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नागराज रहस्य:तक्षकराज के दुर्लभ दर्शन शुभ मुहूर्त-नागपंचमी(-13:41 -19:03 & 22:40 - 23:4)1

विश्व के सुप्रसिद्ध छायाकर श्री सुधीर सक्सेना के सौजन्यसे दर्शन सुलभ |नागेश्वर मंदिर उज्जैन-वर्ष मे केवल 24 घंटे के लिए खुलता है |
पूजा मुहूर्त-13:41 -19:03 &  22:40 - 23:4)
यह सावन  शुक्ल पंचमी को प्रतिवर्ष विराट रूप में पूरे भारतवर्ष में मनाया जाता है।
1-
वर्ष में केवल एक दिन खुलने वाला नाग मंदिर-
परमार राजा भोज द्वारा लगभग 1050 ईसवी में इस मंदिर का निर्माण कराया गया। इस संदर्भ में एक कथा है कि सर्प तक्षक द्वारा  शिवजी को अपनी तपस्या से प्रसन्न किया गया था ।और उनके सानिध्य में रहने का निवेदन किया था ।उसके अनुरूप ही  महाकाल मंदिर परिसर में निवास करते हैं।
(
मान्यता नागराज तक्षक मंदिर में रहते हैं)।
वर्ष में एक बार केवल नाग पंचमी के दिन खुलने वाला मंदिर भारतवर्ष में केवल उज्जैन महाकाल मंदिर परिसर में है, उसका नाम नागचंद्रेश्वर मंदिर है ।
इस मंदिर में सर्प देव के दर्शन वर्ष में केवल एक बार ही हो सकते हैं।
इसकी विशेषता यह है कि नागदेव के दस मुखी फन पर आदि देव महादेव शिव एवं पत्नी जगत माता पार्वती जी विराजित है। यह दुर्लभ दर्शनीय है जिसका छायाचित्र प्रसिद्ध विश्व प्रसिद्ध छाया कर श्री सुधीर सक्सेना जी द्वारा उपलब्ध कराया गया है ।इसके दर्शन आप इस चित्र के माध्यम से कर सकते हैं। आस्था और श्रद्धा ही महत्वपूर्ण होती है।
2- 16
एकड़ में मन्नार शला 30हजार नाग -
   
केरल  के अलप्पुषा़ जिले के हरिपद गांव में स्थित मन्नारसाला मंदिर विश्व का एक अद्भुत क्षेत्र है ।यहां पर नागराज और नागयक्षी देवी की प्रतिमा दर्शनीय है। यहां पर विशिष्ट पूजा उरुली काम नामक की जाती है।  संतान हीन महिलाओं के लिए यह विशेष सुप्रसिद्ध है ।
शेष नाग ,तक्षक ,कर्कोटक आदि ने भगवान शिव की यहां पर तपस्या की थी एवं भगवान शिव को नागेश्वर के नाम से यहां पूजा जाता है ।
शिवजी मैं उनका वरदान दिया तथा राहु के भी मूर्ति यहां पर उपलब्ध है क्योंकि ज्योतिष में राहु का मुख सर्प का माना जाता है।
ऐसा कथानक है कि परशुराम भगवान  हत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए केरल के इस स्थान पर गए और उन्होंने इस भूमि को दान किया। नाग राज ने परशुराम की इच्छा के अनुसार यहां पर निवास का निर्णय लिया इस प्रकार यह मंदिर 16 एकड़ क्षेत्र में हरे-भरे जंगलों से युक्त है ।यहां पर स्थान स्थान पर नागराज की प्रतिमाएं दर्शन हेतुलगभग30हजार सुलभ हैं।
3-
नागराज स्वयं शिव पूजा करने आते हैं-
आगरा के पास सलेमाबाद क्षेत्र में एक अति प्राचीन शिव मंदिर अत्यधिक चर्चित है।  यहां पर भगवान शिव की पूजा या दर्शन के लिए प्रतिदिन एक विशाल नागराज प्रातः 10:00 आते हैं एवं अपराहन 3:00 बजे प्रस्थित हो जाते हैं। यह 15 साल से अधिक वर्षों से नियत क्रम बना हुआ है ।इस अवधि में मंदिर के द्वार बंद कर कर दिए जाते हैं तथा किसी को भी दर्शन की अनुमति नहीं होती है।         भारतवर्ष में अनेक स्थान ऐसे हैं जहां पर  उपस्थित होते ही जहर उतर जाता है ,जैसे बिहार में दशहरा में देवी मंदिर है। क्षेत्र में प्रवेश करते हुए सर्प के काटे हुए का विष उतर जाता है।
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उत्तराखंड में जौनसार बावर गांव में 13 अप्रैल को प्रतिवर्ष पूजा होती है और आज तक यहां पर किसी की सर्प के काटने से मृत्यु नहीं हुई है ।
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जयपुर का भी एक मंदिर इस बात के लिए चर्चित है कि सावन से ठीक पहले एक सर्प उस मंदिर में वर्षो से प्रवेश करता है।
बिहार के समस्तीपुर क्षेत्र में विभूतिपुर में नाग पंचमी से 1 दिन पहले इस गांव के सभी लोग सर्पों को हाथ में लेकर एक जुलूस निकालते हैं। यह विशाल सांपों का मेला होता है ।
इस प्रकार भारत में सर्प की पूजा का विधान है तथा अनेक रहस्य यहां पर सर्पों से संबंधित है।

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