तुलसीविवाह — कथा एवं विधान
(स्रोत: स्कन्द पुराण, पद्म पुराण, ब्रह्मवैवर्त पुराण, विष्णु धर्मोत्तर, वशिष्ठ-जनक संवाद)
🌸 कथा
पूर्वकाल में जालंधर नामक असुर अपनी पत्नी वृन्दा (तुलसी) के पतिव्रत धर्म से अजेय था। देवता भयभीत होकर भगवान विष्णु से शरण में गए। विष्णु ने जालंधर का वध करने हेतु वृन्दा का रूपभ्रम उत्पन्न किया। वृन्दा को सत्य ज्ञात होने पर उसने विष्णु को शाप दिया — “तुम पत्थर बनोगे”।
वृन्दा ने अपने पतिव्रत बल से देह त्याग दी, और उसके शरीर से तुलसी का पौधा उत्पन्न हुआ। विष्णु ने वचन दिया — “तुम मेरी अर्धांगिनी के समान पूजिता होगी; कार्तिक शुक्ल एकादशी से पूर्णिमा तक तुम्हारा विवाह मुझसे होगा।”
इस प्रकार एकादशी से प्रारंभ होकर द्वादशी या पूर्णिमा तक “तुलसी विवाह” का उत्सव होता है। यह मानव-जीवन में शुभ विवाह, संतान, धन, और सौभाग्य का प्रतीक है।
तिथियाँ और समय (2025 के लिए)
1. तुलसी विवाह (कार्तिक शुक्ल एकादशी से पूर्णिमा तक)
- कार्तिक शुक्ल एकादशी (देवउठनी एकादशी): 2 नवम्बर 2025 (रविवार)
- कार्तिक शुक्ल द्वादशी: 3 नवम्बर 2025 (सोमवार)
- कार्तिक शुक्ल त्रयोदशी से पूर्णिमा: 4 नवम्बर – 5 नवम्बर 2025
- कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा (देवदीपावली): 5 नवम्बर 2025 (बुधवार)
2. देवदीपावली (पूर्णिमा तिथि और पूजन समय)
- पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 4 नवम्बर 2025, रात्रि 10:36 बजे IST
- पूर्णिमा तिथि समाप्ति: 5 नवम्बर 2025, रात्रि 6:48 बजे IST
- दीपदान एवं पूजन समय (प्रदोषकाल): 5 नवम्बर 2025, संध्या 5:15 – 7:50 बजे IST
- स्नान मुहूर्त: 5 नवम्बर 2025, प्रातः 4:00 – 5:30 बजे IST
🪔 पूजन विधि और विधान
तुलसी विवाह
- तिथि: कार्तिक शुक्ल एकादशी से पूर्णिमा तक
- विधि: तुलसी के पौधे को स्नान कराकर, पीत वस्त्र पहनाकर, आभूषण पहनाएं। शालिग्राम या विष्णु प्रतिमा को दूल्हा बनाकर तुलसी के समीप रखें। मंगलाष्टक, आरती और निम्न मंत्रों का जाप करें।
विवाह मंत्र:
"ॐ तुलस्यै नमः। विष्णवे नमः। श्रीलक्ष्मी-नारायणोऽयं विवाहः मम सौभाग्य-संतान-समृद्ध्यर्थं समर्पयामि।"
पुष्पांजलि मंत्र:
"ॐ तुलसी-लक्ष्मी-प्रियायै नमः। विष्णोः प्रियायै नमः। पुण्य-पाप-नाशाय नमः।"
दीपक–वर्तिका पूर्ण तालिका (शास्त्रीय विवरण)
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तत्व |
विधान/विवरण |
ग्रंथ/श्लोक प्रमाण |
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वर्तिका प्रकार |
शुद्ध सूती, सफेद रेशमी, या कमल/तुलसी तंतु। कृत्रिम/प्लास्टिक/रंगीन निषिद्ध। |
स्कन्द पुराण, कार्तिक माहात्म्य 23–27: “सूती रेशमी वा तुलसी तंतु दीपं प्रज्वलयेत” |
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दीपक रंग |
स्वर्णवर्ण/पीत (शिव), केसरिया/हरित (तुलसी–विष्णु), सफेद/घीदीपक |
पद्म पुराण, उत्तर खण्ड: “सुवर्ण, हरित वा श्वेत दीपं करोतु भक्तः” |
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दीपक संख्या |
11, 21,
51 (साधारण); 108 (विशेष श्राद्ध/मोक्षार्थ) |
ब्रह्मवैवर्त पुराण: “शत-दीपान्येकत्र प्रदीप्य यः पूजयेत् स पुण्यमाप्नोति” |
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दीपक दिशा |
पूर्वाभिमुख / ईशान कोण; नदी तट/मंदिर की ओर |
नारदीय पुराण: “दीपानां दिशा ईशानं भूयात्” |
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दीपक सामग्री |
तिल का तेल (साधारण), गाय का घी (विशेष पुण्य) |
स्कन्द पुराण, कार्तिक माहात्म्य: “तिलतेल वा गोघृत दीपं प्रज्वलयेत” |
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स्नान मुहूर्त |
4:00 –
5:30 AM IST (प्रातः ब्रह्ममुहूर्त) |
DrikPanchang
2025, Kartik Purnima |
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दीपदान/पूजन समय |
5 नवम्बर 2025, 5:15 – 7:50 PM IST (प्रदोषकाल) |
DrikPanchang
/ कार्तिक माहात्म्य |
🌸 तुलसी विवाह कथा (संक्षेप में विस्तृत रूप)
जालंधर असुर अपनी पत्नी वृन्दा (तुलसी) के पतिव्रत धर्म से अजेय हुआ। जब देवता असुरों से पराजित हुए, तो विष्णु ने जालंधर के वध के लिए वृन्दा का रूप लिया। वृन्दा ने शाप दिया — “हे विष्णु! तुम भी अपने धर्म से पत्थर बनोगे।”
विष्णु ने उसके तप को आदर दिया और कहा —
“हे वृन्दा! तुम्हारा रूप पृथ्वी पर तुलसी कहलाएगा, जो मुझसे विवाह करेगी और सब देवताओं में पूजिता होगी।”
इस प्रकार हर वर्ष कार्तिक शुक्ल एकादशी से पूर्णिमा तक तुलसी–श्रीविष्णु विवाह किया जाता है। यह सौभाग्य, संतान, गृह-सुख और विष्णु-प्रसन्नता का प्रतीक है।
🔱 पूजन विधि
- तुलसी के पौधे को स्नान कराएँ, पीत वस्त्र पहनाएँ, पुष्पमाला व आभूषण सजाएँ।
- शालिग्राम या विष्णु प्रतिमा को दूल्हा बनाकर तुलसी के समीप रखें।
- मंगलाष्टक, आरती, और निम्न मंत्रों का जाप करें —
📜 विवाह मंत्र:
ॐ तुलस्यै नमः। विष्णवे नमः। श्रीलक्ष्मी-नारायणोऽयं विवाहः मम सौभाग्य-संतान-समृद्ध्यर्थं समर्पयामि।
📜 पुष्पांजलि मंत्र:
ॐ तुलसी-लक्ष्मि-प्रियायै नमः। विष्णोः प्रियायै नमः। पुण्य-पाप-नाशाय नमः।
तुलसी विवाह (कथा, विधान, मंत्र, दिशा, वर्तिका)
स्रोत: स्कन्द पुराण, पद्म पुराण, ब्रह्मवैवर्त पुराण, नारदीय पुराण, Exotic
India Art (Kartik Mahatmya)
🌿 कथा (संपूर्ण)
जालंधर असुर और उसकी पत्नी वृन्दा की कथा अनुसार, वृन्दा की पवित्रता और पतिव्रत धर्म से असुर अजेय था। जब देवताओं ने असुरों पर विजय प्राप्त करने हेतु सहायता मांगी, तो भगवान विष्णु ने वृन्दा की तपस्या और सत्व का आदर करते हुए उसे तुलसी रूप प्रदान किया।
तुलसी-पौधे का विवाह हर वर्ष कार्तिक शुक्ल एकादशी (2 नवम्बर 2025) से लेकर पूर्णिमा (5 नवम्बर 2025) तक मनाया जाता है। यह विवाह सौभाग्य, संतान-संपन्नता, और विष्णु–लक्ष्मी की कृपा का प्रतीक है।
🕉️ पूजन विधि
- तुलसी-पौधे को स्नान कराएं, पीत वस्त्र और आभूषण पहनाएं।
- शालिग्राम या विष्णु प्रतिमा को दूल्हा बनाकर तुलसी के समीप रखें।
- मंगलाष्टक और आरती के साथ निम्न मंत्रों का जाप करें।
विवाह मंत्र:
ॐ तुलस्यै नमः। विष्णवे नमः। श्रीलक्ष्मी-नारायणोऽयं विवाहः मम सौभाग्य-संतान-समृद्ध्यर्थं समर्पयामि।
पुष्पांजलि मंत्र:
ॐ तुलसी-लक्ष्मी-प्रियायै नमः। विष्णोः प्रियायै नमः। पुण्य-पाप-नाशाय नमः।
🌟 दीपक विधि
- दीपक को हाथ या दीपक मंडप में रखें।
- घी या तेल भरें और वर्तिका स्थापित करें।
- मंत्र का उच्चारण करते हुए दीपक प्रज्वलित करें।
दीपदान मंत्र:
ॐ नमः शिवाय त्रिपुरान्तकाय नमः। दीपदानं मम पापक्षयार्थं गृह्यताम्।
🌸 फलश्रुति
- स्कन्द पुराण: “कार्तिके प्रदोषकाले दीपदानं शतयज्ञफलप्रदम्।”
- पद्म पुराण: “यः कार्तिके दीपं प्रज्वलयति, स पापमुक्तो भवति।”
- तुलसी विवाह/दीपदान से सौभाग्य, संतान, घर की समृद्धि और देव-प्रसन्नता की प्राप्ति होती है।


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