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12.10.2025 - Fortune , Focus Remedy& Relief Tips (bilingual) . नए वस्त्र ,उपाय शुभ समय

 

12.10.2025 - Fortune , Focus  Remedy& Relif Tips (bilingual)
.”
भविष्य  (Bilingual - Hindi English) नए वस्त्र ,उपाय शुभ समय

Today’s fortune with remedies to calm your mind and handle troubles.”Daily success tips to control tension and attract luck

 V.K. TIWARI 📞 9424446706- Special Consultation - Dr. R. Dixit (Vastu), | Dr. S. Tiwari (Vedic Astrology)

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📅 Date (तिथि): shukrvar🗓 Tithi (तिथि): shashthi— आश्विन शुक्ल पक्ष 🌙 Chandra Rashi (चंद्र राशि): mithunh Nakshatra (नक्षत्र): mrigshira13.36 tak; ravi yog-saflta karyon me

 📖 संदर्भ ग्रंथ: मत्स्य पुराण, सूर्य पुराण
देवता: सूर्यदेव (Surya Dev)
🔮 श्राद्ध फल: यज्ञों का फल, सफलता। (सूर्य पुराण, अध्याय 21)
🚫 वर्जित भोजन: पूआ, अत्यधिक मीठा भोजन। (मत्स्य पुराण अध्याय 43)
🍽 अनुशंसित भोजन: सूर्य पूजा करें। (सूर्य पुराण अध्याय 25)
🎁 अनुशंसित दान: गुड़ एवं तांबे का दान करें। (मत्स्य पुराण)
🕉 मंत्र: ॐ सूर्याय नमः।

-विवाह मुहुर्त, संगीत संबंधी कार्य, आभूषणों का निर्माण और नवीन आभूषणों को धारण किया जा सकता है. यात्रा, वधु-प्रवेश, गृह-प्रवेश, राज्य संबंधी कार्य, वास्तुकर्म, चूडा़कर्म, अन्नप्राशन, उपनयन संस्कार, आदि शुभ कार्य हैं.

कार्य के पूर्व   - चित्रभानु नामवाले भगवान सूर्यनारायण का पूजन करना चाहिए, ये सबके स्वामी एवं रक्षक हैं।

-      मिथुन,कर्क राशी वाले बाधा नाश के लिए अवश्य करे |

अशुभ लग्न: मिथुन, धनु
अशुभ दिन: रविवार (नमक), मंगलवार (मसूर)
सफलता संदिग्ध नाम-अक्षर: , क्ष, त्र, ज्ञ
दान: गेहूं, तांबा
उचित भोजन: रोटी, गुड़
मंत्र: आदित्याय नमः
दान: गुड़, कपड़ा
उचित भोजन: मीठे फल, खीर
मंत्र: कात्यायन्यै नमः 🎁. आर्द्रा नक्षत्र में दान (Donations for Ardra Nakshatra)

📖 स्रोत: गरुड़ पुराण, भविष्य पुराण

शुभ दान (Auspicious Donations)
1️
रुद्राक्ष दानशिव कृपा प्राप्ति के लिए
2️
काले तिल और सरसों का तेलराहु के दोष निवारण के लिए
3️
चंदन, गंगाजल और सफेद वस्त्रमन की शांति के लिए
4️
काली उड़द और लोहे का दानग्रह पीड़ा निवारण के लिए
5️
भोजन दाननिर्धनों को खिचड़ी या उड़द से बनी वस्तुएं देना शुभ


🍛. आर्द्रा नक्षत्र में भोजन (Food in Ardra Nakshatra)

शुभ भोजन (Auspicious Foods)
🔹 खिचड़ी, उड़द दाल, मूंग दाल
🔹 जौ, तिल, बाजरा, रोटी
🔹 चंदन मिश्रित ठंडा पेय

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रवि योग में करने योग्य शुभ कार्य (सफल और सिद्धिदायक):

1.      🔱 देव पूजा, जप, तप, साधना, हवन, अभिषेक

2.      📿 मंत्र-सिद्धि, तांत्रिक प्रयोग, रुद्र जप, महामृत्युंजय जाप

3.      📖 गुप्त विद्या, आयुर्वेदिक प्रयोग, औषधि निर्माण या सेवन

4.      🔮 शुभ ग्रह शांति, नवग्रह हवन

5.      🛕 तीर्थ यात्रा आरंभ, व्रत-संकल्प, शिवलिंग पूजन

6.      🪔 भवन में कलश स्थापन, Yantra-Sthapana

7.      शुभ लेखन, नामकरण, ग्रंथ लेखन आरंभ

8.      🎨 कला, संगीत, शिक्षा प्रारंभ

9.      🧘‍♂️ योग-ध्यान अभ्यास की शुरुआत

10.  📦 शुभ वस्तुओं का संग्रहण / पूजा-सामग्री ख़रीदना

📅 दिनांक (Date): शुक्रवार – 12 अक्टूबर 2025

🗓 तिथि (Tithi): षष्ठीआश्विन शुक्ल पक्ष

🌙 चंद्र राशि (Chandra Rashi): मिथुन

नक्षत्र (Nakshatra): मृगशिराप्रातः 13:36 तक

योग (Yog): रवियोगसफलता और तेज का योग

🌿 भद्रा (Bhadra): स्वर्ग भद्राशुभ कर्मों के लिए अनुकूल


🪔 वैदिक सार (Scriptural Essence):

आज का दिन रवियोग से युक्त है, जो कर्मों में स्वर्गीय सफलता, स्पष्टता और तेज प्रदान करता है।
मिथुन चंद्र राशि में मृगशिरा नक्षत्र की उपस्थिति मन को रचनात्मक, संवादशील और ज्ञानग्राही बनाती है।

श्लोक:
रवि योगे क्रियाः सर्वाः सिद्धिं यान्ति निशामुखे।
भद्रायां स्वर्गमार्गे कर्म फलप्रदं भवेत्॥

अर्थ:
रवियोग में आरम्भ किए गए कार्य सिद्धि को प्राप्त करते हैं। जब भद्रा स्वर्गमार्गी होती है, तब आरम्भ किए गए शुभ कार्य शुभ फलदायक और दीर्घकालिक लाभ देने वाले होते हैं।


🌺 दैनिक प्रयोग (Practical Significance):

·         यह दिन संकल्प, आराधना, शिक्षा, लेखन, कला एवं सार्वजनिक कार्यों के लिए अत्यंत शुभ है।

·         स्वर्ग भद्रा के प्रभाव से कर्मों में दैवीय सहायता प्राप्त होती है।

·         दोपहर 01:36 के पश्चात किए गए कार्य विशेषतः सफल माने गए हैं।


🔮 रोगों और जीवन की समस्याओं से बचाव:

इस योग में पृथ्वी तत्व संतुलित रहता है, जिससे शरीर और मन दोनों स्थिर होते हैं।
आग्नि और जल तत्व के अतिरेक से उत्पन्न रोग या मानसिक अस्थिरता से रक्षा होती है।
इस दिन कड़वे फल, लाल या पीले अन्न का दान रोगों से सुरक्षा देता है।


🌞 सार (Summary):

शुक्रवार, मृगशिरा नक्षत्र, और रवियोग का यह संयोग जीवन में स्वर्गीय सफलता (Divine Success) प्रदान करने वाला है।
इस दिन किए गए कार्य केवल भौतिक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति भी सुनिश्चित करते हैं।

🔸 राहुकाल (Rahu Kalam)

🕓 04:33 PM – 06:02 PM
इस काल में कोई नया कार्य, यात्रा या निवेश आरंभ करें।
Avoid starting any new venture or important activity during this period.

🔸 यमगण्ड (Yamaganda)

🕛 12:06 PM – 01:35 PM
अशुभ काल, विशेषतः यात्राओं या महत्वपूर्ण मुलाकातों के लिए अनुचित।
Inauspicious for travel and crucial meetings.

🔸 गुलिक काल (Gulika Kalam)

🕒 03:04 PM – 04:33 PM
यह काल शनिदेव से संबंधित है, अध्यात्म, साधना और दान के लिए शुभ।
A period ruled by Saturn — favorable for meditation, charity, and spiritual work.

🔸 दुर्मुहूर्त (Durmuhurat)

🕓 04:27 PM – 05:15 PM
किसी शुभ कार्य की शुरुआत से बचें; ध्यान या जप के लिए उपयुक्त।
Avoid auspicious beginnings; suitable for inner contemplation.

🔸 भद्रा (Bhadra)

🕑 02:16 PM – 01:15 AM (October 13)
भद्रा काल में मांगलिक कार्य निषिद्ध माने गए हैं।
Manglik (auspicious) activities should be avoided during Bhadra period.

🔸 बाण (Baan)

चोर बाण – 12:47 PM तक (till 12:47 PM)
चोर बाण अशुभ माना जाता है; सतर्कता और संयम आवश्यक है।
“Chora Baan” is considered inauspicious — avoid haste and be cautious.

 


  • 🌟 नए वस्त्र, आभूषण या नई वस्तु का प्रभाव-13:30ke baad
    🌟 Naye Vastr, Abhushan ya Nai Vastu ka Prabhav
  • ⚠️ सावधानी आवश्यक! आज के दिन नए वस्त्र, आभूषण या किसी भी नई वस्तु का उपयोग करने से पहले सतर्क रहें।
    ⚠️ Saavdhani Aavashyak! Aaj ke din naye vastr, abhushan ya kisi bhi nai vastu ka upyog karne se pehle satark rahen.
  • ऐसा करने से चोट, शारीरिक कष्ट या अन्य नकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं।
    ❌ Aisa karne se chot, sharirik kasht ya anya nakaratmak prabhav ho sakte hain.

  • आज का शुभ दिन किनके लिए?
    🌟 Aaj ka Shubh Din Kin ke Liye?
  • यदि आपका जन्म नक्षत्र निम्न में से कोई है, तो आज का दिन आपके लिए शुभ और अनुकूल रहेगा:
    ✅ Yadi aapka Janm Nakshatra nimn me se koi hai, to aaj ka din aapke liye shubh aur anukool rahega:
  • 🔹 अश्विनी (Ashwini), कृत्तिका (Krittika), मृगशिरा (Mrigashira), पुनर्वसु (Punarvasu), पुष्य (Pushya), मघा (Magha), उत्तराफाल्गुनी (Uttaraphalguni), चित्रा (Chitra), विशाखा (Vishakha), अनुराधा (Anuradha), मूल (Mool), उत्तराषाढ़ा (Uttarashadha), धनिष्ठा (Dhanishta), पूर्व भाद्रपद (Purva Bhadrapada), उत्तर भाद्रपद (Uttara Bhadrapada)
  • 💡 इन कार्यों में मिलेगी सफलता:
    💡 In Karyon Mein Milegi Safalta:
  • भविष्य यात्रा (Bhavishya Yatra) - Future Travel
    नए कार्य की शुरुआत (Naye Karya ki Shuruaat) - Starting a New Task
    पूजा-पाठ और अनुष्ठान (Pooja-Path aur Anushthan) - Worship & Rituals
    शपथ लेना या नई जिम्मेदारी उठाना (Shapath Lena ya Nai Jimmedari Uthana) - Taking an Oath or Responsibility
    योजना निर्माण और नीति निर्धारण (Yojana Nirman aur Neeti Nirdharan) - Planning & Policy Making
    उच्च अधिकारियों से मुलाकात (Ucch Adhikariyon se Mulakat) - Meeting with Senior Officials
    व्यापारिक निर्णय और निवेश (Vyaparik Nirdharan aur Nivesh) - Business Decisions & Investments
    संधि और महत्वपूर्ण समझौते (Vivaah, Sandhi aur Mahatvapurn Samjhaute) - Marriage, Agreements & Deals
    बैंक से जुड़े कार्य और खाता खोलना (Bank se Jude Karya aur Khata Kholna) - Bank-Related Work & Opening New Accounts

  • 🌟 नाम के अक्षर से जानें आपकी सफलता!
    🌟 Naam ke Akshar se Janein Aapki Safalta!
  • 📌 यदि आपका नाम इन अक्षरों से शुरू होता है, तो आज नौकरी, व्यापार, गृह प्रवेश, शहर परिवर्तन, या अन्य कार्यों में सफलता मिलेगी।
    📌 Yadi aapka naam in aksharon se shuru hota hai, to aaj naukri, vyapar, grih pravesh, shahar parivartan, ya anya karyon mein safalta milegi.
  • 🔠 चू (Choo), चे (Che), चो (Cho), ला (La); (A), (I), (U), (Ai); वे (Ve), वो (Vo), का (Ka), की (Ki), कुघ (Kugh), (Da), (Chha); हु (Hu), हे (He), हो (Ho), डा (Da); मा (Ma), मी (Mi), मू (Moo), मे (Me); टे (Te), टा (Ta), टी (Ti), टू (Tu); पे (Pe), पो (Po), रा (Ra), री (Ri); रू (Roo), रे (Re), रो (Ro), ता (Ta); ना (Na), नी (Ni), नू (Nu), ने (Ne); ये (Ye), यो (Yo), भा (Bha), भी (Bhi); भे (Bhe), भो (Bho), जा (Ja), जी (Ji); (Ga), गी (Gi), गू (Goo), गे (Ge), से (Se), सो (So), दा (Da), दी (Di); दू (Doo), (Tha), (Jha).

🔮 आज का दिन आपके लिए शुभ रहे!
🔮 Aaj ka din aapke liye shubh rahe

******************************* 📜 १. आर्द्रा नक्षत्र का कार्य महत्व (Significance of Ardra Nakshatra in Work)

📖 संदर्भ ग्रंथ: बृहदजातक, मुहूर्त चिंतामणि, जैन तत्त्वार्थसूत्र

🔹 आर्द्रा नक्षत्र का अधिपति राहु है और इसके देवता रुद्र (भगवान शिव) हैं।
🔹 इस नक्षत्र का अर्थ होता है "नमी" या "संवेदनशीलता", इसलिए यह आध्यात्मिक जागृति, परिवर्तन, शोध, अनुसंधान और नवाचार के लिए उपयुक्त है।
🔹 शुभ कार्य:
शोध, विज्ञान, गणित, तंत्र-मंत्र से जुड़े कार्य
चिकित्सा, ज्योतिष, ध्यान एवं साधना
पुरानी समस्याओं का निवारण एवं नवीनीकरण

🔹 अशुभ कार्य:
विवाह, गृह प्रवेश, नए व्यापार की शुरुआत, साझेदारी


📿 . आर्द्रा नक्षत्र के मंत्र (Ardra Nakshatra Mantras)

🔹 (A) वैदिक मंत्र (Vedic Mantra)

📖 स्रोत: ऋग्वेद, यजुर्वेद
📜 संस्कृत मंत्र:
नमो भगवते रुद्राय, सर्वव्याधिनिवारणाय स्वाहा॥

📜 अर्थ:
भगवान रुद्र को नमन, वे सभी व्याधियों एवं कष्टों का नाश करने वाले हैं।

📜 Roman English:
"Om Namo Bhagavate Rudrāya, Sarva Vyādhi Nivāraṇāya Swāhā."


🔹 (B) पौराणिक मंत्र (Puranic Mantra)

📖 स्रोत: शिवपुराण, विष्णु पुराण
📜 संस्कृत मंत्र:
रुद्राय नमः, कल्याणं कुरु में प्रभो।

📜 अर्थ:
रुद्र देव को प्रणाम, कृपया हमें कल्याण और शांति प्रदान करें।

📜 Roman English:
"Om Rudrāya Namah, Kalyāṇam Kuru Me Prabho."


🔹 (C) शाबर मंत्र (Shabar Mantra) – संकट निवारण के लिए

📜 शाबर मंत्र:
रुद्र रक्षक, रुद्र पातक, संकट मोचन, त्राहि त्राहि स्वाहा।

📜 अर्थ:
हे भगवान रुद्र, आप ही हमारे रक्षक हैं, संकट को दूर करें और कल्याण करें।

📜 Roman English:
"Rudra Rakṣak, Rudra Pātak, Saṅkaṭ Mochan, Trāhi Trāhi Swāhā."


🔹 (D) जैन धर्म में आर्द्रा नक्षत्र (Ardra Nakshatra in Jainism)

📖 स्रोत: तत्त्वार्थसूत्र, त्रिलोकसार
🔹 जैन धर्म में यह नक्षत्र आत्मशुद्धि और कठोर तपस्या से जुड़ा है।
🔹 इस नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति गहरे चिंतनशील और सत्य के अन्वेषक माने जाते हैं।


🎁. आर्द्रा नक्षत्र में दान (Donations for Ardra Nakshatra)

📖 स्रोत: गरुड़ पुराण, भविष्य पुराण

शुभ दान (Auspicious Donations)
1️
रुद्राक्ष दानशिव कृपा प्राप्ति के लिए
2️
काले तिल और सरसों का तेलराहु के दोष निवारण के लिए
3️
चंदन, गंगाजल और सफेद वस्त्रमन की शांति के लिए
4️
काली उड़द और लोहे का दानग्रह पीड़ा निवारण के लिए
5️
भोजन दाननिर्धनों को खिचड़ी या उड़द से बनी वस्तुएं देना शुभ


🍛. आर्द्रा नक्षत्र में भोजन (Food in Ardra Nakshatra)

शुभ भोजन (Auspicious Foods)
🔹 खिचड़ी, उड़द दाल, मूंग दाल
🔹 जौ, तिल, बाजरा, रोटी
🔹 चंदन मिश्रित ठंडा पेय

🚫 वर्जित भोजन (Prohibited Foods)
शराब, मांसाहार, तामसिक भोजन
अधिक मसालेदार और तेलीय भोजन
प्याज, लहसुन, अंडा


नकारात्मक प्रभाव:
मानसिक अस्थिरता और गुस्सा बढ़ सकता है
राहु के कारण भ्रम और नकारात्मक विचार सकते हैं


🔱 निष्कर्ष (Conclusion)

🔹 आर्द्रा नक्षत्र भगवान शिव (रुद्र) से जुड़ा है, अतः शिव आराधना सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है।
🔹 राहु दोष निवारण हेतु काले तिल, उड़द दाल एवं लोहे का दान लाभकारी होता है।
🔹 पवित्रता बनाए रखें, ध्यान और जप करें, और शिव मंत्रों का उच्चारण करें।

🕉 " नमः शिवाय" मंत्र का जप आर्द्रा नक्षत्र में विशेष शुभ फलदायी होता है।

 

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📜 कुंडली निर्माण एवं समस्या के उपाय | Horoscope Creation & Problem Remedies
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📍 Location: 560102, Bangalore

🕉: कुंडली, वास्तु, हस्तरेखा | 50 Years of Experience: Horoscope, Vastu, Palmistry

 

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यात्रादी के कष्ट से सुरक्षा के लिए

रविवार: ताम्बूल,
सोमवार: दूध, जल एवं दर्पण देखना,
मंगलवार: गुड़+धनिया, गरम दूध, मसूर,
बुधवार: कच्चा दूध, मिठाई,
गुरुवार: राई, केसर तिलक, दही,
शुक्रवार: दही,
शनिवार: बायबिडिंग + काले तिल।

भोज्य वस्तु या उससे बने व्यंजन:
रविवार: ताम्बूल, घी,
सोमवार: खीर, जल एवं तिलक,
मंगलवार: गुड़,
बुधवार: धनिया और तिल, राई,
गुरुवार: दही शकर,
शुक्रवार: जौ।


कुंडली मिलान के महत्वपूर्ण तथ्य

A: 5 नाड़ियाँ - 44 गुण।
B: 13
नक्षत्रों में नाड़ी दोष नहीं होता।
C: 35
से अधिक मंगल दोष के अपवाद नियम।
D:
नवांश D-9, 5 नाड़ी, 9 ग्रह, लग्न राशि, नक्षत्र के चार चरणों से मिलान।
E: 30
विशेषताओं पर विचार किया जाता है।

संपर्क करें:
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tiwaridixitastro@gmail.com
Phone: 9424446706
Location: Bangalore
-५६०१०२

 

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28 सितंबर गणेश विसर्जन मुहूर्त आवश्यक मन्त्र एवं विधि किसी भी कार्य को पूर्णता प्रदान करने के लिए जिस प्रकार उसका प्रारंभ किया जाता है समापन भी किया जाना उद्देश्य होता है। गणेश जी की स्थापना पार्थिव पार्थिव (मिटटीएवं जल   तत्व निर्मित)     स्वरूप में करने के पश्चात दिनांक 23 को उस पार्थिव स्वरूप का विसर्जन किया जाना ज्योतिष के आधार पर सुयोग है। किसी कार्य करने के पश्चात उसके परिणाम शुभ , सुखद , हर्षद एवं सफलता प्रदायक हो यह एक सामान्य उद्देश्य होता है।किसी भी प्रकार की बाधा व्यवधान या अनिश्ट ना हो। ज्योतिष के आधार पर लग्न को श्रेष्ठता प्रदान की गई है | होरा मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ माना गया है।     गणेश जी का संबंध बुधवार दिन अथवा बुद्धि से ज्ञान से जुड़ा हुआ है। विद्यार्थियों प्रतियोगियों एवं बुद्धि एवं ज्ञान में रूचि है , ऐसे लोगों के लिए बुध की होरा श्रेष्ठ होगी तथा उच्च पद , गरिमा , गुरुता , बड़प्पन , ज्ञान , निर्णय दक्षता में वृद्धि के लिए गुरु की हो रहा श्रेष्ठ होगी | इसके साथ ही जल में विसर्जन कार्य होता है अतः चंद्र की होरा सामा...

श्राद्ध रहस्य - श्राद्ध क्यों करे ? कब श्राद्ध नहीं करे ? पिंड रहित श्राद्ध ?

श्राद्ध रहस्य - क्यों करे , न करे ? पिंड रहित , महालय ? किसी भी कर्म का पूर्ण फल विधि सहित करने पर ही मिलता है | * श्राद्ध में गाय का ही दूध प्रयोग करे |( विष्णु पुराण ) | श्राद्ध भोजन में तिल अवश्य प्रयोग करे | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि - श्राद्ध अपरिहार्य - अश्वनी माह के कृष्ण पक्ष तक पितर अत्यंत अपेक्षा से कष्ट की   स्थिति में जल , तिल की अपनी संतान से , प्रतिदिन आशा रखते है | अन्यथा दुखी होकर श्राप देकर चले जाते हैं | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि इसको नहीं करने से पीढ़ी दर पीढ़ी संतान मंद बुद्धि , दिव्यांगता .मानसिक रोग होते है | हेमाद्रि ग्रन्थ - आषाढ़ माह पूर्णिमा से /कन्या के सूर्य के समय एक दिन भी श्राद्ध कोई करता है तो , पितर एक वर्ष तक संतुष्ट/तृप्त रहते हैं | ( भद्र कृष्ण दूज को भरणी नक्षत्र , तृतीया को कृत्तिका नक्षत्र   या षष्ठी को रोहणी नक्षत्र या व्यतिपात मंगलवार को हो ये पिता को प्रिय योग है इस दिन व्रत , सूर्य पूजा , गौ दान गौ -दान श्रेष्ठ | - श्राद्ध का गया तुल्य फल- पितृपक्ष में मघा सूर्य की अष्टमी य त्रयोदशी को मघा नक्षत्र पर चंद्र ...

गणेश भगवान - पूजा मंत्र, आरती एवं विधि

सिद्धिविनायक विघ्नेश्वर गणेश भगवान की आरती। आरती  जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।  माता जा की पार्वती ,पिता महादेवा । एकदंत दयावंत चार भुजा धारी।   मस्तक सिंदूर सोहे मूसे की सवारी | जय गणेश जय गणेश देवा।  अंधन को आँख  देत, कोढ़िन को काया । बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया । जय गणेश जय गणेश देवा।   हार चढ़े फूल चढ़े ओर चढ़े मेवा । लड्डूअन का  भोग लगे संत करें सेवा।   जय गणेश जय गणेश देवा।   दीनन की लाज रखो ,शम्भू पत्र वारो।   मनोरथ को पूरा करो।  जाए बलिहारी।   जय गणेश जय गणेश देवा। आहुति मंत्र -  ॐ अंगारकाय नमः श्री 108 आहूतियां देना विशेष शुभ होता है इसमें शुद्ध घी ही दुर्वा एवं काले तिल का विशेष महत्व है। अग्नि पुराण के अनुसार गायत्री-      मंत्र ओम महोत काय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो दंती प्रचोदयात्। गणेश पूजन की सामग्री एक चौकिया पाटे  का प्रयोग करें । लाल वस्त्र या नारंगी वस्त्र उसपर बिछाएं। चावलों से 8पत्ती वाला कमल पुष्प स्वरूप बनाएं। गणेश पूजा में नार...

विवाह बाधा और परीक्षा में सफलता के लिए दुर्गा पूजा

विवाह में विलंब विवाह के लिए कात्यायनी पूजन । 10 oct - 18 oct विवाह में विलंब - षष्ठी - कात्यायनी पूजन । वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए - दुर्गतिहारणी मां कात्यायनी की शरण लीजिये | प्रतिपदा के दिन कलश स्थापना के समय , संकल्प में अपना नाम गोत्र स्थान बोलने के पश्चात् अपने विवाह की याचना , प्रार्थना कीजिये | वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए प्रति दिन प्रातः सूर्योदय से प्रथम घंटे में या दोपहर ११ . ४० से १२ . ४० बजे के मध्य , कात्ययानी देवी का मन्त्र जाप करिये | १०८बार | उत्तर दिशा में मुँह हो , लाल वस्त्र हो जाप के समय | दीपक मौली या कलावे की वर्तिका हो | वर्तिका उत्तर दिशा की और हो | गाय का शुद्ध घी श्रेष्ठ अथवा तिल ( बाधा नाशक + महुआ ( सौभाग्य ) तैल मिला कर प्रयोग करे मां भागवती की कृपा से पूर्वजन्म जनितआपके दुर्योग एवं   व्यवधान समाप्त हो एवं   आपकी मनोकामना पूरी हो ऐसी शुभ कामना सहित || षष्ठी के दिन विशेष रूप से कात्यायनी के मन्त्र का २८ आहुति / १०८ आहुति हवन कर...

कलश पर नारियल रखने की शास्त्रोक्त विधि क्या है जानिए

हमे श्रद्धा विश्वास समर्पित प्रयास करने के बाद भी वांछित परिणाम नहीं मिलते हैं , क्योकि हिन्दू धर्म श्रेष्ठ कोटी का विज्ञान सम्मत है ।इसकी प्रक्रिया , विधि या तकनीक का पालन अनुसरण परमावश्यक है । नारियल का अधिकाधिक प्रयोग पुजा अर्चना मे होता है।नारियल रखने की विधि सुविधा की दृष्टि से प्रचलित होगई॥ मेरे ज्ञान  मे कलश मे उल्टा सीधा नारियल फसाकर रखने की विधि का प्रमाण अब तक नहीं आया | यदि कोई सुविज्ञ जानकारी रखते हो तो स्वागत है । नारियल को मोटा भाग पूजा करने वाले की ओर होना चाहिए। कलश पर नारियल रखने की प्रमाणिक विधि क्या है ? अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए , उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै प्राची मुखं वित्त्नाश्नाय , तस्माच्छुभम सम्मुख नारिकेलम अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए कलश पर - नारियल का बड़ा हिस्सा नीचे मुख कर रखा जाए ( पतला हिस्सा पूछ वाला कलश के उपरी भाग पर रखा जाए ) तो उसे शत्रुओं की वृद्धि होती है * ( कार्य सफलता में बाधाएं आती है संघर्ष , अपयश , चिंता , हानि , सहज हैशत्रु या विरोधी तन , मन धन सर्व दृष्टि से घातक होते है ) उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै कलश ...