Bhojeshwar Shivling Bojpur |
भोजपुर का अधूरा अद्भुत शिव मंदिर : रहस्य-
उत्तर भारत का सोमनाथ कहलाने वाला भोजपुर नगर का
भोजेश्वर
मंदिर विश्व का दुर्लभ मंदिर है।
राजा भोज द्वारा जीर्णोद्धार कराया गया इसलिए इस मंदिर का नाम भोजेश्वर प्रचलित एवम प्रसिद्ध हुआ। यह मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से 32 किलोमीटर एवं
विदिशा
से 45 मील की
दूरी पर रायसेन जिले के गोहरगंज
तहसील
के औबेदुल्ला उपखण्ड में
वेत्रवती नदीके किनारे अवस्थित है।
वेत्रवती नदी प्रसिद्ध नाम बेतवा नदी के किनारे बसा हुआ है।
कुमरी गांव के निकट सघन वन में बेतवा
नदी एक कुंड से
निकलकर
बहती है ।बेतवा नदी का उद्गम स्थल है।
एक रात में पांडवों द्वारा अधूरा मंदिर निर्माण- यह मान्यता है - मंदिर का निर्माण द्वापर युग में पांडवों द्वारा
अपने
अज्ञातवास काल में, मां
कुंती की पूजा के लिए किया था।
भीम
द्वारा विशाल पत्थर एकत्र किए गए थे।पांडवों द्वारा इस
शिवलिंग
कानिर्माण एक रात में ही किए करने का प्रयास किया था।
परंतु सूर्योदय हो जाने के कारण मंदिर का कार्य अधूरा रह गया ।
इस
मंदिर में छत नहीं है। इस मंदिर के निर्माण के बारे में यह
कथानक
प्रसिद्ध है यहां पर भीम घुटनों के बल बैठकर इस शिवलिंग
पर फूल
चढ़ाया करते थे।माता कुंती स्नान उपरांत यहां पर
शिवलिंग
की पूजा करती थी ।
जीर्णोद्धार वास्तु आधारित राजा भोज द्वारा- -ऐतिहासिक - भोजपुर नगर की स्थापना तथा इस मंदिर का
जीर्णोद्धार
धार के प्रसिद्ध परमार वंश राजा भोज (जिन्होंने अनेक
ग्रंथ
लिखे) उसमें भी वास्तु का प्रसिद्ध ग्रंथ समरांगण सूत्रधार के आधार पर
इसका जीर्णोद्धार 1010 इसमें
से 1053 के मध्य
कराने के
प्रमाण
मिलते हैं।
- रहस्य- पांडवों के प्रयास अधूरे निर्माण के साक्षी हैं ,इसके
पश्चात कालांतर मे राजा भोज द्वारा इस मंदिर का
जीर्णोद्धार
वास्तु
कला के आधार पर प्रारंभ किया गया परंतु यह अधूरा,
अपूर्ण
निर्माण ही रह गया |ना पांडव पूर्ण कर सके ना राजा भोज ।
कारण अबूझ हें |चाहे जो भी हो ,अतीत के तहखाने मे अदृश्य
हैं|
आश्चर्य जनक तथ्य- इस मंदिर के वास्तु विन्यास का वर्णन यहां की चट्टानों पर उत्कीर्णत है। भूमि विन्यास, स्तम्भ,शिखर,/ गुम्बद आदि मंदिर जीर्णोद्धार की
अभिकल्पना
आसपास की पत्थरों पर देखी जा सकती है।
अभिप्राय
यह है कि, तात्कालीन
समय मे भी पूर्व वास्तु अभिकल्पना कर(नक्शा) निर्माण किया जाता था।
अद्भुत अकल्पनीय कौशल का साक्षी :विश्व मे एकमात्र - -यह मंदिर विश्व के एक ही पत्थर से बने समस्त शिव
लिंगों
में सर्वाधिक बड़ा है।
- यह मंदिर जिस चबूतरे पर अवस्थित है ,वह 115 फीट लंबा 82 फीट चौड़ा तथा 13 फीट ऊंचा है zindagi । -शिवलिंग की ऊंचाई साडे 21 फीट , -पिंड का व्यास 18 फीट 8 इंच , -जल हरि 20 बाय 20 है. - संपूर्ण शिव पिंडी का18 फीट व्यास । -7:30 फ़ीट केवलशिव लिंग का व्यास। - 12 फीट लिंग की लंबाई। -40 फीट ऊंचाई वाले इस के चार स्तंभ है गर्भ ग्रह की अधूरी
बनी छत
इन चार स्तंभों पर ही टिकी हुई है।
-70 टन वजनी पत्थर इतनी ऊंचाई पर ले जाना तथा गुंबद आदि का निर्माण आज भी वैज्ञानिकों के लिए अबूझ पहेली बना हुआ है। विश्व में कहीं भी कोई भी शिवलिंग आकार प्रकार एवम एक ही
पाषाण
से निर्मित इस प्रकार का नहीं है ।
इसके साथ ही इसकी विशेषता है,इसका वृहद आकार का दरवाजा ।
-भारत
में प्राप्त हिंदू काल में निर्मित किसी भी मंदिर के दरवाजों में या किसी भी
इमारत के दरवाजों में सर्वाधिक बड़ा इसका दरवाजा है i
- उसके पश्चिमी दिशा में देवी पार्वती की गुफा है जिसमें अनेक मूर्तियां विराजित है। जिनका पुरातत्व महत्व बहुत अधिक है। -गोस्वामी वंश के 19 वीं पीढ़ी के वंशज श्री महंत पवन गिरी इस
मंदिर
की पूजा अर्चना करते हैं , ।
पर्व पर मेला - वर्ष में दो बार यहां पर मेला संपन्न होता है या विशेष अवसर होते हैं मकर संक्रांति एवं महाशिवरात्रि पर्व इसके साथ ही यहां पर 3 दिन का भोजपुर महोत्सव महोत्सव भी आयोजित किया जाता है| |
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