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12.09.2025 – भविष्य (Bhavishya) Bilingual 🌞 जन्म नक्षत्र, नाम, राशि & उपाय (Remedies) Birth Star, Name Syllables, Sign, Use/Wear New Items & Today’s Remedies

 

🌞 12.09.2025 – भविष्य (Bhavishya) Bilingual 🌞

जन्म नक्षत्र, नाम, राशि & उपाय (Remedies)
Birth Star, Name Syllables, Sign, Use/Wear New Items & Today’s Remedies

🪔 By Renowned Astrologer, Vastu Expert & Palmist – V.K. Tiwari (Since 1972)


📜 विशेष संदर्भ (Special Reference)

📌 डॉ. आर. दीक्षित🏛वास्तु विशेषज्ञ (Vastu Expert)
📌 डॉ. एस. तिवारी📖 वैदिक ज्योतिष (Vedic Astrology)
📧 Email: ✨ tiwaridixitastro@gmail.com
📞 Contact: 📲 +91 9424446706

कुंडली निर्माण (Horoscope Making)
विवाह मिलान (Marriage Matching – Not only Birth Star, but Complete Kundli)
रत्न परामर्श (Gemstone Consultation)
हस्तरेखा एवं वास्तु परामर्श (Palmistry & Vastu Consultation)


🔯 पंचांग स्थिति🌸 आज का विवरण 🌸)

  • Shashthi तिथि श्राद्ध षष्ठी (Shashthi) → स्वास्थ्य लाभ, रोग शमन।

षष्ठी तिथि को पौत्र-पौत्री तथा संतान की समृद्धि के लिए श्राद्ध किया जाता है।

-इस दिन का श्राद्ध वंश-वृद्धि, संतति-सुख और रोग निवारण में विशेष फलदायी है।

-धर्मसिन्धु में वर्णित है कि षष्ठी श्राद्ध करने से कुल में सन्तान-सौभाग्य सुरक्षित रहता है।



 📜 शास्त्रीय आधार (नूतन वस्त्रवस्तु धारण का प्रभाव)

🔹 श्राद्ध पक्ष में वयस्कों के लिए:

  • शास्त्र स्पष्ट कहते हैं कि श्राद्ध पक्ष में नये वस्त्र, अलंकार, विलास सामग्रियों का उपयोग वर्जित है।
  • कारण: यह काल पितरों के निमित्त है, कि व्यक्तिगत सुखविलास के लिए।

धर्मसिन्धु (श्राद्धप्रकरण):

"श्राद्धकाले नूतनवसनं, भूषणं, गानवाद्यादिकम्।"
👉 श्राद्ध पक्ष में नये वस्त्र, आभूषण, गान-वाद्य आदि वर्जित हैं।


🔹 बच्चों (बालकबालिका) के लिए विशेष नियम:

बच्चों के लिए अपवाद है

श्लोक:

"नूतनवसनधारणेन बालकानां द्वयं फलम्।
पितॄणां तृप्तिरस्ति जीवन्मातृपितोः श्रियः॥"

अर्थ:
बच्चे जब नये वस्त्र पहनते हैं तो

  1. पितरों की तृप्ति होती है क्योंकि वे वंशवृद्धि से प्रसन्न होते हैं।
  2. जीवित मातापिता का आशीर्वाद मिलता है जिससे सौभाग्य और दीर्घायु प्राप्त होती है।

🔹 बच्चों (बालकबालिका) हेतु विशेष नियम

  • वार: शुक्रवार

  • तिथि: आश्विन कृष्ण पक्ष पंचमी (09:58 तक), तत्पश्चात षष्ठी

  • नक्षत्र: भरणी

  • चंद्रराशी: मेष

  • व्रत/कर्म: श्राद्ध पक्ष

अब इसी संदर्भ में – भरणी नक्षत्र + षष्ठी तिथि + शुक्रवार में नये वस्त्र धारण का शास्त्रीय निर्णय, श्लोक और द्विभाषी व्याख्या प्रस्तुत कर रहा हूँ।


🌸 नये वस्त्र धारण – शास्त्रीय निर्णय 🌸

संस्कृत श्लोक (बृहत्संहिता, ज्योतिषसार, निर्णयसिन्धु आदि से संदर्भ)

“षष्ठ्यां च भरण्यां नवे वस्त्रे विशेषतः।
शुभं स्यात् स्त्रीसुखं दीर्घायुर्वंशवृद्धिकरम्॥”

अर्थ (हिन्दी में)

भरणी नक्षत्र और षष्ठी तिथि में नये वस्त्र धारण करने से विशेष शुभ फल प्राप्त होता है। इससे स्त्री-सुख, दीर्घायु तथा वंशवृद्धि होती है।

Meaning (English Translation)

When new clothes are worn on Shashthi Tithi and under Bharani Nakshatra, the results are especially auspicious. It bestows marital harmony, long life, and prosperity in progeny.


📌 विशेष विचार

  • वार (शुक्रवार): शुक्र का दिन होने से वस्त्र, अलंकार, सौंदर्य विषयक कार्य अधिक फलदायी माने जाते हैं।

  • पंचमी (upto 09:58): पंचमी में वस्त्र धारण साधारण फल देती है – मध्यम।

  • षष्ठी (09:58 के बाद): विशेष शुभ। स्त्री-सुख, परिवार वृद्धि, संतान और स्वास्थ्य में लाभ।

  • भरणी नक्षत्र: यम देवता का नक्षत्र होने से संयम व अनुशासन के साथ धारण करने पर श्रेष्ठ फल।


✅ निर्णय (Final Guidance)

  • आज 09:58 के बाद (षष्ठी प्रारंभ होने पर) नये वस्त्र धारण करना अत्यंत शुभ है।

  • इससे वैवाहिक सुख, दीर्घायु, संतान-सुख और वंशवृद्धि का योग बनता है।

  • शुक्रवार होने से भोग-विलास, वस्त्र-आभूषण और कला सम्बन्धी सभी कार्य अत्यधिक सफल।



2-जन्म नक्षत्र यदि आपका नक्षत्र निम्नलिखित में से कोई है, तो आज का दिन सुखद और अनुकूल रहेगा।Birth Nakshatra – If Your Nakshatra is Among These, Today Will Be Favorable and Pleasant.


BIRTH STARनक्षत्रGood resultप्रभाव (सूर्योदय तक)
भरणी (Bharani)शुभ (सौभाग्य तारा)सफलता, सुख, वैवाहिक सौंदर्य, भोग-विलास में वृद्धि
रोहिणी (Rohini)शुभ (धन तारा)समृद्धि, धन प्राप्ति, भौतिक सुख
मृगशिरा (Mrigashira)शुभ (सौख्य तारा)शिक्षा, यात्रा, प्रेम और नई शुरुआत में सफलता
पुनर्वसु (Punarvasu)शुभ (आशा तारा)खोई हुई वस्तु मिलना, नए संबंधों में प्रसन्नता
अश्लेषा (Ashlesha)सामान्य (कठिन तारा)मानसिक भ्रम, विवाद; संयम आवश्यक
पूर्वा फाल्गुनी (Purva Phalguni)शुभ (प्रेम तारा)प्रेम, दाम्पत्य सुख, मनोरंजन और कला में सफलता
हस्त (Hasta)शुभ (संपत्ति तारा)व्यापार, लेखन, विद्या और स्थायी लाभ
चित्रा (Chitra)शुभ (प्रतिष्ठा तारा)यश, पदोन्नति, समाज में मान-सम्मान
विशाखा (Vishakha)शुभ (उत्साह तारा)धार्मिक कार्य, यात्रा, संतान सुख
ज्येष्ठा (Jyeshtha)सामान्य/अशुभ (कठिन तारा)शत्रुता, मानसिक तनाव; धैर्य आवश्यक
पूर्वाषाढा (Purva Ashadha)शुभ (विजय तारा)विजय, प्रतियोगिता, शिक्षा में सफलता
श्रवण (Shravana)शुभ (श्रवण तारा)विद्या, भक्ति, पुण्य और ज्ञान में उन्नति
धनिष्ठा (Dhanishtha)शुभ (धन तारा)आर्थिक लाभ, संपत्ति और परिवार में वृद्धि
पूर्व भाद्रपद (Purva Bhadrapada)शुभ (धैर्य तारा)संतान सुख, धार्मिक कार्य, मानसिक शांति
रेवती (Revati)शुभ (समाप्ति तारा)यात्रा, विवाह, नई शुरुआत, समृद्धि

✅ निष्कर्ष


-भरणी, रोहिणी, मृगशिरा, पुनर्वसु, पूर्वा फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, विशाखा, पूर्वाषाढा, श्रवण, धनिष्ठा, पूर्व भाद्रपद, रेवती) शुभ  हैं।
इनमें किये गये कार्य अगले दिन सूर्योदय तक सुख, सफलता और प्रसन्नता देते हैं।

केवल अश्लेषा व ज्येष्ठा में सावधानी आवश्यक है – इन दिनों नये वस्त्र, नया काम या महत्वपूर्ण निर्णय टालना श्रेष्ठ।

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मेष (Aries) – चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो,

🔹 सौभाग्य: आज का दिन आपके लिए बेहद सौभाग्यशाली साबित हो सकता है।
🔹 Fortune: Today will be highly fortunate for you.

🔹 स्वास्थ्य: मानसिक और शारीरिक रूप से आप ऊर्जावान रहेंगे।
🔹 Health: You will feel energetic both mentally and physically.

🔹 कार्यक्षेत्र: कार्य में उन्नति के संकेत मिल रहे हैं, पुराने कर्जों की वसूली संभव है।
🔹 Career: Indications of career progress, possible recovery of old debts.


वृष (Taurus) – , , , , वा, वी, वू, वे, वो

🔹 यात्रा: अनायास यात्रा के योग बन सकते हैं, सतर्क रहें।
🔹 Travel: Unexpected travel is possible; be cautious.

🔹 स्वास्थ्य: हल्की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, ध्यान रखें।
🔹 Health: Minor health issues may arise; take care.

🔹 सफलता: धन लाभ और पदोन्नति के योग हैं।
🔹 Success: Financial gains and chances of promotion.


मिथुन (Gemini) – का, की, कू, , , , के, को,

🔹 दाम्पत्य सुख: जीवनसाथी के साथ संबंध मधुर रहेंगे।
🔹 Marital Bliss: Your relationship with your spouse will be harmonious.

🔹 स्वास्थ्य: स्वास्थ्य उत्तम रहेगा, दिनचर्या ऊर्जा से भरी रहेगी।
🔹 Health: Excellent health; you will feel energetic.

🔹 कार्य: व्यापार और राजनीति में सफलता मिलेगी।
🔹 Career: Success in business and politics.


कर्क (Cancer) – ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो

🔹 लक्ष्य प्राप्ति: मेहनत रंग लाएगी, सफलता मिलेगी।
🔹 Goal Achievement: Hard work will pay off; success is assured.

🔹 स्वास्थ्य: सामान्य स्वास्थ्य अच्छा रहेगा, रुचिकर भोजन मिलेगा।
🔹 Health: General health will be good; enjoyable meals are likely.

🔹 सामाजिक प्रतिष्ठा: समाज में मान-सम्मान बढ़ेगा।
🔹 Reputation: Your social reputation will rise.


सिंह (Leo) – मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे

🔹 प्रसिद्धि: समाज में आपकी प्रतिष्ठा बढ़ सकती है।
🔹 Fame: Your reputation in society may increase.

🔹 सावधानी: अनावश्यक खर्चों से बचें, शत्रुओं से सतर्क रहें।
🔹 Caution: Avoid unnecessary expenses and beware of enemies.

🔹 स्वास्थ्य: मानसिक चिंता बढ़ सकती है, धैर्य बनाए रखें।
🔹 Health: Mental stress may increase; stay calm.


कन्या (Virgo) – टो, , पी, पू, , , , पे, पो

🔹 कार्य: कार्यक्षेत्र में चुनौतियां सकती हैं।
🔹 Career: Challenges may arise at the workplace.

🔹 स्वास्थ्य: जीवनसाथी के स्वास्थ्य को लेकर चिंता हो सकती है।
🔹 Health: Concerns about your partner’s health may arise.

🔹 वित्त: खर्चों में वृद्धि होगी, बजट संभालें।
🔹 Finance: Expenses may rise; manage your budget wisely.

🚫 आज नया काम और यात्रा टालें।
🚫 Avoid new work and travel today.


तुला (Libra) – रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते

🔹 दाम्पत्य सुख: वैवाहिक जीवन में प्रेम और सामंजस्य बढ़ेगा।
🔹 Marital Bliss: Love and harmony will increase in married life.

🔹 स्वास्थ्य: मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रहेंगे।
🔹 Health: You will be mentally and physically fit.

🔹 कार्य: कार्यक्षेत्र में अनुकूल परिस्थितियां रहेंगी।
🔹 Career: Favorable conditions in the workplace.

🚫 आज नया काम और यात्रा टालें।
🚫 Avoid new work and travel today.


वृश्चिक (Scorpio) – तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू

🔹 स्वास्थ्य: स्वास्थ्य में कुछ बाधाएं सकती हैं, सतर्क रहें।
🔹 Health: Health issues may arise; be cautious.

🔹 विरोधी: विरोधी पराजित होंगे, योजनाएं सफल होंगी।
🔹 Enemies: Opponents will be defeated, and plans will succeed.

🔹 सावधानी: आज कोई नई योजना शुरू करें, यात्रा से बचें।
🔹 Caution: Avoid starting new projects or traveling today.


धनु (Sagittarius) – ये, यो, , भी, भू, , , , भे

🔹 वित्तीय स्थिति: खर्चे बढ़ सकते हैं, धन की हानि संभव है।
🔹 Finance: Expenses may rise, and financial loss is possible.

🔹 स्वास्थ्य: मानसिक तनाव से बचें, सकारात्मक रहें।
🔹 Health: Avoid mental stress; stay positive.

🔹 कार्यक्षेत्र: अहंकार से बचें, वरना संबंध खराब हो सकते हैं।
🔹 Career: Avoid arrogance to maintain good relationships.


मकर (Capricorn) – भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, , गी

🔹 वित्त: खर्चे बढ़ सकते हैं, बजट पर ध्यान दें।
🔹 Finance: Expenses may rise; focus on your budget.

🔹 स्वास्थ्य: स्वास्थ्य गिर सकता है, सावधानी बरतें।
🔹 Health: Health may decline; be cautious.

🔹 कार्य: महत्वपूर्ण कार्यों में सफलता संदिग्ध है।
🔹 Career: Success in important tasks is uncertain.

🚫 आज नया काम और यात्रा टालें।
🚫 Avoid new work and travel today.


कुंभ (Aquarius) – गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो,

🔹 सुख: घर का माहौल सकारात्मक रहेगा, आनंद मिलेगा।
🔹 Happiness: A positive home atmosphere will bring joy.

🔹 सफलता: कार्यक्षेत्र में सफलता मिलेगी, शत्रु परास्त होंगे।
🔹 Success: Career success; enemies will be defeated.

🔹 वित्त: संपत्ति में वृद्धि के योग हैं।
🔹 Finance: Indications of property gain.


मीन (Pisces) – दी, दू, , , , दे, दो, चा, ची

🔹 स्वास्थ्य: शारीरिक कमजोरी और मानसिक असंतोष रहेगा।
🔹 Health: Physical weakness and mental dissatisfaction.

🔹 व्यवहार: क्रोध और विवाद की स्थिति बन सकती है।
🔹 Behavior: Anger and disputes may arise.

🔹 वित्त: खर्चे बढ़ेंगे, महत्वपूर्ण कार्य टालें।
🔹 Finance: Expenses may rise; postpone important tasks.

🚫 आज नया काम और यात्रा टालें।
🚫 Avoid new work and travel today.


आज सुरक्षा और सफलता का उपाय

🔹 वेद मंत्र भरणी (Sanskrit)

यमायत्वा मखायत्वा सूर्य्यस्यत्वा तपसे देवस्यत्वा सवितामध्वानक्तु पृथ्विया गवं स्पृशस्पाहिअर्चिरसि शोचिरसि तपोसी।
हे यमदेव! आपको यज्ञ का भाग, सूर्य का तेज, तपस्या की शक्ति और परमेश्वर का आशीर्वाद प्राप्त हो। आप पृथ्वी और गऊओं को स्पर्श करें तथा प्रकाशमान और तपस्वी बने रहें।
Om Yamāya Tvā Makhāya Tvā Sūryasya Tvā Tapase Devasyā Tvā Savitāmadhvā Naktu Pṛthviyā Sa Gavam Spṛśaspāhi Archirasi Śocirasi Taposī.
"O Lord Yama! May you receive the share of the yajna, the radiance of the Sun, the power of penance, and the blessings of the Divine. May you touch the Earth and the cows, and remain luminous and ascetic."


🔹 पौराणिक मंत्र (Sanskrit)

पाशदण्डं भुजव्दयं यमं महिष वाहनम्।
यमं नीलं भजे भीमं सुवर्ण प्रतीमागतम्॥
मैं यमदेव की वंदना करता हूँ, जो पाश (फंदा) और दंड धारण करने वाले हैं, जिनका वाहन महिष (भैंस) है, जो नीलवर्ण (गहरे नीले) हैं, भयंकर स्वरूप वाले हैं और स्वर्ण के समान चमकते हैं।


Pāśadaṇḍaṁ Bhujadvayaṁ Yamaṁ Mahiṣa Vāhanam

Yamaṁ Nīlaṁ Bhaje Bhīmaṁ Suvarṇa Pratīmāgatam

"I worship Lord Yama, who holds a noose and a staff, rides a buffalo, has a deep blue complexion, appears formidable, and shines like gold."


आज सुरक्षा और सफलता का उपाय

🔹 वेद मंत्र भरणी (Sanskrit)

यमायत्वा मखायत्वा सूर्य्यस्यत्वा तपसे देवस्यत्वा सवितामध्वानक्तु पृथ्विया गवं स्पृशस्पाहिअर्चिरसि शोचिरसि तपोसी।
हे यमदेव! आपको यज्ञ का भाग, सूर्य का तेज, तपस्या की शक्ति और परमेश्वर का आशीर्वाद प्राप्त हो। आप पृथ्वी और गऊओं को स्पर्श करें तथा प्रकाशमान और तपस्वी बने रहें।
Om Yamāya Tvā Makhāya Tvā Sūryasya Tvā Tapase Devasyā Tvā Savitāmadhvā Naktu Pṛthviyā Sa Gavam Spṛśaspāhi Archirasi Śocirasi Taposī.
"O Lord Yama! May you receive the share of the yajna, the radiance of the Sun, the power of penance, and the blessings of the Divine. May you touch the Earth and the cows, and remain luminous and ascetic."


🔹 पौराणिक मंत्र (Sanskrit)

पाशदण्डं भुजव्दयं यमं महिष वाहनम्।
यमं नीलं भजे भीमं सुवर्ण प्रतीमागतम्॥
मैं यमदेव की वंदना करता हूँ, जो पाश (फंदा) और दंड धारण करने वाले हैं, जिनका वाहन महिष (भैंस) है, जो नीलवर्ण (गहरे नीले) हैं, भयंकर स्वरूप वाले हैं और स्वर्ण के समान चमकते हैं।
Pāśadaṇḍaṁ Bhujadvayaṁ Yamaṁ Mahiṣa Vāhanam

Yamaṁ Nīlaṁ Bhaje Bhīmaṁ Suvarṇa Pratīmāgatam

"I worship Lord Yama, who holds a noose and a staff, rides a buffalo, has a deep blue complexion, appears formidable, and shines like gold."

भरणी नक्षत्र विशेष पूजन विधि (Bharani Nakshatra Worship Details)

🔱 1. पूज्य देवता (Presiding Deity):

देवता: यमराज (धर्मराज)मृत्यु के अधिपति और न्याय का प्रतीक
📜 श्लोक (तैत्तिरीय ब्राह्मण):

"यमो राजा भरण्याः अधिपः।"
🔹 अर्थ: यमराज भरणी नक्षत्र के अधिपति हैं।

🕯 English: Yama, the lord of Dharma and Death, is the ruling deity of Bharani Nakshatra.


🌸 2. पुष्प (Flower):

पुष्प: कदम्ब पुष्प या लाल गुड़हलयम के पूजन हेतु योग्य
📜 देवीभागवत पुराण:

"यमाय कदम्बं दद्यात्, पापक्षयं भवेत्।"
🔹 अर्थ: यमराज को कदम्ब पुष्प अर्पित करने से पापों का क्षय होता है।


🪔 3. दीपक की दिशा, वर्तिका रंग (Lamp, Wick & Direction):

  • दीपक का प्रकार: तिल के तेल का दीपक (Sesame oil lamp – श्रेष्ठ)
  • वर्तिका (Wick): काले रंग का धागा या रेशम, एकमुखी
  • दीपक की दिशा: दक्षिण दिशायम का स्थान
    📜 गृह्य सूत्र:

"यमदिशायां दीपकं प्रज्वालयेत्।"
🔹 अर्थ: दीपक को यम दिशा यानी दक्षिण में स्थापित करें।

🕯 English: Use a sesame oil lamp with a black wick facing south to honor Yama.


🙌 4. अंग-स्पर्श (Touch Part during Worship):

स्पर्श स्थल: हृदय और नाभि
📜 तंत्रसार:

"धर्मं स्मृत्वा हृदयं स्पृशेत्।"
🔹 अर्थ: धर्म और यम का स्मरण करते हुए हृदय को स्पर्श करें।


📿 5. पूजन काल (Time of Worship):

  • श्रेष्ठ काल: सायं काल सूर्यास्त के पश्चात
  • विशेष काल: 21:37 PM तक भरणी नक्षत्र हो तो दक्षिणामुखी ध्यान सहित यम पूजन करें।

🐂 6. पशु पूजन (Animal Worship):

पशु पूज्य: भैंस (महिष)
📜 कालिका पुराण:

"यमवाहो महिषः पूज्यः भरण्यां विशेषतः।"


🌳 7. वृक्ष पूजन (Sacred Tree Worship):

वृक्ष: आंवला (Emblica officinalis)
📜 स्कन्द पुराण:

"आमलकं यमस्य वृक्षो नक्षत्रे भरणीतले।"
🔹 अर्थ: आंवला यमराज का प्रिय वृक्ष है।


🐦 8. पक्षी पूजन (Sacred Bird):

पक्षी पूज्य: कौवा (Crow)यमदूत का प्रतीक
📜 गरुड़ पुराण:

"काकं दृष्ट्वा यमं स्मरेत्।"


🪔 9. दीपक मंत्र (Lamp Mantra):

🕉वैदिक मंत्र:

"दीपं यमाय नमः प्रज्वालयामि।"
अर्थ: मैं यमराज को यह दीप समर्पित करता हूँ।

🔮 शाबर मंत्र:

"यमराज यमराज, भरणी नक्षत्र का काज। दीप जलाऊँ दक्षिण ओर, पाप होवें सब भस्म चूर।"

🕯जैन परंपरा से:

"णमो अरिहंताणं, भरणीए जिणवरं पूजयामि।"

🪷 बौद्ध परंपरा से (Theravada):

"Yo yamapālo, dhammena gakkhati, tassa dīpaṃ dadāmi."
Meaning: To Yama, the keeper of Dharma, I offer this lamp of wisdom

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  • वर्जित: तैल मालिश, दातून, नीम उत्पाद।
  • उपयोग: स्वर्ण जल का उपयोग करें।
  • मंत्र: कार्तिकेयाय नमः।

🪔 दान/भोजन वर्जन:
षष्ठ्यां भोजयेद् विप्रं दद्यात् कनकं क्वचित्।”— शतपथ ब्राह्मण
अर्थ: षष्ठी तिथि में ब्राह्मणों को भोजन कराना या स्वर्ण आदि का दान निषिद्ध है।
🕉 देवी पूजा (अपवाद):
षष्ठ्यां षष्ठी देव्या पूजनं कार्यं विशेषतः।स्कन्द पुराण
अर्थ: षष्ठी तिथि में केवल षष्ठी देवी (बाल रक्षा देवी) की पूजा का विधान है।
📚 जैन परंपरा:पूर्वाषाढ़ा में "सन्मति माता" की पूजा और नवकार मंत्र का जाप।
षष्ठी तिथि में सीमित भोजन और ध्यान अनुशंसा की गई है।
निष्कर्ष (संक्षेप):
नववस्त्र, गहना, वस्तुवर्ज्य।
दान, भोज, शाबर प्रयोगवर्ज्य।
पूजनकेवल षष्ठी देवी पूजन अनुमोदित।
🔷 . जैन परंपरासन्मति माता मंत्र
ह्रीं श्रीं क्लीं सन्मति मातरै नमः।
सन्मति माता नमो नमः। त्रिलोक्य पालन कारणे नमः।
सर्वरोग प्रशमनं सर्वसिद्धि प्रदायिनीम्।
नमस्ते सन्मते देवि नमस्ते ज्ञानदायिनीम्॥
**********************************************************
🔷 २षष्ठी देवी मंत्र स्कन्द पुराण, ब्राह्मवैवर्त पुराण (कृष्ण जन्म वर्णन)
षष्ठ्यै नमः॥
उमायै ह्रीं क्लीं षष्ठ्यै देव्यै नमः॥
बालकानां सुखं दात्री, रोगनाशं करोति या।
षष्ठी देवी नमस्तुभ्यं, त्वं मातैव सदा स्मृता॥
By following these remedies, one can neutralize Venus’s negative effects and attain beauty, wealth, luxury, and happiness. ⚪✨
इन उपायों को करने से शुक्र ग्रह की अशुभता दूर होगी और सौंदर्य, धन, ऐश्वर्य एवं सुख की प्राप्ति होगी। ⚪✨

शुक्रग्रह हेतु   -

अनिष्ट नाशक एवं सफलता के उपाय-

शुक्र गायत्री मंत्र-

ओम भृगुजाय विद्महे दिव्यदेहाय धीमहि

तन्नो शुक्रः प्रचोदयात् ।|आपो ज्योति रस अमृतम |परो रजसे सावादोंम |

ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः ॥

जैन मंत्र-

श्री सुविधिनाथ भगवान या श्री पुष्पदंत भगवान

ॐ ह्रीं शुक्र ग्रहारिष्ट निवारक-श्री पुष्पदन्त नाथ जिनेन्द्राय नम:

सर्व शांतिं कुरु कुरु स्वाहा। |

मम (अपना नाम) दुष्ट ग्रह रोग कष्ट निवारणं सर्वशांतिं कुरू कुरू हूँ फट् स्वाहा।

बाधा मुक्ति के लिए दान- चावल ,चांदी मिश्री ,सफेद पुष्प,

1-दही ,सफेद वस्त्र, सफेद चंदन, सुगंधित द्रव्य दान करे | |

2-दान किसे दे - सफ़ेद गाय कन्या या देवी मंदिर मे दान करे ||

3-दिन के दोष निराकरण के लिए घर से प्रस्थान पूर्व क्या खाएं

कच्चा दूध ,जौ barly | यदि जन्म कुंडली मे शुक्र अच्छा हो उनको दही अवश्य उपयोग करना चाहिए |

 

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Kundali Matching Expertise

Our expertise includes detailed analysis of Nadi Dosha, Mangal Dosha, Bhakoot Dosha, and Apvaad Niyam (exception rules) for accurate Kundali matching.

Key Considerations in Kundali Matching:

  1. Nadi Dosha:
    • There are 3-5 Nadi types affecting compatibility.
    • 13 Nakshatras naturally do not have Nadi Dosha.
  2. Mangal Dosha:
    • More than 35 exception rules apply for nullifying Mangal Dosha.
  3. Navamsa (D-9 Chart) Analysis:
    • Includes 5 Nadis, 9 Planets, and Lagna Rashi examination.
    • Each Nakshatra’s 4 phases (charanas) are evaluated.
  4. Unique Features:
    • Our analysis considers 30 key compatibility factors, whereas traditional Ashtakoot matching evaluates only 8 factors.

Marriage Compatibility Report:

  • A detailed, printable compatibility report of 6-10 pages is provided.
  • This depth of analysis is rare and not commonly available elsewhere.

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एकादशी आवश्यक ध्यातव्य

गृहस्थ-वर्ग जिनके पुत्र हो वे ध्यान रखें:
वर्जित: कृष्ण एकादशी, रविवार, संक्रांति, ग्रहण के दिन व्रत करना अशुभ है। परंतु स्नान और दान आवश्यक है।(नारद अनुसार)

घर से निकलते समय यात्रादी के कष्ट से सुरक्षा के लिए

रविवार: ताम्बूल,
सोमवार: दूध, जल एवं दर्पण देखना,
मंगलवार: गुड़+धनिया, गरम दूध, मसूर,
बुधवार: कच्चा दूध, मिठाई,
गुरुवार: राई, केसर तिलक, दही,
शुक्रवार: दही,
शनिवार: बायबिडिंग + काले तिल।

भोज्य वस्तु या उससे बने व्यंजन:
रविवार: ताम्बूल, घी,
सोमवार: खीर, जल एवं तिलक,
मंगलवार: गुड़,
बुधवार: धनिया और तिल, राई,
गुरुवार: दही शकर,
शुक्रवार: जौ।



कुंडली मिलान के महत्वपूर्ण तथ्य

A: 5 नाड़ियाँ - 44 गुण।
B: 13
नक्षत्रों में नाड़ी दोष नहीं होता।
C: 35
से अधिक मंगल दोष के अपवाद नियम।
D:
नवांश D-9, 5 नाड़ी, 9 ग्रह, लग्न राशि, नक्षत्र के चार चरणों से मिलान।
E: 30
विशेषताओं पर विचार किया जाता है।

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-५६०१०२

 

 

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श्राद्ध क्यों कैसे करे? पितृ दोष ,राहू ,सर्प दोष शांति ?तर्पण? विधि             श्राद्ध नामा - पंडित विजेंद्र कुमार तिवारी श्राद्ध कब नहीं करें :   १. मृत्यु के प्रथम वर्ष श्राद्ध नहीं करे ।   २. पूर्वान्ह में शुक्ल्पक्ष में रात्री में और अपने जन्मदिन में श्राद्ध नहीं करना चाहिए ।   ३. कुर्म पुराण के अनुसार जो व्यक्ति अग्नि विष आदि के द्वारा आत्महत्या करता है उसके निमित्त श्राद्ध नहीं तर्पण का विधान नहीं है । ४. चतुदर्शी तिथि की श्राद्ध नहीं करना चाहिए , इस तिथि को मृत्यु प्राप्त पितरों का श्राद्ध दूसरे दिन अमावस्या को करने का विधान है । ५. जिनके पितृ युद्ध में शस्त्र से मारे गए हों उनका श्राद्ध चतुर्दशी को करने से वे प्रसन्न होते हैं और परिवारजनों पर आशीर्वाद बनाए रखते हैं ।           श्राद्ध कब , क्या और कैसे करे जानने योग्य बाते           किस तिथि की श्राद्ध नहीं -  १. जिस तिथी को जिसकी मृत्यु हुई है , उस तिथि को ही श्राद्ध किया जाना चा...

रामचरितमानस की चौपाईयाँ-मनोकामना पूरक सरल मंत्रात्मक (ramayan)

*****मनोकामना पूरक सरल मंत्रात्मक रामचरितमानस की चौपाईयाँ-       रामचरितमानस के एक एक शब्द को मंत्रमय आशुतोष भगवान् शिव ने बना दिया |इसलिए किसी भी प्रकार की समस्या के लिए सुन्दरकाण्ड या कार्य उद्देश्य के लिए लिखित चौपाई का सम्पुट लगा कर रामचरितमानस का पाठ करने से मनोकामना पूर्ण होती हैं | -सोमवार,बुधवार,गुरूवार,शुक्रवार शुक्ल पक्ष अथवा शुक्ल पक्ष दशमी से कृष्ण पक्ष पंचमी तक के काल में (चतुर्थी, चतुर्दशी तिथि छोड़कर )प्रारंभ करे -   वाराणसी में भगवान् शंकरजी ने मानस की चौपाइयों को मन्त्र-शक्ति प्रदान की है-इसलिये वाराणसी की ओर मुख करके शंकरजी को स्मरण कर  इनका सम्पुट लगा कर पढ़े या जप १०८ प्रतिदिन करते हैं तो ११वे दिन १०८आहुति दे | अष्टांग हवन सामग्री १॰ चन्दन का बुरादा , २॰ तिल , ३॰ शुद्ध घी , ४॰ चीनी , ५॰ अगर , ६॰ तगर , ७॰ कपूर , ८॰ शुद्ध केसर , ९॰ नागरमोथा , १०॰ पञ्चमेवा , ११॰ जौ और १२॰ चावल। १॰ विपत्ति-नाश - “ राजिव नयन धरें धनु सायक। भगत बिपति भंजन सुखदायक।। ” २॰ संकट-नाश - “ जौं प्रभु दीन दयालु कहावा। आरति हरन बेद जसु गावा।। जपहिं ना...

दुर्गा जी के अभिषेक पदार्थ विपत्तियों के विनाशक एक रहस्य | दुर्गा जी को अपनी समस्या समाधान केलिए क्या अर्पण करना चाहिए?

दुर्गा जी   के अभिषेक पदार्थ विपत्तियों   के विनाशक एक रहस्य | दुर्गा जी को अपनी समस्या समाधान केलिए क्या अर्पण करना चाहिए ? अभिषेक किस पदार्थ से करने पर हम किस मनोकामना को पूर्ण कर सकते हैं एवं आपत्ति विपत्ति से सुरक्षा कवच निर्माण कर सकते हैं | दुर्गा जी को अर्पित सामग्री का विशेष महत्व होता है | दुर्गा जी का अभिषेक या दुर्गा की मूर्ति पर किस पदार्थ को अर्पण करने के क्या लाभ होते हैं | दुर्गा जी शक्ति की देवी हैं शीघ्र पूजा या पूजा सामग्री अर्पण करने के शुभ अशुभ फल प्रदान करती हैं | 1- दुर्गा जी को सुगंधित द्रव्य अर्थात ऐसे पदार्थ ऐसे पुष्प जिनमें सुगंध हो उनको अर्पित करने से पारिवारिक सुख शांति एवं मनोबल में वृद्धि होती है | 2- दूध से दुर्गा जी का अभिषेक करने पर कार्यों में सफलता एवं मन में प्रसन्नता बढ़ती है | 3- दही से दुर्गा जी की पूजा करने पर विघ्नों का नाश होता है | परेशानियों में कमी होती है | संभावित आपत्तियों का अवरोध होता है | संकट से व्यक्ति बाहर निकल पाता है | 4- घी के द्वारा अभिषेक करने पर सर्वसामान्य सुख एवं दांपत्य सुख में वृद्धि होती...

श्राद्ध:जानने योग्य महत्वपूर्ण बातें |

श्राद्ध क्या है ? “ श्रद्धया यत कृतं तात श्राद्धं | “ अर्थात श्रद्धा से किया जाने वाला कर्म श्राद्ध है | अपने माता पिता एवं पूर्वजो की प्रसन्नता के लिए एवं उनके ऋण से मुक्ति की विधि है | श्राद्ध क्यों करना चाहिए   ? पितृ ऋण से मुक्ति के लिए श्राद्ध किया जाना अति आवश्यक है | श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम ? यदि मानव योनी में समर्थ होते हुए भी हम अपने जन्मदाता के लिए कुछ नहीं करते हैं या जिन पूर्वज के हम अंश ( रक्त , जींस ) है , यदि उनका स्मरण या उनके निमित्त दान आदि नहीं करते हैं , तो उनकी आत्मा   को कष्ट होता है , वे रुष्ट होकर , अपने अंश्जो वंशजों को श्राप देते हैं | जो पीढ़ी दर पीढ़ी संतान में मंद बुद्धि से लेकर सभी प्रकार की प्रगति अवरुद्ध कर देते हैं | ज्योतिष में इस प्रकार के अनेक शाप योग हैं |   कब , क्यों श्राद्ध किया जाना आवश्यक होता है   ? यदि हम   96  अवसर पर   श्राद्ध   नहीं कर सकते हैं तो कम से कम मित्रों के लिए पिता माता की वार्षिक तिथि पर यह अश्वनी मास जिसे क्वांर का माह    भी कहा ज...

श्राद्ध रहस्य प्रश्न शंका समाधान ,श्राद्ध : जानने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य -कब,क्यों श्राद्ध करे?

संतान को विकलांगता, अल्पायु से बचाइए श्राद्ध - पितरों से वरदान लीजिये पंडित विजेंद्र कुमार तिवारी jyotish9999@gmail.com , 9424446706   श्राद्ध : जानने  योग्य   महत्वपूर्ण तथ्य -कब,क्यों श्राद्ध करे?  श्राद्ध से जुड़े हर सवाल का जवाब | पितृ दोष शांति? राहू, सर्प दोष शांति? श्रद्धा से श्राद्ध करिए  श्राद्ध कब करे? किसको भोजन हेतु बुलाएँ? पितृ दोष, राहू, सर्प दोष शांति? तर्पण? श्राद्ध क्या है? श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम क्या संभावित है? श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम क्या संभावित है? श्राद्ध की प्रक्रिया जटिल एवं सबके सामर्थ्य की नहीं है, कोई उपाय ? श्राद्ध कब से प्रारंभ होता है ? प्रथम श्राद्ध किसका होता है ? श्राद्ध, कृष्ण पक्ष में ही क्यों किया जाता है श्राद्ध किन२ शहरों में  किया जा सकता है ? क्या गया श्राद्ध सर्वोपरि है ? तिथि अमावस्या क्या है ?श्राद्द कार्य ,में इसका महत्व क्यों? कितने प्रकार के   श्राद्ध होते   हैं वर्ष में   कितने अवसर श्राद्ध के होते हैं? कब  श्राद्ध किया जाना...

गणेश विसृजन मुहूर्त आवश्यक मन्त्र एवं विधि

28 सितंबर गणेश विसर्जन मुहूर्त आवश्यक मन्त्र एवं विधि किसी भी कार्य को पूर्णता प्रदान करने के लिए जिस प्रकार उसका प्रारंभ किया जाता है समापन भी किया जाना उद्देश्य होता है। गणेश जी की स्थापना पार्थिव पार्थिव (मिटटीएवं जल   तत्व निर्मित)     स्वरूप में करने के पश्चात दिनांक 23 को उस पार्थिव स्वरूप का विसर्जन किया जाना ज्योतिष के आधार पर सुयोग है। किसी कार्य करने के पश्चात उसके परिणाम शुभ , सुखद , हर्षद एवं सफलता प्रदायक हो यह एक सामान्य उद्देश्य होता है।किसी भी प्रकार की बाधा व्यवधान या अनिश्ट ना हो। ज्योतिष के आधार पर लग्न को श्रेष्ठता प्रदान की गई है | होरा मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ माना गया है।     गणेश जी का संबंध बुधवार दिन अथवा बुद्धि से ज्ञान से जुड़ा हुआ है। विद्यार्थियों प्रतियोगियों एवं बुद्धि एवं ज्ञान में रूचि है , ऐसे लोगों के लिए बुध की होरा श्रेष्ठ होगी तथा उच्च पद , गरिमा , गुरुता , बड़प्पन , ज्ञान , निर्णय दक्षता में वृद्धि के लिए गुरु की हो रहा श्रेष्ठ होगी | इसके साथ ही जल में विसर्जन कार्य होता है अतः चंद्र की होरा सामा...

श्राद्ध रहस्य - श्राद्ध क्यों करे ? कब श्राद्ध नहीं करे ? पिंड रहित श्राद्ध ?

श्राद्ध रहस्य - क्यों करे , न करे ? पिंड रहित , महालय ? किसी भी कर्म का पूर्ण फल विधि सहित करने पर ही मिलता है | * श्राद्ध में गाय का ही दूध प्रयोग करे |( विष्णु पुराण ) | श्राद्ध भोजन में तिल अवश्य प्रयोग करे | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि - श्राद्ध अपरिहार्य - अश्वनी माह के कृष्ण पक्ष तक पितर अत्यंत अपेक्षा से कष्ट की   स्थिति में जल , तिल की अपनी संतान से , प्रतिदिन आशा रखते है | अन्यथा दुखी होकर श्राप देकर चले जाते हैं | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि इसको नहीं करने से पीढ़ी दर पीढ़ी संतान मंद बुद्धि , दिव्यांगता .मानसिक रोग होते है | हेमाद्रि ग्रन्थ - आषाढ़ माह पूर्णिमा से /कन्या के सूर्य के समय एक दिन भी श्राद्ध कोई करता है तो , पितर एक वर्ष तक संतुष्ट/तृप्त रहते हैं | ( भद्र कृष्ण दूज को भरणी नक्षत्र , तृतीया को कृत्तिका नक्षत्र   या षष्ठी को रोहणी नक्षत्र या व्यतिपात मंगलवार को हो ये पिता को प्रिय योग है इस दिन व्रत , सूर्य पूजा , गौ दान गौ -दान श्रेष्ठ | - श्राद्ध का गया तुल्य फल- पितृपक्ष में मघा सूर्य की अष्टमी य त्रयोदशी को मघा नक्षत्र पर चंद्र ...

गणेश भगवान - पूजा मंत्र, आरती एवं विधि

सिद्धिविनायक विघ्नेश्वर गणेश भगवान की आरती। आरती  जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।  माता जा की पार्वती ,पिता महादेवा । एकदंत दयावंत चार भुजा धारी।   मस्तक सिंदूर सोहे मूसे की सवारी | जय गणेश जय गणेश देवा।  अंधन को आँख  देत, कोढ़िन को काया । बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया । जय गणेश जय गणेश देवा।   हार चढ़े फूल चढ़े ओर चढ़े मेवा । लड्डूअन का  भोग लगे संत करें सेवा।   जय गणेश जय गणेश देवा।   दीनन की लाज रखो ,शम्भू पत्र वारो।   मनोरथ को पूरा करो।  जाए बलिहारी।   जय गणेश जय गणेश देवा। आहुति मंत्र -  ॐ अंगारकाय नमः श्री 108 आहूतियां देना विशेष शुभ होता है इसमें शुद्ध घी ही दुर्वा एवं काले तिल का विशेष महत्व है। अग्नि पुराण के अनुसार गायत्री-      मंत्र ओम महोत काय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो दंती प्रचोदयात्। गणेश पूजन की सामग्री एक चौकिया पाटे  का प्रयोग करें । लाल वस्त्र या नारंगी वस्त्र उसपर बिछाएं। चावलों से 8पत्ती वाला कमल पुष्प स्वरूप बनाएं। गणेश पूजा में नार...

विवाह बाधा और परीक्षा में सफलता के लिए दुर्गा पूजा

विवाह में विलंब विवाह के लिए कात्यायनी पूजन । 10 oct - 18 oct विवाह में विलंब - षष्ठी - कात्यायनी पूजन । वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए - दुर्गतिहारणी मां कात्यायनी की शरण लीजिये | प्रतिपदा के दिन कलश स्थापना के समय , संकल्प में अपना नाम गोत्र स्थान बोलने के पश्चात् अपने विवाह की याचना , प्रार्थना कीजिये | वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए प्रति दिन प्रातः सूर्योदय से प्रथम घंटे में या दोपहर ११ . ४० से १२ . ४० बजे के मध्य , कात्ययानी देवी का मन्त्र जाप करिये | १०८बार | उत्तर दिशा में मुँह हो , लाल वस्त्र हो जाप के समय | दीपक मौली या कलावे की वर्तिका हो | वर्तिका उत्तर दिशा की और हो | गाय का शुद्ध घी श्रेष्ठ अथवा तिल ( बाधा नाशक + महुआ ( सौभाग्य ) तैल मिला कर प्रयोग करे मां भागवती की कृपा से पूर्वजन्म जनितआपके दुर्योग एवं   व्यवधान समाप्त हो एवं   आपकी मनोकामना पूरी हो ऐसी शुभ कामना सहित || षष्ठी के दिन विशेष रूप से कात्यायनी के मन्त्र का २८ आहुति / १०८ आहुति हवन कर...

कलश पर नारियल रखने की शास्त्रोक्त विधि क्या है जानिए

हमे श्रद्धा विश्वास समर्पित प्रयास करने के बाद भी वांछित परिणाम नहीं मिलते हैं , क्योकि हिन्दू धर्म श्रेष्ठ कोटी का विज्ञान सम्मत है ।इसकी प्रक्रिया , विधि या तकनीक का पालन अनुसरण परमावश्यक है । नारियल का अधिकाधिक प्रयोग पुजा अर्चना मे होता है।नारियल रखने की विधि सुविधा की दृष्टि से प्रचलित होगई॥ मेरे ज्ञान  मे कलश मे उल्टा सीधा नारियल फसाकर रखने की विधि का प्रमाण अब तक नहीं आया | यदि कोई सुविज्ञ जानकारी रखते हो तो स्वागत है । नारियल को मोटा भाग पूजा करने वाले की ओर होना चाहिए। कलश पर नारियल रखने की प्रमाणिक विधि क्या है ? अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए , उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै प्राची मुखं वित्त्नाश्नाय , तस्माच्छुभम सम्मुख नारिकेलम अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए कलश पर - नारियल का बड़ा हिस्सा नीचे मुख कर रखा जाए ( पतला हिस्सा पूछ वाला कलश के उपरी भाग पर रखा जाए ) तो उसे शत्रुओं की वृद्धि होती है * ( कार्य सफलता में बाधाएं आती है संघर्ष , अपयश , चिंता , हानि , सहज हैशत्रु या विरोधी तन , मन धन सर्व दृष्टि से घातक होते है ) उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै कलश ...