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6.10.2025 कोजागरी शरद पूर्णिमा, रास पूर्णिमा लक्ष्मी पूजनBILINGUL:विधि मंत्रकथा

 

6.10.2025 कोजागरी शरद पूर्णिमा, रास पूर्णिमा लक्ष्मी पूजन

आत्मा और परमात्मा के प्रेम का शाश्वत मिलन

🌕 कोजागरी व्रत (Kojagiri Purnima Vrat)
📅 तिथि: आश्विन शुक्ल पूर्णिमा
📆 इस वर्ष (2025)6 अक्टूबर, सोमवार
🪔 व्रत नाम: कोजागरी लक्ष्मी व्रत (जिसे शरद पूर्णिमा, कोजागर व्रत, रास पूर्णिमा भी कहा जाता है)

  • कोजागरी की रात चंद्रमा पूर्ण होने के कारण अत्यंत पवित्र मानी जाती है।

  • घर में जागरण और लक्ष्मी पूजा करने से वैभव, ऐश्वर्य और मानसिक शांति प्राप्त होती है।

  • दीपक जलाना, घर को सजाना और देवी के मंत्रों का जाप करना अत्यंत शुभ है।

  • माता लक्ष्मी की आराधना करने से धन, संपत्ति और सुख-समृद्धि की वृद्धि होती है।

  • Kojagari night is considered highly sacred as the moon shines in its full glory.

  • Staying awake and performing Lakshmi Puja brings prosperity, wealth, and peace of mind.

  • Lighting lamps, decorating the home, and chanting mantras of Goddess Lakshmi are very auspicious.

  • Worshipping Goddess Lakshmi on this night invites abundance, financial growth, and overall well-being.



🌼 1. व्रत का पौराणिक एवं आध्यात्मिक महत्व (महत्व – Importance)

🔸 को जागर्ति?”अर्थात्कौन जाग रहा है?”
इस प्रश्न के साथ माँ लक्ष्मी इस रात पृथ्वी पर विचरण करती हैं। जो व्यक्ति इस रात जागर करते हुए लक्ष्मी का ध्यान करता है, उसे देवी धन, समृद्धि और सौभाग्य प्रदान करती हैं।

🔸 यह दिन चन्द्रमा की पूर्ण किरणों से अमृत वर्षा का प्रतीक है। कहा गया है कि इस रात चंद्रमा से अमृत झरता है जो शरीर, मन और आत्मा को शुद्ध करता है।

🔸 भविष्य पुराण और नारद पुराण में उल्लेख है कि इस रात्रि में जागरण कर लक्ष्मी पूजन, दीपदान और कथा श्रवण करने से दरिद्रता दूर होती है।

🔸 यह वही रात्रि है जब श्रीकृष्ण ने गोपियों के साथ महारास किया थाअतः इसे रास पूर्णिमा भी कहा जाता है।

🌸. व्रत कथा (Kojagiri Vrat Katha)

(From Bhavishya Purana, Brahma Parva; Vratraj; Nirnaya Sindhu)

पुरातन काल में एक राजावैशाखसेन नाम से प्रसिद्ध था। वह अत्यंत धर्मात्मा था, परंतु उसके राज्य में अचानक दरिद्रता फैल गई।
राजा ने ब्राह्मणों से पूछा – “मेरे राज्य में यह विपत्ति क्यों आई?”
उन्होंने कहा — “राजन! माँ लक्ष्मी रुष्टा हैं। आप कोजागरी की रात्रि में जागरण कर लक्ष्मी पूजन करें।

राजा ने विधिवत उपवास रखा, स्नान किया, श्वेत वस्त्र धारण किए, ईशान कोण में दीप प्रज्वलित किया और देवी का पूजन करने लगा।
रात्रि के मध्य में आकाश से लक्ष्मी देवी अवतरित हुईं, उनके साथ इंद्रदेव भी थे।
देवी ने कहा — “राजन! तुमने मेरा स्मरण किया, अतः मैं प्रसन्न हूँ। मांगो वर!”
राजा ने कहा — “माँ! मेरे राज्य से दरिद्रता दूर हो और सबको सुख मिले।
लक्ष्मी ने आशीर्वाद दिया — “अब से तुम्हारा राज्य धनधान्य से परिपूर्ण रहेगा।

तभी से यह व्रतकोजागरी व्रतकहलायाक्योंकि देवी उस रात्रि में घूमते हुए पूछती हैं

को जागर्ति? को जागर्ति?” — कौन जाग रहा है?

जो व्यक्ति इस रात्रि में जागरण कर लक्ष्मी पूजन करता है, उसके घर दरिद्रता नहीं टिकती।
वह चिरसंपन्न, सुशोभित, और देवी कृपा से सुशील सन्तान प्राप्त करता है।

English Summary:
A pious king named Vaishakhsen lost his fortune. On a sage’s advice, he kept vigil on Sharad Purnima and worshipped Lakshmi. The Goddess appeared with Indra and blessed him — “Your land shall never know poverty again.”
Thus began the Kojagiri Vrat, when Lakshmi roams asking, “Who is awake?” The wakeful are blessed with wealth, health, and grace.



🪔 2. पूजन विधि (Puja Vidhi – from Dharma Sindhu & Nirnaya Sindhu)

चरण

विवरण

तिथि

आश्विन शुक्ल पूर्णिमा (6 अक्टूबर 2025)

पूजन समय

रात्रि 9:15 बजे से 12:45 बजे तक (लक्ष्मी जागरण काल)

व्रत प्रकार

उपवास एवं निशा-जागरण

देवी

महालक्ष्मी देवी (कोजागरी रूप)

देवता

इंद्रदेव (लक्ष्मी के साथ पूजनीय)

स्थान

घर के उत्तर-पूर्व कोने या पूजन स्थान पर चंद्र-दर्शन करते हुए

दीपक दिशा

उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख कर के दीपक जलाना

दीपक प्रकार

घी का दीपक, 7 बत्तियाँ (सप्तदीपक) या कमल-पुष्प दीपक

भोजन/प्रसाद

खीर (दूध, चावल, मिश्री से बनी), चाँदनी में रखकर अर्पित करें

दान-पुण्य

अन्न, वस्त्र, चांदी/सिक्का, दूध मिठाई का दान करें


🌸 3. देवी मंत्र (Lakshmi Mantras)

मुख्य पूजन मंत्र:

श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं कमलवासिन्यै नमः।
श्रीं नमो लक्ष्म्यै विद्महे विष्णुपत्नी धीमहि।
तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात्॥

दीपदान मंत्र:

दीपं देहि महालक्ष्मि सर्वसौभाग्यदायिनि।
धनं धान्यं प्रसन्ना त्वं मम देहि नमोऽस्तु ते॥

चंद्र अर्घ्य मंत्र:

नमो सोमाय चन्द्रमसे नमः।
अमृतं देहि मे नित्यं आयुष्यं देहि मे प्रभो॥

  • शुभं करोति कल्याणं आरोग्यं धनसंपदा।  

    शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपज्योतिर्नमोऽस्तुते॥सर्वमङ्गलमाङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।  

    शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते॥

    सर्व मंगल देने वाली, सभी सुख और समृद्धि प्रदान करने वाली, शरण देने वाली त्र्यम्बके गौरी नारायणी को मेरा नमन।

    धनधान्यसमृद्धिं देहि भगवत्यै महालक्ष्म्यै नमः।  

    सर्वकार्यसिद्धिं करोति त्वं शरणं मम भव॥

    हे महालक्ष्मी! मुझे धन, ऐश्वर्य और समृद्धि प्रदान करें। आप सभी कार्यों में सफलता देने वाली हैं, इसलिए मैं आपकी शरण में आता हूँ।

    असतो मा सद्गमय।  

    तमसो मा ज्योतिर्गमय।  

    मृत्योर्मा अमृतं गमय॥

     देवी! मुझे असत्य से सत्य की ओर, अंधकार से प्रकाश की ओर और मृत्यु से अमरता की ओर मार्गदर्शन करें।


🌕 4. विशेष विधान (From Dharma Sindhu & Vratraj)

  • रात्रि में जागर, भजन-कीर्तन, और श्रीसूक्त, लक्ष्मी अष्टक, कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें।
  • चंद्रमा के उदय पर खीर चाँदी या मिट्टी के पात्र में चाँदनी में रखें, फिर परिवार सहित प्रसाद रूप में ग्रहण करें।
  • इस दिन शुभ रंगश्वेत (सफेद) एवं रजत (चाँदी) माने गए हैं।
  • मुख्य दिशा: उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) से पूजा प्रारंभ शुभ फलदायक होती है।
  • दान में: गाय को गुड़, दूध, चावल देना विशेष फलकारी माना गया है।

📜 5. लाभ (Spiritual & Material Benefits)

  1. दरिद्रता का नाश
  2. आर्थिक उन्नति स्थिर लक्ष्मी
  3. गृह-कल्याण मानसिक शांति
  4. चंद्र दोष और मानसिक तनाव में राहत
  5. मनोवांछित कार्य सिद्धि

📚 6. ग्रंथ प्रमाण (Scriptural References)

ग्रंथ

श्लोक/वर्णन

धर्मसिन्धु

आश्विनशुक्लपौर्णमास्यां कोजागरीमहोत्सवः। रात्रौ जागरणं कृत्वा लक्ष्म्याः पूजनं कुर्यात्।

निर्णयसिन्धु

एषा रात्रिः लक्ष्म्याः प्रसादिनी, यः सुप्तः लाभं लभते।

भविष्य पुराण (ब्राह्मपर्व)

कोजागरी निशायां तु जागरणं धनप्रदम्।

गीता प्रेसव्रतपुष्पमालिका

कोजागरी व्रत को लक्ष्मी जागरण एवं धनप्रद व्रत कहा गया है।


🌠 7. निष्कर्ष (Summary)

जो व्यक्ति कोजागरी पूर्णिमा की रात्रि में लक्ष्मी पूजन कर जागरण करता है,
वह सर्व सिद्धि, धन, ऐश्वर्य एवं सौभाग्य का अधिकारी होता है।
धर्मसिन्धु वचनम्

कोजागरी / शरद पूर्णिमा व्रत

📅 तिथि: आश्विन शुक्ल पूर्णिमा — 6 अक्टूबर 2025 (सोमवार)
🪔 देवी: श्री महालक्ष्मी
📖 ग्रंथ प्रमाण: धर्मसिन्धु, निर्णयसिन्धु, व्रत विवेक, भविष्य पुराण, स्कंद पुराण, व्रतराज


🕉 1. वर्ज्य आचरण (Forbidden Actions)

स्रोत: धर्मसिन्धु, व्रत विवेक

🔸 इस रात्रि में नींद, क्रोध, मद्यपान, मांसाहार, जुगुप्सित कार्य सर्वथा वर्जित हैं।
🔸 व्रती को मौन, संयम सात्त्विकता रखनी चाहिए।
🔸 घर का वातावरण शांत, पवित्र और सुगंधित रहेधूप, कपूर, गंध जलाकर स्थान शुद्ध करें।

English:
Avoid sleep, anger, alcohol, or any impure act this night.
Maintain silence, purity, and mental calm. Keep your home sanctified with incense or camphor.


🪔 2. दीपक और वर्तिका विवरण (Lamp & Wick Details)

तत्व

विवरण (Hindi)

Description (English)

दीपक प्रकार

शुद्ध घी का दीपक (सर्वश्रेष्ठ) या तिल तेल

Ghee lamp is ideal; sesame oil acceptable.

वर्तिका संख्या (Number of Wicks)

सप्तवर्ती (7 wicks) अथवा चतुर्वर्ती (4 wicks) शुभ मानी गई है

7-wick or 4-wick lamp is auspicious.

वर्तिका रंग (Wick Color)

हल्के पीले या सफेद रुई की वर्तिका श्रेष्ठ

Light yellow or white cotton wicks are best.

दिशा (Direction)

दीपक पूर्व या उत्तर दिशा में रखें

Place the lamp facing East or North.

स्थान (Placement)

चंद्र-दर्शन योग्य स्थान पर, देवी प्रतिमा के समक्ष

Near Lakshmi idol or under moonlight.

Scriptural Note (Vrat Viveka):

सप्तवर्तिकाद्यः दीपः धनं ददाति, श्वेतवर्तिका सर्वसिद्धिदायिनी।
Vrat Viveka, Part II
Lamp with seven wicks and white cotton brings wealth and fulfillment.


 

🌕 4. तांत्रिक एवं शाबर मंत्र (Tantrik & Shabar Mantras)

⚠️ Note: These are traditional Lakshmi-siddhi and daridra-nashak mantras used in Tantrik sadhana on Kojagiri night. They must be chanted with devotion, not for greed.

🔮 (A) तांत्रिक लक्ष्मी बीज मंत्र

श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नमः॥
Om Shreem Hreem Kleem Shri Siddha Lakshmyai Namah.

108 times facing North-East, during moonlight.


🔮 (B) शाबर लक्ष्मी दरिद्रनाशक मंत्र (from Shabar Mantra Sangrah)

दरिद्र दुष्ट नमो नमः।
लक्ष्मी घर में वास कर, दरिद्र बाहर जास कर॥
ह्रीं श्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नमः॥

English Meaning:
“O Goddess Lakshmi! reside in my home and drive away poverty forever.”

📿 Chant 11, 21, or 108 times after offering kheer and lighting ghee lamps.



🌠 6. फलश्रुति (Result & Blessing)

Sanskrit (Vrat Viveka):

यः करोति कोजागरीं रात्रिं जागरणं शुभं।
तस्य कुटुम्बं दरिद्रं, चापमान्यं भवेत्॥

English:
Whoever observes Kojagiri night with devotion and vigil, his family is never afflicted by poverty or disgrace.


(Conclusion)

🌕 The Kojagiri Night is a celestial moment when Moon radiates nectar, and Lakshmi visits every home.
Awake in purity, light your seven lamps, chant Her name — and She shall never leave your threshold.
🌕


🌕
श्रीकृष्ण महारासरास पूर्णिमा (Krishna Maha Raas – Raas Purnima)


🔶 1️ रास पूर्णिमा का परिचय – Introduction

हिंदी: इस रात्रि को रास पूर्णिमा कहा जाता है क्योंकि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों के साथ महारास किया था।
English: This night is called Raas Purnima because on this very full moon night, Lord Krishna performed the Maha Raas with the Gopis.

हिंदी: यह लीला श्रीमद्भागवत महापुराण के दशम स्कंध (अध्याय 29–33) में विस्तारपूर्वक वर्णित है।
English: This divine play is elaborately described in the Śrīmad Bhāgavatam, Canto 10, Chapters 29–33.


🔶 2️ रास आरंभ का श्लोक – Beginning of Raas

🔴 शरद् उद्यत-पूर्णचन्द्रः प्रावृट्श्रान्तसरोरुहः
🔴 निर्गतः सगणो गोपीः संगीतोत्सवमादधे (भागवत 10.29.1)

🔵 अर्थ (Meaning):
हिंदी: जब शरद ऋतु में पूर्णचंद्र आकाश में उदित हुआ और कमल फिर से खिल उठे, तब श्रीकृष्ण गोपियों संग संगीत-उत्सव के लिए यमुना तट पर गए।
English: When the full moon of Sharad rose and lotuses bloomed again, Lord Krishna went to the Yamuna bank with the Gopis for a festival of divine music.


🔶 3️ प्रेम का स्वरूप – The Nature of Divine Love

🔴 ताभिर्मधुपतिः प्रीतो जगौ तत्र मनोहरम्
🔴 तासां मध्ये स्थितो राजन् रेमे काममनोहरः (भागवत 10.29.48)

🔵 अर्थ (Meaning):
हिंदी: श्रीकृष्ण गोपियों के प्रेम से प्रसन्न होकर मधुर गीत गाने लगे और उनके मध्य स्थित होकर आनंदपूर्वक नृत्य किया।
English: Pleased by the love of the Gopis, Shri Krishna sang sweet melodies and joyfully danced amidst them.


🔶 4️ रास मंडल का रहस्य – The Circle of Rasa

🔴 रमयामास भूतेशो भगवान् रासमण्डले
🔴 तान् मेने भगवांस्तुल्याः प्रेम्णा भावगतान् स्वकान् (भागवत 10.33.3)

🔵 अर्थ (Meaning):
हिंदी: रास मंडल में भगवान ने प्रत्येक गोपी के साथ नृत्य किया, और प्रेम में सभी को अपने समान ही देखा।
English: In the circle of Rasa, the Lord danced with each Gopi, seeing all of them as one with Himself through divine love.


🔶 5️ रास की रात्रि का सौंदर्य – Beauty of the Night

🔴 रमयन्तं मनःकान्तं शरत्कामनिशा यथा
🔴 नानादेवीगणैर्युक्तं विष्णुमद्रिशतां हरिम् (गर्गसंहिता)

🔵 अर्थ (Meaning):
हिंदी: शरद पूर्णिमा की चाँदनी रात में, हरि गोपियों के संग उस आनंदमय नृत्य में लीन थे, जो परम सौंदर्य का प्रतीक है।
English: On the moonlit night of Sharad, Lord Hari danced with the Gopis in a divine celebration of eternal beauty and bliss.


🔶 6️ महारास का फल – Fruits of the Rasa

🔴 यः पठेत् रासक्रीडां तां श्रुणुयात् वा नरो नरः
🔴 मुक्तः सर्वपापेभ्यो विष्णुलोके महीयते (भागवत 10.33.39)

🔵 अर्थ (Meaning):
हिंदी: जो व्यक्ति रासलीला का पाठ करता या सुनता है, वह सभी पापों से मुक्त होकर विष्णु के लोक में स्थान पाता है।
English: Whoever reads or listens to the Rasa Lila becomes free from all sins and attains the supreme abode of Vishnu.


🔶 7️ ग्रंथ प्रमाण – Scriptural Sources

ग्रंथ (Hindi)

Description (English)

श्रीमद्भागवत पुराण (10.29–33)

The Rāsa Panchādhyāyī – the five chapters describing Krishna’s divine dance.

गर्ग संहिता (गोपीखण्ड)

Mentions the night as “Rāsa Purnimā,” where Krishna danced in moonlight.

ब्रह्मवैवर्त पुराण (कृष्णजन्म खण्ड)

Declares that on Sharad Purnima, Krishna performed Rasa in Vrindavan.

गीतगोविन्द (जयदेव)

Poet Jayadeva glorified this divine dance as the supreme love of the soul and God.


🔶 8️ क्यों कहा जाता है रास पूर्णिमा – Why It’s Called Raas Purnima

हिंदी: इस दिन चंद्रमा अपनी पूर्णता में होता है, और उसी के प्रकाश में श्रीकृष्ण ने आत्मा और परमात्मा के मिलन का नृत्य किया।
English: On this day, the moon is full, and under its light, Lord Krishna performed the dance symbolizing the union of the soul and the Supreme.

हिंदी: अतः इस पवित्र रात्रि को रास पूर्णिमा कहा जाता हैप्रेम, भक्ति और ब्रह्मानंद की पूर्णता की रात्रि।
English: Therefore, this sacred night is called Raas Purnima — the night of complete love, devotion, and divine bliss.


🔶 9️ आध्यात्मिक अर्थ – Spiritual Meaning

हिंदी: रासलीला यह दर्शाती है कि जब मन निर्मल होता है, तब भगवान स्वयं उसमें नृत्य करते हैं।
English: The Rasa Lila signifies that when the mind is pure, God Himself dances within it.

हिंदी: यह केवल नृत्य नहीं, बल्कि आत्मा और परमात्मा के प्रेम का शाश्वत मिलन है।
English: It is not merely a dance, but the eternal union of the soul with the Divine.


🌸 संक्षेप में / In Essence:
हिंदी: रास पूर्णिमा आत्मिक जागरण, प्रेम और शुद्ध भक्ति की पराकाष्ठा का प्रतीक है।
English: Raas Purnima represents the peak of spiritual awakening, divine love, and pure devotion.

 



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श्राद्ध रहस्य - क्यों करे , न करे ? पिंड रहित , महालय ? किसी भी कर्म का पूर्ण फल विधि सहित करने पर ही मिलता है | * श्राद्ध में गाय का ही दूध प्रयोग करे |( विष्णु पुराण ) | श्राद्ध भोजन में तिल अवश्य प्रयोग करे | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि - श्राद्ध अपरिहार्य - अश्वनी माह के कृष्ण पक्ष तक पितर अत्यंत अपेक्षा से कष्ट की   स्थिति में जल , तिल की अपनी संतान से , प्रतिदिन आशा रखते है | अन्यथा दुखी होकर श्राप देकर चले जाते हैं | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि इसको नहीं करने से पीढ़ी दर पीढ़ी संतान मंद बुद्धि , दिव्यांगता .मानसिक रोग होते है | हेमाद्रि ग्रन्थ - आषाढ़ माह पूर्णिमा से /कन्या के सूर्य के समय एक दिन भी श्राद्ध कोई करता है तो , पितर एक वर्ष तक संतुष्ट/तृप्त रहते हैं | ( भद्र कृष्ण दूज को भरणी नक्षत्र , तृतीया को कृत्तिका नक्षत्र   या षष्ठी को रोहणी नक्षत्र या व्यतिपात मंगलवार को हो ये पिता को प्रिय योग है इस दिन व्रत , सूर्य पूजा , गौ दान गौ -दान श्रेष्ठ | - श्राद्ध का गया तुल्य फल- पितृपक्ष में मघा सूर्य की अष्टमी य त्रयोदशी को मघा नक्षत्र पर चंद्र ...

गणेश भगवान - पूजा मंत्र, आरती एवं विधि

सिद्धिविनायक विघ्नेश्वर गणेश भगवान की आरती। आरती  जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।  माता जा की पार्वती ,पिता महादेवा । एकदंत दयावंत चार भुजा धारी।   मस्तक सिंदूर सोहे मूसे की सवारी | जय गणेश जय गणेश देवा।  अंधन को आँख  देत, कोढ़िन को काया । बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया । जय गणेश जय गणेश देवा।   हार चढ़े फूल चढ़े ओर चढ़े मेवा । लड्डूअन का  भोग लगे संत करें सेवा।   जय गणेश जय गणेश देवा।   दीनन की लाज रखो ,शम्भू पत्र वारो।   मनोरथ को पूरा करो।  जाए बलिहारी।   जय गणेश जय गणेश देवा। आहुति मंत्र -  ॐ अंगारकाय नमः श्री 108 आहूतियां देना विशेष शुभ होता है इसमें शुद्ध घी ही दुर्वा एवं काले तिल का विशेष महत्व है। अग्नि पुराण के अनुसार गायत्री-      मंत्र ओम महोत काय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो दंती प्रचोदयात्। गणेश पूजन की सामग्री एक चौकिया पाटे  का प्रयोग करें । लाल वस्त्र या नारंगी वस्त्र उसपर बिछाएं। चावलों से 8पत्ती वाला कमल पुष्प स्वरूप बनाएं। गणेश पूजा में नार...

विवाह बाधा और परीक्षा में सफलता के लिए दुर्गा पूजा

विवाह में विलंब विवाह के लिए कात्यायनी पूजन । 10 oct - 18 oct विवाह में विलंब - षष्ठी - कात्यायनी पूजन । वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए - दुर्गतिहारणी मां कात्यायनी की शरण लीजिये | प्रतिपदा के दिन कलश स्थापना के समय , संकल्प में अपना नाम गोत्र स्थान बोलने के पश्चात् अपने विवाह की याचना , प्रार्थना कीजिये | वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए प्रति दिन प्रातः सूर्योदय से प्रथम घंटे में या दोपहर ११ . ४० से १२ . ४० बजे के मध्य , कात्ययानी देवी का मन्त्र जाप करिये | १०८बार | उत्तर दिशा में मुँह हो , लाल वस्त्र हो जाप के समय | दीपक मौली या कलावे की वर्तिका हो | वर्तिका उत्तर दिशा की और हो | गाय का शुद्ध घी श्रेष्ठ अथवा तिल ( बाधा नाशक + महुआ ( सौभाग्य ) तैल मिला कर प्रयोग करे मां भागवती की कृपा से पूर्वजन्म जनितआपके दुर्योग एवं   व्यवधान समाप्त हो एवं   आपकी मनोकामना पूरी हो ऐसी शुभ कामना सहित || षष्ठी के दिन विशेष रूप से कात्यायनी के मन्त्र का २८ आहुति / १०८ आहुति हवन कर...

कलश पर नारियल रखने की शास्त्रोक्त विधि क्या है जानिए

हमे श्रद्धा विश्वास समर्पित प्रयास करने के बाद भी वांछित परिणाम नहीं मिलते हैं , क्योकि हिन्दू धर्म श्रेष्ठ कोटी का विज्ञान सम्मत है ।इसकी प्रक्रिया , विधि या तकनीक का पालन अनुसरण परमावश्यक है । नारियल का अधिकाधिक प्रयोग पुजा अर्चना मे होता है।नारियल रखने की विधि सुविधा की दृष्टि से प्रचलित होगई॥ मेरे ज्ञान  मे कलश मे उल्टा सीधा नारियल फसाकर रखने की विधि का प्रमाण अब तक नहीं आया | यदि कोई सुविज्ञ जानकारी रखते हो तो स्वागत है । नारियल को मोटा भाग पूजा करने वाले की ओर होना चाहिए। कलश पर नारियल रखने की प्रमाणिक विधि क्या है ? अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए , उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै प्राची मुखं वित्त्नाश्नाय , तस्माच्छुभम सम्मुख नारिकेलम अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए कलश पर - नारियल का बड़ा हिस्सा नीचे मुख कर रखा जाए ( पतला हिस्सा पूछ वाला कलश के उपरी भाग पर रखा जाए ) तो उसे शत्रुओं की वृद्धि होती है * ( कार्य सफलता में बाधाएं आती है संघर्ष , अपयश , चिंता , हानि , सहज हैशत्रु या विरोधी तन , मन धन सर्व दृष्टि से घातक होते है ) उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै कलश ...