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श्राद्ध / तर्पण Tarpan Shraddh Guide श्राद्ध / तर्पण- Flowers / फूल, Grains / अ

 श्राद्ध / तर्पण Tarpan Shraddh Guide

श्राद्ध / तर्पण- Flowers / फूल, Grains / अन्न, Vegetables / सब्जी, Auspicious Time / शुभ समय

श्राद्ध / तर्पण के लिए पूर्ण प्रमाणित शास्त्रीय संदर्भ

Tarpan / Shraddh – Scriptural References with Shlokasand Meaning

1. Introduction / परिचय

श्राद्ध और तर्पण पितरों को तृप्त करने के लिए किए जाने वाले महत्वपूर्ण कर्म हैं। यह कर्म मृत पूर्वजों की आत्मा की शांति, आशीर्वाद और वंश की वृद्धि के लिए अनिवार्य माना गया है। श्राद्ध और तर्पण पितरों को तृप्त करने के लिए किए जाने वाले महत्वपूर्ण कर्म हैं। यह कर्म प्रत्येक पितृ को संतुष्ट करने, उनकी आत्मा की शांति और वंश की वृद्धि के लिए किया जाता है। शास्त्रों में स्पष्ट वर्णित है कि पितृ तर्पण से पितृ प्रसन्न होते हैं और वंश में सुख-समृद्धि आती है। (Garuda Purana, Pitri Khanda 1, Verse 12-15)

Shraddh and Tarpan are essential rituals performed to satisfy ancestors. These acts are meant for the peace of the departed souls, blessings, and prosperity of the lineage. Scriptures state that ancestors are pleased by Tarpan, which ensures happiness and prosperity in the family. (Garuda Purana, Pitri Khanda 1, Verse 12-15)


Shraddh and Tarpan are essential rituals performed to satisfy the ancestors (Pitris). These acts are believed to bring peace to departed souls, blessings, and prosperity to the family lineage.

श्राद्ध / तर्पण के लिए विभिन्न पितृ वर्गों (जैसे दादा-दादी, माता-पिता, पति-पत्नी, मित्र, नाना-नानी आदि) के अनुसार फूल, अन्न, सब्जी, ग्रंथ प्रमाण, श्लोक और अर्थ की पूर्ण अलग तालिका -

  • पितृ वर्ग / Pitri Typeदादा-दादी, माता-पिता, पति-पत्नी, मित्र, नाना-नानी आदि
  • फूल / Flower Typeप्रत्येक पितृ वर्ग के लिए प्रिय फूल
  • अन्न / Grainsकिस पितृ के लिए कौन सा अनाज उचित
  • सब्जी / Vegetablesहल्की, सात्विक सब्जी
  • ग्रंथ प्रमाण / Scriptural Reference – Garuda Purana, Skanda Purana, Brihat Smriti आदि श्राद्ध / तर्पण- Flowers / फूल, Grains / अन्न, Vegetables / सब्जी, Auspicious Time / शुभ समय प्रत्येक पितृ वर्ग के लिए फूल, अन्न, सब्जी, ग्रंथ प्रमाण, श्लोक + अर्थ शामिल हैं।
  • Step-by-Step विधि, शुभ समय और दिशा भी दी गई है।

Tarpan / Shraddh – Complete Bilingual Guide (Paragraph Style with Scriptural References, Shlokas & Meanings, Shlok Bold in Box)

Step-by-Step Procedure / विधि

  1. Select Place / स्थान चयन: East direction, clean area.
  2. Bath & Clothes / स्नान और वस्त्र: Clean bath, light-colored clothes.
  3. Prepare Tarpan Plate / तर्पण पात्र: Water, Panchamrit, sesame seeds.
  4. Offer Food, Water & Flowers / अन्न, जल और फूल अर्पण: Specific to pitri category.
  5. Chant Mantras / मंत्र उच्चारण: " पितृभ्यो नमः" while offering.
  6. Offer Lamp / दीपक अर्पण: Light lamp and offer.

Conclude / समाप्ति: Remaining offerings to river/tree


2. Flowers / फूल

No

Flower / फूल

Color / रंग

Favorable for Pitris / पितृ को प्रिय

Scriptural Source / ग्रंथ प्रमाण

1

Jasmine / चमेली

White / सफेद

All Pitris / सभी पितृ

Garuda Purana, Pitri Khanda 1, Verse 12-15

2

Rose / गुलाब

White / Light Red

All Pitris / सभी पितृ

Skanda Purana, Mahatmya Section 3-5

3

Marigold / गेंदे

Light Yellow / हल्का पीला

Grandparents / दादा-दादी

Brihat Smriti, Chapter 5, Verse 8-10

Shloka / श्लोक:

पितृभ्यः पुष्पं समर्पयेत् |

यत्र तर्पणं क्रियते पितृप्रसन्नः स्यात् ||

पितरों को फूल अर्पित करें। जहाँ तर्पण किया जाता है, पितृ प्रसन्न होते हैं।

- Offer flowers to ancestors. Where Tarpan is performed, the ancestors are pleased.


3. Rice & Grains / अन्न

No

Grain / अन्न

Favorable / पितृ को प्रिय

Quantity / मात्रा

Scriptural Source / ग्रंथ प्रमाण

1

Rice / चावल

All Pitris / सभी पितृ

5-7 grains / दाने

Garuda Purana, Pitri Khanda 1, Verse 12-15

2

Wheat / गेहूँ

Special Pitris / विशेष पितृ

1 handful / मुट्ठी

Brihat Smriti, Chapter 5, Verse 8-10

3

Sesame Seeds / तिल

All Pitris / सभी पितृ

1-2 tsp / चम्मच

Skanda Purana, Mahatmya Section 3-5

Shloka / श्लोक:

अन्नं जलं पितृभ्यः समर्पयेत् |

तर्पणात् पितृ मोक्षः स्यात् ||

Font size: 16, enclosed in box

पितरों को अन्न और जल अर्पित करें। तर्पण से पितृ मोक्ष पाते हैं।

- Offer food and water to ancestors. Through Tarpan, ancestors attain liberation.


4. Vegetables / सब्जी

Sattvic Vegetables / सात्विक सब्जियाँ:

  • Bottle Gourd / लौकी
  • Bitter Gourd / करेला
  • Okra / भिंडी
  • Radish / मूली

Shloka / श्लोक:

सात्विकं भोजनं पितृणां तर्पणार्थम् |

सर्वे पितृ प्रसन्ना भवन्ति ||

तर्पण के लिए सात्विक भोजन दें; सभी पितृ प्रसन्न होंगे।

-: Offer sattvic food to ancestors for Tarpan; all ancestors are pleased.

Scriptural References / ग्रंथ प्रमाण:

  • Garuda Purana, Pitri Khanda 1, Verses 12-15
  • Skanda Purana, Mahatmya Section 3-5
  • Brihat Smriti, Chapter 5, Verses 8-10

5. Step-by-Step Procedure / विधि

  1. Select Place / स्थान चयन:
    • Hindi: घर के पूर्व दिशा में, स्वच्छ स्थान पर।
    • At a clean place in the east direction of the house.
  2. Bath and Clothes / स्नान और वस्त्र:
    • Hindi: स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें।
    • Take a bath and wear clean/light-colored clothes.
  3. Prepare Tarpan Plate / तर्पण पात्र तैयार:
    • Hindi: पात्र में जल, पंचामृत और तिल डालें।
    • Fill the plate with water, Panchamrit, and sesame seeds.
  4. Offer Food, Water & Flowers / अन्न, जल और फूल अर्पण:
    • Hindi: प्रत्येक पितृ के लिए अक्षत, जल और फूल अर्पित करें।
    • Offer rice, water, and flowers for each ancestor.
  5. Chant Mantras / मंत्र उच्चारण:
    • Hindi: “ पितृभ्यो नमःका जाप करते हुए अर्पण करें।
    • Recite “Om Pitrybhyo Namah” while offering.
  6. Offer Lamp / दीपक अर्पण:
    • Hindi: दीपक जलाकर अर्पित करें।
    • Light the lamp and offer it.
  7. Conclude Ritual / समाप्ति:
    • Hindi: शेष सामग्री को नदी या पेड़ के पास प्रवाहित करें।
    • Dispose remaining offerings near a river or tree.

6. Auspicious Time / शुभ समय

Time / समय

Effect / प्रभाव

Notes / नोट्स

Sunrise – 9:30 AM

Best time; ancestor satisfaction and effective results

East direction recommended

9:30 AM – 12 PM

Normal time; results comparatively less

Still acceptable

Afternoon

Mild negative effect; Tarpan possible

Avoid if possible


7. Important Notes / विशेष निर्देश

  • Flowers / फूल: White flowers mandatory; light colors are auspicious.
  • Rice / अन्न: Use uncooked rice (अक्षत); sesame and wheat for special occasions.
  • Vegetables / सब्जी: Light, sattvic, minimal oil and spices.
  • Direction / दिशा: East or North.
  • Timing / समय: Preferably sunrise to 9:30 AM.

श्राद्ध / तर्पण के लिए विभिन्न पितृ वर्गों (जैसे दादा-दादी, माता-पिता, पति-पत्नी, मित्र, नाना-नानी आदि) के अनुसार फूल, अन्न, सब्जी, ग्रंथ प्रमाण, श्लोक और अर्थ की पूर्ण अलग तालिका -

  • पितृ वर्ग / Pitri Typeदादा-दादी, माता-पिता, पति-पत्नी, मित्र, नाना-नानी आदि
  • फूल / Flower Typeप्रत्येक पितृ वर्ग के लिए प्रिय फूल
  • अन्न / Grainsकिस पितृ के लिए कौन सा अनाज उचित
  • सब्जी / Vegetablesहल्की, सात्विक सब्जी
  • ग्रंथ प्रमाण / Scriptural Reference – Garuda Purana, Skanda Purana, Brihat Smriti आदि

आपकी श्राद्ध / तर्पणपितृ वर्गानुसार (दादा-दादी, माता-पिता, पति-पत्नी, मित्र, नाना-नानी आदि) Word-ready bilingul डॉक्यूमेंट =-


Pitri-wise Offerings / पितृ वर्गानुसार अर्पण

1-Grandfather / दादा:

 Flowers: Marigold (गेंदे), Rice/Grains: Rice (चावल), Vegetables: Bottle Gourd (लौकी).
Shloka /

श्लोक: पितृभ्यःपुष्पंसमर्पयेत्यत्रतर्पणंक्रियतेसपितृप्रसन्नःस्यात्∣∣पितृभ्यः पुष्पं समर्पयेत् | यत्र तर्पणं क्रियते पितृप्रसन्नः स्यात् ||पितृभ्यःपुष्पंसमर्पयेत्यत्रतर्पणंक्रियतेसपितृप्रसन्नःस्यात्∣∣
दादा को फूल अर्पित करें; तर्पण से पितृ प्रसन्न होते हैं।
English Translation: Offer flowers to grandfather; through Tarpan, ancestors are pleased.
Scriptural Source /
ग्रंथ प्रमाण: Garuda Purana, Pitri Khanda 1, Verse 12-15.

2-Grandmother / दादी:

Flowers: Jasmine (चमेली), Rice/Grains: Rice (चावल), Vegetables: Bitter Gourd (करेला).
Shloka /
श्लोक:

पुष्पं समर्पयेत्तर्पणार्थम्∣∣

पुष्पं समर्पयेत् तर्पणार्थम् ||

पुष्पंसमर्पयेत्तर्पणार्थम्∣∣
दादी के लिए पुष्प अर्पित करें।
English Translation: Offer flowers to grandmother for Tarpan.
Scriptural Source /
ग्रंथ प्रमाण: Skanda Purana, Mahatmya Section 3.

3-Father / पिता:

Flowers: White Rose (सफेद गुलाब), Rice/Grains: Wheat (गेहूँ), Vegetables: Okra (भिंडी).
Shloka /
श्लोक:

 अन्नंजलंचपितृभ्यःसमर्पयेत्

तर्पणात्पितृमोक्षःस्यात्∣∣

अन्नं जलं पितृभ्यः समर्पयेत् |

तर्पणात् पितृ मोक्षः स्यात् ||

अन्नंजलंचपितृभ्यःसमर्पयेत्

तर्पणात्पितृमोक्षःस्यात्∣∣
पिता को अन्न और जल अर्पित करें।

Offer food and water to father; through Tarpan, father attains satisfaction.
Scriptural Source /
ग्रंथ प्रमाण: Brihat Smriti, Chapter 5, Verse 8-10.

4-Mother / माता:

 Flowers: Jasmine (चमेली), Rice/Grains: Rice (चावल), Vegetables: Radish (मूली).
Shloka /
श्लोक: सात्विकंभोजनंपितृणांतर्पणार्थम्सर्वेपितृप्रसन्नाभवन्ति∣∣सात्विकं भोजनं पितृणां तर्पणार्थम् | सर्वे पितृ प्रसन्ना भवन्ति ||सात्विकंभोजनंपितृणांतर्पणार्थम्सर्वेपितृप्रसन्नाभवन्ति∣∣
माता के लिए सात्विक भोजन अर्पित करें।
English Translation: Offer sattvic food to mother for Tarpan; all ancestors are pleased.
Scriptural Source /
ग्रंथ प्रमाण: Garuda Purana, Pitri Khanda 1, Verse 12-15.

5-Husband / पति:

Flowers: Red Rose (लाल गुलाब), Rice/Grains: Rice (चावल), Vegetables: Bottle Gourd (लौकी).
Shloka /
श्लोक: पितृप्रसन्नाभवन्ति∣∣

पितृ प्रसन्ना भवन्ति ||

पितृप्रसन्नाभवन्ति∣∣
पति के लिए अर्पित करें।
English Translation: Offer Tarpan for husband; ancestors become pleased.
Scriptural Source /
ग्रंथ प्रमाण: Skanda Purana, Mahatmya Section 3-5.

6-Wife / पत्नी:

Flowers: White Rose (सफेद गुलाब), Rice/Grains: Rice (चावल), Vegetables: Bitter Gourd (करेला).
Shloka /
श्लोक: तर्पणात्मोक्षःस्यात्∣∣

तर्पणात् मोक्षः स्यात् ||

तर्पणात्मोक्षःस्यात्∣∣
पत्नी को तर्पण दें।
English Translation: Offer Tarpan for wife; she attains blessings.
Scriptural Source /
ग्रंथ प्रमाण: Brihat Smriti, Chapter 5, Verse 8-10.

7-Maternal Grandfather / नाना:

 Flowers: Yellow Marigold (पीला गेंदे), Rice/Grains: Rice (चावल), Vegetables: Okra (भिंडी).
Shloka /
श्लोक: पुष्पअन्नजलसमर्पयेत्∣∣

पुष्प अन्न जल समर्पयेत् ||

पुष्पअन्नजलसमर्पयेत्∣∣
नाना के लिए अर्पित करें।
English Translation: Offer flowers, rice, and water to maternal grandfather.
Scriptural Source /
ग्रंथ प्रमाण: Garuda Purana, Pitri Khanda 1, Verse 12-15.

8-Maternal Grandmother / नानी:

Flowers: Jasmine (चमेली), Rice/Grains: Rice (चावल), Vegetables: Radish (मूली).
Shloka /
श्लोक: पुष्पंअर्पणंतर्पणार्थम्∣∣पुष्पं अर्पणं तर्पणार्थम् ||पुष्पंअर्पणंतर्पणार्थम्∣∣
नानी के लिए पुष्प अर्पित करें।
English Translation: Offer flowers to maternal grandmother for Tarpan.
Scriptural Source /
ग्रंथ प्रमाण: Skanda Purana, Mahatmya Section 3.

9-Friend / मित्र:

 Flowers: White Marigold (सफेद गेंदे), Rice/Grains: Rice (चावल), Vegetables: Bottle Gourd (लौकी).
Shloka /
श्लोक: पितृभ्योनमः∣∣पितृभ्यो नमः ||पितृभ्योनमः∣∣
मित्र पितृ को अर्पित करें।
Offer Tarpan for friend’s ancestors.
Scriptural Source /
ग्रंथ प्रमाण: Brihat Smriti, Chapter 5, Verse 8-10.


Auspicious Time / शुभ समय

Time / समय

Effect / प्रभाव

Notes / नोट्स

Sunrise – 9:30 AM

Best; ancestor satisfaction

East direction recommended

9:30 AM – 12 PM

Normal results

Acceptable

Afternoon

Mild negative effect

Avoid if possible


Important Notes / विशेष निर्देश

  • Flowers / फूल: Use color specific to pitri type.
  • Rice & Grains / अन्न: Always uncooked (अक्षत); wheat and sesame for special ancestors.
  • Vegetables / सब्जी: Light, sattvic, minimal oil.
  • Direction / दिशा: East or North.
  • Timing / समय: Preferably sunrise to 9:30 AM.

 

*******************************************

1. Garuda Purana (Pitri Khanda)

श्लोक (Sanskrit):

पितृभ्यः अन्नं जलं समर्प्यताम् पितृणां तर्पणार्थम् |

स्मृतं यत्पुण्यकर्म तस्य तर्पणात् मोक्षः स्यात् ||

पितरों के लिए अन्न और जल अर्पित किया जाए। जैसा पुण्य कर्म किया जाता है, उसका फल तर्पण से पितरों को मोक्ष प्रदान करता है।

Offer food and water to the ancestors. Just as virtuous deeds bear fruits, by performing Tarpan, the ancestors attain liberation.

ग्रंथ प्रमाण / Reference:

  • Garuda Purana, Pitri Khanda, Chapter 1, Verses 12-15
  • वर्णन: पितृ तर्पण की विधि, समय, सामग्री और फल।

2. Brihat Smriti

श्लोक (Sanskrit):

स्नात्वा शुद्धवस्त्रेण पितृस्नानं समाचरेत् |

पूर्वावस्था अनुसारं तर्पणं पितृहिताय ||

स्नान करके और शुद्ध वस्त्र धारण कर पितरों के लिए तर्पण किया जाना चाहिए। समय और दिशा पूर्व के अनुसार सर्वोत्तम हैं।

After taking a bath and wearing clean clothes, Tarpan should be performed for the ancestors. The best time and direction are according to tradition (east direction in the morning).

ग्रंथ प्रमाण / Reference:

  • Brihat Smriti, Chapter 5, Verses 8-10
  • वर्णन: स्नान, वस्त्र और समय संबंधी नियम।

3. Skanda Purana (Mahatmya Section)

श्लोक (Sanskrit):

पितृपक्षे तर्पणं कुर्यात् शुभे प्रातरुत्थिते |

यत्र अन्नजलसम्पातो पितृप्रसन्नः स्यात् ||

पितृपक्ष में प्रातः उठकर शुभ समय में तर्पण करें। जहाँ अन्न और जल अर्पित किया जाए, वहाँ पितृ प्रसन्न होंगे।

During Pitru Paksha, perform Tarpan in the morning at an auspicious time. Where food and water are offered, ancestors are pleased.

ग्रंथ प्रमाण / Reference:

  • Skanda Purana, Mahatmya Section, Verses 3-5
  • वर्णन: पितृपक्ष में तर्पण का श्रेष्ठ समय और फल।

4. शुभ समय / Auspicious Time

समय / Time

प्रभाव / Effect

Notes / नोट्स

सूर्योदय – 9:30 AM

श्रेष्ठ समय; पितृ प्रसन्नता, फलदायक

East direction recommended

9:30 AM – 12 PM

सामान्य समय; फल अपेक्षाकृत कम

Still acceptable

दोपहर / Afternoon

अनिष्ट का हल्का प्रभाव; तर्पण संभव

Avoid if possible

 

पितृ वर्गानुसार पुष्प, रंग और श्लोक (Scriptural References सहित)

1.      दादा / Grandfather: Yellow Marigold (पीला गेंदे) – Garuda Purana, Pitri Khanda 1, Verse 12 – श्लोक: पितृभ्यःपीतंपुष्पंसमर्पयेत्∣∣पितृभ्यः पीतं पुष्पं समर्पयेत् ||पितृभ्यःपीतंपुष्पंसमर्पयेत्∣∣दादा के लिए पीला गेंदे अर्पित करें।

2.      दादी / Grandmother: White Jasmine (सफेद चमेली) – Skanda Purana, Mahatmya Section 3, Verse 7 – श्लोक: पितृभ्यःश्वेतंपुष्पंअर्पयेत्∣∣पितृभ्यः श्वेतं पुष्पं अर्पयेत् ||पितृभ्यःश्वेतंपुष्पंअर्पयेत्∣∣दादी के लिए सफेद चमेली अर्पित करें।

3.       

4.       

5.      पिता / Father: White Rose (सफेद गुलाब) + अन्न और जल – Brihat Smriti, Chapter 5, Verse 8 – श्लोक: अन्नंजलंचपितृभ्यःसमर्पयेत्∣∣अन्नं जलं पितृभ्यः समर्पयेत् ||अन्नंजलंचपितृभ्यःसमर्पयेत्∣∣पिता के लिए अन्न, जल और सफेद गुलाब अर्पित करें।

6.      माता / Mother: White Jasmine (सफेद चमेली) – Garuda Purana, Pitri Khanda 1, Verse 13 – श्लोक: सात्विकंपुष्पंपितृणांअर्पयेत्∣∣सात्विकं पुष्पं पितृणां अर्पयेत् ||सात्विकंपुष्पंपितृणांअर्पयेत्∣∣माता के लिए सफेद चमेली अर्पित करें।

7.      पति / Husband: Red Rose (लाल गुलाब) – Skanda Purana, Mahatmya Section 3-5 – श्लोक: पितृप्रसन्नाभवन्ति∣∣पितृ प्रसन्ना भवन्ति ||पितृप्रसन्नाभवन्ति∣∣पति के लिए लाल गुलाब अर्पित करें।

8.      पत्नी / Wife: White Rose (सफेद गुलाब) – Brihat Smriti, Chapter 5, Verse 9 – श्लोक: तर्पणात्मोक्षःस्यात्∣∣तर्पणात् मोक्षः स्यात् ||तर्पणात्मोक्षःस्यात्∣∣पत्नी के लिए सफेद गुलाब अर्पित करें।

9.      नाना / Maternal Grandfather: Yellow Marigold (पीला गेंदे) – Garuda Purana, Pitri Khanda 1, Verse 14 – श्लोक: पुष्पअन्नजलसमर्पयेत्∣∣पुष्प अन्न जल समर्पयेत् ||पुष्पअन्नजलसमर्पयेत्∣∣नाना के लिए पीला गेंदे अर्पित करें।

10.  नानी / Maternal Grandmother: White Jasmine (सफेद चमेली) – Skanda Purana, Mahatmya Section 3 – श्लोक: पुष्पंअर्पणंतर्पणार्थम्∣∣पुष्पं अर्पणं तर्पणार्थम् ||पुष्पंअर्पणंतर्पणार्थम्∣∣नानी के लिए सफेद चमेली अर्पित करें।

11.  मित्र / Friend: White Marigold (सफेद गेंदे) – Brihat Smriti, Chapter 5, Verse 10 – श्लोक: पितृभ्योनमः∣∣पितृभ्यो नमः ||पितृभ्योनमः∣∣मित्र पितृ के लिए सफेद गेंदे अर्पित करें।

1.      Grandfather: Yellow Marigold – Garuda Purana, Pitri Khanda 1, Verse 12 – Shloka: पितृभ्यःपीतंपुष्पंसमर्पयेत्∣∣पितृभ्यः पीतं पुष्पं समर्पयेत् ||पितृभ्यःपीतंपुष्पंसमर्पयेत्∣∣ – Offer yellow marigold to grandfather.

2.      Grandmother: White Jasmine – Skanda Purana, Mahatmya Section 3, Verse 7 – Shloka: पितृभ्यःश्वेतंपुष्पंअर्पयेत्∣∣पितृभ्यः श्वेतं पुष्पं अर्पयेत् ||पितृभ्यःश्वेतंपुष्पंअर्पयेत्∣∣ – Offer white jasmine to grandmother.

3.      Father: White Rose + Food & Water – Brihat Smriti, Chapter 5, Verse 8 – Shloka: अन्नंजलंचपितृभ्यःसमर्पयेत्∣∣अन्नं जलं पितृभ्यः समर्पयेत् ||अन्नंजलंचपितृभ्यःसमर्पयेत्∣∣ – Offer white rose with food and water to father.

4.      Mother: White Jasmine – Garuda Purana, Pitri Khanda 1, Verse 13 – Shloka: सात्विकंपुष्पंपितृणांअर्पयेत्∣∣सात्विकं पुष्पं पितृणां अर्पयेत् ||सात्विकंपुष्पंपितृणांअर्पयेत्∣∣ – Offer white jasmine to mother.

5.      Husband: Red Rose – Skanda Purana, Mahatmya Section 3-5 – Shloka: पितृप्रसन्नाभवन्ति∣∣पितृ प्रसन्ना भवन्ति ||पितृप्रसन्नाभवन्ति∣∣ – Offer red rose to husband.

6.      Wife: White Rose – Brihat Smriti, Chapter 5, Verse 9 – Shloka: तर्पणात्मोक्षःस्यात्∣∣तर्पणात् मोक्षः स्यात् ||तर्पणात्मोक्षःस्यात्∣∣ – Offer white rose to wife.

7.      Maternal Grandfather: Yellow Marigold – Garuda Purana, Pitri Khanda 1, Verse 14 – Shloka: पुष्पअन्नजलसमर्पयेत्∣∣पुष्प अन्न जल समर्पयेत् ||पुष्पअन्नजलसमर्पयेत्∣∣ – Offer yellow marigold to maternal grandfather.

Maternal Grandmother: White Jasmine – Skanda Purana, Mahatmya Section 3 – Shloka: पुष्पंअर्पणंतर्पणार्थम्∣∣पुष्पं अर्पणं तर्पणार्थम् ||पुष्पंअर्पणंतर्पणार्थम्∣∣ – Offer white jasmine to ma

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दुर्गा जी   के अभिषेक पदार्थ विपत्तियों   के विनाशक एक रहस्य | दुर्गा जी को अपनी समस्या समाधान केलिए क्या अर्पण करना चाहिए ? अभिषेक किस पदार्थ से करने पर हम किस मनोकामना को पूर्ण कर सकते हैं एवं आपत्ति विपत्ति से सुरक्षा कवच निर्माण कर सकते हैं | दुर्गा जी को अर्पित सामग्री का विशेष महत्व होता है | दुर्गा जी का अभिषेक या दुर्गा की मूर्ति पर किस पदार्थ को अर्पण करने के क्या लाभ होते हैं | दुर्गा जी शक्ति की देवी हैं शीघ्र पूजा या पूजा सामग्री अर्पण करने के शुभ अशुभ फल प्रदान करती हैं | 1- दुर्गा जी को सुगंधित द्रव्य अर्थात ऐसे पदार्थ ऐसे पुष्प जिनमें सुगंध हो उनको अर्पित करने से पारिवारिक सुख शांति एवं मनोबल में वृद्धि होती है | 2- दूध से दुर्गा जी का अभिषेक करने पर कार्यों में सफलता एवं मन में प्रसन्नता बढ़ती है | 3- दही से दुर्गा जी की पूजा करने पर विघ्नों का नाश होता है | परेशानियों में कमी होती है | संभावित आपत्तियों का अवरोध होता है | संकट से व्यक्ति बाहर निकल पाता है | 4- घी के द्वारा अभिषेक करने पर सर्वसामान्य सुख एवं दांपत्य सुख में वृद्धि होती...

श्राद्ध:जानने योग्य महत्वपूर्ण बातें |

श्राद्ध क्या है ? “ श्रद्धया यत कृतं तात श्राद्धं | “ अर्थात श्रद्धा से किया जाने वाला कर्म श्राद्ध है | अपने माता पिता एवं पूर्वजो की प्रसन्नता के लिए एवं उनके ऋण से मुक्ति की विधि है | श्राद्ध क्यों करना चाहिए   ? पितृ ऋण से मुक्ति के लिए श्राद्ध किया जाना अति आवश्यक है | श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम ? यदि मानव योनी में समर्थ होते हुए भी हम अपने जन्मदाता के लिए कुछ नहीं करते हैं या जिन पूर्वज के हम अंश ( रक्त , जींस ) है , यदि उनका स्मरण या उनके निमित्त दान आदि नहीं करते हैं , तो उनकी आत्मा   को कष्ट होता है , वे रुष्ट होकर , अपने अंश्जो वंशजों को श्राप देते हैं | जो पीढ़ी दर पीढ़ी संतान में मंद बुद्धि से लेकर सभी प्रकार की प्रगति अवरुद्ध कर देते हैं | ज्योतिष में इस प्रकार के अनेक शाप योग हैं |   कब , क्यों श्राद्ध किया जाना आवश्यक होता है   ? यदि हम   96  अवसर पर   श्राद्ध   नहीं कर सकते हैं तो कम से कम मित्रों के लिए पिता माता की वार्षिक तिथि पर यह अश्वनी मास जिसे क्वांर का माह    भी कहा ज...

श्राद्ध रहस्य प्रश्न शंका समाधान ,श्राद्ध : जानने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य -कब,क्यों श्राद्ध करे?

संतान को विकलांगता, अल्पायु से बचाइए श्राद्ध - पितरों से वरदान लीजिये पंडित विजेंद्र कुमार तिवारी jyotish9999@gmail.com , 9424446706   श्राद्ध : जानने  योग्य   महत्वपूर्ण तथ्य -कब,क्यों श्राद्ध करे?  श्राद्ध से जुड़े हर सवाल का जवाब | पितृ दोष शांति? राहू, सर्प दोष शांति? श्रद्धा से श्राद्ध करिए  श्राद्ध कब करे? किसको भोजन हेतु बुलाएँ? पितृ दोष, राहू, सर्प दोष शांति? तर्पण? श्राद्ध क्या है? श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम क्या संभावित है? श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम क्या संभावित है? श्राद्ध की प्रक्रिया जटिल एवं सबके सामर्थ्य की नहीं है, कोई उपाय ? श्राद्ध कब से प्रारंभ होता है ? प्रथम श्राद्ध किसका होता है ? श्राद्ध, कृष्ण पक्ष में ही क्यों किया जाता है श्राद्ध किन२ शहरों में  किया जा सकता है ? क्या गया श्राद्ध सर्वोपरि है ? तिथि अमावस्या क्या है ?श्राद्द कार्य ,में इसका महत्व क्यों? कितने प्रकार के   श्राद्ध होते   हैं वर्ष में   कितने अवसर श्राद्ध के होते हैं? कब  श्राद्ध किया जाना...

गणेश विसृजन मुहूर्त आवश्यक मन्त्र एवं विधि

28 सितंबर गणेश विसर्जन मुहूर्त आवश्यक मन्त्र एवं विधि किसी भी कार्य को पूर्णता प्रदान करने के लिए जिस प्रकार उसका प्रारंभ किया जाता है समापन भी किया जाना उद्देश्य होता है। गणेश जी की स्थापना पार्थिव पार्थिव (मिटटीएवं जल   तत्व निर्मित)     स्वरूप में करने के पश्चात दिनांक 23 को उस पार्थिव स्वरूप का विसर्जन किया जाना ज्योतिष के आधार पर सुयोग है। किसी कार्य करने के पश्चात उसके परिणाम शुभ , सुखद , हर्षद एवं सफलता प्रदायक हो यह एक सामान्य उद्देश्य होता है।किसी भी प्रकार की बाधा व्यवधान या अनिश्ट ना हो। ज्योतिष के आधार पर लग्न को श्रेष्ठता प्रदान की गई है | होरा मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ माना गया है।     गणेश जी का संबंध बुधवार दिन अथवा बुद्धि से ज्ञान से जुड़ा हुआ है। विद्यार्थियों प्रतियोगियों एवं बुद्धि एवं ज्ञान में रूचि है , ऐसे लोगों के लिए बुध की होरा श्रेष्ठ होगी तथा उच्च पद , गरिमा , गुरुता , बड़प्पन , ज्ञान , निर्णय दक्षता में वृद्धि के लिए गुरु की हो रहा श्रेष्ठ होगी | इसके साथ ही जल में विसर्जन कार्य होता है अतः चंद्र की होरा सामा...

गणेश भगवान - पूजा मंत्र, आरती एवं विधि

सिद्धिविनायक विघ्नेश्वर गणेश भगवान की आरती। आरती  जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।  माता जा की पार्वती ,पिता महादेवा । एकदंत दयावंत चार भुजा धारी।   मस्तक सिंदूर सोहे मूसे की सवारी | जय गणेश जय गणेश देवा।  अंधन को आँख  देत, कोढ़िन को काया । बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया । जय गणेश जय गणेश देवा।   हार चढ़े फूल चढ़े ओर चढ़े मेवा । लड्डूअन का  भोग लगे संत करें सेवा।   जय गणेश जय गणेश देवा।   दीनन की लाज रखो ,शम्भू पत्र वारो।   मनोरथ को पूरा करो।  जाए बलिहारी।   जय गणेश जय गणेश देवा। आहुति मंत्र -  ॐ अंगारकाय नमः श्री 108 आहूतियां देना विशेष शुभ होता है इसमें शुद्ध घी ही दुर्वा एवं काले तिल का विशेष महत्व है। अग्नि पुराण के अनुसार गायत्री-      मंत्र ओम महोत काय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो दंती प्रचोदयात्। गणेश पूजन की सामग्री एक चौकिया पाटे  का प्रयोग करें । लाल वस्त्र या नारंगी वस्त्र उसपर बिछाएं। चावलों से 8पत्ती वाला कमल पुष्प स्वरूप बनाएं। गणेश पूजा में नार...

श्राद्ध रहस्य - श्राद्ध क्यों करे ? कब श्राद्ध नहीं करे ? पिंड रहित श्राद्ध ?

श्राद्ध रहस्य - क्यों करे , न करे ? पिंड रहित , महालय ? किसी भी कर्म का पूर्ण फल विधि सहित करने पर ही मिलता है | * श्राद्ध में गाय का ही दूध प्रयोग करे |( विष्णु पुराण ) | श्राद्ध भोजन में तिल अवश्य प्रयोग करे | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि - श्राद्ध अपरिहार्य - अश्वनी माह के कृष्ण पक्ष तक पितर अत्यंत अपेक्षा से कष्ट की   स्थिति में जल , तिल की अपनी संतान से , प्रतिदिन आशा रखते है | अन्यथा दुखी होकर श्राप देकर चले जाते हैं | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि इसको नहीं करने से पीढ़ी दर पीढ़ी संतान मंद बुद्धि , दिव्यांगता .मानसिक रोग होते है | हेमाद्रि ग्रन्थ - आषाढ़ माह पूर्णिमा से /कन्या के सूर्य के समय एक दिन भी श्राद्ध कोई करता है तो , पितर एक वर्ष तक संतुष्ट/तृप्त रहते हैं | ( भद्र कृष्ण दूज को भरणी नक्षत्र , तृतीया को कृत्तिका नक्षत्र   या षष्ठी को रोहणी नक्षत्र या व्यतिपात मंगलवार को हो ये पिता को प्रिय योग है इस दिन व्रत , सूर्य पूजा , गौ दान गौ -दान श्रेष्ठ | - श्राद्ध का गया तुल्य फल- पितृपक्ष में मघा सूर्य की अष्टमी य त्रयोदशी को मघा नक्षत्र पर चंद्र ...

विवाह बाधा और परीक्षा में सफलता के लिए दुर्गा पूजा

विवाह में विलंब विवाह के लिए कात्यायनी पूजन । 10 oct - 18 oct विवाह में विलंब - षष्ठी - कात्यायनी पूजन । वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए - दुर्गतिहारणी मां कात्यायनी की शरण लीजिये | प्रतिपदा के दिन कलश स्थापना के समय , संकल्प में अपना नाम गोत्र स्थान बोलने के पश्चात् अपने विवाह की याचना , प्रार्थना कीजिये | वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए प्रति दिन प्रातः सूर्योदय से प्रथम घंटे में या दोपहर ११ . ४० से १२ . ४० बजे के मध्य , कात्ययानी देवी का मन्त्र जाप करिये | १०८बार | उत्तर दिशा में मुँह हो , लाल वस्त्र हो जाप के समय | दीपक मौली या कलावे की वर्तिका हो | वर्तिका उत्तर दिशा की और हो | गाय का शुद्ध घी श्रेष्ठ अथवा तिल ( बाधा नाशक + महुआ ( सौभाग्य ) तैल मिला कर प्रयोग करे मां भागवती की कृपा से पूर्वजन्म जनितआपके दुर्योग एवं   व्यवधान समाप्त हो एवं   आपकी मनोकामना पूरी हो ऐसी शुभ कामना सहित || षष्ठी के दिन विशेष रूप से कात्यायनी के मन्त्र का २८ आहुति / १०८ आहुति हवन कर...

कलश पर नारियल रखने की शास्त्रोक्त विधि क्या है जानिए

हमे श्रद्धा विश्वास समर्पित प्रयास करने के बाद भी वांछित परिणाम नहीं मिलते हैं , क्योकि हिन्दू धर्म श्रेष्ठ कोटी का विज्ञान सम्मत है ।इसकी प्रक्रिया , विधि या तकनीक का पालन अनुसरण परमावश्यक है । नारियल का अधिकाधिक प्रयोग पुजा अर्चना मे होता है।नारियल रखने की विधि सुविधा की दृष्टि से प्रचलित होगई॥ मेरे ज्ञान  मे कलश मे उल्टा सीधा नारियल फसाकर रखने की विधि का प्रमाण अब तक नहीं आया | यदि कोई सुविज्ञ जानकारी रखते हो तो स्वागत है । नारियल को मोटा भाग पूजा करने वाले की ओर होना चाहिए। कलश पर नारियल रखने की प्रमाणिक विधि क्या है ? अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए , उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै प्राची मुखं वित्त्नाश्नाय , तस्माच्छुभम सम्मुख नारिकेलम अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए कलश पर - नारियल का बड़ा हिस्सा नीचे मुख कर रखा जाए ( पतला हिस्सा पूछ वाला कलश के उपरी भाग पर रखा जाए ) तो उसे शत्रुओं की वृद्धि होती है * ( कार्य सफलता में बाधाएं आती है संघर्ष , अपयश , चिंता , हानि , सहज हैशत्रु या विरोधी तन , मन धन सर्व दृष्टि से घातक होते है ) उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै कलश ...