🚫 स्त्रियों हेतु निषिद्ध नक्षत्र:
वस्त्र, भूषण
एवं स्नान प्रयोग (दीपिका एवं बालबोध ज्योतिष सार समुच्चय)
📚 **ग्रंथ संदर्भ:** दीपिका ग्रंथ एवं बालबोध ज्योतिष सार
समुच्चय, पृष्ठ 142–144 के समीप
14को पुर्नवसु 11:54 तक ईवीएम पुष्य शुद्ध दिन तथा 15अक्टूबर 12:00दोपहर तक पुष्य नक्षत्र है जो स्त्री वर्ग के लिए वर्जित
नए वस्त्र वस्तु भूषण श्रृंगार प्रयोग नहीं करना चाहिए
📜 संस्कृत श्लोक:
रोहिण्यां गुरु-पुनर्वसु-त्रये
या विभारती नूतनवस्त्रभूषणम्।
सा न योषिद् विलम्बते पतिं स्नानं चाचर्यति वारुणेऽपि च॥
🔍 Transliteration:
Rohinyām
Guru–Punarvasu–traye yā vibhartī nūtanavastrabhūṣaṇam,
sā na yoṣid vilambate patiṃ snānaṃ cācarati vāruṇe’pi ca.
🕉️ अर्थ (Meaning in Hindi):
यदि कोई स्त्री रोहिणी,
गुरु-पुष्य या पुनर्वसु नक्षत्र में नए वस्त्र या आभूषण धारण करती है,
रोहनी, पुष्य, पुनर्वसु, उत्तरराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तराखंड में महिला को नए वस्त्र वस्तु भूषण श्रृंगार प्रयोग नहीं करना चाहिए शतभिषा (वरुण नक्षत्र) में स्नान करती है, तो उसका पति अल्पायु हो जाता है अथवा
उससे वियोग (विलम्ब) होता है। इसलिए इन नक्षत्रों में स्त्रियों को नए वस्त्र, आभूषण धारण
या स्नान करने से बचना चाहिए।
🌿 English Explanation:
According to
Jyotish Deepika and Balbodh Jyotish Sar Samucchay, if a woman wears new
garments or ornaments
during Rohini, Guru-Punarvasu, or Pushya Nakshatras, or takes a bath under
Shatabhisha (Varuna Nakshatra),
it results in the shortening of her husband's lifespan or separation from him.
Hence, such acts are considered
inauspicious for married women, though not harmful for men.
📖 निष्कर्ष (Conclusion):
🔸 इन नक्षत्रों (रोहिणी, गुरु-पुष्य, पुनर्वसु, शतभिषा) में
स्त्रियों हेतु नूतन वस्त्राभरण धारण या स्नान वर्जित है।
🔸 पुरुषों के लिए यह नक्षत्र सामान्य या शुभ माने जाते हैं।
🔸 वैवाहिक सुख एवं पति की दीर्घायु हेतु स्त्रियों को इन नक्षत्रों
में नए वस्त्र, आभूषण या स्नान से बचना चाहिए।
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