श्राद्ध शब्द वैदिक नहीं परन्तु पितृ कर्म कल्याणकारी अवश्य है | (अनेकानेक ग्रथो में हजारो वर्ष से वर्णित ) (आज सोशल साईट पर अनर्गल टीका,टिप्पणी, व्यग्य ,उपहास घटना,कथा,चुटकुले बना कर परोसने का प्रमुख विषय - श्राद्ध कर्म विषय है | नास्तिक,धर्म-संस्कार हीन विचार के उत्प्रेरक ,सामाजिक (परम्परा,रीति-रिवाज ) कर्तव्य विहीन वर्ग ,विश्व के विश्व का प्राचीनतम एवं एक मात्र एसे धर्म जो (विज्ञानं सम्मत भी है ) ग्रह ,नक्षत्रो पर आधारित है (जिनके प्रभाव से चर अचर समस्त जगत प्रभावित है “सनातन धर्म “ ) पर व्यग्य लिख कर अपने अल्प ज्ञान का प्रदर्शन करने में लगा है | उनको ज्ञात नहीं है कि उच्च कोटि के विज्ञानं सम्मत धर्म में ‘श्राद्ध कर्म “ मृत्यु उपरांत आत्मा की स्थति का ज्ञान प्रदान करता है | विज्ञानं भी आत्मा जैसा कुछ है जो निष्प्राण होने पर निकल जाता है ,मानता है | -श्राद्ध कर्म –पितरों के लिए उनकी तृप्ति,संतुष्टि के लिए वर्णित है परन्तु इसके मूल में महत्वपूर्ण है इस कर्म के द्वारा ,श्राद्ध कर्ता अपनी अनेक -अनेक आपत्ति,विपत्ति,संकट से मुक्ति प्राप्त करता है |
ज्योतिषी,वास्तु रत्न, हस्तरेखा ,अनुष्ठान,धर्म,व्रत,पर्व, |