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अध्ययन :सफलता के रहस्यमयी सूत्र : अमूल्य परामर्श (Key Points :Best suitable and Avoidable date &time for study)







अध्ययन :सफलता के रहस्यमयी सूत्र  : अमूल्य परामर्श
(Key Points :Best suitable and Avoidable date &time  for study)( विद्याअध्ययन ,नोट्स,कोचिंग,ट्यूशन vaastu evam jyotish )
     आज की व्यस्तता एवं पौराणिक तथ्यों निदेशानुदेश को भारत देश मे अनुपयोगी
 हेय दक़ियानूसी,अनुपयोगी,संभव नहीं या अनुचित माना जाता है |जबकि पाश्चात्य देश मे इस पर शोध हो रहा है | शासन या शिक्षाकेन्द्र अव्यावहारिक  या उचित न भी माने पर आप या पालक वर्ग या व्यक्तिगत जीवन मे साक्षात्कार ,पठन,एवं महत्वपूर्ण  रिज्यूम ,Boidata ,presentation के नोटस,लेक्चर notesआदि मे इसके प्रत्यक्ष सुय कुफ़ल देख सकते हैं |
|यदि दिनांक चयन हमारे हाथ मे हो तो कोचिंग,
घर मे ट्यूशन आदि किस दिनांक को किस समय पढ्ना उचित नहीं ,
उन दिनांक का परित्याग कर समय ,श्रम,व्यय बचा सकते हें |
अध्ययन के लिए 37 अवसर अध्ययन हेतु वर्जित है।      
            विभिन्न ग्रंथो मे संक्रान्ति,ग्रहण,तिथि,योग,करण,तिथि,युगादि,मनवादी लग्न,कुसमय,असमय वर्षा, बिजली,मेघ गर्जन ,मृत्यु,आदि 37 अवसरो पर विद्या अध्ययन उचित नहीं माना गया है |
     प्राचीनकाल मे ऋषियुग त्रेता,द्वापर मे ,जब उद्भट विद्वान ऋषियों के ही नियंत्रण मे ,हाथो मे गुरुकुल,आश्रम एवं राज्य नीति निर्धारण था ,तब ये गुरुकुल कालीन व्यवस्था संचालित होती होगी,अन्यथा शब्द "अनध्याय"का जन्म ही नहीं होता|
किस 2 अवसर या तिथि मे पढ्ना उपयोगी नहीं इस पर ज्ञान प्रकाश ही नहीं डाला जाता |
   वर्तमान मे ज्योतिष के सिद्धांतो के अनुसार ही विकल्प ज्ञात करना आवश्यक हे |
सूक्ष्म तिथि, मुहूर्त सिद्धान्त के अनुसार 24 घंटे के एक दिन मे समस्त ऋतु,तिथि,आदि चलायमान हें |इस आधार पर सूर्योदय काल के 01:36 घंटा पर सूर्योदयकालीन तिथि का ही प्रभाव होता है |यदि अध्ययन के लिए दिनांक अशुभ है ,तो सूर्योदयकालीन 01 :36 घंटा छोड़ देना उचित होगा |
                                        पठन उपकरण वास्तु -
टेबल,वस्त्र कैसे किस रंग के हों ?
आकार-टेबल गोल नहीं हो | आयताकार हो  |
ऊंचाई Adustable या इतनी हो कि घुटने अड़े नहीं,पैर लटके नहीं ,किसी पर नीचे टिके रहे,सपोर्ट रहे  |
चौड़ाई लैपटाप हो तो 20-22 इंच हो | desktop हो तो 25-27 इंच हो |
रंग-श्वेत,wooden, Greenish Pink .Study टाइम टेबल  का अधिक भाग खाली हो ।
लंबाई -33-36 इंच हो |
पुस्तक स्थान –दाहिने हाथ पर रेक हो या सामने टेबल के पास दीवाल पर खड़े रूप मे व्यवस्थित हों।
वस्त्र कुशन आदि -आरामदायक हो,स्वच्छ,फटे ,गंदे,गुंजले नहीं होना चाहिए | समान्यतः पीले,हरे ,हल्के गुलाबी,श्वेत रंग के होना चाहिए  |  {Golden,yellow,Cream,Lemon,off whit e ,white ,Green family colors) |
कुर्सीChairAvoid moovable, Height Adjustable, Light weight,  Best Without back, or straight back ,without hand,
पेय पदार्थ स्थान टेबल के लेफ्ट मे हो ।(पानी या चाय काफी पाट) | टेबल कि ऊंचाई से 7-9 इंच नीचे हो |
*वातवरण कैसा हो (ध्वनि रहित,सुगंध,चित्र,आरामप्रद ,प्रकाश ) ?
- स्वच्छ शांत,नीरव,एकांत एवं स्थिरतापूर्ण होना चाहिए |
दुर्गंध न हो |
-चन्दन की सुगंध उत्तम ,यह बुद्धि को सक्रिय करती है |
-चित्र झील,नदी,प्राकृतिक पेड़ पौधे पुष्प के हो |
- विवाद ,क्लेश , सेना, युद्ध क्षेत्र ,भोजन के बाद गिले हाथ ,अजीर्ण ,उल्टी ,सूतक या शरीर से खून निकलते समय अध्ययन नहीं करना चाहिए।
-बैठने की स्थिति-मेरुदंड सीधा रहे उत्तम |अधिक झुक कर नहीं पढे
जो सुखद हो  | जिस स्थिति मे देर तक बिना हिले डुले बैठ सकते हो |
*पढ़ने की दिशा कौनसी  हो ? किस दिशा की ओर मुह हो ?
  दिन मे पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुह होना चाहिए | रात्री मे पश्चिम या उत्तर की ओर मुह कर बैठे |
पुनश्च – ज्योतिष एवं पौराणिक निदेश,अनुदेश या कथन का प्रयोग ,अनुपालन जो बुद्दिमान भाग्यशाली या या चाँदी की चम्मच मुह मे लेकर पैदा हुए उनके लिए बड़ी सफलता कारी सिद्ध होगा |
सामान्य या मध्यम भाग्य एवं बुद्धि  वाले बच्चों के लिए ,जिन्हें सीमित साधनो मे ,( प्रारब्ध भोगना विवशता है)प्रगति करना है  ,उनके लिए स्वर्णिम,अवश्यकता एवं उपादेयहै |
शीघ्र विद्या ,भाग्य,सफलता एवम स्मरण     -नए वस्त्र वस्त्र  एवं पठन सामग्री  पुस्तक आदि  के लिए श्रेष्ठ दिन शुक्रवार एवं बुधवार रहेगा।  
वर्जित तिथि - आंमावस्या तिथि  का प्रभाव रात्री ,अन्य तिथि विशेष रूप से उनके समय या प्रातः सूर्योदत से 4 घंटे तक विशेष रूपसे आवश्यक |
1-         
प्रतिपदा(पढ़ी हुई विद्या विस्मृत हो जाती या उपयोग मे नहीं आती ) ,अष्टमी ;चतुर्दशीअमावस्या और पूर्णिमा:(शिक्षक एवं विद्यार्थी दोनों के लिए कष्ट:, अशुभ फल उत्पन्न होते हैं ) यह अध्ययन ,अध्यापन  लिए उचित नहीं है ।इनके पहले जो रात्रि हो उसमें अध्ययन नहीं करना चाहिए ।
         अश्वनी शुक्ला नवमी ,कार्तिक शुक्ल द्वादशी, मे भरणी नक्षत्र।श्रावण द्वादशीयम द्वीतियारथ सप्तमी में अध्ययन 24 घंटे वर्जित है ।
      2-बृहस्पति जी द्वारा प्रयोग पारिजात ग्रंथ - मेष, तुला संक्रांति ,देव शयन ,देव जागरण, मनुवादी और युगाआदि तथा अयन( उत्तर एवं दक्षिण अयन) प्रारंभ हो.
3-
नारद निर्णय अमृत ग्रंथ -चतुर्मास की द्वितिया  मे, मनवादी युगादि
3-
गर्ग -कार्तिक ,असाढ़, फागुन की द्वितीया तिथि अमावस्या और चतुर्मास की द्वितीया में अध्ययन नहीं करना चाहिए ।
4-
स्मृत्यर्थसर-आषाढ़ ,कार्तिक, फागुन की द्वितिया
5-
भाई की मृत्यु पर 3 दिन' किसी गोत्र वाले की मृत्यु होने पर संध्याकाल', मेघ गर्जन ,आकाश उत्पात, भूकंप ,तारा टूटना ,पशु -नेवला ,कुत्ता ,सर्प,बिल्ली , चूहा इन के मध्य से जाने पर 24 घंटे अध्ययन करना वर्जित है।
5-
सूर्य ग्रहण, चंद्र ग्रहण में 3 दिन तक अध्ययन वर्जित है. रात्रि में ग्रहण हो तो 3: रात्रि  ;दिन में ग्रहण हो तो 3 दिन अध्ययन ना करें ।
6-
गधा, ऊंट, हाथी, घोड़ा, नाव या वायुयान,वृक्ष पर चढ़ने में या मरुस्थल में चलने या उसर भूमि भृमण के  3  घंटे तक अध्ययन वर्जित।
7- 
वर्षा के बिना गर्जन की ध्वनि, वर्षा और बिजली का एक साथ होना तात्कालिक अध्ययन वर्जना है। ( नारायण )।
8-
ऐतरेय उपनिषद-बिना ऋतु की वर्षा होने पर, (मृगशिरा नक्षत्र से ज्येष्ठा नक्षत्र तक वर्षा ऋतु मानी गई है) जब सूर्य पर हो इसके अतिरिक्त कभी भी वर्षा हो तो कम से कम तात्कालिक अध्ययन नहीं करना चाहिए ।
9-
प्रातः के समय बादल गरजने में 3 या 12 घंटे प्रातः और संध्या में गरजने की आवाज से 4 या 24 घंटे रात्रि में ;बिजली के शब्द से तात्कालिक अध्ययन बंद करना चाहिए ऐसा गौतम जी द्वारा कहा गया।
10-
यदि संध्या पूर्व बिजली चमके तो उस रात में 3  घंटे तक अध्ययन नहीं करें। दिन में बिजली चमकने से समग्र 4 घंटे या 24 मिनट तक अध्ययन वर्जित है ।
11-
विवाद ,क्लेश , सेना, युद्ध क्षेत्र ,भोजन के बाद गीले हाथ ,अजीर्ण ,उल्टी ,सूतक या शरीर से खून निकलते समय अध्ययन नहीं करना चाहिए।
12 -
पैर के ऊपर पैर रखकर या पैरों को फैला कर बैठने पर भी अध्ययन उचित नहीं है 
14-
खरगोश ,मेष , हाथी, गैंडा, सारस, शेर,गधा, सुअर, सर्प,नेवला,दिखने पर।
15-
विवाह ,उद्यापन ,प्रतिष्ठा, समाप्त होने तक सगोत्रों की अन अध्याय होती है .
16-
ग्रह उदय और अस्त में तीन मुहूर्त 72 मिनट।17-सष्ठी, द्वादशी मध्य रात्रि के पूर्व की 24 मिनट अवधि।
18-
तृतीया के 3:45 घंटे तक अध्ययन वर्जित है।
       ग्रंथों के आधार पर प्रतिपदा तिथि में पढ़ा हुआ विवरण स्मरण में नहीं रहता है अथवा पढ़ा हुआ चैप्टर समझ में नहीं आता है |इसलिए प्रतिपदा को चतुर्दशी एवं पूर्णिमा तिथियों को पठन-पाठन उतना उचित नहीं माना गया है परंतु चतुर्दशी एवं पूर्णिमा को गुरु को एवं शिष्य दोनों के लिए ही हानि कारक बताया गया है |
इसलिए शिक्षक  आदि को भी चाहिए कि चतुर्दशी एवं पूर्णिमा को अवकाश रखें |
अथवा यदि सूर्योदय वाली यह तिथियां हो तो प्रातः 4 घंटे कम से कम घंटे ,विद्या अध्ययन  ना करें एवं पढ़ने जाने वालों को भी परित्याग करना उनके हित में होता है |
Note-(
जन्म कुंडली या जन्मपत्रिका के आधार पर और भी सटीक जानकारी जो पढ़ने वाले बच्चों के लिए अधिक उपयोगी हो सकती है संपर्क करने पर दी जा सकती है।)
विशेष रूप से अन्य नक्षत्र तिथियां भी शुभ अशुभ होती है इतने जटिल नियमों के बाद जनहित में या प्रस्तुत कर रहे हैं कि
कौन सी तिथि कौन सी दिनांक किस महीने प्रस्तुत है कि, किस दिनांक को कोशिश करें की अध्ययन से बचाव करें एवं अन्य तिथियां समस्त दिनांक समस्त शुभ होती है पढ़ने के लिए नोट्स बनाने के लिए प्रेजेंटेशन बनाने के लिए अपना कुछ भी अति आवश्यक लेखन संबंधित कार्य अशुभ दिनांक को नहीं करना ही उचित होगा । रिज्यूम आदि शुभ दिनांक एवं समय में बनाकर आपको न केवल साक्षात्कार में सफलता ,आप को रोजगार भी प्रदान करवा सकता है।

      ग्रंथों के आधार पर प्रतिपदा तिथि में पढ़ा हुआ विवरण स्मरण में नहीं रहता है अथवा पढ़ा हुआ चैप्टर समझ में नहीं आता है |इसलिए प्रतिपदा को चतुर्दशी
एवं पूर्णिमा तिथियों को पठन-पाठन उतना उचित नहीं माना गया है परंतु
चतुर्दशी एवं पूर्णिमा को गुरु को एवं शिष्य दोनों के लिए ही हानि कारक बताया गया है |
इसलिए शिक्षक  आदि को भी चाहिए कि चतुर्दशी एवं पूर्णिमा को
अवकाश रखें | अथवा यदि  सूर्योदय वाली यह तिथियां हो तो
प्रातः 4 घंटे कम से कम घंटे ,विद्या अध्ययन  ना करें एवं पढ़ने जाने वालों को भी परित्याग करना उनके हित में होता है |
Note-(
जन्म कुंडली या जन्मपत्रिका के आधार पर और भी सटीक जानकारी जो पढ़ने वाले बच्चों के लिए अधिक उपयोगी हो सकती है संपर्क करने पर दी जा सकती है।)
विशेष रूप से अन्य नक्षत्र तिथियां भी शुभ अशुभ होती है इतने जटिल नियमों के बाद जनहित में या प्रस्तुत कर रहे हैं कि
कौन सी तिथि कौन सी दिनांक किस महीने  प्रस्तुत है कि, किस दिनांक को कोशिश करें की अध्ययन से बचाव करें एवं अन्य तिथियां समस्त दिनांक समस्त शुभ होती है ,पढ़ने के लिए नोट्स बनाने के लिए ,प्रेजेंटेशन बनाने के लिए ,
अपना कुछ भी अति आवश्यक लेखन संबंधित कार्य अशुभ दिनांक को
नहीं करना ही उचित होगा । रिज्यूम आदि शुभ दिनांक एवं समय में बनाकर आपको साक्षात्कार में सफलता ,आप को रोजगार भी प्रदान करवा सकता है।
क्यों आवश्यक ,क्या उपादेयता -
अध्ययनपठन,कोचिंगट्यूशननोट्स बनाने के लिए कौनसी दिनांक (धर्म ज्योतिष पुराण आदि ग्रंथों के अनुसार )शुभ ,जिनमे लिखा या पढ़ा हुआ अपेक्षित ,वांछित ,स्मृति   में रहे एवं सफलता प्रद होगा या अनुचित ,अशुभअनपेक्षित परिणाम प्रदायक होसकती है।     

  
परंतु अशुभ दिनांक या अशुभ समय में निर्मित रिज्यूम हर जगह रिजेक्ट हो सकता है।
  
जैसे आप अपने रोजगार के लिए अपना विवरण बनाते हैं या कार्यालय के लिए प्रेजेंटेशन या कोई योजना पर कोई टिप्पणी बनाते हैं आदि जानकारी के लिए आवश्यक है कि कार्ययोजना योजना पठन-पाठन लेखन की बनाएं ।
यह जानकारी कोचिंग एवं टेशन देने वालों के लिए तोप योगी है ही इसके अतिरिक्त आपके बच्चों के लिए इसलिए अति आवश्यक है कि आप के हजारों रुपए जो आप बच्चे के स्वर्णिम भविष्य निर्माण के लिए खर्च कर रहे हैं
जो बच्चे के कोचिंग स्थल तक आने-जाने पर खर्च कर रहे हैं उनका सही उपयोग हो सकेगा।
जिससे कम समय में शीघ्र लाभ हो।
 नित्य कर्म कृत में वर्जित नही।
20-03:45
घण्टे तक चतुर्थी, सप्तमी व त्रयोदशी सूर्यास्त के बाद तक हो।
*
kin sthityon me अध्य्यन वर्जना का नियम लागू नही-*
-
कूर्म पुराण -इतिहास ,पुराण और धर्मशास्त्र के लिए अध्ययन त्याग नहीं है. वेद, यज्ञ ,परायण, धर्म शास्त्र में नियम लागू नहीं होता है।
*शीघ्र विद्या एवम स्मरण,पढ़ा हुआ भूले नही*
नाम के आधार पर - *
  जिनके नाम का प्रथम अक्षर निम्न में से कोई हो उनको-
अ दु थ,, दो  दे दो चा ची चू चे चो ला ली लू ले लो ह,ही हु ह्नों   मां ट  ना या तो  ध फ़ भ भी भू भे  ही उनको-
 रविवा,*सोमवार*,मंगलवार *गुरुवार* को अधिक अध्य्यन करने चाहिए।   
 शीघ्र विद्या ,भाग्य,सफलता एवम स्मरण     नए वस्त्र वस्त्र  एवं पठन सामग्री  पुस्तक आदि  के लिए श्रेष्ठ दिन गुरुवार|
    पीले, लाल रंग के वस्त्र वस्तु पेन पेंसिल पाठ्य सामग्री प्रयोग करना चाहिए।।
4AM से 10:00 PM तक अनुकुल समय पठन के लिए |    
 Avoid study 48 minutes before and after sunset |                            
 2,-   जिनके नाम का प्रथम अक्षर-      ,,,,वा ,,u ,का, छा,, पा, ठा ,शा ,, खा ,, अक्षर पर हो ,
उनके लिए विशेष शुभ दिन बुधवार शुक्रवार शनिवार एवं दिन की अपेक्षा रात्रि काल विशेष महत्वपूर्ण होता है ।
 इसके साथ ही हरा सफेद रंग  ,वस्त्र वस्तु पेन पेंसिल चेयर के कुशन  आदि होना चाहिए।  
   * पढ़ना पढ़ाना कॉन्फ्रेंसिंग शुरू करने की सर्वाधिक शुभ अवधि*
 या समय क्या होगा?
यह दिन बार प्रस्तुत है( क्योंकि मुहूर्त का अर्थ है समस्त प्रारब्ध के
पाप या कष्ट के,विफलता के कुप्रभाव रोके जा सकते हैं
यदि   किसी शुभ काल में कार्य प्रारंभ करे।
      
इसलिए स्टडी टाइम ,नोट्स प्रिपेयरिंग टाइम या योजना बनाते समय
 कौन सा समय किस दिन श्रेष्ठ होगायह ज्ञात होना अति आवश्यक है।
 
हमने माना है कि *सूर्योदय 6:00 बजे प्रातः* ही होता है .आपको
अपने शहर के स्थानीय समय के अनुसार प्रातः 6:00 बजे या दिए गए
समय में सूर्योदय के आधार पर मिनट का अंतर - या बढ़ाना पड़ेगा।
तो *वास्तविक शुभ समय प्राप्त होगा *यहां पर दिए गए समय में
1 घंटे में भी श्रेष्ठ समय मध्य के 36 मिनट होंगे।
       इसमें यदि हम स्टडी, वर्क प्रारंभ करते हैं तो उसके सुपरिणाम ,ही  रहेंगे।
कार्य या पठन ,पाठन ,वाचन समाप्त करने की कोई अवधि नहीं होती ।
*
प्रारंभ करना ही सर्व प्रमुख* है
किसी भी बीज ,(छोटे से बीज) से एक बड़ा वृक्ष बनता है .
       
इस प्रकार ही किसी ठीक समय ,उचित समय, अच्छे समय में ,
कोई कार्य प्रारंभ करने पर उसके सुपरिणाम  ही प्राप्त होते हैं।
    शुभ दिन एवं उनमे श्रेष्ठ समय-सामान्य रूप से शुभ दिन में विशेष रुप से सोमवार बुधवारगुरुवारशुक्रवार आदि को
 सूर्योदय से प्रथम घंटाआठवां घंटा, 16 घंटा एवं23 वा  घंटा विशेष उपयोगी
 सिद्ध होता है।इसके अतिरिक्त सभी दिनो मे शुभ समय विद्या आरंभ के लिए -

    
रविवार-
प्रातः 7:00 से 10:00 तक ,
11:00
से 11:36,   2:00 से 4:24 तक शुभ समय रहेगा ।
रात्रि में 9:00 बजे से 12:00 बजे तक तथा 1:00 से 2:00 तक का समय शुभ रहेगा।
सोमवार -
प्रातः 6:00 से 7:00 ,11:35 से 2:00 तक 3:37 से 4:00 बजे तक तथा
रात्रि में 1:00 बजे से 4:00  तथा 5:00 से 6:00 रात्रि तक का समय शुभ है .
मंगलवार -
8:00
बजे से लेकर 11:00 बजे तक, 12:00 बजे से 1:00 बजे तक,
4:00 बजे से 6:00 बजे तक.
तथा रात्रि में 10:00 बजे से लेकर 1:00 बजे तक शुभ समय रहेगा .
बुधवार के दिन-
प्रातः 6:00 से 6:48 तक इसके पश्चात 9:13 से 10:00 तक
 12:00 बजे से 3:00 बजे तक 4:00 से 4:24 तक शुभ समय रहेगा .
गुरुवार
प्रातः 6:00 से 6:47 तक इसके पश्चात 9:00 बजे से 12:00 बजे तक
1:00 से 1:30 तक दिन में .
रात्रि में 11:00 बजे से 2:00 बजे तक शुभ समय रहेगा .
शुक्रवार -
प्रातः 6:00 से 8 तथा 10:00 से 10:30, 1-13 से 3,  5:13 से 6:00 बजे तक
दिन में शुभ समय रहेगा.
रात्रि में 9:00 बजे से 10 तथा 12:00 से 1:00 बजे तक शुभ समय रहता है .
शनिवार -
10:31
से लेकर 1:00 बजे दोपहर तक ,7:37 से 8:00 बजे तक प्रातः तथा
रात्रि में 7 से 8, 9:00 से 10:00, 1 से 3:00 तक शुभ समय रहता है.
(
विशेष सटीक समय के लिए आवश्यक है जन्म पत्रिका या जन्म समय
 दिनांक विवरण ,उसके आधार पर शत प्रतिशत शुद्ध समय ग्रहों की
स्थिति के अनुसार निकाला जा सकता है*)
        नए पेन ,पुस्तक  वस्त्र आदि हेतु बुध ,गुरु शुक्र का दिन अथवा  ईन  या मेष लग्न उपयोगी होगी | 
आध्ययन  हेतु  कन्या लग्न  , बड़े लेखन हेतु कर्क लग्न , नए वस्त्र , पेन , पेंसिल, पुस्तक हेतु  मीन या मेष लग्न उपयोगी होती |

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संतान को विकलांगता, अल्पायु से बचाइए श्राद्ध - पितरों से वरदान लीजिये पंडित विजेंद्र कुमार तिवारी jyotish9999@gmail.com , 9424446706   श्राद्ध : जानने  योग्य   महत्वपूर्ण तथ्य -कब,क्यों श्राद्ध करे?  श्राद्ध से जुड़े हर सवाल का जवाब | पितृ दोष शांति? राहू, सर्प दोष शांति? श्रद्धा से श्राद्ध करिए  श्राद्ध कब करे? किसको भोजन हेतु बुलाएँ? पितृ दोष, राहू, सर्प दोष शांति? तर्पण? श्राद्ध क्या है? श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम क्या संभावित है? श्राद्ध नहीं करने के कुपरिणाम क्या संभावित है? श्राद्ध की प्रक्रिया जटिल एवं सबके सामर्थ्य की नहीं है, कोई उपाय ? श्राद्ध कब से प्रारंभ होता है ? प्रथम श्राद्ध किसका होता है ? श्राद्ध, कृष्ण पक्ष में ही क्यों किया जाता है श्राद्ध किन२ शहरों में  किया जा सकता है ? क्या गया श्राद्ध सर्वोपरि है ? तिथि अमावस्या क्या है ?श्राद्द कार्य ,में इसका महत्व क्यों? कितने प्रकार के   श्राद्ध होते   हैं वर्ष में   कितने अवसर श्राद्ध के होते हैं? कब  श्राद्ध किया जाना अति आवश्यक होता है | पितृ श्राद्ध किस देव से स

गणेश विसृजन मुहूर्त आवश्यक मन्त्र एवं विधि

28 सितंबर गणेश विसर्जन मुहूर्त आवश्यक मन्त्र एवं विधि किसी भी कार्य को पूर्णता प्रदान करने के लिए जिस प्रकार उसका प्रारंभ किया जाता है समापन भी किया जाना उद्देश्य होता है। गणेश जी की स्थापना पार्थिव पार्थिव (मिटटीएवं जल   तत्व निर्मित)     स्वरूप में करने के पश्चात दिनांक 23 को उस पार्थिव स्वरूप का विसर्जन किया जाना ज्योतिष के आधार पर सुयोग है। किसी कार्य करने के पश्चात उसके परिणाम शुभ , सुखद , हर्षद एवं सफलता प्रदायक हो यह एक सामान्य उद्देश्य होता है।किसी भी प्रकार की बाधा व्यवधान या अनिश्ट ना हो। ज्योतिष के आधार पर लग्न को श्रेष्ठता प्रदान की गई है | होरा मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ माना गया है।     गणेश जी का संबंध बुधवार दिन अथवा बुद्धि से ज्ञान से जुड़ा हुआ है। विद्यार्थियों प्रतियोगियों एवं बुद्धि एवं ज्ञान में रूचि है , ऐसे लोगों के लिए बुध की होरा श्रेष्ठ होगी तथा उच्च पद , गरिमा , गुरुता , बड़प्पन , ज्ञान , निर्णय दक्षता में वृद्धि के लिए गुरु की हो रहा श्रेष्ठ होगी | इसके साथ ही जल में विसर्जन कार्य होता है अतः चंद्र की होरा सामान्य रूप से सभी मंगल कार्यों क

गणेश भगवान - पूजा मंत्र, आरती एवं विधि

सिद्धिविनायक विघ्नेश्वर गणेश भगवान की आरती। आरती  जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।  माता जा की पार्वती ,पिता महादेवा । एकदंत दयावंत चार भुजा धारी।   मस्तक सिंदूर सोहे मूसे की सवारी | जय गणेश जय गणेश देवा।  अंधन को आँख  देत, कोढ़िन को काया । बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया । जय गणेश जय गणेश देवा।   हार चढ़े फूल चढ़े ओर चढ़े मेवा । लड्डूअन का  भोग लगे संत करें सेवा।   जय गणेश जय गणेश देवा।   दीनन की लाज रखो ,शम्भू पत्र वारो।   मनोरथ को पूरा करो।  जाए बलिहारी।   जय गणेश जय गणेश देवा। आहुति मंत्र -  ॐ अंगारकाय नमः श्री 108 आहूतियां देना विशेष शुभ होता है इसमें शुद्ध घी ही दुर्वा एवं काले तिल का विशेष महत्व है। अग्नि पुराण के अनुसार गायत्री-      मंत्र ओम महोत काय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो दंती प्रचोदयात्। गणेश पूजन की सामग्री एक चौकिया पाटे  का प्रयोग करें । लाल वस्त्र या नारंगी वस्त्र उसपर बिछाएं। चावलों से 8पत्ती वाला कमल पुष्प स्वरूप बनाएं। गणेश पूजा में नारंगी एवं लाल रंग के वस्त्र वस्तुओं का विशेष महत्व है। लाल पुष्प अक्षत रोली कलावा या मौली दूध द

श्राद्ध रहस्य - श्राद्ध क्यों करे ? कब श्राद्ध नहीं करे ? पिंड रहित श्राद्ध ?

श्राद्ध रहस्य - क्यों करे , न करे ? पिंड रहित , महालय ? किसी भी कर्म का पूर्ण फल विधि सहित करने पर ही मिलता है | * श्राद्ध में गाय का ही दूध प्रयोग करे |( विष्णु पुराण ) | श्राद्ध भोजन में तिल अवश्य प्रयोग करे | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि - श्राद्ध अपरिहार्य - अश्वनी माह के कृष्ण पक्ष तक पितर अत्यंत अपेक्षा से कष्ट की   स्थिति में जल , तिल की अपनी संतान से , प्रतिदिन आशा रखते है | अन्यथा दुखी होकर श्राप देकर चले जाते हैं | श्राद्ध अपरिहार्य है क्योकि इसको नहीं करने से पीढ़ी दर पीढ़ी संतान मंद बुद्धि , दिव्यांगता .मानसिक रोग होते है | हेमाद्रि ग्रन्थ - आषाढ़ माह पूर्णिमा से /कन्या के सूर्य के समय एक दिन भी श्राद्ध कोई करता है तो , पितर एक वर्ष तक संतुष्ट/तृप्त रहते हैं | ( भद्र कृष्ण दूज को भरणी नक्षत्र , तृतीया को कृत्तिका नक्षत्र   या षष्ठी को रोहणी नक्षत्र या व्यतिपात मंगलवार को हो ये पिता को प्रिय योग है इस दिन व्रत , सूर्य पूजा , गौ दान गौ -दान श्रेष्ठ | - श्राद्ध का गया तुल्य फल- पितृपक्ष में मघा सूर्य की अष्टमी य त्रयोदशी को मघा नक्षत्र पर चंद्र हो | - क

विवाह बाधा और परीक्षा में सफलता के लिए दुर्गा पूजा

विवाह में विलंब विवाह के लिए कात्यायनी पूजन । 10 oct - 18 oct विवाह में विलंब - षष्ठी - कात्यायनी पूजन । वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए - दुर्गतिहारणी मां कात्यायनी की शरण लीजिये | प्रतिपदा के दिन कलश स्थापना के समय , संकल्प में अपना नाम गोत्र स्थान बोलने के पश्चात् अपने विवाह की याचना , प्रार्थना कीजिये | वैवाहिक सुखद जीवन अथवा विवाह बिलम्ब   या बाधा को समाप्त करने के लिए प्रति दिन प्रातः सूर्योदय से प्रथम घंटे में या दोपहर ११ . ४० से १२ . ४० बजे के मध्य , कात्ययानी देवी का मन्त्र जाप करिये | १०८बार | उत्तर दिशा में मुँह हो , लाल वस्त्र हो जाप के समय | दीपक मौली या कलावे की वर्तिका हो | वर्तिका उत्तर दिशा की और हो | गाय का शुद्ध घी श्रेष्ठ अथवा तिल ( बाधा नाशक + महुआ ( सौभाग्य ) तैल मिला कर प्रयोग करे मां भागवती की कृपा से पूर्वजन्म जनितआपके दुर्योग एवं   व्यवधान समाप्त हो एवं   आपकी मनोकामना पूरी हो ऐसी शुभ कामना सहित || षष्ठी के दिन विशेष रूप से कात्यायनी के मन्त्र का २८ आहुति / १०८ आहुति हवन करिये | चंद्रहासोज्

कलश पर नारियल रखने की शास्त्रोक्त विधि क्या है जानिए

हमे श्रद्धा विश्वास समर्पित प्रयास करने के बाद भी वांछित परिणाम नहीं मिलते हैं , क्योकि हिन्दू धर्म श्रेष्ठ कोटी का विज्ञान सम्मत है ।इसकी प्रक्रिया , विधि या तकनीक का पालन अनुसरण परमावश्यक है । नारियल का अधिकाधिक प्रयोग पुजा अर्चना मे होता है।नारियल रखने की विधि सुविधा की दृष्टि से प्रचलित होगई॥ मेरे ज्ञान  मे कलश मे उल्टा सीधा नारियल फसाकर रखने की विधि का प्रमाण अब तक नहीं आया | यदि कोई सुविज्ञ जानकारी रखते हो तो स्वागत है । नारियल को मोटा भाग पूजा करने वाले की ओर होना चाहिए। कलश पर नारियल रखने की प्रमाणिक विधि क्या है ? अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए , उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै प्राची मुखं वित्त्नाश्नाय , तस्माच्छुभम सम्मुख नारिकेलम अधोमुखम शत्रु विवर्धनाए कलश पर - नारियल का बड़ा हिस्सा नीचे मुख कर रखा जाए ( पतला हिस्सा पूछ वाला कलश के उपरी भाग पर रखा जाए ) तो उसे शत्रुओं की वृद्धि होती है * ( कार्य सफलता में बाधाएं आती है संघर्ष , अपयश , चिंता , हानि , सहज हैशत्रु या विरोधी तन , मन धन सर्व दृष्टि से घातक होते है ) उर्ध्वस्य वक्त्रं बहुरोग वृद्ध्यै कलश पर -