राहू की कारगुजारी खंडग्रास सूर्यग्रहण 21 जून 2020का रहस्य (युद्धोन्माद बीजारोपण,सत्ता जाएगी , जनुपयोगी नीतियाँ बनेगी,)
ज्योतिष शिरोमणि - पण्डित वी के तिवारी
(9424446706,
jyotish9999@gmail.com)
ज्योतिष उपाधि : वाचस्पति, भूषण, महर्षि, शिरोमणि, मनीषी,
रत्नाकर, मार्तण्ड, महर्षि वेदव्यास1(1990 तक),
विशेषज्ञता :(1976 से) वास्तु, जन्म कुण्डली, मुहूर्त,
रत्न परामर्श, हस्तरेखा, पंचांग संपादक |
ग्रह नक्षत्र राशि जो प्रभावित
होंगे-
आषाढ़ मास, कृष्ण पक्ष, रविवार। सूर्य दक्षिणायन ,,मिथुन राशि, ,मृगशिरा नक्षत्र एवं आद्रा नक्षत्र
पर चंद्र की स्थिति में जबकि शुक्र
अस्त है।
विभिन्न नगरों में सूर्य ग्रहण स्पर्श एवं मोक्ष अवधि- मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में
ग्रहण का स्पर्श 10:45 एवं मोक्ष 2:06 दिन में होगा ।
रायपुर में 11:24 से प्रारंभ होकर 14:52 56 सेकंड तक रहेगा।
हैदराबाद में 10:14 48 सेकंड से 13:44 तक
कानपुर में 10:24 51 सेकंड से 13:52:
बेंगलुरु में 10:13 से 13:52 तक ;
दिल्ली में 10:20 से 13:40 तक : चंडीगढ़ में 10:22 से 13:47 तक सूर्य ग्रहण प्रश्न मान होगा . देहरादून टिहरी आदि में वलय आकार का सूर्य ग्रहण
दिखाई देगा जहां जितना अधिक सूर्य ग्रहण दिखाई
देगा
वहां उतना अधिक प्रभाव होना
सैद्धांतिक है।
सूतक एवं वर्जित खानपान अवधि- इसका सूतक 9 घंट पूर्व अर्थात मध्यरात्रि से मोक्ष कार्य
samapti 2:06 तक लागू होगा |
सूतक से तात्पर्य है कि, इस ग्रहण की अवधि
में
तथा इसके 9 घंटे पूर्व से
भोजन जल आदि ग्रहण करना वर्जित है ।
परंतु यह नियम वृद्ध बच्चे एवं रोगियों पर लागू नहीं होता है। सूर्य ग्रहण का दृश्य मान क्षेत्र- यह ग्रहण अधिकांश भाग एशिया का, चीन, रूस, जापान ,
ऑस्ट्रेलिया, खाड़ी के देश, भारत ,ऑस्ट्रेलिया
हिंद महासागर क्षेत्र में दृश्य मान
होगा ।
सामान्य सिद्धांत है जिस स्थान पर या देश में यह
सूर्य ग्रहण दिखाई नहीं देगा वहां
पर इसके प्रभाव नहीं होंगे।
ग्रहण से प्रभावित ,- सूर्य ग्रहण का प्रभाव किस प्रकार का होगा । वैदिक पौराणिक एवं ज्योतिष ग्रंथों के सिद्धांत के आधार
पर विश्व में जिस जिस स्थान पर
खंडग्रास सूर्यग्रहण
दृश्य मान होगा या दिखाई देगा उन
स्थानों पर
प्राकृतिक सामाजिक राजनीतिक किस
प्रकार के प्रभाव
उत्पन्न होंगे या परिवर्तन होंगे उनका विवरण
प्रस्तुत है-
1-जिन देश विदेशों में यह ग्रहण दिखाई देगा उनमें सर्वाधिक
अशुभ प्रभाव रूस जापान काँगो में होगा।
इसके उपरांत चीन पर प्रभाव पड़ेगा ।चीन मे अर्थ संकट एवं प्रबल प्रकृतिक प्रकोप,विश्व समुदाय से विरोध |
भारत एशिया खाड़ी देश और
ऑस्ट्रेलिया में इसके प्रभाव होंगे
परंतु आनुपातिक रूप से कम होंगे ।भारत के लिए अगस्त पश्चात
अशुभ |दिसंबर से मार्च 2021 तक भारत के
लिए अशुभ |
2-जल क्षेत्र में बंगाल की खाड़ी ,गंगा यमुना का मध्य क्षेत्र,आसाम,चीन
,सरयू नदी एवं सोन नदी का तटवर्ती क्षेत्र तथा वहां के निवासी ।
हिंद महासागर क्षेत्र पर इसके कुप्रभाव दृष्टिगत होंगे। 3-प्राकृतिक कुप्रभाव - जैसे वर्षा का असमान वितरण, कहीं पर वर्षा हीनता एवं
कहीं पर बाढ़ से विनाश ।बांधों का
टूटना ,भूकंप आना आदि संभव है।
4- राजनीतिक दृष्टि से - राज्यपाल मंत्री ,मुख्यमंत्री ,विभाग प्रमुख के लिए संकट एवं परिवर्तन का समय रहेगा । 5-जिन उद्योगों पर कुप्रभाव होगा ,वह पुष्प, फल, सुगंधित पदार्थ 6-व्यवसायिक आय के कार्य क्षेत्र में जिनके साथ प्रतिकूल
स्थितियां बनेंगी -कपड़ा ,रत्न ,संगीत, कला, शिल्प ,
तांत्रिक मंत्र एक छोटे व्यापारी
एवं विक्रेता वर्ग.
7- अन्य मैं देखें तो- हिंसक प्रकार के पशु पक्षी उनके लिए संकट का समय रहेगा - मोटा अनाज उसका उत्पादन प्रभावित होगा -8- रोजगार की दृष्टि से- लेखा संबंधित कार्य करने वाले, सेना, रक्षा, सुरक्षा, क्लर्क ,
पुलिस ,बैंक आदि से
जुड़े वर्ग के लिए ।
-अनैतिक कार्य से जुड़ा वर्ग एवं स्त्री वर्ग के लिए यह
ग्रहण विशेष रूप से अशुभ सिद्ध होगा
।
जैसे कुकर्मी ,भ्रष्टाचारी, हिंसक प्रकृति ,छल कपट ,
चरित्रहीन ,क्रूर स्वभाव
वाले व्यक्तियों के लिए ,
आतंकवादी, यवन वर्ग के लिए
यह ग्रहण विशेष
रूप से अनिष्ट पद सिद्ध होगा।
-भारत के प्रदेशों में - भारत के मध्य क्षेत्र के प्रदेश में राजनीतिक परिवर्तन ,
माननीय प्रसिद्ध
वर्ग के लिए कष्ट।
- मध्य प्रदेश (विशेष)साशन,राजनीतिक;गुजरात, राजस्थान, कच्छ,
मे परिवर्तन
व्यापारिक नीतियां , छोटे व्यापारियों को कष्ट हो सकता है ।
बंगाल ,उड़ीसा, बिहार, पंजाब ,दिल्ली, राजस्थान क्षेत्र
में सुभीक्ष रहेगा परंतु राजनीतिक
संघर्ष स्पष्ट रूप
से चरम पर जा सकता है रोगों की
वृद्धि होगी।
असम मे जल प्लावन बाढ़ से हानी 15 दिन | अभी संभव\गरा एवम ,कलकत्ता (विशेष), अधिक कुप्रभावित। 8* राशियों पर शुभ अशुभ प्रभाव मिथुन राशि पर सर्वाधिक अशुभ प्रभाव होगा उसमें भी
जिनका जन्म मृगशिरा नक्षत्र के चतुर्थ चरण
प्रभाव अवधि- इस ग्रहण का प्रभाव आगामी 8 माह तक ही रहेगा। विभिन्न राशियों पर सूर्य ग्रहण का प्रभाव
सर्वाधिक प्रभाव मिथुन राशि पर
प्रतिकूलता का रहेगा ।
इसमें भी मृगशिरा नक्षत्र का चतुर्थ
चरण एवं
के प्रथम चरण में जिसका जन्म होगा
उनके जीवन में
संकट परेशानियां अधिक रहेंगे । इसके अतिरिक्त कर्क, तुला ,वृश्चिक ,कुंभ, मीन राशि भी प्रभावित रहेंगी । जबकि सिंह ,कन्या ,मकर, मेष इन राशियों के लिए
सामान्यतः कोई प्रतिकूल प्रभाव ना
होकर सुप्रभात रहेंगे।
नाम के प्रथम अक्षर से -कुप्रभाव व्यक्ति वस्तु कंपनी देश विदेश नगर भी प्रभावित होते हैं ।
चाहे जन्म राशि कोई भी हो इसलिए
अशुभ
प्रभाव में -"की और को" अशुभ अक्षर ।
वे,vo,, का ,की कू घ,छ,चा अक्षर से प्रारंभ नाम
वालों पर प्रतिकूल प्रभाव होगा ।
रा,ता दे दो चा,ची ना या को गू, गे,गो और सा,शा
अक्षर से प्रारंभ नाम के चराचर भी सूर्य ग्रहण
से
प्रतिकूल प्रभाव के अंतर्गत होंगे।
जन्म राशि वार्ड नाम के प्रथम अक्षर यूपी दोनों ही
प्रतिकूल स्थिति में उक्त विवरण से आ रहे हो
तो विशिष्ट
अनिष्ट की संभावना बन सकती है।
नाम के प्रथम अक्षर से घर से बाहर ही जीवन या
दैनिक व्यवहार का ज्ञान होता है
वाद-विवाद मतभेद
की स्थिति का ज्ञान होगा जबकि अस्थाई रूप से
शुभ अशुभ के प्रभाव जन्म राशि से
ज्ञात होते हैं।
सूर्य ग्रहण की अवधि में मंत्र जाप हवन सिद्ध पद होता है
इसके साथ ही इस अवधि में अपने पहने हुए पुराने
वस्त्र या फटे हुए वस्त्र daan करना चाहिए | किसी वृद्ध या वृद्धाश्रम मे |
|
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कौनसी वस्तु,रंग,दिन रत्न,अशुभ है
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