15.10.2025 पुष्य नक्षत्र-कार्य/ वर्ज्य12:00 tak-
- सुप्रसिद्ध हस्तरेखा, एवं वैदिक ज्योतिष, वास्तु विशेषज्ञों द्वारा संकलित संदर्भ दस्तावेज़ है
- ।विशेषज्ञ ज्योतिषी एवं वास्तु परामर्शदाता:
V.K. Tiwari, Dr. S. Tiwari, Dr. R. Dixit
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560102, Banaglore, Karnataka, India
भूमिका:
📜 “बुधवार (Wednesday) को पुष्य नक्षत्र होने पर फल, प्रभाव, करने योग्य एवं वर्जित कर्म”
— शास्त्र-प्रमाण सहित मुहूर्त चिंतामणि, निर्णय सिन्धु, नक्षत्रकल्पद्रुम, बालबोध ज्योतिष सार समुच्चय, धर्मसिन्धु और ज्योतिष सार संग्रह के आधार पर।
गर करण | “गरे पुष्ये च रोगपीडा।” | शारीरिक क्लेश, यात्रा निषिद्ध।· शुभ करण: गर · शुभ फल: कृषि कार्य, धन लाभ, धार्मिक कार्य |
🟢 बुधवार
(Wednesday) + पुष्य नक्षत्र योग फल
📘 ग्रंथ प्रमाण १ — बालबोध ज्योतिष सार समुच्चयम्
"पुष्ये च बुधदिने प्राप्ते सर्वकार्याणि सिद्धिदम्।
धनं लाभं च कुर्वन्ति रोगशोकविनाशनम्॥"
📖 अर्थ:
जब बुधवार और पुष्य नक्षत्र का संयोग होता है, तब यह योग सर्वसिद्धिकर कहलाता है।
इस दिन किया गया कोई भी शुभ कार्य — व्यापार, गृह-प्रवेश, यंत्रस्थापन, औषधि निर्माण, शिक्षा या धन निवेश — सफल और लाभप्रद होता है।
यह योग रोग, दुःख, और क्लेशों का नाशक माना गया है।
📘 ग्रंथ प्रमाण २ — मुहूर्त चिंतामणि (नक्षत्राध्याय)
"बुधे पुष्ये सर्वसिद्धिः सर्वकर्मसु सिद्धिदा।
विद्यायां धर्मकर्मेषु विषये च न हानिकृत्॥"
📖 अर्थ:
बुधवार-पुष्य योग विद्या, वाणी, व्यापार और धर्मकर्म के लिए अत्यंत शुभ है।
इस दिन किए गए कार्यों में बुद्धि, यश, और लाभ की वृद्धि होती है।
📘 ग्रंथ प्रमाण ३ — निर्णय सिन्धु (नक्षत्रविचार)
"बुधपुष्ये सर्वकार्ये फलप्राप्तिः न संशयः।
विवाहे तु शृङ्गारे च सौम्यकर्मसु मध्यमम्॥"
📖 अर्थ:
बुधवार-पुष्य योग में सभी कार्य सिद्ध होते हैं, परंतु विवाह, श्रृंगार, या विलास कार्यों में इस योग का फल मध्यम कहा गया है।
अर्थात् यह दिन सात्त्विक, शिक्षण और आर्थिक कर्मों के लिए श्रेष्ठ है, किंतु भौतिक और भोगमूलक कर्मों के लिए नहीं।
📘 ग्रंथ प्रमाण ४ — धर्मसिन्धु
"बुधपुष्ये दानं लेखनं मन्त्रसाधनं च शुभम्।
स्त्रीणां श्रृङ्गारकर्म वर्जनीयम्।"
📖 अर्थ:
इस योग में दान, लेखन, वाणी, वाद-विवाद, मंत्र साधना आदि शुभ हैं।
किन्तु स्त्रियों को श्रृंगार, मेंहदी, चूड़ी, गंध, विलास या भोग संबंधी कर्मों से दूर रहना चाहिए, क्योंकि यह बुध और बृहस्पति के संयमित स्वभाव से विरोधाभासी माना गया है।
🔶 बुधवार-पुष्य में करने योग्य कार्य
✅ कार्य |
शुभ फल |
व्यापार, धन निवेश, सौदा |
अत्यधिक लाभ |
औषधि निर्माण, यंत्र स्थापना |
रोगनाश, सफलता |
जप, साधना, वेदाध्ययन |
बुद्धि-वृद्धि |
गृहप्रवेश, व्यवसाय आरंभ |
स्थायित्व और समृद्धि |
यात्रा, वाणी से जुड़े कर्म |
सफलता और सम्मान |
🔻 बुधवार-पुष्य में वर्जित कार्य
⚠️ वर्जित कर्म |
परिणाम |
विवाह, श्रृंगार, मेंहदी |
दाम्पत्य मतभेद |
सौंदर्यकर्म, सुगंध, विलास |
मानसिक अस्थिरता |
देवपूजन में क्रोध या अव्यवस्था |
फल ह्रास |
पूर्व दिशा में दीपदान |
बुध दोष वृद्धि |
तीव्र रंगों का उपयोग |
बुध-गुरु विरोध |
🪔 दीप दिशा, वर्तिका, रंग
तत्व |
शुभ |
वर्जित |
दीप दिशा |
उत्तर या ईशान |
पूर्व |
वर्तिका |
पीत या श्वेत रुई |
हरी या काली |
दीप रंग |
हल्का पीला या दूधिया |
चमकीला हरा या लाल |
वस्त्र |
हल्का हरा, हल्का पीला |
गहरा लाल, नीला |
👩🦰
स्त्री वर्ग हेतु विशेष निर्देश
बुधवार-पुष्य योग में श्रृंगार, मेंहदी, दर्पण-दर्शन, नख-कर्म, विलास, अलंकार प्रयोग वर्जित हैं।
इस दिन बुध-गुरु उपासना, तुलसी सेवा, गौदान, वाणी संयम, शिव पूजन करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है।
विशेषकर विवाहित स्त्रियों के लिए यह दिन सौभाग्य-वर्धक व्रत और अन्नदान हेतु श्रेष्ठ है, परंतु श्रृंगार या विलासकर्म हेतु अशुभ माना गया है।
📿 बुध-पुष्य के विशेष शांति एवं सिद्धि उपाय
इस दिन यदि कोई ग्रहदोष या आर्थिक बाधा हो तो:
“ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः”
मंत्र का 108 बार जप करें,
तथा पीले पुष्प और मूंगा दीपक ईशान कोण में जलाएँ।
इससे बुध और बृहस्पति दोनों का अनुकूल फल प्राप्त होता है।
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