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25.09.2025 – Is it appropriate to use/buy new clothes & ornaments on Chaturthi Rikta Tithi?चतुर्थी रिक्ता तिथि में नये वस्त्र एवं आभूषण का प्रयोग/क्रय करना उचित है

 


25.09.2025 Question – Is it appropriate to use/buy new clothes & ornaments on Chaturthi Rikta Tithi?

(प्रश्नचतुर्थी रिक्ता तिथि में नये वस्त्र एवं आभूषण का प्रयोग/क्रय करना उचित है?)

📜 By renowned astrologer pamist & vastu-Pandit V.K.Tiwari-9424446706

Special Reference (विशेष संदर्भ)

📌 Dr. R. Dixit – 🏛️ Vastu Expert (डॉ. आर. दीक्षितवास्तु विशेषज्ञ)
📌 Dr. S. Tiwari – 📖 Vedic Astrology (डॉ. एस. तिवारीवैदिक ज्योतिष)
📧 Email: ✨ tiwaridixitastro@gmail.com
📞 Contact: 📲 +91 9424446706

📖 New Clothes, Items & Ornaments – Today’s Auspiciousness (शास्त्रसम्मत दृष्टि से)
आज यदि तिथि, नक्षत्र और वार का संयोग शुभ हो, तो नये वस्त्र, वस्तु एवं आभूषण धारण करना अत्यन्त मंगलकारी माना गया है।

·         शुक्ल पक्ष की तिथियों (विशेषकर द्वितीया, तृतीया, पंचमी, सप्तमी, दशमी, द्वादशी) में नए वस्त्र, आभूषण एवं वस्तुओं का प्रथम प्रयोग सौभाग्य लक्ष्मीप्राप्ति का कारण होता है।


📖 Chaturthi Tithi – Shubh or Ashubh?

(चतुर्थी तिथिशुभ या अशुभ?)

सामान्यत: कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को रिक्ता तिथि कहा जाता है और यह अशुभ मानी जाती है।
परंतु शुक्ल पक्ष की चतुर्थी (विशेषकर विनायक चतुर्थी, संकष्टी चतुर्थी, गणेश चतुर्थी) को शास्त्रों में शुभ एवं पूजनीय माना गया है।

 


 

New Clothes, Items & Ornaments

 (नये वस्त्र, वस्तु एवं आभूषण)

📖 Scriptural Basis (शास्त्रीय आधार):
Chaturthi
नए वस्त्र, वस्तु, आभूषण लेना शुभ माना जाता है।
Swati Nakshatra
व्यापार, लेन-देन, वायु-स्वभाव, शान्ति और संतुलन का सूचक। इसमें नया वस्त्र/आभूषण लेने से स्थिर परिणाम मिलते हैं, पर उतने तीव्र शुभफल नहीं जितने चित्रा नक्षत्र में।
Thursday
वस्त्र, आभूषण, रत्न का प्रयोग गुरु-प्रधान शुभफल देता है।
Libra Moon (
तुला राशि)शुक्र प्रधान, सौंदर्य और आभूषण से संबंधित, अतः वस्त्र-आभूषण प्रयोग का योग पुष्ट।
Combined Effect (संयुक्त प्रभाव): यह समय स्थिर, संतुलित एवं मध्यम रूप से लाभकारी है।

Auspicious timings for new clothes, items & ornaments
(
नये वस्त्र, वस्तु एवं आभूषण प्रयोग हेतु दीर्घकालिक शुभ संयोग समय)

08:00 – 09:50
16:30 – 17:30
03:54 – 05:40 (AM)

Favourable Metals, Colours & Gems

 (अनुकूल धातु, रंग और रत्न)

📌 यह संयोग (स्वाती नक्षत्र + चतुर्थी + गुरुवार + तुला राशि) मुख्यतः शुक्र बृहस्पति प्रधान योग बना रहा है।
शुक्रआभूषण, वस्त्र, सौंदर्य
बृहस्पतिरत्न, पीला रंग, गुरु-प्रधान धातुएँ

इसलिए:

Metals (धातु):
Silver (
चाँदी)शुक्र का धातु
Gold (
सोना)गुरु का धातु
Bronze / Panchdhatu (
काँसा/पंचधातु)स्थायित्व हेतु

Colours (रंग):
White (
सफेद)शुक्र की शांति आकर्षण हेतु
Yellow (
पीला)बृहस्पति का आशीर्वाद समृद्धि हेतु
Sky Blue (
आसमानी/नीला)स्वाती नक्षत्र का वायु-प्रधान स्वभाव, संतुलन हेतु

Gems (रत्न):
Lapis Lazuli (
लहसुनिया)वायु तत्व बुध-शुक्र के प्रभाव में संतुलन हेतु
Yellow Sapphire (
पुखराज)बृहस्पति का रत्न, गुरुवार में विशेष शुभ
Citrine / Sunela
सौम्य व्यापारिक लाभ हेतु


📖 Chaturthi Tithi – Shubh or Ashubh?

सामान्यत: कृष्ण पक्ष की चतुर्थी कोरिक्ता तिथिकहा जाता है और यह अशुभ मानी जाती है।
परंतु शुक्ल पक्ष की चतुर्थी (विशेषकर विनायक चतुर्थी, संकष्टी चतुर्थी, गणेश चतुर्थी) को शास्त्रों में शुभ पूजनीय माना गया है।

प्रमाण:

  1. निर्णयसिन्धु (Vrata-prakaran):

चतुर्थ्यां विनायकस्य पूजनं सर्वसिद्धिदम्।
👉 अर्थातचतुर्थी तिथि में विनायक (गणेश) की पूजा करने से सभी सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं।

  1. धर्मसिन्धु:

शुक्लचतुर्थ्या विनायकपूजनं सर्वदोषनिवारणम्।
👉 शुक्ल चतुर्थी को गणेश पूजा करने से सभी दोष दूर होते हैं।

  1. स्कन्द पुराण (विनायक खण्ड):

चतुर्थ्यां यः समाराध्यं विघ्नराजं गणेश्वरम्।
सर्वविघ्नविनिर्मुक्तः सर्वसौख्यं लभेत् ध्रुवम्॥
👉 चतुर्थी तिथि में गणेश की आराधना करने वाला सभी विघ्नों से मुक्त होकर सुख प्राप्त करता है।


🔎 निष्कर्ष:

  • रिक्ता तिथियाँ (द्वितीया, चतुर्थी, नवमी, चतुर्दशी) को सामान्यतः शुभ कार्यों (यात्रा, गृह प्रवेश आदि) में निषिद्ध कहा गया है।
  • लेकिन जब वही चतुर्थी गणेश पूजा और वस्त्र-आभूषण-रत्न प्रयोग के संदर्भ में आती है, तो यह शुभ और विघ्नहर्ता मानी जाती है।
  • खासकर शुक्ल पक्ष की चतुर्थी + गुरुवार + शुक्र प्रधान तुला राशि के संयोग में, वस्त्र/रत्न/आभूषण खरीदना दीर्घकालिक स्थिर फलदायी है।

शुक्ल पक्ष की चतुर्थी में विशेषकर गणेश पूजन, वस्त्र, रत्न और आभूषण प्रयोग के संदर्भ में यह तिथि दीर्घकालिक स्थिर फलदायी मानी गई है।

अब प्रमाण 👇


📖 शास्त्रीय प्रमाण (Scriptural References)

1. निर्णयसिन्धु (व्रतप्रकरण, चतुर्थी-व्रत)

चतुर्थ्यां विनायकस्य पूजनं सर्वसिद्धिदम्।
👉 चतुर्थी तिथि में श्रीगणेश की पूजा सर्वसिद्धिदायी है।
इसका आशय यह है कि इस दिन आरम्भ किए गए नवीन कार्य (जैसे वस्त्र, रत्न, आभूषण क्रय या धारण) विघ्नमुक्त होकर स्थिर फल देते हैं।


2. धर्मसिन्धु (व्रतखण्ड)

शुक्लचतुर्थ्यां विनायकपूजनं सर्वदोषनिवारणम्।
👉 शुक्ल चतुर्थी पर गणेश पूजा करने से सभी दोष नष्ट होते हैं।
वस्त्र-रत्न-आभूषण का क्रय/प्रयोग गणेश के आशीर्वाद से दीर्घकाल तक स्थिर और विघ्नरहित रहता है।


3. स्कन्दपुराण (विनायक खण्ड)

चतुर्थ्यां यः समाराध्यं विघ्नराजं गणेश्वरम्।
सर्वविघ्नविनिर्मुक्तः सर्वसौख्यं लभेत् ध्रुवम्॥
👉 जो व्यक्ति चतुर्थी तिथि में विघ्नराज गणेश की पूजा करता है, वह सभी विघ्नों से मुक्त होकर निश्चित रूप से सुख और स्थिर लाभ प्राप्त करता है।

यहाँ ध्रुवम् शब्द विशेष हैजिसका अर्थ है स्थिर/दीर्घकालिक फल
इसी कारण इस दिन वस्त्र/रत्न/आभूषण प्रयोग को दीर्घकालिक स्थायित्व देने वाला माना गया है।


4. मानसागरी (पञ्चांगाध्याय, शुभाशुभ तिथि विवेचन)

शुक्लचतुर्थ्यां यत्कृतं तन्निर्विघ्नं चिरं भवेत्।
👉 शुक्ल चतुर्थी में किया गया कार्य विघ्नरहित और दीर्घकाल तक स्थायी होता है।


निष्कर्ष (Conclusion):

  • शुक्ल पक्ष की चतुर्थी में श्रीगणेश की कृपा से नये वस्त्र, रत्न और आभूषण लेने अथवा पहनने पर
    • विघ्न नहीं आते
    • फल स्थायी दीर्घकालिक होता है
    • आकर्षण, सौंदर्य और समृद्धि की वृद्धि होती है

- शुक्ल पक्ष की चतुर्थी में नये वस्त्र, रत्न, आभूषण या वस्तुओं के प्रयोग को उचित/शुभ एवं दीर्घकालिक स्थिर फलदायी कहा गया है

📖 ग्रंथ प्रमाण

1. मानसागरी (पंचांगाध्यायशुभाशुभ तिथि विवेचन)

शुक्लचतुर्थ्यां यत्कृतं तन्निर्विघ्नं चिरं भवेत्।
👉 शुक्ल पक्ष की चतुर्थी में किया गया कार्य विघ्नरहित और दीर्घकाल तक स्थायी होता है।
यहाँ पर कृतं शब्द का प्रयोग किसी भी नए कार्य, विशेषकर वस्त्र/रत्न/आभूषण धारण या क्रय पर भी लागू होता है।


2. स्कन्दपुराण (विनायक खण्ड)

चतुर्थ्यां यः समाराध्यं विघ्नराजं गणेश्वरम्।
सर्वविघ्नविनिर्मुक्तः सर्वसौख्यं लभेत् ध्रुवम्॥
👉 जो व्यक्ति चतुर्थी तिथि में विघ्नराज गणेश की पूजा करता है, वह सभी विघ्नों से मुक्त होकर स्थिर (ध्रुव) सुख और लाभ प्राप्त करता है।
यहाँ ध्रुवम् = स्थिर / दीर्घकालिक परिणाम को दर्शाता है।


3. निर्णयसिन्धु (व्रतप्रकरण)

चतुर्थ्यां विनायकस्य पूजनं सर्वसिद्धिदम्।
👉 चतुर्थी तिथि में विनायक (गणेश) की पूजा सर्व सिद्धि प्रदान करती है।
नये वस्त्र-आभूषण का क्रय/प्रयोग गणेश-कृपा से दीर्घकालिक स्थिर लाभ देने वाला होता है।


स्पष्ट निष्कर्ष

  • शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को रिक्ता तिथि होने पर भी यदि उसमें गणेश पूजन, वस्त्र/रत्न/आभूषण का क्रय-प्रयोग किया जाए तो:
    • कार्य विघ्नरहित रहता है।
    • फल स्थिर दीर्घकालिक होता है।
    • सौंदर्य, समृद्धि और मानसिक संतोष की प्राप्ति होती है

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