रोहणी
का वातिक रौद्र रूप :नौतपा रहस्य
भविष्य,राशिफल,दिन,तिवारी,ज्योतिष,Astro,
ज्योतिष शिरोमणि - पण्डित वी के
तिवारी
(9424446706, jyotish9999@gmail.com)
ज्योतिष उपाधि : वाचस्पति, भूषण, महर्षि, शिरोमणि, मनीषी,
रत्नाकर, मार्तण्ड, महर्षि वेदव्यास1(1990 तक),
विशेषज्ञता :(1976 से) वास्तु, जन्म
कुण्डली, मुहूर्त,
रत्न परामर्श, हस्तरेखा, पंचांग
संपादक |
नौतपा, नवतपा से (अर्थात 9 दिन) सूर्य की
प्रखरता के कारण गर्मी वर्ष में सर्वाधिक होने की स्थिति से तात्पर्य है।
सूर्य अग्नि तत्व है ।इस गैलेक्सी का सर्व प्रमुख तारा है ।
सूर्य अग्नि तत्व है ।इस गैलेक्सी का सर्व प्रमुख तारा है ।
जिसके कारण चर तत्व गतिवान होते
हैं।पेड़ पौधे पुष्प पुष्पित फलित पल्लवित् होते हैं।
प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ माह में (लगभग 25 मई से) 15 दिन के लिए सूर्य रोहणी नक्षत्र पर पहुंचता है।
रोहिणी नक्षत्र पर शीतलता कारी जल प्रधान प्रमुख ग्रह चंद्रमा उच्च का होता है अर्थात इस नक्षत्र पर चंद्रमा सर्वाधिक शीतलता एवम प्रभुता है ।ब्रह्मा इसके देवता हैं।
परंतु सूर्य की उपस्थिति से चंद्र की शीतलता, आद्रता ,सूर्य के अग्नि तत्व के कारण शुष्क, समाप्त हो जाती है ।
सूर्य के रोहिणी नक्षत्र पर प्रवास /दृष्टि की अवधि में प्रारंभिक 9 दिन गर्मी के विशेष माने गए हैं। व्यवहारिक सिद्धि है।
नौतपा से वर्षा संभावना ज्ञान ?
इन 9 दिनों में सूर्य की प्रखरता के उपरांत भी यदि कहीं पर वर्षा होती है तो उस स्थान पर वर्षा काल में वर्षा की संभावना है कम हो जाती हैं ।
नवतपा के प्रारंभिक 9 दिनों में यदि वर्षा ना हो, तो उस स्थान पर जितना अधिक तापमान होगा उतनी अच्छी वर्षा की संभावना होती है।
दिनांक 24 तारीख को रात्रि 2:51 पर सूर्य तारे ने , रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश किया है।02 जून तक रहेगा। अंतिम प्रभाव 5 जून तक तूफानी तेज हवा बबंडर का होगा |
, कृतिका सूर्य का नक्षत्र है जो सामान्य तो है 11 मई से 25 मई तक प्रत्येक वर्ष आता है इसलिए गर्मी या सूर्य के प्रखरता का प्रभाव इस अवधि में प्रारंभ हो जाता है एवं रोहणी चंद्रमा तथा मृगशिरा मंगल का नक्षत्र मंगल भी अग्नि कारक है जोकि 8 जून से 22 जून तक लगभग इस पर सूर्य की दृष्टि रहती है अर्थात सूर्य के प्रखरता की अधिकतम अवधि 22 जून ज्योतिष का आधार पर निर्धारित है वर्ष का सबसे सर्वाधिक तापमान रोहिणी एवं मृगशिरा नक्षत्र पर ही संभव है।
गर्मी का प्रारंभ-
कृतिका नक्षत्र को चंडा नक्षत्र की संज्ञा दी गई है एवं शनि इसका अधिपति माना गया है। इस प्रकार गर्मी का प्रभाव कृतिका नक्षत्र से प्रारंभ होता है ।
आंधी,तूफान का समय-
रोहणी नक्षत्र को वात की संज्ञा दी गई है और इस नाड़ी का स्वामी सूर्य होता है, इसलिए रोहिणी नक्षत्र में आंधी तूफान हवा का प्रभाव अधिक होता है।
अग्नि घटनाये-
मृगशिरा नक्षत्र को अग्नि नाड़ी माना गया है। मंगल इस नाडी का स्वामी है ।अग्नि से संबंधित घटनाएं मंगल के काल में अधिक होती हैं।
विज्ञान के सिद्धांत के अनुसार -
इस अवधि में सूर्य पृथ्वी के सर्वाधिक समीप प्रत्येक वर्ष होता है।सूर्य की किरणें सीधी पृथ्वी पर पड़ने से तापमान बढ़ता है। ,निम्न दबाब निर्मित होकर, समुद्र के जल को खींचता है जिस कारण वर्षा होती है।
ज्योतिष सिद्धांत-
इस अवधि में ज्योतिष सिद्धांत के अनुसार आगामी आर्द्रा,पुनर्वसु ,पुष्य आश्लेषा, मघा, पूर्वा फाल्गुनी ,उत्तराफाल्गुनी, हस्त ,चित्रा, स्वाती इन 10 नक्षत्रों में वर्षा होना आगामी वर्षा की दृष्टि से अच्छा नहीं माना गया है. अर्थात 4 जून तक विशाखा तक प्रकृतिक प्रकोप संभव हे |
ऐसी मान्यता है कि इन नक्षत्रों में जिस स्थान पर वर्षा होगी ,उन स्थानों पर वर्षा काल में पर्याप्त वर्षा की संभावना अत्यल्प होगी यह नक्षत्र 4 जून तक इस वर्ष रहेंगे।
गर्मी के नए रिकार्ड बनेंगे-
शीतलता,जल के देवता चंद्र के आधिपत्य के नक्षत्र पर अग्नि तेज के स्वामी सूर्य का प्रभाव। शीतलता को शुष्क कर गरम करेंगे।वात नाड़ी के स्वामी सूर्य हवा में ऊष्मा ताप भरेंगे।
*भारत में प्रायःमई में समुद्री तूफान की सम्भवना बनती है।
*इस वर्ष शुक्र जल तत्व का कारक ग्रह इस अवधि में अस्त हो जाएगा एवं मृगशिरा नक्षत्र में बुध का प्रवेश । जल कारक कमजोर ,सूर्य, mangalतापमान की ऊंचाई के रिकॉर्ड ध्वस्त कर देगे।
प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ माह में (लगभग 25 मई से) 15 दिन के लिए सूर्य रोहणी नक्षत्र पर पहुंचता है।
रोहिणी नक्षत्र पर शीतलता कारी जल प्रधान प्रमुख ग्रह चंद्रमा उच्च का होता है अर्थात इस नक्षत्र पर चंद्रमा सर्वाधिक शीतलता एवम प्रभुता है ।ब्रह्मा इसके देवता हैं।
परंतु सूर्य की उपस्थिति से चंद्र की शीतलता, आद्रता ,सूर्य के अग्नि तत्व के कारण शुष्क, समाप्त हो जाती है ।
सूर्य के रोहिणी नक्षत्र पर प्रवास /दृष्टि की अवधि में प्रारंभिक 9 दिन गर्मी के विशेष माने गए हैं। व्यवहारिक सिद्धि है।
नौतपा से वर्षा संभावना ज्ञान ?
इन 9 दिनों में सूर्य की प्रखरता के उपरांत भी यदि कहीं पर वर्षा होती है तो उस स्थान पर वर्षा काल में वर्षा की संभावना है कम हो जाती हैं ।
नवतपा के प्रारंभिक 9 दिनों में यदि वर्षा ना हो, तो उस स्थान पर जितना अधिक तापमान होगा उतनी अच्छी वर्षा की संभावना होती है।
दिनांक 24 तारीख को रात्रि 2:51 पर सूर्य तारे ने , रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश किया है।02 जून तक रहेगा। अंतिम प्रभाव 5 जून तक तूफानी तेज हवा बबंडर का होगा |
, कृतिका सूर्य का नक्षत्र है जो सामान्य तो है 11 मई से 25 मई तक प्रत्येक वर्ष आता है इसलिए गर्मी या सूर्य के प्रखरता का प्रभाव इस अवधि में प्रारंभ हो जाता है एवं रोहणी चंद्रमा तथा मृगशिरा मंगल का नक्षत्र मंगल भी अग्नि कारक है जोकि 8 जून से 22 जून तक लगभग इस पर सूर्य की दृष्टि रहती है अर्थात सूर्य के प्रखरता की अधिकतम अवधि 22 जून ज्योतिष का आधार पर निर्धारित है वर्ष का सबसे सर्वाधिक तापमान रोहिणी एवं मृगशिरा नक्षत्र पर ही संभव है।
गर्मी का प्रारंभ-
कृतिका नक्षत्र को चंडा नक्षत्र की संज्ञा दी गई है एवं शनि इसका अधिपति माना गया है। इस प्रकार गर्मी का प्रभाव कृतिका नक्षत्र से प्रारंभ होता है ।
आंधी,तूफान का समय-
रोहणी नक्षत्र को वात की संज्ञा दी गई है और इस नाड़ी का स्वामी सूर्य होता है, इसलिए रोहिणी नक्षत्र में आंधी तूफान हवा का प्रभाव अधिक होता है।
अग्नि घटनाये-
मृगशिरा नक्षत्र को अग्नि नाड़ी माना गया है। मंगल इस नाडी का स्वामी है ।अग्नि से संबंधित घटनाएं मंगल के काल में अधिक होती हैं।
विज्ञान के सिद्धांत के अनुसार -
इस अवधि में सूर्य पृथ्वी के सर्वाधिक समीप प्रत्येक वर्ष होता है।सूर्य की किरणें सीधी पृथ्वी पर पड़ने से तापमान बढ़ता है। ,निम्न दबाब निर्मित होकर, समुद्र के जल को खींचता है जिस कारण वर्षा होती है।
ज्योतिष सिद्धांत-
इस अवधि में ज्योतिष सिद्धांत के अनुसार आगामी आर्द्रा,पुनर्वसु ,पुष्य आश्लेषा, मघा, पूर्वा फाल्गुनी ,उत्तराफाल्गुनी, हस्त ,चित्रा, स्वाती इन 10 नक्षत्रों में वर्षा होना आगामी वर्षा की दृष्टि से अच्छा नहीं माना गया है. अर्थात 4 जून तक विशाखा तक प्रकृतिक प्रकोप संभव हे |
ऐसी मान्यता है कि इन नक्षत्रों में जिस स्थान पर वर्षा होगी ,उन स्थानों पर वर्षा काल में पर्याप्त वर्षा की संभावना अत्यल्प होगी यह नक्षत्र 4 जून तक इस वर्ष रहेंगे।
गर्मी के नए रिकार्ड बनेंगे-
शीतलता,जल के देवता चंद्र के आधिपत्य के नक्षत्र पर अग्नि तेज के स्वामी सूर्य का प्रभाव। शीतलता को शुष्क कर गरम करेंगे।वात नाड़ी के स्वामी सूर्य हवा में ऊष्मा ताप भरेंगे।
*भारत में प्रायःमई में समुद्री तूफान की सम्भवना बनती है।
*इस वर्ष शुक्र जल तत्व का कारक ग्रह इस अवधि में अस्त हो जाएगा एवं मृगशिरा नक्षत्र में बुध का प्रवेश । जल कारक कमजोर ,सूर्य, mangalतापमान की ऊंचाई के रिकॉर्ड ध्वस्त कर देगे।
इनका प्रभाव 5 दिन पूर्व भी
प्रारंभ होता है। जल के कारक चंद्र शुक्र पर निर्बल स्थिति में होने के कारण तूफान
और तापमान के रिकॉर्ड नई ऊंचाई पर पहुंचे यह कोई नई बात नहीं होगी।
कौनसी वस्तु,रंग,दिन रत्न,अशुभ है
A.Know Yours-Lucky -Days Night, Color, Period,
आजीवन कौनसे माह सफलता विफलता के रहेंगे आदि |
B-दान -क्या,किसको,किस दिनांक को करे
C-कौन2 से देवता, मंत्र ,आपके कुल के देवता,
- किस देवता की पुजा तथा मंत्र
जाप शुभ है
- Apply-किस कंपनी मे
,किस दिन करे |
, 4--Compability -Match Methood । अष्टकूट के 31
पॉइंट ओर 36 गुण के स्थान पर 108 गुण से कुंडली मिलवाए
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