सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

सूर्यग्रहण का रहस्य- आपकी राशि ओर देश विदेश -21 जून 2020-जनवरी 2021 तक प्रभाव



राहू की कारगुजारी खंडग्रास सूर्यग्रहण 21 जून 2020का रहस्य
(युद्धोन्माद बीजारोपण,सत्ता जाएगी , जनुपयोगी नीतियाँ बनेगी,)

ज्योतिष शिरोमणि - पण्डित वी के तिवारी
(9424446706, jyotish9999@gmail.com)
ज्योतिष उपाधि : वाचस्पति, भूषण, महर्षि, शिरोमणि, मनीषी,
 रत्नाकर, मार्तण्ड, महर्षि वेदव्यास1(1990 तक),
विशेषज्ञता :(1976 से) वास्तु, जन्म कुण्डली, मुहूर्त,
रत्न परामर्श, हस्तरेखा, पंचांग संपादक |  

ग्रह नक्षत्र राशि जो प्रभावित होंगे-
आषाढ़ मास, कृष्ण पक्ष, रविवार।
सूर्य दक्षिणायन ,,मिथुन राशि, ,मृगशिरा नक्षत्र एवं आद्रा नक्षत्र
पर चंद्र की स्थिति में जबकि शुक्र अस्त है।
विभिन्न नगरों में सूर्य ग्रहण  स्पर्श एवं मोक्ष अवधि-
 
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में
ग्रहण का स्पर्श 10:45 एवं मोक्ष 2:06 दिन में होगा ।
रायपुर में 11:24 से प्रारंभ होकर 14:52 56 सेकंड तक रहेगा।
 हैदराबाद में 10:14 48 सेकंड से 13:44 तक
कानपुर में 10:24 51 सेकंड से 13:52:
 बेंगलुरु में 10:13 से 13:52 तक ;
दिल्ली में 10:20 से 13:40 तक :
चंडीगढ़ में 10:22 से 13:47 तक सूर्य ग्रहण प्रश्न मान होगा .
देहरादून टिहरी आदि में वलय आकार का सूर्य ग्रहण
 दिखाई देगा जहां जितना अधिक सूर्य ग्रहण दिखाई देगा
वहां उतना अधिक प्रभाव होना सैद्धांतिक है।
सूतक एवं वर्जित खानपान अवधि-
इसका सूतक 9 घंट पूर्व  अर्थात मध्यरात्रि से मोक्ष कार्य
samapti  2:06 तक लागू होगा |
सूतक से तात्पर्य है कि, इस ग्रहण की अवधि में
तथा इसके 9 घंटे पूर्व से भोजन जल आदि ग्रहण करना वर्जित है ।
परंतु यह नियम वृद्ध बच्चे एवं रोगियों पर लागू नहीं होता है।
सूर्य ग्रहण का दृश्य मान क्षेत्र-
यह ग्रहण  अधिकांश भाग एशिया का, चीन, रूस, जापान ,
ऑस्ट्रेलिया, खाड़ी के देश, भारत ,ऑस्ट्रेलिया
हिंद महासागर क्षेत्र में दृश्य मान होगा ।
सामान्य सिद्धांत है जिस स्थान पर या देश में यह
सूर्य ग्रहण दिखाई नहीं देगा वहां पर इसके प्रभाव नहीं होंगे।
ग्रहण से प्रभावित ,-
सूर्य ग्रहण का प्रभाव किस प्रकार का होगा ।
वैदिक पौराणिक एवं ज्योतिष ग्रंथों के सिद्धांत के आधार
पर विश्व में जिस जिस स्थान पर खंडग्रास सूर्यग्रहण
दृश्य मान होगा या दिखाई देगा उन स्थानों पर
प्राकृतिक सामाजिक राजनीतिक किस प्रकार के प्रभाव
 उत्पन्न होंगे या परिवर्तन होंगे उनका विवरण प्रस्तुत है-
1-
जिन देश विदेशों में यह ग्रहण दिखाई देगा उनमें सर्वाधिक
 अशुभ प्रभाव रूस जापान  काँगो में होगा।
इसके उपरांत चीन पर प्रभाव पड़ेगा ।चीन मे अर्थ संकट एवं 
प्रबल प्रकृतिक प्रकोप,विश्व समुदाय से विरोध |
भारत एशिया खाड़ी देश और ऑस्ट्रेलिया में इसके प्रभाव होंगे
 परंतु आनुपातिक रूप से कम होंगे ।भारत के लिए अगस्त पश्चात
अशुभ |दिसंबर से मार्च 2021 तक भारत के लिए अशुभ |
2-
जल क्षेत्र में बंगाल की खाड़ी ,गंगा यमुना का मध्य क्षेत्र,आसाम,चीन
,सरयू नदी एवं सोन नदी का तटवर्ती क्षेत्र तथा वहां के निवासी ।
हिंद महासागर क्षेत्र पर इसके कुप्रभाव दृष्टिगत होंगे।
3-
प्राकृतिक कुप्रभाव -
जैसे वर्षा का असमान वितरण, कहीं पर वर्षा हीनता एवं
कहीं पर बाढ़ से विनाश ।बांधों का टूटना ,भूकंप आना आदि संभव है।
4-
राजनीतिक दृष्टि से -
राज्यपाल मंत्री ,मुख्यमंत्री ,विभाग प्रमुख के लिए संकट एवं परिवर्तन का समय रहेगा ।
5-
जिन उद्योगों पर कुप्रभाव होगा ,वह पुष्प, फल, सुगंधित पदार्थ
6-
व्यवसायिक आय के कार्य क्षेत्र में जिनके साथ प्रतिकूल
स्थितियां बनेंगी -कपड़ा ,रत्न ,संगीत, कला, शिल्प ,
तांत्रिक मंत्र एक छोटे व्यापारी एवं विक्रेता वर्ग.
7-
अन्य मैं देखें तो-
हिंसक प्रकार के पशु पक्षी उनके लिए संकट का समय रहेगा
-
मोटा अनाज उसका उत्पादन प्रभावित होगा
-8-
रोजगार की दृष्टि से-
लेखा संबंधित कार्य करने वाले, सेना, रक्षा, सुरक्षा, क्लर्क ,
पुलिस ,बैंक आदि से जुड़े वर्ग के लिए ।
-
अनैतिक कार्य से जुड़ा वर्ग एवं स्त्री वर्ग के लिए यह
ग्रहण विशेष रूप से अशुभ सिद्ध होगा ।
जैसे कुकर्मी ,भ्रष्टाचारी, हिंसक प्रकृति ,छल कपट ,
चरित्रहीन ,क्रूर स्वभाव वाले व्यक्तियों के लिए ,
आतंकवादी, यवन वर्ग के लिए यह ग्रहण विशेष
 रूप से अनिष्ट पद सिद्ध होगा।
-
भारत के प्रदेशों में -
भारत के मध्य क्षेत्र के प्रदेश में राजनीतिक परिवर्तन ,
 माननीय प्रसिद्ध वर्ग के लिए कष्ट।
-
मध्य प्रदेश (विशेष)साशन,राजनीतिक;गुजरात, राजस्थान, कच्छ,
मे परिवर्तन व्यापारिक नीतियां , छोटे व्यापारियों को कष्ट हो सकता है ।
बंगाल ,उड़ीसा, बिहार, पंजाब ,दिल्ली, राजस्थान  क्षेत्र
में सुभीक्ष रहेगा परंतु राजनीतिक संघर्ष स्पष्ट रूप
से चरम पर जा सकता है रोगों की वृद्धि होगी।
असम मे जल प्लावन बाढ़ से हानी 15 दिन |
अभी संभव\गरा एवम ,कलकत्ता (विशेष), अधिक कुप्रभावित।
8*
राशियों पर शुभ अशुभ प्रभाव
मिथुन राशि पर सर्वाधिक अशुभ प्रभाव होगा उसमें भी
जिनका जन्म  मृगशिरा नक्षत्र के चतुर्थ चरण
प्रभाव अवधि-
इस ग्रहण का प्रभाव आगामी 8 माह तक ही रहेगा।
विभिन्न राशियों पर सूर्य ग्रहण का प्रभाव
सर्वाधिक प्रभाव मिथुन राशि पर प्रतिकूलता का रहेगा ।
इसमें भी मृगशिरा नक्षत्र का चतुर्थ चरण एवं
के प्रथम चरण में जिसका जन्म होगा उनके जीवन में 
संकट परेशानियां अधिक रहेंगे ।
इसके अतिरिक्त कर्क, तुला ,वृश्चिक ,कुंभ, मीन राशि भी  प्रभावित रहेंगी ।
जबकि सिंह ,कन्या ,मकर, मेष इन राशियों के लिए
सामान्यतः कोई प्रतिकूल प्रभाव ना होकर सुप्रभात रहेंगे।
नाम के प्रथम अक्षर से -कुप्रभाव
व्यक्ति वस्तु कंपनी देश विदेश नगर भी प्रभावित होते हैं ।
चाहे जन्म राशि कोई भी हो इसलिए अशुभ
 प्रभाव में -"की और को"  अशुभ अक्षर ।
वे,vo,, का ,की कू घ,,चा अक्षर से प्रारंभ नाम
वालों पर प्रतिकूल प्रभाव होगा ।
रा,ता दे दो चा,ची ना या  को गू, गे,गो  और सा,शा
 अक्षर से प्रारंभ नाम के चराचर भी सूर्य ग्रहण से
 प्रतिकूल प्रभाव के अंतर्गत होंगे।
जन्म राशि वार्ड नाम के प्रथम अक्षर यूपी दोनों ही
 प्रतिकूल स्थिति में उक्त विवरण से आ रहे हो तो विशिष्ट
 अनिष्ट की संभावना बन सकती है।
नाम के प्रथम अक्षर से घर से बाहर ही जीवन या
दैनिक व्यवहार का ज्ञान होता है वाद-विवाद मतभेद
 की स्थिति का ज्ञान होगा जबकि अस्थाई रूप से
शुभ अशुभ के प्रभाव जन्म राशि से ज्ञात होते हैं।
सूर्य ग्रहण की अवधि में मंत्र जाप हवन सिद्ध पद होता है
 इसके साथ ही इस अवधि में अपने पहने हुए पुराने
 वस्त्र या फटे हुए वस्त्र daan करना चाहिए | किसी वृद्ध या वृद्धाश्रम मे |

समस्या आपकी समाधान हमारे |
कौनसी वस्तु,रंग,दिन रत्न,अशुभ है
A.Know Yours-Lucky -Days Night,  Color, Period,
 आजीवन कौनसे माह सफलता विफलता के रहेंगे आदि |
B-दान -क्या ,किसको,किस दिनांक को करे
C-कौन2 से देवता , मंत्र ,आपके कुल के देवता,
, 4--Compability -Match Methood ।कुंडली मिलान की श्रेष्ठ विधि |
31 पॉइंट ओर 36 गुण के स्थान पर 108 गुण से कुंडली मिलवाए
first time in astrology world

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

श्राद्ध की गूढ़ बाते ,किसकी श्राद्ध कब करे

श्राद्ध क्यों कैसे करे? पितृ दोष ,राहू ,सर्प दोष शांति ?तर्पण? विधि             श्राद्ध नामा - पंडित विजेंद्र कुमार तिवारी श्राद्ध कब नहीं करें :   १. मृत्यु के प्रथम वर्ष श्राद्ध नहीं करे ।   २. पूर्वान्ह में शुक्ल्पक्ष में रात्री में और अपने जन्मदिन में श्राद्ध नहीं करना चाहिए ।   ३. कुर्म पुराण के अनुसार जो व्यक्ति अग्नि विष आदि के द्वारा आत्महत्या करता है उसके निमित्त श्राद्ध नहीं तर्पण का विधान नहीं है । ४. चतुदर्शी तिथि की श्राद्ध नहीं करना चाहिए , इस तिथि को मृत्यु प्राप्त पितरों का श्राद्ध दूसरे दिन अमावस्या को करने का विधान है । ५. जिनके पितृ युद्ध में शस्त्र से मारे गए हों उनका श्राद्ध चतुर्दशी को करने से वे प्रसन्न होते हैं और परिवारजनों पर आशीर्वाद बनाए रखते हैं ।           श्राद्ध कब , क्या और कैसे करे जानने योग्य बाते           किस तिथि की श्राद्ध नहीं -  १. जिस तिथी को जिसकी मृत्यु हुई है , उस तिथि को ही श्राद्ध किया जाना चाहिए । पिता जीवित हो तो, गया श्राद्ध न करें । २. मां की मृत्यु (सौभाग्यवती स्त्री) किसी भी तिथि को हुईं हो , श्राद्ध केवल

*****मनोकामना पूरक सरल मंत्रात्मक रामचरितमानस की चौपाईयाँ-

*****मनोकामना पूरक सरल मंत्रात्मक रामचरितमानस की चौपाईयाँ-       रामचरितमानस के एक एक शब्द को मंत्रमय आशुतोष भगवान् शिव ने बना दिया |इसलिए किसी भी प्रकार की समस्या के लिए सुन्दरकाण्ड या कार्य उद्देश्य के लिए लिखित चौपाई का सम्पुट लगा कर रामचरितमानस का पाठ करने से मनोकामना पूर्ण होती हैं | -सोमवार,बुधवार,गुरूवार,शुक्रवार शुक्ल पक्ष अथवा शुक्ल पक्ष दशमी से कृष्ण पक्ष पंचमी तक के काल में (चतुर्थी, चतुर्दशी तिथि छोड़कर )प्रारंभ करे -   वाराणसी में भगवान् शंकरजी ने मानस की चौपाइयों को मन्त्र-शक्ति प्रदान की है-इसलिये वाराणसी की ओर मुख करके शंकरजी को स्मरण कर  इनका सम्पुट लगा कर पढ़े या जप १०८ प्रतिदिन करते हैं तो ११वे दिन १०८आहुति दे | अष्टांग हवन सामग्री १॰ चन्दन का बुरादा , २॰ तिल , ३॰ शुद्ध घी , ४॰ चीनी , ५॰ अगर , ६॰ तगर , ७॰ कपूर , ८॰ शुद्ध केसर , ९॰ नागरमोथा , १०॰ पञ्चमेवा , ११॰ जौ और १२॰ चावल। १॰ विपत्ति-नाश - “ राजिव नयन धरें धनु सायक। भगत बिपति भंजन सुखदायक।। ” २॰ संकट-नाश - “ जौं प्रभु दीन दयालु कहावा। आरति हरन बेद जसु गावा।। जपहिं नामु जन आरत भारी। मिटहिं कुसंकट होहि

दुर्गा जी के अभिषेक पदार्थ विपत्तियों के विनाशक एक रहस्य | दुर्गा जी को अपनी समस्या समाधान केलिए क्या अर्पण करना चाहिए?

दुर्गा जी   के अभिषेक पदार्थ विपत्तियों   के विनाशक एक रहस्य | दुर्गा जी को अपनी समस्या समाधान केलिए क्या अर्पण करना चाहिए ? अभिषेक किस पदार्थ से करने पर हम किस मनोकामना को पूर्ण कर सकते हैं एवं आपत्ति विपत्ति से सुरक्षा कवच निर्माण कर सकते हैं | दुर्गा जी को अर्पित सामग्री का विशेष महत्व होता है | दुर्गा जी का अभिषेक या दुर्गा की मूर्ति पर किस पदार्थ को अर्पण करने के क्या लाभ होते हैं | दुर्गा जी शक्ति की देवी हैं शीघ्र पूजा या पूजा सामग्री अर्पण करने के शुभ अशुभ फल प्रदान करती हैं | 1- दुर्गा जी को सुगंधित द्रव्य अर्थात ऐसे पदार्थ ऐसे पुष्प जिनमें सुगंध हो उनको अर्पित करने से पारिवारिक सुख शांति एवं मनोबल में वृद्धि होती है | 2- दूध से दुर्गा जी का अभिषेक करने पर कार्यों में सफलता एवं मन में प्रसन्नता बढ़ती है | 3- दही से दुर्गा जी की पूजा करने पर विघ्नों का नाश होता है | परेशानियों में कमी होती है | संभावित आपत्तियों का अवरोध होता है | संकट से व्यक्ति बाहर निकल पाता है | 4- घी के द्वारा अभिषेक करने पर सर्वसामान्य सुख एवं दांपत्य सुख में वृद्धि होती है | अवि

श्राद्ध:जानने योग्य महत्वपूर्ण बातें |

श्राद्ध क्या है ? “ श्रद्धया यत कृतं तात श्राद्धं | “ अर्थात श्रद्धा से किया जाने वाला कर्म श्राद्ध है | अपने माता पिता एवं पूर्वजो की प्रसन्नता के लिए एवं उनके ऋण से मुक्ति की विधि है | श्राद्ध क्यों करना चाहिए   ? पितृ ऋण से मुक्ति के लिए श्राद्ध किया जाना अति आवश्यक है | श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम ? यदि मानव योनी में समर्थ होते हुए भी हम अपने जन्मदाता के लिए कुछ नहीं करते हैं या जिन पूर्वज के हम अंश ( रक्त , जींस ) है , यदि उनका स्मरण या उनके निमित्त दान आदि नहीं करते हैं , तो उनकी आत्मा   को कष्ट होता है , वे रुष्ट होकर , अपने अंश्जो वंशजों को श्राप देते हैं | जो पीढ़ी दर पीढ़ी संतान में मंद बुद्धि से लेकर सभी प्रकार की प्रगति अवरुद्ध कर देते हैं | ज्योतिष में इस प्रकार के अनेक शाप योग हैं |   कब , क्यों श्राद्ध किया जाना आवश्यक होता है   ? यदि हम   96  अवसर पर   श्राद्ध   नहीं कर सकते हैं तो कम से कम मित्रों के लिए पिता माता की वार्षिक तिथि पर यह अश्वनी मास जिसे क्वांर का माह    भी कहा जाता है   | पितृ पक्ष में अपने मित्रगण के मरण तिथि

श्राद्ध रहस्य प्रश्न शंका समाधान ,श्राद्ध : जानने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य -कब,क्यों श्राद्ध करे?

संतान को विकलांगता, अल्पायु से बचाइए श्राद्ध - पितरों से वरदान लीजिये पंडित विजेंद्र कुमार तिवारी jyotish9999@gmail.com , 9424446706   श्राद्ध : जानने  योग्य   महत्वपूर्ण तथ्य -कब,क्यों श्राद्ध करे?  श्राद्ध से जुड़े हर सवाल का जवाब | पितृ दोष शांति? राहू, सर्प दोष शांति? श्रद्धा से श्राद्ध करिए  श्राद्ध कब करे? किसको भोजन हेतु बुलाएँ? पितृ दोष, राहू, सर्प दोष शांति? तर्पण? श्राद्ध क्या है? श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम क्या संभावित है? श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम क्या संभावित है? श्राद्ध की प्रक्रिया जटिल एवं सबके सामर्थ्य की नहीं है, कोई उपाय ? श्राद्ध कब से प्रारंभ होता है ? प्रथम श्राद्ध किसका होता है ? श्राद्ध, कृष्ण पक्ष में ही क्यों किया जाता है श्राद्ध किन२ शहरों में  किया जा सकता है ? क्या गया श्राद्ध सर्वोपरि है ? तिथि अमावस्या क्या है ?श्राद्द कार्य ,में इसका महत्व क्यों? कितने प्रकार के   श्राद्ध होते   हैं वर्ष में   कितने अवसर श्राद्ध के होते हैं? कब  श्राद्ध किया जाना अति आवश्यक होता है | पितृ श्राद्ध किस देव से स

गणेश विसृजन मुहूर्त आवश्यक मन्त्र एवं विधि

28 सितंबर गणेश विसर्जन मुहूर्त आवश्यक मन्त्र एवं विधि किसी भी कार्य को पूर्णता प्रदान करने के लिए जिस प्रकार उसका प्रारंभ किया जाता है समापन भी किया जाना उद्देश्य होता है। गणेश जी की स्थापना पार्थिव पार्थिव (मिटटीएवं जल   तत्व निर्मित)     स्वरूप में करने के पश्चात दिनांक 23 को उस पार्थिव स्वरूप का विसर्जन किया जाना ज्योतिष के आधार पर सुयोग है। किसी कार्य करने के पश्चात उसके परिणाम शुभ , सुखद , हर्षद एवं सफलता प्रदायक हो यह एक सामान्य उद्देश्य होता है।किसी भी प्रकार की बाधा व्यवधान या अनिश्ट ना हो। ज्योतिष के आधार पर लग्न को श्रेष्ठता प्रदान की गई है | होरा मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ माना गया है।     गणेश जी का संबंध बुधवार दिन अथवा बुद्धि से ज्ञान से जुड़ा हुआ है। विद्यार्थियों प्रतियोगियों एवं बुद्धि एवं ज्ञान में रूचि है , ऐसे लोगों के लिए बुध की होरा श्रेष्ठ होगी तथा उच्च पद , गरिमा , गुरुता , बड़प्पन , ज्ञान , निर्णय दक्षता में वृद्धि के लिए गुरु की हो रहा श्रेष्ठ होगी | इसके साथ ही जल में विसर्जन कार्य होता है अतः चंद्र की होरा सामान्य रूप से सभी मंगल कार्यों क

गणेश भगवान - पूजा मंत्र, आरती एवं विधि

सिद्धिविनायक विघ्नेश्वर गणेश भगवान की आरती। आरती  जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।  माता जा की पार्वती ,पिता महादेवा । एकदंत दयावंत चार भुजा धारी।   मस्तक सिंदूर सोहे मूसे की सवारी | जय गणेश जय गणेश देवा।  अंधन को आँख  देत, कोढ़िन को काया । बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया । जय गणेश जय गणेश देवा।   हार चढ़े फूल चढ़े ओर चढ़े मेवा । लड्डूअन का  भोग लगे संत करें सेवा।   जय गणेश जय गणेश देवा।   दीनन की लाज रखो ,शम्भू पत्र वारो।   मनोरथ को पूरा करो।  जाए बलिहारी।   जय गणेश जय गणेश देवा। आहुति मंत्र -  ॐ अंगारकाय नमः श्री 108 आहूतियां देना विशेष शुभ होता है इसमें शुद्ध घी ही दुर्वा एवं काले तिल का विशेष महत्व है। अग्नि पुराण के अनुसार गायत्री-      मंत्र ओम महोत काय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो दंती प्रचोदयात्। गणेश पूजन की सामग्री एक चौकिया पाटे  का प्रयोग करें । लाल वस्त्र या नारंगी वस्त्र उसपर बिछाएं। चावलों से 8पत्ती वाला कमल पुष्प स्वरूप बनाएं। गणेश पूजा में नारंगी एवं लाल रंग के वस्त्र वस्तुओं का विशेष महत्व है। लाल पुष्प अक्षत रोली कलावा या मौली दूध द

श्राद्ध रहस्य - श्राद्ध क्यों करे ? कब श्राद्ध नहीं करे ? पिंड रहित श्राद्ध ?

श्राद्ध रहस्य - क्यों करे , न करे ? पिंड रहित , महालय ? किसी भी कर्म का पूर्ण फल विधि सहित करने पर ही मिलता है | * श्राद्ध में गाय का ही दूध प्रयोग करे |( विष्णु पुराण ) | श्राद्ध भोजन में तिल अवश्य प्रयोग करे | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि - श्राद्ध अपरिहार्य - अश्वनी माह के कृष्ण पक्ष तक पितर अत्यंत अपेक्षा से कष्ट की   स्थिति में जल , तिल की अपनी संतान से , प्रतिदिन आशा रखते है | अन्यथा दुखी होकर श्राप देकर चले जाते हैं | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि इसको नहीं करने से पीढ़ी दर पीढ़ी संतान मंद बुद्धि , दिव्यांगता .मानसिक रोग होते है | हेमाद्रि ग्रन्थ - आषाढ़ माह पूर्णिमा से /कन्या के सूर्य के समय एक दिन भी श्राद्ध कोई करता है तो , पितर एक वर्ष तक संतुष्ट/तृप्त रहते हैं | ( भद्र कृष्ण दूज को भरणी नक्षत्र , तृतीया को कृत्तिका नक्षत्र   या षष्ठी को रोहणी नक्षत्र या व्यतिपात मंगलवार को हो ये पिता को प्रिय योग है इस दिन व्रत , सूर्य पूजा , गौ दान गौ -दान श्रेष्ठ | - श्राद्ध का गया तुल्य फल- पितृपक्ष में मघा सूर्य की अष्टमी य त्रयोदशी को मघा नक्षत्र पर चंद्र हो | - क

विवाह बाधा और परीक्षा में सफलता के लिए दुर्गा पूजा

विवाह में विलंब विवाह के लिए कात्यायनी पूजन । 10 oct - 18 oct विवाह में विलंब - षष्ठी - कात्यायनी पूजन । वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए - दुर्गतिहारणी मां कात्यायनी की शरण लीजिये | प्रतिपदा के दिन कलश स्थापना के समय , संकल्प में अपना नाम गोत्र स्थान बोलने के पश्चात् अपने विवाह की याचना , प्रार्थना कीजिये | वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए प्रति दिन प्रातः सूर्योदय से प्रथम घंटे में या दोपहर ११ . ४० से १२ . ४० बजे के मध्य , कात्ययानी देवी का मन्त्र जाप करिये | १०८बार | उत्तर दिशा में मुँह हो , लाल वस्त्र हो जाप के समय | दीपक मौली या कलावे की वर्तिका हो | वर्तिका उत्तर दिशा की और हो | गाय का शुद्ध घी श्रेष्ठ अथवा तिल ( बाधा नाशक + महुआ ( सौभाग्य ) तैल मिला कर प्रयोग करे मां भागवती की कृपा से पूर्वजन्म जनितआपके दुर्योग एवं   व्यवधान समाप्त हो एवं   आपकी मनोकामना पूरी हो ऐसी शुभ कामना सहित || षष्ठी के दिन विशेष रूप से कात्यायनी के मन्त्र का २८ आहुति / १०८ आहुति हवन करिये | चंद्रहासोज्

कलश पर नारियल रखने की शास्त्रोक्त विधि क्या है जानिए

हमे श्रद्धा विश्वास समर्पित प्रयास करने के बाद भी वांछित परिणाम नहीं मिलते हैं , क्योकि हिन्दू धर्म श्रेष्ठ कोटी का विज्ञान सम्मत है ।इसकी प्रक्रिया , विधि या तकनीक का पालन अनुसरण परमावश्यक है । नारियल का अधिकाधिक प्रयोग पुजा अर्चना मे होता है।नारियल रखने की विधि सुविधा की दृष्टि से प्रचलित होगई॥ मेरे ज्ञान  मे कलश मे उल्टा सीधा नारियल फसाकर रखने की विधि का प्रमाण अब तक नहीं आया | यदि कोई सुविज्ञ जानकारी रखते हो तो स्वागत है । नारियल को मोटा भाग पूजा करने वाले की ओर होना चाहिए। कलश पर नारियल रखने की प्रमाणिक विधि क्या है ? अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए , उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै प्राची मुखं वित्त्नाश्नाय , तस्माच्छुभम सम्मुख नारिकेलम अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए कलश पर - नारियल का बड़ा हिस्सा नीचे मुख कर रखा जाए ( पतला हिस्सा पूछ वाला कलश के उपरी भाग पर रखा जाए ) तो उसे शत्रुओं की वृद्धि होती है * ( कार्य सफलता में बाधाएं आती है संघर्ष , अपयश , चिंता , हानि , सहज हैशत्रु या विरोधी तन , मन धन सर्व दृष्टि से घातक होते है ) उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै कलश पर -