28.4.2025 से - शनि से कुप्रभावित
जन्म अवधि और उपाय: मार्गदर्शन
(22.9.1945-दिसम्बर 2024 तक की अवधि में जन्म वालो के लिए शनि के अशुभ परिणाम एवं उपाय)
1-निम्न अवधि में जिनका जन्म हुआ होगाउनकी कोई भी राशि हो परंतु शनि के अच्छे प्रभाव नहीं मिलेंगे.
2-शनि चन्द्र राशी(एक राशी लगभग ३नक्श्त्रो का प्रतिनिधित्व करती है इसलिए इसकी अन्य ८ग्रहो के लिए सत्यता संदिग्ध पूर्ण ही है ) से गोचर में शुभ होने पर भी असुविधाजनक प्रभाव मिलेंगे.
3-यदि स्थूल विधि जन्म राशी से भी अशुभ हो to अति अशुभ प्रभाव होंगे .
4-इसलिए शनि की आराधना पूजा या उपाय करना कुंडली के अनुसार से उचित होगा .कुंडली किसी विद्वान को देख कर परामर्श लेना चाहिए क्योकि शनि का उपाय पूजा के अतिरिक्त दान या रत्न भोज्य सामग्री द्वारा करना उचित होगा ,यह जानना आवश्यक अन्यथा उपाय गंभीर अशुभ परिनाम बढ़ा भी सकता है.
1-Vrush ,mithun ,tula.makr kumbh lagn walo ko ashubh fal atialp yak am ashubh dega.
Kark,vrushchik, meen lagn ke liye ashubh
16june-15july;
15jan-11feb
17sept-15oct
17dec-13jan
28.4.2025 से - शनि से कुप्रभावित जन्म अवधि और उपाय: मार्गदर्शन
(22.9.1945-दिसम्बर 2024 तक की अवधि में जन्म वालो के लिए शनि के अशुभ परिणाम एवं उपाय)
ध्यातव्य -09 गह और 09 उपग्रहों का संमन्वित प्रभाव प्रति पल घटित होता है. कोई एक ग्रह अकेला कुछ नहीं कर सकता.अन्य ग्रहों –उपग्रहों का सहयोग या विरोध प्रमुख है.तथापी मानव योनि में प्रयास कर अशुभ प्रभाव न्यून या रोकना संभव है.इसलिए क्रूर ग्रह के उपाय अनुपालनीय हैं-
शनि का प्रभाव मानव जीवन पर अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है, विशेष रूप से जन्म कुंडली
में शनि की स्थिति और उसके गोचर के आधार पर। शनि को एक कठोर और न्यायप्रिय ग्रह माना जाता है, जो जीवन में संघर्ष, परीक्षा, के रूप में कार्य करता है। शनि के प्रभाव से व्यक्ति को सही रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित किया जाता है, लेकिन यह कष्टकारी भी हो सकता है।
इस लेख में हम शनि के गोचर और उसकी कुंडली में शनि की स्थिति पर आधारित अशुभ प्रभाव की जन्म अवधि का , ताकि हम जान सकें कि किस शनि के अशुभ प्रभावों से बचने के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं।
शनि के गोचर का प्रभाव
शनि का प्रभाव केवल उस राशि पर नहीं, बल्कि पूरे कुंडली पर उसके स्थित ग्रहों और उनकी चाल के आधार पर भी होता है। उदाहरण के तौर पर, यदि शनि किसी कुंडली में अशुभ स्थान पर स्थित हो, तो उसका प्रभाव अधिक हानिकारक हो सकता है, जबकि शुभ स्थान पर स्थित शनि सकारात्मक परिणाम दे सकता है। शनि का गोचर भी समय-समय पर बदलता है, और इसके अनुसार किसी व्यक्ति पर शनि का प्रभाव बदलता रहता है।
1. शनि के अशुभ प्रभाव
शनि के अशुभ प्रभाव के समय व्यक्ति को मानसिक और भौतिक परेशानियाँ, निराशा, शारीरिक समस्याएँ, और आर्थिक कठिनाइयाँ आ सकती हैं।
विशेष रूप से जिनकी जन्म कुंडली में शनि की स्थिति असंतुलित होती है, वे इन प्रभावों का सामना अधिक करते हैं। इसके अलावा, शनि का गोचर चंद्र राशि से भी यदि शुभ न हो, तो और असुविधाजनक स्थिति उत्पन्न होती है।
2. शनि के शुभ और अशुभ गोचर के समय
शनि के शुभ गोचर का मतलब यह नहीं होता कि सब कुछ आदर्श रूप से हो जाएगा।
शनि के प्रभाव के बावजूद, किसी व्यक्ति को कड़ी मेहनत और समय बद्ध योजना से भी सफलता मिलती है। हालांकि, यदि शनि का गोचर किसी अशुभ राशि में हो या जन्म राशि से शनि का प्रभाव विपरीत हो, तो इस समय के दौरान कड़ी मेहनत के बावजूद जीवन में कई प्रकार की समस्याएँ ,असुविधाएं उत्पन्न हो सकती हैं।
-किस प्रकार की समस्या होगी यह जन्म कुंडली के 12 भाव में उसकी स्थिति कुंडली के सापेक्ष,नवांश कुंडली पर आधारित होती है.
-इस लेख में प्रयास किया है संकेतक स्वरूप में जो चन्द्र राशी से अधिक सटीक है.
3. शनि के अशुभ प्रभावों से बचने के उपाय
शनि के अशुभ प्रभावों को शांत करने के लिए कई उपाय किए जा सकते हैं। सबसे महत्वपूर्ण उपाय शनि की पूजा और आराधना करना है, लेकिन इसके साथ-साथ शनि के दान और रत्न पहनने के उपाय भी महत्वपूर्ण होते हैं। दान, जैसे कि लोहे का दान, काले तिल का दान, या किसी गरीब को वस्त्र दान करना, शनि के प्रभाव को कम करने में मदद कर सकता है। इसके अलावा, शनि से संबंधित रत्न जैसे नीलम भी पहनने से लाभ हो सकता है।
4. शनि के प्रभाव की विशेष अवधि
कुछ विशेष जन्म अवधि हैं जब शनि का प्रभाव अधिक गंभीर हो सकता है। नीचे दिए गए समयों में जन्म लेने वालों पर शनि का प्रभाव प्रतिकूल हो सकता है:
- (22.9.1945-दिसम्बर 2024 तक जन्म )
- *21सित.1950-24 नवम्बर1952;
- 25 अप्रैल 1953 से 21 अगस्त 1953
- 2 फरवरी 1961 से 16 सितंबर 1961
- 10 अप्रैल 1966 से 2 नवंबर 1966
- 21 दिसंबर 1966 से 13 जून 1968
- 28 सितंबर 1968 से 6 मार्च 1969
- 5 नवंबर 1979 से 14 मार्च 1980
- 28 जुलाई 1980 से 5 अक्टूबर 1982
- 22 नवम्बर 1990 से 1 सितम्बर 1990
- 15 जनवरी 1990 से 4 मार्च 1993
- 16 अक्टूबर 1993 से 9 सितम्बर 1993
- 3 जून 1995 से 9 अगस्त 1995
- 23 जुलाई 2002 से 7 जनवरी 2003
- 16 फरवरी 2006 से सितम्बर 2006
- 6 अप्रैल 2004 से 5 सितम्बर 2004
- 13 जनवरी 2005 से 25 मई 2005
- 19 सितम्बर 2009 से 14 नवम्बर 2011
- 2012 में 16 से 3 अगस्त तक
- 24 जनवरी 2020 से 28 अप्रैल 2022
- 12 जुलाई 2022 से 17 जनवरी 2023
-उक्त अवधि में जन्म लेने वाले व्यक्तियों का ,शनि के कड़े प्रभावों का सामना हो सकता है। इस अवधि में उचित उपायों के साथ सतर्कता महत्वपूर्ण है।
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