समस्याओं का समाधान महत्त्माख्य शिव व्रत
हैं ?
बेरोजगार. राजनीति, रोग,संतान एवं आयु की चिंता है ? –
यह
व्रत अत्यंत सरल सहज एवं महत्व के आधार पर विशेष उपयोगी है| जिसे कोई भी नर-नारी
कर सकता है |आज के इस युग में इस प्रकार का व्रत किसी भी प्रकार से वरदान से कम
नहीं है|
किस
राशि वाले या कौन करे –व्रत :
पर्व अत्यंत महत्वपूर्ण है | भाद्र
शुक्ल प्रतिपदा जो इस वर्ष मघा नक्षत्र सिंह राशि के चंद्रमा में उपलब्ध है, को
ज्योतिष की दृष्टि से सिंह वृष , कन्या एवं मकर राशि बालों को भावी अनिष्ट से सुरक्षा के लिए
शिव पूजन अर्चन अथवा रुद्राष्टक पठन या अभिषेक करना चाहिए|
इस प्रकार ही वृषभ लग्न मकर एवं
कन्या लग्न बालों को भी उपयोगी सिद्ध होगा | राशि ,लग्न ज्ञात नहीं है तो नाम
के अनुसार, नाम के प्रथम अक्षर के आधार पर भी आप इस व्रत को कर ,अपने अनिष्ठ को
दूर कर मनोवांछित फल प्राप्त कर सकते हैं | जैसे ज. प, इ, उ, ए, ओ, व,नाम वाले व्रत कर अशुभ प्रभाव को
रोक कर चिंता मुक्त हो सकते हैं |
पूजा अर्चना का समय –
व्रत में शिव पूजन संध्या समय सूर्यास्त से 24 मिनट पूर्व से लेकर 48 मिनट पश्चात तक तथा महानिशीथ काल अथवा अर्ध रात्रि को
यदि प्रतिपदा तिथि हो शिव पूजन किया जा सकता है|
११.२०-१२.४० दोपहर से पूर्व अथवा प्रातः७.बजे तक
शिव पूजन का उत्तम समय होगा |
स्कंद पुराण
के अनुसार यह व्रत अवढर दानी आशुतोष शिव अर्चना का है| जो कि फल की दृष्टि
से अतीव महत्वपूर्ण व्रत है | संध्या उपरांत व्रत करने वाला अन्न ग्रहण कर सकता है |राज्य धन पुत्र पत्नी आरोग्य और
आयोग के लिए एक विशिष्ट व्रत महत्त्माख्य शिव |
यह व्रत
वर्ष में एक बार आता है इसके इसके विषय में बहुत उन लोगों को जानकारी है | शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि को यह जा यह शिवजी की पूजा का व्रत है
इसमें शिव के ऐसे स्वरुप का ध्यान किया जाता है जो जटाजूट मंडित हो उनके हाथ में
त्रिशूल हो कपाल हो मस्तक पर चंद्रमा हो त्रिनेत्र युक्त शिवजी हूं सामान्य विधि
इस व्रत की उस प्रकारी ही है जैसे शिव जी के अन्य व्रतों में पूजा अर्चना
प्रार्थना की जाती है इसकी विशेषता है कि इसमें 48 फल मोदक या मिठाई के पीस रखकर
पूजा की जाती है उनको सर्वप्रथम पूजा के उपरांत शिव जी को अर्पित किया जाता है
पूजा के उपरांत 16 मिष्ठान या
फल या मोदक देवताओं को मंदिर में या साधु-संन्यासियों को दिए जाते हैं 16 ब्राह्मणों को अर्पण किए जाते हैं
या दिए जाते हैं 616 अपने लिए
रखे जाते हैं इसका विशेष मंत्र है प्रसीद देव देवेश चराचर जगत गुरु वृषभ ध्वज महादेव त्रिनेत्र
आए नमो नमः| एक दूध
देने वाली गाय का दान करें एक बार भोजन करें इससे विगत जन्म में किए गए छोटा है
तथा पाप नष्ट होने के पश्चात यदि पदावनति खोया हुआ धन ऋण या परिवार के सदस्यों की
कोई चिंता है तो व्रत करने वाले को अपना पद धन संतान सुख पत्नी सुख या पति सुख
आरोग्य और आयु की प्राप्ति होती है| यह व्रत स्कंद पुराण में विशेष
रुप से उल्लेखित है इस वर्ष दिनांक 22 अगस्त को इस व्रत का पर्व है|
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