श्रावण माह -शिव,पार्वती,कार्तिकेय,सूर्य,लक्ष्मी की किस नाम से किस दिनांक को पूजा करे? ,दान क्या दे ?
प्रत्येक
माह सूर्य ,देवी ,विष्णु, शिव आदि देवों के पृथक नाम से पूजा
आदि करना श्रेष्ठ होता है। तिथि
विशेष में उन देवी देवताओं की पूजा विशेष फलदाई होती है। प्रत्येक तिथि प्रत्येक
नक्षत्र आदि के पृथक पृथक देवी देवता होते हैं यह एक विषद विषय है। दैनिक जीवन में सुख भोग एवं शांति के
लिए कुछ तिथियां जो कि अधिक अशुभ प्रभाव करती हैं, उनमें यदि विशिष्ट देवी देवताओं के नाम
लेकर हम स्मरण एवं क्या दान आदि का ध्यान रखें तो( ग्रंथों के कथन आधार पर हमें विजय एवं सफलता प्राप्त
होती है। आज प्रतियोगिता के युग में सफलता एक कठिन कार्य हो गया है। इसलिए हम यदि
विशिष्ट तिथि को जैसे खासतौर पर सिंह वृश्चिक धनु राशि के लिए तृतीया अष्टमी
त्रयोदशी तिथि या अशुभ होती है परंतु यदि तृतीया को देवी के विशिष्ट नाम से पूजा
करेंगे तो निश्चित रूप से बाधाएं कम एवं सफलता के योग ज्यादा बनेंगे।
देवी स्मरण तृतीया-23जुलाई-
इसलिए
जनहित जनकल्याण की दृष्टि से प्रत्येक माह का विवरण विशद ना देते हुए केवल इस माह
किस देवी देवता को किस तारीख को हमें स्मरण करें तो हमें क्या फल प्राप्त होंगे
उसका वर्णन प्रस्तुत है।(संदर्भ-श्रुति,स्मृति,भविष्यपूरण ग्रंथ)|
दान का समय –
ग्रह के आधार पर किस समय दान करना चाहिए?
मत्स्य पुराण के अनुसार-
1-सूर्य एवं शुक्र ग्रह का दान- सूर्योदय
से 12 मिनट पूर्व से पश्चात तक श्रेष्ठ होता है |
2-चंद्र एवं गुरु ग्रह का दान सूर्यास्त से 45 मिनट पूर्व
से पश्चात तक उत्तम होता है |
3-मंगल ग्रह का दान सूर्योदय से 48 मिनट पश्चात तक श्रेष्ठ होता है |
4-बुध का दान सूर्योदय से 02 घंटे पश्चात तक श्रेष्ठ होता है |
5- शनि ग्रह का दान दोपहर या अभिजीत मे श्रेष्ठ होता है |
6-राहू ,केतू ग्रह का दान रात्रि मे श्रेष्ठ होता है |
श्रावण या सावन माह - इस माह देवी पार्वती,लक्ष्मी,स्वामी कार्तिकेय,सूर्य,एवं भगवान शिव की पुजा प्रार्थना किस नाम से करना चाहिए ?
दान-
दूध से भरा कुंड़ या घड़ा ,पूड़ी और फलदान से भगवान श्रीधर की कृपा प्राप्त होती है |देवी स्मरण तृतीया-23जुलाई-
स्कंदमाता एवं “श्रीदेवी “ श्रीदेव्यै नमः-से देवी भगवती की पूजा कर, फल दान
करने से कामनाओं की पूर्ति होती है। बिल्वपत्र या उसके वृक्ष की पूजा करना चाहिए।
पंचमी तिथि श्री लक्ष्मी जी की पूजा स्मरण-25 जुलाई
पंचमी तिथि को "रमा" श्रीम रमाये नमः|नाम से भगवती लक्ष्मी का स्मरण कर निवेदन करना चाहिए -हे देवी आप क्षीर सागर के मंथन से उद्भूत हैं |भगवान विष्णु का वक्षस्थल आप का निवास है |आप सभी कामनाओं को प्रदान करने वाली हैं ,अतः मुझे आप रिद्धि सिद्धि प्रदान करें |आपको मेरा नमस्कार।
षष्ठी तिथि-26 जुलाई
स्वामी कार्तिकेय का स्मरण सष्ठी तिथि, दोपहर में, स्वामी कुमार को,"गुह " ॐ गुहेभ्य नम: |नाम से स्मरण करे।तिल से हवन तथा
पंचमी तिथि श्री लक्ष्मी जी की पूजा स्मरण-25 जुलाई
पंचमी तिथि को "रमा" श्रीम रमाये नमः|नाम से भगवती लक्ष्मी का स्मरण कर निवेदन करना चाहिए -हे देवी आप क्षीर सागर के मंथन से उद्भूत हैं |भगवान विष्णु का वक्षस्थल आप का निवास है |आप सभी कामनाओं को प्रदान करने वाली हैं ,अतः मुझे आप रिद्धि सिद्धि प्रदान करें |आपको मेरा नमस्कार।
षष्ठी तिथि-26 जुलाई
स्वामी कार्तिकेय का स्मरण सष्ठी तिथि, दोपहर में, स्वामी कुमार को,"गुह " ॐ गुहेभ्य नम: |नाम से स्मरण करे।तिल से हवन तथा
नीबू/ऋतुफल
अवश्य खाना चाहिए।
मंत्र- चंद्र मंडल भूता नाम भवभूति पवित्रता।
मंत्र- चंद्र मंडल भूता नाम भवभूति पवित्रता।
गंगा
कुमार धारैयम पतिता तब मस्तके ।
सूर्य का
पूजन कर ।कृतिका पुत्र कार्तिकेय का निम्न
मंत्र से
पूजन करें -
देवसेनापते स्कंद कार्तिकेय भव उद्भवे।
कुमार गुह गांगेय शक्ति हस्त नमोस्तुते ।
अन्न फल एवं चन्दन अर्पित करना चाहिए।
देवसेनापते स्कंद कार्तिकेय भव उद्भवे।
कुमार गुह गांगेय शक्ति हस्त नमोस्तुते ।
अन्न फल एवं चन्दन अर्पित करना चाहिए।
माता पार्वती का भी स्मरण करें।
सप्तमी तिथि- 27 जुलाई
तापीया या लोलार्क के नाम -ॐ लोलर्काय नमः |से पूजन करने से सौत्रामणी यज्ञ का फल प्राप्त होता है।
अनंग त्रयोदशी शुक्ल पक्ष सर्व मंगलद-शिव स्मरण-01 अगस्त
शिव का "उमापति" नाम से पूजन कर करना चाहिए यह सर्व कल्याण प्रद है |
सप्तमी तिथि- 27 जुलाई
तापीया या लोलार्क के नाम -ॐ लोलर्काय नमः |से पूजन करने से सौत्रामणी यज्ञ का फल प्राप्त होता है।
अनंग त्रयोदशी शुक्ल पक्ष सर्व मंगलद-शिव स्मरण-01 अगस्त
शिव का "उमापति" नाम से पूजन कर करना चाहिए यह सर्व कल्याण प्रद है |
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें