साभार |
(Comet C /
2020 F3 Neowise)
धूमकेतु या पुच्छल तारा के नाम से प्रसिद्ध तारों का समूह अथवा सरल भाषा में धूल और बर्फ से निर्मित धूमकेतु या पुच्छल तारा होता है
इसके विषय में ज्योतिष के पुराने ग्रंथों में अनेक स्थानों पर वृहत विवरण प्राप्त होता है।
आज विज्ञान के युग में भी इसको जब भी किसी वैज्ञानिक द्वारा देख लिया जाता है तो एक नया नामकरण किया जाता है।
धूमकेतु या पुच्छल तारा कितने होते हैं- इसके संबंध में महर्षि गर्ग ने इसके 1000 प्रकार बताए हैं। पाराशर द्वारा 101 प्रकार का वर्णन किया गया है। नारद के द्वारा इसके संबंध में यह कहा गया कि यह विभिन्न रूप में धूमकेतु प्रकट होते हैं पर मूल रूप से यह एक ही होते हैं ।
केतु नाम भी दिया जाता है परंतु यह नौ ग्रहों के केतु ग्रह से किसी भी प्रकार से संबंधित नहीं होते ।
विचारणीय प्रश्न? प्रकृति का क्या संदेश ?
प्रश्न यह है कि धूमकेतु पुच्छल तारा एक प्रकार के या अनेक प्रकार के हो या विज्ञान कहे कि कोई पुच्छल तारा या धूमकेतु 2000 वर्ष बाद दिखेगा या 6000 वर्ष बादआएगा।
यह महत्वपूर्ण नहीं है। महत्वपूर्ण तथ्य विचारणीय आया है की प्रकृति इन के माध्यम से हम पृथ्वी वासियों को क्या संकेत देना चाहती है ?यह विचार का विषय है। निर्णय का विषय है कि इनके शुभ अशुभ क्या प्रभाव होंते हैं?
इस संदर्भ में वराहमिहिर द्वारा इनके रूप ,आकार,रंग , प्रकाश एवं दिशा के आधार पर इन के शुभ अशुभ प्रभाव के चिंतन पर विचार व्यक्त किया गया है ।
एक स्पष्ट बात है जिस प्रकार सूर्य चंद्र ग्रहण जहां पर दृश्य मान्य/ दिखाई देते हैं, उस देश या स्थान पर ही उनके शुभ अशुभ प्रभावों का वर्णन ग्रंथों में लिखा है ।
जहां पर यह दृश्य मान नहीं है।, वहां पर उनका कोई भी शुभ अशुभ प्रभाव नहीं होगा।
इस प्रकार ही यह धूमकेतु 27 मार्च को देखा गया एवं भारत में 14 जुलाई से यह दिखाई देगा।
* जितने दिन ,जिस स्थान पर दिखेगा उतने माह उस का शुभ अशुभ फल होगा। भारत में यह 20 दिन दिखाई देगा ।14 जुलाई से अर्थात 14 जुलाई 2020 से आगामी 20 माह तक इसके प्रभाव होगा।
लेबनान, लंदन, अमेरिका, सर्बिया, केलिफोर्निया, ऑस्ट्रेलिया आदि में जितने दिन दिखा होगा ,उतने माह उस स्थान पर शुभ या अशुभ प्रभाव होंगे।
भविष्य मे भी जिस देश स्थान मे जितने दिन दिखेगा उतने माह अशुभ फल होंगे |अभी जुलाई अंत तक भार्ट मे दिखेगा इसके बाद बहविष्य मे जब तक दिखता रहेगा तब तक विश्व के अनेक देश इसकी चपेट मे आएंगे |इसका न्यूनतम प्रभाव मौसम को बिगाड़ने मे होता है |
प्रभाव-
इस संदर्भ में भी कुछ स्थानों पर ऐसा वर्णन है कि 45 दिन बाद इसके प्रभाव दृष्टिगोचर होते हैं।
शुभ धूमकेतु या पुच्छल तारा कौनसे-
(सामान्य रूप से शुभ केतु कौन से होते हैं) जिनका छोटा शरीर हो ,चमकीले हो, प्रकाश अधिक दिखता हो, आकार में सीधे हो अल्प अवधि में ही दृश्य हो।पूर्व या उत्तर दिशा में दिखते हों।
यह सुभिक्ष, सुखद ,शांति ,सफलता के पर्याय माने जाते हैं ।
अशुभ धूमकेतु या पुच्छल तारा कौनसे-
यह विषय वृहद है।संक्षिप्त में-
धूमकेतु के विषय में कहा गया है इससे श्वेत आभा के अतिरिक्त (चांदी की चमक जैसे के अतिरिक्त) हरा, नीला , रंग अशुभ भविष्य का संकेतक है।
लाल रंग के दिखाई देते हैं तो यह विशेष अशुभ माने जाते हैं ।
2-3 शिखा वाले या चोटी वाले या पूंछ वाले अशुभ माने जाते हैं ।
अनेक रंग के या इन्द्रधनुष के रंग के,या जिनकी पूंछ दक्षिण दिशा की ओर मुड़ी हो अशुभ भविष्ट का संकेत देते हैं।
प्रश्न उत्पन्न होता है किस आधार पर निर्धारण होता है कि यह कौन सा केतु है ? इसके प्रभाव क्या होंगे ?
ग्रन्थों में101 प्रकार के धूमकेतु या पुच्छल तारा का वर्णन प्राप्त है। जैसे-
दक्षिण दिशा में जो धूमकेतु तारा दिखाई देता है । स्पष्ट हो शिखा हो ,उसे मृत्यु पुत्र केतु कहते हैं।यह जिस देश में दक्षिण दिशा में दिखता है उन देशों के लिए अति अशुभ होता है।
( समास संहिता ग्रंथ में उपलब्ध है।)
-साउथ ईस्ट दिशा में दिखने वाले अग्नि केतु कहलाते हैं इससे बड़े-बड़े अग्निकांड होते हैं।
आदि ।
(- एक विवरण संदर्भित है। 1968 में पूर्व दिशा में धूम्रकेतु लंबे आकार का दृश्य मान हुआ था ।उसके कुछ समय बाद ही कांग्रेस का विभाजन सिंडीकेट एवं इंदिरा कांग्रेश के रूप में हुआ था अर्थात यह राज्य , देश, प्रमुख दल या व्यकिति एवं देश के सत्ता धीश आदि के लिए भी ,जन धन हानि के साथ-साथ अशुभ सिद्ध होते हैं।)
विचारणीय तथ्य-
वर्तमान में दृष्टि गोचर होने वाला धूमकेतु या पुच्छल तारा कौनसा है?क्या प्रकृति संकेत दे रही है?
वर्तमान में दिखाई देने वाला पुच्छल तारा इसके विषय में नासा द्वारा एवं विज्ञान द्वारा यह जानकारी दी गई कि यह 49 फुट चौड़ा 650 मीटर अथवा 2000 फुट लंबा दक्षिण से उत्तर की ओर अग्रसर हो रहा है 27 मई को यह सूर्य के पास था 6 जुलाई को बुध ग्रह की कक्षा में था इस कारण अथवा इससे स्कोर देखने पर दृश्य मान रोशनी या प्रकाश हरा एवं नीला दोनों प्रकार का पाया गया। 12 जनवरी को यह पृथ्वी के समीप था।
यह रंग एवम आकार के आधार पर यह तो निश्चित हो गया कि यह शुभ संकेत देने वाला उछल तारा या न्यू 22 नहीं है अर्थात जिस जिस स्थान पर यह दृश्य मानो वह जितने दिन हुआ उतने मां वहां पर अनीस कारी स्थितियां बनेंगी तथा जिस जिस दिशा में यह दृश्य मान हुआ जैसे कि भारत में यह 14 जुलाई से दृश्य मान है। यह भारत में नॉर्थ ईस्ट दिशा में प्रातः 4:13 से 4:45 बजे तक दृश्य मान है।
यह विश्व,भारत के N,E क्षेत्र को प्रभावित करेगा।
विश्व -27 मार्च से अब तक यह जिन नक्षत्रों को आक्रांत कर रहा है उसके आधार पर यह कहा जा सकता है कि यह पशुपालक ,चोर, हिंसक,तस्कर, युद्ध प्रिय लोगों के लिए ,भोजन पर आधार आधारित व्यापारियों के लिए, खुशबूदार पदार्थ, नाविक, जल आधारित व्यवसाय, फूल ,नमक, रत्न ,अश्व, सेना ,व्यापारी वर्ग ,रक्त एवं मांस से संबंधित व्यवसाई ,मोटे अनाज ,सफेद पुष्प, अग्नि से आजीविका चलाने वाले, सौंदर्य प्रसाधन आजीविका वाले ,क्रोकरी निर्माण ,पानी से आजीविका चलाने वाले, अनुष्ठान करने वाले ,कीट पतंगे ,सर्प एवं विष से संबंधित व्यवसाय वाले, मोटे अनाज,चिकित्सक एवं औषधि ,ब्यूटी पार्लर आदि वर्ग के लिए अशुभ सिद्ध होगा
| चित्रकार ,कर्मचारी ,दस्तकार ,धार्मिक यज्ञ अनुष्ठान, पानी की आजीविका या पानी से संबंधित जीव जंतु तथा चिकित्सा सेवा या उनसे जुड़े वर्ग|
आधार पर विचार करें -
देश, शीर्ष प्रसिद्ध/व्यक्ति,प्रदेश, राजनीतिक दल,संस्थान कंपनी आदि अक्षर से प्रारम्भ नाम वालों के लिए |
क,च,ल,अ, ई,उ,ए,ब,ओ,दी,दो,से,सो,हा, अक्षर से प्रम्भ नाम वाले के लिए यह पुच्छल तारा बाधा,हानी,विरोध,अपयश,युद्धकारी,सैन्य गतिविधि,भूकंप,अतिवृष्टि कारी सिद्ध होगा |
विश्व के,नगर के उत्तर, एवम पूर्व दिशा के क्षेत्रो,देशों के लिए भी यह भारी हानि प्रद होगा।कब तक दिखेगा यख़ ज्ञात नहीं यदि अगस्त तक भी दिखा तो आर्द्रा से मघा आक्रांत होने के कारण विश्व मे शक्ति परीक्षण जल क्षेत्र एवं अन्तरिक्ष केतू के कारण वायु मे होगा | जन धन हानि भी विश्व मे जल एवं वायु से होगी |संभावित समय नवंबर 2020 से मार्च 2021 तक हो सकता है |
धूमकेतु या पुच्छल तारा के नाम से प्रसिद्ध तारों का समूह अथवा सरल भाषा में धूल और बर्फ से निर्मित धूमकेतु या पुच्छल तारा होता है
इसके विषय में ज्योतिष के पुराने ग्रंथों में अनेक स्थानों पर वृहत विवरण प्राप्त होता है।
आज विज्ञान के युग में भी इसको जब भी किसी वैज्ञानिक द्वारा देख लिया जाता है तो एक नया नामकरण किया जाता है।
धूमकेतु या पुच्छल तारा कितने होते हैं- इसके संबंध में महर्षि गर्ग ने इसके 1000 प्रकार बताए हैं। पाराशर द्वारा 101 प्रकार का वर्णन किया गया है। नारद के द्वारा इसके संबंध में यह कहा गया कि यह विभिन्न रूप में धूमकेतु प्रकट होते हैं पर मूल रूप से यह एक ही होते हैं ।
केतु नाम भी दिया जाता है परंतु यह नौ ग्रहों के केतु ग्रह से किसी भी प्रकार से संबंधित नहीं होते ।
विचारणीय प्रश्न? प्रकृति का क्या संदेश ?
प्रश्न यह है कि धूमकेतु पुच्छल तारा एक प्रकार के या अनेक प्रकार के हो या विज्ञान कहे कि कोई पुच्छल तारा या धूमकेतु 2000 वर्ष बाद दिखेगा या 6000 वर्ष बादआएगा।
यह महत्वपूर्ण नहीं है। महत्वपूर्ण तथ्य विचारणीय आया है की प्रकृति इन के माध्यम से हम पृथ्वी वासियों को क्या संकेत देना चाहती है ?यह विचार का विषय है। निर्णय का विषय है कि इनके शुभ अशुभ क्या प्रभाव होंते हैं?
इस संदर्भ में वराहमिहिर द्वारा इनके रूप ,आकार,रंग , प्रकाश एवं दिशा के आधार पर इन के शुभ अशुभ प्रभाव के चिंतन पर विचार व्यक्त किया गया है ।
एक स्पष्ट बात है जिस प्रकार सूर्य चंद्र ग्रहण जहां पर दृश्य मान्य/ दिखाई देते हैं, उस देश या स्थान पर ही उनके शुभ अशुभ प्रभावों का वर्णन ग्रंथों में लिखा है ।
जहां पर यह दृश्य मान नहीं है।, वहां पर उनका कोई भी शुभ अशुभ प्रभाव नहीं होगा।
इस प्रकार ही यह धूमकेतु 27 मार्च को देखा गया एवं भारत में 14 जुलाई से यह दिखाई देगा।
* जितने दिन ,जिस स्थान पर दिखेगा उतने माह उस का शुभ अशुभ फल होगा। भारत में यह 20 दिन दिखाई देगा ।14 जुलाई से अर्थात 14 जुलाई 2020 से आगामी 20 माह तक इसके प्रभाव होगा।
लेबनान, लंदन, अमेरिका, सर्बिया, केलिफोर्निया, ऑस्ट्रेलिया आदि में जितने दिन दिखा होगा ,उतने माह उस स्थान पर शुभ या अशुभ प्रभाव होंगे।
भविष्य मे भी जिस देश स्थान मे जितने दिन दिखेगा उतने माह अशुभ फल होंगे |अभी जुलाई अंत तक भार्ट मे दिखेगा इसके बाद बहविष्य मे जब तक दिखता रहेगा तब तक विश्व के अनेक देश इसकी चपेट मे आएंगे |इसका न्यूनतम प्रभाव मौसम को बिगाड़ने मे होता है |
प्रभाव-
इस संदर्भ में भी कुछ स्थानों पर ऐसा वर्णन है कि 45 दिन बाद इसके प्रभाव दृष्टिगोचर होते हैं।
शुभ धूमकेतु या पुच्छल तारा कौनसे-
(सामान्य रूप से शुभ केतु कौन से होते हैं) जिनका छोटा शरीर हो ,चमकीले हो, प्रकाश अधिक दिखता हो, आकार में सीधे हो अल्प अवधि में ही दृश्य हो।पूर्व या उत्तर दिशा में दिखते हों।
यह सुभिक्ष, सुखद ,शांति ,सफलता के पर्याय माने जाते हैं ।
अशुभ धूमकेतु या पुच्छल तारा कौनसे-
यह विषय वृहद है।संक्षिप्त में-
धूमकेतु के विषय में कहा गया है इससे श्वेत आभा के अतिरिक्त (चांदी की चमक जैसे के अतिरिक्त) हरा, नीला , रंग अशुभ भविष्य का संकेतक है।
लाल रंग के दिखाई देते हैं तो यह विशेष अशुभ माने जाते हैं ।
2-3 शिखा वाले या चोटी वाले या पूंछ वाले अशुभ माने जाते हैं ।
अनेक रंग के या इन्द्रधनुष के रंग के,या जिनकी पूंछ दक्षिण दिशा की ओर मुड़ी हो अशुभ भविष्ट का संकेत देते हैं।
प्रश्न उत्पन्न होता है किस आधार पर निर्धारण होता है कि यह कौन सा केतु है ? इसके प्रभाव क्या होंगे ?
ग्रन्थों में101 प्रकार के धूमकेतु या पुच्छल तारा का वर्णन प्राप्त है। जैसे-
दक्षिण दिशा में जो धूमकेतु तारा दिखाई देता है । स्पष्ट हो शिखा हो ,उसे मृत्यु पुत्र केतु कहते हैं।यह जिस देश में दक्षिण दिशा में दिखता है उन देशों के लिए अति अशुभ होता है।
( समास संहिता ग्रंथ में उपलब्ध है।)
-साउथ ईस्ट दिशा में दिखने वाले अग्नि केतु कहलाते हैं इससे बड़े-बड़े अग्निकांड होते हैं।
आदि ।
(- एक विवरण संदर्भित है। 1968 में पूर्व दिशा में धूम्रकेतु लंबे आकार का दृश्य मान हुआ था ।उसके कुछ समय बाद ही कांग्रेस का विभाजन सिंडीकेट एवं इंदिरा कांग्रेश के रूप में हुआ था अर्थात यह राज्य , देश, प्रमुख दल या व्यकिति एवं देश के सत्ता धीश आदि के लिए भी ,जन धन हानि के साथ-साथ अशुभ सिद्ध होते हैं।)
विचारणीय तथ्य-
वर्तमान में दृष्टि गोचर होने वाला धूमकेतु या पुच्छल तारा कौनसा है?क्या प्रकृति संकेत दे रही है?
वर्तमान में दिखाई देने वाला पुच्छल तारा इसके विषय में नासा द्वारा एवं विज्ञान द्वारा यह जानकारी दी गई कि यह 49 फुट चौड़ा 650 मीटर अथवा 2000 फुट लंबा दक्षिण से उत्तर की ओर अग्रसर हो रहा है 27 मई को यह सूर्य के पास था 6 जुलाई को बुध ग्रह की कक्षा में था इस कारण अथवा इससे स्कोर देखने पर दृश्य मान रोशनी या प्रकाश हरा एवं नीला दोनों प्रकार का पाया गया। 12 जनवरी को यह पृथ्वी के समीप था।
यह रंग एवम आकार के आधार पर यह तो निश्चित हो गया कि यह शुभ संकेत देने वाला उछल तारा या न्यू 22 नहीं है अर्थात जिस जिस स्थान पर यह दृश्य मानो वह जितने दिन हुआ उतने मां वहां पर अनीस कारी स्थितियां बनेंगी तथा जिस जिस दिशा में यह दृश्य मान हुआ जैसे कि भारत में यह 14 जुलाई से दृश्य मान है। यह भारत में नॉर्थ ईस्ट दिशा में प्रातः 4:13 से 4:45 बजे तक दृश्य मान है।
यह विश्व,भारत के N,E क्षेत्र को प्रभावित करेगा।
विश्व -27 मार्च से अब तक यह जिन नक्षत्रों को आक्रांत कर रहा है उसके आधार पर यह कहा जा सकता है कि यह पशुपालक ,चोर, हिंसक,तस्कर, युद्ध प्रिय लोगों के लिए ,भोजन पर आधार आधारित व्यापारियों के लिए, खुशबूदार पदार्थ, नाविक, जल आधारित व्यवसाय, फूल ,नमक, रत्न ,अश्व, सेना ,व्यापारी वर्ग ,रक्त एवं मांस से संबंधित व्यवसाई ,मोटे अनाज ,सफेद पुष्प, अग्नि से आजीविका चलाने वाले, सौंदर्य प्रसाधन आजीविका वाले ,क्रोकरी निर्माण ,पानी से आजीविका चलाने वाले, अनुष्ठान करने वाले ,कीट पतंगे ,सर्प एवं विष से संबंधित व्यवसाय वाले, मोटे अनाज,चिकित्सक एवं औषधि ,ब्यूटी पार्लर आदि वर्ग के लिए अशुभ सिद्ध होगा
| चित्रकार ,कर्मचारी ,दस्तकार ,धार्मिक यज्ञ अनुष्ठान, पानी की आजीविका या पानी से संबंधित जीव जंतु तथा चिकित्सा सेवा या उनसे जुड़े वर्ग|
आधार पर विचार करें -
देश, शीर्ष प्रसिद्ध/व्यक्ति,प्रदेश, राजनीतिक दल,संस्थान कंपनी आदि अक्षर से प्रारम्भ नाम वालों के लिए |
क,च,ल,अ, ई,उ,ए,ब,ओ,दी,दो,से,सो,हा, अक्षर से प्रम्भ नाम वाले के लिए यह पुच्छल तारा बाधा,हानी,विरोध,अपयश,युद्धकारी,सैन्य गतिविधि,भूकंप,अतिवृष्टि कारी सिद्ध होगा |
विश्व के,नगर के उत्तर, एवम पूर्व दिशा के क्षेत्रो,देशों के लिए भी यह भारी हानि प्रद होगा।कब तक दिखेगा यख़ ज्ञात नहीं यदि अगस्त तक भी दिखा तो आर्द्रा से मघा आक्रांत होने के कारण विश्व मे शक्ति परीक्षण जल क्षेत्र एवं अन्तरिक्ष केतू के कारण वायु मे होगा | जन धन हानि भी विश्व मे जल एवं वायु से होगी |संभावित समय नवंबर 2020 से मार्च 2021 तक हो सकता है |
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ज्योतिष उपाधि : वाचस्पति, भूषण, महर्षि, शिरोमणि, मनीषी,रत्नाकर, मार्तण्ड, महर्षि वेदव्यास1(1990 तक),विशेषज्ञता :(1976 से) वास्तु, जन्म कुण्डली, मुहूर्त,
रत्न परामर्श, हस्तरेखा, पंचांग संपादक |
लेखक-वर्ष 1976 से 1990 तक ज्योतिष विद्वता हेतु अनेक बार सम्मानित यथा: ज्योतिष वाचस्पति, भूषण, महर्षि, शिरोमणि, मनीषी,
रत्नाकर, मार्तण्ड, महर्षि वेदव्यास1 ज्योतिष क्षेत्र अनुभव-48 वर्ष |
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