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वसंत पंचमी ,श्री पंचमी – ज्ञान मन्त्र ,शुभ समय -दाम्पत्य सुखार्थी, विद्यार्थी के लिए वरदान। (रति,कामदेव ,भगवती सरस्वती स्मरण पर्व )HINDI EVM ENGLISH


 

वसंत पंचमी – ज्ञान मन्त्र ,शुभ समय -दाम्पत्य सुखार्थीविद्यार्थी के लिए वरदान।
(रति,कामदेव ,भगवती सरस्वती स्मरण पर्व )

वसन्त पञ्चमी सरस्वती पूजा मुहूर्त - 11:48 - 12:35 तक विशेष

शुभ समय-11:46 -01:27 ;14:26 -15:11 ;15:59 -18:00 ;22:39 से 00:32

          ज्योतिष के आधार पर - कौन कौन करे?
        कन्या,वृष ,मीन RASHI KE LIE । 

राशि या लग्न या जिनके प्रचलित नाम के प्रथम अक्षर-व,,,,,,ठा,,से प्रारंभ उनके लिए पंचमी का व्रत ,पूजा सरस्वती देवी की मनोबल,निर्णय क्षमता,वॉक सिद्धि,सफलता के लिए विशेष उपयोगी है।

 राशि के लिए सुख, सफल ज्ञान के लिए अति उपयोगी। सभी बच्चों को -:एम" परिवार के सदस्यों की पूजा करनी चाहिए सरस्वती स्मरण -"एम" ऐं नमः..MANTR भी अति उपयोगी।

यदि अपना बेटा या बेटी मंद बुद्धि,पढने लिखने में मन नहीं लगता है तो अवश्य 5 मिनट दीजिये सरस्वती जी के मन्त्र प्रयोग कराये \उनकी नोटबुक में रफ कापी में लिखवाएं ।

प्रतिदिन पढने सेपूर्व सरस्वती का कोई मन्त्र पढ़े ।ज्ञान की देवी स्सेवास्ती की कृपा होगी ।

बच्चों को आज सरस्वती का मन्त्र अवश्य एक बार पढवाए या स्वयं बोल कर उनको बोलने के लिए कहिये ,aaj का दिन मेधा,बुद्धि,vivek,मनोबल,निर्णय क्षमतामें वृद्धि का है ।

पृथ्वी से परे ,ग्रहों का प्रभाव हमारे शरीर पर होता है ।

माघ माह की शुक्ल पक्ष पंचमी को ज्ञान प्राप्ति का सरल सर्वोत्तम दिन पूरे वर्ष में इतना प्रभावशाली नहीं होता है इसलिए दोपहर,शाम एवं रात्रीको भी सोने से पूर्व पठन,स्मरण करना चाहिए । निम्न मन्त्र कम से कम एक बार बच्चों से बुलवाएँ ।

-बीज मन्त्र-  ऐं,को दिन में मन ही मन बोलते रहे ।

- ऐं नमः ।

-वद वद वाग्वादिनी स्वाहा ।

 - ॐ ऐं क्लीं सौः ।

- ॐ अर्हं मुख कमल वासिनी पापात्म क्षयम् कारी, वद वद वाग्वादिनी, सरस्वती ऐं ह्रीं नमः स्वाहा ।

- * 'ॐ शारदा माता ईश्वरी मैं नित सुमरि तोय हाथ जोड़ अरजी करूं विद्या वर दे मोय। '

  दाम्पत्य सुख ,शांति सौभाग्य के लिए रति,कामदेव की पूजा स्मरण करें- रति स्मरण
  
शुभा रति: प्रकृतव्या वसंत उज्ज्वल भुषणा ।
  नृत्य माना शुभा समस्त आभरणरयुता।
   वीणा वादन शीला च माध कर्पूर चर्चिता।

कामदेव स्मरण-
काम देवस्तु कर्तव्यों रूपेण अप्रतिमो  भुवि ।
अष्टबाहु: स कर्तव्य: शंख पद्म विभूषण: ।
चाप वाण करश्चेव मदादनचित लोचन :।
रति: प्रितिस्तथा शक्ति मर्द शक्तिसत्थ उज्ज्वला।
चतस्त्र स्तस्य कर्तव्या: पत्न्यो रूप मनोहरा:।
चतवारश्च करास्तस्य कार्या भार्यास्तनोपगा: ।
केतुश्च मकर: कार्य: पांच बाण मुखों महान 
          
इस प्रकार पुष्प फल अर्पण करेंइससे गृहस्थ जीवन सुख मय होता है।  
    
विद्या अधिष्ठात्री देवी सरस्वती- मंगल पर्व
   
प्रत्येक माह की शुक्ल और पंचमी को नागो की पूजा एवं कृष्ण पक्ष पंचमी को पितरों की पूजा का विधान है।     

  माघ मास की पंचमी की अति महत्वपूर्ण है क्योंकि ज्ञानस्मृतिविद्या ,निर्णय क्षमता ,विद्या के क्षेत्र प्रतियोगिता आदि अनेक बुद्धि संबंधित कार्य की समग्र देवी हैं।      इसलिए इस पर्व पर विद्यार्थियों एवं परीक्षार्थियों को सरस्वती की वंदना करना चाहिएजिससे वर्ष भर उनको बुद्धि विद्या ज्ञान के क्षेत्र में सफलता ,यश मिले ।प्रसिद्धि एवं मनोकामना पूर्ण हो ।
           
एक प्रसंग महाभारत में है ।
      
युधिष्ठिर द्वारा भगवान योगीराज कृष्ण से पूछा जाता है कि ,किस व्रत के करने से वाणी में मधुरता आती हैसौभाग्य मिलता हैविद्या कौशल प्राप्त होता है ?दांपत्य सुख में प्रेम और बंधु बांधव से विवाद वियोग नहीं होता हैदीर्घायु व्यक्ति होता है ।
         
भगवान कृष्ण के द्वारा उनको सारस्वत व्रत के विषय में ज्ञान देते हुए कहा गया किभगवती सरस्वती की प्रसन्नता से जीवन में सफलताएं प्राप्त होती हैं ।
        
मूल रूप से आद्या शक्तियों में लक्ष्मी सरस्वती एवं दुर्गा मानी गई है 

 सरस्वती से निवेदन करना चाहिए -
आप अपनी लक्ष्मी में धारा, दृष्टि ,गौरी, पुष्टि, प्रभा तथा मति इन 8 शक्तियों  के द्वारा मेरी रक्षा करें एवं हमेशा इस प्रार्थना को कर मौन होकर भोजन करें
विशेष
प्रत्येक मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी सौभाग्यवती स्त्रियों का सम्मान/पूजन करें ।सौभाग्यवती स्त्रियों को तेल चावलघी दूधस्वर्ण आदि भेंट करें

 पुराणों में लेख है

-माघ शुक्ल पंचमी को अष्टदल या 8 पत्तियों का कमल बनाएं । 

-आगे गणेश जी और पीछे बसंत अर्थात जो गेहूं की बालियां रखें ।

-जल पूर्ण कलश में डंठल सहित (गेहूं बालियां )को रखा जाए ।

-गणेश जी का पूजन करने के पश्चात रति और कामदेव की पूजा करें ।

उन पर अबीर एवं पुष्प अर्पित करें ।
       -  
श्री कृष्ण भगवान के विभिन्न अंगों से देवी आद्या शक्ति प्रकट हुई ।श्री कृष्ण जी के कंठ से देवी सरस्वती प्रकट हुई ।राधापदमासावित्री ,दुर्गा . है।

-ऋग्वेद  के अनुसार-
वाग देवी शुभ गुणों की को देने वाली वसु रुद्र आदित्य आज सभी देवों की रक्षा करने वाली है।राष्ट्रीय भावना प्रदान करती हैंएवं लोक हित के लिए कार्य करती हैं
        
ब्राह्मण ग्रंथों के अनुसार -सरस्वती देवी ब्रह्म सरूपा कामधेनु तथा समस्त देवों की प्रतिनिधि हैं ।
        
माघ शुक्ल पक्ष पंचमी को इनका आविर्भाव दिवस माना जाता है ।वागीश्वरी जयंती एवं श्री पंचमी भी   कहा जाता है ।
      
सरस्वती देवी का बालक के अक्षर आरंभ या विद्यारंभ में भी महत्व है ।सरस्वती रहस्यउपनिषद ,प्रपंचप्रसार ,शारदा तिलक ग्रंथों में सरस्वती के दिव्य स्वरूप एवं की प्रधानता का वर्णन विशेष रूप से उपलब्ध ।
  
महर्षि बाल्मीकि व्यास वशिष्ठ विश्वामित्र एवं सनक आदि ऋषि सरस्वती जी की साधना से ही कृतार्थ हुए
    
वेदोक्त-
      
श्रीम ह्रीम सरस्वतयै नमः ।( देवी भागवत)
अर्पण सामग्री- सत्व गुण वाली देवी को श्वेत रंग के पदार्थपुष्प,भोज्य अर्पण कसरत चाहिए जैसे दूध,दहीमख्खनलाईसफेद तिल के पकवान,गन्नागुड़,शहद श्वेत वस्त्र,चांदी,मूली,अदरख,श्वेत चंदन,शक्कर,चावल,घी,, सेंधा नमक युक्त भोज्यकेला की पिष्टी,नारियल आदि ।
    -  
महर्षि बाल्मीकि व्यास वशिष्ठ विश्वामित्र सनक आदि ऋषि सरस्वती की साधना से ही कृतार्थ हुए महर्षि व्यास को सरस्वती जी ने बाल्मीकि रामायण पढ़ने की प्रेरणा दी सरस्वती के "विश्व विजय कवच'को धारण करने के पश्चात ही व्यास ,भरद्वाजदेवल ,जगीशव्य रिश्यश्रृंग ऋषियों  ने सिद्ध पाई ।

सरस्वती विद्या की अधिष्ठात्री मन्त्र-ध्यान

- ॐ सरस्वती मया दृष्ट्वा, वीणा पुस्तक धारणीम् । हंस वाहिनी समायुक्ता मां विद्या दान करोतु में ॐ ।।
   
 -ॐ नमः पद्मासने शब्दरुपे ऐं ह्रीं क्लीं वद वद वाग्वादिनी स्वाहा

-ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं सरस्वत्यै बुधजनन्यै स्वाहा

-शारदा शारदांभौज वदना, वदन अम्बुजे।
सर्वदा सर्वदा अस्माकमं सन्निधिमं सन्निधिमं क्रियात्।

-शरद काल में उत्पन्न कमल के समान मुखवाली और सब मनोरथों को देने वाली मां शारदा समस्त समृद्धियों के साथ मेरे मुख में सदा निवास करें।

मां नील-सरस्वती का स्वरुप:
मां नील-सरस्वती नील वर्ण की , चार भुजाएं हैं दो हाथों में है. नील-सरस्वती की पूजा बसंत पंचमी के अलावा अष्टमी, नवमी एवं चतुर्दशी तिथि को करने से भी फल की प्राप्ति होती है.

ॐ अस्य नील सरस्वती मंत्रस्य ब्रह्म ऋषिः, गायत्री छन्दःनील सरस्वती देवता, ममाभीष्ट सिद्धयर्थे जपे विनियोगः ॥ ॥ ॐ श्रीं ह्रीं हसौ: हूँ फट नीलसरस्वत्ये स्वाहा ॥

नील सरस्वती का पूजा मंत्र:- -

 ऐं ह्रीं श्रीं नील सरस्वत्यै नम: जाप करे ) मंत्र जाप के बाद स्तोत्र का पाठ करे ।25-May-2021

नील-सरस्वती स्त्रोत:

घोररूपे महारावे सर्वशत्रु भयंकरि।
भक्तेभ्यो वरदे देवि त्राहि मां शरणागतम्।।1।।

ॐ सुरासुरार्चिते देवि सिद्ध गन्धर्व सेविते।
जाड्य पापहरे देवि त्राहि मां शरणागतम्।।2।।

जटाजूट समायुक्ते लोल जिह्वान्त कारिणि।
द्रुत बुद्धि करे देवि त्राहि मां शरणागतम्।।3।।

सौम्य क्रोध धरे रूपे चण्डरूपे नमोSस्तु ते।
सृष्टि रूपे नमस्तुभ्यं त्राहि मां शरणागतम्।।4।।

जडानां जडतां हन्ति भक्तानां भक्त वत्सला।
मूढ़तां हर मे देवि त्राहि मां शरणागतम्।।5।।

वं ह्रूं ह्रूं कामये देवि बलि होम प्रिये नम:।
उग्रतारे नमो नित्यं त्राहि मां शरणागतम्।।6।।

बुद्धिं देहि यशो देहि कवित्वं देहि देहि मे।
मूढत्वं च हरेद्देवि त्राहि मां शरणागतम्।।7।।

इन्द्रादि विलसद द्वन्द्व वन्दिते करुणामयि।
तारे ताराधि नाथास्ये त्राहि मां शरणागतम्।।8।।

अष्टभ्यां च चतुर्दश्यां नवम्यां य: पठेन्नर:।
षण्मासै: सिद्धिमाप्नोति नात्र कार्या विचारणा।।9।।

इति प्रणम्य स्तुत्वा च योनिमुद्रां प्रदर्शयेत।।13।।

-परीक्षा समय मत्र
शारदायै नमस्तुभ्यं , मम ह्रदय प्रवेशिनी,
परीक्षायां समुत्तीर्णं, सर्व विषय नाम यथा।।

ॐनमो सारसुती माई,मेधा बढे करो सवाई ,अमृत बरसे बुद्धि का,

बाजे डंका सुद्धि का आदेश आदेश आदेश शिव गोरख जोगी को आदेश ।

 

Vasant Panchami –

 Gyan Mantra, auspicious time – marital happiness, boon for students.

(Remembrance festival of Rati, Kamdev, Bhagwati Saraswati)

Vasant Panchami Saraswati Puja Muhurta - Special from 10:48 - 12:35

Auspicious time-11:46 -01:27 ;14:26 -15:11 ;15:59 -18:00 ;22:39 to 00:32

           Based on astrology - who should do it?

         Virgo, Taurus, Pisces belong to the zodiac signs.

Fast of Panchami, worship of goddess Saraswati for those whose zodiac sign or ascendant or whose popular name starts with first letter - Va, Ba, E, O, Da, Pa, Tha, Tha, Cha, morale, decision making ability, walk accomplishment, success. Particularly useful for.

  Happiness for zodiac sign, very useful for successful knowledge. All children should worship -:M" family members. Saraswati remembrance -"M" आं नमः..MANTR is also very useful.

If your son or daughter is retarded and doesn't feel like reading and writing, then definitely give him 5 minutes to use Saraswati ji's mantras and get them written in a rough copy in his notebook.

Before reading every day, read any mantra of Saraswati. It will be blessed by the goddess of knowledge, Sevasti. Make sure to read the mantra of Saraswati to the children today or ask them to speak it themselves, today is a day for intelligence, intelligence, vivacity, morale and decision making ability. Is of growth.

Beyond the Earth, the planets have an impact on our body.

Shukla Paksha Panchami of Magh month is not the best day for attaining knowledge in the whole year and hence it should be read and memorized in the afternoon, evening and night also before sleeping. Have the children chant the following mantra at least once.

-Seed Mantra- Keep saying 'Ain' in your mind during the day.

- Ain Namah.

-Vad 2 Vaagwadini Swaha. ,

  - Om Aim Kleem Sauh.

- Om Arham Mukh Kamal Vasini Papatma Kshayam Kari, Vad Vad Vaagwadini, Saraswati Ain Hreem Namah Swaha.

- * 'Om Sharda Mata Ishwari, I remember you daily with folded hands and pray for the blessings of Vidya. 'For marital happiness, peace and good fortune, remember the worship of Rati, Kamadeva - Rati Smaran

   Shubha Rati: Nature's bright spring.

   Dance means auspicious beauty, all the beauty.

    Veena playing Sheela Cha Madh Karpur Charcharita.

Kamadeva remembrance-

Kama Devastu is the incomparable Bhuvi in the form of duties.

Ashtabahu: S Duty: Shankha Padma Vibhushan:.

चाप वान कर्शेव मदादनचित लोचन:.

Rati: Pritisthatha Shakti Mard Shaktisathth Ujjwala.

Chatastra Stasya Dutvaya: Patnyo Roop Manohara:.

Chatvarashcha karastasya karyaa bharyastanopaga:.

Ketuschha Makara: Function: Five arrow mouths great.

           Offering flowers and fruits in this way makes family life happy. ,

     Vidya Adhishthatri Devi Saraswati - Mangal Parva

    There is a tradition of worshiping Nagas on Shukla and Panchami of every month and worshiping ancestors on Krishna Paksha Panchami.

   Panchami of Magh month is very important because she is the overall goddess of many intelligence related works like knowledge, memory, learning, decision making ability, competition in the fields of knowledge etc. Therefore, on this festival, students and candidates should worship Goddess Saraswati, so that they get success and fame in the field of intelligence and knowledge throughout the year. Fame and wishes are fulfilled.

            There is an incident in Mahabharata.

       Lord Yogiraj Krishna is asked by Yudhishthir, observing which fast brings sweetness in speech? Do you get good fortune and acquire knowledge and skills? There is no separation between love and brotherhood in marital happiness and disputes. Is a long lived person.

          While giving knowledge about Saraswat Vrat, Lord Krishna said that success in life is achieved by the happiness of Goddess Saraswati.

         Basically, Lakshmi, Saraswati and Durga are considered among the primary powers.

  Saraswati should be requested -

Please protect me with the 8 powers of your Lakshmi - Dhara, Drishti, Gauri, Pushti, Prabha and Mati and always say this prayer and eat in silence.

Specific

Honor/worship the fortunate women on Panchami of Shukla Paksha of every month. Offer oil, rice, ghee, milk, gold etc. to the fortunate women.

  There is an article in the Puranas –

-On Magh Shukla Panchami, make an Ashtadal or lotus of 8 leaves.

- Ganesh ji in front and Basant behind, that is, the one who keeps the ears of wheat.

- Wheat ears (ears) along with the stalk should be kept in a pot full of water.

-After worshiping Lord Ganesha, worship Rati and Kamadeva.

Offer abir and flowers on them.

        - Goddess Adya Shakti appeared from various parts of Lord Krishna. Goddess Saraswati appeared from the throat of Lord Krishna. Radha, Padma, Savitri, Durga. Is.

-According to Rigveda-

Vaag Devi, the giver of auspicious qualities, Vasu Rudra Aditya, is the protector of all the gods today. Provides national spirit, and works for public welfare.

         According to Brahmin texts - Goddess Saraswati is the representative of Brahma Sarupa Kamdhenu and all the gods.

         Magh Shukla Paksha Panchami is considered to be his appearance day. It is also called Vagishwari Jayanti and Shri Panchami.

       Goddess Saraswati also has importance in the beginning of the child's alphabet or education. Description of the divine form and primacy of Saraswati is especially available in the texts Saraswati Rahasya, Upanishad, Prapanchaprasar, Sharda Tilak.

   Maharishi Valmiki, Vyas, Vashishtha, Vishwamitra and Sanak etc. became successful only through the meditation of Rishi Saraswati.

     Vedokta-

       Shrim Hreem Sarasvatayai Namah. (Devi Bhagwat)

Offering material - Goddess with Satva Guna should offer white colored items, flowers, food like milk, curd, butter, lye, white sesame dishes, sugarcane, jaggery, honey, white clothes, silver, radish, ginger, white marble.

dan,shakkar,chaaval,ghee,, sendha namak yukt bhojy, kela kee pishtee,naariyal aadi . - maharshi baalmeeki vyaas vashishth vishvaamitr sanak aadi rshi sarasvatee kee saadhana se hee krtaarth hue maharshi vyaas ko sarasvatee jee ne baalmeeki raamaayan padhane kee prerana dee sarasvatee ke

 "vishv vijay kavach" ko dhaaran karane ke pashchaat hee vyaas ,bharadvaaj, deval ,jageeshavy rishyashrrng rshiyon ne siddh paee . sarasvatee vidya kee adhishthaatree mantr-dhyaan - om sarasvatee maya drshtva, veena pustak dhaaraneem . hans vaahinee samaayukta maan vidya daan karotu mein om .. -om namah padmaasane shabdarupe ain hreen kleen vad vad vaagvaadinee svaaha• -“om ain hreen shreen kleen sarasvatyai budhajananyai svaaha”. -‘shaarada shaaradaambhauj vadana, vadan ambuje. sarvada sarvada asmaakaman sannidhiman sannidhiman kriyaat. -sharad kaal mein utpann kamal ke samaan mukhavaalee aur sab manorathon ko dene vaalee maan shaarada samast samrddhiyon ke saath mere mukh mein sada nivaas karen. maan neel-sarasvatee ka svarup: maan neel-sarasvatee neel varn kee , chaar bhujaen hain . do haathon mein hai. neel-sarasvatee kee pooja basant panchamee ke alaava ashtamee, navamee evan chaturdashee tithi ko karane se bhee phal kee praapti hotee hai. om asy neel sarasvatee mantrasy brahm rshih, gaayatree chhandah, neel sarasvatee devata, mamaabheesht siddhayarthe jape viniyogah . . om shreen hreen hasau: hoon phat neelasarasvatye svaaha . neel sarasvatee ka pooja mantr:- - ain hreen shreen neel sarasvatyai nam: jaap kare ) mantr jaap ke baad stotr ka paath kare .25- neel-sarasvatee strot: ghoraroope mahaaraave sarvashatru bhayankari. bhaktebhyo varade devi traahi maan sharanaagatam..1.. om suraasuraarchite devi siddh gandharv sevite. jaady paapahare devi traahi maan sharanaagatam..2.. jataajoot samaayukte lol jihvaant kaarini. drut buddhi kare devi traahi maan sharanaagatam..3.. saumy krodh dhare roope chandaroope namosstu te. srshti roope namastubhyan traahi maan sharanaagatam..4.. jadaanaan jadataan hanti bhaktaanaan bhakt vatsala. moodhataan har me devi traahi maan sharanaagatam..5.. van hroon hroon kaamaye devi bali hom priye nam:. ugrataare namo nityan traahi maan sharanaagatam..6.. buddhin dehi yasho dehi kavitvan dehi dehi me. moodhatvan ch hareddevi traahi maan sharanaagatam

..7.. indraadi vilasad dvandv vandite karunaamayi. taare taaraadhi naathaasye traahi maan sharanaagatam.

.8.. ashtabhyaan ch chaturdashyaan navamyaan ya: pathennar:. shanmaasai: siddhimaapnoti naatr kaarya vichaarana..

9.. iti pranamy stutva ch yonimudraan pradarshayet..

13.. -pareeksha samay matr shaaradaayai namastubhyan , mam hraday praveshinee, pareekshaayaan samutteernan, sarv vishay naam yatha.. omnamo saarasutee maee,medha badhe karo savaee ,amrt barase buddhi ka, baaje danka suddhi ka aadesh aadesh aadesh shiv gorakh jogee ko aadesh .

Food containing grains, sugar, rice, ghee, rock salt, banana pishti, coconut etc.

     - Maharishi Balmiki Vyas, Vashishtha, Vishwamitra Sanak etc. Maharishi Vyas became successful only through the meditation of Rishi Saraswati. Saraswati ji inspired him to read Valmiki's Ramayana. Only after wearing Saraswati's "Vishwa Vijay Kavach" Vyas, Bhardwaj, Deval, Jagishavya Rishya Shringa The sages found it perfect.

Saraswati Vidya's presiding mantra-meditation

- Om Saraswati Maya Drishtva, Veena Pustak Dharanim. Hans Vahini Samayukta Maa Vidya Daan Karotu Me Om.

     -Om Namah Padmasane Shabdarupe Ain Hreem Kleem Vad Vad Vaagwadini Swaha•

-“Om Ain Hreem Shreem Kleem Saraswatyai Budhajananyai Swaha”.

-‘Sharda Shardambhoj Vadana, Vadana Ambuje.

Always always asmakaam sannidhimam sannidhimam kriyaat.

- May Mother Sharda, who has a face like a lotus born in the autumn season and who grants all the wishes, always reside in my mouth with all the prosperity.

Nature of Mother Neel-Saraswati:

Mother Neel-Saraswati is of blue color and has four arms. It is in two hands. Apart from Basant Panchami, worshiping Neel-Saraswati on Ashtami, Navami and Chaturdashi tithi also gives results.

Om Asya Neel Saraswati Mantrasya Brahma Rishi, Gayatri Chhandah, Neel Saraswati Devta, Mamabhishta Siddhayarthe Jape Viniyoga. , ॐ श्रीम ह्रीम हसौह हुं फत नीलसरस्वत्ये स्वाह॥

Worship Mantra of Neel Saraswati:- -

  25. After chanting the mantra, recite the stotra.

Neel-Saraswati Source:

The fierce Maharao is the fiercest of all enemies.

Bhaktebhyo Varde Devi Trahi Maa Sharanagatam..1.

Om Surasuraarchite Devi Siddha Gandharva Sevite.

Jadya Papahare Devi Trahi Maa Sharanagatam..2.

Jatajoot Samayukte Lol Jihwant Karini.

Let your intellect be sharp and surrender to Goddess Trahi Maa..3.

NamoStu in the form of moon with gentle anger.

Namastebhyam Trahi Maa Sharanagatam in the form of creation..4.

 

जादनां जदतां हांती भक्तानां भक्ता वत्सला।

Devi Trahi Maa Sharanagatam in every foolishness..5.

 

Van Hrun Hrun Kamye Devi Bali Homa Priya Namah.

Ugrataare Namo Nityam Trahi Maa Sharanagatam..6.

 

Wisdom is in the body, fame is in the body, poetry is in the body, in the body.

Mudhatvam Cha Hareddevi Trahi Maa Sharanagatam..7.

 Indradi Vilasad Dwandva Vandite Karunamayi.

Taare Taradhi Nathasye Trahi Maa Sharanagatam..8..

Ashtabhyan Cha Chaturdashyan Navamyan Ya: Pathennar:.

Shanmasai: Siddhimapnoti Natra Karya Vicharana..9..

Iti Pranamya Stutva Cha Yonimudra Pradasayet..13.

-exam time only

Shardayai Namastubhyam, Mama Hridaya Praveshini,

Exams passed, all subjects as named.

Om Namo Sarasuti Maa, increase your intelligence Sawai, shower the nectar of wisdom,

Baje Danka Suddhi's order, order, order, order to Shiv Gorakh Jogi.

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*****मनोकामना पूरक सरल मंत्रात्मक रामचरितमानस की चौपाईयाँ-       रामचरितमानस के एक एक शब्द को मंत्रमय आशुतोष भगवान् शिव ने बना दिया |इसलिए किसी भी प्रकार की समस्या के लिए सुन्दरकाण्ड या कार्य उद्देश्य के लिए लिखित चौपाई का सम्पुट लगा कर रामचरितमानस का पाठ करने से मनोकामना पूर्ण होती हैं | -सोमवार,बुधवार,गुरूवार,शुक्रवार शुक्ल पक्ष अथवा शुक्ल पक्ष दशमी से कृष्ण पक्ष पंचमी तक के काल में (चतुर्थी, चतुर्दशी तिथि छोड़कर )प्रारंभ करे -   वाराणसी में भगवान् शंकरजी ने मानस की चौपाइयों को मन्त्र-शक्ति प्रदान की है-इसलिये वाराणसी की ओर मुख करके शंकरजी को स्मरण कर  इनका सम्पुट लगा कर पढ़े या जप १०८ प्रतिदिन करते हैं तो ११वे दिन १०८आहुति दे | अष्टांग हवन सामग्री १॰ चन्दन का बुरादा , २॰ तिल , ३॰ शुद्ध घी , ४॰ चीनी , ५॰ अगर , ६॰ तगर , ७॰ कपूर , ८॰ शुद्ध केसर , ९॰ नागरमोथा , १०॰ पञ्चमेवा , ११॰ जौ और १२॰ चावल। १॰ विपत्ति-नाश - “ राजिव नयन धरें धनु सायक। भगत बिपति भंजन सुखदायक।। ” २॰ संकट-नाश - “ जौं प्रभु दीन दयालु कहावा। आरति हरन बेद जसु गावा।। जपहिं नामु जन आरत भारी। मिटहिं कुसंकट होहि

दुर्गा जी के अभिषेक पदार्थ विपत्तियों के विनाशक एक रहस्य | दुर्गा जी को अपनी समस्या समाधान केलिए क्या अर्पण करना चाहिए?

दुर्गा जी   के अभिषेक पदार्थ विपत्तियों   के विनाशक एक रहस्य | दुर्गा जी को अपनी समस्या समाधान केलिए क्या अर्पण करना चाहिए ? अभिषेक किस पदार्थ से करने पर हम किस मनोकामना को पूर्ण कर सकते हैं एवं आपत्ति विपत्ति से सुरक्षा कवच निर्माण कर सकते हैं | दुर्गा जी को अर्पित सामग्री का विशेष महत्व होता है | दुर्गा जी का अभिषेक या दुर्गा की मूर्ति पर किस पदार्थ को अर्पण करने के क्या लाभ होते हैं | दुर्गा जी शक्ति की देवी हैं शीघ्र पूजा या पूजा सामग्री अर्पण करने के शुभ अशुभ फल प्रदान करती हैं | 1- दुर्गा जी को सुगंधित द्रव्य अर्थात ऐसे पदार्थ ऐसे पुष्प जिनमें सुगंध हो उनको अर्पित करने से पारिवारिक सुख शांति एवं मनोबल में वृद्धि होती है | 2- दूध से दुर्गा जी का अभिषेक करने पर कार्यों में सफलता एवं मन में प्रसन्नता बढ़ती है | 3- दही से दुर्गा जी की पूजा करने पर विघ्नों का नाश होता है | परेशानियों में कमी होती है | संभावित आपत्तियों का अवरोध होता है | संकट से व्यक्ति बाहर निकल पाता है | 4- घी के द्वारा अभिषेक करने पर सर्वसामान्य सुख एवं दांपत्य सुख में वृद्धि होती है | अवि

श्राद्ध:जानने योग्य महत्वपूर्ण बातें |

श्राद्ध क्या है ? “ श्रद्धया यत कृतं तात श्राद्धं | “ अर्थात श्रद्धा से किया जाने वाला कर्म श्राद्ध है | अपने माता पिता एवं पूर्वजो की प्रसन्नता के लिए एवं उनके ऋण से मुक्ति की विधि है | श्राद्ध क्यों करना चाहिए   ? पितृ ऋण से मुक्ति के लिए श्राद्ध किया जाना अति आवश्यक है | श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम ? यदि मानव योनी में समर्थ होते हुए भी हम अपने जन्मदाता के लिए कुछ नहीं करते हैं या जिन पूर्वज के हम अंश ( रक्त , जींस ) है , यदि उनका स्मरण या उनके निमित्त दान आदि नहीं करते हैं , तो उनकी आत्मा   को कष्ट होता है , वे रुष्ट होकर , अपने अंश्जो वंशजों को श्राप देते हैं | जो पीढ़ी दर पीढ़ी संतान में मंद बुद्धि से लेकर सभी प्रकार की प्रगति अवरुद्ध कर देते हैं | ज्योतिष में इस प्रकार के अनेक शाप योग हैं |   कब , क्यों श्राद्ध किया जाना आवश्यक होता है   ? यदि हम   96  अवसर पर   श्राद्ध   नहीं कर सकते हैं तो कम से कम मित्रों के लिए पिता माता की वार्षिक तिथि पर यह अश्वनी मास जिसे क्वांर का माह    भी कहा जाता है   | पितृ पक्ष में अपने मित्रगण के मरण तिथि

श्राद्ध रहस्य प्रश्न शंका समाधान ,श्राद्ध : जानने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य -कब,क्यों श्राद्ध करे?

संतान को विकलांगता, अल्पायु से बचाइए श्राद्ध - पितरों से वरदान लीजिये पंडित विजेंद्र कुमार तिवारी jyotish9999@gmail.com , 9424446706   श्राद्ध : जानने  योग्य   महत्वपूर्ण तथ्य -कब,क्यों श्राद्ध करे?  श्राद्ध से जुड़े हर सवाल का जवाब | पितृ दोष शांति? राहू, सर्प दोष शांति? श्रद्धा से श्राद्ध करिए  श्राद्ध कब करे? किसको भोजन हेतु बुलाएँ? पितृ दोष, राहू, सर्प दोष शांति? तर्पण? श्राद्ध क्या है? श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम क्या संभावित है? श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम क्या संभावित है? श्राद्ध की प्रक्रिया जटिल एवं सबके सामर्थ्य की नहीं है, कोई उपाय ? श्राद्ध कब से प्रारंभ होता है ? प्रथम श्राद्ध किसका होता है ? श्राद्ध, कृष्ण पक्ष में ही क्यों किया जाता है श्राद्ध किन२ शहरों में  किया जा सकता है ? क्या गया श्राद्ध सर्वोपरि है ? तिथि अमावस्या क्या है ?श्राद्द कार्य ,में इसका महत्व क्यों? कितने प्रकार के   श्राद्ध होते   हैं वर्ष में   कितने अवसर श्राद्ध के होते हैं? कब  श्राद्ध किया जाना अति आवश्यक होता है | पितृ श्राद्ध किस देव से स

गणेश विसृजन मुहूर्त आवश्यक मन्त्र एवं विधि

28 सितंबर गणेश विसर्जन मुहूर्त आवश्यक मन्त्र एवं विधि किसी भी कार्य को पूर्णता प्रदान करने के लिए जिस प्रकार उसका प्रारंभ किया जाता है समापन भी किया जाना उद्देश्य होता है। गणेश जी की स्थापना पार्थिव पार्थिव (मिटटीएवं जल   तत्व निर्मित)     स्वरूप में करने के पश्चात दिनांक 23 को उस पार्थिव स्वरूप का विसर्जन किया जाना ज्योतिष के आधार पर सुयोग है। किसी कार्य करने के पश्चात उसके परिणाम शुभ , सुखद , हर्षद एवं सफलता प्रदायक हो यह एक सामान्य उद्देश्य होता है।किसी भी प्रकार की बाधा व्यवधान या अनिश्ट ना हो। ज्योतिष के आधार पर लग्न को श्रेष्ठता प्रदान की गई है | होरा मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ माना गया है।     गणेश जी का संबंध बुधवार दिन अथवा बुद्धि से ज्ञान से जुड़ा हुआ है। विद्यार्थियों प्रतियोगियों एवं बुद्धि एवं ज्ञान में रूचि है , ऐसे लोगों के लिए बुध की होरा श्रेष्ठ होगी तथा उच्च पद , गरिमा , गुरुता , बड़प्पन , ज्ञान , निर्णय दक्षता में वृद्धि के लिए गुरु की हो रहा श्रेष्ठ होगी | इसके साथ ही जल में विसर्जन कार्य होता है अतः चंद्र की होरा सामान्य रूप से सभी मंगल कार्यों क

गणेश भगवान - पूजा मंत्र, आरती एवं विधि

सिद्धिविनायक विघ्नेश्वर गणेश भगवान की आरती। आरती  जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।  माता जा की पार्वती ,पिता महादेवा । एकदंत दयावंत चार भुजा धारी।   मस्तक सिंदूर सोहे मूसे की सवारी | जय गणेश जय गणेश देवा।  अंधन को आँख  देत, कोढ़िन को काया । बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया । जय गणेश जय गणेश देवा।   हार चढ़े फूल चढ़े ओर चढ़े मेवा । लड्डूअन का  भोग लगे संत करें सेवा।   जय गणेश जय गणेश देवा।   दीनन की लाज रखो ,शम्भू पत्र वारो।   मनोरथ को पूरा करो।  जाए बलिहारी।   जय गणेश जय गणेश देवा। आहुति मंत्र -  ॐ अंगारकाय नमः श्री 108 आहूतियां देना विशेष शुभ होता है इसमें शुद्ध घी ही दुर्वा एवं काले तिल का विशेष महत्व है। अग्नि पुराण के अनुसार गायत्री-      मंत्र ओम महोत काय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो दंती प्रचोदयात्। गणेश पूजन की सामग्री एक चौकिया पाटे  का प्रयोग करें । लाल वस्त्र या नारंगी वस्त्र उसपर बिछाएं। चावलों से 8पत्ती वाला कमल पुष्प स्वरूप बनाएं। गणेश पूजा में नारंगी एवं लाल रंग के वस्त्र वस्तुओं का विशेष महत्व है। लाल पुष्प अक्षत रोली कलावा या मौली दूध द

श्राद्ध रहस्य - श्राद्ध क्यों करे ? कब श्राद्ध नहीं करे ? पिंड रहित श्राद्ध ?

श्राद्ध रहस्य - क्यों करे , न करे ? पिंड रहित , महालय ? किसी भी कर्म का पूर्ण फल विधि सहित करने पर ही मिलता है | * श्राद्ध में गाय का ही दूध प्रयोग करे |( विष्णु पुराण ) | श्राद्ध भोजन में तिल अवश्य प्रयोग करे | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि - श्राद्ध अपरिहार्य - अश्वनी माह के कृष्ण पक्ष तक पितर अत्यंत अपेक्षा से कष्ट की   स्थिति में जल , तिल की अपनी संतान से , प्रतिदिन आशा रखते है | अन्यथा दुखी होकर श्राप देकर चले जाते हैं | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि इसको नहीं करने से पीढ़ी दर पीढ़ी संतान मंद बुद्धि , दिव्यांगता .मानसिक रोग होते है | हेमाद्रि ग्रन्थ - आषाढ़ माह पूर्णिमा से /कन्या के सूर्य के समय एक दिन भी श्राद्ध कोई करता है तो , पितर एक वर्ष तक संतुष्ट/तृप्त रहते हैं | ( भद्र कृष्ण दूज को भरणी नक्षत्र , तृतीया को कृत्तिका नक्षत्र   या षष्ठी को रोहणी नक्षत्र या व्यतिपात मंगलवार को हो ये पिता को प्रिय योग है इस दिन व्रत , सूर्य पूजा , गौ दान गौ -दान श्रेष्ठ | - श्राद्ध का गया तुल्य फल- पितृपक्ष में मघा सूर्य की अष्टमी य त्रयोदशी को मघा नक्षत्र पर चंद्र हो | - क

विवाह बाधा और परीक्षा में सफलता के लिए दुर्गा पूजा

विवाह में विलंब विवाह के लिए कात्यायनी पूजन । 10 oct - 18 oct विवाह में विलंब - षष्ठी - कात्यायनी पूजन । वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए - दुर्गतिहारणी मां कात्यायनी की शरण लीजिये | प्रतिपदा के दिन कलश स्थापना के समय , संकल्प में अपना नाम गोत्र स्थान बोलने के पश्चात् अपने विवाह की याचना , प्रार्थना कीजिये | वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए प्रति दिन प्रातः सूर्योदय से प्रथम घंटे में या दोपहर ११ . ४० से १२ . ४० बजे के मध्य , कात्ययानी देवी का मन्त्र जाप करिये | १०८बार | उत्तर दिशा में मुँह हो , लाल वस्त्र हो जाप के समय | दीपक मौली या कलावे की वर्तिका हो | वर्तिका उत्तर दिशा की और हो | गाय का शुद्ध घी श्रेष्ठ अथवा तिल ( बाधा नाशक + महुआ ( सौभाग्य ) तैल मिला कर प्रयोग करे मां भागवती की कृपा से पूर्वजन्म जनितआपके दुर्योग एवं   व्यवधान समाप्त हो एवं   आपकी मनोकामना पूरी हो ऐसी शुभ कामना सहित || षष्ठी के दिन विशेष रूप से कात्यायनी के मन्त्र का २८ आहुति / १०८ आहुति हवन करिये | चंद्रहासोज्

कलश पर नारियल रखने की शास्त्रोक्त विधि क्या है जानिए

हमे श्रद्धा विश्वास समर्पित प्रयास करने के बाद भी वांछित परिणाम नहीं मिलते हैं , क्योकि हिन्दू धर्म श्रेष्ठ कोटी का विज्ञान सम्मत है ।इसकी प्रक्रिया , विधि या तकनीक का पालन अनुसरण परमावश्यक है । नारियल का अधिकाधिक प्रयोग पुजा अर्चना मे होता है।नारियल रखने की विधि सुविधा की दृष्टि से प्रचलित होगई॥ मेरे ज्ञान  मे कलश मे उल्टा सीधा नारियल फसाकर रखने की विधि का प्रमाण अब तक नहीं आया | यदि कोई सुविज्ञ जानकारी रखते हो तो स्वागत है । नारियल को मोटा भाग पूजा करने वाले की ओर होना चाहिए। कलश पर नारियल रखने की प्रमाणिक विधि क्या है ? अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए , उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै प्राची मुखं वित्त्नाश्नाय , तस्माच्छुभम सम्मुख नारिकेलम अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए कलश पर - नारियल का बड़ा हिस्सा नीचे मुख कर रखा जाए ( पतला हिस्सा पूछ वाला कलश के उपरी भाग पर रखा जाए ) तो उसे शत्रुओं की वृद्धि होती है * ( कार्य सफलता में बाधाएं आती है संघर्ष , अपयश , चिंता , हानि , सहज हैशत्रु या विरोधी तन , मन धन सर्व दृष्टि से घातक होते है ) उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै कलश पर -