श्राद्ध – जानने योग्य पूर्ण तथ्य
(संकलन: मनुस्मृति, विष्णु पुराण, मत्स्य पुराण, ब्रह्मांड पुराण, वायु पुराण, कूर्म पुराण, श्राद्ध कल्प, श्राद्ध चंद्रिका, श्राद्ध संग्रह, साध्य विवेक, पद्मपुराण, भागवत आदि)
संकलनकर्ता: ज्योतिष शिरोमणि पं. विजेंद्र कुमार तिवारी
गोत्र/पारिवारिक जानकारी: कश्यप गोत्र, कन्या कुब्ज, ब्राह्मण, सामवेद
1. श्राद्ध क्या है?
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परिभाषा: "श्रद्धया यत कृतं तात श्राद्धं" – श्रद्धा से किया जाने वाला कर्म।
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उद्देश्य: पूर्वजों की प्रसन्नता, उनके ऋण से मुक्ति।
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महाभारत में भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को श्राद्ध के महत्व का ज्ञान दिया।
2. श्राद्ध की उत्पत्ति और प्रथा
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महर्षि अत्रि ने महर्षि निमि को ज्ञान दिया।
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श्राद्ध का भोजन करते समय देवता और पितर संतुष्ट हुए।
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अग्निदेव को भोजन पहले अर्पित किया जाता है, फिर देवता और पितर।
3. पिंडदान का विधान
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तीन पिंड:
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जल में – पहला पिंड
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गुरुजनों को – दूसरा पिंड
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अग्नि को – तीसरा पिंड
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गायत्री मंत्र और सोमाय पितृमते स्वाहा का जाप अनिवार्य।
4. श्राद्ध के लाभ और न करने के दोष
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लाभ: पितृ ऋण से मुक्ति, आशीर्वाद और समृद्धि।
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न करने के दोष: पीढ़ी दर पीढ़ी संतान में मंद बुद्धि, मानसिक रोग, दिव्यांगता आदि।
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विशेष: पितरों का स्मरण न करने से श्राप भी मिलता है।
5. वर्ष में अवसर
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कुल 96 अवसर:
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12 अमावस्या
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4 युग तिथि
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14 मनुवादी तिथि
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12 संक्रांति
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12 विद्युत योग
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12 व्यतिपात योग
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15 महालय एवं 5 पर्व
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6. कब, क्यों और किसे दान करें
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श्राद्ध अनिवार्य: पितृ ऋण मुक्ति, कुल की उन्नति।
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प्रमुख तिथियाँ:
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भाद्र कृष्ण दूज – भरणी नक्षत्र
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त्रयोदशी – मृतक का वार्षिक तिथि
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दान/भोजन हेतु आमंत्रण:
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उपयुक्त: भांजा, दामाद, बहनोई, साधू, सन्यासी, त्रिदंडी यती
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अशुभ/निषेध: चोर, निष्कर्म, मांस विक्रेता, काले दांत वाला, जुआरी, शूद्र पति आदि
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दान वस्तु: दूध, शहद, काले तिल, गंगाजल, तसर का कपड़ा।
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पुष्प/अन्य सामग्री: तुलसी, सफेद पुष्प, चंपा, चमेली, भ्रंगराज, शतपत्रिका, अगस्त्य पुष्प।
7. भोजन/पात्र/वस्त्र नियम
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पात्र: सोने, चांदी, कांसा, तांबा; अभाव में पलाश या वृक्ष पत्रल।
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वर्जित: केले के पत्ते, मिट्टी/लोहे के बर्तन।
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दीपक: सफेद बाती, तिल तैल।
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वस्त्र: पुरुष/महिला – सफेद या पीला।
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पत्नी की स्थिति: हमेशा दायिनी ओर।
8. भोजन समय और दिशा
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जल अर्पण समय: 11:36 – 12:24 बजे
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दिशा: दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके अर्पण।
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श्राद्ध भोजन: मौन रहें, भोजन का गुण वर्णन न करें।
9. वर्जित कार्य (श्राद्ध के दिन)
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श्राद्धकर्ता के लिए:
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दंतधावन, तांबूल/तंबाकू
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तेलमर्दन पूर्वक स्नान
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उपवास
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स्त्री संभोग
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औषधि सेवन
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परान्नभक्षण
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भोजन करने वाले के लिए:
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पुनर्भोजन
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यात्रा, भारधारण
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दान देना/लेना
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होम/हवन
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मैथुन
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संदर्भ: व्याघ्रपाद स्मृति, स्कंदपुराण
10. पिंड रहित श्राद्ध
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स्थिति: यदि मृतक का शरीर उपलब्ध न हो या मृत्यु विशेष अवसर पर।
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तिथि: भद्र कृष्ण, भरणी नक्षत्र, कृत्तिका तृतीया, मंगळवार, अश्वनी चतुर्दशी आदि।
11. विशेष श्राद्ध (महालय, गया, तीर्थ)
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महालय श्राद्ध: कार्तिक कृष्ण अमावस्या
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गया श्राद्ध: विशेष पुण्य
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महत्व: पितरों की तृप्ति, मोक्ष देने वाला।
12. नियम और निषेध (सारांश)
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किसे आमंत्रित न करें: अशुभ ब्राह्मण, दोबार नंगा, एकदंडी सन्यासी।
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भोजन नियम: भोजन के समय मौन, भोजन गरम, प्रथम परोसें।
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दान/भोजन का फल: सही विधि में करने पर ही पितरों को प्रसन्न करता है।
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श्राद्ध में न करें: यात्रा, भार, स्त्री संभोग, दान देना/लेना, पुनर्भोजन, होम, अन्य कर्म।
13. पितरों के लिए मुख्य आहार और वर्जित सामग्री
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वर्जित: मांस, प्याज, लहसुन, खट्टा भोजन, कड़वा, तेज खुशबू वाले पुष्प।
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अनिवार्य: तिल, दूध, शहद, शाकाहारी भोजन।
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शास्त्रिक आधार: मत्स्य पुराण, नारद पुराण, मनुस्मृति, स्कंदपुराण।
यह पूर्ण सार-रूप में श्राद्ध विवरण है, जिसमें:
✅ कारण, तिथि, समय, दान-वस्तु
✅ आमंत्रण योग्य व्यक्ति
✅ भोजन, पात्र, वस्त्र, पुष्प नियम
✅ वर्जित कार्य और निषेध
✅ पिंड/पिंड रहित श्राद्ध
✅ महालय/गया/तीर्थ श्राद्ध
✅ ग्रंथ संदर्भ और शास्त्र प्रमाण
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