मुहूर्त :कार्यों के समय ,काल-ब्रह्म,उषा,अरुणोदय काल,प्रातः,अभिजीत ,प्रदोष काल,गोधूलि काल,4 प्रहर ,राहुकाल, यमगंडम और गुलिक कालसंधि काल-94244446706
यह जानकारी महत्वपूर्ण मुहूर्तों और समय गणना से संबंधित है, जो भारतीय संस्कृति, ज्योतिष और धर्मशास्त्रों में अत्यधिक महत्व रखते हैं। हिंदू धर्म में समय की पवित्रता को विशेष रूप से ध्यान में रखा जाता है क्योंकि यह व्यक्ति के जीवन, स्वास्थ्य, आध्यात्मिकता और समृद्धि पर गहरा प्रभाव डालता है।
- ज्योतिष और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए महत्वपूर्ण है। इसे देखकर शुभ और अशुभ समयों को पहचाना जा सकता है, जिससे जीवन के विभिन्न कार्यों के लिए सही समय का चयन किया जा सके। 🚀
⏳ महत्वपूर्ण मुहूर्तों का महत्व
1️⃣
🌞 विभिन्न कालों का महत्व और उचित-अनुचित कार्य
हिंदू धर्म और ज्योतिष शास्त्र में समय (काल) को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। किसी भी कार्य की सफलता या विफलता इस बात पर निर्भर करती है कि वह कार्य किस समय किया जा रहा है। उचित समय पर किए गए कार्य शुभ फल देते हैं, जबकि अनुचित समय पर किए गए कार्य बाधाओं और कष्टों का कारण बन सकते हैं।
नीचे विभिन्न कालों का विस्तृत विवरण और उनके अनुसार उचित व अनुचित कार्यों की जानकारी दी गई है:
1️⃣ ब्रह्म मुहूर्त (Brahma Muhurat)
🕰 समय: सूर्योदय से 96 मिनट पूर्व (1 घंटा 36 मिनट पहले)
✅ उचित कार्य:
- ध्यान, योग, मंत्र जप, अध्ययन
- मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति बढ़ाने के लिए उत्तम
- इस समय उठने से स्मरण शक्ति और बौद्धिक क्षमता में वृद्धि होती है
🚫 अनुचित कार्य: - इस समय भोजन वर्जित है, इससे स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है
2️⃣ उषा काल (Usha Kaal)
🕰 समय: सूर्योदय से 2 घंटे पूर्व
✅ उचित कार्य:
- स्नान, पूजा, योग, संकल्प
- ऊर्जा और उत्साह बढ़ाने के लिए श्रेष्ठ
🚫 अनुचित कार्य: - नींद लेना, आलस्य
3️⃣ अरुणोदय काल (Arunodaya Kaal)
🕰 समय: सूर्योदय से 1 घंटा 12 मिनट पूर्व
✅ उचित कार्य:
- संकल्प, तीर्थ स्नान, भक्ति
- आध्यात्मिक उन्नति के लिए श्रेष्ठ
🚫 अनुचित कार्य: - नकारात्मक विचार, विवाद, क्रोध
4️⃣ प्रातःकाल (Pratah Kaal)
🕰 समय: सूर्योदय से 48 मिनट पूर्व
✅ उचित कार्य:
- सूर्य नमस्कार, पूजा-पाठ
- मानसिक और शारीरिक ऊर्जा बढ़ाने के लिए उत्तम
🚫 अनुचित कार्य: - देर तक सोना, किसी से झगड़ा करना
5️⃣ अभिजीत मुहूर्त (Abhijit Muhurat)
🕰 समय: दोपहर के 8वें मुहूर्त में (लगभग 12:00 से 12:48 बजे तक)
✅ उचित कार्य:
- कोई भी शुभ कार्य, यात्रा, व्यवसाय प्रारंभ करना
- गृह प्रवेश, नया कार्य प्रारंभ करना
🚫 अनुचित कार्य: - बुधवार को अभिजीत मुहूर्त निषेध
- इस समय दक्षिण दिशा की यात्रा नहीं करनी चाहिए
6️⃣ राहुकाल (Rahu Kaal)
🕰 समय: प्रतिदिन अलग-अलग होता है (तालिका ऊपर दी गई है)
🚫 अनुचित कार्य:
- कोई भी शुभ कार्य शुरू करना
- नया व्यापार, विवाह, गृह प्रवेश
✅ उचित कार्य: - तंत्र-मंत्र, ग्रह शांति पूजा
7️⃣ यम गंडम (Yamagandam Kaal)
🕰 समय: प्रतिदिन अलग-अलग होता है
🚫 अनुचित कार्य:
- नया कार्य शुरू करना
- यात्रा शुरू करना
✅ उचित कार्य: - पितृ तर्पण, ध्यान
8️⃣ गुलिक काल (Gulik Kaal)
🕰 समय: प्रतिदिन अलग-अलग होता है
✅ उचित कार्य:
- धन-संबंधी कार्य, भूमि खरीदना, वाहन खरीदना
🚫 अनुचित कार्य: - विवाह, ऋण देना, अंतिम संस्कार
9️⃣ प्रदोष काल (Pradosh Kaal)
🕰 समय: सूर्यास्त से 48 मिनट पूर्व से 48 मिनट बाद तक
✅ उचित कार्य:
- शिव पूजा, तंत्र साधना
🚫 अनुचित कार्य: - विवाद, क्रोध, नकारात्मकता
🔟 गोधूलि काल (Godhuli Kaal)
🕰 समय: सूर्यास्त से 24 मिनट पूर्व से 24 मिनट बाद तक
✅ उचित कार्य:
- यात्रा, विवाह, शुभ कार्य
🚫 अनुचित कार्य: - दान-पुण्य
1️⃣1️⃣ दिन के चार प्रहर और उनके अनुसार कार्य
प्रहर | समय | सम्बंधित कार्य |
---|---|---|
प्रथम प्रहर (देव काल) | 06:00 - 09:00 | पूजा-पाठ, दान, नए कार्य शुरू करना |
द्वितीय प्रहर (मनुष्य काल) | 09:00 - 12:00 | व्यापार, लेन-देन, बैठकें |
तृतीय प्रहर (पितृ काल) | 12:00 - 15:00 | पितृ तर्पण, ध्यान |
चतुर्थ प्रहर (संध्या काल) | 15:00 - 18:00 | मंत्र जाप, संध्या आरती |
🚫 अनुचित समय:
- 12:00 - 16:00 (देव विश्राम काल) – इस समय पूजा निषेध
- शनिवार सूर्यास्त के बाद – विशेष रूप से तंत्र साधना और शनि पूजा के लिए उपयुक्त
1️⃣2️⃣ श्राद्ध तिथि निर्धारण
✅ उचित दिन: जिस दिन अपराह्न काल में तिथि हो, उसी दिन श्राद्ध करें।
🚫 अनुचित दिन:
- यदि दो दिन मिल रहे हों, तो जिस दिन तिथि अधिक समय तक अपराह्न में हो, उसी दिन श्राद्ध करें।
📜 भविष्य पुराण अनुसार समय गणना
- पितरों का 1 दिन-रात = मनुष्यों के 1 महीने
- शुक्ल पक्ष = पितरों की रात
- कृष्ण पक्ष = पितरों का दिन
- देवताओं का 1 दिन-रात = मनुष्यों का 1 वर्ष
✅ निष्कर्ष: शुभ और अशुभ समय का ध्यान क्यों रखें?
✔️ किसी भी शुभ कार्य की सफलता के लिए सही मुहूर्त आवश्यक होता है।
✔️ अशुभ समय में किए गए कार्यों से कष्ट, बाधाएं और हानि हो सकती है।
✔️ ज्योतिषीय काल गणना के अनुसार ही कार्य करें तो मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं।
🚀 संक्षेप में: यदि आप इन शुभ-अशुभ कालों का ध्यान रखकर कार्य करेंगे, तो निश्चित ही सफलता मिलेगी और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहेगी। 🙏✨
🌞 दिन के 4 प्रहर और पूजन काल
प्रहर |
समय |
महत्व |
प्रथम प्रहर |
06:00 - 09:00 |
देव पूजा के लिए सर्वोत्तम |
द्वितीय प्रहर |
09:00 - 12:00 |
मनुष्य काल (दैनिक कार्यों के लिए उपयुक्त) |
तृतीय प्रहर |
12:00 - 15:00 |
पितृ काल (श्राद्ध और पितरों की पूजा) |
चतुर्थ प्रहर |
15:00 - 18:00 |
संध्या काल (ध्यान, मंत्र जप, हवन) |
🔸 मध्याह्न (12:00 - 16:00)
- देव विश्राम काल – इस समय किसी भी प्रकार की देव पूजा निषेध होती है।
🔹 शनिवार की विशेष पूजा
- सूर्यास्त के 48मिनट बाद तक शनि पूजा करना अत्यंत लाभकारी होता है।
🔹 देव शयन पूजा
- शाम 18:00 - 21:00 के बीच की जाती है।
🔥 श्राद्ध तिथि निर्धारण
- अपराह्न में जिस दिन तिथि हो, उसी दिन श्राद्ध करना उचित माना जाता है।
- यदि दो दिन एक ही तिथि हो, तो जिस दिन अधिक समय अपराह्न में हो, वही दिन उचित माना जाता है।
📜 भविष्य पुराण के अनुसार समय गणना
- पितरों का 1 दिन-रात = मनुष्यों के 1 महीने
- शुक्ल पक्ष = पितरों की रात
- कृष्ण पक्ष = पितरों का दिन
- देवताओं का 1 दिन-रात = मनुष्यों का 1 वर्ष
🌙 राहुकाल, यमगंडम और गुलिक काल
(अशुभ समय - यात्रा, विवाह व शुभ कार्यों से बचें)
दिन |
राहुकाल |
यमगंडम |
गुलिक काल |
सोमवार |
07:30-09:00 |
10:30-12:00 |
13:30-15:00 |
मंगलवार |
15:00-16:30 |
09:00-10:30 |
12:00-13:30 |
बुधवार |
12:00-13:30 |
07:30-09:00 |
10:30-12:00 |
गुरुवार |
13:30-15:00 |
06:00-07:30 |
09:00-10:30 |
शुक्रवार |
10:30-12:00 |
15:00-16:30 |
07:30-09:00 |
शनिवार |
09:00-10:30 |
13:30-15:00 |
06:00-07:30 |
रविवार |
16:30-18:00 |
12:00-13:30 |
15:00-16:30 |
📌 गुलिक काल में शुभ कार्य
✅ अनुशंसित:
- धन एकत्र करना ,संपत्ति एवं वाहन खरीदना, अन्नदान करना,
🚫 निषेध: विवाह ,ऋण देना ,अंतिम संस्कार
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