शिवरात्रि मासिक - मंत्र, महत्व व लाभ
📜 महत्व: मासिक शिवरात्रि भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का
पावन दिन है।
🌿 लाभ: पापों का नाश, मानसिक शांति, सुख-समृद्धि व मोक्ष की प्राप्ति।
🕉️ 12 ज्योतिर्लिंगों के
क्रमानुसार नाम –
सोमनाथ, मल्लिकार्जुन, महाकालेश्वर, वैद्यनाथ, भीमशंकर, रामेश्वर, नागेश्वर, विश्वनाथ, त्रंबकेश्वर, केदारनाथ और घृष्णेश्वर।
1 उपाय: व्रत, रुद्राभिषेक व महामृत्युंजय जाप अत्यंत फलदायी होते हैं।
द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तुति
सौराष्ट्रे
सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।
उज्जयिन्यां
महाकालमोंकारं ममलेश्वरम् ॥1॥
परल्यां
वैजनाथं च डाकियन्यां भीमशंकरम्।
सेतुबन्धे
तु रामेशं नागेशं दारुकावने ॥2॥
वारणस्यां
तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमी तटे।
हिमालये
तु केदारं ध्रुष्णेशं च शिवालये ॥3॥
एतानि
ज्योतिर्लिंगानि सायं प्रातः पठेन्नरः।
सप्त
जन्म कृतं पापं स्मरेण विनश्यति ॥4॥
🔱 मासिक शिवरात्रि: मंत्र, महत्व व लाभ 🔱
🕉️ पूजा विधि व दीपक संबंधित नियम
🔥 पूजा का समय: निशीथ काल (रात्री 12 बजे के आसपास) सर्वोत्तम माना जाता है।
🪔 दीपक की बाती की दिशा:
- उत्तर दिशा में बाती रखने से समृद्धि मिलती है।
- पूर्व दिशा में रखने से ज्ञान की प्राप्ति होती है।
- दक्षिण दिशा में नकारात्मक प्रभाव माना जाता है।
🛢️ दीपक का तेल: तिल का तेल या घी सर्वोत्तम होता है।
📍 दीपक रखने की दिशा: शिवलिंग के दाहिनी ओर (दक्षिण-पूर्व दिशा) रखना शुभ
होता है।
📖 शिवपुराण में अभिषेक का वर्णन
🔹 दूध अभिषेक – मन की शांति व परिवार की सुख-समृद्धि।
🔹 जल अभिषेक – सभी पापों का नाश व सकारात्मक ऊर्जा।
🔹 शहद अभिषेक – मधुर वाणी, प्रेम व आकर्षण।
🔹 दही अभिषेक – संतान सुख व मानसिक शांति।
🔹 घी अभिषेक – स्वास्थ्य व दीर्घायु।
🔹 गन्ने के रस से अभिषेक – आर्थिक
समृद्धि।
🌿 शिवपुराण के अनुसार, श्रद्धा व भक्ति से किया गया अभिषेक शीघ्र फलदायी होता है।
🔱 हर हर महादेव! 🙏
🌿 चतुर्दशी को शिव अभिषेक उचित है या नहीं?
📖 शास्त्रों के अनुसार चतुर्दशी तिथि भगवान शिव को अत्यंत प्रिय मानी जाती है, विशेष रूप से मासिक शिवरात्रि और महाशिवरात्रि पर इस दिन अभिषेक करना अत्यंत शुभ होता है।
✅ उचित कारण:
✔️ चतुर्दशी
तिथि शिव तत्त्व से जुड़ी होती है, जिससे इस दिन अभिषेक शीघ्र फलदायी होता है।
✔️ रुद्राभिषेक
करने से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है।
✔️ विशेष रूप
से निशीथ काल (रात्रि 12 बजे के आसपास) में अभिषेक करना अत्यधिक शुभ माना जाता है।
🚫 अशुभ कब हो सकता है?
❌ यदि
चतुर्दशी तिथि भद्रा, ग्रहण या अशुभ योग में हो तो अभिषेक स्थगित करना उचित होता है।
❌ यदि किसी
विशेष स्थान पर शिवलिंग पर जल चढ़ाने की मनाही हो, तो वहाँ अभिषेक नहीं करना चाहिए।
🕉 हर हर महादेव! 🙏
🔱 शिव वर्ण किन पुराणों में मिलता है?
भगवान शिव के स्वरूप, लीलाओं और महत्व का वर्णन कई पुराणों में मिलता है। प्रमुख रूप से:
1️⃣ शिव पुराण – भगवान शिव
की उत्पत्ति, लीलाएँ, शिव तत्त्व
और भक्ति मार्ग का विस्तार से वर्णन।
2️⃣ स्कंद पुराण – यह सबसे
बड़ा पुराण है, जिसमें शिव
महिमा, ज्योतिर्लिंगों
की कथा और शिवभक्ति का महत्व बताया गया है।
3️⃣ लिंग पुराण – शिवलिंग की
उत्पत्ति, शिवतत्त्व, और अभिषेक
से प्राप्त होने वाले लाभों का वर्णन।
4️⃣ मात्स्य
पुराण – इसमें
शिव-शक्ति की महिमा, व्रत, उपवास और
शिवरात्रि की विधि दी गई है।
5️⃣ वामन पुराण – शिव के
विभिन्न अवतारों, व्रतों और
उनके कृपापात्र भक्तों का उल्लेख।
6️⃣ पद्म पुराण – शिव पार्वती
विवाह, शिवभक्ति और
तीर्थ यात्रा से संबंधित कथाएँ।
7️⃣ गर्भ पुराण – शिवतत्त्व, मृत्यु के
बाद आत्मा की गति, और
शिवोपासना का महत्व।
8️⃣ अग्नि पुराण – इसमें शिव
पूजा, रुद्राभिषेक
और तंत्र साधना का वर्णन।
📜 भविष्य पुराण में शिव व्रत
भविष्य पुराण में भगवान शिव की उपासना के लिए विभिन्न व्रतों का वर्णन मिलता है, जिनमें प्रमुख हैं:
🔹 मासिक शिवरात्रि व्रत – हर मास की
कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को किया जाने वाला व्रत, जो सभी पापों का नाश करता है।
🔹 सोलह सोमवार व्रत – लगातार 16 सोमवार उपवास रखने से इच्छित फल और सुख-समृद्धि
प्राप्त होती है।
🔹 प्रदोष व्रत – शुक्ल व कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को रखा जाता है, जिससे शिव
कृपा प्राप्त होती है।
🔹 सावन सोमवार व्रत – सावन माह में शिवजी की विशेष पूजा और उपवास का महत्व
बताया गया है।
🔹 शिवरात्रि व्रत – भगवान शिव और पार्वती के विवाह का दिन, इस दिन
रात्रि जागरण और अभिषेक का विशेष फल मिलता है।
📖 भविष्य पुराण के अनुसार, शिव व्रत करने से न केवल सांसारिक सुख-संपत्ति मिलती है, बल्कि मोक्ष की भी प्राप्ति होती है।
📜 मंत्र: ॐ नमः शिवाय | ॐ महादेवाय नमः |
. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥ -
-हम भगवान शिव की पूजते हैं,
तीन नेत्र हैं, सुगंधित हैं और हमारा पोषण करते हैं। जैसे फल शाखा के
बंधन से मुक्त हो जाता है वैसे ही हम भी मृत्यु और नश्वरता से मुक्त हो जाएं।
✨ महत्व: मासिक
शिवरात्रि भगवान शिव की आराधना का विशेष दिन है, जो मोक्ष, सुख-समृद्धि और पापों के नाश का अवसर प्रदान करता है।
. मृत-संजीवनी मन्त्र-Yajurved-Rudra Adhyay
ॐ मृत्युंजय महादेव त्राहि मां शरणागतम ,जन्म मृत्यु जरा व्याधि पीड़ितं कर्म बंधनः||
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् '
🔱 त्र्यंबकम् = त्रि-नेत्रों वाला (कर्म कारक), तीनों कालों में हमारी रक्षा करने वाले भगवान;
अम्बक शब्द का अर्थ पिता भी है, ,तीनों लोकों के पिता रूप में ईश्वर के लिए प्रयुक्त।
🕉️ यजामहे = हम पूजते ,,सम्मान करते हैं, हमारे श्रद्धेय।
🌿 सुगंधिम = मीठी महक वाला, सुगन्धित (कर्म कारक)।
🌱 पुष्टिः = एक सुपोषित स्थिति, फलने-फूलने वाली, समृद्ध जीवन की परिपूर्णता।
🌞 वर्धनम् = वह जो पोषण करता है, शक्ति (स्वास्थ्य, धन, सुख में) वृद्धिकारक; जो हर्षित -, आनंदित और स्वास्थ्य प्रदान करता है, एक अच्छा माली।
🍈 उर्वारुकम् = ककड़ी (कर्मकारक)।
⚖️ इव = जैसे, इस तरह।
🔗 बन्धनात् = तना (लौकी का);
⚰️ मृत्योः = मृत्यु से।
🕊️ मुक्षीय = हमें मुक्ति दें।
🚫 मा = नहीं वंचित हों। 🌀 अमृतात् = अमरता, मोक्ष के आनंद ।
🌿 लाभ: रोग-निवारण, मनोकामनाओं की पूर्ति, आर्थिक वृद्धि, और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति।
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🔱 हर हर महादेव!
🔱 मंत्र: ॐ नमः शिवाय
ॐ महादेवाय
नमः
🙏
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