🔯 श्राद्ध
पक्ष में वस्त्र-आभूषण नियम / Rules of New
Clothes & Ornaments in Shraddh Paksha
गरुड़ पुराण (पूर्व खण्ड, प्रेतकल्प 5.12-14):
"श्राद्धे तु यत्नतः कार्यं पितृभक्त्या समाहितः।
नित्यं शुक्लाम्बरधरः शुचिः सत्त्वसमन्वितः॥"
अर्थ (Hindi):
श्राद्धकाल में व्यक्ति को शुद्ध, सादे (विशेषकर सफेद/शुक्ल वस्त्र) पहनने चाहिए। रंग-बिरंगे, नये, फैशनेबल वस्त्र और आभूषण धारण करना श्राद्ध-व्रत की मर्यादा के विपरीत है।
English
Explanation:
During Shraddh, one should wear simple, preferably white or plain clothes.
Wearing new, colorful, or decorative clothes and ornaments contradicts the
sanctity of Pitru rituals.
❓ प्रश्न–उत्तर शैली
प्रश्न 1️⃣
श्राद्ध पक्ष में नये वस्त्र, आभूषण, मेहंदी, चूड़ी का प्रयोग कौन कर सकता है और कौन नहीं?
उत्तर:
🔹 शास्त्रों के अनुसार, श्राद्ध–पक्ष में वयस्क पुरुष और स्त्रियाँ (जिन्हें पितृ-कार्य करना होता है) नए वस्त्र, आभूषण आदि धारण नहीं करते।
🔹 परंतु बालक–बालिकाएँ विशेषकर जिनके माता–पिता जीवित हैं, उन्हें नये वस्त्र पहनाना शुभ माना गया है।
🔹 यह नियम विवाहित और अविवाहित सभी वयस्कों पर लागू होता है, अर्थात् वे नए वस्त्र न धारण करें।
प्रश्न 2️⃣
क्या जिनके माता–पिता जीवित हैं, वे स्वयं भी नये वस्त्र धारण कर सकते हैं?
उत्तर:
🔹 धर्मसिंधु, श्राद्धतत्व और गीता प्रेस टीका में कहा गया है कि यदि माता–पिता जीवित हों तो स्वयं पुत्र/पुत्री को भी नए वस्त्र धारण करने से कोई दोष नहीं है।
🔹 बल्कि यह शुभ संकेत माना गया है कि परंपरा आगे बढ़ रही है और पितरों को तृप्ति मिल रही है।
प्रश्न 3️⃣
बच्चों को श्राद्ध पक्ष में नये वस्त्र पहनाना क्यों शुभ माना गया है?
उत्तर:
🔹 शास्त्रों में स्पष्ट है कि बच्चों में नये वस्त्र धारण से दोहरा फल मिलता है—
- पितृ तृप्ति – पितरों को संतोष होता है कि वंश आगे बढ़ रहा है।
- जीवित मातृ–पितृ का आशीर्वाद – नये वस्त्र से दीर्घायु और सौभाग्य मिलता है।
📜 शास्त्रीय प्रमाण (ग्रंथ–श्लोक)
1. मatsya Purāṇa, अध्याय 15
“पुत्रपौत्रसमायुक्तं वंशं दृष्ट्वा पितामहाः।
तृप्तिं यान्ति ततो नित्यं दीर्घायुष्यं प्रयच्छति॥”
अर्थ (Hindi):
जब पितर अपने वंश में बच्चों को नूतन वसन आदि से सुशोभित देखते हैं, तो वे प्रसन्न होकर दीर्घायु और सौभाग्य का आशीर्वाद देते हैं।
Meaning
(English):
When ancestors see children adorned with new garments and ornaments, they feel
gratified and bless them with longevity and prosperity.
2. धर्मसिंधु (गीता प्रेस प्रकाशन, श्राद्ध अध्याय)
“श्राद्धकाले नूतनवस्त्रं न धारयेत्।
केवलं बालानां नूतनवसनं श्रेयस्करं॥”
अर्थ (Hindi):
श्राद्ध–काल में वयस्कों को नये वस्त्र धारण नहीं करने चाहिए। केवल बच्चों के लिए नूतन वस्त्र धारण करना शुभ और श्रेयस्कर है।
Meaning
(English):
During Shraddha, adults should not wear new garments. Only children wearing new
clothes is considered auspicious.
3. श्राद्धतत्त्व (पण्डित अयोध्या प्रसाद, गीता प्रेस टीका सहित)
“यत्र जीवतो मातापितरौ तत्र बालकस्य नूतनवसनधारणं
पितृपूजायाः परमं सौभाग्यकरं भवति।”
अर्थ (Hindi):
जहाँ माता–पिता जीवित हों, वहाँ बच्चे का नया वस्त्र पहनना पितरों की पूजा में परम सौभाग्यकारी माना जाता है।
Meaning
(English):
If parents are alive, a child wearing new clothes during Shraddha is highly
auspicious and pleases the ancestors.
👉 इस प्रकार बच्चों को, विशेषकर जिनके माता–पिता जीवित हों, श्राद्ध पक्ष में नए वस्त्र पहनाना शुभ और शास्त्रोक्त है।
👉 वयस्क विवाहित–अविवाहित को इस समय नए वस्त्र/आभूषण नहीं धारण करना चाहिए।
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