अध्ययन :सफलता के रहस्यमयी सूत्र : अमूल्य परामर्श (Key Points :Best suitable and Avoidable date &time for study)
अध्ययन :सफलता के रहस्यमयी सूत्र : अमूल्य परामर्श
(Key Points :Best suitable and Avoidable date &time for study)( विद्याअध्ययन ,नोट्स,कोचिंग,ट्यूशन vaastu evam jyotish )
आज की व्यस्तता एवं पौराणिक तथ्यों निदेशानुदेश को भारत देश मे अनुपयोगी
हेय दक़ियानूसी,अनुपयोगी,संभव नहीं या अनुचित माना जाता है |जबकि पाश्चात्य देश मे इस पर शोतध हो रहा है | शासन या शिक्षाकेन्द्र अव्यावहारिक या उचित न भी माने पर आप या पालक वर्ग या व्यक्तिगत जीवन मे साक्षात्कार ,पठन,एवं महत्वपूर्ण रिज्यूम ,Boidata ,presentation के नोटस,लेक्चर notesआदि मे इसके प्रत्यक्ष सुय कुफ़ल देख सकते हैं |
|यदि दिनांक चयन हमारे हाथ मे हो तो कोचिंग,
घर मे ट्यूशन आदि किस दिनांक को किस समय पढ्ना उचित नहीं ,
उन दिनांक का परित्याग कर समय ,श्रम,व्यय बचा सकते हें |
अध्ययन के लिए 37 अवसर अध्ययन हेतु वर्जित है।
विभिन्न
ग्रंथो मे संक्रान्ति,ग्रहण,तिथि,योग,करण,तिथि,युगादि,मनवादी लग्न,कुसमय,असमय वर्षा, बिजली,मेघ गर्जन ,मृत्यु,आदि 37 अवसरो पर विद्या अध्ययन उचित नहीं माना गया है |
प्राचीनकाल मे ऋषियुग त्रेता,द्वापर मे ,जब उद्भट विद्वान ऋषियों के ही नियंत्रण मे ,हाथो मे गुरुकुल,आश्रम एवं राज्य नीति निर्धारण था ,तब ये गुरुकुल कालीन व्यवस्था संचालित होती होगी,अन्यथा शब्द "अनध्याय"का जन्म ही नहीं होता|
किस 2 अवसर या तिथि मे पढ्ना उपयोगी नहीं इस पर ज्ञान प्रकाश ही नहीं डाला जाता |
किस 2 अवसर या तिथि मे पढ्ना उपयोगी नहीं इस पर ज्ञान प्रकाश ही नहीं डाला जाता |
वर्तमान मे ज्योतिष के सिद्धांतो के अनुसार ही विकल्प ज्ञात करना आवश्यक हे |
सूक्ष्म तिथि, मुहूर्त सिद्धान्त के अनुसार 24 घंटे के एक दिन मे समस्त ऋतु,तिथि,आदि चलायमान हें |इस आधार पर सूर्योदय काल के 01:36 घंटा पर सूर्योदयकालीन तिथि का ही प्रभाव होता है |यदि अध्ययन के लिए दिनांक अशुभ है ,तो सूर्योदयकालीन 01 :36 घंटा छोड़ देना उचित होगा |
पठन उपकरण वास्तु -
टेबल,वस्त्र कैसे किस रंग के हों ?
आकार-टेबल गोल नहीं हो | आयताकार हो |
ऊंचाई Adustable या इतनी हो कि घुटने अड़े नहीं,पैर लटके नहीं ,किसी पर नीचे टिके रहे,सपोर्ट रहे |
चौड़ाई
लैपटाप हो तो 20-22 इंच
हो | desktop हो तो 25-27 इंच हो |
रंग-श्वेत,wooden, Greenish Pink .Study टाइम टेबल
का अधिक भाग खाली हो ।
लंबाई -33-36 इंच हो |
पुस्तक
स्थान –दाहिने हाथ पर रेक हो
या सामने टेबल के पास दीवाल पर खड़े रूप मे व्यवस्थित हों।
वस्त्र कुशन आदि -आरामदायक हो,स्वच्छ,फटे
,गंदे,गुंजले नहीं होना चाहिए | समान्यतः पीले,हरे ,हल्के गुलाबी,श्वेत रंग के होना चाहिए | {Golden,yellow,Cream,Lemon,off
whit e ,white ,Green family colors) |
कुर्सीChair – Avoid moovable, Height
Adjustable, Light weight, Best Without
back, or straight back ,without hand,
पेय
पदार्थ स्थान टेबल के लेफ्ट मे हो
।(पानी या चाय काफी पाट) | टेबल
कि ऊंचाई से 7-9 इंच नीचे हो |
*वातवरण
कैसा हो (ध्वनि
रहित,सुगंध,चित्र,आरामप्रद ,प्रकाश ) ?
- स्वच्छ
शांत,नीरव,एकांत एवं स्थिरतापूर्ण होना
चाहिए |
दुर्गंध
न हो |
-चन्दन
की सुगंध उत्तम ,यह बुद्धि को सक्रिय करती है |
-चित्र झील,नदी,प्राकृतिक पेड़ पौधे
पुष्प के हो |
- विवाद ,क्लेश , सेना, युद्ध क्षेत्र ,भोजन के बाद गिले हाथ ,अजीर्ण ,उल्टी ,सूतक या शरीर से
खून निकलते समय अध्ययन नहीं करना चाहिए।
-बैठने की स्थिति-मेरुदंड सीधा रहे उत्तम |अधिक झुक कर नहीं पढे
-बैठने की स्थिति-मेरुदंड सीधा रहे उत्तम |अधिक झुक कर नहीं पढे
जो
सुखद हो | जिस स्थिति मे देर तक बिना हिले डुले बैठ सकते हो |
*पढ़ने
की दिशा कौनसी हो ? किस दिशा की ओर मुह हो ?
दिन मे पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुह होना
चाहिए | रात्री
मे पश्चिम या उत्तर की ओर मुह कर बैठे |
पुनश्च
– ज्योतिष एवं पौराणिक निदेश,अनुदेश या कथन का प्रयोग ,अनुपालन
जो बुद्दिमान भाग्यशाली या या चाँदी की चम्मच मुह मे लेकर पैदा हुए उनके लिए बड़ी
सफलता कारी सिद्ध होगा |
सामान्य
या मध्यम भाग्य एवं बुद्धि वाले बच्चों के
लिए ,जिन्हें
सीमित साधनो मे ,( प्रारब्ध भोगना विवशता है)प्रगति करना
है ,उनके लिए
स्वर्णिम,अवश्यकता एवं उपादेयहै |
शीघ्र विद्या ,भाग्य,सफलता एवम स्मरण -नए वस्त्र
वस्त्र एवं पठन सामग्री पुस्तक आदि के लिए
श्रेष्ठ दिन शुक्रवार एवं बुधवार रहेगा।
वर्जित
तिथि - आंमावस्या तिथि का प्रभाव
रात्री ,अन्य
तिथि विशेष रूप से उनके समय या प्रातः सूर्योदत से 4 घंटे तक विशेष रूपसे आवश्यक |
1- प्रतिपदा(पढ़ी हुई विद्या विस्मृत हो जाती या उपयोग मे नहीं आती ) ,अष्टमी ;चतुर्दशीअमावस्या और पूर्णिमा:(शिक्षक एवं विद्यार्थी दोनों के लिए कष्ट:, अशुभ फल उत्पन्न होते हैं ) यह अध्ययन ,अध्यापन लिए उचित नहीं है ।इनके पहले जो रात्रि हो उसमें अध्ययन नहीं करना चाहिए ।
अश्वनी शुक्ला नवमी ,कार्तिक शुक्ल द्वादशी, मे भरणी नक्षत्र।श्रावण द्वादशी, यम द्वीतिया, रथ सप्तमी में अध्ययन 24 घंटे वर्जित है ।
2-बृहस्पति जी द्वारा प्रयोग पारिजात ग्रंथ - मेष, तुला संक्रांति ,देव शयन ,देव जागरण, मनुवादी और युगाआदि तथा अयन( उत्तर एवं दक्षिण अयन) प्रारंभ हो.
3-नारद निर्णय अमृत ग्रंथ -चतुर्मास की द्वितिया मे, मनवादी युगादि
3-गर्ग -कार्तिक ,असाढ़, फागुन की द्वितीया तिथि अमावस्या और चतुर्मास की द्वितीया में अध्ययन नहीं करना चाहिए ।
4-स्मृत्यर्थसर-आषाढ़ ,कार्तिक, फागुन की द्वितिया।
5- भाई की मृत्यु पर 3 दिन' किसी गोत्र वाले की मृत्यु होने पर संध्याकाल', मेघ गर्जन ,आकाश उत्पात, भूकंप ,तारा टूटना ,पशु -नेवला ,कुत्ता ,सर्प,बिल्ली , चूहा इन के मध्य से जाने पर 24 घंटे अध्ययन करना वर्जित है।
5-सूर्य ग्रहण, चंद्र ग्रहण में 3 दिन तक अध्ययन वर्जित है. रात्रि में ग्रहण हो तो 3: रात्रि ;दिन में ग्रहण हो तो 3 दिन अध्ययन ना करें ।
6-गधा, ऊंट, हाथी, घोड़ा, नाव या वायुयान,वृक्ष पर चढ़ने में या मरुस्थल में चलने या उसर भूमि भृमण के 3 घंटे तक अध्ययन वर्जित।
7- वर्षा के बिना गर्जन की ध्वनि, वर्षा और बिजली का एक साथ होना तात्कालिक अध्ययन वर्जना है। ( नारायण )।
8- ऐतरेय उपनिषद-बिना ऋतु की वर्षा होने पर, (मृगशिरा नक्षत्र से ज्येष्ठा नक्षत्र तक वर्षा ऋतु मानी गई है) जब सूर्य पर हो इसके अतिरिक्त कभी भी वर्षा हो तो कम से कम तात्कालिक अध्ययन नहीं करना चाहिए ।
9-प्रातः के समय बादल गरजने में 3 या 12 घंटे प्रातः और संध्या में गरजने की आवाज से 4 या 24 घंटे रात्रि में ;बिजली के शब्द से तात्कालिक अध्ययन बंद करना चाहिए ऐसा गौतम जी द्वारा कहा गया।
10- यदि संध्या पूर्व बिजली चमके तो उस रात में 3 घंटे तक अध्ययन नहीं करें। दिन में बिजली चमकने से समग्र 4 घंटे या 24 मिनट तक अध्ययन वर्जित है ।
11- विवाद ,क्लेश , सेना, युद्ध क्षेत्र ,भोजन के बाद गीले हाथ ,अजीर्ण ,उल्टी ,सूतक या शरीर से खून निकलते समय अध्ययन नहीं करना चाहिए।
12 -पैर के ऊपर पैर रखकर या पैरों को फैला कर बैठने पर भी अध्ययन उचित नहीं है
14-खरगोश ,मेष , हाथी, गैंडा, सारस, शेर,गधा, सुअर, सर्प,नेवला,दिखने पर।
15- विवाह ,उद्यापन ,प्रतिष्ठा, समाप्त होने तक सगोत्रों की अन अध्याय होती है .
16-ग्रह उदय और अस्त में तीन मुहूर्त 72 मिनट।17-सष्ठी, द्वादशी मध्य रात्रि के पूर्व की 24 मिनट अवधि।
18-तृतीया के 3:45 घंटे तक अध्ययन वर्जित है।
ग्रंथों के आधार पर प्रतिपदा तिथि में पढ़ा हुआ विवरण स्मरण में नहीं रहता है अथवा पढ़ा हुआ चैप्टर समझ में नहीं आता है |इसलिए प्रतिपदा को चतुर्दशी एवं पूर्णिमा तिथियों को पठन-पाठन उतना उचित नहीं माना गया है परंतु चतुर्दशी एवं पूर्णिमा को गुरु को एवं शिष्य दोनों के लिए ही हानि कारक बताया गया है |
1- प्रतिपदा(पढ़ी हुई विद्या विस्मृत हो जाती या उपयोग मे नहीं आती ) ,अष्टमी ;चतुर्दशीअमावस्या और पूर्णिमा:(शिक्षक एवं विद्यार्थी दोनों के लिए कष्ट:, अशुभ फल उत्पन्न होते हैं ) यह अध्ययन ,अध्यापन लिए उचित नहीं है ।इनके पहले जो रात्रि हो उसमें अध्ययन नहीं करना चाहिए ।
अश्वनी शुक्ला नवमी ,कार्तिक शुक्ल द्वादशी, मे भरणी नक्षत्र।श्रावण द्वादशी, यम द्वीतिया, रथ सप्तमी में अध्ययन 24 घंटे वर्जित है ।
2-बृहस्पति जी द्वारा प्रयोग पारिजात ग्रंथ - मेष, तुला संक्रांति ,देव शयन ,देव जागरण, मनुवादी और युगाआदि तथा अयन( उत्तर एवं दक्षिण अयन) प्रारंभ हो.
3-नारद निर्णय अमृत ग्रंथ -चतुर्मास की द्वितिया मे, मनवादी युगादि
3-गर्ग -कार्तिक ,असाढ़, फागुन की द्वितीया तिथि अमावस्या और चतुर्मास की द्वितीया में अध्ययन नहीं करना चाहिए ।
4-स्मृत्यर्थसर-आषाढ़ ,कार्तिक, फागुन की द्वितिया।
5- भाई की मृत्यु पर 3 दिन' किसी गोत्र वाले की मृत्यु होने पर संध्याकाल', मेघ गर्जन ,आकाश उत्पात, भूकंप ,तारा टूटना ,पशु -नेवला ,कुत्ता ,सर्प,बिल्ली , चूहा इन के मध्य से जाने पर 24 घंटे अध्ययन करना वर्जित है।
5-सूर्य ग्रहण, चंद्र ग्रहण में 3 दिन तक अध्ययन वर्जित है. रात्रि में ग्रहण हो तो 3: रात्रि ;दिन में ग्रहण हो तो 3 दिन अध्ययन ना करें ।
6-गधा, ऊंट, हाथी, घोड़ा, नाव या वायुयान,वृक्ष पर चढ़ने में या मरुस्थल में चलने या उसर भूमि भृमण के 3 घंटे तक अध्ययन वर्जित।
7- वर्षा के बिना गर्जन की ध्वनि, वर्षा और बिजली का एक साथ होना तात्कालिक अध्ययन वर्जना है। ( नारायण )।
8- ऐतरेय उपनिषद-बिना ऋतु की वर्षा होने पर, (मृगशिरा नक्षत्र से ज्येष्ठा नक्षत्र तक वर्षा ऋतु मानी गई है) जब सूर्य पर हो इसके अतिरिक्त कभी भी वर्षा हो तो कम से कम तात्कालिक अध्ययन नहीं करना चाहिए ।
9-प्रातः के समय बादल गरजने में 3 या 12 घंटे प्रातः और संध्या में गरजने की आवाज से 4 या 24 घंटे रात्रि में ;बिजली के शब्द से तात्कालिक अध्ययन बंद करना चाहिए ऐसा गौतम जी द्वारा कहा गया।
10- यदि संध्या पूर्व बिजली चमके तो उस रात में 3 घंटे तक अध्ययन नहीं करें। दिन में बिजली चमकने से समग्र 4 घंटे या 24 मिनट तक अध्ययन वर्जित है ।
11- विवाद ,क्लेश , सेना, युद्ध क्षेत्र ,भोजन के बाद गीले हाथ ,अजीर्ण ,उल्टी ,सूतक या शरीर से खून निकलते समय अध्ययन नहीं करना चाहिए।
12 -पैर के ऊपर पैर रखकर या पैरों को फैला कर बैठने पर भी अध्ययन उचित नहीं है
14-खरगोश ,मेष , हाथी, गैंडा, सारस, शेर,गधा, सुअर, सर्प,नेवला,दिखने पर।
15- विवाह ,उद्यापन ,प्रतिष्ठा, समाप्त होने तक सगोत्रों की अन अध्याय होती है .
16-ग्रह उदय और अस्त में तीन मुहूर्त 72 मिनट।17-सष्ठी, द्वादशी मध्य रात्रि के पूर्व की 24 मिनट अवधि।
18-तृतीया के 3:45 घंटे तक अध्ययन वर्जित है।
ग्रंथों के आधार पर प्रतिपदा तिथि में पढ़ा हुआ विवरण स्मरण में नहीं रहता है अथवा पढ़ा हुआ चैप्टर समझ में नहीं आता है |इसलिए प्रतिपदा को चतुर्दशी एवं पूर्णिमा तिथियों को पठन-पाठन उतना उचित नहीं माना गया है परंतु चतुर्दशी एवं पूर्णिमा को गुरु को एवं शिष्य दोनों के लिए ही हानि कारक बताया गया है |
इसलिए शिक्षक आदि को भी चाहिए कि चतुर्दशी एवं पूर्णिमा को अवकाश रखें |
अथवा
यदि सूर्योदय वाली यह तिथियां हो तो प्रातः 4 घंटे कम से कम घंटे ,विद्या अध्ययन ना करें एवं पढ़ने जाने वालों को भी परित्याग
करना उनके हित में होता है |
Note-(जन्म कुंडली या जन्मपत्रिका के आधार पर और भी सटीक जानकारी जो पढ़ने वाले बच्चों के लिए अधिक उपयोगी हो सकती है संपर्क करने पर दी जा सकती है।)
Note-(जन्म कुंडली या जन्मपत्रिका के आधार पर और भी सटीक जानकारी जो पढ़ने वाले बच्चों के लिए अधिक उपयोगी हो सकती है संपर्क करने पर दी जा सकती है।)
विशेष
रूप से अन्य नक्षत्र तिथियां भी शुभ अशुभ होती है इतने जटिल नियमों के बाद जनहित
में या प्रस्तुत कर रहे हैं कि
कौन
सी तिथि कौन सी दिनांक किस महीने प्रस्तुत
है कि, किस दिनांक को कोशिश करें की अध्ययन से बचाव करें एवं अन्य तिथियां
समस्त दिनांक समस्त शुभ होती है पढ़ने के लिए नोट्स बनाने के लिए प्रेजेंटेशन
बनाने के लिए अपना कुछ भी अति आवश्यक लेखन संबंधित कार्य अशुभ दिनांक को नहीं करना
ही उचित होगा । रिज्यूम आदि शुभ दिनांक एवं समय में बनाकर आपको न केवल साक्षात्कार
में सफलता ,आप को रोजगार भी प्रदान करवा सकता है।
ग्रंथों के आधार पर प्रतिपदा तिथि में पढ़ा हुआ विवरण स्मरण में नहीं रहता है
अथवा पढ़ा हुआ चैप्टर समझ में नहीं आता है |इसलिए
प्रतिपदा को चतुर्दशी
एवं
पूर्णिमा तिथियों को पठन-पाठन उतना उचित नहीं माना गया है परंतु
चतुर्दशी
एवं पूर्णिमा को गुरु को एवं शिष्य दोनों के लिए ही हानि कारक बताया गया है |
इसलिए शिक्षक आदि को भी चाहिए कि चतुर्दशी एवं पूर्णिमा को
अवकाश रखें | अथवा यदि सूर्योदय वाली यह तिथियां हो तो
प्रातः 4 घंटे कम से कम घंटे ,विद्या अध्ययन ना करें एवं पढ़ने जाने वालों को भी परित्याग
करना उनके हित में होता है |
Note-(जन्म कुंडली या जन्मपत्रिका के आधार पर और भी सटीक जानकारी जो पढ़ने वाले बच्चों के लिए अधिक उपयोगी हो सकती है संपर्क करने पर दी जा सकती है।)
Note-(जन्म कुंडली या जन्मपत्रिका के आधार पर और भी सटीक जानकारी जो पढ़ने वाले बच्चों के लिए अधिक उपयोगी हो सकती है संपर्क करने पर दी जा सकती है।)
विशेष
रूप से अन्य नक्षत्र तिथियां भी शुभ अशुभ होती है इतने जटिल नियमों के बाद जनहित
में या प्रस्तुत कर रहे हैं कि
कौन
सी तिथि कौन सी दिनांक किस महीने प्रस्तुत है कि, किस दिनांक को कोशिश करें की अध्ययन से बचाव
करें एवं अन्य तिथियां समस्त दिनांक समस्त शुभ होती है ,पढ़ने के लिए नोट्स
बनाने के लिए ,प्रेजेंटेशन बनाने के लिए ,
अपना
कुछ भी अति आवश्यक लेखन संबंधित कार्य अशुभ दिनांक को
नहीं
करना ही उचित होगा । रिज्यूम आदि शुभ दिनांक एवं समय में बनाकर आपको साक्षात्कार
में सफलता ,आप को रोजगार भी प्रदान करवा सकता है।
क्यों
आवश्यक ,क्या उपादेयता -
अध्ययन, पठन,कोचिंग, ट्यूशन, नोट्स बनाने के लिए कौनसी दिनांक (धर्म ज्योतिष पुराण आदि ग्रंथों
के अनुसार )शुभ ,जिनमे लिखा या पढ़ा हुआ अपेक्षित ,वांछित ,स्मृति में रहे एवं सफलता प्रद होगा या अनुचित ,अशुभ, अनपेक्षित परिणाम प्रदायक होसकती है।
परंतु अशुभ दिनांक या अशुभ समय में निर्मित रिज्यूम हर जगह
रिजेक्ट हो सकता है।
जैसे आप अपने रोजगार के लिए अपना विवरण बनाते हैं या कार्यालय के लिए प्रेजेंटेशन या कोई योजना पर कोई टिप्पणी बनाते हैं आदि जानकारी के लिए आवश्यक है कि कार्ययोजना योजना पठन-पाठन लेखन की बनाएं ।
यह जानकारी कोचिंग एवं टेशन देने वालों के लिए तोप योगी है ही इसके अतिरिक्त आपके बच्चों के लिए इसलिए अति आवश्यक है कि आप के हजारों रुपए जो आप बच्चे के स्वर्णिम भविष्य निर्माण के लिए खर्च कर रहे हैं
जो बच्चे के कोचिंग स्थल तक आने-जाने पर खर्च कर रहे हैं उनका सही उपयोग हो सकेगा।
जिससे कम समय में शीघ्र लाभ हो।
नित्य कर्म कृत में वर्जित नही।
20-03:45 घण्टे तक चतुर्थी, सप्तमी व त्रयोदशी सूर्यास्त के बाद तक हो।
* kin sthityon me अध्य्यन वर्जना का नियम लागू नही-*
-कूर्म पुराण -इतिहास ,पुराण और धर्मशास्त्र के लिए अध्ययन त्याग नहीं है. वेद, यज्ञ ,परायण, धर्म शास्त्र में नियम लागू नहीं होता है।
*शीघ्र विद्या एवम स्मरण,पढ़ा हुआ भूले नही*
नाम के आधार पर - *
जिनके नाम का प्रथम अक्षर निम्न में से कोई हो उनको-
जैसे आप अपने रोजगार के लिए अपना विवरण बनाते हैं या कार्यालय के लिए प्रेजेंटेशन या कोई योजना पर कोई टिप्पणी बनाते हैं आदि जानकारी के लिए आवश्यक है कि कार्ययोजना योजना पठन-पाठन लेखन की बनाएं ।
यह जानकारी कोचिंग एवं टेशन देने वालों के लिए तोप योगी है ही इसके अतिरिक्त आपके बच्चों के लिए इसलिए अति आवश्यक है कि आप के हजारों रुपए जो आप बच्चे के स्वर्णिम भविष्य निर्माण के लिए खर्च कर रहे हैं
जो बच्चे के कोचिंग स्थल तक आने-जाने पर खर्च कर रहे हैं उनका सही उपयोग हो सकेगा।
जिससे कम समय में शीघ्र लाभ हो।
नित्य कर्म कृत में वर्जित नही।
20-03:45 घण्टे तक चतुर्थी, सप्तमी व त्रयोदशी सूर्यास्त के बाद तक हो।
* kin sthityon me अध्य्यन वर्जना का नियम लागू नही-*
-कूर्म पुराण -इतिहास ,पुराण और धर्मशास्त्र के लिए अध्ययन त्याग नहीं है. वेद, यज्ञ ,परायण, धर्म शास्त्र में नियम लागू नहीं होता है।
*शीघ्र विद्या एवम स्मरण,पढ़ा हुआ भूले नही*
नाम के आधार पर - *
जिनके नाम का प्रथम अक्षर निम्न में से कोई हो उनको-
अ दु थ,झ, दो दे दो चा ची
चू चे चो ला ली लू ले लो ह,ही हु ह्नों
मां ट ना या तो ध फ़ भ भी भू
भे ही उनको-
रविवार,*सोमवार*,मंगलवार *गुरुवार* को अधिक अध्य्यन करने चाहिए।
शीघ्र
विद्या ,भाग्य,सफलता एवम स्मरण नए वस्त्र
वस्त्र एवं पठन सामग्री पुस्तक आदि के लिए
श्रेष्ठ दिन गुरुवार|
पीले, लाल रंग के वस्त्र वस्तु पेन पेंसिल पाठ्य
सामग्री प्रयोग करना चाहिए।।
4AM
से 10:00 PM तक अनुकुल समय पठन के लिए |
Avoid study 48 minutes before and after
sunset |
2,- जिनके नाम का प्रथम अक्षर- इ ,ओ ,ए, ओ ,वा ,ब ,u ,का, छा,घ, पा, ठा ,शा ,स, खा ,ग,द अक्षर पर हो ,
उनके लिए विशेष शुभ दिन बुधवार शुक्रवार शनिवार
एवं दिन की अपेक्षा रात्रि काल विशेष महत्वपूर्ण होता है ।
इसके साथ
ही हरा सफेद रंग ,वस्त्र वस्तु
पेन पेंसिल चेयर के कुशन आदि होना
चाहिए।
* पढ़ना पढ़ाना कॉन्फ्रेंसिंग शुरू करने की सर्वाधिक शुभ अवधि*
या समय क्या होगा?
यह दिन बार प्रस्तुत है( क्योंकि मुहूर्त का अर्थ है समस्त प्रारब्ध के
पाप या कष्ट के,विफलता के , कुप्रभाव रोके जा सकते हैं
यदि किसी शुभ काल में
कार्य प्रारंभ करे।
इसलिए स्टडी टाइम ,नोट्स प्रिपेयरिंग टाइम या योजना बनाते समय
कौन सा समय किस दिन श्रेष्ठ होगा? यह ज्ञात होना अति आवश्यक है।
हमने माना है कि *सूर्योदय 6:00 बजे प्रातः* ही होता है .आपको
अपने शहर के स्थानीय समय के अनुसार
प्रातः 6:00 बजे या दिए गए
समय में सूर्योदय के आधार पर मिनट
का अंतर - या बढ़ाना पड़ेगा।
तो *वास्तविक शुभ समय प्राप्त
होगा *यहां पर दिए गए समय में
1 घंटे में भी श्रेष्ठ समय मध्य के 36 मिनट होंगे।
इसमें यदि हम स्टडी, वर्क प्रारंभ करते हैं तो उसके सुपरिणाम ,ही रहेंगे।
कार्य या पठन ,पाठन ,वाचन समाप्त करने
की कोई अवधि नहीं होती ।
*प्रारंभ करना ही सर्व प्रमुख* है किसी भी बीज ,(छोटे से बीज) से एक बड़ा वृक्ष बनता है . इस प्रकार ही किसी ठीक समय ,उचित समय, अच्छे समय में ,
कोई कार्य प्रारंभ करने पर उसके
सुपरिणाम ही प्राप्त होते हैं।
शुभ दिन एवं उनमे श्रेष्ठ समय-सामान्य रूप से शुभ दिन में विशेष रुप से सोमवार , बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार आदि को सूर्योदय से प्रथम घंटा, आठवां घंटा, 16 घंटा एवं23 वा घंटा विशेष उपयोगी सिद्ध होता है।इसके अतिरिक्त सभी दिनो मे शुभ समय विद्या आरंभ के लिए - रविवार- प्रातः 7:00 से 10:00 तक , 11:00 से 11:36, 2:00 से 4:24 तक शुभ समय रहेगा । रात्रि में 9:00 बजे से 12:00 बजे तक तथा 1:00 से 2:00 तक का समय शुभ रहेगा।
सोमवार -
प्रातः 6:00 से 7:00 ,11:35 से 2:00 तक 3:37 से 4:00 बजे तक तथा
रात्रि में 1:00 बजे से 4:00 तथा 5:00 से 6:00 रात्रि तक का समय शुभ है .
मंगलवार - 8:00 बजे से लेकर 11:00 बजे तक, 12:00 बजे से 1:00 बजे तक,
4:00 बजे से 6:00 बजे तक.
तथा रात्रि में 10:00 बजे से लेकर 1:00 बजे तक शुभ समय रहेगा . बुधवार के दिन- प्रातः 6:00 से 6:48 तक इसके पश्चात 9:13 से 10:00 तक
12:00 बजे से 3:00 बजे तक 4:00 से 4:24 तक शुभ समय रहेगा
.
गुरुवार
प्रातः 6:00 से 6:47 तक इसके पश्चात 9:00 बजे से 12:00 बजे तक
1:00 से 1:30 तक दिन में .
रात्रि में 11:00 बजे से 2:00 बजे तक शुभ समय रहेगा . शुक्रवार - प्रातः 6:00 से 8 तथा 10:00 से 10:30, 1-13 से 3, 5:13 से 6:00 बजे तक
दिन में शुभ समय रहेगा.
रात्रि में 9:00 बजे से 10 तथा 12:00 से 1:00 बजे तक शुभ समय रहता है . शनिवार - 10:31 से लेकर 1:00 बजे दोपहर तक ,7:37 से 8:00 बजे तक प्रातः तथा
रात्रि में 7 से 8, 9:00 से 10:00, 1 से 3:00 तक शुभ समय रहता है.
(विशेष सटीक समय के लिए आवश्यक है जन्म पत्रिका या जन्म समय
दिनांक विवरण ,उसके आधार पर शत प्रतिशत शुद्ध समय
ग्रहों की
स्थिति के अनुसार निकाला जा सकता
है*)
|
आध्ययन हेतु कन्या लग्न , बड़े लेखन हेतु कर्क लग्न , नए वस्त्र , पेन , पेंसिल, पुस्तक हेतु मीन या मेष लग्न उपयोगी होती |
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