भारत का पड़ोसी देश नेपाल 1 सितंबर 1767 से विशिष्ट रूप से अस्तित्व में स्थापित हुआ ।
कुडली में ग्रह स्थिति-
इसकी कुंडली में शनि सप्तम भाव में मिथुन राशि में; मंगल ,सूर्य ,बुध सिंह राशि में ।बुध वक्री है। गुरु कन्या राशि में, शुक्र तुला राशि में प्राण पद एवं चंद्र वृश्चिक राशि में गुलिक के साथ विराजित है। लग्न में धूम उपग्रह एवं राहु मकर राशि में उपस्थित हैं।
दशांश कुंडली जो कि कर्मफल बताती है इसमें लग्न वर्गोत्तम है एवम शुक्र भी वर्गोत्तम स्थिति में उपस्थित है । शुक्र की एकादश भाव में स्थिति तथा वर्गोत्तम लग्न की स्थिति से स्पष्ट है कि इस देश को अन्य देश विशिष्ट महत्व प्रदान करते रहेंगे ।
नवांश कुंडली में चंद्रमा वर्गोत्तम होकर अष्टम भाव में है एवं गुलिक लग्न में तथा मीन का राहु एवं गुरु बारहवें भाव में उपस्थित ।
इस कुंडली में बुध वक्री होकर तृतीय भाव में व्याघात उपग्रह के साथ उपस्थित है।
दोनों दृष्टि से नेपाल देश महत्वपूर्ण सिद्ध होता है ।
दशाफल-
1-यदि हम दशांश कुंडली पर दृष्टिपात करें। वर्तमान में कुंभ में वृश्चिक एवं उसमें भी अंतर प्रत्यंतर दशा की ओर बढ़े तो मिथुन राशि जो कि सप्तम एवं मारक स्थिति बना रहा है की स्थिति बनेगी।
इसका अर्थ है,अगर गंभीर रूप से सोचते हैं तो 13 जुलाई से 29 जुलाई तक विभिन्न स्तर पर विरोध विवाद की स्थिति बनेगी एवं किए गए कर्म अर्थात राजा के द्वारा या प्रधानमंत्री द्वारा किए गए कार्य अपयश कार्य सिद्ध होंगे। उनका सामूहिक विरोध होगा 2-इस प्रकार यदि लग्न की कुंडली की पदनाधांश दशा का अवलोकन करें तो वृष राशि में वृश्चिक प्रत्यंतर का प्रारंभ हो चुका है और यह विशेष रूप से 16 जुलाई से 4 अक्टूबर तक नेपाल देश के लिए कठिनाइयों भरा ,परिवर्तन,उथलपुथल एवं विचारणीय स्थिति का रहेगा।
मिथुन में शनि की उपस्थिति सप्तम भाव में व्याघात उपग्रह के साथ है। वृश्चिक राशि में प्राण पद उपग्रह,चंद्रमा के साथ द्वादश भाव में स्थित है। जो विरोध, विवाद ,अपयश एवं परिवर्तनकारी स्थिति का निर्माण कर रहा है।
गोचर-
गोचर परिधि ,नेपाल देश की कुंडली का अध्ययन करें तो यह बात स्पष्ट होती है कि शनी अवश्य तृतीय होकर ,समस्या पर विजय कार्य स्थिति में उपलब्ध है। जो कि अब वक्री है । सूर्य की स्थिति 15 अगस्त तक राहु 22 सितंबर तक आठवां या मृत्यु स्थान कारी उपलब्ध है ।
कुंडली में भी है सप्तम भाव जो मार्केश से संबंधित होता है उस राशि पर राहु सूर्य का विचरण हो रहा है ।समस्या ही संमस्या।
केवल गुरु की स्थिति वक्री होने के कारण इस प्रकार है कि नेपाल के जन सामान्य की सोच विरोध की तुलना में वर्तमान राजा या प्रधानमंत्री को बचाने के लिए अन्य ग्रहों की तुलना में सक्षम एवं प्रभावशाली सिद्ध होगा। बार-बार उनके विरुद्ध किए गए प्रयास गुरु निष्फल करेगा ।
परंतु विशिष्ट स्थिति मैं 21 जुलाई से नेपाल देश में प्रबल विरोधी स्थितियां निर्मित होंगी।
वर्तमान प्रधान मंत्री के उपलब्ध जन्म विवरण-
वर्तमान प्रधानमंत्री श्रीयुत खडग प्रसाद शर्मा ओली जी के जन्मांग पर यदि हम बात करें तो अगस्त से अक्टूबर तक का समय उनके विरुद्ध निर्णायक सिद्ध हो सकता है।
उनका शनिवार एवं गुरुवार घटना प्रधान रहेगा। यह दोनों दिन परिवर्तन के लिए महत्वपूर्ण सिद्ध हो सकते हैं।
तथा यदि हम चंद्र और सूर्य के आधार पर विचरण करें तो 22 से 24 जुलाई ,5 से 7 19-21 ,27 से 29 अगस्त यह दिनांक भी निकालना उनके लिए कठिन से कठिन हो सकता है ।
विभिन्न स्तर पर अपयश आरोप एवं पद प्रभावित होने की संभावना है। उनके लिए गुरु का वक्री होना विशिष्ट अनिष्टकारी है। यदि वह वर्तमान में सुरक्षित हैं तो केवल नेपाल देश की कुंडली का आधार पर कोई भी परिवर्तन योग 21 जुलाई से पूर्व नहीं बन पाने के कारण हैं ।
अथवा जैसे ही गुरु वक्री हुआ (जो कि 30 नवंबर )तक रहेगा उनको अनेक स्तर पर बाधाएं एवं अपदस्थ होने की पूर्ण संभावनाएं ग्रह बना रहे हैं।
नेपाल देश की कुंडली के आधार पर यदि गोचर सिद्धांत का वर्णन करें तो मिथुन का शनी उस पर से गुरु का वर्तमान में सप्तम स्थान में होना यह सिद्ध कर रहा है कि निश्चित रूप से वर्तमान प्रधानमंत्री के लिए 30 नवंबर तक का समय निकालना अत्यंत दुसाध्य एवं संभावनाओं से परे है।
कुडली में ग्रह स्थिति-
इसकी कुंडली में शनि सप्तम भाव में मिथुन राशि में; मंगल ,सूर्य ,बुध सिंह राशि में ।बुध वक्री है। गुरु कन्या राशि में, शुक्र तुला राशि में प्राण पद एवं चंद्र वृश्चिक राशि में गुलिक के साथ विराजित है। लग्न में धूम उपग्रह एवं राहु मकर राशि में उपस्थित हैं।
दशांश कुंडली जो कि कर्मफल बताती है इसमें लग्न वर्गोत्तम है एवम शुक्र भी वर्गोत्तम स्थिति में उपस्थित है । शुक्र की एकादश भाव में स्थिति तथा वर्गोत्तम लग्न की स्थिति से स्पष्ट है कि इस देश को अन्य देश विशिष्ट महत्व प्रदान करते रहेंगे ।
नवांश कुंडली में चंद्रमा वर्गोत्तम होकर अष्टम भाव में है एवं गुलिक लग्न में तथा मीन का राहु एवं गुरु बारहवें भाव में उपस्थित ।
इस कुंडली में बुध वक्री होकर तृतीय भाव में व्याघात उपग्रह के साथ उपस्थित है।
दोनों दृष्टि से नेपाल देश महत्वपूर्ण सिद्ध होता है ।
दशाफल-
1-यदि हम दशांश कुंडली पर दृष्टिपात करें। वर्तमान में कुंभ में वृश्चिक एवं उसमें भी अंतर प्रत्यंतर दशा की ओर बढ़े तो मिथुन राशि जो कि सप्तम एवं मारक स्थिति बना रहा है की स्थिति बनेगी।
इसका अर्थ है,अगर गंभीर रूप से सोचते हैं तो 13 जुलाई से 29 जुलाई तक विभिन्न स्तर पर विरोध विवाद की स्थिति बनेगी एवं किए गए कर्म अर्थात राजा के द्वारा या प्रधानमंत्री द्वारा किए गए कार्य अपयश कार्य सिद्ध होंगे। उनका सामूहिक विरोध होगा 2-इस प्रकार यदि लग्न की कुंडली की पदनाधांश दशा का अवलोकन करें तो वृष राशि में वृश्चिक प्रत्यंतर का प्रारंभ हो चुका है और यह विशेष रूप से 16 जुलाई से 4 अक्टूबर तक नेपाल देश के लिए कठिनाइयों भरा ,परिवर्तन,उथलपुथल एवं विचारणीय स्थिति का रहेगा।
मिथुन में शनि की उपस्थिति सप्तम भाव में व्याघात उपग्रह के साथ है। वृश्चिक राशि में प्राण पद उपग्रह,चंद्रमा के साथ द्वादश भाव में स्थित है। जो विरोध, विवाद ,अपयश एवं परिवर्तनकारी स्थिति का निर्माण कर रहा है।
गोचर-
गोचर परिधि ,नेपाल देश की कुंडली का अध्ययन करें तो यह बात स्पष्ट होती है कि शनी अवश्य तृतीय होकर ,समस्या पर विजय कार्य स्थिति में उपलब्ध है। जो कि अब वक्री है । सूर्य की स्थिति 15 अगस्त तक राहु 22 सितंबर तक आठवां या मृत्यु स्थान कारी उपलब्ध है ।
कुंडली में भी है सप्तम भाव जो मार्केश से संबंधित होता है उस राशि पर राहु सूर्य का विचरण हो रहा है ।समस्या ही संमस्या।
केवल गुरु की स्थिति वक्री होने के कारण इस प्रकार है कि नेपाल के जन सामान्य की सोच विरोध की तुलना में वर्तमान राजा या प्रधानमंत्री को बचाने के लिए अन्य ग्रहों की तुलना में सक्षम एवं प्रभावशाली सिद्ध होगा। बार-बार उनके विरुद्ध किए गए प्रयास गुरु निष्फल करेगा ।
परंतु विशिष्ट स्थिति मैं 21 जुलाई से नेपाल देश में प्रबल विरोधी स्थितियां निर्मित होंगी।
वर्तमान प्रधान मंत्री के उपलब्ध जन्म विवरण-
वर्तमान प्रधानमंत्री श्रीयुत खडग प्रसाद शर्मा ओली जी के जन्मांग पर यदि हम बात करें तो अगस्त से अक्टूबर तक का समय उनके विरुद्ध निर्णायक सिद्ध हो सकता है।
उनका शनिवार एवं गुरुवार घटना प्रधान रहेगा। यह दोनों दिन परिवर्तन के लिए महत्वपूर्ण सिद्ध हो सकते हैं।
तथा यदि हम चंद्र और सूर्य के आधार पर विचरण करें तो 22 से 24 जुलाई ,5 से 7 19-21 ,27 से 29 अगस्त यह दिनांक भी निकालना उनके लिए कठिन से कठिन हो सकता है ।
विभिन्न स्तर पर अपयश आरोप एवं पद प्रभावित होने की संभावना है। उनके लिए गुरु का वक्री होना विशिष्ट अनिष्टकारी है। यदि वह वर्तमान में सुरक्षित हैं तो केवल नेपाल देश की कुंडली का आधार पर कोई भी परिवर्तन योग 21 जुलाई से पूर्व नहीं बन पाने के कारण हैं ।
अथवा जैसे ही गुरु वक्री हुआ (जो कि 30 नवंबर )तक रहेगा उनको अनेक स्तर पर बाधाएं एवं अपदस्थ होने की पूर्ण संभावनाएं ग्रह बना रहे हैं।
नेपाल देश की कुंडली के आधार पर यदि गोचर सिद्धांत का वर्णन करें तो मिथुन का शनी उस पर से गुरु का वर्तमान में सप्तम स्थान में होना यह सिद्ध कर रहा है कि निश्चित रूप से वर्तमान प्रधानमंत्री के लिए 30 नवंबर तक का समय निकालना अत्यंत दुसाध्य एवं संभावनाओं से परे है।
प्रचलित नाम का भविष्य-
यदि उनके प्रसिद्ध प्रचलित नाम श्री के पी ओली अर्थात "क" अक्षर पर हम ध्यान दें तो इस पर मिथुन राशि का निर्माण होता है तथा जिस पर सूर्य ग्रहण हो चुका है जो ग्रहण अवधि से 6 महीने तक प्रभाव शील होता है। तो इस प्रकार उनके साथ विभिन्न स्तर पर जुलाई से नवम्बर तक कोई भी अनुकूल स्थिति बनने की संभावनाएं दूर-दूर तक नहीं है। नेपाल की राजधानी काठमांडू भी सूर्य ग्रहण के प्रभाव से परे नहीं है इसलिए वहां के राजा अर्थात प्रधानमंत्री का परिवर्तन लगभग निश्चय आत्मक ज्योतिष के सिद्धांतों से है या नेपाल देश के एवम काठमांडू के लिए शनि एवम गुरु का वक्री होना अनिष्टकारी ही सिद्ध होगा।प्राकृतिक कोप भी प्रमुख कारण बन सकता है।
यदि उनके प्रसिद्ध प्रचलित नाम श्री के पी ओली अर्थात "क" अक्षर पर हम ध्यान दें तो इस पर मिथुन राशि का निर्माण होता है तथा जिस पर सूर्य ग्रहण हो चुका है जो ग्रहण अवधि से 6 महीने तक प्रभाव शील होता है। तो इस प्रकार उनके साथ विभिन्न स्तर पर जुलाई से नवम्बर तक कोई भी अनुकूल स्थिति बनने की संभावनाएं दूर-दूर तक नहीं है। नेपाल की राजधानी काठमांडू भी सूर्य ग्रहण के प्रभाव से परे नहीं है इसलिए वहां के राजा अर्थात प्रधानमंत्री का परिवर्तन लगभग निश्चय आत्मक ज्योतिष के सिद्धांतों से है या नेपाल देश के एवम काठमांडू के लिए शनि एवम गुरु का वक्री होना अनिष्टकारी ही सिद्ध होगा।प्राकृतिक कोप भी प्रमुख कारण बन सकता है।
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