माघ माह (12 फरवरी तक):
माघ माह विशेष रूप से पुण्यदायक और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होता है। इस समय किए गए धार्मिक कार्यों और साधनाओं का विशेष फल मिलता है।
1. मूली खाना और दान में देना वर्जित
- माघ माह में मूली का सेवन और दान करना वर्जित है। यह माना जाता है कि इस समय मूली खाने से पाप और कष्ट बढ़ सकते हैं।
2. सूर्योदय के समय जल में शक्ति
- सूर्योदय के समय जल में स्नान करने से सभी पाप समाप्त होते हैं।
- यह समय विशेष रूप से पवित्र माना जाता है, क्योंकि इस दौरान सूर्य की किरणों के साथ जल का प्रभाव अधिक शक्तिशाली होता है।
3. नदी में स्नान और वंश उद्धार
- माघ माह में नदी में स्नान करने से वंश का उद्धार होता है।
- सूर्य की किरणों के साथ स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और पापों का नाश होता है।
4. पाप, दरिद्रता और दुःख नाश
- इस समय भगवान विष्णु का स्मरण करते हुए स्नान करना चाहिए।
- मौन रहकर स्नान करना और "है गोविंद, है माधव, है अच्यूत" का जाप करने से पाप, दरिद्रता और दुःख का नाश होता है।
5. तिल से उबटन, स्नान, हवन, तर्पण
- तिल से उबटन करना, स्नान करना, हवन करना, और तर्पण करना इस माह के विशेष पुण्यकारी कार्य हैं।
- तिल के सेवन और तर्पण से कष्ट, बाधाएं और पाप समाप्त होते हैं।
6. प्रतिदिन तिल, शक्कर और आंवला का दान
- माघ माह में प्रतिदिन तिल, शक्कर, और आंवला का दान करना चाहिए।
- तिल और शक्कर का अनुपात तीन भाग तिल और एक भाग शक्कर होना चाहिए।
7. दान की वस्तुएं
- अन्न (भोजन), कंबल, जूता, ओढ़ने का वस्त्र, मेथी, चोली, वस्त्र, जमीकंद, सुरन, कंद मूल, काला जीरा, अजवायन, और हल्दी दान करें।
- इन वस्तुओं का दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और पाप नष्ट होते हैं।
8. 12 फरवरी को विशेष भोजन दान
- 12 फरवरी को विशेष रूप से 6 प्रकार का भोजन दान करें, विशेष रूप से ब्राह्मण दंपत्ति को।
- कुर्ता, पजामा, रुमाल, टोपी और अपनी इच्छा के अनुसार अन्य वस्त्र दान करें।
- ब्राह्मण दंपत्ति को 7 प्रकार के अन्न, वस्त्र, शक्कर, तिल, या 30 तिल के लड्डू दान करें।
9. तिल युक्त जल का सेवन
- इस माह में तिल युक्त जल पीना श्रेष्ठ होता है।
- पिसे हुए तिल का सेवन विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है।
10. संतुलित भोजन
- माघ माह में एक समय भोजन करना श्रेष्ठ होता है।
- इस समय सब्जी, फल, और दूध का सेवन करें और सेंधा नमक का प्रयोग करें।
11. प्रयाग और काशी में स्नान
माघ माह में प्रयाग में स्नान करना अत्यधिक पुण्यकारी है।
अगर प्रयाग में स्नान न कर पाएं तो काशी में स्नान करना भी लाभकारी होता है।
प्रयाग में स्नान करने से स्मरण मात्र से भी पुण्य की प्राप्ति होती है।
पद्मपुराण के अनुसार, गंगा, यमुना और कालिंदी में स्नान करना विशेष रूप से लाभकारी है।
12. प्रयाग स्मरण और यज्ञ फल
- प्रयाग में स्नान करना, या कम से कम प्रयाग का स्मरण करना अत्यधिक पुण्य दायक है।
- यदि स्नान न कर पाएं तो काशी में यज्ञ करना भी फलदायी होता है।
13. रात्रि में खुले आकाश के नीचे जल रखना
- माघ माह में रात्रि में जल को खुले आकाश के नीचे रखना और फिर उसी जल से स्नान करना पुण्यकारी माना जाता है।
- इससे जल का प्रभाव नदी के जल जैसा हो जाता है, और अधिक पुण्य की प्राप्ति होती है।
14. सूर्य को अर्घ्य देना
- 14 जनवरी से 12 फरवरी तक सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए, ताकि पुण्य का समर्पण हो सके।
- यह कार्य विशेष रूप से लाभकारी होता है और पापों से मुक्ति दिलाने वाला माना जाता है।
निष्कर्ष:
माघ माह में किए गए धार्मिक कर्म, विशेष रूप से तिल का दान, स्नान, और विष्णु स्मरण, व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और पुण्य की प्राप्ति कराते हैं। इस माह में विशेष ध्यान से धार्मिक कार्यों में भाग लें और संतुलित आहार का सेवन करें।
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