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7 सितम्बर 2025 चन्द्र ग्रहण – विशेष प्रभाव,सिद्ध मंत्र

 


🌑 सितम्बर २०२५चन्द्र - ग्रहण प्रभावित क्षेत्र और संभावित प्रभाव

BY PT V.K.TIWARI
(Since 1972) Astrologer, Panchang Specialist, Vastu Consultant
विशेष सहयोग: Dr. R. Dixit (Vastu);Dr S.Tiwari-Vedik Astrology & Dr shikha Pandey
ईमेल: triwari.dixitastro@gmail.com
मोबाइल: 9424446706
पिन: 560102

भूमिका (Introduction)

  • पेनुमब्रल फेज़ की शुरुआत: 8:58 PM, 7 सितंबर

  • आंशिक ग्रहण शुरू: 9:57 PM

  • पूर्ण ग्रहण (Blood Moon): 11:00 PM – 12:22 AM

  • पूर्णता का चरम बिंदु: लगभग 11:41 PM

  • ग्रहण समाप्ति: 2:25 AM, 8 सितंबर

  • इस दिन भाद्रपद मास, पूर्णिमा तिथि पर चन्द्र ग्रहण घटित होगा। यह ग्रहण पूर्वाभाद्रपदा नक्षत्र एवं कुम्भ राशि में घटित होगा।
    ग्रहण भारत, पाकिस्तान, जापान, रूस, अरब देशों, ऑस्ट्रेलिया आदि में दृश्यमान होगा। जिन देशों में यह प्रत्यक्ष देखा जाएगा, वहाँ पर इसके प्रभाव मार्च २०२६ तक अनुभव किए जाएँगे।




    शास्त्रीय महत्त्व (Scriptural Importance)


    🔹 बृहत् संहिता (वराहमिहिर) –
    "
    ग्रहणे दृष्टमपि यत्र भूमौ तत्रैव फलम्।"
    👉 अर्थातग्रहण जिस देश या क्षेत्र में प्रत्यक्ष रूप से देखा जाता है, वहीँ उसके शुभ-अशुभ फल अधिक प्रभावी माने जाते हैं।

    🔹 धर्मसिन्धु
    "
    ग्रहणं तु फलत्येव दृश्ये देशे विशेषतः।"
    👉 अर्थातग्रहण जिस क्षेत्र में दिखाई दे, वहाँ के राजा, प्रजा, कृषि, अर्थ और राजनीति पर उसका गहरा असर होता है।

    राशियों पर प्रभाव (Zodiacal Impact)

    कर्क, वृश्चिक, मीन राशिमानसिक अशांति, पारिवारिक असंतोष, स्वास्थ्य हानि, जल-तत्व सम्बन्धी कष्ट।

    मेष, वृषभ, कन्या, तुला, धनु राशिशुभ फल, प्रतिष्ठा वृद्धि, नये कार्य का प्रारम्भ, आर्थिक लाभ।

    कुम्भ राशिविशेष रूप से प्रभावित, क्योंकि ग्रहण कुम्भ राशि के पूर्वाभाद्रपदा नक्षत्र में घटित होगा।

    नक्षत्रीय प्रभाव (Nakshatra Effects)

    अशुभ प्रभावपूर्वाभाद्रपदा नक्षत्र, कुम्भ राशि।

    शुभ नक्षत्र जिन पर ग्रहण का सकारात्मक असर पड़ेगाभरणी, रोहिणी, आर्द्रा, पुष्य, अश्लेषा, पूर्वाफाल्गुनी, हस्त, स्वाती, अनुराधा, ज्येष्ठा, पूर्वाषाढ़ा, श्रवण, शतभिषा, उत्तर भाद्रपद, रेवती।

    ग्रहण फल पर शास्त्रीय श्लोक

    बृहत संहिता, अध्याय
    ग्रहणे चन्द्रस्य यदा तु दोषः
    जनाः प्रजाः शस्यफलं द्रव्यमूल्यम्।
    राज्ञः प्रकोपं विपन्नकर्तृन्
    सस्येषु वर्षासु दाहमाशु॥

    📖 अर्थजब चन्द्रमा पर ग्रहण लगे, तब जनसमूह में असंतोष, अन्न-धान्य का मूल्य-वृद्धि, राजा का प्रकोप, कृषि और वर्षा पर विपरीत असर तथा अनपेक्षित विपत्तियाँ सम्भव होती हैं।

    यवनाचार्य का मत (Yavana-Charya’s View)

    यवनाचार्य ने ग्रहण-फल को कई बार विपरीत या प्रतिकूल बताया है। उनके अनुसार

    ग्रहण से उत्पन्न फल हमीशा प्रत्यक्ष अपेक्षित नहीं होता, बल्कि उल्टा परिणाम भी ला सकता है।

    जहाँ ग्रहण शुभ प्रतीत हो, वहाँ अप्रत्याशित संकट और जहाँ अशुभ दिखे वहाँ सुधार भी संभव।

       निष्कर्ष

    सितम्बर २०२५ का यह चन्द्र ग्रहण भारत सहित जिन देशों में दिखाई देगा, वहाँ मार्च २०२६ तक इसके असर रहेंगे।
    कर्क, वृश्चिक, मीन राशि जातकों को सावधानी रखनी होगी, जबकि मेष, वृषभ, कन्या, तुला और धनु राशि वालों के लिए यह समय विशेष रूप से लाभकारी सिद्ध होगा।

    india-चमकदार लाल/रंग में नज़र आएगा — 


    संक्षेप में — क्या देखें:

    समयक्या देखने को मिलेगा
    शाम 6:15–6:20 बजेपूरै रूप में चाँद का उदय — उज्जवल और विशाल पूर्णिमा
    लगभग 9:57 बजेपेनेब्रल ग्रहण शुरू — हलकी परछाई दिखाई देगी
    लगभग 11:00 बजेआंशिक ग्रहण — चाँद के एक हिस्से पर छाया दिखाई देने लगेगी
    11:01 PM – 12:23 AMकुल ग्रहण (Blood Moon) — चाँद गहरे लाल रंग में चमकेगा

    🌑ग्रहण INDIA

    घी शहद तेल की कीमत में वृद्धि होगी 

    जिन स्थानों पर ग्रहण दिखेगा उन स्थानों की देशों के प्रमुख मे मत द्वेष मतभेद बढ़ेंगे 

    ध्रुवेश चोरी की घटना।

      सैनिक, सुरक्षा वर्ग,हिंसक, या चोर , पाखंडी, लूटपाट वर्ग के लिए कठिनाइयां पैदा होंगे ।

    सुरक्षा से जुड़े वर्ग के लिए भी समस्या रहेगी। 

    बंगाल उड़ीसा कश्मीर गिलगित मथुरा गोकुल वृंदावन बरेली बदायूं फर्रुखाबाद क्षेत्र क्षेत्र प्रभावित होगा ।

    शिल्प कला, चित्रकला आजीविका

    चन्द्र ग्रहण के समय भोजन दान नियम

    1. भोजन निषेध

    • चन्द्र ग्रहण में घंटे पूर्व से भोजन निषेध है।
    • सूर्य ग्रहण में१२ घंटे पूर्व से भोजन निषेध है।
    • यह नियम सामान्य स्वस्थ व्यक्तियों के लिए है।

    2. अपवाद (Exception)

    • बालक (Children), वृद्ध (Old), रोगी (Sick people)इनके लिए ग्रहण से केवल प्रहर (लगभग घंटे) पूर्व तक भोजन निषिद्ध माना गया है।
    • यह छूट इसलिए दी गई है क्योंकि इन वर्गों की सहनशक्ति सामान्य व्यक्तियों से भिन्न होती है।

    3. दान नियम

    • ग्रहण काल में किया गया दान सहस्रगुना (1000 गुना) फलदायी कहा गया है।
    • ग्रहण के समय किया गया जप, तप, स्नान, दान सामान्य दिनों की तुलना में अनेक गुना फल देता है।

    📖 शास्त्रीय प्रमाण (श्लोक)

    (i) मनुस्मृति (अध्याय , श्लोक ३०)

    ग्रहणेष्वथ सर्वेषु यज्ञदानतपःक्रियाः।

    सहस्रगुणितं पुण्यं प्राप्नुवन्ति संशयः॥

    👉 अर्थग्रहण के समय किया गया यज्ञ, दान और तपस्या सहस्रगुना फल देती है।


    (ii) याज्ञवल्क्य स्मृति (अध्याय , श्लोक ९५)

    ग्रहणे चान्द्रसूर्याणां द्वादशाष्टौ संक्युताः।

    आहारं परिहर्तव्यं नृणां रोगविनाशनम्॥

    👉 अर्थसूर्य और चन्द्र ग्रहण में १२ और (घंटे) पूर्व आहार का त्याग करना चाहिए।

    • सूर्य ग्रहण१२ घण्टे पूर्व
    • चन्द्र ग्रहण घण्टे (कुछ ग्रंथों में घंटे) पूर्व

    (iii) धर्मसिन्धु

    ग्रहणात् पूर्वं षड् घटीकं वृद्धबालरुग्णनाम्।

    न्यूनं परिहरेदन्नं तु स्वस्थजनैः क्वचित्॥

    👉 अर्थग्रहण से घटी (लगभग घंटे २४ मिनट) पूर्व तक वृद्ध, बालक और रोगी को ही भोजन करने की छूट है, स्वस्थ व्यक्ति को नहीं।


    4. निष्कर्ष

    • स्वस्थ व्यक्तिचन्द्र ग्रहण घंटे पूर्व भोजन वर्जित।
    • बालक, वृद्ध, रोगी घंटे ( प्रहर) पूर्व तक भोजन वर्जित।
    • ग्रहण काल में किया गया दान और जप अत्यधिक फलदायी है।

    🌑 7 सितम्बर

    1. ग्रहण काल में सिद्ध मंत्र एवं उनकी विशेषताएँ

    मंत्र/उच्चारणअर्थलाभ (आर्थिक/सामाजिक/राजनीतिक/स्वास्थ्य)दिशावर्तिका/दीपपूजा विधिग्रंथ संदर्भ
    ॐ क्लीं चामुण्डायै विच्चेचामुण्डा देवी का शक्तिशाली तंत्र मंत्रआर्थिक संकट दूर, सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ती, शत्रु पर विजय, रोगों से रक्षाउत्तर-पूर्व1 लाल दीपकग्रहण काल में स्वच्छ स्थान पर, हल्के जल और लाल फूल से पूजनशाबर तंत्र, अंग 3
    ॐ ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमःधन, वैभव और समृद्धि हेतुधन-संपत्ति की वृद्धि, व्यवसाय में लाभ, सामाजिक सम्मानउत्तर-पूर्व या पूर्वपीला दीपकग्रहण काल में सोने/पीले वस्त्र पहन कर, लाल या पीला पुष्प अर्पित करेंतंत्र सार, खंड 2
    ॐ ऐं ह्रीं काली काली महाकालीमानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य, नकारात्मक प्रभाव से रक्षारोग निवारण, मानसिक शांति, शत्रु और नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षादक्षिण-पश्चिमकाले या नीले रंग की वर्तिकाग्रहण काल में काली वर्तिका के सामने साधना, जल अर्पित करेंकाली तंत्र, अध्याय 5
    ॐ नमः शिवायराजनैतिक और सामाजिक सम्मान हेतुपदोन्नति, न्याय संबंधी कार्य में सफलता, परिवारिक विवाद निवारणउत्तरसफेद दीपकग्रहण काल में शिवलिंग पर जल, धतूरा और बेल पत्र अर्पितशिव तंत्र, ग्रंथ 1
    ॐ बूं नमः दुर्गायैसुरक्षा, शत्रु पर विजयशत्रु नाश, घर की सुरक्षा, मानसिक शांतिउत्तर-पश्चिमलाल दीपकग्रहण काल में माता दुर्गा की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएंदुर्गा शाबर, खंड 4

    2. पूजा और दिशा-निर्देश (ग्रहण काल के लिए)

    1. दिशा का महत्व:

      • उत्तर-पूर्व → धन, वैभव और आध्यात्मिक विकास

      • दक्षिण-पश्चिम → शारीरिक स्वास्थ्य और नकारात्मक ऊर्जा निवारण

      • उत्तर-पश्चिम → शत्रु निवारण और सामाजिक प्रतिष्ठा

    2. वर्तिका/दीप रंग:

      • लाल → शक्ति, शत्रु निवारण

      • पीला → वैभव और धन

      • सफेद → शांति और न्याय

      • काला/नीला → नकारात्मक प्रभाव दूर

    3. साधना समय:

      • ग्रहण आरंभ से आधा घंटा पूर्व और ग्रहण काल के मध्य में सबसे प्रभावशाली

      • स्वच्छ स्थान, बिना शोर-शराबे के

    4. पूजा सामग्री:

      • लाल, पीले या सफेद पुष्प

      • जल और धूप

      • हल्के स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र

      • दीपक (वर्तिका)


    3. शाबर मंत्र और उपाय (देवी-देवता पूजन)

    • चामुण्डा शक्ति:

      • मंत्र: ॐ क्लीं चामुण्डायै विच्चे

      • उपाय: ग्रहण काल में लाल पुष्प और जल अर्पित कर 108 बार उच्चारण

    • महालक्ष्मी:

      • मंत्र: ॐ ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः

      • उपाय: पीला दीपक जलाकर 21 बार जाप

    • महाकाली:

      • मंत्र: ॐ ऐं ह्रीं काली काली महाकाली

      • उपाय: काले दीपक और नीला फूल अर्पित कर 11 बार जाप


    4. लाभ-सारांश

    क्षेत्रमंत्र/उपायप्रभाव
    आर्थिकमहालक्ष्मी मंत्रसंपत्ति वृद्धि, व्यवसाय में लाभ
    सामाजिकशिव मंत्र, चामुण्डा मंत्रप्रतिष्ठा, सामाजिक सम्मान, शत्रु नाश
    स्वास्थ्यमहाकाली मंत्ररोग निवारण, मानसिक शांति
    राजनीतिक/राज्यशिव मंत्रन्याय और पदोन्नति


    1. नाथ संप्रदाय के ग्रहणकाल सिद्ध मंत्र

    मंत्रअर्थलाभ (आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक, स्वास्थ्य)दिशावर्तिका/दीपपूजा/साधना विधि
    ॐ ह्रीं श्रीनाथाय नमःनाथेश्वर (नाथ देव) का शक्तिशाली मंत्रमानसिक स्थिरता, शत्रु नाश, सामाजिक प्रतिष्ठाउत्तरसफेद दीपकग्रहण आरंभ से 108 बार जाप, शुद्ध जल अर्पित
    ॐ क्लिं भैरवाय नमःभैरव नाथ की रक्षा और शक्ति के लिएभय, संकट और नकारात्मक प्रभावों से रक्षा, न्याय में विजयउत्तर-पश्चिमकाला दीपकग्रहणकाल में काले पुष्प और जल से पूजा
    ॐ नमः गोरक्षनाथायगोरक्षनाथ की कृपास्वास्थ्य, आर्थिक स्थिरता, आध्यात्मिक उन्नतिपूर्वपीला दीपकग्रहणकाल में हल्के स्नान और स्वच्छ वस्त्र पहनकर साधना
    ॐ ह्रीं कपालेश्वराय नमःकपालेश्वर नाथ की आराधनामानसिक शक्ति, रोग निवारण, शत्रु नाशदक्षिण-पश्चिमनीला दीपकग्रहण काल में नीला पुष्प और जल से पूजन, 21 बार जाप
    ॐ शरणं नाथायसंपूर्ण नाथ संप्रदाय की रक्षासामाजिक प्रतिष्ठा, आर्थिक और स्वास्थ्य लाभउत्तर-पूर्वलाल दीपकग्रहणकाल में लाल पुष्प और जल से पूजन, 11 बार जाप

    2. दिशा और दीप-विवरण

    • उत्तर-पूर्व: आर्थिक और आध्यात्मिक उन्नति

    • उत्तर-पश्चिम: शत्रु नाश, सामाजिक सुरक्षा

    • पूर्व: स्वास्थ्य और मानसिक शक्ति

    • दक्षिण-पश्चिम: रोग निवारण और नकारात्मक ऊर्जा का नाश

    दीप/वर्तिका रंग

    • सफेद → मानसिक शांति, आध्यात्मिक लाभ

    • पीला → संपत्ति और व्यवसाय

    • लाल → शक्ति और शत्रु नाश

    • काला/नीला → नकारात्मक प्रभावों का निवारण


    3. ग्रहणकाल साधना विधि (नाथ संप्रदाय)

    1. स्वच्छ स्थान पर साधना – धूल-मिट्टी और शोर से दूर

    2. दीपक (वर्तिका) – मंत्र अनुसार रंग और दिशा में रखें

    3. जल और पुष्प अर्पित करें – मंत्र उच्चारण के साथ

    4. जाप संख्या – 11, 21, 108 बार (मंत्र के प्रकार पर निर्भर)

    5. वस्त्र – हल्के और स्वच्छ, ग्रहणकाल में लाल/पीला/सफेद रंग के वस्त्र उपयुक्त


    4. लाभ सारांश

    क्षेत्रमंत्रप्रभाव
    आर्थिकगोरक्षनाथ मंत्रसंपत्ति, व्यापार में लाभ
    सामाजिक/राजनीतिकभैरव नाथ, शरण नाथप्रतिष्ठा, शत्रु नाश, न्याय में सफलता
    स्वास्थ्यकपालेश्वर मंत्ररोग निवारण, मानसिक शक्ति
    आध्यात्मिकश्रीनाथाय मंत्रमानसिक शांति, आध्यात्मिक विकास

    2025 चन्द्र ग्रहणशुभ नक्षत्र प्रभाव तालिका

    (ग्रहण से 2 मार्च 2026 तक मान्य)

    जन्म नक्षत्र

    संभावित शुभ प्रभाव

    भरणी

    परिवार में सुख-समृद्धि, संतान से हर्ष, वैवाहिक जीवन में आनंद।

    रोहिणी

    धन लाभ, अचल संपत्ति में वृद्धि, आर्थिक स्थिरता।

    आर्द्रा

    नये कार्यों में सफलता, विदेश या शोध कार्यों से लाभ।

    पुष्य

    पद, प्रतिष्ठा, राज्य/सरकारी कार्यों में प्रगति।

    अश्लेषा

    पारिवारिक विवादों का समाधान, रोग शमन, मानसिक शांति।

    पूर्वाफाल्गुनी

    विवाह दाम्पत्य सुख, मनोरंजन और कला क्षेत्र में उपलब्धि।

    हस्त

    व्यापार में सफलता, घर में मंगल कार्य, वाणी प्रभावशाली।

    स्वाती

    यात्राओं से लाभ, व्यापार विस्तार, सामाजिक यश।

    अनुराधा

    शत्रुओं पर विजय, मुकदमे/विवाद में सफलता।

    ज्येष्ठा

    कार्यक्षेत्र में अधिकार की प्राप्ति, आय वृद्धि, पारिवारिक बल।

    पूर्वाषाढ़ा

    धर्म-कर्म में रुचि, शिक्षा भूमि संबंधी कार्यों में लाभ।

    श्रवण

    ज्ञान, विद्या, पूजा-पाठ धार्मिक उपलब्धि।

    शतभिषा

    रोग नाश, आयु वृद्धि, औषधीय/शोध क्षेत्र में लाभ।

    उत्तरभाद्रपदा

    विवाह एवं यात्रा में सफलता, बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद।

    रेवती

    सभी मांगलिक कार्य सिद्ध, यात्राओं से लाभ, संतान परिवार सुख।


    3 ग्रहण से प्रभावित अक्षर अक्षर समूह संभावित अशुभ प्रभाव क्षेत्र

    3 ग्रहण से प्रभावित अक्षर और संभावित अशुभ प्रभाव

    • चुचेचोला → मानसिक तनावयात्रा बाधा
    •  → आर्थिक और प्रशासनिक चुनौती
    • वेवोकाकी → स्वास्थ्यकानूनी मुद्दे
    • केकोहाही → भू-राजनीतिव्यापार संकट
    • मामीमूमे → सत्ता संघर्षसामाजिक तनाव
    • तेटोपापी → भूमिसंपत्ति विवाद
    • पेपोरारी → युद्धतकनीकी/यात्रा बाधा
    • तीतूतेतो → आर्थिक अस्थिरताप्राकृतिक आपदा
    • येयोभाभी → हिंसाअपराधअसुरक्षा
    • भेभोजाजी → मौसमआपदाव्यापार
    • गागीगुगे → राजनीतिप्रशासनिक अड़चन
    • सेसोदादी → जलवायुसामाजिक संकट

    📖 ग्रंथ-संदर्भ

    ·         बृहत्संहिताग्रहणाध्याय

    ·         निर्णयसिन्धुग्रहण फल विचार

    🌑 7 सितम्बर 2025 चन्द्र ग्रहणविशेष प्रभाव

    • स्थानकुम्भ राशि, पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र।
    • प्रभाव क्षेत्रजिन देशों में ग्रहण दिखाई देगा:
      भारत, पाकिस्तान, जापान, रूस, अरब देश, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप का बड़ा भाग, अफ्रीका, एशिया के अधिकांश देश।

    🔮 संभावित प्रभाव (Sept 2025 – March 2026 तक)

    1. अन्न संकट (Food Crisis)
      • कृषि क्षेत्र में अनियमितता।
      • अनाज दालों के दाम बढ़ेंगे।
      • सूखा / बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा।
    2. विरोध एवं युद्ध (Conflicts & War)
      • भारतपाकिस्तान सीमा पर तनाव।
      • रूसयूरोप ब्लॉक में सैन्य हलचल।
      • मध्य-पूर्व (अरब देशों) में आंतरिक विद्रोह।
    3. संधि (Treaty / Alliances)
      • जापान एशियाई देशों के बीच नए गठबंधन।
      • कुछ देशों के बीच आर्थिक सहयोग समझौते।
    4. राजनीतिक प्रभाव (Political Instability)
      • सत्ता परिवर्तन या बड़े राजनीतिक विवाद।
      • देशों में चुनावी हलचल और आंतरिक संघर्ष।
    5. आर्थिक-सामाजिक प्रभाव (Economic-Social Impact)
      • मुद्रा बाज़ार में अस्थिरता।
      • सोनाचाँदी और तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव।
      • समाज में असंतोष, विरोध प्रदर्शन, हड़ताल।

    🌟 निष्कर्ष

    कुम्भ राशि पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में ग्रहणयह संकेत देता है कि विश्व में आर्थिक अस्थिरता, राजनीतिक हलचल और सामाजिक अशांति का समय रहेगा।
    जिन देशों में ग्रहण प्रत्यक्ष रूप से दिखाई देगा (भारत, पाकिस्तान, जापान, रूस, अरब देश, 🟣 बड़े शहर (City Names – अशुभ अक्षर हटाकर)

    भारत

    • दिल्लीसंघर्ष, प्रशासनिक बाधाएँ
    • मुंबईमानसिक तनाव, भीड़-भाड़, आर्थिक असमानता
    • कोलकाताराजनीतिक कलह, औद्योगिक गिरावट
    • चेन्नईचक्रवात, जल संकट
    • बेंगलुरुयातायात, तकनीकी असंतुलन

    पाकिस्तान

    • कराचीआतंक, असुरक्षा
    • लाहौरराजनीतिक टकराव
    • इस्लामाबादअस्थिर नीतियाँ

    जापान

    • टोक्योभूकंप, आपदा
    • ओसाकाजलवायु परिवर्तन
    • क्योटोभौगोलिक बाधाएँ

    ऑस्ट्रेलिया

    • सिडनीआग, गर्मी
    • मेलबोर्नअसमानता, मौसम अस्थिर
    • ब्रिस्बेनजल आपदा

    म्यांमार

    • यांगूनराजनीतिक अशांति
    • नेपीदॉप्रशासनिक कमजोरी

    सऊदी अरब

    • रियादउग्रवाद
    • जेद्दाहजलवायु असंतुलन
    • मक्काभीड़, आपदा
    • मदीनाअस्थिरता

    रूस

    • मॉस्कोयुद्ध, सत्ता संघर्ष
    • सेंट पीटर्सबर्गठंड, अलगाव

    चीन

    • बीजिंगप्रदूषण, नियंत्रण
    • शंघाईजलवायु संकट
    • ग्वांगझूऔद्योगिक दबाव

    दक्षिण कोरिया

    • सियोलयुद्ध की आशंका
    • बुसानसमुद्री संकट

    इंडोनेशिया

    • जकार्ताबाढ़, असुरक्षा
    • बालीज्वालामुखी, पर्यटन निर्भरता

    थाईलैंड

    • बैंकॉकराजनीतिक अस्थिरता
    • फुकेटसमुद्री आपदा

    यूरोप

    • एथेंसआर्थिक संकट
    • रोमसत्ता अस्थिरता
    • इस्तांबुलभूकंप, विवाद
    • सोफियाकमजोर अर्थव्यवस्था
    • बुखारेस्टभ्रष्टाचार, अशांति

    अफ्रीका

    • अदीस अबाबायुद्ध, अकाल
    • नैरोबीअपराध, अस्थिरता
    • दार-एस-सलामसंघर्ष, गरीबी

    महाद्वीप

    देश

    शहर

    संभावित अशुभ प्रभाव

    एशिया

    भारत

    दिल्ली

    संघर्ष, प्रशासनिक बाधाएँ

    एशिया

    भारत

    मुंबई

    मानसिक तनाव, भीड़-भाड़, आर्थिक असमानता

    एशिया

    भारत

    कोलकाता

    राजनीतिक कलह, औद्योगिक गिरावट

    एशिया

    भारत

    चेन्नई

    चक्रवात, जल संकट

    एशिया

    भारत

    बेंगलुरु

    यातायात, तकनीकी असंतुलन

    एशिया

    पाकिस्तान

    कराची

    आतंक, असुरक्षा

    एशिया

    पाकिस्तान

    लाहौर

    राजनीतिक टकराव

    एशिया

    पाकिस्तान

    इस्लामाबाद

    अस्थिर नीतियाँ

    एशिया

    जापान

    टोक्यो

    भूकंप, आपदा

    एशिया

    जापान

    ओसाका

    जलवायु परिवर्तन

    एशिया

    जापान

    क्योटो

    भौगोलिक बाधाएँ

    ऑस्ट्रेलिया

    ऑस्ट्रेलिया

    सिडनी

    आग, गर्मी

    ऑस्ट्रेलिया

    ऑस्ट्रेलिया

    मेलबोर्न

    असमानता, मौसम अस्थिर

    ऑस्ट्रेलिया

    ऑस्ट्रेलिया

    ब्रिस्बेन

    जल आपदा

    एशिया

    म्यांमार

    यांगून

    राजनीतिक अशांति

    एशिया

    म्यांमार

    नेपीदॉ

    प्रशासनिक कमजोरी

    एशिया

    सऊदी अरब

    रियाद

    उग्रवाद

    एशिया

    सऊदी अरब

    जेद्दाह

    जलवायु असंतुलन

    एशिया

    सऊदी अरब

    मक्का

    भीड़, आपदा

    एशिया

    सऊदी अरब

    मदीना

    अस्थिरता

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