दीपक प्रज्वलन : दीपक दाहिनी ओर रखें
- दुर्गा जी के दीपक की बत्ती-नारंगी/केसरिया/पीली
या लाल पीली मिश्रित हो |
- अखण्ड दीपक श्रेष्ठ है | रुई या कलावे की भी बत्ती बना सकते हैं | दीपक वर्तिका पूर्व की ओर यश, पद, आयु
वर्धनी होती है | उत्तर की ओर मुंह वाली वर्तिका धन संपदादायिनी
होती है | दिन व रात दोनों समय हेतु शुभ होती है | पूर्व मुखी दिन में, विशेष उपयोगी होती है |
- दीपक मंत्र – प्रतिदिन आरती की जानी चाहिए | पूजा के समय दीपक जलाने के पश्चात उसे निम्न मंत्र पढ़कर नमस्कार करना चाहिए |
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- दीपक-तांबा/पीतल का श्रेष्ठ होता है | लोहा/स्टील का दीपक प्रयोग नहीं करना चाहिए | ( केवल शत्रुनाश हेतु )
- लाल/नारंगी वस्त्र देवी को पहनाना चाहिए |
- पाठ के पूर्व पुस्तक पूजा, गुरु स्मरण, गणेशस्मरण
- पूजा के पश्चात् दूध अवश्य पीना चाहिये |
- रुद्राक्ष, मूंगे
की माला से जप कार्य उत्तम फलदायी होता है |
- प्रदक्षिणा एक ही बार करना चाहिए |
- अर्गला पाठ से बाधाओं से सुरक्षा |
- कवच पाठ से अपमृत्यु से सुरक्षा |
- कलश पर रोज वरीयता जल से श्राद्ध पूर्णिमा तक
महालक्ष्मी पूजा होती है |
- कोजागिरी रात्रि जागरण का महत्व है | इससे धन का अभाव नहीं होता |
- अष्टमी की अर्धरात्रि में ( निशीथकाल में )
महानिशा पूजा, नवमीं को त्रिशूलिनी ( देवी ) पूजा एवं हवन करें
|
- दशमीं को अपराजिता लता की पूजा, अपराजिता धारण करना चाहिए |
- लाल वस्त्र धारण करना श्रेष्ठ | पीले उत्तम एवं श्वेत वस्त्र सिद्धिप्रद हैं |
Regards,
Pt V K Tiwari
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