जब जान बचा कर भागा राहू
ज्योतिष शिरोमणि - पण्डित वी के तिवारी (9424446706, jyotish9999@gmail.com)
ज्योतिष उपाधि : वाचस्पति, भूषण, महर्षि, शिरोमणि, मनीषी, रत्नाकर, मार्तण्ड, महर्षि वेदव्यास ] :(1976 से) वास्तु, जन्म कुण्डली, मुहूर्त, रत्न परामर्श, हस्तरेखा, |
वनराज केसरी और अंजना की तपस्या से प्रसन्न
हो। एकादश रुद्र के अंश " का , वायु देव के सहयोग से ,अंजना के गर्भ से ,पवन सुत आंजनेय बनाम हनुमान जी का जन्म हुआ।
एक दिन मां अंजना किसी कार्य वशात ,घर से अन्यत्र थी। बाल पवनसुत को क्षुधा की, भूख की प्रतीति हुई।माँ अंजना दृष्टिगत नही हुई।
क्षुधा पूर्ति के लिए, बाल आंजनेय भूख से त्रस्त व्याकुल थे। उनको सूर्य देव उषाकालींन दिखे । उदयीमान सूर्य को ही फल समझकर उसे पकड़ने के लिए , उन्होंनेआकाश की ओर छलांग लगा दी ।
वायु देव के वरदान से ,कृपा से उनको यह अपरमित वायु सदृश्य शक्ति प्राप्त थी ही। वायु देव भी उनकी सुरक्षा करते हुए ,अपनी समग्र शीतलता प्रवाह प्रदान करते हुए, उनके पीछे पीछे अनुगमन करते चल रहे थे ।
वायु देव की शीतलता के कारण वे सूर्य देव के समीप सुरक्षित पहुंच गए। पवनसुत ने सूर्य के रथ का स्पर्श किया ।
देव वशात उस समय ही, राहु सूर्य देव को ग्रहण करने के प्रयास में था ।आंजनेय ने सूर्य देव को राहु से पूर्व ही, अपने मुंह में रख (आत्मसात, ग्रहण)लिया।
इससे राहु आश्चर्य अचंभित एवं परेशान हो उठा कि सूर्य को तो नियमानुसार मुझे ग्रहण करना था ।
यह कौन है ,जो मुझसे पूर्व सूर्य को ग्रहण कर चुका है ।वह विचार मग्न था ही ।
हनुमान जी को ऐसा लगा यह मैंने जो मुह में रखा ,यह कोई फल नहीं है स्वाद हीन कुछ और ही है|।उन्होंने उसे उस ही समय मुंह से बाहर उगल दिया ।और क्षुधा पूर्ति जे लिए बाल सुलभ दृष्टि से इधर उधर दृष्टि दौड़ाने लगे।इसी समय उनकी दृष्टि राहु पर पड़ी।
जिसे उन्होंने काला फल समझा और उसको पकड़ने के झपटे।
राहु प्राण प्राण बचा कर इंद्र देव की शरण मे पहुंचा।इंद्र देव से बोला कि सूर्य अभी आज मेरा ग्राह्य था।मेरे द्वारा ग्रहण की जाए किए जाने वाले सूर्य को ,यह किसने ग्रहण कर लिया ।और तो और यह अब मुझे खाद्य समझ कर मुह में रखना चाहता है।मेरी रक्षा करिये।
राहु अपना दुख, पीड़ा, अनाधिकार चेष्टा,बलातअपनेअधिकार पर किसी अपरचित के कब्जे ,अधिकार विहीनता का आक्रोश मिश्रित उलाहना ,पीड़ा व्यक्त कर रहा था।
पवनसुत भी पहुंचे ही गए राहु का पीछा करते हए । उनको पास आते देख राहु तुरंत ही प्राण भय से,भयभीत ,डर कर इंद्रदेव के वाहन गजराज एरावत के पार्श्व में ,ओट में,आड़ में, पीछे छुप गये
एक दिन मां अंजना किसी कार्य वशात ,घर से अन्यत्र थी। बाल पवनसुत को क्षुधा की, भूख की प्रतीति हुई।माँ अंजना दृष्टिगत नही हुई।
क्षुधा पूर्ति के लिए, बाल आंजनेय भूख से त्रस्त व्याकुल थे। उनको सूर्य देव उषाकालींन दिखे । उदयीमान सूर्य को ही फल समझकर उसे पकड़ने के लिए , उन्होंनेआकाश की ओर छलांग लगा दी ।
वायु देव के वरदान से ,कृपा से उनको यह अपरमित वायु सदृश्य शक्ति प्राप्त थी ही। वायु देव भी उनकी सुरक्षा करते हुए ,अपनी समग्र शीतलता प्रवाह प्रदान करते हुए, उनके पीछे पीछे अनुगमन करते चल रहे थे ।
वायु देव की शीतलता के कारण वे सूर्य देव के समीप सुरक्षित पहुंच गए। पवनसुत ने सूर्य के रथ का स्पर्श किया ।
देव वशात उस समय ही, राहु सूर्य देव को ग्रहण करने के प्रयास में था ।आंजनेय ने सूर्य देव को राहु से पूर्व ही, अपने मुंह में रख (आत्मसात, ग्रहण)लिया।
इससे राहु आश्चर्य अचंभित एवं परेशान हो उठा कि सूर्य को तो नियमानुसार मुझे ग्रहण करना था ।
यह कौन है ,जो मुझसे पूर्व सूर्य को ग्रहण कर चुका है ।वह विचार मग्न था ही ।
हनुमान जी को ऐसा लगा यह मैंने जो मुह में रखा ,यह कोई फल नहीं है स्वाद हीन कुछ और ही है|।उन्होंने उसे उस ही समय मुंह से बाहर उगल दिया ।और क्षुधा पूर्ति जे लिए बाल सुलभ दृष्टि से इधर उधर दृष्टि दौड़ाने लगे।इसी समय उनकी दृष्टि राहु पर पड़ी।
जिसे उन्होंने काला फल समझा और उसको पकड़ने के झपटे।
राहु प्राण प्राण बचा कर इंद्र देव की शरण मे पहुंचा।इंद्र देव से बोला कि सूर्य अभी आज मेरा ग्राह्य था।मेरे द्वारा ग्रहण की जाए किए जाने वाले सूर्य को ,यह किसने ग्रहण कर लिया ।और तो और यह अब मुझे खाद्य समझ कर मुह में रखना चाहता है।मेरी रक्षा करिये।
राहु अपना दुख, पीड़ा, अनाधिकार चेष्टा,बलातअपनेअधिकार पर किसी अपरचित के कब्जे ,अधिकार विहीनता का आक्रोश मिश्रित उलाहना ,पीड़ा व्यक्त कर रहा था।
पवनसुत भी पहुंचे ही गए राहु का पीछा करते हए । उनको पास आते देख राहु तुरंत ही प्राण भय से,भयभीत ,डर कर इंद्रदेव के वाहन गजराज एरावत के पार्श्व में ,ओट में,आड़ में, पीछे छुप गये
कौनसी वस्तु,रंग,दिन रत्न,अशुभ है
A.Know Yours-Lucky -Days Night, Color,
Period, आजीवन कौनसे माह सफलता विफलता के रहेंगे आदि |
B-दान -क्या ,किसको,किस दिनांक को करे
C-कौन2 से देवता, मंत्र ,आपके कुल के देवता,
सर्प,ज्योतर्लिंग,अप्सरा,ऋषि कौन हें एवं उनके मंत्र क्या है
किस अक्षर से प्रारम्भ देवता नाम तथा मंत्र अशुभ है
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कुंडली मिलान की श्रेष्ठ विधि | 36
गुण के स्थान पर 108 गुण से कुंडली मिलवाए
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