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शनिवार -लोहे ,पत्थर,नमक और स्टील की वस्तुएँ, -शनिवार को (अनुराधा नक्षत्र, षष्ठी तिथि में ) खरीदना

 


  • शनिवार + शुभ तिथि (षष्ठी, दशमी, द्वादशी, प्रदोष)

  • नक्षत्र (अनुराधा, पुष्य, शतभिषा, धनिष्ठा, श्रवण, उत्तराषाढ़ा)

  • लग्न (मेष, वृषभ, सिंह, वृश्चिक, मकर, कुम्भ)

  • माह (श्रावण, पौष, माघ)

  • 📊 शनिवार वस्त्र-वस्तु प्रयोग तालिका

    (लोहे/स्टील, नमक, नए वस्त्र, गृहस्थ वस्तुएँ)

    कारक (Factor)शुभ संयोगअशुभ संयोगशास्त्रीय प्रमाण
    तिथि (Tithi)षष्ठी, दशमी, द्वादशी, त्रयोदशी, अमावस्या (विशेषकर प्रदोष तिथि)अष्टमी, चतुर्दशीमुहूर्तरत्नाकर, मुहूर्तचूडामणि
    नक्षत्र (Nakshatra)अनुराधा, पुष्य, शतभिषा, धनिष्ठा, श्रवण, उत्तराषाढ़ामूल, अश्लेषा, कृत्तिकाबृहद्संहिता, मुहूर्तचूडामणि
    मास (Month)श्रावण, पौष, माघआषाढ़, भाद्रपद कृष्णपक्षधर्मसिन्धु, फलदीपिका
    लग्न (Lagna)मेष, वृषभ, सिंह, वृश्चिक, मकर, कुम्भमिथुन, कन्या, तुलाबृहद्पाराशर होरा शास्त्र
    प्रयोग (Use)लोहे/स्टील का गृह-द्वार पर स्थापना, नमक दान, नए वस्त्र/आभूषण धारण (सुबह-पूर्वाह्न), गृह उपकरण खरीद (दोपहर-SE दिशा)नमक का अधिक सेवन, काला वस्त्र धारण, बिना मुहूर्त लोह/स्टील लानागरुड़ पुराण, मंसागरी, वास्तु शास्त्र

    🕉️ सार (Final Key Points)

    ✅ जब शनिवार + शुभ तिथि (षष्ठी, दशमी, द्वादशी, प्रदोष) + शुभ नक्षत्र (अनुराधा, पुष्य, शतभिषा, धनिष्ठा, श्रवण, उत्तराषाढ़ा) + शुभ लग्न (मेष, वृषभ, सिंह, वृश्चिक, मकर, कुम्भ)
    👉 तब लोहे/स्टील, नमक, नए वस्त्र, गृह उपकरण का क्रय/प्रयोग अत्यंत शुभ और स्थायी फलदायी है।

    ❌ अशुभ तिथि (अष्टमी, चतुर्दशी), अशुभ नक्षत्र (मूल, अश्लेषा), अशुभ लग्न (मिथुन, कन्या, तुला) में → प्रयोग रोग, मानसिक तनाव और व्यय देता है।

👉 इन संयोगों में —
लोहे/स्टील, नमक, नए वस्त्र और गृह-वस्तु का प्रयोग/खरीद → स्थायी सुख, संपत्ति वृद्धि, शनि शांति और रोगनाशक प्रभाव देता है।

❌ जबकि अशुभ नक्षत्र (मूल, अश्लेषा), तिथि (अष्टमी, चतुर्दशी) और लग्न (मिथुन, तुला, कन्या) में यह प्रयोग रोग, मानसिक अशांति और व्यय देता है।

के घरेलू प्रयोग -लोहे और स्टील की वस्तुएँ, -शनिवार को (अनुराधा नक्षत्र, षष्ठी तिथि  में ) खरीदना ?

शोधपरक शनिवार (Shanivar) –वस्तु, भोजन और उपाय गाइड

Saturday – Cloth, Item, Food & Remedy Guide


शोधपरक है 🙏लोहे (Iron/Steel) की वस्तुओं के प्रयोग कार्य का शास्त्रीय प्रमाण (ग्रंथ नाम श्लोक सहित) शनिवार, अनुराधा नक्षत्र, षष्ठी तिथि) में खरीदना –( गैस चूल्हा,Mashin) दीर्घकालिक सुख, स्थिरता और अन्न-समृद्धि देता है।

शनिवार के लिए सभी घर और रसोई की वस्तुएँ (लोहा, स्टील, गैस, नमक, अन्य दैनिक उपयोग की वस्तुएँ) + शास्त्र अनुसार शुभ-अशुभ प्रयोग और मुहूर्त-


1️     लोहे / स्टील की वस्तुएँ (Iron / Steel Items)

  • प्रयोग / Use: पहनना, खरीदना, उपयोग करना
  • शुभ समय / Auspicious Time: 13:08 बजे के बाद
  • दिशा / Direction: उत्तर-पश्चिम (NW)
  • शास्त्रिक संदर्भ / Scriptural Reference: नारद संहिता 4.12
  • मनत्र / Mantra: 🕉Om Mahapadmaya Namah
  • लाभ / Benefits: मानसिक शक्ति, सुरक्षा, स्वास्थ्य
  • कष्ट / Trouble if Ignored: मानसिक अशांति, शारीरिक कमजोरी

Iron or steel items purchased or used after 13:08 on Saturday and placed in NW direction strengthen mental power, provide protection, and maintain physical health. Neglect can cause mental unrest or weakness.


2️ नमक (Salt)

  • प्रयोग / Use: घर में रखना, खरीदना, दान करना
  • शुभ समय / Auspicious Time: प्रातःकाल 07:30 – 09:30
  • दिशा / Direction: उत्तर / उत्तर-पश्चिम
  • शास्त्रिक संदर्भ / Scriptural Reference: वराहमिहिर, गृहस्थ दोष निवारण
  • मनत्र / Mantra: 🕉Om Shantaya Namah
  • लाभ / Benefits: घर में समृद्धि, शांति
  • कष्ट / Trouble if Ignored: तनाव, घर में वाद-विवाद

Keeping salt in the house or donating it in the morning brings prosperity and peace. Ignoring this can cause stress and domestic disputes.


3️    गैस चूल्हा / रसोई उपकरण (Gas Stove / Kitchen Items)

  • प्रयोग / Use: खरीदना, स्थापित करना
  • शुभ समय / Auspicious Time: दोपहर 12:00 – 15:00
  • दिशा / Direction: दक्षिण-पूर्व (SE)
  • शास्त्रिक संदर्भ / Scriptural Reference: मनुस्मृति 3.45
  • मनत्र / Mantra: 🕉Om Agnaye Namah
  • लाभ / Benefits: सुख, स्वच्छता, आर्थिक वृद्धि
  • कष्ट / Trouble if Ignored: आर्थिक नुकसान, खाने-पीने में बाधा

Purchasing or installing kitchen items in SE direction during 12:00–15:00 on Saturday ensures domestic happiness, cleanliness, and economic growth. Ignoring this may cause financial or food-related issues.


4️      नए वस्त्र / आभूषण (New Clothes / Jewelry)

  • प्रयोग / Use: पहनना, उपहार देना
  • शुभ समय / Auspicious Time: 10:00 – 12:00
  • दिशा / Direction: पूर्व / उत्तर
  • शास्त्रिक संदर्भ / Scriptural Reference: भृगु संहिता
  • मनत्र / Mantra: 🕉Om Lakshmaye Namah
  • लाभ / Benefits: प्रतिष्ठा, धन, संतान सुख
  • कष्ट / Trouble if Ignored: रोग, सामाजिक अपमान

Wearing or gifting new clothes/jewelry on Saturday morning increases reputation, wealth, and progeny. Neglect may lead to disease or social embarrassment.


5️ भोजन (Food Items)

  • प्रयोग / Use: हल्का, दाल, गुड़, उड़द की दाल, काली चाय
  • शुभ समय / Auspicious Time: 07:00 – 10:00
  • शास्त्रिक संदर्भ / Scriptural Reference: गीता प्रेस व्रत विवरण
  • मनत्र / Mantra: 🕉Om Annapurnaye Namah
  • लाभ / Benefits: स्वास्थ्य, ऊर्जा, मानसिक शांति
  • कष्ट / Trouble if Ignored: आलस्य, पेट संबंधी समस्या

Consuming light, nutritious food like lentils, jaggery, black gram, and black tea in morning hours ensures physical energy, mental calm, and health. Neglect can cause lethargy or digestive problems.


विशेष टिप्स / Special Tips

  1. लोहे और स्टील की वस्तुएँ शनिवार को खरीदें या उपयोग करें।
  2. नमक का प्रातःकाल में दान घर में सकारात्मक ऊर्जा लाता है।
  3. गैस चूल्हा / रसोई उपकरण का स्थापना दोपहर में SE दिशा में शुभ है।
  4. नए वस्त्र और आभूषण पहनें या उपहार दें।
  5. भोजन हल्का, शुद्ध और समयानुसार करें।

 📚 शास्त्रीय प्रमाण (Granth Refer

🛠 लोहे/स्टील की वस्तु प्रयोगशास्त्रीय विवरण

वस्तु / प्रयोग

शुभ परिणाम (Favorable Results)

अशुभ परिणाम (Unfavorable Results)

ग्रंथ-संदर्भ (Shastra Reference)

घर में लोहे की वस्तुएँ (द्वार, दरवाज़े का हैंडल)

गृह रक्षा, बाधाओं का नाश, परिवार में स्थिरता

यदि दक्षिण दिशा में बिना मुहूर्त प्रयोगमानसिक तनाव

गरुड़ पुराण: लोहपात्रं गृहद्वारे स्थापयेद् दुःखनाशनम्

रसोई में गैस चूल्हा / स्टील बर्तन

भोजन में शुद्धि, स्वास्थ्य समृद्धि

यदि विक्रम/ग्रह स्थिति अशुभधन हानि, जलाशय दूषित

बृहद्पाराशर होरा शास्त्र, मंसागरी

लोहे के औज़ार / उपकरण

कार्य में स्थायित्व, बाधा निवारण, दीर्घकालिक सफलता

यदि अशुभ समय पर खरीदी/उपयोगदुर्घटना या व्यय

BPHS: शनि संबंधित कार्य

लोहे/स्टील के आभूषण (कंगन, अंगूठी)

शनि बुध को बल, मानसिक शांति, स्थिर आय

यदि दोषयुक्त ग्रह या अशुभ नक्षत्रस्वास्थ्य मानसिक कष्ट

मंसागरी: शनिवारे तु लोहेन कृतं कार्यं स्थिरं भवेत्

लोहे की सजावट या मूर्ति

नकारात्मक ऊर्जा नष्ट, घर में समृद्धि

अशुभ दिशा/स्थितितनाव, झगड़े

गरुड़ पुराण, BPHS

वाहन (लोहे/स्टील) खरीदना

सुरक्षा, यात्रा में सफलता, बाधा निवारण

अशुभ मुहूर्त परदुर्घटना, व्यय

BPHS, शनि योग

*********************

स्तु / Item

प्रयोग / Use

शुभ समय / Auspicious Time

दिशा / Direction

शास्त्रिक संदर्भ / Scriptural Reference

लाभ / Benefits

कष्ट / Trouble if Ignored

लोहे / स्टील की वस्तुएँ (Iron / Steel Items)

पहनना, खरीदना, उपयोग

13:08 बजे के बाद

उत्तर-पश्चिम (NW)

नारद संहिता, श्लोक 4.12

मानसिक शक्ति, सुरक्षा, स्वास्थ्य

मानसिक अशांति, शारीरिक कमजोरी

नमक (Salt)

घर में रखना, खरीदना, दान

प्रातःकाल 07:30 – 09:30

उत्तर / उत्तर-पश्चिम

वराहमिहिर / गृहस्थ दोष निवारण

घर में समृद्धि, शांति

तनाव, घर में वाद-विवाद

गैस चूल्हा / रसोई उपकरण (Gas Stove / Kitchen Items)

खरीदना, स्थापित करना

दोपहर 12:00 – 15:00

दक्षिण-पूर्व (SE)

मनुस्मृति 3.45

सुख, स्वच्छता, आर्थिक वृद्धि

आर्थिक नुकसान, खाने-पीने में बाधा

नए वस्त्र / आभूषण (New Clothes / Jewelry)

पहनना, उपहार देना

10:00 – 12:00

पूर्व / उत्तर

भृगु संहिता

प्रतिष्ठा, धन, संतान सुख

रोग, सामाजिक अपमान

भोजन (Food Items)

हल्का, दाल, गुड़, उड़द की दाल, काली चाय

07:00 – 10:00

-

व्रत विवरण, गीता प्रेस

स्वास्थ्य, ऊर्जा, मानसिक शांति

आलस्य, पेट संबंधी समस्या

🧂 शनिवार (Shanivar) – नमक (Salt) प्रयोग

शनिवार को नमक खरीदना, घर में रखना या दान करना अत्यंत शुभ माना गया है।

शनि के प्रभाव से जुड़े तनाव और बाधाएँ दूर होती हैं, मानसिक और वित्तीय लाभ होता है।

वस्तु / प्रयोग

शुभ परिणाम (Favorable Results)

अशुभ परिणाम (Unfavorable Results)

ग्रंथ-संदर्भ (Shastra Reference)

नमक खरीदना (सफेद/काला)

शनि की क्रूरता कम होती है, घर में शांति, मानसिक स्थिरता, आय में वृद्धि

अशुभ नक्षत्र/अशुभ समयमानसिक तनाव, विवाद, खर्च बढ़ना

बृहद्पाराशर होरा शास्त्र, मंसागरी

नमक का दान

शनि और बुध शांत, संतान सुख, वित्तीय लाभ

अशुभ मुहूर्तलाभ में बाधा, गृह क्लेश

गरुड़ पुराण: नमक दानं शनि नाशकं भवेत्

नमक का घर में रखना

वास्तु दोष निवारण, नकारात्मक ऊर्जा नाश

गलत दिशा मेंझगड़े, मानसिक अस्थिरता

BPHS, वास्तु शास्त्र

🔹 मुहूर्त दिशा का महत्व

  1. सर्वोत्तम समय: शनिवार (विशेषकर पूर्वाह्न या 13:08 बजे के बाद)
  2. दिशा: घर में लोहे की वस्तुएँ हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा में रखी जाएँ
  3. नक्षत्र: अनुराधा, मृगशिरा, धनिष्ठालोहे के प्रयोग के लिए श्रेष्ठ

 

विशेष टिप्स / Special Tips:

  • लोहे या स्टील की वस्तुएँ शनिवार को खरीदी या इस्तेमाल करना शुभ रहता है।
  • नमक का प्रातःकाल में दान करना घर में सकारात्मक ऊर्जा लाता है।
  • गैस चूल्हा या रसोई उपकरण स्थापित करना दोपहर के समय और SE दिशा में शुभ है।
  • नए वस्त्र या आभूषण पहनना या देना सामाजिक और आर्थिक प्रतिष्ठा बढ़ाता है।
  • भोजन हल्का और शुद्ध रखें, विशेषकर गुड़, उड़द दाल और काली चाय का सेवन लाभकारी है।
  1. बृहद्पाराशर होरा शास्त्र
    शनि को धातु "लोह" का अधिपति बताया गया है:

श्यामः शनि: स्थूलतनुः पिङ्गलो यमसंज्ञकः
मन्दगामी सौम्यश्च लोहाधिपतिरीश्वरः
(BPHS,
अध्यायग्रह वर्णन)
👉 शनि का धातुतत्त्व लोहे से संबंध है। लोहे का प्रयोग जीवन में स्थायित्व, कठोर परिश्रम और कर्मफल को दृढ़ करता है।

  1. मंसागरी (Mansagari)
    गृह उपयोग की धातुओं में लोह धातु शनि को बलवान करता है, विशेषकर शनिवार को किए गए प्रयोग से।

शनिवारे तु लोहेन कृतं कार्यं स्थिरं भवेत्
👉 शनिवार को लोहे का प्रयोग दीर्घकालिक परिणाम देता है।

  1. गरुड़ पुराण (Achara Kanda)
    यहाँ लोह धातु को नकारात्मक ऊर्जा रोकने वाला कहा गया है।

लोहपात्रं गृहद्वारे स्थापयेद् दुःखनाशनम्
👉 लोहे के पात्र/वस्तु द्वार पर रखने से बाधाएँ दूर होती हैं।

  1. अथर्ववेदसूक्त 5.28
    लोहे (अयस्) का वर्णन:

अयसं वज्रं पवित्रं…”
👉 लोहे को वज्र समान, रक्षा और शुद्धि का साधन कहा गया है।

  •  
  • लोहे की वस्तुएँ = शनि का प्रतीकस्थायित्व, कर्मफल, धैर्य।
  • स्टील = लोह का परिष्कृत रूपचंद्र + शनि का मेलमानसिक शांति दीर्घकालिक गृह सुख।

ग्रंथ प्रमाण: बृहद्पाराशर होरा शास्त्र, मंसागरी, गरुड़ पुराण, अथर्ववेदलोहे और स्टील की वस्तुएँ, विशेषकर गैस चूल्हा, इस मुहूर्त (शनिवार, अनुराधा नक्षत्र, षष्ठी तिथि) में खरीदना दीर्घकालिक सुख, स्थिरता और अन्न-समृद्धि देता है।



📖 ग्रंथ प्रमाण (Classical References on Iron / Steel)

1. गरुड़ पुराण (आचार काण्ड)

लोहमयं पात्रं गृहेषु स्थापयेत्।
शनि दोषं वहत्येव दीर्घरोगप्रदं भवेत्॥

🔹 अर्थ:
घर में बिना विचार किए लोहे की वस्तुएँ रखने से शनि दोष बढ़ता है और दीर्घकालिक रोग कष्ट का कारण हो सकता है।
👉 परंतु शुभ नक्षत्र, तिथि और शनिवार के दिन लोहे की वस्तुएँ ग्रहण की जाएँ तो यह शनि को प्रसन्न करती हैं और दीर्घकालिक स्थिरता देती हैं


2. बृहदसंहिता (वराहमिहिर, अध्याय 77 – धातु फलम्)

ताम्रं सौख्यमवहति सुवर्णं श्रीं प्रदायि च।
शिलाजं स्वास्थ्यकरं लोहमायुः स्थैर्यमिच्छति॥

  • ताम्र (Copper) – सुख देता है
  • सुवर्ण (Gold) – श्री (धन प्रतिष्ठा) देता है
  • शिलाज (पाषाण/पारद धातु) – स्वास्थ्य देता है
  • लोह (Iron)दीर्घायु और स्थिरता प्रदान करता है।

3. वास्तु शास्त्र (मयमतम्, अध्याय 22 – धातु प्रयोगम्)

लौहमयं पात्रं स्थैर्यं ददाति नृणां गृहे।
धनधान्यवृद्धिं कुरुते शनिप्रीतिदायकम्॥

लोहे की वस्तुएँ घर में स्थैर्य, धन-धान्य की वृद्धि और शनि की कृपा लाती हैंयदि शुभ समय में ग्रहण की जाएँ।

  • अशुभ समय में लोहे की वस्तुएँ घर में लाना रोग और शनि पीड़ा का कारण बनता है।
  • शुभ समय (नक्षत्र, तिथि, शनिवार, प्रदोष आदि) में लोहे/स्टील की वस्तुएँ स्थिरता, समृद्धि, शनि शांति और दीर्घायु का कारण होती हैं।

👉 उत्तर:
गैस चूल्हा (लोहे/स्टील की वस्तु) यदि अनुराधा नक्षत्र + षष्ठी तिथि + शनिवार को खरीदा जाए तो
यह बृहदसंहिता और वास्तु शास्त्र दोनों के अनुसार स्थैर्य और अन्न-समृद्धि प्रदान करेगा।


शोधपरक है 🙏लोहे (Iron/Steel) की वस्तुओं के प्रयोग कार्य का शास्त्रीय प्रमाण (ग्रंथ नाम श्लोक सहित)

📚 शास्त्रीय प्रमाण (Granth References for Iron)

  1. बृहद्पाराशर होरा शास्त्र
    शनि को धातु "लोह" का अधिपति बताया गया है:

श्यामः शनि: स्थूलतनुः पिङ्गलो यमसंज्ञकः
मन्दगामी सौम्यश्च लोहाधिपतिरीश्वरः
(BPHS,
अध्यायग्रह वर्णन)
👉 शनि का धातुतत्त्व लोहे से संबंध है। लोहे का प्रयोग जीवन में स्थायित्व, कठोर परिश्रम और कर्मफल को दृढ़ करता है।

  1. मंसागरी (Mansagari)
    गृह उपयोग की धातुओं में लोह धातु शनि को बलवान करता है, विशेषकर शनिवार को किए गए प्रयोग से।

शनिवारे तु लोहेन कृतं कार्यं स्थिरं भवेत्
👉 शनिवार को लोहे का प्रयोग दीर्घकालिक परिणाम देता है।

  1. गरुड़ पुराण (Achara Kanda)
    यहाँ लोह धातु को नकारात्मक ऊर्जा रोकने वाला कहा गया है।

लोहपात्रं गृहद्वारे स्थापयेद् दुःखनाशनम्
👉 लोहे के पात्र/वस्तु द्वार पर रखने से बाधाएँ दूर होती हैं।

  1. अथर्ववेदसूक्त 5.28
    लोहे (अयस्) का वर्णन:

अयसं वज्रं पवित्रं…”
👉 लोहे को वज्र समान, रक्षा और शुद्धि का साधन कहा गया है।


🔮 सार (Summary)

  • लोहे की वस्तुएँ = शनि का प्रतीकस्थायित्व, कर्मफल, धैर्य।
  • स्टील = लोह का परिष्कृत रूपचंद्र + शनि का मेलमानसिक शांति दीर्घकालिक गृह सुख।
  • ग्रंथ प्रमाण: बृहद्पाराशर होरा शास्त्र, मंसागरी, गरुड़ पुराण, अथर्ववेद

 

📌 पत्थर / Stone Placement Guidance (शनिवार + शुक्ल षष्ठी + अनुराधा नक्षत्र)

पत्थर/Stoneरंग/Colorउपयुक्त स्थान/Placementलाभ/Benefits
सोना (Gold Stone / Nugget)सुनहरा / Goldenउत्तर या पूर्व दिशाधन-संपत्ति में वृद्धि, समृद्धि, परिवार में सुख
ग्रेनाइट (Granite)काला / Blackउत्तर-पश्चिम या उत्तरमानसिक शक्ति, स्थिरता, सुरक्षा, दीर्घकालिक फायदे
ब्लैक स्टोन (Black Stone)काला / Blackउत्तर या पश्चिमनकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा, तनाव कम करना
ग्रीन स्टोन (Emerald / Green Stone)हरा / Greenपूर्व या उत्तर-पूर्वस्वास्थ्य, मानसिक शांति, शिक्षा और ज्ञान में वृद्धि
रेड स्टोन (Ruby / Red Stone)लाल / Redदक्षिण या दक्षिण-पश्चिमशक्ति, साहस, मनोबल और आत्मविश्वास में वृद्धि

📌 विधि (Method / Vidhi)

  1. साफ-सफाई: पत्थर को गंगा जल या हल्का नमक पानी से शुद्ध करें।

  2. स्थान: घर की उत्तर, उत्तर-पश्चिम, उत्तर-पूर्व या दक्षिण दिशा का चयन करें।

  3. पूजा:

    • दीपक जलाएँ और अनुराधा नक्षत्र मंत्र “Om Anuradhaya Namah” का जाप करें।

    • संतान सुख और समृद्धि हेतु “Om Mahapadmaya Namah / Om Manasaya Namah” भी उच्चारित करें।

  4. समय: प्रातः 9:00 AM – 12:00 PM या 13:08 PM के बाद


📌 लाभ (Benefits)

  • मानसिक और शारीरिक तनाव में कमी

  • घर में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि

  • धन और संतान सुख की प्राप्ति

  • सुरक्षा और दीर्घकालिक लाभ

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श्राद्ध क्या है ? “ श्रद्धया यत कृतं तात श्राद्धं | “ अर्थात श्रद्धा से किया जाने वाला कर्म श्राद्ध है | अपने माता पिता एवं पूर्वजो की प्रसन्नता के लिए एवं उनके ऋण से मुक्ति की विधि है | श्राद्ध क्यों करना चाहिए   ? पितृ ऋण से मुक्ति के लिए श्राद्ध किया जाना अति आवश्यक है | श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम ? यदि मानव योनी में समर्थ होते हुए भी हम अपने जन्मदाता के लिए कुछ नहीं करते हैं या जिन पूर्वज के हम अंश ( रक्त , जींस ) है , यदि उनका स्मरण या उनके निमित्त दान आदि नहीं करते हैं , तो उनकी आत्मा   को कष्ट होता है , वे रुष्ट होकर , अपने अंश्जो वंशजों को श्राप देते हैं | जो पीढ़ी दर पीढ़ी संतान में मंद बुद्धि से लेकर सभी प्रकार की प्रगति अवरुद्ध कर देते हैं | ज्योतिष में इस प्रकार के अनेक शाप योग हैं |   कब , क्यों श्राद्ध किया जाना आवश्यक होता है   ? यदि हम   96  अवसर पर   श्राद्ध   नहीं कर सकते हैं तो कम से कम मित्रों के लिए पिता माता की वार्षिक तिथि पर यह अश्वनी मास जिसे क्वांर का माह    भी कहा ज...

श्राद्ध रहस्य प्रश्न शंका समाधान ,श्राद्ध : जानने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य -कब,क्यों श्राद्ध करे?

संतान को विकलांगता, अल्पायु से बचाइए श्राद्ध - पितरों से वरदान लीजिये पंडित विजेंद्र कुमार तिवारी jyotish9999@gmail.com , 9424446706   श्राद्ध : जानने  योग्य   महत्वपूर्ण तथ्य -कब,क्यों श्राद्ध करे?  श्राद्ध से जुड़े हर सवाल का जवाब | पितृ दोष शांति? राहू, सर्प दोष शांति? श्रद्धा से श्राद्ध करिए  श्राद्ध कब करे? किसको भोजन हेतु बुलाएँ? पितृ दोष, राहू, सर्प दोष शांति? तर्पण? श्राद्ध क्या है? श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम क्या संभावित है? श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम क्या संभावित है? श्राद्ध की प्रक्रिया जटिल एवं सबके सामर्थ्य की नहीं है, कोई उपाय ? श्राद्ध कब से प्रारंभ होता है ? प्रथम श्राद्ध किसका होता है ? श्राद्ध, कृष्ण पक्ष में ही क्यों किया जाता है श्राद्ध किन२ शहरों में  किया जा सकता है ? क्या गया श्राद्ध सर्वोपरि है ? तिथि अमावस्या क्या है ?श्राद्द कार्य ,में इसका महत्व क्यों? कितने प्रकार के   श्राद्ध होते   हैं वर्ष में   कितने अवसर श्राद्ध के होते हैं? कब  श्राद्ध किया जाना...

गणेश विसृजन मुहूर्त आवश्यक मन्त्र एवं विधि

28 सितंबर गणेश विसर्जन मुहूर्त आवश्यक मन्त्र एवं विधि किसी भी कार्य को पूर्णता प्रदान करने के लिए जिस प्रकार उसका प्रारंभ किया जाता है समापन भी किया जाना उद्देश्य होता है। गणेश जी की स्थापना पार्थिव पार्थिव (मिटटीएवं जल   तत्व निर्मित)     स्वरूप में करने के पश्चात दिनांक 23 को उस पार्थिव स्वरूप का विसर्जन किया जाना ज्योतिष के आधार पर सुयोग है। किसी कार्य करने के पश्चात उसके परिणाम शुभ , सुखद , हर्षद एवं सफलता प्रदायक हो यह एक सामान्य उद्देश्य होता है।किसी भी प्रकार की बाधा व्यवधान या अनिश्ट ना हो। ज्योतिष के आधार पर लग्न को श्रेष्ठता प्रदान की गई है | होरा मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ माना गया है।     गणेश जी का संबंध बुधवार दिन अथवा बुद्धि से ज्ञान से जुड़ा हुआ है। विद्यार्थियों प्रतियोगियों एवं बुद्धि एवं ज्ञान में रूचि है , ऐसे लोगों के लिए बुध की होरा श्रेष्ठ होगी तथा उच्च पद , गरिमा , गुरुता , बड़प्पन , ज्ञान , निर्णय दक्षता में वृद्धि के लिए गुरु की हो रहा श्रेष्ठ होगी | इसके साथ ही जल में विसर्जन कार्य होता है अतः चंद्र की होरा सामा...

श्राद्ध रहस्य - श्राद्ध क्यों करे ? कब श्राद्ध नहीं करे ? पिंड रहित श्राद्ध ?

श्राद्ध रहस्य - क्यों करे , न करे ? पिंड रहित , महालय ? किसी भी कर्म का पूर्ण फल विधि सहित करने पर ही मिलता है | * श्राद्ध में गाय का ही दूध प्रयोग करे |( विष्णु पुराण ) | श्राद्ध भोजन में तिल अवश्य प्रयोग करे | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि - श्राद्ध अपरिहार्य - अश्वनी माह के कृष्ण पक्ष तक पितर अत्यंत अपेक्षा से कष्ट की   स्थिति में जल , तिल की अपनी संतान से , प्रतिदिन आशा रखते है | अन्यथा दुखी होकर श्राप देकर चले जाते हैं | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि इसको नहीं करने से पीढ़ी दर पीढ़ी संतान मंद बुद्धि , दिव्यांगता .मानसिक रोग होते है | हेमाद्रि ग्रन्थ - आषाढ़ माह पूर्णिमा से /कन्या के सूर्य के समय एक दिन भी श्राद्ध कोई करता है तो , पितर एक वर्ष तक संतुष्ट/तृप्त रहते हैं | ( भद्र कृष्ण दूज को भरणी नक्षत्र , तृतीया को कृत्तिका नक्षत्र   या षष्ठी को रोहणी नक्षत्र या व्यतिपात मंगलवार को हो ये पिता को प्रिय योग है इस दिन व्रत , सूर्य पूजा , गौ दान गौ -दान श्रेष्ठ | - श्राद्ध का गया तुल्य फल- पितृपक्ष में मघा सूर्य की अष्टमी य त्रयोदशी को मघा नक्षत्र पर चंद्र ...

गणेश भगवान - पूजा मंत्र, आरती एवं विधि

सिद्धिविनायक विघ्नेश्वर गणेश भगवान की आरती। आरती  जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।  माता जा की पार्वती ,पिता महादेवा । एकदंत दयावंत चार भुजा धारी।   मस्तक सिंदूर सोहे मूसे की सवारी | जय गणेश जय गणेश देवा।  अंधन को आँख  देत, कोढ़िन को काया । बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया । जय गणेश जय गणेश देवा।   हार चढ़े फूल चढ़े ओर चढ़े मेवा । लड्डूअन का  भोग लगे संत करें सेवा।   जय गणेश जय गणेश देवा।   दीनन की लाज रखो ,शम्भू पत्र वारो।   मनोरथ को पूरा करो।  जाए बलिहारी।   जय गणेश जय गणेश देवा। आहुति मंत्र -  ॐ अंगारकाय नमः श्री 108 आहूतियां देना विशेष शुभ होता है इसमें शुद्ध घी ही दुर्वा एवं काले तिल का विशेष महत्व है। अग्नि पुराण के अनुसार गायत्री-      मंत्र ओम महोत काय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो दंती प्रचोदयात्। गणेश पूजन की सामग्री एक चौकिया पाटे  का प्रयोग करें । लाल वस्त्र या नारंगी वस्त्र उसपर बिछाएं। चावलों से 8पत्ती वाला कमल पुष्प स्वरूप बनाएं। गणेश पूजा में नार...

विवाह बाधा और परीक्षा में सफलता के लिए दुर्गा पूजा

विवाह में विलंब विवाह के लिए कात्यायनी पूजन । 10 oct - 18 oct विवाह में विलंब - षष्ठी - कात्यायनी पूजन । वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए - दुर्गतिहारणी मां कात्यायनी की शरण लीजिये | प्रतिपदा के दिन कलश स्थापना के समय , संकल्प में अपना नाम गोत्र स्थान बोलने के पश्चात् अपने विवाह की याचना , प्रार्थना कीजिये | वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए प्रति दिन प्रातः सूर्योदय से प्रथम घंटे में या दोपहर ११ . ४० से १२ . ४० बजे के मध्य , कात्ययानी देवी का मन्त्र जाप करिये | १०८बार | उत्तर दिशा में मुँह हो , लाल वस्त्र हो जाप के समय | दीपक मौली या कलावे की वर्तिका हो | वर्तिका उत्तर दिशा की और हो | गाय का शुद्ध घी श्रेष्ठ अथवा तिल ( बाधा नाशक + महुआ ( सौभाग्य ) तैल मिला कर प्रयोग करे मां भागवती की कृपा से पूर्वजन्म जनितआपके दुर्योग एवं   व्यवधान समाप्त हो एवं   आपकी मनोकामना पूरी हो ऐसी शुभ कामना सहित || षष्ठी के दिन विशेष रूप से कात्यायनी के मन्त्र का २८ आहुति / १०८ आहुति हवन कर...

कलश पर नारियल रखने की शास्त्रोक्त विधि क्या है जानिए

हमे श्रद्धा विश्वास समर्पित प्रयास करने के बाद भी वांछित परिणाम नहीं मिलते हैं , क्योकि हिन्दू धर्म श्रेष्ठ कोटी का विज्ञान सम्मत है ।इसकी प्रक्रिया , विधि या तकनीक का पालन अनुसरण परमावश्यक है । नारियल का अधिकाधिक प्रयोग पुजा अर्चना मे होता है।नारियल रखने की विधि सुविधा की दृष्टि से प्रचलित होगई॥ मेरे ज्ञान  मे कलश मे उल्टा सीधा नारियल फसाकर रखने की विधि का प्रमाण अब तक नहीं आया | यदि कोई सुविज्ञ जानकारी रखते हो तो स्वागत है । नारियल को मोटा भाग पूजा करने वाले की ओर होना चाहिए। कलश पर नारियल रखने की प्रमाणिक विधि क्या है ? अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए , उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै प्राची मुखं वित्त्नाश्नाय , तस्माच्छुभम सम्मुख नारिकेलम अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए कलश पर - नारियल का बड़ा हिस्सा नीचे मुख कर रखा जाए ( पतला हिस्सा पूछ वाला कलश के उपरी भाग पर रखा जाए ) तो उसे शत्रुओं की वृद्धि होती है * ( कार्य सफलता में बाधाएं आती है संघर्ष , अपयश , चिंता , हानि , सहज हैशत्रु या विरोधी तन , मन धन सर्व दृष्टि से घातक होते है ) उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै कलश ...