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स्टडी के सरल उपाय टिप्स,ज्योतिष



लेखक-वर्ष 1976 से 1990 तक ज्योतिष विद्वता हेतु अनेक बार सम्मानित यथा:   ज्योतिष वाचस्पतिभूषणमहर्षिशिरोमणिमनीषी,

 रत्नाकरमार्तण्डमहर्षि वेदव्यास1  ज्योतिष क्षेत्र अनुभव-48 वर्ष |

पढ़ने के पूर्व की तैयारी-
स्वच्छता-आंखे एवं पैर धो कर बैठे |
मोबाइल या सेलफोन साइलेंट रखे |
जूठे मुह या खाते 2 नहीं पढे क्योकि स्मरण नहीं रहेगा
--प्रकाश-कमरे में रोशनी ,टेबल पर लाइट पर्याप्त होनी चाहिए|
-हवा -खिड़की खुली हो या हवा का प्रवाह flow अच्छा हो |
- खुला भाग नहीं-सामने दरवाजा नहीं हो |कोई गतिवान दृश्य न हो |
- पुष्प-कोई फ्लावर पोट या फूल या लाल गुलाब की एक डनडी हो|
-सुगंध-वनीला या मोगरा या चन्दन की सुगंध कमरे मे हो
–यह मन मे विचार प्रवाह बढाती है | धूप का प्रयोग कर सकते हैं |
रंग- दीवार ,वस्त्र एवं वस्तु का रंग हल्के हों एवं हरा,नारंगी या पीले शेड का हो |
काला,स्लेटी या नीले उत्तम नहीं |
-सूर्यास्त से 45मिनट पहले एवं 45 मिनट बाद तक स्टडी करने से बचें
- शरीर का कोई भाग पृथ्वी से टच न हो |
-सामग्री पहले से हो-पीने का पानी एवं अन्य सभी उपयोग की वस्तु स्टडी टेबल पर हो |
-टाइम टेबल-
पढ़ने का विषय एवं समय एवं अवधि निर्धारित रखे | पहले से लिख कर रखे पढ़ने के टाइम अधिकतम 2 घंटे एक बार मे | नोटस बनाकर पढ़ने मे अधिकतम 3 घंटे |अपनी सुविधा से समय चुने |
दिन समय-
सर्वोत्तम- सूर्योदय से 2 घंटे पूर्व से सूर्योदय पूर्व तक |
\या सूर्योदय के 10 मिनट बाद से 6. 30 घंटे तक |
नवंबर से मार्च तक-
दिन- प्रातः 04:30 -6:30 ,7.30-9:00-09:30,11:-12:01 तक |
-रात्री- 7:00 बजे से 9.00 तक या 10:00 से 11:30. बजे तक |
- अप्रेल से अक्तूबर तक-
दिन- प्रातः4 बजे से 6 बजे तक,9:00-11:00,12-0-1.300 तक|
-रात्री- 7:30 बजे के बाद 9.30 तक या 11 से 00.30बजे तक |

पढ़ते के पूर्व विद्या की देवी का ध्यान करे ,मन एकाग्र करे -
- 2 मिनट आंखे बंद कर निर्विकार /विचारहीन होकर दोनों भोंहो के मध्य आंखे केन्द्रित करे |
-विद्या की देवी सरस्वती का ध्यान कर,मंत्र बोले –
1-  ह्रीं ऐं ह्रीं सरस्वत्यै नमः| या
2--शाबर मंत्र-ॐ शारदा माता ईश्वरी, मैं नित सुमरि तोय, हाथ जोड़ अरजी करूं विद्या वर दे मोय |या
3- महाविद्यायै नमK वाग्देव्यै नमK ज्ञानमुद्रायै नम:
4--गुरगृह गए पढ़न रघुराई। अल्प काल बिद्या सब आई।।
5- शारदायै नमस्तुभ्यं, मम ह्रदये प्रवेशिनी,
   परीक्षायां समुत्तीर्णं,सर्व विषय नाम यथा।
6-या कुन्देन्दु तुषार हार धवला या शुभ्र वस्त्र वृता।
या वीणा वर दण्ड मण्डित करा या श्वेत पद्मासना॥
या ब्रह्मा च्युत शंकर प्रभृति भिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा माम् पातु सरस्वती भगवती निःशेष जाड्यापहा॥1
अर्थ : विद्या की देवी सरस्वती कुन्द के श्वेत फूल, चंद्रमा, हिम राशि और मोती के हार की तरह धवल श्वेत वर्ण की हैं | श्वेत वस्त्र धारण किए हैं, हाथ में वीणा-दण्ड है, श्वेत कमलों पर बैठी हुई है |जिनकी  ब्रह्मा, विष्णु एवं शंकर आदि सदा पुजा करते हैं| संपूर्ण मूर्खता और अज्ञान को दूर कर देने वाली सरस्वती हमारी रक्षा करें। ..
पढ़ते समय की आवश्यक बाते
दिशा-पूरब दिशा या उत्तर की ओर मुंह करके पढ़ें .|रात्री मे पश्चिम दिशा का प्रयोग कर सकते हैं |.
विशेष- दिशा के कोने की ओर मुह नहीं हो (NE,NW,SE,SW) |
- बैठ कर पढे -मानव का मेरुदंड सीधा   रहता है, तो ब्रेन  एक्ट‍िव रहता है और स्मरण मेमोरी अच्छी रहती है |लेटकर नहीं, करें पढ़ाई |
-पैर पर पैर रख कर नहीं बैठे या पैर हिलाये नहीं | एक बार मे एक विषय ही पढे |
-कठिन विषय पहले ,परंतु एक घंटे से अधिक नहीं पढे |
-सरल विषय बाद मे पढे या होम वर्क भी बाद मे करे |
-नोटस बनाना उत्तम,फिर उसको पढे |
विषय से संबन्धित टेप सुने या रिकॉर्ड सुने |
-किसी मित्र की स्टडि हो, उस विषय पर समय निर्धारित कर उस से पुछे या सुने
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