज्य पदार्थ-26.4.2025

 1. शिवपुराण में चतुर्दशी तिथि का महत्व

शिवपुराण में उल्लेख है कि चतुर्दशी तिथि के स्वामी स्वयं भगवान शिव हैं। इस तिथि को "शिवरात्रि" के रूप में जाना जाता है, और यह शिवभक्तों के लिए अत्यंत पवित्र मानी जाती है।

"चतुर्दश्यां निशायां तु यः कुर्याद् शिवपूजनम्।
स याति परमं स्थानं शिवेन सह मोदते॥"शिवपुराण, विधेश्वरसंहिता

अर्थात, जो व्यक्ति चतुर्दशी की रात्रि में भगवान शिव की पूजा करता है, वह परम स्थान को प्राप्त करता है और शिव के साथ आनंदित होता है।


📖 2. रामायण में चतुर्दशी तिथि का संदर्भ

वाल्मीकि रामायण में भगवान राम द्वारा शिव की आराधना का वर्णन है। विशेष रूप से, रामेश्वरम में भगवान राम ने शिवलिंग की स्थापना की थी, जिसे "रामनाथस्वामी" कहा जाता है।

"रामोऽपि राघवश्रेष्ठः पूजयित्वा महेश्वरम्।
लिंगं स्थापयामास तत्रैव गिरिसन्निभम्॥"
वाल्मीकि रामायण, उत्तरकांड

अर्थात, श्रेष्ठ राघव राम ने महेश्वर की पूजा करके वहां गिरि के समान लिंग की स्थापना की।

  • गर्ग संहिता में चतुर्दशी तिथि को "उग्रा" और "क्रूरा" कहा गया है, जो उग्रता और शक्ति का प्रतीक है।

"उग्रा चतुर्दशी विंध्याद्दारुण्यत्र कारयेत्।
बन्धनं रोधनं चैव पातनं च विशेषतः॥"
गर्ग संहिताअर्थात, चतुर्दशी तिथि उग्र और क्रूर मानी जाती है, जिसमें बंधन, रोधन और पातन जैसे कार्य विशेष रूप से किए जाते हैं।भारतकोश के अनुसार, चतुर्दशी तिथि की अमृतकला को स्वयं भगवान शिव ही पीते हैं।"चतुर्दशी तिथि की अमृतकला को स्वयं भगवान शिव ही पीते है

 🍽 शिव पूजा के - भोजन नियम (Shiv Puja Bhojan Niyam)

1. वर्जित भोजन (Forbidden Foods)

शिव पूजा और विशेष रूप से मासिक शिवरात्रि - नियम शास्त्रों और पुराणों हैं, ताकि शरीर और मन शुद्ध रहें और पूजा में समर्पण भाव बना रहे।

वर्जित भोज्य पदार्थ:

  • लहसुन (Garlic): लहसुन को तामसिक (रजसिक) माना जाता है और यह मानसिक संतुलन को प्रभावित कर सकता है।
    • प्रमाण:"लहसुनं तामसी वस्तु यमस्य प्रियं" स्कंद पुराण
  • प्याज (Onion): प्याज भी तामसिक होता है, जिससे शरीर और मन में उत्तेजना उत्पन्न होती है।
    • प्रमाण:"प्याजं तामसिकं माना चोत्तमं नाशयेत्" शिव महापुराण
  • मांसाहार (Non-Veg Foods): मांसाहार से परहेज करना आवश्यक है, क्योंकि यह तामसिक भोजन की श्रेणी में आता है और आध्यात्मिक उन्नति में बाधक हो सकता है।
    • प्रमाण:"मांसं तामसिकं बलं शारीरिकं रजसात्मकं" उपनिषद्
  • अनाज और अन्न (Grains and Cereals): अनाज और अन्न का सेवन विशेष रूप से उपवास के दिन नहीं किया जाता।
    • प्रमाण:"अन्नाहारं त्यजेत् भक्तः शिवमर्चन केल्यः" शिवपुराण
  • तामसिक भोजन (Tamasic Foods): तामसिक भोजन में मिष्ठान, शराब, तैलीय और मसालेदार वस्तुएं आती हैं, जिन्हें इन दिनों से दूर रखना चाहिए।
    • प्रमाण:
      "
      तामसी भोजनं त्यज्यं नित्यं साधुजनैः समम्" भगवद्गीता
    •  🍽भोजन नियम

    • वर्जित भोजन: लहसुन, प्याज, मांसाहार, अन्न, अनाज, और तामसिक भोजन से परहेज करेंअनुशंसित भोजन: फलाहार, दूध, और उपवास के लिए उपयुक्त आहार लें​

अनुशंसित भोज्य पदार्थ:

  • फलाहार (Fruits): पूजा के दिन विशेष रूप से फलाहार (फलों का सेवन) करना चाहिए। यह आहार पवित्र और सात्विक होता है।
    • प्रमाण:
      "
      फलाहारं सर्वस्य भक्तस्य शांति दायकं" शिवपुराण
  • दूध (Milk): दूध का सेवन शुद्धता और सात्विकता का प्रतीक है। यह शरीर को शक्ति प्रदान करता है।
    • प्रमाण:
      "दुग्धं शिवाय समर्प्य भक्तिसंयुक्तं कुर्वते" स्कंद पुराण
  • सादा आहार (Simple Foods): उपवास में साधारण और सात्विक आहार जैसे कच्ची सब्जियाँ, शहद, घी और अन्य शुद्ध पदार्थ उपयोगी होते हैं।
    • प्रमाण:
      "
      सात्विकं भोजनं त्यक्त्वा रजसिकं तामसिकं" भगवद्गीता
    •  
      🛕 भगवान शिव की पूजा सामग्री

 🪔 1. दीपक की धातु (Lamp Metal)

प्रमाण: शिवपुराण, रुद्रसंहिता, अध्याय 18
ताम्रयंत्रसमायुक्तं दीपं दत्वा द्विजोत्तमे।
संपूज्य शंकरं भक्त्या प्राप्नोति परमां गतिम्॥

अर्थ: जो व्यक्ति तांबे के पात्र से दीप दान करता है तथा भक्तिपूर्वक शिव की पूजा करता है, वह परम गति को प्राप्त करता है।

तांबे (Tamra) या पीतल (Kansa) का दीपक सर्वश्रेष्ठ माना गया है शिव पूजा के लिए।

🧵 2. वर्तिका का रंग (Wick Color)प्रमाण: स्कंद पुराण, काशी खंड

श्वेतवर्तिकया दीपं यो ददाति शिवालये।
सर्वपापविनिर्मुक्तः शिवलोकं स गच्छति॥

अर्थ: जो व्यक्ति सफेद वर्तिका (कॉटन या पीले कपड़े से बनी बाती) से दीपदान करता है, वह समस्त पापों से मुक्त होकर शिवलोक को प्राप्त करता है।सफेद या पीली बाती शुद्धता और सात्त्विकता की प्रतीक है।

🧭 3. पूजा की दिशा (Direction for Worship)प्रमाण: वायुपुराण एवं वास्तुशास्त्र

पूर्वे मुखेन सम्पूज्यं देवदेवं महेश्वरम्।
उत्तराभिमुखं चैव फलप्रदं विशेषतः॥

अर्थ: भगवान शिव की पूजा पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।पूर्व या उत्तर दिशा में मुख रखकर शिव पूजन करें।


🕰पूजा का सर्वोत्तम समय

रात्रि का समय, विशेष रूप से मध्यरात्रि (11:57 PM से 12:40 AM), शिव पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है ।​


🛕 पूजा विधि (संक्षेप में)

  1. स्नान और शुद्धिकरण: प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें
  2. व्रत का संकल्प: दिनभर उपवास का संकल्प लें
  3. पूजा स्थल की तैयारी: पूर्व या उत्तर दिशा में शिवलिंग स्थापित करें
  4. अभिषेक: शिवलिंग पर पंचामृत और गंगाजल से अभिषेक करें
  5. अर्पण: बेलपत्र, पुष्प, धतूरा, चंदन, और फल अर्पित करें
  6. मंत्र जाप: "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप करें
  7. आरती और भजन: शिव आरती और भजन गाएं
  8. प्रसाद वितरण: पूजा के पश्चात प्रसाद वितरण करेंt

🔁 अर्पण सामग्री

  • दिन में: बेलपत्र, पुष्प, फल, और धूप अर्पित करें
  • रात्रि में: दीपक, कपूर, और मंत्र जाप के साथ शिवलिंग पर अभिषेक करें.

3. उपवास संबंधी विशेष निर्देश (Special Instructions for Fasting)

  • उपवास का उद्देश्य: उपवास का मुख्य उद्देश्य आत्म-नियंत्रण और मानसिक शुद्धता है। यह शरीर को शक्ति और आत्मा को शुद्ध करता है।
    • प्रमाण:
      "
      उपवासे पूर्णं पुण्यं तपःशीलं विधीयते" विष्णु पुराण
  • उपवास के दौरान भोजन का चयन: उपवास के दौरान केवल फल, दूध, शहद, और शुद्ध जल का सेवन करना चाहिए।                                                

4. पूजा और उपवास के समय अनुशासन (Discipline During Worship and Fasting)

  • दिन और रात में भोजन: दिन के समय विशेष रूप से फलाहार और दूध का सेवन करें। रात में यदि पूजा करते हैं तो उपवास रखें और भोजन की सीमित मात्रा रखें।
  • 📅 तिथि और शुभ मुहूर्त

  • तिथि: (वैशाख मास, कृष्ण पक्ष चतुर्दशी)
  • रात्रि पूजा मुहूर्त: रात 11:57 बजे से 27 अप्रैल को 12:40 बजे तक

रात्रि पूजा विधि (Night-time Worship)

  1. शिव महापुराण"शिवरात्रिव्रतेन साक्षात् शिवं प्राप्तुमर्हति"
    (
    शिवरात्रि का व्रत करने से शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है)
  2. स्कंद पुराण"रात्रि पूजा सर्वं दोषं नाशयति"
    (
    रात्रि में शिव की पूजा करने से सारे दोष समाप्त हो जाते हैं)इस समय किए गए कार्यों का कई गुना फल मिलता है।
  1. व्रति का संकल्प (Vrat Sankalp):
    • रात्रि पूजा से पहले संकल्प लें कि आप इस विशेष दिन का व्रत करेंगे और रातभर पूजा करेंगे।
    • मंत्र: "ॐ रात्रि पूजन हेतु संकल्पमण्यं शिवाय नमः"
  2. रात्रि का अभिषेक (Night-time Abhishek):
    • रात्रि के समय पुनः शिवलिंग पर पंचामृत और शुद्ध जल से अभिषेक करें।
    • मंत्र: "ॐ नमः शिवाय" (अभिषेक के दौरान मंत्र जप करें)
  3. शिवरात्रि महामंत्र जप (Recite Maha Mantra):
    • रात्रि में शिवरात्रि महामंत्र का जप अत्यंत प्रभावी होता है।
    • मंत्र: "ॐ नमः शिवाय" (रात्रि के समय विशेष रूप से यह मंत्र जपें)
  4. रात्रि आरती (Night-time Aarti):
    • रात्रि में विशेष रूप से शिव की आरती करें। यह समय भगवान शिव के कृपापात्र बनने के लिए उत्तम होता है।
    • आरती मंत्र:
      "
      जय शिव ओंकारा, हर महादेव!
      जय शिव ओंकारा, हर महादेव! हर हर महादेव!"
  5. रात्रि जागरण (Night Vigil):
    • रातभर भगवान शिव का भजन, कीर्तन और मंत्र जप करें। इसे जागरण कहते हैं, और यह शिवरात्रि की पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

  1. पंचाक्षरी मंत्र जप (Recite Panchakshari Mantra):
    • मंत्र: "ॐ नमः शिवाय"
    • दिन में यह मंत्र 108 बार जप करें। मंत्र जप से मानसिक शांति और पुण्य की प्राप्ति होती है।
  2. शिव लिंग का अभिषेक (Shiva Lingam Abhishek):
    • शिव लिंग पर गंगाजल, दूध, शहद, दही, शक्कर और पंचामृत का अभिषेक करें।
    • मंत्र: "ॐ नमः शिवाय" (अभिषेक के दौरान यह मंत्र जाप करते रहें)
  3. बेलपत्र और फूल अर्पित करें (Offer Bilva Leaves and Flowers):
    • शिवलिंग पर बेलपत्र और पुष्प अर्पित करें। बेलपत्र भगवान शिव को प्रिय हैं और पूजा में अत्यधिक पुण्यदायी होते हैं।
    • मंत्र: "ॐ शं शर्म शिवाय" (यह मंत्र बेलपत्र अर्पण के दौरान बोला जाता है)
  4. धूप, दीप और कपूर से पूजा (Offer Incense, Lamps, and Camphor):
    • भगवान शिव की पूजा में धूप, दीपक और कपूर से आरती करें।
    • मंत्र: "ॐ अर्घं पंखुं ताम्रं शिवाय नमः" (यह मंत्र दीपक अर्पण के दौरान बोला जाता है)

विशेष शिवरात्रि मंत्र (Special Shivratri Mantras)

  1. महामृत्युंजय मंत्र:
    "
    ॐ त्र्यंबकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
    उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥"
    • अर्थ: हम त्र्यंबक भगवान (शिव) की पूजा करते हैं, जो सुगंधित हैं और समृद्धि प्रदान करते हैं। वह हमें मोक्ष देने वाले हैं, जिससे हम मृत्यु के बंधन से मुक्त हो जाएं।
  2. रुद्र मंत्र:
    "
    ॐ नमो भगवते रुद्राय महादेवाय तत्त्वरूपाय।
    अघोराय हरहराय शिवाय शिवतराय नमः।"
    • अर्थ: मैं भगवान रुद्र (शिव) के महान रूप को नमन करता हूं, जो सबसे भयंकर से लेकर शांततम रूप में प्रतिष्ठित हैं।

🕉मंत्र और श्लोक

🔹 वैदिक मंत्र:"ॐ नमः शिवाय" (Om Namah Shivaya)​ 🔹 शाबर मंत्र:"ॐ ह्रीं नमः शिवाय" (Om Hreem Namah Shivaya)​

🔹 पौराणिक मंत्र:"ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥"​

🔹 जैन मंत्र:"णमो अरिहंताणं" (Namo Arihantanam)​

🔹 बौद्ध मंत्र:"ॐ मणि पद्मे हूँ" (Om Mani Padme Hum)​


मंत्र और श्लोक

·         महामृत्युंजय मंत्र:ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

 शिव गायत्री मंत्र:ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि।
तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥

🔹 शाबर मंत्र:"ॐ ह्रीं नमः शिवाय"🔹 पौराणिक मंत्र:"ॐ नमः शिवाय"🔹 जैन मंत्र:"णमो अरिहंताणं"🔹 बौद्ध मंत्र:"ॐ मणि पद्मे हूँ"

·          


 

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विवाह में विलंब विवाह के लिए कात्यायनी पूजन । 10 oct - 18 oct विवाह में विलंब - षष्ठी - कात्यायनी पूजन । वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए - दुर्गतिहारणी मां कात्यायनी की शरण लीजिये | प्रतिपदा के दिन कलश स्थापना के समय , संकल्प में अपना नाम गोत्र स्थान बोलने के पश्चात् अपने विवाह की याचना , प्रार्थना कीजिये | वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए प्रति दिन प्रातः सूर्योदय से प्रथम घंटे में या दोपहर ११ . ४० से १२ . ४० बजे के मध्य , कात्ययानी देवी का मन्त्र जाप करिये | १०८बार | उत्तर दिशा में मुँह हो , लाल वस्त्र हो जाप के समय | दीपक मौली या कलावे की वर्तिका हो | वर्तिका उत्तर दिशा की और हो | गाय का शुद्ध घी श्रेष्ठ अथवा तिल ( बाधा नाशक + महुआ ( सौभाग्य ) तैल मिला कर प्रयोग करे मां भागवती की कृपा से पूर्वजन्म जनितआपके दुर्योग एवं   व्यवधान समाप्त हो एवं   आपकी मनोकामना पूरी हो ऐसी शुभ कामना सहित || षष्ठी के दिन विशेष रूप से कात्यायनी के मन्त्र का २८ आहुति / १०८ आहुति हवन कर...

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हमे श्रद्धा विश्वास समर्पित प्रयास करने के बाद भी वांछित परिणाम नहीं मिलते हैं , क्योकि हिन्दू धर्म श्रेष्ठ कोटी का विज्ञान सम्मत है ।इसकी प्रक्रिया , विधि या तकनीक का पालन अनुसरण परमावश्यक है । नारियल का अधिकाधिक प्रयोग पुजा अर्चना मे होता है।नारियल रखने की विधि सुविधा की दृष्टि से प्रचलित होगई॥ मेरे ज्ञान  मे कलश मे उल्टा सीधा नारियल फसाकर रखने की विधि का प्रमाण अब तक नहीं आया | यदि कोई सुविज्ञ जानकारी रखते हो तो स्वागत है । नारियल को मोटा भाग पूजा करने वाले की ओर होना चाहिए। कलश पर नारियल रखने की प्रमाणिक विधि क्या है ? अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए , उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै प्राची मुखं वित्त्नाश्नाय , तस्माच्छुभम सम्मुख नारिकेलम अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए कलश पर - नारियल का बड़ा हिस्सा नीचे मुख कर रखा जाए ( पतला हिस्सा पूछ वाला कलश के उपरी भाग पर रखा जाए ) तो उसे शत्रुओं की वृद्धि होती है * ( कार्य सफलता में बाधाएं आती है संघर्ष , अपयश , चिंता , हानि , सहज हैशत्रु या विरोधी तन , मन धन सर्व दृष्टि से घातक होते है ) उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै कलश ...